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09 मई 2014

चीनी एयरफोर्स ने बनाई बंदरों की बटालियन, ऐसे दे रहे हैं कड़ी ट्रेनिंग



बीजिंग। त्रेता युग में लंका पर विजय प्राप्ति में भगवान श्रीराम की सेना रह चुके बंदरों पर अब चीन को भी भरोसा हो चला है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बीजिंग के समीपवर्ती एक वायु सैनिक अड्डे की रक्षा में मदद के लिए बंदरों के एक दल को प्रशिक्षित किया है। ये प्रशिक्षित बंदर उड़ानों के लिए खतरा साबित हो रहे पक्षियों के झुंड का ध्यान रखेंगे। 
 
चीन की एअर फोर्स न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, बंदरों के इस बटालियन को नजदीक के पेड़ों पर चिडिय़ों के घोंसलों को नष्ट करने और विमानों के उड़ान भरने और उतरने के दौरान चिडिय़ों को भगाने का प्रशिक्षण दिया गया है। इस अड्डे की सटीक जगह का खुलासा नहीं किया गया है। 
 
इस अड्डे पर चिडिय़ों की समस्या से निपटने के लिए हर तरीका आजमाया गया। पटाखे से लेकर हौवा से डराने तक और यहां तक कि आग्नेयास्त्र का भी प्रयोग किया गया लेकिन ये सभी तरीके बंदरों के जितने प्रभावी साबित नहीं हो सके। चीन के सैनिक दायरे में बंदरों को अब मजाक में चीनी सेना का नया गुप्त हथियार कहा जा रहा है। चीन जासूसी पक्षियों को भी प्रशिक्षित कर रहा है।

1 हजार में बिका वोट, किसी को पीटा गया तो किसी ने जान देकर चुकाई कीमत

नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2014 में अब सिर्फ नौवें यानी आखिरी दौर में 41 सीटों पर वोटिंग बची है। लेकिन इलेक्शन कमिशन के निष्पक्ष मतदान कराए जाने के तमाम दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। मतदान के बाद आम मतदाता की सुरक्षा भी तय करने में कई राज्य सरकार फेल साबित हुईं। आंध्र प्रदेश, पंजाब और तमिलनाडु जैसे राज्यों में पैसे बांटे जाने के मामले सामने आए हैं। इन राज्यों में कई मतदाताओं ने वोट के एवज में पैसे लिए और दिए जाने की बात मानी है। यही नहीं, मतदान के बाद प्रशासन और पुलिस मतदाताओं को सुरक्षा देने में नाकाम रही है। यूपी, बिहार और जम्मू-कश्मीर में मतदान की कीमत लोगों को जान देकर या पिटकर चुकानी पड़ी है। बिहार में बीजेपी को वोट देने से गुस्साए पति ने अपनी पत्नी की जान ले ली तो जम्मू-कश्मीर में मतदान का बहिष्कार करने की अपील न मानने पर कई लोगों को सरेआम कपड़े उतरवाकर पीटा गया और उन्हें गद्दार कहा गया। 
 
देश में चुनाव के दौरान किस तरह से पैसे, शराब, नशीले पदार्थ बांटे गए होंगे इसका अंदाजा चुनाव आयोग के आंकड़ों से लगाया जा सकता है। आम चुनाव के आठवें दौर तक देश भर में करीब 300 करोड़ रुपए नकद जब्त किए जा चुके हैं। इसके अलावा 2 करोड़ 10 लाख लीटर शराब, एक क्विंटल के करीब हीरोइन, 50 किलो से ज्यादा भांग भी पकड़ी गई है। इन आंकड़ों से साफ है कि मतदाताओं को पैसे और नशीले पदार्थ के जरिए लुभाने का सिलसिला अभी रुका नहीं है।
 
ये हालत तब है जब इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह ताकत दी है कि वह उन उम्मीदवारों की उम्मीदवारी खारिज कर सकता है जिन्होंने चुनावी खर्च का गलत ब्योरा दिया है। चुनाव आयोग इस समय 2,000 ऐसे उम्मीदवारों के मामले की जांच कर रहा है, जिन पर हाल के सालों में वास्तविक खर्च से कम खर्च दिखाने का आरोप है। जम्मू-कश्मीर में तमाम सुरक्षा तामझाम के बावजूद निर्भय होकर मतदान करने के दावे खोखले साबित हुए। राज्य के कुपवाड़ा इलाके में जिन लोगों ने मतदान किया उनमें से कई लोगों को जमकर पीटा गया, सार्वजनिक तौर पर कपड़े उतारे गए और उन्हें गद्दार घोषित कर दिया गया। इन लोगों का कसूर यही था कि उन्होंने अलगाववादियों के उस फरमान को अनसुना कर दिया था, जिसके तहत घाटी के वोटरों को मतदान न करने के लिए कहा गया था। कुपवाड़ा के एक अधेड़ उम्र के शख्स को मतदान में हिस्सा लेने की वजह से बेंत से मारा गया और कपड़े उतारने पर मजबूर किया गया। सोपोर और बारामूला में बीते बुधवार को मतदान में हिस्सा लेने वाले लोगों को भी अलगाववादियों के गुस्से का सामना करना पड़ा।
किसे वोट दिया, नहीं बताया तो ले ली जान  
 
 
उत्तर प्रदेश के झांसी-ललितपुर लोकसभा क्षेत्र (जहां से भाजपा की उमा भारती उम्‍मीदवार हैं) के बजाना गांव में 80 साल के बुजुर्ग की हत्‍या केवल इसलिए कर दी गई थी क्‍योंकि उसने दबंगों को यह नहीं बताया कि वोट किसे दिया है। 30 अप्रैल को दबंगों के वार से घायल जंगी लाल ने 1 मई की देर रात दम तोड़ दिया। उनसे दबंग जानना चाह रहे थे कि उन्‍होंने वोट किसे दिया था। उन्‍हें मंदिर ले जा कर भगवान की मूर्ति छू कर जवाब देने के लिए कहा गया। जवाब नहीं मिलने पर उन पर हमला किया गया। 

कांग्रेस ने मानी हार? नहीं हुई कोर ग्रुप, चुनाव समिति की बैठक, वार रूम में भी शांति




नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे आने में कुछ ही दिन शेष हैं। चुनाव पूर्व हुए तमाम सर्वेक्षणों में कांग्रेस की हार बताई गई है। लगता है पार्टी ने भी इसे सच मान लिया है। चुनावी गहमागहमी के माहौल में भी पार्टी में सक्रियता नहीं दिख रही। अमेठी में पहली बार शर्मसार हुए कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में बनी चुनाव समन्वय समिति ने पिछले एक महीने में एक भी बैठक नहीं की है। कांग्रेस का कोर ग्रुप भी पिछले छह हफ्तों में एक भी बैठक नहीं कर पाया है। कांग्रेस के वार रुम में भी अब खामोशी दिखाई पड़ रही है। कांग्रेस ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान कई बड़ी गलतियां की जो अब कांग्रेस के लिए भारी पड़ती नजर आ रही हैं। अगर कांग्रेस ने ये गलतियां न की होतीं तो शायद आज कांग्रेस थोड़ी बेहतर स्थिति में होती। जानिए कांग्रेस से कहां पर चूक हुई।
आखिर कहां चू्क हो गई कांग्रेस से
  1. सबसे बड़ी गलती राहुल ने सरकार में शामिल न होकर की। अगर वो सोचते थे कि उनके पास विचार है तो उन्हें उसके साथ शुरुआत करनी चाहिए थी। 
  2. यूपीए को अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री को अधिक स्वतंत्रता देनी चाहिए थी, ताकि वो अर्थव्यवस्था, उदारीकरण, प्रशासन, पाकिस्तान से जुड़े और द्विपक्षीय सीमा व्यापार संबंधी मसलों पर स्वच्छंदता के साथ बड़े फैसले ले पाते। 
  3. डॉ सिंह को एक सुसंगत आर्थिक नीति प्रस्तुत करना चाहिए था ताकि 30 साल के 570 मिलियन युवाओं को आकर्षित किया जा सके। डॉ सिंह अच्छे से जानते हैं कि बाजार एवं मॉल में व्यापार और शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों में सुधार कैसे किया जाना है। लेकिन उनके हाव-भाव से ये नहीं लगा कि वो काम कर रहे हैं।
  4. अगर इस धारणा को बनाने की कोशिश की जाती तो ज्यादा से ज्यादा नौकरियों का सृजन होता और शायद कांग्रेस थोड़ी बेहतर स्थिति में होती।
  5. याद कीजिए मोदी ने साल 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान हजारों घर बनवाने का वादा किया था? वो योजना अब फेल हो चुकी है। कुछ घरों का निर्माण तो हुआ, लेकिन लोग इन घरों को जाने में संकोच कर रहे हैं क्योंकि इन मकानों की गुणवत्ता उस स्तर की नहीं है। लेकिन अब कोई भी इस बारे में बात नहीं करता है क्योंकि मोदी की छवि काम करने वाले नेता की है।
  6. सोनिया गांधी को प्रणब मुखर्जी और पी. चिदंबरम के बीच हुई लड़ाई में हस्तक्षेप करना चाहिए था। वो मुखर्जी को और ताकत देकर मामला शांत कर सकती थीं क्योंकि उनका अनुभव उनको इस लायक बनाता है। 
  7. सोनिया गांधी को इस धारणा पर भी स्पष्टीकरण देना चाहिए था जिसमें बताया गया था कि सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह को चुनकर प्रणव मुखर्जी के साथ अन्याय किया। गैौरतलब है कि 1980 के दशक में जब प्रणब मुखर्जी मंत्री थे उस दौरान मनमोहन सिंह आरबीआई के गर्वनर थे।
    चुनाव समन्वय समिति की बीते माह एक भी बैठक नहीं
     
    इस बार के आम चुनाव में राहुल गांधी को कांग्रेस के भीतर सक्रिय भूमिका में लाने के लिए पूरी मेहनत की गई है। सोनिया गांधी ने राहुल के नेतृत्व में ही एक चुनाव समन्वय समिति का गठन किया। इस समिति में गुलाम नबी आजाद, जर्नादन द्विवेदी, अहमद पटेल, दिग्विजय सिंह, सीपी जोशी, मधुसूदन मिस्त्री, जयराम रमेश और ज्योतिरादित्य सिंधिया। इस समिति को चुनाव अभियान की रणनीति की योजना और देशभर में हो रहे चुनाव प्रचार पर नजर रखने का जिम्मा सौंपा गया था। जहां एक ओर चुनाव खत्म होने जा रहे हैं ऐसे समय में इस समिति की पिछले एक महीने में एक भी बैठक नहीं हुई है।

सर्वे में वाराणसी से जीते मोदी: जानिए जीत का गणित और कैसा है चुनावी माहौल


वाराणसी. काशी में इस बार लोकसभा चुनाव का जो नजारा है, वह संभवत: पहले कभी नहीं दिखा। पहली बार किसी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के घोषित उम्‍मीदवार (नरेंद्र मोदी) यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए इस सीट पर पूरे देश की नजर है। भाजपा, कांग्रेस और आप, तीनों ही पार्टियों ने यहां पूरी ताकत झोंक दी है। प्रचार के आखिरी चरण में नरेंद्र मोदी ने यहां गुरुवार को रोड शो किया और अरविंद केजरीवाल शुक्रवार को रोड शो कर रहे हैं। शनिवार को राहुल गांधी भी कांग्रेसी उम्‍मीदवार के पक्ष में रोड शो करने वाले हैं।
 
 
लेकिन, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के हेड डॉ. कौशल किशोर मिश्रा का बनारस के बारे में आकलन है कि यहां 'आप' उम्‍मीदवार अरविंद केजरीवाल तीसरे नंबर पर रहेंगे। कांग्रेस के अजय राय दूसरे और भाजपा के नरेंद्र मोदी पहले नंबर पर रहेंगे। इंडिया टुडे ग्रुप ने भी वाराणसी सीट को लेकर एक सर्वे किया है। इस सर्वे का नतीजा भी यही है कि मोदी को वाराणसी में जीत मिलेगी और केजरीवाल तीसरे नंबर पर रहेंगे।
डॉ. मिश्रा के मुताबिक, 'नरेंद्र मोदी ने बुनकरों की बात शुरू की। उन्‍हें बताया कि आप जो सामान बनाते हो, उन्‍हें बेचने वाला गुजराती है। बुनकरों में से ज्‍यादातर मुसलमान हैं। कुरैशी और खान जैसी ऊंची जाति के मुसलमान मोदी के खिलाफ हैं।' उनके मुताबिक वाराणसी में करीब 60 फीसदी मतदान होगा और मोदी को ब्राह्मणों, युवाओं और दलितों के वोट बड़ी संख्‍या में मिलेंगे। अपना दल (जिसकी नेता अनुप्रिया पटेल हैं) से गठबंधन होने के चलते मोदी को पटेल मतदाताओं का भी साथ मिलने की उम्‍मीद है। डॉ. मिश्रा का कहना है कि बनारस के यादव सपा के साथ नहीं जाते, इसलिए वे मोदी के साथ जाएंगे। उनकी राय में दलित भी मोदी को वोट देंगे और बाकी समुदायों के आधे लोग भाजपा के पक्ष में मतदान करेंगे। इन सबके मतों से मोदी नंबर एक रहेंगे।
 
डॉ. मिश्रा की राय में बाहुबली मुख्‍तार अंसारी का समर्थन लेकर कांग्रेस उम्‍मीदवार अजय राय ने भूमिहार मतदाताओं की नाराजगी मोल ले ली है। भूमिहार अजय राय को एकमुश्‍त वोट देते रहे हैं। लेकिन, वे अंसारी को दुश्‍मन मानते हैं, क्‍योंकि अजय राय के भाई सहित कई भूमिहारों की जान अंसारी के गुर्गों ने ली है, ऐसा कहा जाता है। 
 
बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके और बाजार सदानंद इलाके के सम्‍मानित बुजुर्ग माने जाने वाले मुहम्‍मद अब्‍दुल्‍ला अंसारी का आकलन है कि मुसलमान बड़ी संख्‍या में 'आप' को वोट करेंगे। उनका कहना है, 'हम अपने बूते नतीजा तय नहीं कर सकते। इस संसदीय क्षेत्र में 15 लाख की आबादी में से हम केवल 3.5 लाख हैं। हम यह देख सकते हैं कि मोदी को हराने का सबसे ज्‍यादा दम किस उम्‍मीदवार में है। यानि किसके साथ हिंदुओं का वोट सबसे ज्‍यादा है। मुझे लगता है कि पढ़े-लिखे हिंदुओं के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाताओं ने भी आम आदमी पार्टी का साथ देने का मन बनाया है। मुसलमानों में से 70-80 फीसदी केजरीवाल के पक्ष में मतदान करने का मन बना चुके हैं।' अंसारी का मानना है कि कांग्रेस को मुख्‍तार अंसारी के समर्थन का नुकसान उठाना पड़ेगा। उनकी राय में एक तो अंसारी के नियंत्रण में मुस्लिम वोट हैं नहीं और दूसरी बात, उनके समर्थन से भूमिहार मतदाता कांग्रेस से छिटक कर भाजपा खेमे में जा सकते हैं।
यूपी की आध्यात्मिक राजधानी कहे जाने वाले बनारस में राजनीति का जश्न जारी है। शहर के पुराने वाशिंदे कह रहे हैं कि यहां बाहरी लोगों के इतने कैंप पहले कभी नहीं देखे। तमाम पार्टियों के हजारों लोग प्रचार के लिए बनारस पहुंचे हुए हैं। बताया जाता है कि भाजपा ने ही 51 हजार से ज्‍यादा कार्यकर्ताओं को यहां तैनात कर रखा है।
 
वाराणसी में बीजेपी ने चुनावी रणनीति को अमलीजामा पहनाने के लिए शहर के बीचोबीच एक बहुमंजिले इमारत में ग्राउंड फ्लोर को किराए पर लिया हुआ है। हालांकि, आस-पास के लोगों का कहना है कि इसी इमारत में पार्टी ने छह अपार्टमेंट और किराए पर ले रखे हैं। बीजेपी के इस वार रूम के प्रवेश द्वार पर ही सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक बड़ी तस्वीर लगी है। इसके अलावा एंट्रेंस गेट पर बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को आयरन मैन बताती हुई एक अन्य तस्वीर भी है।

काशी की सड़कों पर केजरीवाल का शक्ति प्रदर्शन, देखें तस्वीरें




वाराणसी. अरविंद केजरीवाल ने अपने समर्थकों संग काशी की सड़कों पर निकलकर रोड शो के जरिए शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान भारी भीड़ के चलते सड़क पर तीन किलोमीटर लंबा जाम लग गया। इससे पहले शुक्रवार को नरेंद्र मोदी ने रोड शो किया था। वहीं, शनिवार को राहुल गांधी रोड शो करेंगे। राहुल गांधी रोड शो सुबह सात बजे शुरू होगा।
 
केजरीवाल के रोड शो के दौरान सोनापुरा गोदौलिया जंगमबाड़ी नई सड़क पर तीन किमी. लंबा जाम लग गया। इससे पहले केजरीवाल ने 'रंग दे बसंती चोला' गीत के साथ रोड शो शुरू किया। केजरीवाल ने कहा, 'आज जनता बनारस की सड़कों पर है। कल तो केवल दिखावटी भीड़ थी। आज बनारस के लोगों की देश भक्ति और जज्बा बाहर आ गया है। लोगों में देश-भक्ति की बयार बह रही है, इस बार परिवर्तन तो निश्चित है।'
 
AAP और BJP समर्थक हुए आमने-सामने
 
शुक्रवार को केजरीवाल का रोड शो बीएचयू से निकलकर कर शहर की सड़कों से गुजरा। लेकिन, रोड शो शुरू होते ही लंका इलाके में बीजेपी और 'आप' समर्थक आमने-सामने आ गए। दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने नेता के समर्थन में जमकर नारे लगाए।
 
इसके अलावा केजरीवाल को जगह-जगह भाजपा कार्यकर्ताओं के विरोध का भी सामना करना पड़ा। मदनपुरा क्षेत्र में पहुंचकर केजरीवाल ने अल्पसंख्यकों को संबोधित करते कहा, 'देश को परिवर्तन चाहिए। बदलाव सिर्फ आम आदमी पार्टी के हाथ में ही है।' बताते चलें कि केजरीवाल के रोड शो में भारी संख्या में उनके समर्थक शामिल रहे।
 
10 मई को चुनाव प्रचार का आखिरी दिन 
बताते चलें कि वाराणसी में 10 मई को चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है। इससे पहले केजरीवाल अपनी पूरी ताकत यहां लगा देना चाहते हैं। 
 
इससे पहले शुक्रवार सुबह केजरीवाल ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के प्रतिनिधि शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द से भी मुलाकात की। 

क़ुरआन का सन्देश

    
 
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