देश में लोकसभा की पांच सो चव्वालीस सीटों के लिए हो रहे चुनाव में पार्टियों के प्रत्याक्षी चयन को लेकर मुस्लिम मतदाता जो क़रीब तीन सो से भी अधिक सीटों को प्रभावित करते है वोह असमंजस में है ,,,,,,,,,,,मुस्लिम वोटर के लिए एक तरफ राजस्थान के गोपालगढ़ के क़ातिल है ,,,,मुसलमानो को टाडा ,,पोटा में गिरफ्तारी का डर बताकर देश में उनकी छवि आतंकवादी की छवि बनाने वाली पार्टी कांग्रेस है तो दूसरी तरफ गुजरात की क़ातिल भाजपा है ,,इस पर तुर्रा यह है के दोनों सियासी पार्टियों के प्रचारकों में इस बार मुस्लिम धर्मगुरु ,,,कठमुल्ला रिश्वत लेकर अपंने ईमान ,,मज़हब और शरीयत का सोदा कर कुफ्र का अपराध करने वाले मोलवी मौलाना इनके प्रचारक इन पार्टियों को वोट देने के सिफारिशी बने है ,,,,,इस मामले में एक जगह सियासी चर्चा चल रही थी कांग्रेस के लोग वोटर्स को नरेंदर मोदी के कुख्यात चेहरे का डर बताकर कांग्रेस में वोट डालने की बात कर रहे थे ,,,एक निष्पक्ष मुस्लिम वोटर कोंग्रेसियों से उलझ गया ,,उसका कहना था के चलो नरेंदर मोदी के डर और खौफ के अलावा कोई एक ऐसा कारण गिनाओ जो मुलमान कांग्रेस के पक्ष में वोट डालें ,,आप कहते हो मुसलमानों के सामने मोदी के चेहरे के खिलाफ कांग्रेस को वोट देने के आलावा कोई दुसरा विकल्प नहीं है ,,तो बताइये कांग्रेस ने ऐसा क्या कर दिखाया जो मोदी नहीं चाहता ,,,,,,,,,,,,,थोड़ी बहस के बाद निष्पक्ष बहस करता कांग्रेस के गुलाम मुसलमानो से उलझ गया उसने सीधे सवाल दागे और कहा के मोदी या उनकी पार्टी भाजपा को हम वोट नहीं देते इसलिए उनसे तो हमे मदद मांगे का हक़ भी नहीं है कांग्रेस को हम 99 प्रतीशत वोट डालते है ऐसे में कांग्रेस हमारे कंधों पर शासन में आती है तो उसे हमारा ख्याल रखना होगा ,,लेकिन हम पूंछना चाहते है के क्या राजस्थान के गोपालगढ़ ,,,टोंक में मुसलमानो के ऊपर मस्जिद में घुस कर गोलिया चलाकर उनका क़त्ले आम करने के लिए कांग्रेस सरकार को नरेंदर मोदी या उसकी पार्टी ने उकसाया था ,,,हम पूंछना चाहते है के पुरे दस साल मुसलमानो के वोट के दम पर सरकार के मज़े लिए है तब क्या मुसलमानो को रोज़गार देने के लिए नरेंदर मोदी ने कांग्रेस सरकार को इंकार क्या था ,,,,हम पूंछना चाहते है मुसलमानो को आरक्षण देने ,,रंघनाथ मिश्र और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट लागु करने से क्या नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को इनकार क्या था ,,हम पूंछना चाहते है के क्या कांग्रेस को थोक में वोट देने वाले मुसलमानो के कल्याण के लिए चलाये जा रहे पन्द्राह सूत्रीय कार्यक्रम की किर्यान्विति करने के लिए नरेदनार मोदी ने कहा था ,हम पूंछना चाहते है के मदरसा बोर्ड में गैरमुस्लिमों को मुस्लिमों का हक़ मारकर नियुक्त करने ,,वक़्फ़ की सप्पत्ति मस्जिद और मज़ार बेचने के लिए क्या नरेंदर मोदी ने कहा था ,,,,,,,,,हम पूंछना चाहते है के मुसलमानो को राजयसभा में लेने ,,,सियासत में भागीदार बनाने ,,विधानसभा में लोकसभा में टिकिट देने ,,,राजकीय नियुक्तियों में मुसलमानो को नियुक्त करने से क्या नरेंदर मोदी ने कांग्रेस को रोका था ऐसे कई सवाल है जो आज तन्ख़य्या गुलाम बिकाऊ मुसलमान ,,मौलानाओं को छोड़कर सभी मुसलमानो के दिल और दिमाग में है ,,,इसीलिए इस बार कांग्रेस जो मुस्लिमों की डंके की चोट पर उपेक्षा करती आई है इस बार इसी कांग्रेस की मुसलमान खुलकर चुनावों में घोर उपेक्षा कर रहे है जबकि इन हालातों से जूझ रही कांग्रेस ने कई करोड़ रूपये की डील मौलानाओं को खरीद कर की है और यही वजह है के जिन मोलानोें का कम मस्जिदों में नमाज़ पढ़ाना खुद के अलावा किसी से ना डरने का पाठ पढ़ाने का है वही मौलाना रिश्वतर के बदले बिकने के बाद मोदी का डर बताकर कांग्रेस के पक्ष में वोट डालने की अपील कर रहे है लेकिन मुसलमान समझ चूका है के उसकी बर्बादी का सबब मोदी या भाजपा नहीं सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस है ,,इसीलिए तो अब कंग्रेस को ढूंढते रह जाओगे जनाब ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 अप्रैल 2014
माओवादियों ने उड़ाई पटरी, CRPF वाहन भी उड़ाया, मिले कई बम
रांची/ रामगढ़। झारखंड में गुरुवार को छह संसदीय क्षेत्रों में
मतदान के दौरान प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने कई जगहों पर
हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया। नक्सलियों ने बोकारो जिले के गोमिया थाना
क्षेत्र में सीआरपीएफ़ के एक वाहन को उड़ा दिया जिसमें तीन जवान गंभीर रूप से
घायल हो गए हैं। घायलों का इलाज रांची स्थित अपोलो अस्पताल में किया जा
रहा है।
वहीं, नक्सलियों ने रांची से सटे रामगढ़ जिले के बरकाकाना-गोमो रेल खंड के बीच जगेश्वर व दनिया स्टेशन के बीच भुसडिया (तिलैया) में पटरी उड़ा दी है। नक्सलियों ने दनिया स्टेशन से जगेश्वर स्टेशन की ओर दो सौ मीटर की दूरी पर पोल संख्या 67/18 पर लैंड माइंस लगाकर करीब तीन मीटर तक ट्रैक उड़ा दिया। इस विस्फोट में 15 मीटर लंबी ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गई है। बड़े विस्फोट की आवाज सुनते ही दनिया स्टेशन मास्टर सुरेश सिंह ने तत्काल बरकाकाना इंचार्ज को सूचना दी तब जाकर ट्रैक मरम्मत का काम शुरू हुआ।
तीस सेकेंड देर हुई होती तो ट्रेन के उड़ जाते परखच्चे
माओवादियों के निशाने पर बरकाकाना-गोमो पैसेंजर ट्रेन थी। जिस रफ्तार से ट्रेन आज सुबह दनिया स्टेशन पर पहुंचने वाली थी उसी समय दनिया स्टेशन से पहले पोल संख्या 67/18 पर नक्सली ट्रैक के नीचे दो बड़े केन बम लगाकर ट्रेन आने का इंतजार कर रहे थे। नक्सली दस्ते ने ट्रेन को आते देख विस्फोट कर दिया। विस्फोट होते ही ट्रेन के लिए बने बिजली खंभे में लगा हाई वोल्टेज तार टूट गया, जिससे बजे ट्रेन की गति कम हो गई। विस्फोट स्थल तक पहुंचने से 50 मीटर पहले ही ट्रेन चलते-चलते रुक गई। बरकाकाना-गोमो पैसेंजर ट्रेन में बैठे पैसेंजर बाल-बाल बच गये।
मौत के मुहाने पर आकर खुली नींद
पैसेंजर ट्रेन की बोगी में बैठे यात्री बसंती देवी, अनिता देवी, शमा परवीन, मो. नसीम, अभय कुमार, रेखा देवी ने बताया कि सुबह अंधेरा था। ट्रेन धीरे-धीरे चल रही थी। अचानक एक बडे धमाके की आवाज सुनाई दी। ट्रेन झटके में रुक गई। सभी बोगी में बैठे लोग शोर मचाते हुए नीचे उतरने लगे। नीचे उतर कर यात्रियों ने देखा तो पटरी टूटी पड़ी थी, पटरी के दोनों तरफ घने जंगल के बीच ट्रेन रुकी हुई है। ट्रेन के चालक ने उनको ढांढ़स बंधाते हुए कहा कि ऊपर वाले का शुक्र है। हम सभी सुरक्षित हैं। लोगों ने अपनी नई जिंदगी के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया।
वहीं, नक्सलियों ने रांची से सटे रामगढ़ जिले के बरकाकाना-गोमो रेल खंड के बीच जगेश्वर व दनिया स्टेशन के बीच भुसडिया (तिलैया) में पटरी उड़ा दी है। नक्सलियों ने दनिया स्टेशन से जगेश्वर स्टेशन की ओर दो सौ मीटर की दूरी पर पोल संख्या 67/18 पर लैंड माइंस लगाकर करीब तीन मीटर तक ट्रैक उड़ा दिया। इस विस्फोट में 15 मीटर लंबी ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गई है। बड़े विस्फोट की आवाज सुनते ही दनिया स्टेशन मास्टर सुरेश सिंह ने तत्काल बरकाकाना इंचार्ज को सूचना दी तब जाकर ट्रैक मरम्मत का काम शुरू हुआ।
तीस सेकेंड देर हुई होती तो ट्रेन के उड़ जाते परखच्चे
माओवादियों के निशाने पर बरकाकाना-गोमो पैसेंजर ट्रेन थी। जिस रफ्तार से ट्रेन आज सुबह दनिया स्टेशन पर पहुंचने वाली थी उसी समय दनिया स्टेशन से पहले पोल संख्या 67/18 पर नक्सली ट्रैक के नीचे दो बड़े केन बम लगाकर ट्रेन आने का इंतजार कर रहे थे। नक्सली दस्ते ने ट्रेन को आते देख विस्फोट कर दिया। विस्फोट होते ही ट्रेन के लिए बने बिजली खंभे में लगा हाई वोल्टेज तार टूट गया, जिससे बजे ट्रेन की गति कम हो गई। विस्फोट स्थल तक पहुंचने से 50 मीटर पहले ही ट्रेन चलते-चलते रुक गई। बरकाकाना-गोमो पैसेंजर ट्रेन में बैठे पैसेंजर बाल-बाल बच गये।
मौत के मुहाने पर आकर खुली नींद
पैसेंजर ट्रेन की बोगी में बैठे यात्री बसंती देवी, अनिता देवी, शमा परवीन, मो. नसीम, अभय कुमार, रेखा देवी ने बताया कि सुबह अंधेरा था। ट्रेन धीरे-धीरे चल रही थी। अचानक एक बडे धमाके की आवाज सुनाई दी। ट्रेन झटके में रुक गई। सभी बोगी में बैठे लोग शोर मचाते हुए नीचे उतरने लगे। नीचे उतर कर यात्रियों ने देखा तो पटरी टूटी पड़ी थी, पटरी के दोनों तरफ घने जंगल के बीच ट्रेन रुकी हुई है। ट्रेन के चालक ने उनको ढांढ़स बंधाते हुए कहा कि ऊपर वाले का शुक्र है। हम सभी सुरक्षित हैं। लोगों ने अपनी नई जिंदगी के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया।
इसी बीच गिरिडीह में नक्सलियों ने बम ब्लास्ट कर दहशत फैला दी।
गिरिडीह जिले के एसपी क्रांति कुमार ने घटना की पुष्टि की है। हालांकि,
किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
बोकारो में पुलिस व नक्सलियों के बीच मुठभेड़
बोकारो जिले के लुगूघाटी इलाके में नक्सलियों और पुलिस के बीच मुठभेड़
हो गयी। एसपी जितेंद्र कुमार ने इसकी पुष्टि की है। बम ब्लास्ट में घायल
सीआरपीएफ जवानों को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसके
बाद उन्हें रांची के अपोलो अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए भेजा गया है।
वहीं घाटशिला के गालूडीह थानांतर्गत नरसिंहपुुर में एक मतदान
केंद्र में संदिग्ध बोरे मिले हैं। और चाइबासा में केन बमों को पुलिस ने
बरामद किया है।
ईरान: सरेआम हत्यारे को मारा थप्पड़, फिर फांसी के फंदे से खुद किया आजाद
तेहरान। हत्यारा अपनी जिंदगी की आखिरी सांसें ले रहा था। फांसी
का फंदा गले में था। लेकिन फिर एक चमत्कार हुआ। फांसी पर लटके हत्यारे की
सजा पीड़ित की मां ने माफ कर दी। यह घटना है ईरान के रोयान कस्बे की।
हत्या के जुर्म में व्यक्ति को मौत की सजा दी जा रही थी। फांसी से
बचने के लिए हत्यारे के पास पीड़ित परिवार की माफी ही काम आ सकती थी। सजा
देने के कुछ मिनटों में ही पीड़ित परिवार ने हत्यारे को माफ कर दिया।
पीड़ित की मां ने हत्यारे को पहले एक कसकर थप्पड़ मारा और उसके बाद उसके
गले से फंदा निकाला। पीड़ित के परिवार ने फंदा निकालने में मदद की।
हत्यारे की मां ने जान बख्शने वाली मां के पास जाकर शुक्रिया अदा
किया। उसने अपने बेटे के किए के लिए माफी भी मांगी। बलाल नामक इस हत्यारे
ने 18 वर्षीय लड़के की हत्या सड़क पर हुए झगड़े में चाकू मारकर कर दी थी।
सात साल पुराने मामले में हत्यारे को मौत की सजा सुनाई गई थी।पीड़ित के पिता अब्दुलघानी हौसेनजेद्दाह ने बताया कि उनकी पत्नी ने हत्यारे
को इसलिए माफ किया, क्योंकि उन्हें सपने में मृत बेटा दिखाई दिया था।
उन्होंने बताया कि तीन दिन पहले पत्नी ने अपने सपने के बारे में बताया कि
उनका बेटा काफी खुश लग रहा था। उन्होंने सोचा कि बदले के लिए हत्यारे को
मौत की सजा नहीं देनी चाहिए। बहुत सोचने के बाद माफी देने का फैसला किया
गया।
इससे पहले महिला का एक और बेटा बाइक हादसे में जान गंवा चुका था। होसेनजेद्दाह ने बताया कि उनकी पत्नी ने हत्यारे को माफ करके बड़ी ही हिम्मत का काम किया है। होसेनजेद्दाह के मुताबिक, उन्हें विश्वास है कि बलाल उनके बेटे को मारना नहीं चाहता था। शायद उनका बेटा ज्यादा आक्रामक हो गया था और उसके मोजे से चाकू भी निकाला था। बलाल चाकू चलाना नहीं जानता था। इसलिए गलती से उनके बेटे की हत्या हो गई। शरिया कानून में पीड़ित परिवार के लोगों को हत्यारे की मौत सजा माफ करने का अधिकार होता है, लेकिन जेल की सजा माफ नहीं कर सकते।एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, बीते साल ईरान में मौत की सजा देने की दर 15 फीसदी बढ़ी है। आंकड़ों के मुताबिक, बीते साल 369 लोगों को मौत की सजा दी गई। जबकि इस साल फरवरी तक आंकड़ा 100 के पास पहुंच चुका है।
इससे पहले महिला का एक और बेटा बाइक हादसे में जान गंवा चुका था। होसेनजेद्दाह ने बताया कि उनकी पत्नी ने हत्यारे को माफ करके बड़ी ही हिम्मत का काम किया है। होसेनजेद्दाह के मुताबिक, उन्हें विश्वास है कि बलाल उनके बेटे को मारना नहीं चाहता था। शायद उनका बेटा ज्यादा आक्रामक हो गया था और उसके मोजे से चाकू भी निकाला था। बलाल चाकू चलाना नहीं जानता था। इसलिए गलती से उनके बेटे की हत्या हो गई। शरिया कानून में पीड़ित परिवार के लोगों को हत्यारे की मौत सजा माफ करने का अधिकार होता है, लेकिन जेल की सजा माफ नहीं कर सकते।एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, बीते साल ईरान में मौत की सजा देने की दर 15 फीसदी बढ़ी है। आंकड़ों के मुताबिक, बीते साल 369 लोगों को मौत की सजा दी गई। जबकि इस साल फरवरी तक आंकड़ा 100 के पास पहुंच चुका है।
काशी में केजरीवाल ने जनता से की भावनात्मक अपील- भगोड़ा मत कहिए मुझे
नई दिल्ली. क्या आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी पूरी तरह अहसास हो गया है कि वह अपनी इमेज की समस्या से जूझ रहे हैं? कम से कम वाराणसी की जनता से की गई उनकी अपील से तो ऐसा ही लगता है। वाराणसी में लोगों को संबोधित करते हुए केजरीवाल
ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की वजह से उनको
भगोड़ा कहना ठीक नहीं है। गौरतलब है कि इससे पहले केजरीवाल खुद ही स्वीकार
कर चुके हैं कि इस्तीफा देने का उनका फैसला पूरी तरह ठीक नहीं था और
सत्ता छोड़ने से पहले उन्हें लोगों की राय लेनी चाहिए थी। पद छोड़ने के
बाद से ही केजरीवाल की चौतरफा निंदा हो रही है और लोग उन्हें भगोड़ा कह
रहे हैं।
केजरीवाल ने वाराणसी में कहा, 'पद छोड़ने से पहले हमें लोगों से सलाह
लेनी चाहिए थी। वह हमारी गलती थी। चुनाव के बाद सरकार बनाने से पहले हमने
लोगों से राय ली थी, इसलिए पद छोड़ने से पहले भी अगर हम लोगों से राय लेते
तो वह ज्यादा अच्छा होता। लेकिन पोस्टरों के जरिए मुझे भगोड़ा कहना कहीं
से ठीक नहीं है। इस पोस्टरों को बीजेपी की तरफ से लगाया गया था। मैं अब यहां आ गया हूं और भाजपा और कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ाऊंगा।'
मजाक उड़ाने वाले पोस्टरों से हुआ था केजरीवाल का बनारस में स्वागत
नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्कर देने की खातिर अरविंद केजरीवाल
जब वाराणसी में डेरा जमाने पहुंचे थे तो उनका स्वागत खास अंदाज में हुआ
था। शहर में उनका मजाक उड़ाने वाले कई पोस्टर लगे हुए थे, जिन पर दिल्ली
के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के उनके फैसले पर निशाना साधा गया था।
इनमें कहा गया कि देखो-देखो दिल्ली का भगोड़ा आया। केजरीवाल दिल्ली से
सोमवार को शिवगंगा एक्सप्रेस से वाराणसी के लिए रवाना हुए थे और मंगलवार
सुबह पहुंचे थे।
केजरीवाल की अपील पर 'आप' को मिला 80 लाख का चंदा
आम आदमी पार्टी के लिए चंदा जुटाने के मामले में अरविंद केजरीवाल
का असर एक बार फिर दिखा है। चंदा देने की अपील करने वाले केजरीवाल के एक
ट्वीट पर लोगों ने पार्टी को 24 घंटे के भीतर 80 लाख रुपए दिए। दरअसल,
वाराणसी पहुंचने के बाद केजरीवाल ने ट्वीट किया था, वाराणसी पहुंच गया। 20
को अमेठी जाऊंगा। मोदी और राहुल से लड़ने की खातिर ईमानदारी के पैसे की
जरूरत होगी। अगर आप मुझे चंदा देना चाहते हैं तो मैसेज कीजिए। उनके इसी
ट्वीट का जबर्दस्त असर हुआ और पार्टी को तगड़ा चंदा मिला।
चंदे के तौर पर मिले 80 लाख रुपए में से 16 लाख रुपए सिर्फ उत्तर
प्रदेश से मिले हैं। इसमें 2 लाख 10 हजार रुपए अमेठी से और ढाई लाख रुपए
वाराणसी से मिले हैं। पार्टी को बतौर चंदा जो न्यूनतम रकम मिली है वह एक
रुपया है तो अधिकतम रकम के तौर पर 50 लाख रुपया मिला है। चंदा देने वालों
में ज्यादातर दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान
से हैं। विदेश से चंदा देने वालों में यूएई, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के
लोग हैं।
पैसे की कमी से 'आप' के कैंडिडेट्स भी पड़ गए सुस्त
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में करीब 19 करोड़ रुपए खर्च
किए थे। पार्टी की योजना थी कि लोकसभा चुनाव में 300 सीटों पर चुनाव लड़ने
के लिए करीब 300 करोड़ रुपए जुटाए जाए, लेकिन वह अपने लक्ष्य तक नहीं
पहुंच पाई। लोकसभा चुनावों में 'आप' कैंडिडेट्स की संख्या 400 के पार पहुंच
गई है। इसके बाद पार्टी ने अपना फंड जुटाने का लक्ष्य घटाकर 100 करोड़
रुपए किया, लेकिन पार्टी यहां तक भी नहीं पहुंच पाई है। दिल्ली चुनाव के
बाद से अब तक पार्टी को करीब 28 करोड़ रुपए का फंड मिला है।
कैंडिडेट्स भी पड़ गए सुस्त
माना जा रहा है कि फंड की कमी के चलते ही फर्रुखाबाद, एटा, आगरा और
अजमेर के उम्मीदवारों ने मैदान छोड़ा है। उम्मीदवारों का कहना था कि पार्टी
से कुछ मदद नहीं मिल रही है।
फंड इस्तेमाल के तरीके पर सवाल
पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य इलियास आजमी का कहना है
कि फंड का कैसे इस्तेमाल होना है, इस पर किसी की राय नहीं ली जा रही है।
बस एक-दो लोग ही सब तय कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के कैंडिडेट्स
को पार्टी ने मदद की, लेकिन यूपी के ज्यादातर कैंडिडेट्स को पांच रुपए भी
नहीं दिए जा रहे हैं। ऐसे में प्रचार कैसे हो सकता है और बिना प्रचार के
जीत की उम्मीद करना बेमायने है।
घाटों का शहर कहे जाने वाले वाराणसी में 12 मई को मतदान होना है। यानी पार्टी के पास अभी प्रचार के लिए काफी समय है। केजरीवाल
22 अप्रैल को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। आम आदमी पार्टी बनारस में
भी दिल्ली के तर्ज पर प्रचार करेगी। पार्टी डोर-टू-डोर कैंपेन, रोड शो और
जनसभाओं के जरिए समर्थन जुटाएगी। स्वयंसेवकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे
सीधे तौर पर स्थानीय लोगों से संपर्क बनाएं। मतदाताओं को समूहों के आधार पर
बांटकर प्रचार करें, जैसे बुनकरों के लिए अलग से, रेहड़ी-पटरी वालों के
लिए अलग से प्रचार योजना बनाकर काम करें। बनारस की चार विधानसभा सीटों को
बांटकर विशेष रणनीति के तहत प्रचार करें।
पत्नी के मामले में कहां गई नैतिकता? मोदी के बाद रामविलास पर भी सवाल
नई दिल्ली. बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी जहां हलफनामे में अपनी पत्नी का नाम बताने
) के बाद से विरोधियों के निशाने पर हैं, वहीं लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया रामविलास
पासवान पहली पत्नी का नाम छुपाने के चलते विवादों में घिरे हैं। दो
शादियां कर चुके रामविलास पर आरोप है कि उन्होंने पहली पत्नी को तलाक दिए
बिना ही रीना पासवान से दूसरी शादी कर ली और अब उनकी खोज-खबर भी नहीं रखते।
अब इस मसले पर चुनावी मौसम में विरोधियों
ने उन पर हमला बोल दिया है और कहा है कि जो रामविलास पासवान कई मुद्दों पर
नैतिकता की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, उन्हें अपने पतिधर्म का भी पालन
करना चाहिए। हालांकि, इस मामले पर सफाई देते हुए रामविलास ने कहा है कि वह
पिछले 30 साल से पहली पत्नी से अलग रह रहे हैं और 1980 के बाद से ही चुनाव
के समय उनका नाम नहीं दे रहे हैं। पासवान का कहना है कि इस बार भी
उन्होंने यही किया है।
कौन हैं रामविलास की पहली पत्नी?
रामविलास की पहली पत्नी का नाम राजकुमारी देवी है। राजकुमारी देवी से
रामविलास पासवान को दो बेटियां भी हैं। इन दोनों की शादी हो चुकी है।
रामविलास ने अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना ही पंजाब निवासी रीना पासवान
से दूसरी शादी कर ली थी। इस वक्त रामविलास की राजनीतिक विरासत संभाल रहे
चिराग पासवान रीना के ही बेटे हैं। जानने वालों का कहना है कि रामविलास की
पहली पत्नी राजकुमारी देवी खगड़िया जिला के शहरबन्नी स्थित अपने घर में रह
रही हैं। लोगों से उनसे मिलने पर रोक लगी हुई है। बहरहाल उनकी पहली पत्नी
राजकुमारी देवी का अलौली विधानसभा क्षेत्र के भाग संख्या-5 के मतदाता सूची
के क्रमांक 606 में और 607 में रीना पासवान का नाम रामविलास पासवान की
पत्नी के रुप में दर्ज है।
गौरतलब है कि रामविलास की ओर से लोकसभा या राज्यसभा चुनाव के लिए अब
तक जितनी बार भी शपथ पत्र दायर किए गए हैं उनमें कभी भी राजकुमारी देवी के
नाम की चर्चा नहीं की गई है। रामविलास पासवान की ओर से हर बार रीना पासवान
और चिराग पासवान के ही नाम का जिक्र किया गया है।
विरोधियों ने बोला रामविलास पर हमला
इस मामले पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने रामविलास पासवान पर हमला बोला है। सिंह ने कहा, 'नरेंद्र मोदी
ने लोकसभा चुनाव में पर्चा दाखिल करते समय अपनी पत्नी के नाम का जिक्र
करके देश के सामने उदाहरण पेश किया है। लोजपा अध्यक्ष रामविलास को भी इसका
पालन करना चाहिए। उन्हें सच को स्वीकार करना चाहिए। गोधरा कांड के समय तो
पासवान ने नैतिकता की बड़ी-बड़ी बातें की थीं। यहां तक कि पाकिस्तान जाकर
भी उन्होंने अपना परिचय उस शख्स के रूप में दिया था जिसने गोधरा कांड की
वजह से इस्तीफा दे दिया था। फिर वह पत्नी के मामले में नैतिकता का पालन
क्यों नहीं कर रहे।'
उधर, भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि अगर रामविलास पासवान
की पहली पत्नी हैं तो उन्हें स्वीकार करना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करते
हैं तो यह ठीक नहीं है। कुणाल ने कहा कि पूरा मामला क्या है, यह तो
रामविलास ही बता सकते हैं।मूलत: पंजाब की हैं रीना
रीना पासवान का वास्तविक नाम रीना शर्मा है। रीना मूल रूप से पंजाब की हैं और उनका जन्म अमृतसर के पंजाबी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। रामविलास पासवान से उनका प्रेम विवाह बताया जाता है। शादी होने से पहले वह नौकरी करती थीं, लेकिन शादी के बाद उन्होंने हाउस वाइफ की जिम्मेदारी संभाल ली।
रीना पासवान का वास्तविक नाम रीना शर्मा है। रीना मूल रूप से पंजाब की हैं और उनका जन्म अमृतसर के पंजाबी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। रामविलास पासवान से उनका प्रेम विवाह बताया जाता है। शादी होने से पहले वह नौकरी करती थीं, लेकिन शादी के बाद उन्होंने हाउस वाइफ की जिम्मेदारी संभाल ली।
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