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13 मई 2014

क्रेडिट सुईस ने चेताया- गलत हो सकते हैं EXIT POLL, निवेशक रहें सावधान



मुंबई. शेयर बाजार ने देश में एनडीए सरकार का बनना तय मान लिया और सोमवार को तमाम सर्वे एजेंसियों की ओर से जारी एग्जिट पोल ने इन उम्मीदों को और पुख्ता कर दिया है। बाजार में पिछले तीन दिनों में रिकॉर्डतोड़ तेजी देखी जा रही है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय निवेश बैंक क्रेडिट सुईस ने यह कहकर निवेशकों को सकते में डाल दिया कि एग्जिट पोल के नतीजों में बड़ी
गलतियों की संभावना है। निवेश बैंक ने लोगों को संभलकर निवेश करने की सलाह दी है। 
 
तीसरे दिन भी बाजार में चमक 
बीजेपी के पक्ष में आ रहे एग्जिट पोल के नतीजों से उत्साहित बाजार अब तक के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। बढ़त के ट्रेंड को जारी रखते हुए तीसरे दिन सेंसेक्स मंगलवार को 24,000 के पार पहुंच गया। दरअसल, बाजार इस उम्मीद के चलते गुलजार हो गए हैं कि आने वाली सरकार आर्थिक सुधारों को गति देगी।
 
बिजनेस भास्कर की ओर से किए गए सर्वे में यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि चुनाव के नतीजों में बीजेपी का कमजोर होना बाजार के लिए नागवार गुजरेगा। एनडीए के आने की खुशी में बाजार जिन ऊचाइयों पर पहुंचा है, वहां से थोड़ा सा भी बुरा संकेत बाजार में कोहराम मचा सकता है।

पिछले चार में से तीन चुनाव में NDA को मिलीं EXIT POLL में ज्‍यादा और असल में कम सीटें


नई दिल्‍ली. सोमवार को मतदान खत्‍म होते ही सामने आए तमाम एग्जिट पोल के नतीजों से बीजेपी गदगद है। असल नतीजे इन नतीजों के कितने नजदीक-दूर होंगे, इसका पता तो 16 मई को ही चलेगा, लेकिन पिछले आंकड़ों और हाल के कुछ घटनाक्रम के चलते एग्जिट पोल के नतीजों को लेकर संशय बना हुआ है। भाजपा और कांग्रेस भी इन नतीजों को लेकर संशय में हैं। भाजपा का कहना है कि उसे बहुमत मिलने जा रहा है और कांग्रेस भी कह रही है कि एग्जिट पोल के नतीजे बेमानी है। हाल में एक स्टिंग ऑपरेशन में भी दावा किया गया था कि पैसे खर्च करके एग्जिट पोल के नतीजों को किसी खास पार्टी या प्रत्‍याशी के पक्ष में प्रभावित किया जा सकता है।

वहीं, 1999, 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में एग्जिट पोल के आंकड़ों का विश्‍लेषण करें तो पता चलता है कि बीजेपी के नेतृत्‍व वाले गठबंधन एनडीए को हमेशा ज्‍यादा करके आका गया। वहीं, कांग्रेस और उसके सहयोगियों के गठबंधन यूपीए को कमतर माना गया। अलग-अलग एग्जिट पोल के नतीजों के औसत और वास्‍तविक नतीजों की तुलना करें तो एनडीए को चुनाव विशेषज्ञों ने 1999 में 8 पर्सेंट, 2004 में 38 पर्सेंट जबकि 2009 में 18 पर्सेंट ज्‍यादा सीटें दीं। वहीं, कांग्रेस को 1999 में 6 फीसदी ज्‍यादा, लेकिन 2004 और 2009 के एग्जिट पोल में वास्‍तविक नतीजों की तुलना में क्रमश: 19 और 24 पर्सेंट कम सीटें दी गईं। इसके अलावा, एग्जिट पोल उन पार्टियों की सीटों का आकलन करने में नाकाम रहे, जो किसी भी गठबंधन में नहीं थे। बीते 4 चुनावों में एग्जिट पोल और असल नतीजों में क्‍या फर्क रहा, आइए डालते हैं एक नजर:
 
1998 
इस साल हुए आम चुनाव में मुख्‍य तौर पर चार एग्जिट पोल कराए गए। इसमें डीआरएस द्वारा कराए गए सर्वे में बीजेपी और इसके सहयोगियों को 249 सीटें दी गईं, वहीं कांग्रेस और इसके सहयोगियों को 155 सीटें। अन्य को 139 सीटें दी गई थीं। वहीं, इंडिया टुडे और सीएसडीएस की ओर से कराए गए सर्वे में बीजेपी गठबंधन को सबसे कम 214 सीटें दी गई थीं। इसमें कांग्रेस गठबंधन को 164, जबकि अन्य को 165 सीटें दी गईं। आउटलुक और एसी नीलसन के सर्वे में बीजेपी गठबंधन को 238, कांग्रेस गठबंधन को 149 और अन्य को 156 सीटें दी गईं। इसके अलावा, फ्रंट लाइन और सीएमएस के सर्वे में बीजेपी गठबंधन को 230, कांग्रेस गठबंधन को 150 और अन्य को 167 सीटें दी गईं। अब बात करते हैं, असल नतीजों की। इसमें बीजेपी गठबंधन को 252, कांग्रेस गठबंधन को 166 और अन्य को 119 सीटें मिलीं। आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेपी और कांग्रेस गठबंधन को एग्जिट पोल में दी गई सीटें और असल में मिली सीटों में उतना फर्क नहीं थाा, जितना की अन्‍य पार्टियों के आंकड़ों में। 
 
1999
इस साल के पांच प्रमुख एग्जिट पोल्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि इस बार बीजेपी को जितना आंका गया, असल नतीजे उसे कम रहे। हालांकि, कांग्रेस के मामले में एग्जिट पोल करीब करीब सही साबित हुए। अन्‍य की गणना में फेल रहने की परंपरा को निभाते हुए करीब करीब सारे एग्जिट पोल गलत साबित हुए। इंडिया टुडे और इनसाइट ने बीजेपी गठबंधन को 334, कांग्रेस गठबंधन को 139 जबकि अन्‍य को 75 सीटें दी थी। टाइम्‍स पोल और डीआरएस के सर्वे में बीजेपी गठबंधन को 332, कांग्रेस गठबंधन को 138 सीटें मिली। वहीं आउटलुक और सीएमएस के सर्वे की बात करें तो बीजेपी गठबंधन को 324, कांग्रेस गठबंधन को 140 और अन्‍य को 36 सीटें मिलीं। पायनियर और आरडीआई के सर्वे में बीजेपी गठबंधन को 316, कांग्रेस गठबंधन को 145 और अन्‍य को 85 सीटें दी गई थीं। वहीं, एचटी और एसी नीलसन के एग्जिट पोल में बीजेपी गठबंधन को 300, कांग्रेस को 146 और अन्‍य को 95 सीटें दी गई थीं। अब बात करते हैं असल नतीजों की। 1999 में बीजेपी को 296 सीटें, कांग्रेस को 134 सीटें और अन्‍य को 113 सीटें मिली। 
 
2004
यह साल ऐसा है, जिसने एग्जिट पोल के सही साबित होने पर पहली बार गंभीरता से सवाल उठाया। वजह साफ थी। बीजेपी गठबंधन को अधिकतम जितनी सीटें मिलने का अाकलन किया गया, पार्टी को उससे करीब 100 सीटें कम मिली। वहीं, पार्टी कांग्रेस को जितनी सीटें मिलने की संभावनाएं जताई गईं, उससे कहीं बेहतर परिणाम देश की इस सबसे पुरानी पार्टी के पक्ष में आए। अन्‍य पार्टियों की सीटों के आकलन के मामले में इस बार का अनुमान पिछली बार के मुकाबले थोड़ा बेहतर नजर आया। सबसे पहले बात करते हैं आउटलुक और एमडीआरके के एग्जिट पोल के बारे में। इसमें बीजेपी गठबंधन को 284 सीटें, कांग्रेस गठबंधन को 164 जबकि अन्‍य को 94 सीटें मिलीं। वहीं, एनडीटीवी और इंडियन एक्‍सप्रेस के सर्वे में बीजेपी गठबंधन को उस साल एग्जिट पोल में सबसे कम 240 सीटें, कांग्रेस गठबंधन को 197 सीटें और अन्‍य को 110 सीटें दी गईं। असल नतीजे आए तो बीजेपी के पांव के नीचे से जमीन खिसक गई। बीजेपी गठबंधन को महज 189 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस गठबंधन ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए 222 सीटें हासिल कीं। अन्‍य के खाते में 132 सीटें आईं। 
 
 
2009
इस साल भी तमाम एग्जिट पोल में कांग्रेस गठबंधन को काफी कमतर आंका गया, लेकिन नतीजे कहीं ज्‍यादा बेहतर रहे।  वहीं, बीजेपी गठबंधन कमतर प्रदर्शन करते हुए उस आंकड़े से भी नीचे रहा, जितना कि उसके बारे में कम से कम आकलन किया गया था। इस साल बीजेपी गठबंधन को 159 सीटें, कांग्रेस गठबंधन को 262 सीटें जबकि अन्‍य को 79 सीटें मिलीं थी। अब बात करते हैं एग्जिट पोल्‍स के बारे में। न्‍यूज एक्‍स के एग्जिट पोल में बीजेपी गठबंधन को सबसे ज्‍यादा 199 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस गठबंधन को 191 और अन्‍य को 152 सीटें दी गई थी। वहीं, एनडीटीवी के एग्जिट पोल में बीजेपी गठबंधन को सबसे कम 177 सीटें दी गई थीं। इसमें कांग्रेस गठबंधन को 216 सीटें और अन्‍य को 150 सीटें दी गईं।

क़ुरआन का सन्देश

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