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29 मई 2014

नफ़रतों की भी कोई हद होनी चाहिए

नफ़रतों की भी कोई हद होनी चाहिए
हद से गुज़रने के बाद तो सुकून मिले
जी हाँ दोस्तों मेरे फेसबुक मित्र अरुण शर्मा की यह पंक्तियाँ प्रासंगिक है ,,,,,,,,,,,,आज नरेंदर मोदी देश में इतिहास बनाकर चुनाव जीते है ,,वोह देश के प्रधानमंत्री देश के संविधान के दायरे में बंध कर बन गए है ,,देश का क़ानून ,, देश का संविधान का पालन करने की उन्होंने ईश्वर को हाज़िर नाज़िर मानकर शपथ ले ली है ,,,नरेंदर मोदी जिससे एक वर्ग एक राजनितिक विचारधारा के लोग नफरत करता रहा है ,, लेकिन नरेंदर मोदी ने खुद को चुनाव प्रचार के वक़्त साबित किया ,,,चुनाव जितने के लिए खुद को साबित किया ,,नरेंदर मोदी ने विश्व के सभी शीर्ष पद के लोगों को बुलाकर शपथ ग्रहण समारोह में बुलाकर खुद को साबित कर दिया ,नरेंदर मोदी ने एकला चलो रे नीति पर मंत्रिमंडल का गठन कर खुद को साबित किया है ,,,,,,,,,नरेंदर मोदी इनके खिलाफ नफरत का भाव पैदा करने वालों को गलत साबित करते हुए नवाज़ शरीफ ,,हामिद करज़ई सभी को बुलाया और बेहतर संबंध स्थापित करने की पहल कर खुद को साबित किया ,,नरेंदर मोदी ने ,,,, मनमोहन सिंह के निवास पर जाकर अपनी उदारता साबित कर दिखाई ,,ऐसे में देश को नरेंदर मोदी के साथ देश के विकास ,,देश के सपनों को साकार करने के लिए खड़ा होना चाहिए ,,,ना की नवाज़ शरीफ को बुलाने पर उनकी आलोचना करना चाहिए ,,,,,,,,नरेंदर मोदी अगर कुछ करना चाहते है ,, जो सपने उन्होंने भारत की जनता को दिखाए है उन्हें पूरा करने के लिए अगर वोह खुद को साबित करना चाहते है ,,कामयाबी के रास्ते पर दो क़दम चलना चाहते है ,,उनका सो कोल्ड प्रोजेक्टेड नफरत और हिंसा का चेहरा बदल कर अगर वोह सर्वमान्य नेता साबित करना चाहते है तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए बल्कि नरेंदर मोदी के हर अच्छे क़दम के लिए उनकी निष्पक्षता और निर्भीकता से पीठ थपथपाना चाहिए ,,उनका उत्साहवर्धन करना चाहिए उनका साथ देना चाहिए ,,उनमे बुराई ढूंढने की जगह अच्छाई तलाशना चाहिए ,,,,,,रचनात्मक विरोध करते हुए उन्हें सुझाव देना चाहिए ,,,क्या पता हमारे सपनों का भारत ईश्वर ने अल्लाह ने नरेंदर मोदी के ज़रिये है निर्माण कर हमारे सपनों को साकार करने का काम दिया हो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर

सोचता हूँ आज फिर

सोचता हूँ आज फिर
से में कुफ्र की बात करूँ
फिर सोचता हूँ
चलो छोडो नास्तिक हो जाऊं
खुदा की बनाई
खूबसूरती की तारीफ़ करूँ
इसीलिए
होसला रख कर
आज में सच कहता हूँ
तेरा आकर यूँ मुझ से यूँ लिपट जाना
बाहों में मेरे आकर यूँ पिघल जाना
हां कहता हूँ
जन्नत यही है
जन्नत यही है ,,,,
सोचता हूँ शायद
खुदा की बनाई
जन्नत यही है ,,

सुबकते हुए होंट

सुबकते हुए होंट
आंसू टपकाती आँखे
तकलीफ से आहत उनका दिल
मेरे सीने से क्या लगा
बस
होंट उनके मुस्कुराने लगे
दिल उनका गुनगुनाने लगा
आंसू ठंडक बनकर
मेरे शाने पर बहते चले गए
या रब
तू हमेशा उन्हें खुश रखना
या रब
तू उनके हर मुराद पूरी करना
या रब
फिर से ना हो उन्हें कोई तकलीफ
बस इसका ज़रा ध्यान रखना
उनके हिस्से का हर गम
उनके हिस्से की हर तकलीफ
उनके हिस्से का हर आंसू
मुझे तू देना
उन्हें खुशियां सिर्फ खुशियां देना
उनकी आँखों में ना हो कभी आंसू
उनके दिल में कभी ना तड़पन
उनके होंट कभी न सबके कभी न रोये
या रब वोह मेरे महबूब है
उनको मेरा ख्याल हो ना हो
फिर भी तू
मेरे इस जानम
मेरे इस महबूब का ख्याल रखना ,,,अख्तर

(1) संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954

(1) संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954
सं. आ. 48 राष्ट्रपति, संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जम्मू-कश्मीर राज्य की सरकार की सहमति से, निम्नलिखित आदेश करते हैं :-

1. (1) इस आदेश का संक्षिप्त नाम संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 है।

(2) यह 14 मई, 1954 को प्रवृत्त होगा, और ऐसा होने पर संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1950 को अधिक्रांत कर देगा।

2. (2) संविधान के अनुच्छेद 1 तथा अनुच्छेद 370 के अतिरिक्त उसके 20 जून, 1964 को यथा प्रवृत्त और संविधान (उन्नसीवाँ संशोधन) अधिनियम, 1966, संविधान (इक्कीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1967, संविधान (तेईसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1969 की धारा 5, संविधान (चौबीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (पच्चीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1971 की धारा 2, संविधान (छब्बीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (तीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1972, संविधान (इकतीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1973 की धारा2, संविधान (तैंतीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1974 की धारा 2, संविधान (अड़तीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1975 की धारा 2, 5, 6 और 7, संविधान (उनतालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1975, संविधान (चालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1976, संविधान (बावनवाँ संशोधन) अधिनियम, 1985 की धारा 2, 3 और 6 और संविधान (इकसठवाँ संशोधन) अधिनियम, 1988 द्वारा यथासंशोधित, जो उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में लागू होंगे और वे अपवाद और उपांतरण जिनके अधीन वे इस प्रकार लागू होंगे, निम्नलिखित होंगे :-

(1) उद्देशिका

(2) भाग 1

अनुच्छेद 3 में निम्नलिखित और परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'परंतु यह और कि जम्मू-कश्मीर राज्य के क्षेत्र को बढ़ाने या घटाने या उस राज्य के नाम या उसकी सीमा में परिवर्तन करने का उपबंध करने वाला कोई विधेयक उस राज्य के विधान-मंडल की सहमति के बिना संसद में पुरःस्थापित नहीं किया जाएगा।'।

(3) भाग 2

(क) यह भाग जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में 26 जनवरी, 1950 से लागू समझा जाएगा।

(ख) अनुच्छेद 7 में निम्नलिखित और परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'परंतु यह और कि इस अनुच्छेद की कोई बात जम्मू-कश्मीर राज्य के ऐसे स्थायी निवासी को लागू नहीं होगी जो ऐसे राज्यक्षेत्र को जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रवर्तन करने के पश्चात्‌ उस राज्य के क्षेत्र को ऐसी अनुज्ञा के अधीन लौट आया है जो उस राज्य में पुनर्वास के लिए या स्थायी रूप से लौटने के लिए उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के प्राधिकार द्वारा या उसके अधीन दी गई है, तथा ऐसा प्रत्येक व्यक्ति भारत का नागरिक समझा जाएगा।'।

(4) भाग 3

(क) अनुच्छेद 13 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश है।

(ग) अनुच्छेद 16 के खंड (3) में, राज्य के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश नहीं है।

(घ) अनुच्छेद 19 में, इस आदेश के प्रारंभ से (4) (5) (पच्चीस) वर्ष की अवधि के लिए :-

(1) खंड (3) और (4) में, 'अधिकार के प्रयोग पर' शब्दों के पश्चात्‌ 'राज्य की सुरक्षा या' शब्द अंतःस्थापित किए जाएँगे;

(2) खंड (5) में, 'या किसी अनुसूचित जनजाति के हितों के संरक्षण के लिए' शब्दों के स्थान पर 'अथवा राज्य की सुरक्षा के हितों के लिए' शब्द रखे जाएँगे; और

1. विधि मंत्रालय की अधिसूचना सं. का. नि. 1610, तारीख 14 मई, 1954, भारत का राजपत्र, असाधारण, भाग 3, पृष्ठ 821 में प्रकाशित।

2. प्रारंभ में आने वाले शब्द संविधान आदेश 56, संविधान आदेश 74, संविधान आदेश 76, संविधान आदेश 79, संविधान आदेश 89, संविधान आदेश 91, संविधान आदेश 94, संविधान आदेश 98, संविधान आदेश 103, संविधान आदेश 104, संविधान आदेश 105, संविधान आदेश 108, संविधान आदेश 136 और तत्पश्चात्‌ संविधान आदेश 141 द्वारा संशोधित होकर उपरोक्त रुप में आए।

3. संविधान आदेश 124 द्वारा (4-2-1985 से) खंड (ख) का लोप किया गया।

4. संविधान आदेश 69 द्वारा 'दस वर्ष' के स्थान पर प्रतिस्थापित।

5. संविधान आदेश 97 द्वारा 'बीस' के स्थान पर प्रतिस्थापित।

(3) निम्नलिखित नया खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'(7) खंड (2), (3), (4) और (5) में आने वाले 'युक्तियुक्त निर्बंधन' शब्दों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे निर्बंधन ऐसे हैं जिन्हें समुचित विधान-मंडल युक्तियुक्त समझता है।'।

(ङ) अनुच्छेद 22 के खंड (4) में 'संसद' शब्द के स्थान पर 'राज्य विधान-मंडल' शब्द रखे जाएँगे और खंड (7) में 'संसद विधि द्वारा विहित कर सकेगी' शब्दों के स्थान पर 'राज्य विधान-मंडल विधि द्वारा विहित कर सकेगा' शब्द रखे जाएँगे।

(च) अनुच्छेद 31 में, खंड (3), (4) और (6) का लोप किया जाएगा; और खंड (5) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'(5) खंड (2) की कोई बात-

(क) किसी वर्तमान विधि के उपबंधों पर, अथवा

(ख) किसी ऐसी विधि के उपबंधों पर, जिसे राज्य इसके पश्चात्‌-

(1) किसी कर या शास्ति के अधिरोपण या उद्ग्रहण के प्रयोजन के लिए; अथवा

(2) सार्वजनिक स्वास्थ्य की अभिवृद्धि या प्राण या संपत्ति के संकट-निवारण के लिए; अथवा

(3) ऐसी संपत्ति की बाबत, जो विधि द्वारा निष्क्रांत संपत्ति घोषित की गई है, बनाए,
कोई प्रभाव नहीं डालेगी।'

(छ) अनुच्छेद 31क में खंड (1) के परंतुक का लोप किया जाएगा; और खंड (2) के उपखंड (क) के स्थान पर निम्नलिखित उपखंड रखा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'(क) 'संपदा' से ऐसी भूमि अभिप्रेत होगी जो कृषि के प्रायोजनों के लिए या कृषि के सहायक प्रयोजनों के लिए या चरागाह के लिए अधिभोग में है या पट्टे पर दी गई है और इसके अंतर्गत निम्नलिखित भी हैं, अर्थात्‌ :-

(1) ऐसी भूमि पर भवनों के स्थल और अन्य संरचनाएँ;

(2) ऐसी भूमि पर खड़े वृक्ष;

(3) वन भूमि और वन्य बंजर भूमि;

(4) जल से ढके क्षेत्र और जल पर तैरते हुए खेत;

(5) बंदर और घराट स्थल;

(6) कोई जागीर, इनाम, मुआफी या मुकर्ररी या इसी प्रकार का अन्य अनुदान,

किंतु इसके अंतर्गत निम्नलिखित नहीं हैं :-

(1) किसी नगर, या नगरक्षेत्र या ग्राम आबादी में कोई भवन-स्थल या किसी ऐसे भवन या स्थल से अनुलग्र कोई भूमि;

(2) कोई भूमि जो किसी नगर या ग्राम के स्थल के रूप में अधिभोग में है; या

(3) किसी नगरपालिका या अधिसूचित क्षेत्र या छावनी या नगरक्षेत्र में या किसी क्षेत्र में, जिसके लिए कोई नगर योजना स्कीम मंजूर की गई है, भवन निर्माण के प्रयोजनों के लिए आरक्षित कोई भूमि।'।

(1) (ज) अनुच्छेद 32 में, खंड (3) का लोप किया जाएगा।

(झ) अनुच्छेद 35 में, -

(1) संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश हैं;

(2) खंड (क) (1) में, 'अनुच्छेद 16 के खंड (3), अनुच्छेद 32 के खंड (3)' शब्दों, कोष्ठकों और अंकों का लोप किया जाएगा; और

(3) खंड (ख) के पश्चात्‌ निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'(ग) संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 के प्रारंभ के पूर्व या पश्चात्‌, निवारक निरोध की बाबत जम्मू-कश्मीर राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई कोई विधि इस आधार पर शून्य नहीं होगी कि वह इस भाग के उपबंधों में से किसी से असंगत है, किंतु ऐसी कोई विधि उक्त आदेश के प्रारंभ से (2) (3) (पच्चीस वर्ष) के अवसान पर, ऐसी असंगति की मात्रा तक, उन बातों के सिवाय प्रभावहीन हो जाएगी जिन्हें उनके अवसान के पूर्व किया गया है या करने का लोप किया गया है।'।

(ञ) अनुच्छेद 35 के पश्चात्‌ निम्नलिखित नया अनुच्छेद जोड़ा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'35क. स्थायी निवासियों और उनके अधिकारों की बाबत विधियों की व्यावृत्ति- इस संविधान में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जम्मू-कश्मीर राज्य में प्रवृत्त ऐसी कोई विद्यमान विधि और इसके पश्चात्‌ राज्य के विधान-मंडल द्वारा अधिनियमित ऐसी कोई विधि -

(क) जो उन व्यक्तियों के वर्गों को परिभाषित करती है जो जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थायी निवासी हैं या होंगे, या

1. संविधान आदेश 89 द्वारा खंड (ज) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

2. संविधान आदेश 69 द्वारा 'दस वर्ष' के स्थान पर प्रतिस्थापित।

3. संविधान आदेश 97 द्वारा 'बीस' के स्थान पर प्रतिस्थापित।

(ख) जो-

(1) राज्य सरकार के अधीन नियोजन;

(2) राज्य में स्थावर संपत्ति के अर्जन;

(3) राज्य में बस जाने; या

(4) छात्रवृत्तियों के या ऐसी अन्य प्रकार की सहायता के जो राज्य सरकार प्रदान करे, अधिकार, की बाबत ऐसे स्थायी निवासियों को कोई विशेष अधिकार और विशेषाधिकार प्रदत्त करती है या अन्य व्यक्तियों पर कोई निर्बंधन अधिरोपित करती है, इस आधार पर शून्य नहीं होगी कि वह इस भाग के किसी उपबंध द्वारा भारत के अन्य नागरिकों को प्रदत्त किन्हीं अधिकारों से असंगत है या उनको छीनती या न्यून करती है।'।

(5) भाग 5
(1) (क) अनुच्छेद 55 के प्रयोजनों के लिए जम्मू-कश्मीर राज्य की जनसंख्या तिरसठ लाख समझी जाएगी;

(ख) अनुच्छेद 81 में, खंड (2) और (3) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखे जाएँगे, अर्थात्‌ :-

'(2) खंड (1) के उपखंड (क) के प्रयोजनों के लिए,-

(क) लोक सभा में राज्य को छह स्थान आबंटित किए जाएँगे;

(ख) परिसीमन अधिनियम, 1972 के अधीन गठित परिसीमन आयोग द्वारा राज्य को ऐसी प्रक्रिया के अनुसार, जो आयोग उचित समझे, एक सदस्यीय प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा;

(ग) निर्वाचन-क्षेत्र, यथासाध्य, भौगोलिक रूप से संहत क्षेत्र होंगे और उनका परिसीमन करते समय प्राकृतिक विशेषताओं, प्रशासनिक इकाइयों की विद्यमान सीमाओं, संचार की सुविधाओं और लोक सुविधा को ध्यान में रखा जाएगा;

(घ) उन निर्वाचन-क्षेत्रों में, जिनमें राज्य विभाजित किया जाए, पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र समाविष्ट नहीं होंगे।

(3) खंड (2) की कोई बात लोक सभा में राज्य के प्रतिनिधित्व पर तब तक प्रभाव नहीं डालेगी जब तक परिसीमन अधिनियम, 1972 के अधीन संसदीय निर्वाचन-क्षेत्रों के परिसीमन से संबंधित परिसीमन आयोग के अंतिम आदेश या आदेशों के भारत के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख को विद्यमान सदन का विघटन न हो जाए।

(4) (क) परिसीमन आयोग राज्य की बाबत अपने कर्तव्यों में अपनी सहायता करने के प्रयोजन के लिए अपने साथ पाँच व्यक्तियों को सहयोजित करेगा जो राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले लोक सभा के सदस्य होंगे।

(ख) राज्य से इस प्रकार सहयोजित किए जाने वाले व्यक्ति सदन की संरचना का सम्यक्‌ ध्यान रखते हुए लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा नामनिर्दिष्ट किए जाएँगे।

(ग) उपखंड (ख) के अधीन किए जाने वाले प्रथम नामनिर्देशन लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) दूसरा संशोधन आदेश, 1974 के प्रारंभ से दो मास के भीतर किए जाएँगे।

(घ) किसी भी सहयोजित सदस्य को परिसीमन आयोग के किसी विनिश्चय पर मत देने या हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं होगा।

(ङ) यदि मृत्यु या पदत्याग के कारण किसी सहयोजित सदस्य का पद रिक्त हो जाता है तो उसे लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा और उपखंड (क) और (ख) के उपबंधों के अनुसार यथाशक्य शीघ्र भरा जाएगा।'।

(2) (ग) अनुच्छेद 133 में खंड (1) के पश्चात्‌ निम्नलिखित खंड अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात्‌ :-

'(1क) संविधान (तीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1972 की धारा 3 के उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में इस उपांतरण के अधीन लागू होंगे कि उसमें 'इस अधिनियम', 'इस अधिनियम के प्रारंभ', 'यह अधिनियम पारित नहीं किया गया हो' और 'इस अधिनियम द्वारा यथा संशोधित उस खंड के उपबंधों की'

के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे क्रमशः 'संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) दूसरा संशोधन आदेश, 1974, 'उक्त आदेश के प्रारंभ', 'उक्त आदेश पारित नहीं किया गया हो' और उक्त खंड के उपबंधों, जैसे कि वे उक्त आदेश के प्रारंभ के पश्चात्‌ हो' के प्रति निर्देश है'।

(3) (घ) अनुच्छेद 134 के खंड (2) में 'संसद' शब्द के पश्चात्‌ 'राज्य के विधान-मंडल के अनुरोध पर'

शब्द अंतःस्थापित किए जाएँगे।

(3) (ङ) अनुच्छेद 135 4 और 139 का लोप किया जाएगा।

1. संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (क) और खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

2. संविधान आदेश 98 द्वारा प्रतिस्थापित।

3. संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (ग) और खंड (घ) को खंड (घ) और खंड (ङ) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया गया।

4. संविधान आदेश 60 द्वारा अंक '136' का लोप किया गया।

5. संविधान आदेश 56 द्वारा खंड (च) और खंड (छ) का लोप किया गया।

6. संविधान आदेश 60 द्वारा (26-1-1960 से) अंतःस्थापित।

(6) (5क) भाग 6

(1) (क) अनुच्छेद 153 से 217 तक, अनुच्छेद 219, अनुच्छेद 221, अनुच्छेद 223, 224,

224क और 225 तथा अनुच्छेद 227, से 237 तक का लोप किया जाएगा।)

(ख) अनुच्छेद 220 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे संविधान

(जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1960 के प्रति निर्देश हैं।

(2) (ग) अनुच्छेद 222 में, खंड (1) के पश्चात्‌ निम्नलिखित नया खंड अंतःस्थापित किया जाएगा,

अर्थात्‌ :-

'(1क) प्रत्येक ऐसा अंतरण जो जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय से अथवा उस उच्च न्यायालय को हो, राज्यपाल के परामर्श के पश्चात्‌ किया जाएगा।')

(6) भाग 11

(3) (क) अनुच्छेद 246 के खंड (1) में आने वाले 'खंड (2) और खंड (3)' शब्दों, कोष्ठकों और अंकों के स्थान पर 'खंड (2)' शब्द, कोष्ठक और अंक रखे जाएँगे और खंड (2) में आने वाले 'खंड (3) में किसी बात के होते हुए भी' शब्दों, कोष्ठकों और अंक का तथा संपूर्ण खंड (3) और खंड (4) का लोप किया जाएगा।

(4) (5) (ख) अनुच्छेद 248 के स्थान पर निम्नलिखित अनुच्छेद रखा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'248. अवशिष्ट विधायी शक्तियाँ- संसद को, -

(6) (क) विधि द्वारा स्थापित सरकार को आतंकित करने या जनता या जनता के किसी अनुभाग में आतंक उत्पन्न करने या जनता के किसी अनुभाग को पृथक्‌ करने या जनता के विभिन्न अनुभागों के बीच समरसता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आतंकवादी कार्यों को अंतर्वलित करने वाले क्रियाकलाप को रोकने के संबंध में;

(7) (कक) भारत की प्रभुता तथा प्रादेशिक अखंडता को अनअंगीकृत, प्रश्नगत या विच्छिन्न करने अथवा भारत राज्यक्षेत्र के किसी भाग का अध्यर्पण कराने अथवा भारत राज्यक्षेत्र के किसी भाग को संघ से विलग कराने अथवा भारत के राष्ट्रीय ध्वज, भारतीय राष्ट्रगान और इस संविधान का अपमान करने वाले

(8) (अन्य क्रियाकलाप को रोकने) के संबंध में; और

(ख) (1) समुद्र या वायु द्वारा विदेश यात्रा पर;

(2) अंतर्देशीय विमान यात्रा पर;

(3) मनीआर्डर, फोनतार और तार को सम्मिलित करते हुए, डाक वस्तुओं पर,कर लगाने के संबंध में, विधि बनाने की अनन्य शक्ति है।'।

(9) (स्पष्टीकरण- इस अनुच्छेद में, 'आतंकवादी कार्य' से बमों, डायनामाइट या अन्य विस्फोटक पदार्थों या ज्वलनशील पदार्थों या अग्न्यायुधों या अन्य प्राणहर आयुधों या विषों का या अपायकर गैसों या अन्य रसायनों या परिसंकटमय प्रकृति के किन्हीं अन्य पदार्थों का (चाहे वे जैव हों या अन्य) उपयोग करके किया गया कोई कार्य या बात अभिप्रेत है।);

(10) (खख) अनुच्छेद 249 के खंड (1) में, 'राज्य सूची में प्रगणित ऐसे विषय के संबंध में, जो उस संकल्प में विनिर्दिष्ट है,' शब्दों के स्थान पर 'उस संकल्प में विनिर्दिष्ट ऐसे विषय के संबंध में, जो संघ सूची या समवर्ती सूची में प्रगणित विषय नहीं है,' शब्द रखे जाएँगे।)

(ग) अनुच्छेद 250 में, 'राज्य-सूची में प्रगणित किसी भी विषय कें संबंध में' शब्दों के स्थान पर 'संघ-सूची में प्रगणित न किए गए विषयों के संबंध में भी' शब्द रखे जाएँगे।

(ङ) अनुच्छेद 253 में निम्नलिखित परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात्‌ :-

1. संविधान आदेश 89 द्वारा खंड (क) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

2. संविधान आदेश 74 द्वारा (24-11-1965 से) खंड (ग) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

3. संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (क) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

4. संविधान आदेश 85 द्वारा खंड (ख) और खंड (खख), मूल खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

5. संविधान आदेश 93 द्वारा खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

6. संविधान आदेश 122 द्वारा अंतःस्थापित।

7. संविधान आदेश 122 द्वारा खंड (क) को खंड (कक) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया गया।

8. संविधान आदेश 122 द्वारा 'क्रियाकलापों को रोकने' के स्थान पर प्रतिस्थापित।

9. संविधान आदेश 122 द्वारा अंतःस्थापित।

10. संविधान आदेश 129 द्वारा खंड (खख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

11. संविधान आदेश 129 द्वारा खंड (घ) का लोप किया गया।

'परंतु संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 के प्रारंभ के पश्चात्‌, जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में व्यवस्था को प्रभावित करने वाला कोई विनिश्चय भारत सरकार द्वारा उस राज्य की सरकार की सहमति से ही किया जाएगा।'।

(2) (च) अनुच्छेद 225 का लोप किया जाएगा।

(2) (छ) अनुच्छेद 256 को उसकें खंड (1) के रूप में पुनःसंख्यांकित किया जाएगा और उसमें निम्नलिखित नया खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'(2) जम्मू-कश्मीर राज्य अपनी कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग करेगा जिससे उस राज्य के संबंध में संविधान के अधीन संघ के कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का संघ द्वारा निर्वहन सुगम हो; और विशिष्टतया उक्त राज्य यदि संघ वैसी अपेक्षा करे, संघ की ओर से और उसके व्यय पर संपत्ति का अर्जन या अधिग्रहण करेगा अथवा यदि संपत्ति उस राज्य की हो तो ऐसे निबंधनों पर, जो करार पाए जाएँ या करार के अभाव में जो भारत के मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा नियुक्त मध्यस्थ द्वारा अवधारित किए जाएँ, उसे संघ को अंतरित करेगा।'

(4) (ज) अनुच्छेद 261 के खंड (2) में, 'संसद द्वारा बनाई गई' शब्दों का लोप किया जाएगा।

(7) भाग 12

(6) (क) अनुच्छेद 267 के खंड (2), अनुच्छेद 273, अनुच्छेद 283 के खंड (2) (7) (और अनुच्छेद 290) का लोप किया जाएगा।

(6) (ख) अनुच्छेद 266, 282, 284, 298, 299 और 300 में राज्य या राज्यों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश नहीं है।

(6) (ग) अनुच्छेद 277 और 295 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश हैं।

(8) भाग 13

8 अनुच्छेद 303 के खंड (1) में, 'सातवीं अनुसूची की सूचियों में से किसी में व्यापार और वाणिज्य संबंधी किसी प्रविष्टि के आधार पर, 'शब्दों का लोप किया जाएगा।

(8)

(9) भाग 14

(9) (अनुच्छेद 312 में, 'राज्यों के' शब्दों के पश्चात्‌'(जिसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य भी है)' कोष्ठक और शब्द अंतःस्थापित किए जाएँगे।)

(10) (10) भाग 15

(क) अनुच्छेद 324 के खंड (1) में, जम्मू-कश्मीर के विधान-मंडल के दोनों सदनों में से किसी सदन के निर्वाचनों के बारे में संविधान के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह जम्मू-कश्मीर के संविधान के प्रति निर्देश है।

(11) (ख) अनुच्छेद 325, 326, 327 और 329 में राज्य के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर के संविधान के प्रति निर्देश नहीं है।

(ग) अनुच्छेद 328 का लोप किया जाएगा।

(घ) अनुच्छेद 329 में, 'या अनुच्छेद 328' शब्दों और अंकों का लोप किया जाएगा।

(12) (ङ) अनुच्छेद 329क में, खंड (4) और (5) का लोप किया जाएगा।

(11) भाग 16 (13)
1. संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (च) का लोप किया गया।

2. संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (छ) और खंड (ज) को खंड (च) और खंड (छ) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया गया।

3. संविधान आदेश 56 द्वारा खंड (झ) का लोप किया गया।

4. संविधान आदेश 56 द्वारा खंड (ञ) को खंड (झ) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया गया और तत्पश्चात्‌ संविधान आदेश 66 द्वारा उसे खंड (ज) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया गया।

5. संविधान आदेश 55 द्वारा अंतःस्थापित खंड (क) और खंड (ख) का संविधान आदेश 56 द्वारा लोप किया गया।

6. संविधान आदेश 55 द्वारा खंड (क), खंड (ख) और खंड (ग) को क्रमशः खंड (ग), खंड (घ) और खंड (ङ) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया गया और तत्पश्चात्‌ संविधान आदेश 56 द्वारा उन्हें क्रमशः खंड (क), खंड (ख) और खंड (ग) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया गया।

7. संविधान आदेश 94 द्वारा 'अनुच्छेद 290 और अनुच्छेद 291' के स्थान पर प्रतिस्थापित।

8. संविधान आदेश 56 द्वारा कोष्ठक और अक्षर '(क)' तथा खंड (ख) का लोप किया गया।

9. संविधान आदेश 56 द्वारा पूर्ववर्ती उपांतरण के स्थान पर प्रतिस्थापित।

10. संविधान आदेश 60 द्वारा (26-1-1960 से) उप-पैरा (10) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

11. संविधान आदेश 75 द्वारा खंड (ख) और खंड (ग) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

12. संविधान आदेश 105 द्वारा अंतःस्थापित।

13. संविधान आदेश 124 द्वारा खंड (क) का लोप किया गया।

(1) (क) अनुच्छेद 331, 332, 333, (2) (336 और 337) का लोप किया जाएगा।

(1) (ख) अनुच्छेद 334 और 335 में राज्य या राज्यों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश नहीं है।

(3) (ग) अनुच्छेद 339 के खंड (1) में 'राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित जनजातियों' शब्दों के स्थान पर 'राज्यों की अनुसूचित जनजातियों' शब्द रखे जाएँगे।

(12) भाग 17

इस भाग के उपबंध केवल वहीं तक लागू होंगे जहाँ तक वे-

(1) संघ की राजभाषा,

(2) एक राज्य और दूसरे राज्य की बीच, अथवा किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा, और

(3) उच्चतम न्यायालय में कार्यवाहियों की भाषा, से संबंधित है।

(13) भाग 18

(क) अनुच्छेद 352 में निम्नलिखित नया खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'(4) (6) केवल आंतरिक अशांति या उसका संकट सन्निकट होने के आधार पर की गई आपात की उद्घोषणा (अनुच्छेद 354 की बाबत लागू होने के सिवाय) जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में तभी लागू होगी (5) (जब वह-

(क) उस राज्य की सरकार के अनुरोध पर या उसकी सहमति से की गई है; या

(ख) जहाँ वह इस प्रकार नहीं की गई है वहां वह उस राज्य की सरकार के अनुरोध पर या उसकी सहमति से राष्ट्रपति द्वारा बाद में लागू की गई है।)'।

(6) (ख) अनुच्छेद 356 के खंड (1) में, इस संविधान के उपबंधों या उपबंध के प्रति निर्देशों का जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर के संविधान के उपबंधों या उपबंध के प्रति निर्देश है;

(7) (खख) अनुच्छेद 356 के खंड (4) में दूसरे परंतुक के पश्चात्‌ निम्नलिखित परंतुक अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात्‌ :-

'परंतु यह भी कि जम्मू-कश्मीर राज्य के बारे में 18 जुलाई, 1990 को खंड (1) के अधीन जारी की गई उद्‍घोषणा के मामले में इस खंड के पहले परंतुक में 'तीन वर्ष' के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह (5) '(छह वर्ष)' के प्रति निर्देश है।)'

(ग) (अनुच्छेद 360 का लोप किया जाएगा।)

(14) भाग 19

(10) (क) (11) (अनुच्छेद 365) का लोप किया जाएगा।

(10) (ख) अनुच्छेद 367 में निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'(4) इस संविधान के, जैसा कि वह जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में लागू होता है, प्रयोजनों के लिए-

(क) इस संविधान या उसके उपबंधों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे उक्त राज्य के संबंध में लागू संविधान के या उसके उपबंधों के प्रति निर्देश भी हैं।

(13) (कक) राज्य की विधान सभा की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा, जम्मू-कश्मीर के सदरे-रियासत के रूप में तत्समय मान्यता प्राप्त तथा तत्समय पदस्थ राज्य मंत्रि-परिषद की सलाह पर कार्य करने वाले व्यक्ति के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के प्रति निर्देश हैं।

(ख) उस राज्य की सरकार के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अंतर्गत अपनी मंत्रि-परिषद की सलाह पर कार्य कर रहे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के प्रति निर्देश हैं : परंतु 10 अप्रैल 1965 से पूव की किसी अवधि की बाबतल ऐसे निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अंतर्गत अपनी मंत्रि-परिषद की सलाह से कार्य कर रहे सदरे-रियासत के प्रति निर्देश है;

1. संविधान आदेश 124 द्वारा खंड (ख) और खंड (ग) को खंड (क) और खंड (ख) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया गया।

2. संविधान आदेश 124 द्वारा '336, 337 339 और 342 के स्थान पर प्रतिस्थापित।

3. संविधान आदेश 124 द्वारा अंतःस्थापित।

4. संविधान आदेश 104 द्वारा '(4)' के स्थान पर प्रतिस्थापित।

5. संविधान आदेश 100 द्वारा कुछ शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।

6. संविधान आदेश 71 द्वारा खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

7. संविधान आदेश 151 द्वारा जोड़ा गया।

8. संविधान आदेश 154 द्वारा 'चार वर्ष' के स्थान पर और पुनः संविधान आदेश 160 द्वारा 'पाँच वर्ष' के स्थान पर प्रतिस्थापित।

9. संविधान आदेश 74 द्वारा खंड (क) का लोप किया गया।

10. संविधान आदेश 74 द्वारा खंड (ख) और खंड (ग) को खंड (क) और खंड (ख) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया गया।

11. संविधान आदेश 94 द्वारा 'अनुच्छेद 362 और अनुच्छेद 365' के स्थान पर प्रतिस्थापित।

12. संविधान आदेश 56 द्वारा मूल खंड (ग) का लोप किया गया।

13. संविधान आदेश 74 द्वारा खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

(ग) उच्च न्यायालय के प्रति निर्देशों के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के उच्च न्यायालय के प्रति निर्देश हैं;

1 (2) (घ) उक्त राज्य के स्थायी निवासियों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनसे ऐसे व्यक्ति अभिप्रेत हैं जिन्हें राज्य में प्रवृत्त विधियों के अधीन राज्य की प्रजा के रूप में, संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 के प्रारंभ से पूर्व, मान्यता प्राप्त थी या जिन्हें राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा राज्य के स्थायी निवासियों के रूप में मान्यता प्राप्त है; और
(3) (ङ) राज्यपाल के प्रति निर्देशों के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के प्रति निर्देश हैं :

परंतु 10 अप्रैल, 1965 से पूर्व की किसी अवधि की बाबत, ऐसे निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे राष्ट्रपति द्वारा जम्मू-कश्मीर के सदरे-रियासत के रूप में मान्यता प्राप्त व्यक्ति के प्रति निर्देश हैं और उनके अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा सदरे-रियासत की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए सक्षम व्यक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त किसी व्यक्ति के प्रति निर्देश भी हैं।)'

(15) भाग 20

(4) (क) (5) (अनुच्छेद 368 के खंड (2) में) निम्नलिखित परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'परंतु यह और कि कोई संशोधन जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में तभी प्रभावी होगा जब वह अनुच्छेद 370 के खंड (1) के अधीन राष्ट्रपति के आदेश द्वारा लागू किया गया हो।'

(6) (ख) अनुच्छेद 368 के खंड (3) के पश्चात्‌ निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्‌ :-

'(4) जम्मू-कश्मीर संविधान के -

(क) राज्यपाल की नियुक्ति, शक्तियों, कृत्यों, कर्तव्यों, उपलब्धियों, भत्तों, विशेषाधिकारों या उन्मुक्तियों; या

(ख) भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचनों के अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण, विभेद के बिना निर्वाचन नामावलि में सम्मिलित किए जाने की पात्रता, वयस्क मताधिकार और विधान परिषद के गठन, जो जम्मू-कश्मीर संविधान की धारा 138, 139, 140 और 150 में विनिर्दिष्ट विषय हैं, से संबंधित किसी उपबंध में या उसके प्रभाव में कोई परिवर्तन करने के लिए जम्मू-कश्मीर राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि का कोई प्रभाव तभी होगा जब ऐसी विधि राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखने के पश्चात्‌, उनकी अनुमति प्राप्त कर लेती है।'

(16) भाग 21

(क) अनुच्छेद 369, 371, (7) (371क), (8) (372क), 373, अनुच्छेद 374 के खंड (1), (2), (3) और (5) और (9) (अनुच्छेद 376 से 378क तक का और अनुच्छेद 392) का लोप किया जाएगा।

(ख) अनुच्छेद 372 में, -

(1) खंड (2) और (3) का लोप किया जाएगा;

(2) भारत के राज्यक्षेत्र में प्रवृत्त विधि के प्रति निर्देशों के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के राज्यक्षेत्र में विधि का बल रखने वाली हिदायतों, ऐलानों, इश्तिहारों, परिपत्रों, रोबकारों, इरशादों, याददाश्तों, राज्य परिषद के संकल्पों, संविधान सभा के संकल्पों और अन्य लिखतों के प्रति निर्देश भी होंगे; और

(3) संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्ररंभ के प्रति निर्देश हैं।

(ग) अनुच्छेद 374 के खंड (4) में, राज्य में प्रिवी कौंसिल के रूप में कार्यरत प्राधिकारी के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह जम्मू-कश्मीर संविधान अधिनियम, संवत्‌ 1996 के अधीन गठित सलाहकार बोर्ड के प्रति निर्देश हैं, और संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश हैं।

(17) भाग 22

अनुच्छेद 394 और 395 का लोप किया जाएगा।

(18) पहली अनुसूची

(19) दूसरी अनुसूची

1. संविधान आदेश 56 द्वारा खंड (घ) का लोप किया गया।
2. संविधान आदेश 56 द्वारा खंड (ङ) को खंड (घ) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया गया।
3. संविधान आदेश 74 द्वारा खंड (ङ) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
4. संविधान आदेश 101 द्वारा खंड (क) के रूप में संख्यांकित।
5. संविधान आदेश 91 द्वारा 'अनुच्छेद 368 में' के स्थान पर प्रतिस्थापित।
6. संविधान आदेश 101 द्वारा अंतःस्थापित।
7. संविधान आदेश 74 द्वारा अंतःस्थापित।
8. संविधान आदेश 56 द्वारा अंतःस्थापित।
9. संविधान आदेश 56 द्वारा 'अनुच्छेद 376 से अनुच्छेद 392 तक' के स्थान पर प्रतिस्थापित।

(1)(20) तीसरी अनुसूची

प्ररूप 5, 6, 7 और 8 का लोप किया जाएगा।

(21) चौथी अनुसूची

(2) (22) सातवीं अनुसूची

(क) संघ-सूची में,-

(1) प्रविष्टि 3 के स्थान पर '3. छावनियों का प्रशासन' प्रविष्टि रखी जाएगी;

(3) (2) प्रविष्टि 8, 9 (4) (और 34), 5*** प्रविष्टि 79 और प्रविष्टि 81 में 'अंतरराज्यीय प्रव्रजन' शब्दों का लोप किया जाएगा;)

(6) (7) (3) प्रविष्टि 72 में,-

(क) किसी ऐसी निर्वाचन याचिका में जिसके द्वारा उस राज्य के विधान-मंडल के दोनों सदनों में से किसी सदन के लिए निर्वाचन प्रश्नगत है, जम्मू-कश्मीर राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा किए गए किसी विनिश्चय या आदेश के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय को अपीलों के संबंध में राज्यों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश है;

(ख) अन्य मामलों के संबंध में राज्यों के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत उस राज्य के प्रति निर्देश नहीं है;

(8) (और)

(9) (4) प्रविष्टि 97 के स्थान पर निम्नलिखित प्रविष्टि रखी जाएगी, अर्थात्‌:-

(10) (97. (क) विधि द्वारा स्थापित सरकार को आतंकित करने या लोगों या लोगों के सी अनुभाग में आतंक उत्पन्न करने या लोगों के किसी अनुभाग को पृथक्‌ करने या लोगों के विभिन्न अनुभागों के बीच समरसता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आतंकवादी कार्यों को अंतर्वलित करने वाले, (ख) भारत की प्रभुता तथा प्रादेशिक अखंडता को अनअंगीकृत, प्रश्नगत या विच्छिन्न करने, अथवा भारत राज्यक्षेत्र के किसी भाग का अध्यर्पण कराने अथवा भारत राज्यक्षेत्र के भाग को संघ से विलग कराने

अथवा भारत के राष्ट्रीय ध्वज, भारतीय राष्ट्र-गान और इस संविधान का अपमान करने वाले, क्रियाकलाप को रोकना, समुद्र या वायु द्वारा विदेश यात्रा, अंतर्देशीय विमान यात्रा और डाक वस्तुओं पर जिनके अंतर्गत मनीआर्डर, फोनतार और तार हैं, कर;

स्पष्टीकरण- इस प्रविष्टि में, 'आतंकवादी कार्य' का वही अर्थ है जो अनुच्छेद 248 के स्पष्टीकरण में है।)

(ख) राज्य सूची का लोप किया जाएगा।

(11) (ग) समवर्ती सूची में,-

(12) (1) प्रविष्टि 1 के स्थान पर निम्नलिखित प्रविष्टि रखी जाएगी, अर्थात्‌:-

'1. दंड विधि, (जिसके अंतर्गत सूची 1 में विनिर्दिष्ट विषयों में से किसी विषय से संबंधित विधियों के विरुद्ध अपराध और सिविल शक्ति की सहायता के लिए नौ सेना, वायु सेना या संघ के किन्हीं अन्य सशस्त्र बलों के प्रयोग नहीं हैं) जहाँ तक ऐसी दंड विधि इस अनुसूची में विनिर्दिष्ट विषयों में से किसी विषय से संबंधित विधि के विरुद्ध अपराधों से संबंधित है।')

(13) (14) (1क) प्रविष्टि 2 के स्थान पर निम्नलिखित प्रविष्टि रखी जाएगी, अर्थात्‌ :-

'2. दंड प्रक्रिया (जिसके अंतर्गत अपराधों को रोकना तथा दंड न्यायालयों का, जिनके अंतर्गत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय नहीं हैं, गठन और संगठन है) जहाँ तक उसका संबंध-

1. संविधान आदेश 56 द्वारा पैरा 6 से संबंधित उपांतरण का लोप किया गया।
2. संविधान आदेश 66 द्वारा उपपैरा (22) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
3. संविधान आदेश 85 द्वारा मद (2) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
4. संविधान आदेश 92 द्वारा '34 और 60' के स्थान पर प्रतिस्थापित।
5. संविधान आदेश 95 द्वारा 'प्रविष्टि 67में 'और अभिलेख ' शब्दों' शब्दों और अंकों का लोप किया गया।
6. संविधान आदेश 74 द्वारा मूल मद (3) का लोप किया गया।
7. संविधान आदेश 83 द्वारा मद (3) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
8. संविधान आदेश 85 द्वारा अंतःस्थापित।
9. संविधान आदेश 93 द्वारा मद (4) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
10. संविधान आदेश 122 द्वारा (4-6-1985 से) प्रविष्टि 97 के स्थान पर प्रतिस्थापित।
11. संविधान आदेश 69 द्वारा खंड (ग) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
12. संविधान आदेश 70 द्वारा मद (1) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
13. संविधान आदेश 94 द्वारा अंतःस्थापित।
14. संविधान आदेश 122 द्वारा उपखंड (1क) और (1ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।

(1) किन्हीं ऐसे विषयों से, जो ऐसे विषय हैं, जिनके संबंध में संसद को विधियाँ बनाने की शक्ति है, संबंधित विधियों के विरुद्ध अपराधों से है; और

(2) किसी विदेश में राजनयिक और कौंसलीय अधिकारियों द्वारा शपथ दिलाए जाने तथा शपथ पत्र लिए जाने से है।',

(1ख) प्रविष्टि 12 के स्थान पर, निम्नलिखित प्रविष्टि रखी जाएगी, अर्थात्‌ :-

'12. साक्ष्य तथा शपथ, जहाँ तक उनका संबंध-

(1) किसी विदेश में राजनयिक और कौंसलीय अधिकारियों द्वारा शपथ दिलाए जाने तथा शपथ पत्र लिए जाने से है; और

(2) किन्हीं ऐसे अन्य विषयों से है, जो ऐसे विषय हैं, जिनके संबंध में संसद को विधियाँ बनाने की शक्ति है।'

(1ग) प्रविष्टि 13 के स्थान पर '13. सिविल प्रक्रिया, जहाँ तक उसका संबंध किसी विदेश में राजनयिक तथा कौंसलीय अधिकारियों द्वारा शपथ दिलाए जाने तथा शपथ-पत्र लिए जाने से है' प्रविष्टि रखी जाएगी;

1 (2) (3) (2) प्रविष्टि 30 के स्थान पर '30. जन्म-मरण सांख्यिकी, जहाँ तक उसका संबंध जन्म तथा मृत्यु से है, जिसके अंतर्गत जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण है' प्रविष्टि रखी जाएगी;

4 (5) (3) प्रविष्टि 3, प्रविष्टि 5 से 10 तक (जिसमें ये दोनों सम्मिलित हैं), प्रविष्टि 14, 15, 17, 20, 21, 27, 28, 29, 31, 32, 37, 38, 41 तथा 44 का लोप किया जाएगा;

(3क) प्रविष्टि 42 के स्थान पर '42. संपत्ति का अर्जन और अधिग्रहण, जहाँ तक उसका संबंध सूची 1 की प्रविष्टि 67 या सूची 3 की प्रविष्टि 40 के अंतर्गत आने वाली संपत्ति के या किसी ऐसी मानवीय कलाकृति के, जिसका कलात्मक या सौंदर्यात्मक मूल्य है, अर्जन से है' प्रविष्टि रखी जाएगी; और (6) (4) प्रविष्टि 45 में, 'सूची 2 या सूची 3' के स्थान पर 'इस सूची' शब्द रखे जाएँगे।

(23) आठवीं अनुसूची

(7) (24) नवीं अनुसूची

(8) (क) प्रविष्टि 64 के पश्चात्‌, निम्नलिखित प्रविष्टियाँ जोड़ी जाएँगी, अर्थात्‌ :-

(9) (64क) जम्मू-कश्मीर राज्य कुठ अधिनियम (संवत्‌ 1978 का सं. 1);

(9) (64ख) जम्मू-कश्मीर अभिधृति अधिनियम (संवत्‌ 1980 का सं. 2);

(9) (64ग) जम्मू-कश्मीर भूमि अन्य संक्रमण अधिनियम (संवत्‌ 1995 का सं. 5);

10 (11) (64घ) जम्मू-कश्मीर बृहद् भू-संपदा उत्सादन अधिनियम (संवत्‌ 2007 का सं. 17);

(11) (64ङ) जागीरों और भू-राजस्व के अन्य समनुदेशनों आदि के पुनर्ग्रहण के बारे में 1951 का

आदेश सं. 6-एच, तारीख 10 मार्च, 1951;

(12) (64च. जम्मू-कश्मीर बंधक संपत्ति की वापसी अधिनियम, 1976 (1976 का अधिनियम 14);

64छ. जम्मू-कश्मीर ऋणी राहत अधिनियम, 1976 (1976 का अधिनियम 15)।

(13) (ख) संविधान (उनतालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1975 द्वारा अंतःस्थापित प्रविष्टि 87 से 124 तक को क्रमशः प्रविष्टि 65 से 102 के रूप में पुनःसंख्याँकित किया जाएगा।

(14) (ग) प्रविष्टि 125 से 188 तक को क्रमशः प्रविष्टि 103 से 166 के रूप में पुनःसंख्यांकित किया जाएगा।

1. संविधान आदेश 74 द्वारा मद (2) और मद (3) का लोप किया गया।
2. संविधान आदेश 70 द्वारा अंतःस्थापित।
3. संविधान आदेश 74 द्वारा मद (4) को मद (2) के रूप में पुनःसंख्यांकित किया गया।
4. संविधान आदेश 72 द्वारा मद (5) और मद (6) का लोप किया गया।
5. संविधान आदेश 95 द्वारा मद (3) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
6. संविधान आदेश 74 द्वारा मद (7) को मद (4) के रूप में पुनःसंख्यांकित किया गया।
7. संविधान आदेश 74 द्वारा उपपैरा (24) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
8. संविधान आदेश 105 द्वारा संख्यांकित।
9. संविधान आदेश 98 द्वारा पुनःसंख्यांकित।
10. संविधान आदेश 106 द्वारा लोप किया गया।
11. संविधान आदेश 106 द्वारा पुनःसंख्यांकित।
12. संविधान आदेश 106 द्वारा अंतःस्थापित।
13. संविधान आदेश 105 द्वारा अंतःस्थापित।
14. संविधान आदेश 108 द्वारा (31-12-1977 से) अंतःस्थापित।

(1) (25) दसवीं अनुसूची

(क) 'अनुच्छेद 102 (2) और अनुच्छेद 191 (2)' शब्दों, कोष्ठकों और अंकों के स्थान पर, 'अनुच्छेद

102 (2)' कोष्ठक, शब्द और अंक रखे जाएँगे;

(ख) पैरा 1 के खंड (क) में, 'या किसी राज्य की, यथास्थिति, विधान सभा या विधान-मंडल का कोई सदन' शब्दों का लोप किया जाएगा;

(ग) पैरा 2 में,-

(1) उपपैरा 1 में, स्पष्टीकरण के खंड (ख) के उपखंड (2) में, 'यथास्थिति, अनुच्छेद 99 या अनुच्छेद 188' शब्दों और अंकों के स्थान पर, 'अनुच्छेद 99' शब्द और अंक रखे जाएँगे;

(2) उपपैरा (3) में, 'यथास्थिति, अनुच्छेद 99 या अनुच्छेद 188' शब्दों और अंकों के स्थान पर, 'अनुच्छेद 99' शब्द और अंक रखे जाएँगे;

(3) उपपैरा (4) में, संविधान (बावनवाँ संशोधन) अधिनियम, 1985 के प्रारंभ के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) संशोधन आदेश, 1989 के प्रारंभ के प्रति निर्देश है;

(घ) पैरा 5 में, 'अथवा किसी राज्य की विधान परिषद के सभापति या उप सभापति अथवा किसी राज्य की विधान सभा के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष' शब्दों का लोप किया जाएगा;

(ङ) पैरा 6 के उपपैरा (2) में, 'यथास्थिति, अनुच्छेद 122 के अर्थ में संसद की कार्यवाहियाँ हैं या अनुच्छेद 212 के अर्थ में राज्य के विधान-मंडल की कार्यवाहियाँ हैं' शब्दों और अंकों के स्थान पर 'अनुच्छेद 122 के अर्थ में संसद की कार्यवाहियाँ हैं' शब्द और अंक रखे जाएँगे;

(च) पैरा 8 के उपपैरा (3) में, 'यथास्थिति, अनुच्छेद 105 या अनुच्छेद 194' शब्दों और अंकों के स्थान पर, 'अनुच्छेद 105' शब्द और अंक रखे जाएँगे।

,,देश इस सरकार से जादुई चिराग की तरह इस परिवर्तन की तवक़्क़ो करता है

भारत के अधिकतम मुस्लिम ,,हिन्दू ,,,सिक्ख ,,ईसाई और बुद्धिजीवी जो गैर राजनितिक है वोह स्पष्ट रूप से इस मत के है के भारतीय संविधान की धारा तीन सो सत्तर ,,,तीन सो इकत्तर जिसमे कश्मीर और महाराष्ट्र ,,दिल्ली ,,गुजरात वगेरा को विशिष्ट राज्य का दर्जा दिया है उसे हटा देना चाहिए ,,,,,कॉमन सिविल कोड तैयार कर देश के हर नागरिक को बिना किसी जाती ,,धर्म ,,समुदाय ,,भाषा ,,क्षेत्रीयता के ,,,,,बिना किसी आरक्षण के ,,समानता का अधिकार दिया जाकर कॉमन सिविल कोड सबके लिए नौकरी ,,सबके लिए शिक्षा ,, सबके लिए चिकित्सा ,,सबके लिए न्याय का बिना किसी आरक्षण के लागू कर संविधान में स्पष्ट संशोधन किया जाए ,,देश इस सरकार से जादुई चिराग की तरह इस परिवर्तन की तवक़्क़ो करता है ,,,,,,,,,,,,,

आज अचानक

आज अचानक
उनकी उदासी का अहसास
फिर उनके उदासी भरे अलफ़ाज़
में तो मर गया था
बस उनकी
खनकती हंसी
कानो में मिठास घोल देने वाली खुशनुमा आवाज़
मुझे सुकून दे गयी
और में
मरने से बच गया ,,,,,,,,

पापा यह दंगा क्या होता है ,,

आज दस साल कीबिटिया सदफ कलर टी वी पर सीरियल बेइन्तिहा देख रही थी ,,सीरियल में दंगे का माहोल फिल्मांकन किया गया था ,,सीन में चारो तरफ मारकाट ,,कत्लेआम और आगजनी का माहोल था ,,बिटिया सदफ का सवाल था ,,पापा यह दंगा क्या होता है ,, और यह क्यों होता है ,,इस दंगे को कौन लोग करते है ,,,में असमंजस में था के इस बिटिया को इसके सवाल का क्या जवाब दूँ ,,,,लेकिन इसी बीच पड़ोस की एक बिटिया जो सदफ की हम उम्र सहेली है उसने कहा ,,पागल इतना भी नहीं जानती क्या ,,जब इंसान जानवर हो जाते है और जानवरों की तरह से हरकत एक दूसरे के साथ करते है तब इसे दंगा कहते है

मेरा दिल वोह

मेरा दिल वोह
रोज़ दुखाते है
मुझे वोह रोज़
रुलाते है
मुझे वोह रोज़
तड़पाते है
मुझे से रोज़ मिलने का वायदा कर
वोह मुझे भूल जाते है
मुझे रुला कर
शायद वोह जीत की खुशी में
कभी इठलाते है
कभी इतराते है
शायद वोह मेरे अपने
मेरे खासम खास है
इसीलिए तो वोह
अपना हक़ जताते है ,,,,,,,,,,,,,,

विरोध करने वाले हों या जिनका खुद किया विरोध, सभी को बना डाला मंत्री पर आगे क्‍या?

जिस पर लगाए थे बीजेपी ने आरोप, उसे ही बनाया मंत्री 
मोदी की सरकार में राव इंद्रजीत सिंह को रक्षा राज्‍य मंत्री बनाया गया है, लेकिन खुद बीजेपी ने कभी उन पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाकर जांच की मांग की थी। 2006 से 2009 के बीच राव इंद्रजीत सिंह यूपीए सरकार में थे और रक्षा उत्‍पादन मंत्री थे। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने उन पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ सीबीआई जांच तक की मांग कर डाली थी। यह मांग मुंबई के कल्पतरू बिल्डर्स डिफेंस लैंड घोटाले में की गई थी। अब वही बीजेपी रक्षा क्षेत्र में ही राव इंद्रजीत सिंह को मंत्री बनाकर लाई है। 
 
रामविलास पासवान 
सितंबर 2011 में लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने उस वक्‍त गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्‍हें सांप्रदायिक बताया था। पासवान ने उस वक्‍त कहा था कि मोदी कभी भी देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। इसके अलावा, सांप्रद‍ायिकता का हवाला देकर ही पासवान एनडीए से अलग हुए थे। आज रामविलास पासवान मोदी की सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। 
 
 
स्‍मृति ईरानी 
मोदी की कैबिनेट में आज जिसे मंत्री बनाने को लेकर सबसे ज्‍यादा चर्चा हो रही है, वह स्मृति ईरानी ही हैं। 2003 में बीजेपी की जूनियर मेंबर के तौर पर शुरुआत करने वाली स्‍मृति आज मानव संसाधन मंत्री हैं। लेकिन यही स्‍म‍ृति कभी मोदी का पुरजोर विरोध कर चुकी हैं। दिसंबर 2004 में स्‍मृति ने चेतावनी दी थी कि अगर मोदी ने गुजरात के सीएम का पद नहीं छोड़ा तो वह मरते दम तक के लिए अनशन करेंगी। 
 
उमा भारती 
उमा बीजेपी से रूठ कर पार्टी से बाहर जा चुकी हैं और बाद में उनकी वापसी भी हुई है। बीजेपी में न रहने के दौरान उन्‍होंने पार्टी और नरेंद्र मोदी के खिलाफ कई टिप्पणियां की। हाल ही में कांग्रेस ने एक पुराना वीडियो लॉन्च किया, जिसमें उमा मोदी को विनाश पुरुष बताती नजर आ रही हैं। आज वही उमा भारती मोदी की कैबिनेट में जल संसाधन मंत्री हैं।
 
शिवसेना 
शिवसेना वक्‍त-वक्‍त पर दबी जुबान में ही सही, नरेंद्र मोदी का विरोध करती रही है। सितंबर 2012 में शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे ने कहा था कि उस वक्‍त लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज भाजपा में एकमात्र नेता हैं जो प्रधानमंत्री बनने के योग्य हैं। वक्‍त-बेवक्‍त शिवसेना बीजेपी और मनसे के नजदीकियों को लेकर भड़कती रही है, लेकिन मोदी ने पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद बाकी सहयोगियों की तरह शिवसेना को भी निराश नहीं किया और गीते को भारी उद्योग मंत्रालय सौंप दिया।

विरोध करने वाले हों या जिनका खुद किया विरोध, सभी को बना डाला मंत्री पर आगे क्‍या?




नई दिल्‍ली. नरेंद्र मोदी ने 26 मई को 45 मंत्रियों की कैबिनेट के साथ शपथ ग्रहण किया। बहुत सारे लोग यह मानते हैं कि मोदी सिर्फ करीबियों को तरजीह देते हैं, लेकिन उन्‍होंने कभी अपना विरोध करने वाले नेताओं से लेकर उन्‍हें तक कैबिनेट में जगह दी जिन पर उनकी पार्टी बीजेपी भ्रष्‍ट होने का आरोप लगा चुकी है। मोदी की सरकार में राव इंद्रजीत सिंह को रक्षा राज्‍य मंत्री बनाया गया है, लेकिन खुद बीजेपी ने कभी उन पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाकर जांच की मांग की थी। अब ऐसी खबरें हैं कि मोदी अपने कैबिनेट में विस्‍तार कर सकते हैं। सो इस बात पर नजरें टिकी हुई हैं कि वह और किसे अपनी टीम में शामिल करेंगे? सूत्रों के मुताबिक, जून के आखिरी हफ्ते या जुलाई के पहले हफ्ते में कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। इस विस्तार में 25 मंत्री शपथ ले सकते हैं, जिनमें कम से कम 5 कैबिनेट और बाकी राज्य मंत्री होंगे। 
 
क्‍यों जरूरत पड़ी कैबिनेट विस्‍तार की 
मीडिया में इस बात के कयास लग रहे थे कि मोदी का मंत्रिमंडल छोटा होगा और ऐसा हुआ भी। लेकिन जिस तरह से कुछ सहयोगी पार्टी और खुद बीजेपी के अंदर असंतोष के स्‍वर उभरने शुरू हुए, उसके बाद मोदी सरकार को कैबिनेट विस्तार का फैसला करना पड़ा। अब उम्‍मीद है कि बिहार से कुछ और मंत्री होंगे क्‍योंकि राज्‍य बीजेपी से सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री बनाए जाने को लेकर नाराजगी की खबरें थीं। वहीं, शिवसेना ने भी ज्‍यादा मंत्रालयों की मांग की थी। इसके अलावा, कई मंत्रियों के पास एक से ज्यादा विभाग हैं तो कई बड़े मंत्रालय के पास राज्य मंत्री ही नहीं हैं। ऐसे में कैबिनेट का विस्‍तार बेहद जरूरी हो जाता है। 

क्‍या होगा सरकार का कार्यक्रम
- चार जून को लोकसभा का सत्र बुलाया जाएगा। सत्र चार जून से लेकर 11 जून तक चलेगा।
- कमलनाथ प्रोटेम स्‍पीकर होंगे और राष्‍ट्रपति ने इसकी मंजूरी दे दी है।
- राज्‍यसभा की कार्यवाही 9 जून से एक संयुक्‍त सत्र के साथ शुरू होगी।
- चार और पांच जून को सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी।
- प्रधानमंत्री ने सरकार की प्राथमिकताएं तय की हैं। सुशासन, कार्यकुशलता और नीतियों को लागू करने पर रहेगा जोर।
- शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, पानी, ऊर्जा और सड़क जैसे मामले सरकार की प्राथमिकता।

क़ुरआन का सन्देश

 
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