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14 मई 2014

कौन करेगा मोदी की ताजपोशी अम्मा, दीदी या बहनजी! पढ़िए और समझिए




एग्जिट पोल के नतीजों से भारतीय जनता पार्टी प्रफुल्लित है। भाजपा नेता यह मान कर ही चल रहे हैं कि उनकी सरकार बनेगी। पोल भी इस ओर संकेत करते हैं कि भाजपा 2014 के लोकसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी और नरेन्द्र मोदी देश के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं। लेकिन अगर भाजपा और सहयोगी पार्टियां 272 का जादुई आंकड़ा छूने में असफल रही तो देश की तीन बड़ी महिला नेताओं की अगली सरकार बनाने या बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। एक तरफ हैं जयललिता, दूसरी तरफ ममता बनर्जी और तीसरी मायावती।

नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव परिणाम से पहले ही एग्जिट पोल जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के लिए अच्छे नतीजों की ओर संकेत कर रहे हैं। अगर भाजपा और सहयोगी दल 272 तक नहीं पहुंचते तो दोनों अगली सरकार में किंग मेकर की भूमिका निभा सकती हैं।
 
एग्जिट पोल की मानें तो ये तीनों मिलकर 70 से ज्यादा सीटें लाने में सफल होंगी, ऐसे में अगली लोकसभा में इन तीनों महिला नेताओं की स्थिति काफी मजबूत होने वाली है। ममता बनर्जी और जयललिता दोनों अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का हिस्सा थीं, लेकिन इन दोनों को संभालना वाजपेयी जैसे पुराने राजनेता के लिए भी आसान नहीं था, ऐसे में मोदी के लिए भी यह केकवॉक नहीं होगा।
जयललिता : मोदी से मित्रता
 
केंद्र में अगर नरेन्द्र मोदी की सरकार बनती है तो जयललिता किंग मेकर की भूमिका में हो सकती हैं। इस बार के एग्जिट पोल्स पर भरोसा करें तो अम्मा (तमिलनाडु के लोग जयललिता को प्यार से अम्मा कहते हैं)की पार्टी एआईएडीएमके (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ कडग़म) 22 से 28 सीटें तक ला सकती हैं। जयललिता और नरेंद्र मोदी अच्छे मित्र रहे हैं। मोदी की गुजरात के मुख्यमंत्री की ताजपोशी के दौरान वे अहमदाबाद में मौजूद थीं और मोदी उनकी ताजपोशी के समय चेन्नई में।
 
हालांकि चुनाव के दौरान अपने वोटों के ध्रुवीकरण के लिए जयललिता ने जमकर मोदी पर निशाना साधा क्योंकि वे जानती हैं कि वोट कैसे लिए जाते हैं। उधर, मोदी ने भी जयललिता पर हमले करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपने इंटरव्यूज के दौरान मोदी साफ कह चुके हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक हमलों से उनकी मित्रता पर कोई अंतर नहीं पड़ेगा। बुधवार सुबह अन्ना द्रमुक के एक नेता ने भी कहा कि दोनों की राजनीतिक सोच अलग हो सकती है, पर वे अच्छे मित्र हैं। अगर मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो वे समर्थन कर सकती हैं।
माया : सत्ता...सपा को रोकने की चाबी
 
देश की तीन सबसे ताकतवर प्रादेशिक महिला क्षत्रपों में से एक मायावती की बहुजन समाज पार्टी को केवल 10 से 14 सीटें ही दिखा रहे हैं। भाजपा और बसपा उत्तर प्रदेश में पहले गठबंधन सरकार चला चुके हैं तो मायावती के भाजपा के साथ जाने के ऑप्शन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बहनजी के नाम से प्रसिद्ध मायावती ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को बदल कर रख दिया था। दलित जहां बसपा का सबसे बड़ा वोट बैंक हैं, वहीं ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाताओं ने भी अगर उनका साथ दिया है तो  वे केंद्र के सियासी समीकरण बदल सकती हैं। ऐसे में यदि भाजपा और सहयोगी दल 272 तक नहीं पहुंचे तो सपा को रोकने के लिए मायावती भी दिल्ली की सत्ता की एक प्रमुख चाबी हो सकती हैं।
ममता बनर्जी : पुरानी सहयोगी
 
एग्जिट पोल नतीजे आने के साथ एक और नेता थीं, जो मुस्कुरा रही थी। नतीजे साफ बता रहे हैं कि उनकी पार्टी सबसे बड़ा क्षेत्रीय दल बन कर उभर रही है। तृणमूल को 25 से 31 सीटें मिलने की संभावना है। तुनकमिजाज ममता बनर्जी और भाजपा का चेहरा बन चुके नरेन्द्र मोदी के बीच राजनीतिक वाद-विवाद लोकसभा चुनावों के दौरान चरम पर रहा। बांग्लादेशी घुसपैठ हो या बंगाल में महिला सुरक्षा, मोदी ने सभी मुद्दों को जोर-शोर से उठाया। 
 
उधर, ममता भी जब-तब उन्हें दंगा बाबू जैसे नामों से पुकारकर जनता के बीच चुटकी लेती रहीं हैं। जहां ममता-मोदी आरोप-प्रत्यारोप कर रहे थे वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह बीच-बीच में ममता दीदी को मनाते दिखते रहे। कारण साफ है कि परिणाम के बाद कहीं इन्हीं के साथ की जरूरत न पड़ जाए। तृणमूल 1998 और 99 दोनों ही लोकसभा चुनावों में एनडीए का हिस्सा रही। ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जरूरत पडऩे पर ममता भी एनडीए सरकार बनाने में प्रमुख सहयोगी की भूमिका निभा सकती हैं।

क़ुरान का सन्देश

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