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26 मार्च 2014

लूट हुई, दंगे हुए

रवि कुमार
"तुम्हारे हाथ उठे जब –जब
आम आदमी के बहाने
हमने देखी खुली आँखों से
प्रजातंत्र की नंगी तस्वीर

लूट हुई, दंगे हुए
बटवारा हुआ इंसानियत का
तुमने सिर्फ वोट बटोरे

फिर तुमने कमल खिलाया
कीचड़ का भी अपमान किया
आग लगाई
बस्तियां जलाई
देश में लहू की धार बहाई
दुहाई तुम्हारी दुहाई तुम्हारी..."

यह बेवक़ूफ़ी भरा नियम क्यूँ ,,

दोस्तों देश का भी अजीब संविधान अजीब क़ानून है ,,नोकरशाहों ने चुनाव की निष्पक्षता के लिए लोकप्रतििनिधित्व अधिनियम बनाया ,,इस अधिनियम में धारा तीन में राजयसभा के लिए पहले उस राज्य या क्षेत्र में मतदाता होने पर ही वहाँ से राजयसभा का सदस्य का चुनाव लड़ने का नियम था जो बाद में वर्ष दो हज़ार तीन में संशोधित कर पुरे भारत में कही का भी मतदाता होने पर राजयसभा का कहीं से भी चुनाव लड़ने का प्रावधान जोड़ा गया और फिर लोकसभा के चुनाव के लिए लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा चार डी में संशोधन नहीं किया गया इस धरा में किसी अन्य सीट के मामले में वह किसी संसदीय क्षेत्र का मतदाता यानि उसी क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए क्यूंकी राजयसभा के मामले में तो संशोधन हुआ है इस मामले में संशोधन नहीं हुआ ,,,,,,,,,,,फिर भी अधिनियम की धारा तीस की उपधारा सात की धारा छः उपधारा एक में दो सीटों से अधिक सीटों पर चुनाव का नामांकन नहीं भरने के निर्देश देकर गोलमोल दो सीटों से आवेदन भरने की अनुमति दी है जब सभी जानते है के कोई भी व्यक्ति दो लोकसभा क्षेत्रों से निर्वाचित होने पर सदस्य नहीं रह सकता और एक लोकसभा क्षेत्र से उसे इस्तीफा देना अनिवार्य है तो भाई दुबारा चुनाव् का खर्चा करवाकर जनता पर भार डालने के लिए यह बेवक़ूफ़ी भरा नियम क्यूँ ,,,,,,,,,,,,,,,

कल शाम

कल शाम कई सारी पुरानी यादें,
मेरे घर की सीढीयों पर बैठी, खूब बतियाती रहीं !
फिर रात हुयी,
उन्हें अकेले अपने घर लौटने में डर लगता रहा,
और मुझे उन्हें छोड़ने जाने में !
मैं उन्हें छोड़ने जा ना सका...सो वो रुक गयीं,
फिर कितनी सारी बातें, सो भी न पाए रात भर !
और फिर सुबह,
मैंने ही उन्हें कह दिया हमेशा की तरह,
"रुक जाओ ना यहीं.... कुछ दिनों के लिए !!"

किसी ने क्या खूब कहा है

किसी ने क्या खूब कहा है
अपना नज़दीकी खून
दूर पराये खून से प्यार बहुत प्यार होता है
यह फ़र्क़ ज़यादा दिन नहीं छुपता
सामने ज़रूर आता है
पता नहीं सच है या गलत ,,,,,,,,,

पाकिस्तान में है माता का ये मंदिर, मुस्लिम भी श्रद्धा से झुकाते हैं सिर


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उज्जैन। 28 मार्च, शुक्रवार को हिंगलाज माता की जयंती है। वैसे तो भारत में हिंगलाज माता के अनेक मंदिर हैं किंतु हिंगलाज माता का मुख्य मंदिर पाकिस्तान में है। यह 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। लोक कथा के अनुसार चारणों की प्रथम कुलदेवी मां हिंगलाज थीं। हिंगलाज नाम के अतिरिक्त हिंगलाज देवी का चरित्र या इसका इतिहास अभी तक अप्राप्य है। 
 
हिंदू और मुसलमान दोनों ही इस मंदिर को बहुत मानते हैं। हिंगलाज मंदिर मुसलमानों के लिए नानी पीर का आस्ताना और हिंदुओं के लिए हिंगलाज देवी का स्थान है। मान्यता है कि सातों द्वीपों में सब शक्तियां रात्रि में रास रचाती हैं और सुबह सभी शक्तियां भगवती हिंगलाज के गिर में आ जाती हैं-
सातों द्वीप शक्ति सब रात को रचात रास।
प्रात:आप तिहु मात हिंगलाज गिर में।। 
 
कहां है मंदिर?
हिंगलाज माता का मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य की राजधानी कराची से 120 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में हिंगोल नदी के तट पर ल्यारी तहसील के मकराना के तटीय क्षेत्र में स्थित है। इस सिद्ध पीठ की यात्रा के लिए दो मार्ग हैं- एक पहाड़ी तथा दूसरा मरुस्थली। इस इलाके की सबसे बड़ी नदी हिंगोल है, जिसके निकट चंद्रकूप पहाड़ है। चंद्रकूप तथा हिंगोल नदी के मध्य लगभग 15 मील का फासला है। मंदिर की परिक्रमा में गुफा भी है। यात्री गुफा के एक रास्ते से दाखिल होकर दूसरी ओर निकल जाते हैं।

भाजपा की लाइन से अलग है सुषमा का चुनाव प्रचार! नहीं करतीं मोदी और मिशन 272+ की बात




विदिशा. सुषमा स्‍वराज बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी के कैंप में शामिल नहीं हैं, इस तरह की कई खबरें सामने आ चुकी हैं। लेकिन मध्‍य प्रदेश के विदिशा में इस बात की तस्‍दीक भी हो जाती है। विदिशा यानी सुषमा स्‍वराज का संसदीय क्षेत्र। अगर आप इस इलाके में बीजेपी का चुनावी प्रचार अभियान देखेंगे तो आपको शायद ही नरेंद्र मोदी की लहर या फिर बीजेपी के मिशन 272+ का जिक्र होता दिखाई दे। सुषमा खुद पार्टी कार्यकर्ताओं से बैठक या अपने चुनावी भाषणों में मोदी या मिशन 272+ को ज्‍यादा तवज्‍जो देती दिखाई नहीं देतीं। इन चीजों के बदले वह किसी चीज का जिक्र करती हैं तो वह है मिशन 29 यानी मध्‍य प्रदेश की लोकसभा सीटों के बारे में और राज्‍य के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बारे में।
 
विदिशा में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सुषमा कहती हैं, मैं यहां राजनीतिक भाषण देने के लिए नहीं आई हूं। चुनाव जीतने के लिए आपको दो चीजों की जरूरत है। पहला, पार्टी के पक्ष में उचित माहौल और दूसरा, बूथ स्‍तर की संरचना। इसके अलावा सुषमा यह भी कहती हैं कि इस बार के चुनाव में वह अपनी जीत का अंतर 2009 के चुनाव के 3.89 लाख के मुकाबले 4 लाख करना चाहती हैं।
 
टंडन की सलाह
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन ने जसवंत समेत सभी बागियों को पार्टी लाइन पर आने की नसीहत दी है। उन्होंने मंगलवार को लखनऊ में कहा कि ‘टिकट पर फैसला पार्टी का विशेषाधिकार है। यह एक प्रक्रिया है, जिसमें सभी को संतुष्ट भी नहीं किया जा सकता। जब पीढ़ीगत बदलाव हो रहा है, तब पार्टी असली या नकली नहीं हो जाती।

'पाकिस्तानी एजेंट' वाले मोदी के बयान पर बोले केजरीवाल- शोभा नहीं देती ऐसी भाषा




वाराणसी. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मोदी द्वारा की गई गई 'AK 49' और 'पाकिस्तानी एजेंट' वाली टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को ऐसी भाषा शोभा नहीं देती है। एक गांव के दौरे के दौरान केजरीवाल ने बुधवार को कहा, 'उन्हें (मोदी) मुद्दों पर बात करनी चाहिए और उल्टी सीधी बात नहीं करनी चाहिए। इस तरह के शब्द प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को शोभा नहीं देते हैं।'
 
गुजरात के विकास को लेकर केजरीवाल ने किया हमला
केजरीवाल ने विकास के मुद्दे को लेकर भी मोदी पर हमला किया और कहा कि मोदी ने उस वक्त मुलाकात नहीं की जब वह गुजरात में विकास को लेकर बात करना चाहते थे।
 
क्या कहा था मोदी ने ? 
मोदी ने बुधवार को जम्मू में रैली को संबोधित करते हुए कहा था, 'AK 49 (केजरीवाल) ने अभी नई पार्टी खड़ी की है। उनकी पार्टी की वेबसाइट पर कश्मीर को पाकिस्तान में दिखाया गया है। उनकी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कश्मीर पर जनमत संग्रह की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान उनके बयान पर झूम रहा है। ये पाकिस्तान के एजेंट हैं, भारत के शत्रु हैं और पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं।'

विश्व मीडिया में हमारा चुनाव: मोदी-केजरीवाल छाए, राहुल गायब




भारतीय मीडिया चुनाव को लेकर नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के हर कदम की खबर दे रहा है। लेकिन विश्व मीडिया में मोदी और केजरीवाल छाए हैं। वहां बड़ी चुनावी घटनाओं, किरदार और पार्टियों के बारे में खबर और विश्लेषण हो रहे हैं। पढि़ए क्या-क्या लिखा जा रहा है...

न्यूयॉर्क टाइम्स (अमेरिका)
मोदी मजबूत, आप देगी टक्कर

मंदिरों के शहर से भाजपा प्रत्याशी
भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के इस बार चुनाव जीतने और सरकार बनाने की सबसे ज्यादा संभावना है। वे मंदिरों के शहर वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं। पूरे देश में उन्हीं की लहर दिख रही है।
बड़ा दल बनेगी अरविंद की पार्टी
कम से कम इनकी पार्टी कांग्रेस की सीटों का नुकसान करेगी। बड़ा दल बनकर उभरने की संभावना है। ये जिस तरह की राजनीति करना चाहते हैं, उसमें इन्हें बहुत मुश्किल आने वाली है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी खबर को दो हिस्सों में बांटा है। एक में उन राज्यों के बारे में बताया है जो किसी भी पार्टी को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
5 राज्य निर्धारित करेंगे पद किसे मिलेगा : उत्तर प्रदेश (80 सीट), पश्चिम बंगाल (42 सीट), महाराष्ट्र (48 सीट), तमिलनाडु (39 सीट) और बिहार (40 सीट)।
द फाइनेंशियल एक्सप्रेस (बांग्लादेश)
कांग्रेस को कोने में डाल रखा है
अखबार ने इस बार की चुनावी परिस्थितियों का विश्लेषण किया है। इसमें बताया है कि कैसे इस बार का चुनाव कांग्रेस के लिए मुसीबत वाला होगा।

राहुल का जादू नहीं चलेगा
राहुल पार्टी की साख बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन सबको दिख रहा है कि पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है।
पूर्व कांग्रेसी सांसद एमजे अकबर ने पार्टी छोड़ दी है। इससे भी रुतबा गिरा है।
अभी तक कांग्रेस ने किसी भी नेता का नाम पीएम पद के लिए घोषित नहीं किया। इससे लोगों में गलत संदेश जा रहा है।

मोदी देश के अगले नेता
मोदी देश के अगले पीएम बनते दिख रहे हैं। अगर भाग्य पलटी न मारे तो।
नया चेहरा केजरीवाल
दिल्ली में अप्रत्याशित जीत हासिल करने के बाद केजरीवाल राष्ट्रीय स्तर पर उभरे हैं।

PM बनने के लिए मोदी को अपने बूते लानी ही होंगी 200 सीटें, मिशन 272+ कैसे पूरा होगा?




नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी ने बुधवार से अपना आक्रामक चुनाव कैंपेन शुरू किया। वे 295 सीटों में जाएंगे और 185 रैलियों को संबोधित करेंगे। लक्ष्य है गुजरात से निकलकर केंद्र की सत्ता तक पहुंचना। मोदी ने सत्ता के लिए 272 सीटों को मिशन बना रखा है, लेकिन पहली मंजिल है भाजपा को कम से कम 200 सीटें जिताना। 200 इसलिए क्योंकि इसके बाद शायद नए साथियों को एनडीए में जोडऩा मुश्किल नहीं होगा। ऐसे में मिशन 272+ के लिए मोदी का गणित क्या है? और मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस की रणनीति क्या होगी...
मिशन 272+ संभव है या नहीं?
543 सीटें हैं लोकसभा की। 450 सीटों पर लड़ेगी भाजपा। 300 सीटें ऐसी हैं जहां कभी न कभी पार्टी जीत चुकी है।

इसके पीछे भाजपा के 2 आधार
1. हाल में मप्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली विधानसभा की 590 सीटों में से भाजपा ने 412 सीटें जीती हैं। 69% सफलता।
2. लोकसभा में भाजपा 450 में से 326 सीटों पर जीत देख रही है। यानी 72% पर। लेकिन सभी राज्यों की तासीर इन 4 राज्यों जैसी नहीं है। लिहाजा 72% सफलता को 44% भी मान लें तो 200 सीटें हो जाती हैं। 450 में से 200 यानी 44 प्रतिशत।
कांग्रेस कैसे करेगी मोदी का विरोध?
5 सूत्री रणनीति
1. भाजपा के बड़े नेताओं के सामने कद्दावर नेताओं को उतारकर।
2. सांप्रदायिक छवि और गुजरात में झूठे विकास के नाम पर मोदी पर दो तरह से हमले बोलकर।
3. येदियुरप्पा, श्रीरामुलू के बहाने मोदी को भ्रष्टाचार पर घेरकर। साथ ही लोकपाल लाने का श्रेय लेकर।
4. अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार के 6 साल बनाम यूपीए के 10 साल के शासन की आक्रामक तुलना कर।
5. भाजपा में बुजुर्ग नेताओं के अपमान और मोदी की तानाशाही को मुद्दा बनाकर छवि पर सीधा हमला।

क़ुरान का सन्देश

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