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23 मई 2014

एक पुख्ता खबर

एक पुख्ता खबर ,,,,फेसबुक ,,ब्लॉग और सोशल मिडिया पर केवल एक तरफा ,,केवल एक विचारधारा पर सियाई चमचागिरी का लेखन करने वाले प्रचारकों के बैंक खाते अगर चेक किये जाए ,,या फिर उनकी आमदनी अचानक बढ़ने की जांच की जाय तो कई लोगों की पोल खुलकर पेड़ सोशल मीडिया का सच सामने आजायेगा ,, मामले में मेरे एक मित्र ने स्टिंग भी क्या है ,,देखते है वोह स्टिंग कब तक सोशल मिडिया की कलई खोलता है मुझे गर्व है के मेरी मित्र सूची में शामिल मेरे साथी इस कैंसर बिमारी से दूर रहे है और पाकसाफ रहे है ,,,अख्तर

केजरीवाल जिन्हे देश के प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी स्वीकारित रूप से पाकिस्तान का एजेंट कह चुके है ,,वोह केजरीवाल इन दिनों ,,मानहानि के तुच्छ मुक़दमे में ज़मानत पेश नहीं करने के मामले में सम्मन मामला होने पर भी जेल में है

अरविन्द केजरीवाल जिन्हे देश के प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी स्वीकारित रूप से पाकिस्तान का एजेंट कह चुके है ,,वोह केजरीवाल इन दिनों ,,मानहानि के तुच्छ मुक़दमे में ज़मानत पेश नहीं करने के मामले में सम्मन मामला होने पर भी जेल में है ,,,केजरीवाल जेल तो गए लेकिन हाई प्रोफाइल मामलों में जल्दी सुनवाई हो एक भावी मंत्री को आगामी तारीख पेशी पर मंत्री बन जाने के बाद जिरह के लिए वकीलों के सवाल का जवाब देने के लिए न्यायालय में उपस्थित होना पढ़े ,,नयी बात नए सवालात ,,नये सुबूतों का सामना करना पढ़े यह तो पक्का और पुख्ता बात है ,,,,केजरीवाल की ज़मानत नहीं लेने की रिवायत नहीं है ,,देश के लिए भ्रष्टाचार के समर्थक अँगरेज़ सरकार द्वारा गिरफ्तार करने पर महात्मा गांधी ने ज़मानत देने से इंकार कर जेल जाना स्वीकार किया था ,,,,मुंबई के कार्टूनिस्ट ने जेल जाना स्वीकार किया था ,,इस मामले में खातुन आरा ,मधु लिमये ,,,मेनका गांधी ,,शीला वर्से ,, गुरुबख्श सिंह सिब्बिया मामलों में ज़मानत ,,मुचलके को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने सिद्धांत प्रतिपादित करते हुए महत्वपूर्ण आदेश दिए है ,,,,इन आदेशो के अनुसरण में माननीय उच्चतम न्यायालय लगातार लेंड मार्क जजमेंट दे रही है ,अदालतों की दिलचस्पी लोगों को जेल भेजने से ज़्यादा त्वरित सुनवाई में होती है ,,और वोह पूर्ति केजरीवाल ने जेल जाकर पूरी की है ,,अगर केजरीवाल ज़मानत पर होते तो गडकरी को गवाही के लिए कई महीनों बाद अदालत बुलाया जाता ,,उनकी दरख्वास्त लगती फिर तारीख़ बदलती लेकिन अब न्यायिक अभिरक्षा में होने से 14 तारीख और गडकरी की कोर्ट उपस्थिति की समयसीमा निश्चित हो गई है ,,,,,,,,,,,,,,,,,इस मामले में केजरीवाल की अपील या निगरानी याचिका में फैसला जो भी आये लेकिन वोह फैसला देश के वकीलों के लिए लैंडमार्क जजमेंट कहा जाएगा ,,,, सब जानते है के मानहानी के मामलों में फौजदारी प्रकरण हो तो कैसे दांवपेंच होते है ,,और मानहानि प्रकरण में परिवादी का क्या हश्र होता है ,,,अब तो नितिन गडकरी समर्थकों की पूरी कोशिश यह होना चाहिए के गडकरी मुक़दमा वापस ना ले और केजरीवाल को सख्त से सख्त सज़ा दिलवाए वैसे अगर केजरीवाल हारे तो भुगती हुई सज़ा में छूट जाएंगे लेकिन अगर जीत गए तो बस फिर तो वोह बेवजह हीरो हो जाएंगे अब गडकरी मुक़दमा वापस ले तो भी मुश्किल और मुक़दमा वापस ले तो भी मुश्किल और मुक़दमा चलाये तो भी मुश्किल गले की हड्डी है भाई ,,,,,,अख्तर

मेरे वकील साथियो से एक सवाल ,,

मेरे वकील साथियो से एक सवाल ,,,,,,,महिला संगठनो और महिलाओं को इन्साफ दिलाने वाली सरकारों से एक सवाल ,घरेलु हिंसा मामले में संरक्षण अधिकारी हिंसा मामले में न्याय दिलाने के लिए क़ानून के मुताबिक़ क्यों परिवाद पेश नहीं करते है ,,,देश में दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों की पालना आज तक विधिवत क्यों सुनिश्चित नहीं की गई है और देश भर में प्रशासन होते हुए ,क़ानून होते हुए खुलेआम दहेज़ लेनदेन की प्रथा क्यों चल रही है ,,इससे भी शर्मनाक बात यह है के एक पीड़ित महिला प्रताड़ित महिला महिला थाने में जाती है उसकी सुनवाई नहीं होती ,,फिर महिला अदालत में वकील के ज़रिये इस्तगाज़ा पेश करती है ,,अदालत दण्डप्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत महिला थाना पुलिस को मुक़दमा दर्ज करने के आदेश देती है ,,लेकिन दोस्तों परिवाद अदालत से थाने में जाने के बाद भी दो दो महीनों तक पुलिस अधिकारी मुक़दमा दर्ज नहीं करते है ,,इस मामले में वरिष्ठत पुलिस अधिकारी थानो के निरिक्षण का ढकोसला तो करते है लेकिन किसी लापरवाह हठधर्मी अधिकारी को सज़ा नहीं देते ,,,महिला सामाजिक संगठन ,,पत्रकार ,,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया इन मामलों में खामोश रहते है ,,,वकील कंटेम्प्ट की कार्यवाही नहीं करते ,,अदालत से परिवाद जाने के बाद उस परिवाद पर प्रथम सुचना रिपोर्ट दर्ज की जाकर न्यायालय में चौबीस घंटे में पेश करने का नियम है लेकिन अदालते खुद इन मामलों में मॉनिटरिंग नहीं करती ,,दोषी थानाधिकारी जो डंके की चोट पर न्यायालय की अवमानना कर सीना फुलाकर घूमता है उसके खिलाफ कोई प्रसंज्ञान नहीं कोई मुक़दमा नहीं ,,,,,कोई सज़ा नहीं यह हठधर्मिता अदालतों से जाने वाले सभी परिवाद मामलो एक जैसा है ,,,वकील ,,वकीलों की संस्थाए ,,सामाजिक संगठन ज़िंदा मक्खी निगलने जैसे अन्याय के मामले में चुप्पी कैसे साधे है कोई मुझे बताएगा ,,,,,,,,,,,अख्तर

केजरीवाल ने जेल से लिखी चिट्ठी, कहा- मैं मुजरिम नहीं तो जमानत क्यों लूं




नई दिल्‍ली। भाजपा नेता नितिन गडकरी मानहानि केस में 14 दिन की न्‍यायिक हिरासत बढ़ाए जाने के फैसले को अरविंद केजरीवाल दिल्‍ली हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। पार्टी ने निर्णय लिया है कि वह कल उच्‍च न्‍यायालय में इस बाबत अर्जी दायर करेंगे। वहीं, केजरीवाल ने पत्र लिखकर कहा है कि मीडिया का एक धड़ा मेरे खिलाफ है। मैं जब मुजरिम नहीं हूं तो मुझे जेल में क्यों रखा जा रहा है। केजरीवाल ने कहा है कि भष्ट व्यक्ति जेल के बाहर हैं और मैं अंदर। केजरीवाल की लिखी यह चिट्ठी अब 'आप' कार्यकर्ताओं को बांटी जाएगी, जिसे लेकर वह घर-घर जाएंगे। 
 
इससे पहले पटियाला हाउस अदालत ने केजरीवाल को छह जून तक हिरासत में भेज दिया। अरविंद ने अदालत में एक बार फिर बेल बॉन्ड भरने से इनकार कर दिया, जिसके बाद अदालत ने यह आदेश दिया। यहां तक कि केजरीवाल ने कोर्ट में मजिस्‍ट्रेट के सामने ही नितिन गडकरी को भ्रष्‍ट कह दिया। इसके बाद कोर्ट में काफी हंगामा भी हुआ और गडकरी के वकीलों ने इसका विरोध किया। अदालती आदेश के बाद अरविंद को सुरक्षा के मद्देनजर जेल वैन में बिठाकर तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
 
कानूनी प्रकिया माननी ही होगी: मजिस्‍ट्रेट
 
सुनवाई कर रहे मजिस्‍ट्रेट ने अरविंद से कहा कि बेल बॉन्ड भरना एक कानूनी प्रकिया है और आपको इसे मानना ही होगा। मजिस्‍ट्रेट ने उन्‍हें यह भी समझाया कि अगर आप बेल बॉन्ड पर हस्‍ताक्षर करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि आप 10 हजार रुपए का भुगतान कर रहे हैं। इसके बावजूद केजरीवाल ने बेल बॉन्ड देने से साफ इनकार कर दिया।
 
शाम को कांस्‍टीट्यूशनल क्‍लब में बैठक करेगी पार्टी !
अदालत के फैसले के बाद पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा, "शाम को पार्टी के सभी वालंटियर कांस्‍टीट्यूशनल क्‍लब में इकट्ठा होकर आगे के आंदोलन की रूपरेखा तय करेंगे।" उन्‍होंने कहा, "अब हम निश्चित ही दिल्‍ली हाईकोर्ट का रुख करेंगे।"
 
बिना बेल बॉन्ड भरे केजरीवाल को नहीं मिलनी चाहिए जमानत: पिंकी आनंद
गडकरी की तरफ से पेश वरिष्‍ठ वकील पिंकी आनंद ने दलील दी कि केजरीवाल को बिना प्रकिया अपनाए जमानत दिया जाना गलत होगा। अगर वे जमानत चाहते हैं, तो उन्‍हें प्रकियानुसार पहले बेल बॉन्ड भरना  होगा।
 
अदालत में उनकी पत्‍नी सुनीता, पार्टी नेता योगेंद्र यादव, कुमार विश्‍वास एवं अन्‍य नेता भी मौजूद रहे। मामले की सुनवाई से पहले हालात ये रहे कि कोर्ट रूम मीडिया, वकीलों और आप नेताओं से खचाखच भर गया। नतीजतन, कोर्ट रूम बदलने का निर्णय लिया गया। करीब एक बजे शुरू हुई मामले की सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने जिरह की। जेल के बाहर बड़ी तादाद में 'आप' कार्यकर्ता मौजूद रहे।

क़ुरआन का सन्देश

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