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06 मार्च 2014

अमेरिका की मोदी से नफरत और फिर प्यार के पीछे का सच क्या है ,,,क्या इस सच को भारत को नहीं जानना चाहिए ,,,जो अमेरिका नरेंद्र मोदी को खुनी ,,हत्यारा कहकर वीज़ा देने से इंकार करता था ,,नरेंद्र मोदी के नाम पर पुरे भारत के मान सम्मान को ठेस पहुंचाता था उसी अमेरिका के लिए अब नरेंदर मोदी के लिए अचानक प्यार उमड़ आया है ,,

अमेरिका की मोदी से नफरत और फिर प्यार के पीछे का सच क्या है ,,,क्या इस सच को भारत को नहीं जानना चाहिए ,,,जो अमेरिका नरेंद्र मोदी को खुनी ,,हत्यारा कहकर वीज़ा देने से इंकार करता था ,,नरेंद्र मोदी के नाम पर पुरे भारत के मान सम्मान को ठेस पहुंचाता था उसी अमेरिका के लिए अब नरेंदर मोदी के लिए अचानक प्यार उमड़ आया है ,,,दोस्तों सभी जानते है कोंग्रेस ,,कोंग्रेस की अध्यक्ष उपाध्यक्ष और प्रधानमंत्री सहित कई मंत्री अमेरिका के ज़रखरीद गुलाम है उन्होंने पुरे भारत को भारत की अस्मिता को अमेरिका के यहाँ गिरवी रख दिया है ,,,,,,सियासत में जब केजरीवाल आये और उन्होें रिलाइंस सहित दूसरे उद्द्योगपतियों की पोल पट्टी खोली पेट्रोल और गेस का एक सच देश को बताया अधिक मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार के नंगे खेल को जनता के सामने रखा तब पोल खुली के हमारा भारत अमेरिका को पेट्रोल खरीद के नाम पर सत्तावन हज़ार करोड़ रूपये अधिक दे चुका है ,,,,,,,,,,,हमारा देश अगर ईरान से पेट्रोल लेता तो हमे पेट्रोल सस्ता और उच्च क्वालिटी का मिलता हमे सत्तावन करोड़ का फायदा होता जो देश के गरीबों और इंफ्रा स्ट्रैचर विकसित करने के काम आता ,,,,इतना ही नहीं देश में पेट्रोल ,,गेस सस्ता होता तो मूल्यों में भी कमी होती  ,,महंगाई कम होती ,,देश विकसित होता ,,,लेकिन अंतर्राष्ट्रीय तेल माफिया ,,तेल डकेत अमेरिका ने भारत को डराया धमकाया क्योंकि अगर भारत अमेरिका से महंगे दामों में पेट्रोल नहीं खरीदता तो अमेरिका का डॉलर गिर जाता ,,अमेरिका तबाह और बर्बाद हो जाता ,,,,,तो दोस्तों जब रिलाइंस के प्रति झुकाव नरेंद्र मोदी का देखा गया और अमेरिका को यह समझ में आया के कोंग्रेस तो पचास सीटों पर सिमट रही है तो उन्होेंने मोदी का दामन थामा और उद्द्योगपतियों के ज़रिये अलिखित समझोता क्या है के वोह अगर प्रधानमंत्री बने तो पेट्रोल तो अमेरिका से ही महंगे दामों में ही खरीदेंगे ,,इराक़ चाहे कितना ही सस्ता और उच्च क्वालिटी का तेल दे उससे नहीं खरीदना है बस अमेरिका की निगाह में जो मोदी हत्यारा ,,खुनी ,,क़ानून तोड़ने वाला था वोह बहतरीन प्रशासक ,,भावी प्रधानमंत्री हो गए इसके लिए गेर भाजपाई वोटो को बांटकर भाजपा को बढ़त दिलाने के लिए अन्ना हज़ारे को फार्मूला दिया गया और गैरभाजपाई वोटों के बंटवारे के लिए उन्होंने ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा को एकजुट और मज़बूत क्या है जबकि गेर भाजपाई वोटों को बिखेर कर कमज़ोर कर दिया है ,,,,,,में भी नरेंद्र मोदी का समर्थक हो जाऊँगा अगर वोह आज यह घोषणा कर दे के भारत अमेरिका से जो महंगा और निम्न क्वालिटी का पेट्रोल लेकर देश को हर साल सत्तावन हज़ार करोड़ का चुना लगा रहा है वोह इस पेट्रोल को अंतराष्ट्रीय स्तर पर जो भी सस्ता और क्वालिटी वाला देगा उसे खरीदने का क़रार करेंगे तो चलो में भी मोदी के साथ हूँ लेकिन उनसे यह कहलवाओ यह घोषणा करवाओ तो सही क्योंकि अमेरिका के लिए तो भारत के गरीबों को लूटकर उनका रुपया अमेरिका के खज़ाने भरने वाले की ज़रूरत है ,,,,,,,,,अख्तर खान  अकेला कोटा राजस्थान अमेरिका की मोदी से नफरत और फिर प्यार के पीछे का सच क्या है ,,,क्या इस सच को भारत को नहीं जानना चाहिए ,,,जो अमेरिका नरेंद्र मोदी को खुनी ,,हत्यारा कहकर वीज़ा देने से इंकार करता था ,,नरेंद्र मोदी के नाम पर पुरे भारत के मान सम्मान को ठेस पहुंचाता था उसी अमेरिका के लिए अब नरेंदर मोदी के लिए अचानक प्यार उमड़ आया है ,,,दोस्तों सभी जानते है कोंग्रेस ,,कोंग्रेस की अध्यक्ष उपाध्यक्ष और प्रधानमंत्री सहित कई मंत्री अमेरिका के ज़रखरीद गुलाम है उन्होंने पुरे भारत को भारत की अस्मिता को अमेरिका के यहाँ गिरवी रख दिया है ,,,,,,सियासत में जब केजरीवाल आये और उन्होें रिलाइंस सहित दूसरे उद्द्योगपतियों की पोल पट्टी खोली पेट्रोल और गेस का एक सच देश को बताया अधिक मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार के नंगे खेल को जनता के सामने रखा तब पोल खुली के हमारा भारत अमेरिका को पेट्रोल खरीद के नाम पर सत्तावन हज़ार करोड़ रूपये अधिक दे चुका है ,,,,,,,,,,,हमारा देश अगर ईरान से पेट्रोल लेता तो हमे पेट्रोल सस्ता और उच्च क्वालिटी का मिलता हमे सत्तावन करोड़ का फायदा होता जो देश के गरीबों और इंफ्रा स्ट्रैचर विकसित करने के काम आता ,,,,इतना ही नहीं देश में पेट्रोल ,,गेस सस्ता होता तो मूल्यों में भी कमी होती  ,,महंगाई कम होती ,,देश विकसित होता ,,,लेकिन अंतर्राष्ट्रीय तेल माफिया ,,तेल डकेत अमेरिका ने भारत को डराया धमकाया क्योंकि अगर भारत अमेरिका से महंगे दामों में पेट्रोल नहीं खरीदता तो अमेरिका का डॉलर गिर जाता ,,अमेरिका तबाह और बर्बाद हो जाता ,,,,,तो दोस्तों जब रिलाइंस के प्रति झुकाव नरेंद्र मोदी का देखा गया और अमेरिका को यह समझ में आया के कोंग्रेस तो पचास सीटों पर सिमट रही है तो उन्होेंने मोदी का दामन थामा और उद्द्योगपतियों के ज़रिये अलिखित समझोता क्या है के वोह अगर प्रधानमंत्री बने तो पेट्रोल तो अमेरिका से ही महंगे दामों में ही खरीदेंगे ,,इराक़ चाहे कितना ही सस्ता और उच्च क्वालिटी का तेल दे उससे नहीं खरीदना है बस अमेरिका की निगाह में जो मोदी हत्यारा ,,खुनी ,,क़ानून तोड़ने वाला था वोह बहतरीन प्रशासक ,,भावी प्रधानमंत्री हो गए इसके लिए गेर भाजपाई वोटो को बांटकर भाजपा को बढ़त दिलाने के लिए अन्ना हज़ारे को फार्मूला दिया गया और गैरभाजपाई वोटों के बंटवारे के लिए उन्होंने ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा को एकजुट और मज़बूत क्या है जबकि गेर भाजपाई वोटों को बिखेर कर कमज़ोर कर दिया है ,,,,,,में भी नरेंद्र मोदी का समर्थक हो जाऊँगा अगर वोह आज यह घोषणा कर दे के भारत अमेरिका से जो महंगा और निम्न क्वालिटी का पेट्रोल लेकर देश को हर साल सत्तावन हज़ार करोड़ का चुना लगा रहा है वोह इस पेट्रोल को अंतराष्ट्रीय स्तर पर जो भी सस्ता और क्वालिटी वाला देगा उसे खरीदने का क़रार करेंगे तो चलो में भी मोदी के साथ हूँ लेकिन उनसे यह कहलवाओ यह घोषणा करवाओ तो सही क्योंकि अमेरिका के लिए तो भारत के गरीबों को लूटकर उनका रुपया अमेरिका के खज़ाने भरने वाले की ज़रूरत है ,,,,,,,,,अख्तर खान  अकेला कोटा राजस्थान

स्व्तंत्रता सेनानी क्रांतिकारी मास्टर श्यामनारायण सक्सेना की क्रांतिकारी स्व्तंत्रता सेनानी पत्नी श्रीमती फूल देवी सक्सेना का आज कोटा रामपुरा स्थित निवास पर निधन हो गया

स्व्तंत्रता सेनानी क्रांतिकारी मास्टर श्यामनारायण सक्सेना की क्रांतिकारी स्व्तंत्रता सेनानी पत्नी श्रीमती फूल देवी सक्सेना का आज कोटा रामपुरा स्थित निवास पर निधन हो गया वोह सो साल पैतालीस दिन की थी ,,,,,,,,श्रीमती फूल देवी सक्सेना ने अपने पति मास्टर श्यामनारायण सक्सेना के साथ जंगे आज़ादी में महवपूर्ण  भूमिका निभाई और आज़ादी की जंग के दोरान रामपुरा कोतवाली पर क़ब्ज़े के वक़त यह भी अपने पति   श्यामनारायण सक्सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रही ,,फूलवती सक्सेना ने साप्ताहिक जागृति क्रांतिकारी अख़बार प्रकाशन में भी उनके पति का बराबर का साथ दिया ,,,,,,,,,मास्टर श्यामनारायण आज़ादी  के बाद आज़ाद भारत में भ्रस्टाचार मुक्त शासन के लिए मुखर लड़ाई लड़ रहे थे भ्रस्टाचारियों के खिलाफ जनता का दरबार कभी रामपुरा ,,कभी सब्ज़ीमंडी ,,कभी घंटाघर तो कभी स्टेशन इलाक़े में पोल खोलो मीटिंगे करते थे उस वक़त भी माँ फूल देवी उनके साथ थी ,,जो आज अरविन्द केजरीवाल ,,अन्ना हज़ारे कर रहे है वोह तो बहुत पहले इस देवी और इनके स्वर्गीय पति कोटा में करके इतिहास रच चुके है ,,आज सो साल पैतालीस दिन की आयु पार करने के बाद इस देवी का निधन हो गया ,,इनके परिवार में लघु पत्रकार संघ के अध्यक्ष मज़दूर चेतना अख़बार के प्रकाशक जय नारायण सक्सेना ,,जागृति अख़बार के सम्पादक इन्द्रनारायण सक्सेना ,,दैनिक धरती करे पुकार अख़बार के संस्थापक ओम नारायण सक्सेना ,,दैनिक जन जागृति के सम्पादक विजयनारायण सक्सेना ,,सूर्य नारायण सक्सेना प्रेमनारायण सक्सेना पुत्र है ,,,,,,ईश्वर शोकसंतप्त परिवार को इस दुःख की घडी से उबरने का साहस दे सब्र दे ,,,,इनके पार्थिव देह का अंतिम संस्कार आज दोपहर एक बजे रामपुरा स्थित श्मशान में होगा ,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

दोस्तों कोंग्रेस हो ,,भाजपा हो ,,आप पार्टी हो या फिर कोई भी राजनितिक दल हो ,, अपमान तो हमारे तिरंगे ,,,,हमारे जज़बात ,, हमारे संविधान का ही कर रहे है ,,,

दोस्तों  कोंग्रेस हो ,,भाजपा हो ,,आप पार्टी हो  या फिर कोई भी राजनितिक दल हो ,, अपमान तो हमारे तिरंगे ,,,,हमारे जज़बात ,, हमारे संविधान का ही कर रहे है ,,,,,,,,,,,,,,,,,एक आज़ाद भारत में गुजरात के मुख्यमंत्री के इशारे पर गुजरात में जाते ही काला इतिहास बनाकर अरविन्द केजरीवाल की आज़ादी जी हाँ संवेधानिक आज़ादी छीन ली जाती है ,,,,,,,,,अहिंसा और क़ानून के समर्थन की बात करने वाले आप पार्टी के लोग भाजपा के दिल्ली कार्यालय में हमलावर हो जाते है ,,भाजपा के लोग और आप पार्टी के लोगों के बीच अलोकतांत्रिक गुंडाई तमाशा होता है ,इतना ही नहीं आप पार्टी के कार्यकर्ताओं के हाथ में तिरंगा होता है ,,और तिरंगे का अपमान करते हुए यह लोग भाजपा कार्यालय के हमलावर होते है तो दूसरी तरफ भाजपा के लोग तिरंगे का मान सम्मान किये बगैर पत्थर और लट्ठ बरसाकर तिरंगे को लहुलुहान कर देते है पुरे देश ने इस बेहूदा जंग को देखा है लेकिन किसी ने इस जंग में तिरंगे के अपमान और उसके लहुलुहान हालात नहीं देखे ,,हालात नहीं जाने ,,पंकज गुप्ता इस हालत से आहत है वोह चाहते है के तिरंगे के अपमानकारियों को ऐसी सज़ा मिले जो एक मिसाल बन जाए ,,इधर आज़ाद भारत में गुजरात जाने पर वहाँ के हालात आपातकाल से भी बदतर कर दिए जाते है ,,एक आज़ाद अरविन्द केजरीवाल के सारे अधिकार छीन कर उसे बहानेबाज़ी कर क़ानूनी पेचीदगियों में फंसा कर नरेंदर मोदी ने लोकतंत्र और भारत की आज़ादी को लहुलुहान कर दिया ,,,,,,,,,इस मामले में गुजरात में एक पार्टी के नेता के प्रचार की आज़ादी को लहुलुहान कर गिरफ्तारी या अवैध हिरासत के मामले में देश को एक  होना चाहिए था देश की सभी पार्टियां कोंग्रेस ,,बसपा ,,सपा को एकजुट होकर गुजरात के इस दमनकारी हालातों में गुजरात को हिला देना चाहिए था ,,कल्पना करो नरेंद्र मोदी किसी गेर भाजपाई राज्य में हो और उन्हें वहाँ की सरकार पाबंद कर अवैध रूप से निरोधित कर ले तो भाजपा कार्यकर्ता देश का क्या हाल करते ,,अगर हम अपने साथ इंसाफाना व्यवहार चाहते है तो दूसरों के साथ भी हमे इंसाफाना व्यवहार करना होगा ,,दिल्ली पुलिस को तो भाजपा और आप पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ तिरंगे के अपमान मामले में कार्यवाही करना ही चाहिए लेकिन चुनाव आयोग को देश में आज़ादी से प्रचार नहीं करने देने के मामले में भाजपा की मान्यता रद्द करते हुए नरेंदर मोदी को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करना चाहिए ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

माँ कोई अलफ़ाज़ ,,कोई जज़बात ,,कोई दिखावटी रिश्ता नहीं ,,माँ एक खून से खून का रिश्ता है


माँ कोई अलफ़ाज़ ,,कोई जज़बात  ,,कोई दिखावटी रिश्ता नहीं ,,माँ एक खून से खून का रिश्ता है ,,एक माँ नो माह तकलीफे पाकर ,, ना जाने कितनी प्रसव पीड़ा के दौर से गुज़र कर जब एक बच्चे को जन्म देती है तब वोह माँ कहलाती है ,,नो माह गर्भ में माँ अपने इस बच्चे को पहले खून पिलाती है फिर जन्म देने के बाद दूध पिलाती है ,अपना सब कुछ त्याग कर बच्चो का लालन पालन ही उसका प्रमुख उद्देश्य रहता है ,,रातो को जागना ,,रोते हुए को लोरी गा कर सुनाना ,, हग्ना ,,मूतना साफ़ करना ,,बच्चे को खाना खिलाना ,,ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाना ,,देश दुनिया और समाज के बारे में एक मार्गदर्शक के रूप में अपने बच्चे को दुनियादारी सिखाना यह सब माँ का काम है ,,इसीलिए तो जब बच्चा पहली बार ज़ुबान खोलता है तो उसके मुंह से सिर्फ और सिर्फ माँ ही निकलता है ,,रोता बिलखता है ,,दुःख दर्द में होता है तब बच्चे के मुंह से सिर्फ और सिर्फ माँ ही निकलता है ,,,,,,इस्लाम में माँ का महत्व जन्नत के दर्जे के बराबर है जबकी हिन्दू धर्म में माँ एक मार्गदर्शक ,,रक्षक और संरक्षक के रूप में है ,,माँ पारवती के लिए गणेश जी ने शिवजी से जंग की ,,तो सीता माँ के लिए लव कुश ने अपने पिता भगवान राम से जंग की ,,,,कुल मिलाकर देश ,,समाज ,,धर्म ,,  कोई भी फलसफा हो माँ का दर्जा सर्वोच्च है ,दुगा माँ ,काली माँ नवरात्रा के वक़त इनका प्रभाव होता है और यह भी एक जन्मदात्री की तरह से दुखो से संरक्षण देती है ऐसा धर्म कहता है ,,,,,,,,,,,,माँ के लिए किसी ने क्या खूब कहा है ,,,,,,,,,,,,,,,
माँ' जिसकी कोई परिभाषा नहीं,
जिसकी कोई सीमा नहीं,
जो मेरे लिए भगवान से भी बढ़कर है
जो मेरे दुख से दुखी हो जाती है
और मेरी खुशी को अपना सबसे बड़ा सुख समझती है
जिसकी छाया में मैं अपने आप को महफूज़
समझती हूँ, जो मेरा आदर्श है
जिसकी ममता और प्यार भरा आँचल मुझे
दुनिया से सामना करने की ‍शक्ति देता है
जो साया बनकर हर कदम पर
मेरा साथ देती है
चोट मुझे लगती है तो दर्द उसे होता है
मेरी हर परीक्षा जैसे
उसकी अपनी परीक्षा होती है
माँ एक पल के लिए भी दूर होती है तो जैसे
कहीं कोई अधूरापन सा लगता है
हर पल एक सदी जैसा महसूस होता है
वाकई माँ का कोई विस्तार नहीं
मेरे लिए माँ से बढ़कर कुछ नहीं।
तुझे सब है पता मेरी माँ...
हाँ, माँ को सब पता होता है जो हम बताते हैं वो भी और जो नहीं बताते वो भी। जैसे भगवान से कुछ नहीं छुपता वैसे ही माँ से कुछ नहीं छुपता। मैंने और शायद आपने भी इस सच्‍चाई को कई बार महसूस कि‍या होगा। माँ से छुपना आसान है लेकि‍न उससे छुपाना बेहद मुश्कि‍ल है। जन्‍म लेने के बाद खुद को जानने में हमारी जिंदगी नि‍कल जाती है लेकि‍न माँ तो हमें तब से जानती है जब हम अजन्‍मे होते हैं।

हमारे सुख दुख की जि‍तनी साक्षी हमारी माँ होती है उतना शायद ही कोई ओर हो, भले ही फि‍र माँ सामने हो या ना हो। माँ सि‍र्फ एक रिश्‍ता नहीं होता वो एक संस्‍कार है, एक भावना है, एक संवेदना है। संस्‍कार इसलि‍ए क्‍योंकि‍ वो आपके लि‍ए सि‍र्फ और सि‍र्फ अच्‍छा सोचती है, भावना इसलि‍ए क्‍योंकि‍ वो आपके साथ दि‍ल से जुड़ी होती है और संवेदना इसलि‍ए क्‍योंकि‍ वो आपको हमेशा प्रेम ही देती है।

हम अपने जीवन की हर पहली चीज में अपनी माँ को ही पाते हैं। इस दुनि‍या से हमें जोड़ने वाली माँ ही होती है और माँ के साथ ही हमारे हर नए रि‍श्‍ते की शुरुआत होती है। माँ के साथ जुड़ा हर रि‍श्ता हमारा हो जाता है। माँ हमें जन्‍म के बाद से सि‍र्फ देती ही है कभी कुछ लेती नहीं है। उसके साथ हम सभी बहुत सहज महसूस करते है।

दूसरे रि‍श्तों को नि‍भाने में हमें सतर्कता बरतनी पड़ती है, सोचना पड़ता है, समझना पड़ता है लेकि‍न माँ के साथ नि‍बाह तो यूँ ही नि‍र्बाध बहते पानी की तरह हो जाता है क्‍योंकि‍ हम जानते है कि‍ माँ को तो सब पता है उसके साथ कैसी असहजता। हम ये सब कुछ सोच-समझ के नहीं करते अपि‍तु ये सब स्‍वाभावि‍क रूप से हम कर जाते हैं शायद इसलि‍ए कि‍ हम माँ से गर्भत: जुड़े होते हैं।

इन सबके बीच माँ कभी हमें जानने का दावा नहीं करती। क्‍योंकि‍ वो इसकी जरूरत नहीं समझती। वो जिंदगी भर सि‍र्फ हमारे लि‍ए जीती है। हम कि‍तनी ही बार उससे उलझ लेते हैं। लेकि‍न वो हमेशा हमें उलझनों से नि‍कालती रहती है। जरा सोच कर देखिए कि‍ हम हर उम्र में उसे अपनी तरह से तंग कि‍या करते हैं।

बचपन में हमारा रातों को जागना और दि‍न में सोना, माँ हमारे लि‍ए कई रातों तक सो नहीं पाती, दि‍न में उसे घर की जि‍म्‍मेदारी सोने नहीं देती। तब हम अपने बचपने में उसे समझ नहीं पाते। जैसे जैसे हम बड़े होते हैं, हमारी पढ़ाई लि‍खाई की जि‍म्‍मेदारी भी उसकी ही है और साथ ही अच्‍छे संस्‍कारों की भी जि‍म्‍मेदारी भी उसकी ही होती है। बड़े होते ही हमारी अपनी सोच बनती है, हमें एक वैचारिक दृष्टि‍ मि‍लती है।

हमारी ये सोच जमाने की हवा के साथ बनती है और इसी के चलते कभी-कभी हमारे अपनी माँ से वैचारि‍क मतभेद भी हो जाते है लेकि‍न माँ तो हर जमाने में माँ ही होती है। हम फि‍र एक बार उसे समझ नहीं पाते और वो फि‍र एक बार मात खा जाती है वो भी हमारे लि‍ए। ये वि‍डंबना ही है कि‍, बचपन में हम बच्‍चे होने की वजह से माँ को समझ नहीं पाते और बड़प्‍पन बड़े होने की वजह से उसे समझ नहीं पाते।

माँ को एक व्‍यक्ति‍ के रूप में नहीं समझा जा सकता। उसे समझने के लि‍ए समाज और संसार के व्‍यवहारों से ऊपर उठना पड़ता है। माँ को समझने के लि‍ए भावना का धरातल चाहि‍ए। एक व्‍यक्ति‍ के तौर पर हो सकता है कभी माँ से हमारे मतभेद हो जाए लेकि‍न माँ कभी गलत नहीं होती, बच्‍चा उसके लि‍ए दुनि‍यादारी से अलग होता है।
संतान की खुशी और उसका सुख ही माँ के लि‍ए उसका संसार होता है। अक्‍सर जब मैं माँ से पूछती हूँ कि‍ माँ तुम ऐसी क्‍यों हो? माँ का जवाब हमेशा एक ही होता है 'इसे जानने के लि‍ए माँ बनना जरूरी है'। सच ही है, माँ कहने, सुनने, लि‍खने या सवाल-जवाब का विषय नहीं है केवल अनुभव करने का वि‍षय है
 माँ की महिमा बताते हुए राष्ट्रसंत मुनि तरुण सागर जी का कथन है '2 किलो का पत्थर 5 घंटे पेट से बाँधकर रखो, पता पड़ जाएगा माँ क्या होती है।'
माँ, समूची धरती पर बस यही एक रिश्ता है जिसमें कोई छल-कपट नहीं होता। कोई स्वार्थ, कोई प्रदूषण नहीं होता। इस एक रिश्ते में निहित है अनंत गहराई लिए छलछलाता ममता का सागर। शीतल, मीठी और सुगंधित बयार का कोमल अहसास। इस रिश्‍ते की गुदगुदाती गोद में ऐसी अनुभूति छुपी है मानों नर्म-नाजुक हरी ठंडी दूब की भीनी बगिया में सोए हों।

माँ, इस एक शब्द को सुनने के लिए नारी अपने समस्त अस्तित्व को दाँव पर लगाने को तैयार हो जाती है। नारी अपनी संतान को एक बार जन्म देती है। लेकिन गर्भ की अबोली आहट से लेकर उसके जन्म लेने तक वह कितने ही रूपों में जन्म लेती है। यानी एक शिशु के जन्म के साथ ही स्त्री के अनेक खूबसूरत रूपों का भी जन्म होता है।

बयार का कोमल अहसास

पल- पल उसके ह्रदय समुद्र में ममता की उद्दाम लहरें आलोडि़त होती है। अपने हर 'ज्वार' के साथ उसका रोम-रोम अपनी संतान पर न्योछावर होने को बेकल हो उठता है। नारी अपने कोरे कुँवारे रूप में जितनी सलोनी होती है उतनी ही सुहानी वह विवाहिता होकर लगती है लेकिन उसके नारीत्व में संपूर्णता आती है माँ बन कर। संपूर्णता के इस पवित्र भाव को जीते हुए वह एक अलौकिक प्रकाश से भर उठती है।

माँ हर रूप में खास
उसका चेहरा अपार कष्ट के बावजूद हर्ष से चमकने लगता है। उसकी आँखों में खुशियों के सैकड़ों दीप झिलमिलाने लगते हैं। लाज और लावण्य से दीपदिपाते इस चेहरे को किसी भाषा, किसी शब्द और किसी व्याख्या की आवश्यकता नहीं होती। 'माँ' शब्द की पवित्रता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि हिन्दू धर्म में देवियों को माँ कहकर पुकारते है। बेटी या बहन के संबोधनों से नहीं। मदर मैरी और बीवी फातिमा का ईसाई और मुस्लिम धर्म में विशिष्ट स्थान है।

माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एक दिवस नहीं एक सदी भ‍ी कम है। किसी ने कहा है ना कि सारे सागर की स्याही बना ली जाए और सारी धरती को कागज मान कर लिखा जाए तब भी माँ की महिमा नहीं लिखी जा सकती। माँ को कुछ लोग  अल्फ़ाज़ों में भी समेट कर रखते है ,,,,,
माँ ………
माँ पर लिखने वालो की कमी नही है
कोई माँ को जीवन कहता है अपना
किसी के लिए माँ उसकी धड़कन है
तो किसी के लिए भगवान का वरदान है

किसी ने माँ को शब्दों में उलझाकर
माँ से प्यार जताया और किसी ने
माँ को प्यार तो किया मगर कभी
शब्दों का सहारा लेकर जताया नही

माँ पर लिखने का मेरा कोई मन नही है। मैं तो बस एक सच लिखना चाहती हूँ। वो सच जिसे जानकर भी हम सब अनजान रहते हैं। यहाँ हम सब से मतलब सिर्फ हम सभी से नही बल्कि दुनिया के हर उस घर से है जहाँ पर “माँ ” रहती है।

नन्हे नन्हे से हाथ
मासूम सी मुस्कान
पापा की लाडली
माँ की पहचान

युवावस्था के सपने
कुछ अनजाने कुछ अपने
आसमान में उड़ने की ख्वाहिश
पलती थी उसके मन में

शादी हुई तो सारे सपने हवा हो गये
और जो हवा में थे सपनो के साथ
वो जमीं पर आ गिरे तो समझ आया
कि कैसे एक पल में अपने पराये हो जाते हैं



एक दिन पूछा मैंने माँ से
आपके “अपने” कोई सपने नही हैं
जिन्हें पूरा करने की सोची हो कभी
और कर नही पाई हो.…….

मेरी बात सुनकर माँ बोली कुछ नही
सिर्फ मुस्कुराई ………

लेकिन इतनी नासमझ
तो मैं भी नही हूँ
कि कुछ भी न समझू
माँ की खामोश आँखों में
सब पढ़ लिया था मैंने
और समझ भी लिया था
जीवन की सच्चाई को…………

माँ के लिए बदल चुका है
अर्थ अब सपनो का
वो सपने जो माँ की
आँखों में पलते थे
वो सपने थे
कि “मुझे कुछ बनना है ”
“मुझे कुछ करना है ”
मगर आज……
मगर आज जो सपने
देखती है माँ
वो सपने होते हैं
कि “बच्चे खुश रहे”
“बच्चे पढ़ लिख जाये”
“बच्चे कुछ बन जाये”
“मेरा परिवार खुश रहे ”
“घर का हर सदस्य सुखी रहे”

“मुझे कुछ बनना है” के सपने
“बच्चे कुछ बन जाये” में
कब बदल गये शायद
माँ भी नही जानती
परिवार की ख़ुशी की
दुआ करते करते
माँ ने कब अपनी ख़ुशी का
त्याग करना सीख लिया शायद
माँ को भी ये याद नही होगा

सूरज के जगने से पहले
हर सुबह जगती है माँ
घर-परिवार को सवांरने में
दिन भर व्यस्त रहती है माँ
किसी की भूख का ख्याल रहता है
तो कभी किसी की प्यास के लिए
खुद रह जाती है प्यासी माँ
दिन होता है एक छुट्टी का सब के लिए
मगर हर रोज ही काम करती है माँ
जरा से दर्द से रोने लगते हैं हम अक्सर
मगर हर दर्द ख़ामोशी से सह लेती है माँ
है फ़िक्र सबकी माँ को मगर एक खुद की नही
कष्ट किसी को न हो जाये थोडा सा भी इसलिए
बीमार होकर भी सब काम करती है माँ
इनाम मिलता है कई बार घर वालो से
जब ये कि “तुम सारा दिन करती क्या हो”
तो भी ख़ामोशी से सब काम निबटाती है माँ
अगर कोई कहे कि जरा थोडा तो
खुद का भी ख्याल रखा करो
तो इस बात पर बस हँस देती है माँ
जानती है माँ कि वो जान है उसके घर की
फिर भी अपनी जान को जोखिम में डाल देती है माँ


माँ अपने परिवार के लिए, अपने बच्चो के लिए अपना सारा जीवन कुर्बान कर देती है, अपने सपनो को भूल जाती है, अपनी खुशियों का त्याग कर देती है तो क्या हम सिर्फ तब ” जब माँ को जरूरत होती है” तब भी माँ की सहायता नही कर सकते ! अगर हम माँ के किये हुए बलिदान का 1/4 भी माँ के लिए करें तो माँ को भी अपनी भागती दौडती जिन्दगी में दो पल सुकून के मिल जाये !

आज दुर्गा माँ के पहले नवरात्र और अपने जन्मदिन के अवसर पर दुनिया की सभी माँओ को मेरा सलाम और एक दुआ कि आप सभी हमेशा खुश रहे, स्वस्थ रहे और यूँ ही हम सभी से प्यार करती रहे !

माँ आप जीयो हजारो साल
साल के दिन हो असीमित
आप रहो हमेशा हमारे ही साथ
इस्लाम के नज़रिये से ,,,,,,,,
माँ की दुआ जन्नत की हवा होती है

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने शरीयत में माँ को बहुत बड़ा मुक़ाम अता किया है। कहते हैं कि माँ की दुआ जन्नत की हवा होती है। जो मुहब्बत की नज़र अपनी वालिदा के चेहरा पर डालता है, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त एक हज या उमरा का सवाब अता फ़रमाता है। सहाबा किराम रज़ी० ने पूछा जो बार बार मुहब्बत-ओ-अक़ीदत से देखे?। आप ( स०अ०व०) ने फ़रमाया जितनी बार देखेगा इतनी बार हज या उमरा का सवाब पाएगा।

इसीलिए हमारे मशाइख़ ने फ़रमाया कि माँ के क़दमों को बोसा देना काअबा की दहलीज़ को बोसा देने के मुतरादिफ़ ( बराबर) है, इसलिए कि माँ के क़दमों में जन्नत होती है। ख़ुशनसीब है वो इंसान, जिस ने माँ की ख़िदमत की, माँ के दिल को राज़ी कर लिया और माँ की दुआएं हासिल की।

एक वली की वालिदा फ़ौत हो गई। अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने इलहाम फ़रमाया ए मेरे प्यारे बंदे! जिस की दुआएं तेरी हिफ़ाज़त करती थीं, अब वो दुनिया से रुख़स्त हो गई, लिहाज़ा अब ज़रा सँभल के ज़िंदगी गुज़ारना। माँ की दुआएं औलाद के गर्द पहरा देती हैं। औलाद को पता नहीं होता कि माँ कब कब और कहाँ कहाँ बैठी दुआएं दे रही होती है।

ये ज़ात बुढ़ापे की वजह से हड्डीयों का ढांचा बन जाये, फिर औलाद के लिए रहमत‍ ओ‍ शफ़क्क़त का साया होती है। हमेशा औलाद के लिए अच्छा सोचती है, बल्कि औलाद की तरफ़ से तकलीफ़ भी पहुंचे तो उसे बहुत जल्द माफ़ कर देती है। दुनिया में माँ से ज़्यादा जल्द माफ़ करने वाला कोई नहीं है।

अपने बच्चे की तकलीफ़ नहीं देख सकती। इसलिए माँ का हक़ तीन बार बताया गया और चौथी बार बाप का हक़ भी बताया। वाज़िह रहे कि माँ बच्चे की पैदाइश में मशक़्क़त उठाती है और बाप का हिस्सा शहवत के साथ होता है। माँ का नुतफ़ा रहम के ज़्यादा क़रीब होता है कि सीना से आता है, जबकि बाप का नुतफ़ा पुश्त से यानी दूर से आता है, इसलिए माँ के दिल में औलाद की मुहब्बत अल्लाह ने ज़्यादा डाल दी है।

हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के ज़माने में दो औरतें अपने बच्चों को साथ लिए जंगल से गुज़र रही थीं कि एक भेड़ीया आया और एक औरत के बच्चा को छीन कर भाग गया। थोड़ी देर के बाद उस औरत के दिल में ख़्याल आया कि ये दूसरी औरत का बच्चा मैं ले लूं। ये सोच कर इसने झगड़ा शुरू कर दिया।

मुआमला हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम तक पहुंचा। दोनों अपना हक़ जतलाती रही। हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया छुरी लाओ, में इस बच्चे के दो टुकड़े करके दोनों ख़वातीन में आधा आधा तक़सीम कर देता हूँ। इन में से जब एक ने ये फ़ैसला सुना तो वो कहने लगी ठीक है, लेकिन जब दूसरी ने सुना तो रोना शुरू कर दिया और कहने लगी मेरे बच्चे के टुकड़े ना किए जाएं, बल्कि इस दूसरी औरत को दे दिया जाये, कम अज़ कम मेरा बच्चा ज़िंदा तो रहेगा।

हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम समझ गए कि ये बच्चा उसी औरत का है, लिहाज़ा आप ने उसे अता फ़र्मा दिया। ये एक हक़ीक़त है कि माँ कभी बच्चे से ख़ुद तो नाराज़ हो जाती है, लेकिन दूसरों को नाराज़ नहीं होने देती। इसीलिए अगर बाप कभी डांट डपट करता है तो माँ से बर्दाश्त नहीं होता। वो कहती है कि क्यों उसको इतना डॉनते हैं?

ये इस मामता की वजह से है। ख़ुद झिड़की दे देगी, मगर किसी की झिड़की बर्दाश्त नहीं कर सकती।

बच्चा अपनी माँ से जब भी माफ़ी मांगता है, माँ बहुत जल्द माफ़ कर देती है। अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त तो माँ से भी ज़्यादा मोमिनीन पर मेहरबान है, इसलिए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से माफ़ी माँगना बहुत आसान है और बिलख़सूस रमज़ानुल-मुबारक के महीना में जो रहमतों का महीना है, परवरदिगार आलम की रहमतों और मग़फ़िरतों के दरवाज़े खुल जाते हैं तो अब तो मग़फ़िरत हासिल करने के लिए बहाने की ज़रूरत है।

माँ ख़ाह कितनी भी नाराज़ हो, मगर बच्चे की तकलीफ़ नहीं देख सकती, माफ़ कर देती है।

हुज़ूर नबी अकरम स०अ०व‍० ने एक मर्तबा एक क़ाफ़िला को देखा, एक माँ परेशान थी, उसको अपने सर पर दुपट्टा का होश भी नहीं था, इसका बेटा गुम हो गया था। वो भागी भागी फिर रही थी और लोगों से पूछ रही थी कि किसी ने मेरे बेटे को देखा हो तो मुझे बता दे।

ये मंज़र भी अजीब होता है कि किसी माँ का जिगर गोशा इससे जुदा हो गया हो। माँ का दिल मछली की तरह तड़पता है। वो अलफ़ाज़ में बयान नहीं कर सकती कि इस पर क्या मुसीबत गुज़रती है। उसकी आँखें तलाश कर रही होती हैं कि मेरा बेटा मुझे नज़र आ जाए।

हुज़ूर नबी अकरम स०अ०व० ने सहाबा किराम रज़ी० से पूछा ये माँ अपने बेटे की वजह से इतनी परेशान है, अगर उसे इसका बेटा मिल जाये तो क्या ये उस को आग में डाल देगी। सहाबा किराम ने कहा या रसूल अल्लाह! कभी नहीं डालेगी। आप ( स०अ०व०) ने फ़रमाया जिस तरह माँ अपने बच्चे को आग में डालना गवारा नहीं करती, इसी तरह अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त भी मोमिन बंदे को आग में डालना गवारा नहीं फ़रमाता लिहाज़ा अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से माफ़ी माँगना बहुत आसान है, इसलिए कि अल्लाह तआला की मुहब्बत तो सारी दुनिया की माँ से सत्तर गुना ज़्यादा है।

सहाबा-ए-किराम ने एक नौजवान सहाबी के बारे में बताया कि या रसूल अल्लाह! उन पर सुकरात तारी है, मगर रूह नहीं परवाज़ कर रही है। हुज़ूर स००व० ने सूरत-ए-हाल मालूम की तो पता चला कि नौजवान सहाबी की वालिदा उन से नाराज़ हैं। आप ( स०अ०व०) ने वालिदा से सिफ़ारिश की कि अपने बेटे को माफ़ कर दे, मगर वो कहने लगी कि मैं हरगिज़ नहीं माफ़ करूंगी, इसने मुझे बहुत ज़्यादा दुख दिया और बहुत सताया है।

जब आप (स०अ०व०) ने देखा कि माँ अपनी बात पर अड़ी हुई है तो आप (स०अ०व०) ने सहाबा किराम से फ़रमाया लकड़ियां इकट्ठी करके आग जलाओ। जब माँ ने ये सुना तो वो पूछने लगी या रसूल अल्लाह! लकड़ियां क्यों मंगवा रहे हैं?। आप (स०अ०व०) ने फ़रमाया आग में तुम्हारे बेटे को डालेंगे।

इसने जैसे ही ये सुना, इसका दिल मोम हो गया और कहने लगी या रसूल अल्लाह! मेरे बेटे को आग में ना डालें, मैंने अपने बेटे की ग़लतीयों को माफ़ कर दिया। जब एक माँ नहीं चाहती कि इसका बेटा आग में डाला जाये तो फिर रब्बुल इज़्ज़त कैसे गवारा फ़रमाएगा कि बंदा मोमिन जहन्नुम में जाये। ईसीलिए तो किसी ने कहा है ,,,,

माँ की गोद
माँ, तेरी गोदी में सिर रख
फिर रोने को दिल करता है।
जब से है छूटा साथ तेरा,
जग सूना सूना लगता है।
हर चीज बेगानी लगती है,
हर ख्‍़वाब अधूरा लगता है।
माँ, तेरी गोदी में सिर रख
फिर रोने को दिल करता है।

तेरी यादों में दिन बीते,
तेरे सपनों में रात कटी,
तेरी सीखों का दिया मेरा
जीवन पथ रौशन करता है।
माँ, तेरी गोदी में सिर रख
फिर रोने को दिल करता है।
तुम कहती थी जग धोखा है,
दिखने में लगता चोखा है।
माँ, तेरे साथ जिया हर पल
नयनों में तैरा करता है।
माँ, तेरी गोदी में सिर रख
फिर रोने को दिल करता है।

--
akhtar khan akela

मां-बाप समेत 7 घर वालों की हत्या करने वाली लड़की और उसके प्रेमी को फांसी



रोहतक. अपने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के सात लोगों को गला घोंटकर मौत के घाट उतारने वाली युवती को सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा मुकर्रर की है। कबूलपुर गांव के साढ़े चार साल पुराने इस हत्याकांड में शामिल युवक नवीन को भी अदालत ने सजा-ए-मौत दी। नवीन, सोनम का पड़ोसी था और दोनों के बीच प्रेम संबंध थे।
 
परिजनों से इस संबंध को बचाने के लिए ही वारदात को अंजाम दिया गया। साजिश में शामिल नवीन के साथी गांव छारा निवासी जसबीर को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 4 मार्च को तीनों दोषी करार दिए गए थे।
गुरुवार सुबह 11 बजे पुलिस सोनम, नवीन और जसबीर को लेकर अदालत पहुंची।
 
वकील ने कहा, 'रेयरेस्ट ऑफ दि रेयर केस'
 
पीडि़त पक्ष के वकील ने केस को इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर बताकर फांसी की मांग की। इसके लिए 2001 के रेलूराम पुनिया हत्याकांड और 2010 के उत्तराखंड में सुंदर केस का उदाहरण दिया। दोनों केसों में परिवार के लोगों की सामूहिक हत्या की गई थी। दोनों केसों में फांसी की सजा भी सुनाई गई। वहीं बचाव पक्ष ने जीने का अधिकार की बात करते हुए फांसी नहीं दिए जाने की मांग की।
 
शाम साढ़े चार बजे दोषियों को दी गई फैसले की कॉपी...
 
बहस के बाद करीब 12 बजे अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। लंच के बाद 2 बजकर 5 मिनट पर सेशन जज एसके गुप्ता कोर्ट में दाखिल हुए और एक मिनट में ही कुर्सी पर बैठे बिना फैसला सुनाकर चले गए। शाम करीब साढ़े चार बजे तीनों दोषियों को फैसले की कॉपी देकर सुनारिया जेल भेज दिया गया। 14 सितंबर 2009 में सोनम ने पहले परिजनों को खाने में नशीला पदार्थ देकर बेहोश कर दिया। फिर प्रेमी नवीन के साथ मिलकर सभी की गला घोंट कर हत्या कर दी।

प्रधानमंत्री पद के लिए मैं नरेंद्र मोदी से ज्‍यादा योग्‍य: नीतीश कुमार


पटना. बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने एनडीटीवी के साथ इंटरव्‍यू में मोदी का नाम लिए बिना उनपर जमकर निशाना साधा। नीतीश ने मोदी और राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि आज जो भी नेता प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बने घूम रहे हैं, उसमें से किसी को न तो संसद का अनुभव है न राज्य का, जबकि मेरे पास दोनों जगहों का अनुभव है। नीतीश ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग संसद का नेतृत्व करना चाह रहे हैं, क्या उन्हें संसद में बैठने का कोई अनुभव है? उन्होंने कहा, राजनीति में मेरा लंबा अनुभव है और मेरे द्वारा किए गए कामों को देखिए। उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के मुद्दे पर स्पष्ट रूप से तो कुछ नहीं कहा, परंतु इशारों-इशारों में इतना जरूर कह दिया कि उन्हें प्रधानमंत्री बनने से कोई परहेज नहीं है। 
 
कहा- बिहार के लिए कुछ भी कर सकता हूं 
 
नीतीश ने यह भी कहा कि वह कुर्सी के लिए नहीं, बल्कि बिहार के हक के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी से अहं के टकराव का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। नीतीश ने कहा कि यह स्पष्ट है कि 2002 के गुजरात दंगे ही 2004 में एनडीए के सफाये का कारण बने थे। मैं 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के कैबिनेट में मंत्री था, मोदी के कैबिनेट में नहीं, इसलिए मुझे क्यों इस्तीफा देना चाहिए था।

गजब की समानता: लिस्टेड गुंडों से न भाजपा को परहेज न कांग्रेस को



इंदौर। गुरुवार को शहर में भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेता सड़क पर थे। मुद्दे एक-दूसरे से खिलाफ थे लेकिन गुंडों के साथ के मामले में दोनों दल एक नजर आए। भाजपा के नेता ओलावृष्टि पर केंद्र से पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलने का विरोध कर रहे थे, शहर बंद करवा रहे थे। साथ में दिखा लिस्टेड गुंडा जीतू कुशवाह। कांग्रेसी नेताओं ने भाजपा के बंद के खिलाफ उपवास रखा, मौन रहे। साथ में दिखा लिस्टेड गुंडा याकूब पाड़ा।
 
जीतू कुशवाह : छत्रीबाग के जीतू कुशवाह के खिलाफ 2005 से 2011 के बीच 13 आपराधिक मामले दर्ज हुए। तीन दिन पहले पुलिस ने गुंडा अभियान में जीतू को पकड़ा था। विधायक मालिनी गौड़ ने उसे छुड़वा दिया था।
 
याकूब पाड़ा : कांग्रेस पार्षद रूबीना इकबाल खान के देवर याकूब उर्फ पाड़ा निवासी तंजीम नगर के खिलाफ सन् 1994 से 2013 के बीच 11 आपराधिक मामले दर्ज हैं। याकूब खजराना पुलिस की गुंडा लिस्ट में भी है।


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57 साल की उम्र में पिता बने अफगानी राष्ट्रपति, गुड़गांव में पत्नी ने दिया बेटी को जन्म
गुड़गांव. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई (57) बुधवार को हरियाणा के जिले गुड़गांव पहुंचे जहां वो अपनी पत्नी जीनत कुरैशी और नवजात बच्ची से मिलने आए थे। हामिद करजई की बेटी का जन्म गुड़गांव के ही फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में हुआ। भारत में मौजूद अफगानिस्तान के राजदूत शाइदा मोहम्मद अब्दाली ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'बच्ची का जन्म मंगलवार को सुबह 9.30 के आस-पास हुआ है। बच्ची और मां पूरी तरह सुरक्षित हैं।'
 
अब्दाली ने बताया कि अफगानी राष्ट्रपति ने भारत का दौरा बहुत ही कम समय के लिए किया। इसके बाद वो कोलंबो के लिए रवाना हो गए थे। राजदूत ने बताया, 'राष्ट्रपति और अफगान की फर्स्ट लेडी ने कुछ खूबसूरत पल एक साथ अस्पताल में बिताए। उस समय उनकी बेटी भी उनके साथ ही मौजूद थी।' हम आपको बता दें कि हामिद की उम्र 57 साल है
 
हालांकि, अस्पताल की तरफ से इस बारे में अभी कोई ऑफीशियल स्टेटमेंट जारी नहीं हुआ है। हमारे सूत्रों का कहना है कि करजई की पत्नी को इस सप्ताह की शुरुआत में ही भर्ती किया गया था। वो अपने परिवार के सदस्यों और कुछ रिश्तेदारों के साथ भारत आई थीं। भारत आने के बाद हामिद अपने परिवार के साथ लगभग 20 मिनट तक रुके थे। उम्मीद है कि शुक्रवार को हामिद की पत्नी को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
 
हामिद ने अपनी तीसरी संतान की डिलीवरी के लिए गुड़गांव को ही क्यों चुना? इस सवाल का जवाब देते हुए अब्दाली ने बताया, 'प्रेसिडेंट की इसके अलावा दो संतान हैं, जिनका जन्म अफगानिस्तान में ही हुआ है। ऐसे में अफगानिस्तान में मौजूद कुछ स्पेशल डॉक्टर्स ने हामिद को ये सलाह दी कि इस बच्चे का डिलीवरी भारत में करवाई जाए, क्योंकि वहां कुछ ज्यादा बेहतर डॉक्टर्स तथा सुविधाएं मिल सकती हैं।'
 
अब्दाली ने भारत द्वारा दिए गए इस सपोर्ट के लिए अब्दाली ने दिल्ली का शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने कहा, 'हम अस्पताल के मेडिकल स्टाफ और उनकी सर्विस के मुरीद हैं। हॉस्पिटर का मैनेजमेंट बहुत ही अच्छा रहा। साथ ही भारत सरकार द्वारा दिए गए लगातार सपोर्ट से भी हम बहुत खुश हैं।

शिवराज के चार घंटे के उपवास से मिले साढ़े 7 करोड़, चुनाव आयोग करेगा जांच



भोपाल. किसानों को राहत के मुद्दे पर केंद्र के रूख के खिलाफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ आधे दिन के उपवास पर बैठे। इस दौरान चार घंटे में किसानों की मदद के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष में सात करोड़ 42 लाख रुपए जुट गए। इसमें 2 लाख 86 हजार रुपए चैक से व नकद भी शामिल है। 
 
कांग्रेस ने भाजपा के आयोजन स्थल पर इस तरह पैसे इकट्ठा करने पर इसे चंदा उगाना और आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग को शिकायत कर दी। आयोग ने मामले की जांच शुरू कर दी है। भाजपा की भोपाल जिला इकाई द्वारा यह उपवास कार्यक्रम होटल  पलाश के सामने स्थित मैदान पर सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक हुआ था। उपवास स्थल पर पहुंचे कुछ डॉक्टरों ने ओला प्रभावित किसानों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में महंगाई भत्ते के एरियर की राशि देने की घोषणा की। 
 
यह करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए होती है। इसके बाद वहां कुछ लोगों ने राहत कोष के लिए नकद राशि जुटाना शुरू कर दिया। कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन के साथ भाजपा जिला महामंत्री विकास विरानी व सत्यार्थ अग्रवाल यह राशि एकत्रित करने लगे। भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने तो नगद राशि जमा दी ही, आम लोगों ने भी अपने सामथ्र्य के हिसाब से राशि दी। इस घटनाक्रम की शिकायत प्रदेश कांग्रेस ने चुनाव आयोग से कर दी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी जयदीप गोविंद के मुताबिक उन्होंने भोपाल के कलेक्टर को इस मामले की जांच करने को कहा है।
 
केंद्र से पांच मांग
 
1. पांच हजार करोड़ का विशेष राहत पैकेज
2. ओलावृष्टि को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए
3. चने की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए केंद्र की एजेंसी मप्र की एजेंसी के साथ एमओयू करे
4. फसल बीमा योजना को व्यावहारिक बनाएं
5. एपीडा मप्र के चावल को बासमती की मान्यता दे
 
चंदा उगाही की शिकायत मिली है। साक्ष्य जुटाने के लिए वीडियो रिकार्डिंग की सीडी बुलवाई गई है।
- निशांत वरवड़े, कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी
 
भाजपा ने किसानों को राहत के नाम पर मुख्यमंत्री के उपवास स्थल पर जबरन चंदा वसूली की।
रवि सक्सेना, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता
 
कांग्रेस को किसानों की मदद के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष में दी जा रही राशि भी चंदा दिखाई दे रही है। यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।
-नरेंद्र सिंह, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष

क़ुरान का सन्देश

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