आपका-अख्तर खान

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14 मार्च 2014

,सभी धर्म मज़हब सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान के रंग में खो जाए

सभी बहन भाइयों ,, दोस्तों बुज़ुर्गों ,,दिल में बुग़ज़ रख कर मिलने वाले दुश्मनों ,, मेरे अपने हमदर्दों ,,,चहेतों ,,,सभी को रंगो के त्यौहार ,,,,,आस्तिकता के प्रति आत्मविश्वास की फुहार के त्यौहार पर हार्दिक बधाई हार्दिक मुबारकबाद ,,,,और हाँ यार प्लीज़ यह बात गब्बर को भी बता देना के कल होली है बेचारे को पता नहीं इसलिए सबसे पूंछता फिरता है होली कब है होली कब है ,,,,,,,,,,,,,होली मुबारक हो सभी रंग ,,हिन्दू ,,मुस्लिम , सिख,,, ईसाई ,,सभी धर्म मज़हब सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान के रंग में खो जाए ,, राष्ट्रीय एकता अखंडता ,,राष्ट्रीयता के रंग में रंग जाए तो होली मुबारक हो सार्थक हो जाए ,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर

निश्चित तोर पर ऐसा कडा क़ानून बने के मिडिया की गंगा की सफाई हो जाए और मिडिया की गंगा पवित्र होकर फिर से गंगोत्री बन जाए ताके हमारे देश को फिर से निष्पक्ष ,,निर्भीक चौकीदार मिडिया के रूप में मिल सके ,,,,,,,,,,,,ऐसा में अकेला नहीं ,,केजरीवाल नही देश और देश में मीडिया से जुड़े इन हालातों में कसमसा रहे मीडियाकर्मी भी चाहते है ,

रोज़ करते थे यूँ झूंठे दिखावे की तारीफ़ ,,,आज सच कहा तो  बुरा मान गए ,,,,,,,,,,,जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ  अरविन्द केजरीवाल की जिसने भ्रष्टाचार की गुलामी के इस दौर में विपरीत दिशा में बहने का साहस क्या ,,,,,,,जनता को एक राह दिखाई ,सपने दिखाए बस फिर क्या था देश उसका दुश्मन हो गया ,उसके  षड्यंत्र की प्रयोगशालाएं खुल गयी ,,क्या जनता क्या देश ,क्या राजनितिक दल सभी इस शख्स के वुजूद को ललकारते हुए खत्म करने की कोशिश में जुट गए ,,,मिडिया खरीदा गया  पहले खबरे आयी इसी मिडिया ने खबरे दी कोंग्रेस और भाजपा ने मोदी और राहुल के प्रोजेक्शन के लिए पांच सो और चार सो करोड़ रूपये का बजट रखा है ,पेड़ न्यूज़े शुरू  होने लगी ,,,,,,यक़ीन मानिये ट्रेडल ,,कम्पोज़  के युग से लेकर आज आधुनिक युग की इलेक्ट्रॉनिक ,,,ऑफसेट ,,रंगीन ऑफसेट और फिर सोशल मिडिया पत्रकारिता का मुझे इस विधा से लगातार जुड़ाव होने के कारन खुसूसी अनुभव है ,,अच्छे लोग सब जगह होते है लेकिन यह कहने में मुझे शर्म नहीं के इस क्षेत्र में लोग इसे पेट पालने के ज़रिये के अलावा पत्रकारिता को सियासी गुलामी ,कॉर्पोरेट सेकटर की विज्ञापन एजेंसी के रूप में बनाने लगे है ,मर्दानगी का तेल ,,और दवाये नुस्खे इस तरह से बेचे जाते है मानो पूरा देश ना मर्द हो गया हो ,,,क़ानून है के इस तरह के विज्ञापन छापना अपराध है ,क़ानून है के किसी भी अख़बार में साठ फीसदी सामग्री पठनीय होगी अधिकतम चालीस प्रतिशत से अधिक विज्ञापन नहीं हो सकते ,लेकिन आप सभी देखते हो के  फ्रंट पेज पर विज्ञापन होते है ,चुनाव की और कॉर्पोरेट सेकटर की विज्ञापन की पेड़ खबरे होती है ,,,,,,,अजीब बात है टी वी पर चेनल्स क्या कर रहे है क्या दिखा रहे है बहस किस तरह से होती है उसमे किन लोगों को बिठाया जाता है सभी जानते है एक तरफ रजत शर्मा बाबा रामदेव से बात करते है और दूसरी तरफ उसी कार्यक्रम के  प्रायोजक खुद बाबा रामदेव के प्रोडक्ट पंतजली पीठ होती है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आज केजरीवाल के खिलाफ एक योजना बना कर सिर्फ और सिर्फ उनकी छवि बिगाड़ने के लिए मिडिया के कुछ लोग पीछा कर रहे है तो जनाब यह सब मुफ्त में नहीं हो रहा है ,,,,,नरेंदर मोदी को गुजरात में ललकारने के बाद यह सब  तेज़ी से हुआ है ,,देश दूध पीता बच्चा नहीं देश सब जानता है ,,,,,,,,,,,,,,दोस्तों केजरीवाल ने कहा के मिडिया सही खबरें नहीं दे रहा है में  अगर सत्ता में आया तो ऐसे लोगों को जेल में डालूंगा ,,,,,क्या गलत कहा मिडिया को तो इसका स्वागत करना चाहिए क्योंकि इस मिडिया क्षेत्र में डकेत आ गए है गरीबों का हक़ मार रहे है ,, ग्रुप के डाइरेक्टर कोन है पर्दे के पीछे मददगार कोन है सब जानते है ,,,,,मिडिया आज व्यापार में है मिशन में नहीं इसलिए कोई मेले लगता है ,कोई स्टाल लगाता है ,कोई कार्यशालाएं करवाता है तो कोई नमक तेल बेचता है तो कोई फाइनेंस का काम करता है अजीब मिडिया है क़ानून है के पूर्ण आजीविका पत्रकारिता पर ही निर्भर हो तब प्रकाशन होगा लेकिन सिर्फ और सिर्फ सियासत और विज्ञापन के लियें मिडिया गिरी हो रही है ,हम खुद अपने गिरेहबान में झाँक कर देखे मेने खूब नज़दीक से प्रेसकॉन्फ्रेंस के नज़रिये उनेक खर्चे उनके खाने उनकी गिफ्ट संस्कृती देखी है ,,,,,,,,,,होली दीपावली नेता किस तरह से गिफ्ट बाटते है ,,उद्द्योग किस तरह से पुरस्कृत करते है सरकार केसे सुविधाएं देती है सभी जानते है ,,,,,,,,चुनाव आये नहीं के बस नेता लोग खरीद फरोख्त की सियासत शुरू कर देते है आज कोई शख्स अगर बढ़ा पुरस्कार लेता है तो उसकी खबर नहीं छपती कहा जाता है विज्ञापन दीजिये ,, ऐसे में केजरीवाल अगर ऐसी निति बनाकर जिसमे मिडिया को बदनाम करने की साज़िश  रच कर सच को गलत दिखाने और किसी की योजनाबद्ध तरीक़े से छवि बिगाड़ने का माफियागिरी का काम हो तो ऐसे लोगों को अगर जेल भेजने की बात है तो कहा गलत है आज देश का हर आदमी जितना सियासत की बेईमानी से आहत है उतना ही नहीं बल्कि उससे ज़यादा मिडिया की बेईमानी और पक्षपात से आहत है ,,वोह तो खुदा का शुक्र है के गिनती के लोग मीडियाग्रुप में है जिनकी वजह से सच ज़िंदा है और दुनिया सच देख रही है  वरना कई खबरों को हमने बहुत बढ़ी खबर होने के बाद भी जड़ से गायब होते हुए देखा है ,,,,मिडिया अगर सही होता तो देश की सियासत ,,देश की नौकरशाही ,,,देश का कॉर्पोरेट सेकटर ,देश कि बेंकिंग ,,देश की महंगाई ,,,देश में अराजकता का यह हाल नहीं होता बस देश का चौकीदार अगर सही काम करे तो यक़ीनन राज की स्थिति होगी लेकिन जब चौकीदार ही चोरों से मिल जाए तो फिर देश की यह अराजकता जो हम देख रहे है उस चौकीदार की ज़िम्मेदारी है और ऐसे चोर चौकीदार जो माफियाओं से मिलीभगत कर देश को बिगाड़ रहे है उनको तो सज़ा मिलने का क़ानून होना ही चाहिए ,,,,,,,,,,,,,,,यह अकेले केजरीवाल की आवाज़ नहीं देश की आवाज़ है और मीडिया में बेठे लोग सच को मानते भी है और जानते भी है लेकिन कॉर्पोरेट दबाव ,,सियासी दबाव और मालिकों के दबाव के आगे वोह अपने रोज़गार की वजह से खामोश रहते है ,,और कहते है के क्या करे हमारे मालिकों का ऐसा ही निर्देश है ,,,दोस्तों यक़ीन मानिये अगर पिछले दो सालों से चल रही देश में मिडिया की कारगुज़ारियों ,,,,विज्ञापन ,,खबरों ,,,साक्षात्कारों की निष्पक्ष जांच हो जाए तो निश्चित तोर पर खरबों रूपये की मिडिया बिक्री का भंडाफोड़ निकलेगा और सच को गलत और गलत को सच दिखाने की पोल भी खुलेगी ,,,,आप बताइये चुनाव सर्वेक्षण में भ्रष्टाचार खुले आम दिखाया गया है ,,,,अगर एक चुनाव सर्वे किसी कुछ निर्धारित सीटे बताता  है और अगर चुनाव परिणाम में सीटों की हार जीत में काफी फ़र्क़ आता है तो ऐसी फ़र्ज़ी सर्वे के दावेदार मीडिया ग्रुप को क्या जेल में नहीं होना चाहिए ,,अरे आम आदमी के लिए गुमराह करना ,झूंठ बोलना ,अफवाह फैलाना ,किसी का मान मर्दन करना ,,,,,,अश्लीलता दिखाना ,,,,नशीली चीज़ों ,,,सेक्स की दवाये विज्ञापित करना अपराध है तो यह तो मिडिया है अगर यह ऐसा करता है तो इसे तो जेल में होना ही चाहिए और निश्चित तोर पर ऐसा  कडा क़ानून बने के मिडिया की गंगा की सफाई हो जाए और मिडिया की गंगा पवित्र होकर फिर से गंगोत्री बन जाए ताके हमारे देश को फिर से निष्पक्ष ,,निर्भीक चौकीदार मिडिया के रूप में मिल सके ,,,,,,,,,,,,ऐसा में अकेला नहीं ,,केजरीवाल नही देश और देश में मीडिया से जुड़े इन हालातों में कसमसा रहे मीडियाकर्मी भी चाहते है ,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हाईकोर्ट ने जोधपुर में जैसे स्पीड ब्रेकर उखड़वाए, जेडीए ने जयपुर में लगवाए


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जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के एतराज पर जोधपुर की सड़कों से जिन फाइबर स्पीड बे्रकर्स को उखाड़ दिया गया था, अब यहां जेडीए अफसर वैसे ही स्पीड ब्रेकर सड़कों पर लगवा रहे हैं। जबकि फाइबर स्पीड ब्रेेकर न केवल ज्यादा खर्चीले हैं बल्कि, वाहन चालकों के लिए कष्टदायक भी। फाइबर निर्मित एक मीटर बे्रकर की लागत दो हजार रुपए तक आती है, जबकि इसी तरह का बे्रकर डामर का बनाएं तो उसकी कीमत 100 रु. से भी कम। इसके बावजूद जयपुर की सड़कों पर फाइबर स्पीड बे्रकर लगाए जा रहे हैं।
क्यों और कहां लगाए जाते हैं
स्पीड ब्रेकर मूलत: दुर्घटना संभावित स्थलों, स्कूल, कॉलेज व अस्पतालों के बाहर और खतरनाक घुमावों पर लगाए जाते हैं, लेकिन सीधी सड़कों पर नहीं। जेडीए अधिकारियों का कहना है कि जयपुर में ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की मीटिंग में यह बे्रकर लगाने का निर्णय हुआ था। ये पुलिस व स्थानीय लोगों की मांग के अनुसार लगाए जाते हैं, लेकिन जेडीए अफसरों के पास यह स्पष्ट आंकड़ा नहीं है कि इन्हें कहां-कहां लगाया जा रहा है और अब तक कितने लग चुके हैं।
जोधपुर में क्यों हटाने पड़े
जोधपुर विकास प्राधिकरण ने करीब दो साल पहले शहर की मुख्य सड़कों पर ही नहीं बल्कि, गलियों तक में फाइबर स्पीड ब्रेेकर लगा दिए। मुख्य सड़कों पर इनका असर देखने को मिला। ट्रैफिक में हर्डल बनने लगे। जाम की स्थितियां बनने लगी। लोगों के लिए पीड़ादायक बन गए। शिकायतों के बाद हाईकोर्ट ने इस पर एतराज जताया। प्राधिकरण ने शहरभर से फाइबर स्पीड ब्रेकर या तो उखाड़ दिए या फिर डामर के नीचे दबा दिए। गौरतलब है कि प्राइवेट फर्म ने एक साल में करीब 62 लाख रु. के ब्रेकर लगाए थे, जो बाद में बेकार चले गए।
यूं समझें 20 गुना ज्यादा लागत वाले बे्रकर की गणित
डामर: 7 मीटर लंबाई
लागत : 700
गारंटी 5 साल
फाइबर: 7 मीटर लंबाई
लागत : 14000
फायदा: पीड़ादायक नहीं, चोरी होने या टूटने का खतरा नहीं। दुर्घटना की आशंका कम।
गारंटी कोई नही
नुकसान : रीढ़ की हड्डी में दर्द, चोरी का खतरा, हादसे का डर।

भारतीय रोड कांग्रेस के अनुसार हो स्लोप
इस स्पीड बे्रकर में इतना स्लोप होना चाहिए जिससे पीठ या रीड की हड्डी के लिए कतई खतरनाक नहीं हो, जिससे किसी तरह की दुर्घटना की संभावना नहीं हरे। पांच मीटर चौड़े एवं एक मीटर लंबे स्पीड ब्रेकर की लागत 33 रुपए आती है। जबकि पौन फीट चौड़े और एक मीटर लंबे फाइबर स्पीड ब्रेकर की लागत दो हजार रुपए आती है।
हमारे पास आंकड़ें नहीं
॥जयपुर में जेडीए के 19 जोन हैं। एक्सईएन स्तर के अधिकारी यह काम देख रहे हैं। किस इलाके में कितने फाइबर स्पीड ब्रेकर लगाए गए हैं, इनकी मॉनिटरिंग वहीं करते हैं। हमारे पास कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं हैं। पुलिस व स्थानीय लोगों की मांग पर यह लगाए जाते हैं।
-एन.सी.माथुर, निदेशक अभियांत्रिकी, जेडीए

तेजी से न निकलें ब्रेकर से
॥स्पीड से निकलने से युवाओं में पीठ दर्द अथवा रीड की हड्डी में दर्द की शिकायत हो सकती है। बुजुर्गों में तो हड्डी पिचकने तक का खतरा रहता है। ऐसे स्पीड बे्रकर से तेजी से निकलने से बचना चाहिए।
-डॉ. डी.एस.मीणा, हड्डी रोग विशेषज्ञ, एसएमएस, जयपुर।

॥जोधपुर में ऐसे स्पीड बे्रकर हटाए गए थे, इस बारे में पता नहीं है। यदि मापदंड पर खरे नहीं है और लोगों को तकलीफ है तो विचार किया जाएगा।
-वीएस सुंडा, एडि.चीफ इंजीनियर
॥जोधपुर में हाईकोर्ट के निर्देश पर फाइबर स्पीड ब्रेकर हटाए थे। कोर्ट यह माना था कि ये बे्रकर इंडियन रोड कांग्रेस के नियमानुसार सही नहीं है। इससे लोगों को पीड़ा हो रही थी। हमने इन्हें हटवा दिए थे।
-राजेन्द्र सोलंकी, तत्कालीन चेयरमैन, जोधपुर विकास प्राधिकरण, जोधपुर।

एक कुंवारी सती के चलते इस गांव में सदियों से नहीं देखी गई होली जलते हुए



धमतरी. धमतरी का गांव तेलीनसत्ती। यहां के बड़े बुजुर्गों ने गांव में कभी होलिका जलते नहीं देखा। लेकिन होली तो मनाते हैं। कुछ बुजुर्ग बताते हैं कि यहां 16 वीं शताब्दी से होलिका नहीं जली।
गांव के 85 साल के देवलाल साहू, बहुर साहू (82), व अन्य के मुताबिक 16 वीं शताब्दी में तेलीनसत्ती गांव में एक माल गुजार के सात बेटे व एक बेटी थी। बहन की शादी तय हुई। भाइयों के खेत का मेड़ रोज फूट जाता था। भाइयों ने एक रात अपने होने वाले दामाद को ही मेड़ में पाट दिया। उसकी बहन खेत गई। उसने मृत युवक की ऊंगली पकड़कर सात फेरे लिए और चिता में जलाकर सती हो गई। इसके बाद से यहां होलिका नहीं जली।
कुंवारी कन्या सती होने के बाद उसके सभी भाई गांव से भाग गए। तब से गांव वाले सती को पूजने लगे। गांव में उसकी प्रतिमा स्थापित कर छोटा सा मंदिर बनाया गया है। गांव का नाम भी इसी के चलते तेलीनसत्ती पड़ा और यह गांव के इष्टदेवी हैं। घटना के बाद से यहां होली जलती है न ही चिता। होली खेलकर खुशी जरूर मनाते हैं।
सौ साल से गांव में नहीं जली होलिका
डौंडी के ग्राम पुसावड़ में होलिका जलाने का रिवाज नहीं है। सौ साल पहले होलिका दहन के दौरान हुए हादसे से सबक लेते हुए गांव के बुजुर्गों ने होलिका दहन नहीं करने का निर्णय लिया था। होली खेलने के लिए कुछ विशेष नियम बनाए थे। इन नियमों सभी कर रहे हैं। सरपंच बनवाली राम चिराम, ग्रामीण चुन्नी लाल व अन्य ने बताया कि गांव के बुजुर्गों ने जो कारण और तर्क बाद अभी तक वे उन नियमों का पालन कर रहे हैं।
हादसा और होलिका बंद
ग्राम पुसावड़ के बुजुर्ग ग्राम पटेल हलालखोर चिराम (58) और ताजीराम चिराम (54) ने बताया कि करीब सौ साल पहले होलिका दहन के दिन गांव के लड़के ने किसान की बैलगाड़ी में आग लगा दी। इससे किसान की रोजी-रोटी छीन गई। किसान शांत रहा लेकिन अगले साल होलिका में उसने उस लड़के को ही जलाने की कोशिश की। गांव में तनाव था। उसके बाद गांववालों ने होलिका नहीं जलाने का फैसला लिया।
देवता होते हैं नाराज, नहीं मनाते होली
जिले का हट्टापाली ग्राम पंचायत के पांच गांवों में 150 साल से ग्रामीण होली नहीं मनाते हैं। यह पंचायत रायगढ़ से 80 किमी दूर है। गांववालों का मानना है कि होली खेलने से उनके देवता नाराज हो जाते हैं। इससे गांव में सूखा सहित कई प्राकृतिक विपदाएं आ पड़ती हैं।
बरमकेला ब्लाक के इस ग्राम पंचायत हट्टापाली के आश्रित ग्राम मंजूरपाली, छिंदपतेरा, जगदीशपुर, अमलीपाली और हट्टापाली में पिछले 100-150 सालों से होली नहीं खेली जा रही है, जबकि आसपास के करपी पंचायत, खम्हरिया, कालाखूंटा, करनपाली, झाल सहित अन्य पंचायतों और गांवों में होली मनाई जाती है।
'उन्होंने बुजुर्गों से सुना है कि करीब 150 साल पहले गांव में होली के दिन एक बाघ पहुंचा और वह बैगा को उठा ले गया। उस साल गांव में सूखा भी पड़ा। तब से होली नहीं मनाते।' -डमरूधर पटेल, ग्रामीण छिंदपतेरा

इशरत एनकाउंटर : अमित शाह को कोर्ट ने दिया नोटिस, 26 तक मांगा जवाब



अहमदाबाद. इशरत जहां एनकाउंटर मामले में गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अमित शाह को शुक्रवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। अहमदाबाद के स्‍पेशल सीबीआई कोर्ट ने इस नोटिस में राज्‍य के पूर्व गृहमंत्री शाह से पूछा है कि उन्‍हें इस मामले में आरोपी क्‍यों नहीं बनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने शाह को यह नोटिस एनकाउंटर में मारे गए जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्‍लै के पिता गोपीनाथ पिल्‍लै की उस याचिका के आधार पर दिया है जिसमें उन्‍होंने शाह के खिलाफ अभियोजन की मांग की थी।
 
शाह को 26 मार्च तक देना होगा जवाब
 
सीबीआई के इस कारण बताओ नोटिस में शाह से पूछा गया है कि जब एनकाउंटर हुआ था तो उस वक्‍त वह राज्‍य के गृह मंत्री थे। इस लिहाज से वह बताएं कि मामले में उन्‍हें आरोपी क्‍यों नहीं बनाया जाए। कोर्ट ने इस मामले में शाह के साथ-साथ अहमदाबाद के तत्‍कालीन पुलिस कमिश्‍नर के आर कौशिक और सीबीआई को भी नोटिस जारी किया है।
 
'जुर्म अपने पीछे सबूत छोड़ जाता है'
 
अमित शाह को नोटिस जारी किए जाने के बाद जेडीयू नेता अली अनवर ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की। उन्‍होंने कहा, अमित शाह और मोदी जी चाहे जितना बचें, जुर्म अपने पीछे सबूत छोड़ जाता है।

एनडीए को 543 में से 229 सीटें यूपीए को 129 सीट : सर्वे



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एनडीए को 543 में से 229 सीटें यूपीए को 129 सीट : सर्वे
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले किए सर्वे में किसी को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा। 543 सीटों में से 229 सीट भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को मिल रही है। जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को 129 सीटें ही मिलेंगी।
सर्वे में तीसरे मोर्चे को 55 और अन्य दलों को 130 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई है। समाचार चैनल एनडीटीवी और हंसा रिसर्च ग्रुप ने ये सर्वे किया है। गुरुवार को चैनल ने 12 राज्यों की 319 सीटों का ब्यौरा दिया था। इसमें से 166 सीटें एनडीए और 52 सीट यूपीए को मिलने का दावा किया गया था।
जी न्यूज के सर्वे में एनडीए को 217-231 सीटें
नई दिल्ली। जी न्यूज और तालीम पोल सर्वे के मुताबिक भाजपा 202 से 211 सीटें जीते सकती हैं। एनडीए को 217 से 231 सीट मिल सकती है। कांग्रेस के खाते में 107-111 सीटें जीत सकती है। यूपीए को 120 से 130 सीटें मिलने के आसार हैं। तीसरे मोर्चे को 83 से 115 सीट मिलती दिख रही है। अन्य पार्टियों को 89 से 101 सीट मिलने की संभावना है।

अन्ना ने कहा- ममता से नहीं रखूंगा कोई रिश्ता, भीड़ नहीं आई इसलिए नहीं गया रैली में


अन्ना ने कहा- ममता से नहीं रखूंगा कोई रिश्ता, भीड़ नहीं आई इसलिए नहीं गया रैली में
 
नई दिल्ली. तृणमूल कांग्रेस अध्‍यक्ष ममता बनर्जी और अन्‍ना हजारे के बीच की तल्‍खी खुलकर सामने आ गई है। दिल्‍ली के रामलीला मैदान में ममता की रैली में शामिल नहीं होने के बाद अन्‍ना ने शुक्रवार को सार्वजनिक तौर पर एलान किया कि अब वह ममता से कोई रिश्‍ता नहीं रखेंगे। अन्‍ना ने कहा कि उन्‍हें धोखा दिया गया। हालांकि ममता बनर्जी ने इस मसले पर बोलने से इनकार कर दिया और कहा कि वह अन्ना से मुलाकात करेंगी और फिर कुछ प्रतिक्रिया देंगी।
अन्‍ना ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि उन्‍होंने ममता या उनकी पार्टी को समर्थन न‍हीं दिया था, बल्‍कि उन्‍होंने तो ममता के विचारों को समर्थन दिया था। अन्‍ना ने अपने करीबी और पत्रकार संतोष भारतीय पर भी निशाना साधा। उन्होंने संतोष पर धोखा देने का आरोप लगाया। 
 
रैली में नहीं जाने की वजह बताई
अन्‍ना ने रामलीला मैदान में ममता की रैली में नहीं जाने की वजह भी बताई। उन्‍होंने कहा, रैली में लोग नहीं आए थे, भीड़ नहीं थी, इसलिए मैं नहीं गया। अन्‍ना ने हालांकि यह भी कहा कि बीमार आदमी रैली में कैसे जा सकता है।
 
अन्ना ने कहा, 'दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई रैली के बारे में उन्हें बताया गया था कि इसे तृणमूल कांग्रेस आयोजित कर रही है लेकिन ममता को बताया गया कि अन्ना रैली कर रहे हैं। भला मैं क्यों रैली करूंगा? रैली में 11 बजे का समय तय किया गया था लेकिन मैंने 11 बजे, फिर 12 बजे फोन कर पता किया तो मालूम हुआ कि केवल दो ढ़ाई हजार लोग ही पहुंचे हैं। जिस रामलीला मैदान में हजारों लोग जमा होते थे वहां इतने कम लोग पहुंचे तो मुझे लगा कि जरूर कुछ गड़बड़ है।'

'झाड़ू यात्रा' के दौरान कुमार विश्‍वास के काफिले पर हमला, कई कार्यकर्ता घायल



अमेठी. आम आदमी पार्टी (आप) के नेता कुमार विश्‍वास के काफिले पर शुक्रवार शाम हमला हुआ है। यह हमला अमेठी के सिंगौली गांव में पार्टी की झाड़ू यात्रा के दौरान हुआ। इस हमले में 'आप' के कई कार्यकर्ता घायल बताए जा रहे हैं। वहीं काफिले में शामिल कुमार विश्‍वास की कार का शीशा टूट गया है। कुमार विश्‍वास ने इस हमले के लिए कांग्रेस को जिम्‍मेदार ठहराया है।
 
कुमार विश्‍वास ने कहा कि 'झाड़ू यात्रा' के दौरान करीब 15-20 लोग आए और उन्‍होंने लाठियों से पार्टी कार्यकर्ता पर हमला कर दिया। हमले की शिकायत करने कुमार विश्‍वास थाने पहुंच गए हैं। गौरतलब है कि कुमार विश्‍वास 'आप' की टिकट पर अमेठी से लोकसभा उम्‍मीदवार हैं। 
 
कई कार्यकर्ताओं को बनाया बंधक 
 
कुमार विश्‍वास ने बताया के इस हमले में उनकी पार्टी के कई कार्यकर्ताओं को बंधक बनाया गया है। उन्‍होंने कहा कि इस हमले में वे और पार्टी की दो महिला कार्यकर्ता भी घायल हुई हैं। कुमार विश्‍वास के काफिले पर हमले की खबर सुनते ही पार्टी नेता मनीष सिसोदिया अमेठी रवाना होने जा रहे हैं।

दोहरे चेहरे: इन नेताओं के पास है संपत्ति अपार पर किसी पास नहीं है कार



नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। 13 साल से गुजरात के मुख्यमंत्री हैं। कारों के काफिले में चलते हैं। लेकिन उनमें से खुद की एक भी नहीं है। राहुल गांधी के साथ तो और भी गजब है। अकसर दो करोड़ रुपए वाली लैंड रोवर में दिखते हैं। लेकिन घोषित संपत्ति में एक भी कार नहीं है। देश के वोटर यह जानकर चौंक सकते हैं कि अपार धन-संपदा वाले हमारे कई नेताओं के पास तो कार ही नहीं है।
वेबसाइट हफिंगटन पोस्ट ने सोनिया की संपत्ति 12.5 हजार करोड़ बताई थी
दुनिया के सबसे अमीर नेताओं की सूची में 12वें स्थान पर रखी गईं सोनिया देश में हवाई यात्राओं में सरकारी प्लेन और एअरफोर्स प्लेन का इस्तेमाल किया।
सफर सरकारी गाडिय़ों से ही
दिल्ली में सोनिया सरकारी वाहन यानी सफारी या एम्बेसेडर से ही सफर करती हैं। दूसरे शहरों में भी ये ही गाडिय़ां उपयोग में आती हैं।
333 ग्राम राहुल के जेवर 2004 में भी 1.25 लाख रुपए के 2009 में भी !
देश के दूसरे शहरों में आने-जाने के लिए राहुल गांधी ज्यादातर ढाई लाख रुपए प्रतिघंटा किराए वाले प्रायवेट जेट का ही इस्तेमाल करते हैं। जिसका शेड्यूल और भुगतान गोपनीय रखे जाते हैं। वे इसी से रायबरेली और फिर अमेठी जाते हैं।

अक्सर लैंड रोवर में नजर आते हैं
राहुल गांधी की घोषित संपत्ति में भले ही कार न हो, लेकिन दिल्ली में वे अकसर दो करोड़ रुपए की एसयूवी लैंड रोवर में नजर आते हैं।
मोदी की संपत्ति ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, केजरीवाल से कम
आम आदमी पार्टी के कैप्टन गोपीनाथ कहते हैं- मोदी के पास भले ही कार न हो, लेकिन पिछले चार महीनों में मोदी की हवाई यात्राओं पर 4 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुका है।
स्कॉर्पियो और सफारी का काफिला
मोदी के काफिले में ज्यादातर सफारी और स्कॉर्पियो गाडिय़ा हैं। वे पटना और गोवा में सभा करने गए तो उनकी बुलेटप्रुफ कारें भी गईं।
1.75 करोड़ रुपए के टेलिकॉम घोटाले के प्रमुख आरोपी के पास भी कार नहीं!
मारन परिवार के बाहर करुणानिधि के सबसे भरोसेमंद राजा पर भले ही आरोप हो कि उन्होंने अपने कई लोगों के कालेधन को इधर-उधर कराया। लेकिन घोषित संपत्ति के अनुसार न तो उनके और न ही उनकी पत्नी एमए परमेश्वरी के पास कोई गाड़ी है।

राजनीति में आए तो मर्सिडीज, पहले था लम्ब्रेटा
दिल्ली में राजा के पास भले ही मर्सिडीज और टोयोटा की आलीशान कारें रही हों, लेकिन राजनीति में आने से पहले वे वकालत करते थे और लेम्बरेटा पर ही आते-जाते थे।

बिहार के पटना साहिब से चुनाव लड़ सकते हैं मोदी, प्री-प्लांड था बनारस विवाद



गांधीनगर/पटना. जब यह तय हो चुका है कि नरेंद्र मोदी बनारस से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे तो संभावना बन रही है कि भाजपा मोदी को पटना साहिब से चुनाव लड़वा सकती है। पार्टी ने इसी सीट से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट रोक लिया है। इस बीच शत्रुघ्न का यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि वे सिर्फ मोदी के लिए सीट छोड़ सकते हैं। पार्टी सूत्रों ने पुष्ट किया है कि मोदी अपने गृह राज्य गुजरात के अलावा किसी दूसरे राज्य से चुनाव लड़ेंगे। पार्टी ने इस बात की भी पुष्टि की है कि वे बनारस से नहीं लड़ेंगे।
सूत्रों के अनुसार बनारस पर विवाद पार्टी के गेम प्लान का हिस्सा है। इस विवाद को पार्टी ने ही जन्म दिया है। जंग को रोचक बनाए रखने के लिए पटना साहिब का प्लान गुप्त रखा जा रहा है। पार्टी मुहूर्त में विश्वास रखती है। बताते हैं कि 18 मार्च को होलाष्टक खत्म होगा तभी मोदी के नाम की घोषणा होगी। भाजपा की गुजरात इकाई के महासचिव विजय रुपानी ने स्पष्ट किया है कि मोदी राज्य के बाहर कहीं से भी लड़ें, लेकिन गुजरात से तो लड़ेंगे ही।
पटना साहिब से क्यों
पटना साहिब भाजपा की परंपरागत सीट है। शत्रुध्न सिन्हा यहां करीब पौना लाख मतों से जीते थे। अब शत्रुघ्न मोदी के लिए सीट छोड़ने को तैयार हैं, लेकिन गुरुवार को उन्होंने कहा था कि पटना साहिब मेरी पहली और आखिरी पसंद है।
मोदी को बनारस से लड़वाकर पार्टी इस इलाके में सेंधमारी करना चाहती है। यह पटना साहिब से भी संभव है। यहां से मोदी लड़े तो बिहार की 40 और पूर्वी उत्तर प्रदेश की 30 सीटों पर मोदी लहर का असर पड़ेगा।
मोदी और नीतीश की राजनीतिक अदावत जग जाहिर है। ऐसे में पार्टी मोदी को बिहार लाकर नीतीश के गढ़ में उन्हें ललकारेगी वहीं एक तीर से कई शिकार करेगी। मोदी राजद और कांग्रेस से भी हिसाब बराबर कर सकते हैं।

क़ुरान कासंदेश

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