रिश्ते कितने अजीब है ,,,,,,नेहरू परिवार के नवासे राहुल गांधी और वरुण गांधी ,,दो अलग अलग रास्तों पर है ,एक वरुण नेहरू का अपमान करने वालों के साथ है तो दुसरा नेहरू के सम्मान के लिए लड़ रहा है ,,एक वरुण उसकी चाची ,,उसके भाई उसकी बहन प्रियंका का अपमान करने वालों के साथ है ,,,अजीब बात है एक भाई के सामने उसकी बहन को शराबी कहा जाए और उसका खून नहीं खोले ,,एक ताई के सामने उसी की पार्टी के लोग उसकी भतीजी को शराबी कहे और वोह खामोश रहे अजीब बहुत अजीब बात है ,,,,भाजपा भी अजीब है गांधी परिवार को गाली बकती है लेकिन उसके बेटे वरुण और बहु मेनका को सियासत का गढ़ जीतने के लिए अपने साथ रखती है ,,,,,,,,,,वरुण जो संजय गांधी के पुत्र है ,,मेनका जो संजय गांधी की पत्नी है जिन्होंने ने जनसंघ ,,आर एस एस और भाजपा से हमेशा नफरत की है और आज उनके पुत्र और पत्नी उसी पार्टी के हाथ के खिलोने बने है ,,,,,शायद सियासत इसी का नाम है ,,के अपनी पत्नी को छोड़ने वाले महिलाओं को कभी वीदेशी बताकर कभी शराबी बताकर अपमान करे और खुद को भारतीय संस्कृति का रक्षक कहें ,,शायद रक्षाबंधन का अपमान ऐसे भाई ही करते है के जिसके सामने बहन को शराबी कह कर आरोपित अपमानित किया जाए और वोह भाई ऐसे शख्स का मुंह तक न पकड़ सके ,,धिक्कार है ऐसे पति रॉबर्ट वाडरा पर जो अपनी पत्नी के सम्मान की रक्षा करने में असफल हो ,,धिक्कार है ऐसे भाई राहुल गांधी और वरुण गांधी पर जो ऐसे अपमान करने वालों के खिलाफ चुप बैठे हो ,,,धिक्कार है माँ ऐसी चाची जो सियासत के गुरुर में दुश्मनो के सामने चुप हो या फिर दुश्मनो से मिल गए हो और इससे भी ज़्यादा धिक्कार है ऐसे लोगों पर जो संस्कृति के सम्मान की बात करते हो ,,जो देश के महिलाओं के सम्मान की बात करर्ते हो और फिर एक महिला एक बेटी को शराबी कहकर खुले रूप से अपमानित करने वालों के मददगार बनते हो ,,क्या ऐसे लोग जेल में नहीं होना चाहिए ,,क्या रिश्तों को राजनीति में उलझाने वाले मौक़ापरस्त लोग हमरे देश के युवा लोगों को रिश्ते बिगड़ने के संस्कार और सीख नहीं दे रहे है ,,,,,,थू है ऐसी राजनीति पर जिसके सामने एक बहन को उसी की पार्टी के लोग शराबी कहे और वोह खामोश कुर्सी के लालच में यह सब सुनता रहे ,,शायद महाभारत के किरदार फिर से जीवंत होने लगे है ,,,,,,,,,,,,,,थू है ऐसे लोगों पर जो गांधी परिवार और उसके खून को रोज़ गाली देते है अपमानित करते है नेहरू को अपमानित करते है उसके खानदान के लिए बकवास करते है और फिर उसी के नवासे उसी गांधी परिवार के पोते चश्मे चिराग वरुण गांधी को अपने सर पर बिठाकर सियासत का नंगा घेल नफरत का खेल खेलते है ,,,थू है थू है ऐसी सियासत पर जो रिश्तों को खत्म करने की सीख दे रही है ,,देश में नौजवानों में नफरत फैलाने का पाठ पढ़ा रही है थू है ,,,,,,,,अख्तर
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 अप्रैल 2014
यह विम्ब बिखरें गे तो अखरेंगे, अखबार बन जायेंगे
यह विम्ब बिखरें गे तो अखरेंगे, अखबार बन जायेंगे
समेटोगे तो आंसू पलकों पे गुनगुनाएगे ,
अमावस को तारे भी अवकाश में हैं
मुसाफिर सो गए हैं सोचते सुनसान से सच को
यह सच है कि सूरज डूबा था महज हमारी ही निगाहों में
चीखती चिड़िया का चेहरा और गिद्धों का चरित्र
फूल की पत्ती पे वह जो ओस है अक्स आंसू का
यह विम्ब बिखरें गे तो अखरेंगे अखबार बन जायेंगे
समेटोगे तो आंसू पलकों पे गुनगुनाएगे
सहेजोगे तो कविता कागजों पर शब्द बन कर वेदना का विस्तार नापेगी
वह जो घर पर आज सहमी सी खड़ी है छोटी बहन सी भावना मेरी
आसमान को देखती है एक चिड़िया सी
उसकी निगाहों में सिमटा आसमान शब्दों में समेटो तो नदी की मछलियाँ भी मुस्कुरायेंगी
पीढियां भी संवेदना की साक्षी बन कर तेरी कविता गुनगुनायेंगी
यह विम्ब बिखरेंगे तो अखरेंगे, अखबार बन जायेंगे
समेटोगे तो आंसू पलकों पे गुनगुनाएगे.
ये कविता मेरी है गर वेदना तेरी हो तो बताना तू भी मुझको
यह विम्ब बिखरें गे तो अखरेंगे अखबार बन जायेंगे
समेटोगे तो आंसू पलकों पे गुनगुनाएगे." ----राजीव चतुर्वेदी
समेटोगे तो आंसू पलकों पे गुनगुनाएगे ,
अमावस को तारे भी अवकाश में हैं
मुसाफिर सो गए हैं सोचते सुनसान से सच को
यह सच है कि सूरज डूबा था महज हमारी ही निगाहों में
चीखती चिड़िया का चेहरा और गिद्धों का चरित्र
फूल की पत्ती पे वह जो ओस है अक्स आंसू का
यह विम्ब बिखरें गे तो अखरेंगे अखबार बन जायेंगे
समेटोगे तो आंसू पलकों पे गुनगुनाएगे
सहेजोगे तो कविता कागजों पर शब्द बन कर वेदना का विस्तार नापेगी
वह जो घर पर आज सहमी सी खड़ी है छोटी बहन सी भावना मेरी
आसमान को देखती है एक चिड़िया सी
उसकी निगाहों में सिमटा आसमान शब्दों में समेटो तो नदी की मछलियाँ भी मुस्कुरायेंगी
पीढियां भी संवेदना की साक्षी बन कर तेरी कविता गुनगुनायेंगी
यह विम्ब बिखरेंगे तो अखरेंगे, अखबार बन जायेंगे
समेटोगे तो आंसू पलकों पे गुनगुनाएगे.
ये कविता मेरी है गर वेदना तेरी हो तो बताना तू भी मुझको
यह विम्ब बिखरें गे तो अखरेंगे अखबार बन जायेंगे
समेटोगे तो आंसू पलकों पे गुनगुनाएगे." ----राजीव चतुर्वेदी
इस बीच टूटता हुआ आदमी पूछता है एक ही सवाल
एक टूटते हुए इंसान में दरअसल सारा संसार ही टूटता है,
जाने कहाँ से इस बीच आड़े आजाती हैं भूमध्य, देशांतर और अक्षांश रेखाएं,
पर कुछ नहीं होता टूटता रहता है
सभ्यता की निहाई पर हथोडा चलता है सवाल बन कर
उगता रहता है सरेआम कोई सूरज भी रोज
मेरी कलेजा फाड़ कर निकली चीख सुन
मौसम भी बस करवट ही बदलता है
बदल जाता है साल दर साल कलेंडर का फड़फडाता पन्ना
इस बीच टूटता हुआ आदमी पूछता है एक ही सवाल
कब तक तोड़ोगे मुझे ?
और तोड़ो मुझे जितना तोड़ सकते हो उतना तोड़ो
टूटता हुआ आदमी और कर भी क्या सकता है
टूट रहा हूँ मैं , टूटने की इंतहा पर एक दिन
टूटते टूटते अणु बनूंगा, परमाणु बनूंगा
इससे ज्यादा तोड़ भी तो नहीं सकते हो तुम मुझे
अणु और परमाणु बनने के बाद
मैं तोड़ दूंगा इस तोड़ने वालों की दुनिया को
बस एक ...बस एक ही धमाके से
एक टूटते हुए इंसान में दरअसल सारा संसार ही टूटता है,
जाने कहाँ से इस बीच आड़े आजाती हैं भूमध्य, देशांतर और अक्षांश रेखाएं,"
-- राजीव चतुर्वेदी
जाने कहाँ से इस बीच आड़े आजाती हैं भूमध्य, देशांतर और अक्षांश रेखाएं,
पर कुछ नहीं होता टूटता रहता है
सभ्यता की निहाई पर हथोडा चलता है सवाल बन कर
उगता रहता है सरेआम कोई सूरज भी रोज
मेरी कलेजा फाड़ कर निकली चीख सुन
मौसम भी बस करवट ही बदलता है
बदल जाता है साल दर साल कलेंडर का फड़फडाता पन्ना
इस बीच टूटता हुआ आदमी पूछता है एक ही सवाल
कब तक तोड़ोगे मुझे ?
और तोड़ो मुझे जितना तोड़ सकते हो उतना तोड़ो
टूटता हुआ आदमी और कर भी क्या सकता है
टूट रहा हूँ मैं , टूटने की इंतहा पर एक दिन
टूटते टूटते अणु बनूंगा, परमाणु बनूंगा
इससे ज्यादा तोड़ भी तो नहीं सकते हो तुम मुझे
अणु और परमाणु बनने के बाद
मैं तोड़ दूंगा इस तोड़ने वालों की दुनिया को
बस एक ...बस एक ही धमाके से
एक टूटते हुए इंसान में दरअसल सारा संसार ही टूटता है,
जाने कहाँ से इस बीच आड़े आजाती हैं भूमध्य, देशांतर और अक्षांश रेखाएं,"
-- राजीव चतुर्वेदी
"रात के पहले पहर में
"रात के पहले पहर में
छत पे अकेले में वो मेरे साथ है
अर्थ जब कुछ व्यर्थ से ही हो चले हों
शब्द भी सहमे खड़े हों रास्ते में
संस्कारों के विकारों और प्रकारों से बहुत ही दूर
लोकलाजों के विवादों से इतना दूर कि मेरे पास है
उदासी के अँधेरे में वो पूरी रात मेरे साथ था, तुम क्या जानो
रात के पहले पहर में
छत पे अकेले में वो मेरे साथ है
वो तारा और मैं." ------राजीव चतुर्वेदी
छत पे अकेले में वो मेरे साथ है
अर्थ जब कुछ व्यर्थ से ही हो चले हों
शब्द भी सहमे खड़े हों रास्ते में
संस्कारों के विकारों और प्रकारों से बहुत ही दूर
लोकलाजों के विवादों से इतना दूर कि मेरे पास है
उदासी के अँधेरे में वो पूरी रात मेरे साथ था, तुम क्या जानो
रात के पहले पहर में
छत पे अकेले में वो मेरे साथ है
वो तारा और मैं." ------राजीव चतुर्वेदी
"प्यार के अक्षांश को आधार दे दो,
"प्यार के अक्षांश को आधार दे दो,
फिर न कहना
स्नेह का विस्तार जिन्दगी के कोण पर संघर्ष करता है
या गुजरते रास्तों से पूछ लेना
हमसफ़र का साथ मैं कैसे निभाऊं ?
और कह दो शाम के थकते से सूरज से
जिन्दगी के रोशनदान से अब यों न झांके
अब क्षितिज का छल मुझे निश्छल बना बैठा
और चन्दा छत की सीढ़ियों से उतर कर रोज आँगन में जो आता है
उसे भी स्नेह के विस्तार की सीमा बताता
वीतरागी अब क्षितिज के पार जा पहुंचा." --- राजीव चतुर्वेदी
फिर न कहना
स्नेह का विस्तार जिन्दगी के कोण पर संघर्ष करता है
या गुजरते रास्तों से पूछ लेना
हमसफ़र का साथ मैं कैसे निभाऊं ?
और कह दो शाम के थकते से सूरज से
जिन्दगी के रोशनदान से अब यों न झांके
अब क्षितिज का छल मुझे निश्छल बना बैठा
और चन्दा छत की सीढ़ियों से उतर कर रोज आँगन में जो आता है
उसे भी स्नेह के विस्तार की सीमा बताता
वीतरागी अब क्षितिज के पार जा पहुंचा." --- राजीव चतुर्वेदी
"चुप हैं चिडियाँ गिद्धों की आहट पा कर.
"चुप हैं चिडियाँ गिद्धों की आहट पा कर.
बस्ती भी चुप है सिद्धों की आहट पा कर
अंदर के सन्नाटे से सहमा हूँ मैं
पर बाहर शोर बहुत है
संगीत कभी सुन पाओ तो मुझको भी बतला देना, --कैसा लगता है ?
शब्द सहम से जाते हैं खामोशी से
बोले तो थे पहले फिर वह मौन हुए
साहित्यों की दुनिया मैं भी सन्नाटा तारी है
संस्कृतियाँ संकट में हैं यह भी कहते हैं लोग यहाँ
पर अभियुक्तों की आहट पा कर सच भी मौन हुया
इस चुप्पी को अब कौन कहाँ से तोडेगा ?
बोलो तुम अंतर्मन की आवाजों से
मैं भी चीखूँ अब खडा हुआ फुटपाथों से
चुप हैं चिडियाँ गिद्धों की आहट पा कर.
बस्ती भी चुप है सिद्धों की आहट पा कर
जन - गण भी चुप है सरकारी राहत पा कर
सच घायल है पर मौत नहीं उसकी होगी
चीखो तुम भी ...चीखूँ मैं भी
---यह आवाजें अब आसमान को छू लेंगी ." ---राजीव चतुर्वेदी
बस्ती भी चुप है सिद्धों की आहट पा कर
अंदर के सन्नाटे से सहमा हूँ मैं
पर बाहर शोर बहुत है
संगीत कभी सुन पाओ तो मुझको भी बतला देना, --कैसा लगता है ?
शब्द सहम से जाते हैं खामोशी से
बोले तो थे पहले फिर वह मौन हुए
साहित्यों की दुनिया मैं भी सन्नाटा तारी है
संस्कृतियाँ संकट में हैं यह भी कहते हैं लोग यहाँ
पर अभियुक्तों की आहट पा कर सच भी मौन हुया
इस चुप्पी को अब कौन कहाँ से तोडेगा ?
बोलो तुम अंतर्मन की आवाजों से
मैं भी चीखूँ अब खडा हुआ फुटपाथों से
चुप हैं चिडियाँ गिद्धों की आहट पा कर.
बस्ती भी चुप है सिद्धों की आहट पा कर
जन - गण भी चुप है सरकारी राहत पा कर
सच घायल है पर मौत नहीं उसकी होगी
चीखो तुम भी ...चीखूँ मैं भी
---यह आवाजें अब आसमान को छू लेंगी ." ---राजीव चतुर्वेदी
लोग कहते है
लोग कहते है
चाहत चाहे कोसों दूर हो ,,
चाहत तो चाहत होती है
दिल इधर दुखता है
तकलीफ उधर होती है ,,
कोई इसे प्यार का अहसास कहता है
तो कोई इसे विज्ञान में टेलीपैथी कहता है
शायद यह सच हो,,
लेकिन
आज में उदास था जब
मेरी चाहत ,,मेरा प्यार ,,मुझ से किये गए वायदे
सब झूंठ ,,सब झांसे साबित हुए
इधर में तड़पता रहा
इधर में उदासी की गहराइयों में था
उधर वोह अपनों के साथ खिलखिला रहे थे
न उन्हें मेरे दुःख की फ़िक्र
न उन्हें मेरे दर्द का अहसास
अगर दिल से दर्द का रिश्ता होना लोग कहते है
तो यह सच है
उनका मुझ से कोई रिश्ता नहीं
उन्हें मुझ से ज़रा भी प्यार नहीं
तभी तो
मेरे दर्द ,,मेरी उदासी ,,मेरी तड़पन का उन्हें
ज़रा भी अहसास नहीं
अब तो
उनका न दर्द का रिश्ता न प्यार का रिश्ता
बस एक अजनबी सा अहसास
एक भुला देने वाला सच
एक गुज़रा हुआ कल बन गया हूँ में ,,,,,,
चाहत चाहे कोसों दूर हो ,,
चाहत तो चाहत होती है
दिल इधर दुखता है
तकलीफ उधर होती है ,,
कोई इसे प्यार का अहसास कहता है
तो कोई इसे विज्ञान में टेलीपैथी कहता है
शायद यह सच हो,,
लेकिन
आज में उदास था जब
मेरी चाहत ,,मेरा प्यार ,,मुझ से किये गए वायदे
सब झूंठ ,,सब झांसे साबित हुए
इधर में तड़पता रहा
इधर में उदासी की गहराइयों में था
उधर वोह अपनों के साथ खिलखिला रहे थे
न उन्हें मेरे दुःख की फ़िक्र
न उन्हें मेरे दर्द का अहसास
अगर दिल से दर्द का रिश्ता होना लोग कहते है
तो यह सच है
उनका मुझ से कोई रिश्ता नहीं
उन्हें मुझ से ज़रा भी प्यार नहीं
तभी तो
मेरे दर्द ,,मेरी उदासी ,,मेरी तड़पन का उन्हें
ज़रा भी अहसास नहीं
अब तो
उनका न दर्द का रिश्ता न प्यार का रिश्ता
बस एक अजनबी सा अहसास
एक भुला देने वाला सच
एक गुज़रा हुआ कल बन गया हूँ में ,,,,,,
नाराज हुईं स्वराज, हैलीकॉप्टर से उतरीं और वापस बैठकर उड़ गईं।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज मंगलवार को शिवपुरी में
भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया की सभा को छोड़कर लौट गईं। दरअसल, जब वे
हैलीकॉप्टर से उतरीं, तब उन्हें वहां कोई लेने नहीं पहुंचा था।
भोपाल/शिवपुरी। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज मंगलवार को शिवपुरी में सभा को संबोधित करने के लिए हैलीकॉप्टर से हवाई पट्टी पहुंचीं। उन्हें लेने के लिए न तो कोई पार्टी का वाहन पहुंचा और न ही भाजपा के नेता। अनजाने में वे पुलिस स्कॉड वाहन में बैठ गईं। लेकिन जब सुषमा को पता चला कि उन्हें लेने के लिए कोई नेता तो दूर वाहन तक नहीं आया और जिसमें वो बैठी हैं, वो पुलिस का वाहन है, तो वे नाराज होकर वापस हैलीकॉप्टर पर चली गईं।
देर से पहुंचे भाजपा नेताओं की मिन्नतों व हाथ जोडऩे के बावजूद वे दुबारा नहीं उतरीं। इतना ही नहीं वे भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया को अहंकारी तक कह गईं। इधर सभा स्थल पर भाषण दे रहे स्थानीय नेताओं को जब सुषमा के आने व नाराज होकर वापस चले जाने की खबर मिली तो उनके चेहरे लटक गए।
सभास्थल का ऐसा रहा नजारा:
शहर के पुराने बस स्टैंड पर मंच तैयार था और कुर्सियां भी पूरी नहीं भर पाई थीं। लोकसभा चुनाव प्रभारी नरेंद्र बिरथरे सहित अन्य नेता मंच पर बैठे थे और हाल ही में भाजपा का दामन थामने वाले वीरेंद्र रघुवंशी भाषण देने के बीच में बार-बार कह रहे थे कि सुषमा जी आ गईं हैं और वो बहुत जल्दी हमारे बीच में आने वाली हैं। इसी बीच जब सुषमा स्वराज के वापस उडऩे की खबर मंच तक पहुंची, तो न केवल भाजपा नेताओं के चेहरे लटक गए, बल्कि भाषण देने वाले नेताजी का जोश भी ठंडा पड़ गया।
आप ही बताएं, कौन अहंकारी है: सिंधिया
भोपाल/शिवपुरी। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज मंगलवार को शिवपुरी में सभा को संबोधित करने के लिए हैलीकॉप्टर से हवाई पट्टी पहुंचीं। उन्हें लेने के लिए न तो कोई पार्टी का वाहन पहुंचा और न ही भाजपा के नेता। अनजाने में वे पुलिस स्कॉड वाहन में बैठ गईं। लेकिन जब सुषमा को पता चला कि उन्हें लेने के लिए कोई नेता तो दूर वाहन तक नहीं आया और जिसमें वो बैठी हैं, वो पुलिस का वाहन है, तो वे नाराज होकर वापस हैलीकॉप्टर पर चली गईं।
देर से पहुंचे भाजपा नेताओं की मिन्नतों व हाथ जोडऩे के बावजूद वे दुबारा नहीं उतरीं। इतना ही नहीं वे भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया को अहंकारी तक कह गईं। इधर सभा स्थल पर भाषण दे रहे स्थानीय नेताओं को जब सुषमा के आने व नाराज होकर वापस चले जाने की खबर मिली तो उनके चेहरे लटक गए।
सभास्थल का ऐसा रहा नजारा:
शहर के पुराने बस स्टैंड पर मंच तैयार था और कुर्सियां भी पूरी नहीं भर पाई थीं। लोकसभा चुनाव प्रभारी नरेंद्र बिरथरे सहित अन्य नेता मंच पर बैठे थे और हाल ही में भाजपा का दामन थामने वाले वीरेंद्र रघुवंशी भाषण देने के बीच में बार-बार कह रहे थे कि सुषमा जी आ गईं हैं और वो बहुत जल्दी हमारे बीच में आने वाली हैं। इसी बीच जब सुषमा स्वराज के वापस उडऩे की खबर मंच तक पहुंची, तो न केवल भाजपा नेताओं के चेहरे लटक गए, बल्कि भाषण देने वाले नेताजी का जोश भी ठंडा पड़ गया।
आप ही बताएं, कौन अहंकारी है: सिंधिया
दोपहर 3 बजे शहर के गांधी पार्क में सलमान खुर्शीद की सभा होने वाली
थी, इसलिए 20 मिनिट पहले लगभग 2.45 बजे कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य
सिंधिया हवाई पट्टी पर पहुंच गए। वहां जब उनसे सुषमा एपीसोड पर सवाल किया
तो उनका कहना था कि आप ही बताएं, कौन अहंकारी है। उनके कहने का अर्थ यह था
कि भाजपा नेता मुझे अहंकारी कहते रहे और उनकी पार्टी की ही नेता भाजपा
प्रत्याशी को अहंकारी कह गईं।
कुछ ऐसा रहा घटनाक्रम:
समय: 1.40 बजे
नजारा: हवाई पट्टी क्षेत्र में कुछ देर तक ऊंचाई पर सुषमा स्वराज का हैलीकॉप्टर उड़ता रहा।
समय: 1.45 बजे
नजारा: हैलीकॉप्टर नीचे उतरा, जिसमें सुषमा स्वराज व उनके साथ एक अन्य महिला नीचे उतरीं।
शहर के व्यापारी तरुण अग्रवाल ने अपने एक अन्य साथी के साथ पहुंचकर सुषमा स्वराज को माला पहनाई।
हैलीकॉप्टर के आसपास भाजपा का जब कोई चार पहिया वाहन नजर नहीं आया तो
देहात थाना टीआई संजीव तिवारी ने सुरक्षा में लगा पुलिस स्कॉड वाहन सुषमा
स्वराज के आगे लगा दिया।
समय: 1.50 बजे
नजारा: सुषमा स्वराज अपनी महिला साथी के साथ वाहन में बैठकर जब
हवाई पट्टी की सड़क तक पहुंची तो टीआई ने वाहन में लगा स्कॉड का पर्चा
फाड़ दिया।
तो ठनका सुषमा का माथा:
जब टीआई ने पर्चा फाड़ा तब सुषमा स्वराज का माथा ठनका। उन्होंने टीआई
से पूछा कि क्या हुआ? टीआई ने कहा कि मैडम यह पुलिस का वाहन है। इतना सुनते
ही सुषमा ने पूछा, तो क्या मुझे लेने कोई नेता नहीं आया, कोई वाहन नहीं
भेजा। इस पर टीआई चुप्पी साध गए। सुषमा स्वराज ने कहा कि गाड़ी वापस
हैलीकॉप्टर की तरफ ले चलो।
फिर हुई भाजपा नेताओं की एंट्री:
जब पुलिस स्कॉड वाहन को हैलीकॉप्टर की तरफ घुमाया जा रहा था, तभी
भाजपा के जिला महामंत्री ओमप्रकाश शर्मा गुरु व नगरपालिका अध्यक्ष रिशिका
अष्ठाना पहुंच गईं।
गुरु लटके, रिशिका दौड़ीं, फिर भी नहीं मानीं:
सुषमा स्वराज की नाराजगी को देख ओमी गुरु उनकी गाड़ी पर लटक कर दीदी
चलो, गलती हो गई, की मिन्नतें करते रहे। उधर रिशिका अष्ठाना गाड़ी के पीछे
दौड़ लगाती रहीं, लेकिन सुषमा स्वराज ने इसे अपमान बताते हुए उनकी एक नहीं
सुनी। इतना ही नहीं हैलीकॉप्टर में जब वे वापस बैठीं तो दोनों नेता हाथ
जोड़कर उनसे नीचे उतरने की गुहार लगाते रहे, लेकिन वो नहीं आईं।
जब पूछा प्रत्याशी तो साध गए चुप्पी:
सुषमा स्वराज ने ओमी गुरु व रिशिका से पूछा कि तुम्हारा प्रत्याशी
कहां है। तो वे चुप्पी साध गए। इस पर सुषमा ने कहा कि उन्हें इतना अहंकार
हो गया है कि वो मुझे लेने नहीं आए। मैं वापस जा रही हूं।
समय: 2.25 बजे
नजारा: इधर सुषमा स्वराज व भाजपा नेताओं के बीच अनुनय-विनय
चलता रहा, उधर पायलेट ने हवा में वापस उडऩे की कागजी प्रक्रिया मोबाइल पर
पूरी कर ली।2.30 बजे सुषमा बिना सभा लिए वापस उड़ गईं।
360 सीटों के नतीजे प्रभावित कर सकते हैं मुस्लिम, जानें कहां कितने हैं मुसलमान वोटर्स
भारतीय राजनीति और आम चुनावों के मद्देनजर देश में 10 राज्य ऐसे हैं,
जहां मुसलमान इस बार निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में दिख रहे हैं।
ये दस राज्य हैं, यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार, जम्मू-कश्मीर, असम, केरल,
महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश। इन राज्यों की 360
सीटों पर 12 करोड़ 50 लाख से अधिक मुसलमान वोटर कैंडिडेट्स की किस्मत का
फैसला करेंगे। इन 10 राज्यों में से 3 (यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार) में तो
देश के कुल मुसलमानों (15 करोड़ 25 लाख) की करीब पचास फीसदी
आबादी बसती है। मुस्लिम आबादी के मद्देनजर क्या है इन राज्यों में
आंकड़ों का गणित, डालते हैं एक नजर। सभी आंकड़े 2009-10 के नैशनल सैंपल
सर्वे और 2011 की जनगणना पर आधारित हैं।
मुसलमान ऐसे ही नहीं 'वोट बैंक'
राजनीतिक दल यह जानते हैं कि मुसलमानों के वोटों के बगैर भारतीय
राजनीति में दबदबा कायम रखना मुमकिन नहीं है। ऐसे में पार्टियों द्वारा
हमेशा से इस समुदाय को वोट बैंक की नजर से देखना कोई राज की बात नहीं रही
है। आम तौर पर यह माना जाता है कि मुसलमान किसी पार्टी या प्रत्याशी के
लिए एकमुश्त वोटिंग करते हैं। भारतीय राजनीति में गेमचेंजर की भूमिका
निभाने वाले इस समुदाय से जुड़े कुछ दिलचस्प आंकड़ों पर डालते हैं नजर :
15 करोड़ 25 लाख है मुसलमानों की कुल तादाद भारत में
12.6 प्रतिशत हिस्सेदारी है इस समुदाय की देश की कुल आबादी में
50 पर्सेंट मुसलमान रहते हैं सिर्फ तीन राज्यों (यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार) में
उत्तर प्रदेश
मुसलमानों की तादाद : 3 करोड़ 37 लाख
राज्य की आबादी में : 17%
लोकसभा सीट : 80
पश्चिम बंगाल
मुसलमानों की तादाद : 2 करोड़ 49 लाख
राज्य की आबादी में : 27%
लोकसभा सीट : 42
बिहार
मुसलमानों की तादाद : 1 करोड़ 56 लाख
राज्य की आबादी में : 15%
लोकसभा सीट : 40
मुस्लिम आबादी के हिसाब से सबसे ज्यादा अहमियत वाले राज्य
जम्मू-कश्मीर
मुसलमानों की तादाद : 70 लाख
राज्य की आबादी में : 56%
कुल लोकसभा सीट : 6
असम
मुसलमानों की तादाद : 1 करोड़
राज्य की आबादी में : 32%
कुल लोकसभा सीट : 1 4
पश्चिम बंगाल
मुसलमानों की तादाद : 2 करोड़ 49 लाख
राज्य की आबादी में : 27%
कुल लोकसभा सीट : 42
केरल
मुसलमानों की तादाद : 76 लाख
राज्य की आबादी में : 23%
कुल लोकसभा सीट : 20
यूपी
मुसलमानों की तादाद : 3 करोड़ 37 लाख
राज्य की आबादी में : 17%
कुल लोकसभा सीट : 80
महाराष्ट्र
मुसलमानों की तादाद : 1 करोड़ 6 लाख
राज्य की आबादी में : 9%
लोकसभा सीट : 48
तमिलनाडु
मुसलमानों की तादाद : 38 लाख
राज्य की आबादी में : 5%
लोकसभा सीट : 39
आंध्र प्रदेश
मुसलमानों की तादाद : 76 लाख
राज्य की आबादी में : 9%
लोकसभा सीट : 42
मध्य प्रदेश
मुसलमानों की तादाद : 43 लाख
राज्य की आबादी में : 6%
लोकसभा सीट : 29
पीएम की बेटी ने कहा- संजय बारू ने मेरे पिता की पीठ में छुरा घोंपा
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब से पीएम मनमोहन सिंह
का परिवार सख्त नाराज है। पीएम की बेटी उपिंदर सिंह ने कहा है कि संजय
बारू ने अनैतिक और विश्वासघात का काम किया है। उन्होंने कहा, 'यह कुछ और
नहीं बल्कि पीठ में छुरा घोंपने जैसा है। बारू ने मेरे पिता के साथ बड़ा
विश्वासघात किया है और यह शरारतपूर्ण और अनैतिक है।' पीएम मनमोहन सिंह की
बेटी के मुताबिक संजय बारू ने कहा था कि किताब का प्रकाशन चुनाव के बाद
होगा लेकिन उन्होंने अपना वादा नहीं निभाया। अपनी किताब ‘द एक्सिडेंटल
प्राइम मिनिस्टर- द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ में बारू ने दावा
किया है कि पीएम की महत्वपूर्ण फाइलों पर सोनिया गांधी से निर्देश लिए जाते
थे। उपिंदर सिंह के अतिरिक्त प्रियंका गांधी ने भी किताब पर सवाल उठाए
हैं। प्रियंका ने संजय बारू और पीसी पारख की किताबों में पीएम को कमजोर
बताने के मुद्दे पर सख्त ऐतराज जताया है।
गप्पबाजी और अपुष्ट कथनों को एक साथ जोड़ने का लगाया आरोप
दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करने वालीं उपिंदर सिंह ने
कहा कि बारू ने गप्पबाजी और अपुष्ट कथनों को एक साथ जोड़ दिया है, जिनमें
से कुछ उनके पिता के बारे में हैं और उन्हें तथ्यों के बयान के रूप में
इस्तेमाल किया है। द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने
प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार की किताब को बाजार में लाए जाने के
समय पर भी सवाल उठाया है जो आम चुनाव के दौरान बाजार में आई है। इस किताब
के चलते प्रधानमंत्री कार्यालय और सत्तारूढ़ कांग्रेस को काफी शर्मिन्दगी
का सामना करना पड़ा है। उपिंदर सिंह ने कहा कि इसे सार्थक किताब नहीं कहा
जा सकता।
गांधी कुनबे में छिड़ी जुबानी जंग: प्रियंका ने वरुण गांधी को बताया गद्दार
नई दिल्ली. बीजेपी के महासचिव वरुण गांधी और उनकी चचेरी बहन प्रियंका गांधी
के बीच जुबानी जंग छिड़ चुकी है। मंगलवार को सुल्तानपुर में पर्चा दाखिल
करने के बाद वरुण ने प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम लिए बिना उनकी बात का
जोरदार जवाब दिया। वरुण ने कहा, 'दस वर्ष की राजनीति में हमने कभी शालीनता
की लक्ष्मण रेखा नहीं पार की। मर्यादित राजनीति हमारा प्रयास रहा है।
दूसरों के सम्मान में ही अपना सम्मान हम समझते हैं। इन दिनों कुछ ऐसी बातें
सुनने में आई हैं। उस पर मैं इतना कहना चाहूंगा कोई भी मेरी शालीनता और
उदारता को कमजोरी न समझे।'
वरुण के इस पर प्रियंका का भी जवाब आते देर नहीं लगी। प्रियंका ने
अमेठी में प्रचार के दौरान वरुण के ताजे बयान पर कहा, 'यह परिवार की चाय
पार्टी नहीं बल्कि विचारधारा की लड़ाई है। इसका कोई मतलब नहीं है कि किसी
से मेरा खून का रिश्ता है। यदि कोई विचारधारा की रेखा पार करेगा तो मेरा
मानना है कि वह मेरे परिवार के साथ विश्वासघात कर रहा है।' प्रियंका ने आगे
कहा, 'मैं भाई का प्रचार करने नहीं आई हूं बल्कि विचारधारा की लड़ाई लड़ने
आई हूं। मेरे पिता ने देश के लिए जान दे दी। यदि मेरे पिता की शहादत को
मेरा बेटा भी नकारेगा तो नहीं छोड़ूंगी। वरुण ने जो किया वह विश्वासघात
है।'
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