नई दिल्ली. कांग्रेस ने शुक्रवार को बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी
द्वारा जानकारी छिपाने के मामले की शिकायत नेशनल इलेक्शन कमीशन से की है।
कपिल सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस का एक डेलिगेशन चुनाव आयोग से इस बारे में
शिकायत करने के लिए मिला। सिब्बल ने कहा, 'नरेंद्र मोदी ने पूरी जानकारी
नहीं देकर कानून का उल्लंघन किया है। मोदी का पहले का हलफनामा गलत है। हमने
शिकायत कर दी है, अब चुनाव आयोग इस पर क्या कार्रवाई करता है, यह तो वही
जाने।'
इससे पहले मोदी को चुनाव लड़ने के अयोग्य करार किए जाने की मांग गुजरात राज्य के चुनाव आयोग ने ठुकरा दी है। यह मांग वडोदरा में उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार
मधुसूदन मिस्त्री ने की थी। मिस्त्री ने कहा है कि अगर आयोग ने उनकी
नहीं सुनी तो वह सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। उधर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शुक्रवार को डोडा की जनसभा में मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'पता नहीं वह (मोदी) कितने चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन पत्नी का नाम हलफनामे में पहली बार अब लिखा है। ऐसा आदमी महिलाओं को कैसे सुरक्षा दे सकता है?' राहुल के इस हमलावर रुख के बाद भाजपा ने भी नेहरू-गांधी परिवार के दिग्गजों की पोल खोलने की धमकी दी है।
मधुसूदन मिस्त्री का कहना है कि मोदी ने अपने शादीशुदा होने की बात छिपाते
हुए कई विधानसभा चुनाव लड़े और 2014 में दायर हलफनामे में भी पत्नी का
नाम बताया, लेकिन संपत्ति नहीं बताई। मिस्त्री ने कहा, 'अब जब आखिरकार
उन्होंने यह बता भी दिया कि वह 46 साल से शादीशुदा हैं तो पत्नी की
संपत्ति छिपा रहे हैं। सार्वजनिक जीवन जीते हुए जो व्यक्ति पारदर्शिता और
नैतिकता की बात करता रहा हो, उसे ऐसी हरकत के लिए तत्काल चुनाव लड़ने के
अयोग्य करार देना चाहिए। मैं इंसाफ पाने के लिए इस लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट
भी ले जाऊंगा।'
नरेंद्र मोदी ने पहली बार बुधवार को वडोदरा लोकसभा सीट से नामांकन
दाखिल करने के दौरान दिए गए हलफनामे में अपने शादीशुदा होने की बात बताई।
उन्होंने बताया कि पत्नी जशोदाबेन की संपत्ति के बारे में उन्हें
जानकारी नहीं है। इस पर मिस्त्री की आपत्तियों को खारिज करते हुए वडोदरा
के जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) विनोद राव ने कहा कि किसी भी उम्मीदवार
को जिस चीज के बारे में जानकारी नहीं हो, उसके बारे में किसी कॉलम में
'नहीं मालूम है' लिखने का हक है। उन्होंने कहा कि इस लोकसभा चुनाव से पहले
दायर हलफनामे को लेकर उन्हें कुछ कहने का हक नहीं बनता।