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01 मार्च 2014

आमिर ने 10 करोड़ में खरीदी बम प्रूफ कार, तीन लोगों के पास ही है ऐसी गाड़ी!

मुंबईः बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने ऐसी कार खरीदी है, जिस पर बम धमाके का भी असर नहीं होता। यह कार मर्सिडीज बेंज खास लोगों के लिए बनाती है। इसकी कीमत करीब दस करोड़ रुपए बताई जाती है। इस खास मर्सिडीज बेंज S600 कार में आमिर हाल ही में देखे गए। अंग्रेजी अखबार 'मिड डे' के मुताबिक आमिर ने कुछ समय पहले धमकियां मिलने के बाद यह कार खरीदी है।
 
सूत्रों की मानें तो, आमिर देश के ऐसे तीसरे शख्स हैं जिनके पास ऐसी कार है। देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और बिजनेसमैन मुकेश अंबानी ही अब तक ऐसी सुरक्षा वाली कार में चला करते थे। अब आमिर भी इनमें शामिल हो गए हैं। बुलेटफ्रुफ कार तो कई लोगों के पास है, लेकिन बमप्रूफ मॉडल खासतौर पर वीवीआईपी के लिए बनाया जाता है।
 
आमिर को पहली बार इस कार में उस वक्त देखा गया जब वो मुंबई के एक फाइव स्टार होटल में पार्टी करने पहुंचे थे। सूत्रों ने बताया कि आमिर को कुछ महीने पहले धमकी मिली थी। उन्‍होंने इसकी शिकायत पुलिस स्टेशन में की थी और पुलिस ने उन्हें प्रोटक्शन भी दिया था। लेकिन अपने परिवार और करीबी दोस्तों के दबाव के चलते उन्होंने इस कार को खरीद लिया।

दुनिया का सबसे घिनौना फूड मार्केट, यहां मिलते हैं कुत्ते, चमगादड़ और चूहे


इंडोनेशिया के उत्तरी सुलावेसी प्रांत में टोमोहोन ऐसा शहर है, जो अजीबो-गरीब खाने के मामले में चीन को टक्कर देता है। यहां की ट्रेडिशनल मार्केट में आपको बंदर, चमगादड़, बिल्ली, कुत्ते, सूअर, चूहे, स्लोथ और पाइथन तक मिल जाएंगे। 
 
टोमोहोन की इस घिनौनी मार्केट की तस्वीरें ओमान के 44 वर्षीय फोटोग्राफर और ब्लॉगर रेमंड वाल्श ने खींची हैं। रेमंड ने ब्लॉग पर अपने एक्सपीरिंयस को भी शेयर किया है। रेमंड ने लिखा है, "मरे हुए जानवरों को बिकते देखना आसान होता है, लेकिन अपनी मौत का इंतजार करते पिंजरे में बंद जानवरों को देखना काफी दुखदायी होता है।"
 
यहां मिलते हैं हर तरह के जानवर
 
रेमंड वाल्श ने लिखा, "दुनिया के विकासशील देशों में इस तरह की कई परंपरागत मार्केट हैं, जहां फल-सब्जी और मछली का मांस मिलता है। लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि यहां हर तरह के जानवर खाने के लिए बेचे जाते हैं।"
 
अपने ब्लॉग www.manonthelam.com पर उन्होंने बताया कि टोमोहोन मार्केट में कई ऐसे जानवर थे, जिनका मांस बिकते हुए उन्होंने पहली बार देखा। उन्होंने कहा, "पश्चिमी देशों में कुत्तों के प्रति अलग नजरिया होता है। लोग उन्हें पालते हैं, लेकिन दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में इन्हें मजे से खाया जाता है।"

नेत्रहीन ने भीख मांगकर कराया मंदिर-मस्जिद निर्माण, कई लड़कियों की कराई शादी



औरंगाबाद. नाम याकूब मंसूरी उर्फ वीरा। उम्र 53 वर्ष। स्थान औरंगाबाद के गोह प्रखंड का देवहरा गांव। काम भिक्षाटन कर मंदिर एवं मस्जिद के निर्माण के अलावा कई हिंदू, मुस्लिम समुदाय के गरीब परिवारों की बेटियों के हाथ पीले करवाने में अहम भूमिका। यह किसी नाटक के किरदार का परिचय नहीं है । यह परिचय है एक ऐसे इंसान का, जिसके साथ प्रकृति ने तो नाइंसाफी की, परंतु उसने समाज को दिशा दिखाने का जो संकल्प लिया, उसमें नेत्रहीनता आड़े नहीं आयी।
 
भृगुधाम से सटे पुनपुन नदी पर बसे देवहरा गांव के वीरा के सिर से पिता का साया आठ वर्ष की अवस्था में ही उठ गया था। पांच वर्ष की उम्र में प्रकृति ने इस असहाय के साथ मजाक किया। आंखें छीन ली। वह नेत्रहीन हो गया। इस नेत्रहीन वीरा के पास कई अद्भुत गुण हैं। एक बार किसी से बात कर ले, तो दुबारा उस व्यक्ति की आवाज सुनकर ही नाम तक बता देता है। 53 वर्षीय वीरा अच्छा गीतकार भी है। गीत-संगीत सुना कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देना उसकी हुनर है। अपने आकर्षक लफ्जों से आकर्षित कर लोगों से भीख मांगा करता है।
 
भिक्षाटन कर बनवाया पुनपुन नदी घाट पर मंदिर
 
वीरा ने एक तरफ 1989 में पैतृक गांव देवहरा पुनपुन नदी घाट पर सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया, वहीं दूसरी तरफ 1993 में देवहरा गांव में मस्जिद का निर्माण करवाया। पिछले साल तीन वर्षों से जमा किये गये पैसे से गोह प्रखंड मुख्यालय में मां दुर्गे के पोखर घाट एवं सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया।
 
कई हिंदू व मुस्लिम लड़कियों की कराई शादी
 
अब तक वीरा ने करीब 20 हिन्दू और 15 मुस्लिम परिवारों के गरीब बेटियों की शादी भिक्षाटन के पैसों से करवाई है। इसमें गया, औरंगाबाद, धनबाद, बोकारो, अरवल और जहानाबाद आदि जिलों की लड़कियों के नाम शामिल हैं। वीरा का कहना है कि गरीब की बेटियां उनकी बेटी के समान हैं, इसलिए उनकी और उनके परिवार की भलाई करना सबसे बड़ा पुण्य का काम है।
नेत्रहीन ने भीख मांगकर कराया मंदिर-मस्जिद निर्माण, लड़कियों की कराई शादी
आंखें बंद, हाथ-पैर पोलियोग्रस्त फिर भी अपनी कमाई से बनवाया मंदिर
 
धमतरी. लोग छोटी सी समस्या आने पर हिम्मत हार लेते हैं या मुंह मोड़ लेते हैं, लेकिन घनश्याम सेन संघर्ष का जीता जागता मिसाल है, जिसने बहु-विकलांगता को पीछे छोड़ गांव के लोगों को आस्था से ऐसे जोड़ा कि लोग मंदिर पहुंचते ही उन्हें याद करते हैं।
 
जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर ग्राम अरौद (ली) निवासी घनश्याम सेन (22) पिता लच्छूराम सेन की आंख में बचपन से रौशनी नहीं है। हाथ व पैर पोलियोग्रस्त है। अपनी विकलांगता के चलते वह एक अक्षर भी पढ़ाई नहीं कर पाया। फिर भी घनश्याम ने जिंदगी से हार नहीं माना। 15 वर्ष की उम्र में टीवी, रेडियो, देवी मंदिरों के पास चलने वाले जसगीतों को सुनकर संगीत में रिहर्सल शुरू किया और बाद में जसगीत में दक्ष हुआ। घनश्याम के कंठ से सुआ नाचे सात बहनियां समेत कई जसगीत की धुन निकलती है, तो लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।
 
सुरीली आवाज और सुमधुर गीतों से प्रेरित होकर गांव के छात्र-छात्राओं ने मिलकर एक जसगीत पार्टी तैयार की और बहु-विकलांग घनश्याम की आवाज गांव से राजधानी तक पहुंच गई। कई मंचों में वह अपने आवाज का जादू बिखेर चुका है। हुनर से उसने हजारों रुपए कमाए। घर से मंदिर व मंदिर से घर जाने के लिए वह किसी पर आश्रित नहीं है। गांव के मोड़ व रास्ते का नक्शा उसके दिमाग में बैठ गया है। मंदिर का ताला आम लोगों की तरह पलभर में खोल देता है। दिनचर्या की सारी प्रक्रिया आसानी से कर लेता है।
राजधानी के गायक को  पीछे छोड़ा
 
ग्रामीण रूपराम साहू, दिलीप सेन ने बताया कि प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध जसगीत गायक के साथ उसकी दो बार स्पर्धा हुई। जिला स्तर पर आयोजित स्पर्धा में उसने प्रसिद्ध गायक को पीछे छोड़कर प्रथम स्थान प्राप्त किया।
 
गांव में बनवाया मंदिर
 
घनश्याम बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति का है। उन्होंने अपने हुनर की कमाई से गांव में मां दुर्गा व भगवान राम का मंदिर बनवाया है। गांव में भक्ति भावना जागृत हो और भगवान के प्रति लोगों की आस्था बनी रहे, इसी उद्देश्य से उसने मंदिर निर्माण कराया। मां दुर्गा और भगवान राम के मंदिर की पूजा-अर्चना और श्रद्धा-भक्ति में उसकी दिनचर्या कटती है।
 
कट रही है जिंदगी
 
घनश्याम गरीब परिवार से है। वह माता-पिता व बड़े भाई की कमाई पर आश्रित है। बहु-विकलांग होने के कारण उसे शासन से पेंशन, गरीबी रेखा कार्ड, स्मार्टकार्ड सुविधा का लाभ मिल रहा है। बड़े भाई दिलीप सेन ने बताया कि उसके लिए व्यवसाय खोलने हेतु सरकार से लोन के लिए काफी प्रयास किया गया, लेकिन शासन से उन्हें लोन नहीं मिल पाया।

राहुल गांधी को चूमने से गुस्‍साए पति ने महिला को जला कर मार डाला?



गुवाहाटी. असम में एक महिला की मौत की खबर शनिवार को मीडिया और सोशल मीडिया में छाई रही। महिला की मौत जलने से हुई है। बताया गया कि मरने वाली महिला वही है जिसने 26 फरवरी को जोरहाट में एक कार्यक्रम में कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी को चूमा था। बताया गया कि इससे गुस्‍साए पति ने उसे आग के हवाले कर दिया था। काफी देर तक यही खबर चलती रही। तब पुलिस ने सफाई दी। लेकिन, इसके बाद भी भ्रम की स्थिति बनी रही, क्‍योंकि पुलिस के अलग-अलग अफसरों ने अलग-अलग बात कही। 
 
एसपी (जोरहाट) अमनजीत कौर के मुताबिक मरने वाली महिला कांग्रेस की वार्ड सदस्‍य थी, लेकिन वह राहुल गांधी की सभा में मौजूद तक नहीं थी। लेकिन, Rifat Jawaid @RifatJawaid ने एक ट्वीट कर बताया कि असम पुलिस के आईजी ने इस बात की पुष्टि की है कि मरने वाली महिला उन दो कांग्रेसियों में से एक थी, जिन्‍होंने राहुल गांधी को चूमा था।
 
 
पीडि़त बंटी सूतिया जोरहाट जिले में बेकाजंगांव पंचायत की सदस्‍य थी। खबरों के मुताबिक बुधवार के कार्यक्रम में बंटी ने राहुल गांधी को चूमा था। इसे लेकर पति ने उनसे झगड़ा किया और शुक्रवार को आग लगा दी। पति ने खुद को भी आग लगाई थी। वह अस्‍पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है। 
 
क्या हुआ था राहुल के कार्यक्रम में
 
असम के जोरहट में बुधवार को कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में राहुल गांधी उनसे संवाद कर रहे थे। उसी समय एक महिला कार्यकर्ता उनके करीब आई और उन्हें चूम लिया। राहुल उस वक्त शरमा गए। कई महिला कार्यकर्ता जब उन्हें छूने के लिए आगे बढ़ीं तो राहुल गांधी फौरन उठ खड़े हुए।

कुंभ: पेमेंट पर लाए गए थे नागा साधु, कम पैसा मिला तो अफसरों को दौड़ाया



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कुंभ: पेमेंट पर लाए गए थे नागा साधु, कम पैसा मिला तो अफसरों को दौड़ाया
नवापारा राजिम. राजिम कुंभ के समापन समारोह में एक दिन पहले जगत्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सवाल खड़े किए तो दूसरे दिन पैसे को लेकर नागा साधुओं ने बवाल मचा दिया। इस कुंभ में देशभर से साधुओं को सरकार ने बुलाया था। सभी को सम्मान निधि दी जानी थी, लेकिन अलग-अलग सम्मान निधि दिए जाने से कई साधु नाराज हो गए। क्योंकि इससे उन्हें कम पैसे मिल रहे थे। तकरीबन साढ़े छह सौ से ज्यादा हथियारबंद नागा साधुओं ने शनिवार दोपहर को पेमेंट देने आए दो सरकारी अफसरों को घेर लिया। अफसर जान बचाकर भागे तो साधुओं ने दौड़ाया। उन्होंने कहा कि रविवार तक मामला नहीं निपटा तो रायपुर मंत्रियों के घर जाएंगे। इस बार  एक करोड़ 17 लाख रुपए साधुओं को बांटे जाने हैं।
 
शनिवार दोपहर डेढ़ बजे अधिकारी प्रताप पारख और सुधीर दुबे 650 से ज्यादा नागा साधुओं को पैसा देने पहुंचे। साधुओं को पता चला कि दूसरे अखाड़े वालों को राज्य सरकार ने दोगुना पैसा दिया है। साधु भड़क गए। पारख और दुबे वहां अकेले थे। पुलिस फोर्स भी हट चुकी है। अफसरों ने समझाने की कोशिश की तो अचानक कुछ साधुओं ने लाठियां और हथियार उठा लिए और अफसरों की तरफ बढ़ने लगे। माहौल बिगड़ता देखकर दोनों अफसर वहां से भागे। कुछ साधुओं ने पीछा किया। बाद में अधिकारियों ने वहीं से धमतरी एसपी और कुरूद के एसडीएम को फोन पर सारा घटनाक्रम बताया। कुछ ही देर में वहां पुलिस पहुंच गई।  
 
साधुओं को मानदेय
 
सरकार विभिन्न अखाड़ों के महंत, महामंडलेश्वर के अलावा नागा साधु-संतों को यहां आने के कारण सम्मान निधि देती है। करोड़ों रुपए मानदेय निर्धारिता होता है। मानदेय, आवागमन, आवास, भोजन एवं उनकी अन्य जरूरतों की पूर्ति भी विभाग करता है। सरकार ये सब साधुओं के कद के हिसाब से देती है।
 
गलत बता रहे थे संतों की संख्या
 
"साधु-संत, महंत के मानदेय का भुगतान विभागीय प्रक्रिया के तहत किया जाता है। बिंदू जी महाराज के साथ 195 साधु-संत थे, जबकि वे 230 के होने का दावा कर रहे थे। यह गलत था।" गिरीश बिस्सा, ओएसडी, संस्कति विभाग
 
ज्यादा राशि पर हस्ताक्षर करवाए
 
"अफसर ज्यादा राशि पर दस्तखत करवा रहे हैं। सवा चार लाख रु. की बात हुई थी, तीन लाख ही दे रहे हैं।" बिंदु महाराज, पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के बड़े महंत

कांग्रेस ने आयोग से लगाई गुहार- चुनाव की घोषणा के साथ लागू न हो अधिसूचना



नई दिल्ली. यूपीए सरकार चुनाव से पहले कुछ और काम निपटा लेना चाहती है। इसी वजह से कांग्रेस ने चुनाव आयोग से गुजारिश की है कि चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ नहीं बल्कि अधिसूचना की तारीख से आचार संहिता लागू की जाए। 
 
कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि 'आजकल चुनाव कई चरणों में होते हैं। 6 हफ्ते से ज्यादा समय तक आचार संहिता लागू रहती है। इससे विकास के काम रुक जाते हैं।' कांग्रेस ने इस मांग का आधार संसदीय पैनल की रिपोर्ट को बनाया है। कानून मामलों की संसदीय समिति की 61वीं रिपोर्ट अगस्त 2013 में संसद में पेश हुई थी। इसमें यह सिफारिश की गई थी। 
 
बीजेपी करेगी विरोध
कांग्रेस ने आयोग को इस संबंध में सभी दलों की एक बैठक बुलाने की गुजारिश की है। हालांकि, इस संबंध में चुनाव आयोग का रुख साफ नहीं हुआ है। भाजपा ने इसके विरोध की तैयारी कर ली है। भाजपा नहीं चाहती कि यूपीए सरकार को थोड़ा भी वक्त मिले। 
 
सोमवार से बंद हो जाएंगे भारत निर्माण विज्ञापन 
यूपीए सरकार की उपलब्धियों की कहानी सुना रहे 'भारत निर्माण' विज्ञापन सोमवार से बंद हो जाएंगे। लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा एक-दो दिन में हो सकती है। ऐसे में डीएवीपी ने मल्टी-मीडिया कैम्पेन बंद करने का फैसला किया है। सभी प्राइवेट टीवी चैनलों, आकाशवाणी, दूरदर्शन और एफएम रेडियो चैनलों को एडवाइजरी जारी की है कि 2 मार्च के बाद भारत निर्माण विज्ञापन प्रसारित न किए जाए। मंत्रालय ने यह भी तय किया है कि अब भारत निर्माण विज्ञापन अखबारों में जारी न किए जाए।

चीन के रेलवे स्टेशन पर हमला, 27 की मौत और 109 लोग घायल

चीन के रेलवे स्टेशन पर हमला, 27 की मौत और 109 लोग घायल
बीजिंग. सिरफिरे युवकों के एक ग्रुप ने चीन के कुनमिंग में रेलवे स्टेशन पर शनिवार शाम चाकुओं से जमकर कत्ले-आम मचाया। 136 को चाकुओं से गोदा। इनमें से 27 की मौत हो चुकी है। 109 घायल हैं। चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी कुनमिंग में हुए इस हमले का कारण अब तक सामने नहीं आया है। हमलावरों की पहचान भी नहीं हो पाई है। ट्विटर की तर्ज पर बनी चीन की माइक्रोब्लॉगिंग साइट सीना वाइबो पर कई तस्वीरें जारी हुई हैं।
इनमें पुलिस को स्टेशन पर पेट्रोलिंग करते दिखाया है। कुछ तस्वीरों में खून से सनी लाशें स्टेशन पर हैं। वहीं कुछ घायलों को अस्पताल ले जाते हुए दिखाया गया है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ को एक प्रत्यक्षदर्शी लड़की ने बताया कि हादसे के वक्त वह पास के एक रेस्त्रां में थी। उसने देखा कि काले कपड़े पहने दो लोग हाथ में बड़ा-सा चाकू लेकर लोगों के पीछे दौड़ रहे थे। स्थानीय टीवी चैनल के6 के मुताबिक पुलिस ने हमलावरों को मार गिराया।

मौजूदा माहौल में किसी एक पार्टी को सत्ता सौंपना ठीक नहीं : आमिर



भोपाल. आमिर खान। साल में कोई एक ही काम हाथ में लेते हैं। किन्तु उसी में डूब जाते हैं। दैनिक भास्कर के आज के अंक के गेस्ट एडिटर बनकर भोपाल आए। समूह के नेशनल एडिटर कल्पेश याग्निक के साथ उन्होंने खुलकर चुनाव, राजनीति, सरकार पर बात की। अपनी तरह का पहला इंटरव्यू।
 
सवा चार हजार पाठकों ने पूछा एक ही सवाल
 
आप राजनीति में क्यों नहीं जाते? नहीं भी जाएं तो खुद को किस पार्टी के करीब पाते हैं?
 
आमिर का जवाब- मैं जिस क्षेत्र में हूं- एंटरटेनमेंट। उसी में ठीक हूं। उसी के माध्यम से योगदान देना चाहता हूं। इस समय कोई भी ऐसी पार्टी नहीं है जिसे मैं खुद के करीब पाता हूं।
(भास्कर ने पाठकों से सवाल मंगवाए थे, उनमें सर्वाधिक लोगों ने यही पूछा था।)
 
भास्कर - जिस तरह के लोग सामने आ रहे हैं, बहुत-सी हताशा है लोगों के मन में सरकार के प्रति। आपको क्या लगता है कि वक्त आ गया है कि कोई एक दल ही देश में शासन चलाए? या अचानक से उभरी क्षेत्रीय पार्टियां भी मजबूत हों? गठबंधन सरकारें रहें?
 
आमिर - राजनीति का स्ट्रक्चर खराब नहीं है। हम ही हैं जो देश को चला रहे हैं। तो स्ट्रक्चर बदलने से कुछ नहीं होगा। अभी मौजूदा राजनीतिक दलों को देखें जो राष्ट्रीय या क्षेत्रीय हैं, तो उनमें मैं गठबंधन को ही तरजीह दूंगा। या तो मुझे एक पॉलिटिकल पार्टी दिखे, जिसे देखकर यह लगे कि वाह! क्या पार्टी है। यह आ जाए बहुमत में तो अच्छा काम करेगी। लेकिन ऐसा नहीं है। इसलिए अभी एक पार्टी की सत्ता ठीक नहीं। मैं तो फ्रेक्चर्ड वर्डिक्ट ही चाहूंगा।
 
चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा किसे मानते हैं? भ्रष्टाचार को, महंगाई को या सांप्रदायिकता को?
 
यह बड़ा मुश्किल सवाल है। इसका जवाब हमेशा शॉर्ट टर्म आता है। मैं लॉन्ग टर्म जवाब देना चाहता हूं। जिस दिन ये एहसास आ जाएगा कि यहां मेरा राज है, उसी दिन ये सारी समस्याएं हल हो जाएंगी।
 
मतलब स्वराज?
 
जी, स्वराज। जो लोकमान्य तिलक ने कहा था। जो गांधीजी ने कहा था, बदलाव उससे भी आ सकता है। सेवा, संघर्ष या निर्माण। हर हिंदुस्तानी जब इन तीन चीजों में से किसी एक का हिस्सा होगा, तभी बदलाव आएगा।
स्वराज की बात से याद आया कि आम आदमी पार्टी इसकी बात कर रही है। इस पार्टी पर आप क्या कहेंगे?
वैसे तो आम आदमी पार्टी पर कमेंट करना जल्दबाजी होगी। क्योंकि अभी वक्त ही कितना हुआ है। लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगा कि यही एक पार्टी है जो बुनियादी तौर पर बिलकुल अलग चीज कह रही है। बाकी सब पार्टियां घुमा-फिराकर एक ही बात कहती हैं कि आप हमें वोट दो, हम आपको अच्छा राज देंगे। जबकि आम आदमी पार्टी ऐसा नहीं कहती। वो कहती है- हमें वोट दो, हम आपका राज लाएंगे। ये एक बुनियादी फर्क है।
 
फिर भी आप इस पार्टी को समर्थन नहीं देते। अपने निकट नहीं पाते?
देखिए, अभी केवल वो ऐसा कह रहे हैं। करके दिखाएंगे तो मानेंगे।
 
नरेंद्र मोदी के बारे में क्या कहेंगे?
वे एक्स्ट्रीमली पॉपुलर नेता हैं। इसमें कोई दोमत नहीं है।
 
आपके देखते-देखते एक सबसे बुरी बात क्या हुई है? किसका स्तर सबसे ज्यादा गिरा?
नैतिक मूल्यों का पतन सबसे ज्यादा हुआ। हम बाहुबली को इज्जत देते हैं। अपनी बेटियों की शादियों में उन्हें बुलाते हैं। उनके पैर छूते हैं। तो हमारी वैल्यूज कहां गईं? देखना होगा- हमारे हीरो कौन हैं? जो गलत काम कर रहा है, क्या वह हमारा हीरो है? जो सच्चाई से काम कर रहा है, उस पर हम हंसते हैं। यहीं सबसे बड़ी कमी आई है।  जो आदमी नेकी से काम कर रहा है। उसे हम ताने मारते हैं। उसे बेवकूफ समझते हैं।

क़ुरान का सन्देश

 
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