नई दिल्ली. गुजरात स्थित अक्षरधाम मंदिर पर हुए आतंकवादी हमलों के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए एक मुस्लिम शख्स ने पुलिस पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। मोहम्मद सलीम नाम के इस शख्स का कहना है कि जब उन्हें गिरफ्तार किया था तो उन्हें किस केस में आरोपी बनाया जाए, इसके लिए पुलिस ने तीन विकल्प दिए थे। ये विकल्प थे- गोधरा ट्रेन आगजनी, हरेन पांड्या मर्डर केस और अक्षरधाम पर आतंकवादी हमला।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सलीम ने कहा, 'जब पुलिस ने मुझे
गिरफ्तार किया था तब मैं पिछले 13 साल से सऊदी अरब में काम कर रहा था।
पुलिस ने कहा था कि मेरे पासपोर्ट में कुछ दिक्कत है। उन्होंने मुझे बुरी
तरह पीटा। पीठ पर अभी भी उस पिटाई (पढ़ें: बैठक में देर से पहुंचे बसपा प्रत्याशी की हुई पिटाई)
का दाग है और मेरे पैर में फ्रैक्चर भी हुआ था। पुलिस ने मुझसे पूछा था
कि मुझे किस मामले में आरोपी बनाया जाए। इसके लिए उन्होंने तीन विकल्प
दिए थे- अक्षरधाम मंदिर पर आंतकवादी हमला, हरेन पांड्या मर्डर केस, और
गोधरा ट्रेन आगजनी। मैं नहीं जानता था कि क्या कहा जाए।'
सलीम को पोटा के तहत हमलों के सिलसिले में उम्रकैद दी गई थी। लेकिन
सुप्रीम कोर्ट ने उनके साथ-साथ इस मामले के पांच अन्य आरोपियों को निर्दोष
करार देते हुए बरी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 16 मई को दिया था,
यानी उस दिन जब लोकसभा चुनावों में भाजपा और नरेंद्र मोदी की जबर्दस्त जीत सामने आई थी।
कोर्ट ने निर्दोष लोगों को फंसाने के मामले में गुजरात पुलिस की जमकर खिंचाई की थी और मोदी सरकार पर दिमाग का इस्तेमाल नहीं करने का आरोप लगाया था। इस मामले में छह आरोपियों में से चार पिछले 10 साल से जेल में बंद थे।
गौरतलब है कि सलीम की गिरफ्तारी के चार महीने बाद उनकी बेटी जन्मी थी
जो अब 10 साल की है। जेल से छूटने के बाद सलीम ने पहली बार उसे अपनी गोद
में लिया।
उधर, मामले के एक और आरोपी अब्दुल कयूम मुफ्तीसाब मोहम्मद भाई की
जिंदगी पिछले 11 साल में पूरी तरह बदल चुकी है। ये साल उन्होंने आतंकवादी
हमलों के आरोप में जेल में काटे हैं। इस दौरान उनके पिता की मौत हो चुकी है
और उनका परिवार अब पुराने घर में नही रहता है। सुप्रीम कोर्ट से निर्दोष
साबित होने के बारे में कयूम कहते हैं, 'यह सिर्फ जेल से रिहाई है। पिछले
11 साल के दौरान न्याय हर पल तिल-तिल कर मर गया है।'
कयूम का कहना है कि उनके खिलाफ जो मुख्य आरोप था, वह वे दो खत थे जो
आतंकवादी हमलों में मारे गए दो फिदायीन के पास से बरामद हुए थे। आरोप यह था
कि वे खत उन्होंने लिखे हैं। मामले में उन पर आरोप तय किया गया। कयूम
कहते हैं, 'तीन दिन और रात तक पुलिस मुझसे उस खत का कॉपी करवाती रही जिसे
उन्होंने मुझे दिया था। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उर्दू के अक्षरों को
ठीक उसी तरह लिखूं जैसा कि खत में लिखा हुआ था। मैं बहुत डरा हुआ था, और
मैंने वही किया जो उन्होंने करने को कहा। बाद में उन्होंने कोर्ट में कहा
कि वे खत मैंने ही लिखे थे।'