जिया खान की मां ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर किया है
जिसमें इस मामले की फॉरेंसिक जांच की जाए। उन्होंने दावा किया कि यह मामला
आत्महत्या का नहीं हत्या का है।
राबिया खान ने डॉ. अग्रवाल ने बात करके यह जानने कि कोशिश की है कि
आखिर उस रात क्या हुआ था। जिया किस हालत में पाई गई थी और उनकी राय से जिया
कि मौत खुदकुशी है या हत्या। डॉ. अग्रवाल वह शख्स हैं जिन्होंने सबसे पहले
जिया के घर पहुंचकर उसे मृत घोषित कर पुलिस को बुलाने के लिए कहा था।
राबिया के मुताबिक पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि डॉ.
अग्रवाल ने बयान दिया है कि जब उन्होंने सबसे पहले जिया के शरीर को देखा तब
उसकी आंखें खुली थीं, लेकिन राबिया द्वारा किए गए इस स्टिंग में डॉ.
अग्रवाल साफ-साफ कहते हुए नजर आ रहे हैं कि जिया की आंखें खुली नहीं थीं।
राबिया: डॉ. आप मेरे पति से नहीं मिले हैं ना, उस दिन जब जिया की मौत हुई तब आप इनसे नहीं मिले थे।
डॉ. अग्रवाल: नहीं, तब मैं नहीं मिला था, लेकिन बाद में इनसे मुलाकात हुई थी।
राबिया: लेकिन आप तो पुलिस से पहले वहां पहुंचे थे ना डॉ.?
डॉ. अग्रवाल: कौन मैं? हां, मैं तो पुलिस के पहले वहां पहुंचा था।
राबिया: आपने तो उसे पुलिस के आने से पहले ही मृत घोषित कर दिया था ना?
डॉ. अग्रवाल: जी, जब मैंने जिया को देखा, जब मैं वहां आया था
तो आप लोगों ने उसे ऊपर से नीचे उतर दिया था। जब मैंने उसके पल्स चेक किए
तो मुझे कुछ नहीं मिला, मेडिकली उसमें कोई जान नहीं थी।
राबिया: लेकिन जिया तो सोई हुई थी ना?
डॉ. अग्रवाल: हां वह सोई हुई लग रही थी, लेकिन आमतौर पर ऐसा ही होता है।
राबिया: लेकिन अगर कोई खुदखुशी करता है तो उस शख्स कि आंखें बंद होती हैं?
डॉ. अग्रवाल: लेकिन मुझे पता नहीं कि किसी ने उसकी आंखें बंद की थी या नहीं, लेकिन जब मैं आया तो जिया की आंखें बंद थीं।
राबिया: क्यूंकि हमने 5 मिनट के अंदर उस नीचे उतारा था। जब हमने उसे देखा तो तब भी उसकी आंखें बंद थीं। होठ बंद थे। कुछ नहीं था।
डॉ. अग्रवाल: हां, ये बात तो है। कोई ऐसे संकेत नहीं थे।
राबिया: जब आपने देखा तो उसके शरीर से कुछ बाहर नहीं आ रहा था?
डॉ. अग्रवाल: नहीं लेकिन में इतने डिटेल में नहीं गया। सिर्फ
पल्स, ब्लड प्रेशर नहीं था। आंखें बंद थीं। पुतलियां चिपकी हुई थीं। ये
संकेत थे कि शरीर में जान नहीं है।
राबिया: मुझे याद है कि आपने कहा कि जिया इस दुनिया में नहीं रही?
डॉ. अग्रवाल: चेक करने के बाद मैंने ये कहा था। यह मेडिको लीगल केस था इसलिए मैंने कुछ किया नहीं।
राबिया: मुझे याद है कि शुरुआत में आप जिया को चेक करने के लिए कतरा रहे थे?
डॉ. अग्रवाल: नहीं, मैंने स्टेथोस्कोप से चेक किया था। तभी पता चला कि हार्ट बीट नहीं थी, पल्स नहीं थी।
राबिया: फिर आपने आंख खोल कर चेक किया?
डॉ. अग्रवाल: हां, मैंने देखा था और आंख तब बंद थी और एक बार पुतलियां बंद हो गईं तो दुबारा नहीं खुलतीं।
राबिया: मैं अब भी उस सदमे से उभर नहीं पाई हूं।
डॉ. अग्रवाल: मैं समझ सकता हूं।
जिया की मां ने इसके बाद उस फूलवाले से संपर्क किया जिसकी दुकान से
जिया को फूल सूरज कि तरफ से भेजे थे। राबिया का आरोप है कि पुलिस ने एक
थ्योरी बनाई कि जिया सूरज के साथ ब्रेकअप के बाद जिया डिप्रेशन में चली गई
थी, जिसकी वजह से उसने आत्महत्या कर ली। सबूत के तौर पर पुलिस उस बुके का
हवाला दे रही है जिसे सूरज ने जिया के लिए अपने नौकर के हाथ भिजवाया था।
राबिया का दावा है कि जिया डिप्रेशन में बिल्कुल नहीं थी और जिस रात
उसकी मौत हुई उस दिन वह बेहद खुश थी। इसीलिए राबिया ने उस फूलवाले से
संपर्क किया जहां से सूरज पंचोली के नौकर देवा ने बुके खरीद कर जिया के घर
पहुंचाया था। फूलवाले ने राबिया को बताया कि भेजा गया बुके ब्रेकअप बुके
नहीं था बल्कि उसपर 'ऑल द बेस्ट' लिखा था।
राबिया इसके जरिए बताना चाहती हैं कि वॉचमैन का कहना है कि पुलिस ने न
तो गुलदस्ते की छानबीन की और ना ही कचरे के डिब्बे की। इसके बाद भी पुलिस
ने अपनी रिपोर्ट में यह कैसे लिख दिया कि यह ब्रेकअप बुके था? यह सवाल
पुलिस से हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में राबिया ने पूछा है।