आपका-अख्तर खान

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06 जून 2014

हाँ में खतावार हूँ

हाँ में खतावार हूँ
सरे आम मुझे फांसी पर लटका दो
चाहो तो आरी से काट काट कर
क़त्ल मेरा कर दो
हाँ मेने खता की है
हाँ मेने खता की है
तुमसे सच्ची मोहब्बत
तुमसे सच्ची मोहब्बत की है ,,अख्तर

इतनी धुप में घबरा क्यों गए…… काश कुछ पौधों को जीवन दिया होता बचपन में।

इतनी धुप में घबरा क्यों गए…… काश कुछ
पौधों को जीवन दिया होता बचपन में।
जी हाँ दोस्तों इस्लामिक बात है ,,,जन्नत जन्नत इसीलिए है क्योंकि वहां पेढ़ पोधे हरियाली है ,,,,,,,,,हुज़ूर स अ व ने फ़रमाया है के पढ़ लगाना और उन्हें बचाये रखना सबसे बढ़ा सवाब है ,,,,,फिर मुसलमानो के होते हुए हरे पेड़ों की कटाई क्यों ,,,जो पेढ़ हमे फल ,,हमे छाया ,,,हमे ज़िंदगी देते है आओ उन पेड़ों को लगाने ,,उन पेड़ों को बचाने के लिए काम करे सवाब हांसिल करें ,,और दुनिया को बता दे के इस्लाम इंसान के साथ हिंसा तो क्या ,,पेढ़ पौधों के साथ भी हिंसा करने का हुक्म देता ,, अख्तर

भारतीय संस्कृति को अपमानित करने वाले लोग

हिंदुत्व की रक्षा के नाम पर हिंदुत्व का अपमान करने वाले ,,,भारतीय संस्कृति को अपमानित करने वाले लोग निहत्थे ,,,निर्दोष बेबस शख्स को घेर कर जान से मार देना अपनी बहादुरी समझते है ,,लेकिन हिन्दू शास्त्र ध्यान से पढ़ लो इसे सिर्फ और सिर्फ कायरता कहते है ,,,और कोई भी कायर हिंदुत्व के नाम पर केवल चँदेबाज़ी कर सकता है ,,लोगों को भड़का कर ,,उकसा कर इस धरती माँ का सीना निर्दोषो के खून से लाल कर शर्मसार कर सकता है ,,,ज़्यादा से ज़्यादा एम एल ऐ ,,,,एम पी,,,, पार्षद बन सकता है ,,लेकिन एक हिंदू ,,एक सनातनी ,,एक हिन्दुस्तानी ,,एक भारतीय ,,एक आम इंसान बन सकता ,,,,,,यही बात उन मुसलमानो पर भी लागू होती है जो कहते तो खुद को मुसलमान है और काम उनके निर्दोषों की हत्या कर हैवानों जैसे होते है ,,,ऐसे हिंसक ,,लोगों के लिए ही तो कहा जाता है ,,,,,,फ़िरऔन ,,,यज़ीद ,,,,रावण ,,,कंस ,,,कौरव ,,,मर गए और अपनी औलादें छोड़ गए लेकिन ऐसे वंशजों को कोई फिर राम बनकर ,,कृष्ण बनकर ,,मोहम्मद स अ व बनकर राहे रास्त पर लाएगा और इंशा अल्लाह फिर से मेरे इस भारत को महान बनाएगा ,,

मेरे खुदा से मेरी इल्तिजा है मेरे सपनों का भारत आधुनिक हो महान हो

में ,,,मेरे अल्लाह का शुक्रगुज़ार हूँ ,,,के मुझे उसने ,,,,हिन्दुतान की इस माटी पर ,,एक मुस्लिम घराने में,,,7 जून 1963 को ,, जन्म दिया ,,,में इसी हिन्दुतान की,,, मिटटी में ,,खेला ,,पला ,बढ़ा ,,तो कभी खेल खेल में लोट पोट हुआ,,, तो कभी ज़ख्मी होने पर इसी मिटटी को ज़ख्मों पर लगाकर दर्द कम कर लिया ,,,,यह वही पाक सर ज़मीन है जिस पर मेने घुटने टेके ,,अपना माथा टेका और इबादत कर ली ,,,मेने इसी सरज़मीं पर बैठकर ,,,,अपने खुदा की इबादत की है ,,,,यह वही मिटटी है,,,,,जिसकी सोंधी सोंधी खुशबु ने ,,मुझे ,,,खुशहाल कर दिया ,,इसी मिटटी की पैदावार को खाकर में ,,,बढ़ा हुआ ,,और एक दिन इसी मिटटी में ,,,में मिल जाऊंगा ,,,,इसी मिटटी का में हो जाऊंगा ,,मेने इसी मिटटी में पल कर शिक्षा हांसिल की ,,रोज़गार हांसिल किया ,,,,मेने अपने इस अधेड़ हुए जीवन में आपातकाल में पत्रकारिता का दौर भी देखा है , जहां हमे खबरों की प्रूफ पट्टियाँ निकाल कर कलेक्टर की सहमति के हस्ताक्षर के लिए रोज़ लेजाना होता था और खबरें छापने का हक़ तभी मिलता था ,,,सेंसर न्यूज़ का वोह दौर भी मेने देखा है और ईमानदार पत्रकारिता के वुजूद में ,,में पला बढ़ा हूँ ,,मेने आज बिकाऊ पत्रकारिता ,,विज्ञापन संस्कृति की पत्रकारिता ,,पेड़ न्यूजों का माहोल भी देखा है ,,,,,, कई ,दंगे फसादात ,,राहत कार्य ,,कर्फ्यू ,,और एक हिन्दू को मुस्लिम के लिए जान की बाज़ी लगते हुए एक मुसलमान को हिन्दू पर अपना सब कुछ न्योछावर कर देने का माहोल भी देखा है ,,नफरत भी देखी है प्यार भी देखा है ,,,,,,,,मेरी उम्र में अब अधेड़ वक़्त है ,,बल्कि अधेड़ता अब मेने पार कर ली है ,,जो ज़िंदगी है वोह बोनस है ,,,,,,,,,,में न किसी की आँख का नूर हूँ ,,
में न किसी के दिल का क़रार हूँ
मे बेकार हूँ ,,बेनाम हूँ ,,
मेरे कई दोस्त है
मुझे कई दिल जान से प्यार करने वाले है
मेरी इबारत ,,मेरे अलफ़ाज़ मेरे देश के लिए है
मेरे अल्फ़ाज़ों से मेरी कोशिश है
मेरे अल्फ़ाज़ों से मेरी दुआ है
मेरे खुदा से मेरी इल्तिजा है
मेरे सपनों का भारत आधुनिक हो महान हो
यहां मुस्लिम गाये भजन हिन्दू दे अज़ान ऐसा माहोल हो
मस्जिद की करे हिफाज़त हिंदू
मंदिर की करे हिफाज़त मुसलमान
ऐसा मेरा भारत महान हो
सब के सीने में दिल हो दिल में हो इंसानियत
सभी के दिलों में गीता हो क़ुरआन हो ,,,
दोस्तों यूँ तो में किसी भी लायक नहीं लेकिन मेरे अब तक के कई अल्फ़ाज़ों से आप में से कुछ भाइयों को ठेस पहुंची हो तो मुझे माफ़ कर मुझे मेरे जन्म दिन का तोहफा देकर अनुग्रहित करे ,,जो लोग मुझ से नाराज़ है ,,जो लोग मुझ से नफरत करते है ,,,उनसे भी गुज़ारिश है प्लीज़ सब कुछ भुलाकर मुझे माफ़ करे ,,,जो लोग मुझे हिन्दू ,,मुझे मुसलमान ,,मुझे कोंग्रेसी ,,मुझे भाजपाई ,,आपिया ,,,हिंदी भाषी ,, उर्दू भाषी ,,राजस्थानी भाषी ,,,सुन्नी ,,शिया ,वहाबी ,,,,जमाती ,,समझकर मेरे लिए पूर्व में ही की सोच बना चुके है उनसे भी मेरी गुज़ारिश है ,,मुझे इस अधेड़ता पार करने वाले जन्म दिन पर चाहे मुबारकबाद न दे लेकिन तोहफे के रूप में वोह टिप्स ,,वोह सीख तो ज़रूर दे ,,जिससे में उनके दिलों के नज़दीक आ सकु ,,में मेरे भारत महान का एक खुसूसी हिस्सा बन सकूँ ,,में किसी एक का नहीं ,,सभी का बन सकूँ ,,,,में हिन्दुस्तान बन सकूँ ,,,,,,आपको रोज़ रोज़ ,,उल्टा सुल्टा लेखन लिख कर परेशान और दुखी करने वाला आपका सिर्फ आपका ,, अख्तर खान अकेला ,, कोटा राजस्थान

राजस्थान प्री मेडिकल टेस्ट 2014 में अपने चहेतों के सेलेक्शन के मामले में योजनाबद्ध तरीके से भयंकर घोटाले हुए है

राजस्थान प्री मेडिकल टेस्ट 2014 में अपने चहेतों के सेलेक्शन के मामले में योजनाबद्ध तरीके से भयंकर घोटाले हुए है ,,यदि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच हो तो निश्चित तो पर उत्तरप्रदेश के चिकित्सा घोटाले के आरोपी रशीद मसूद की तर्ज़ पर राजस्थान के भी कई सियासी लोग और अधिकारी जेल में होंगे ,,, राजस्थान प्री मेडिकल टेस्ट में पहले तो ऑनलाइन टेस्ट की व्यवस्था नहीं होने पर भी तीन दिनों के छ चरणों में ऑनलाइन परीक्षा करवाई गयी ,,मनमाने पेपर थे , पेपर की आन्सर शीट गलत जवाबों से भरी थी ,,पहले तो सवालों और जवाबो को लीक क्या गया ,,,फिर आपत्तियां ली गयी , बोनस मार्क फिर संशोधित बोनस मार्क की घोषणा गई वेबसाइट पर निर्णय दे दिया गया ,, और अचानक रातोरात फैसला बदलते हुए मनमानी स्केलिंग ,,,मनमानी कटौती ,,मनमानी पर्सेंटाइल के नाम पर अपने चहेतों को आगे बढ़ाया गया और लोगों को पीछे धकेल दिया गया ,,,इस पक्षपात को लेकर ,,इस बेईमानी को लेकर राजस्थान में काफी आक्रोश व्याप्त है ,,सुनते है एक कोचिंग माफिया भी इस घोटाले में हिस्सेदार है ,,,,,,,,अब परीक्षार्थी हाईकोर्ट जाने का मन बना रहे है देखते है वहां क्या निर्णय सामने आता है ,,,,,,,,अख्तर

रंजिशें यहाँ मर्दों की औरतों से भुनाई जाती हैं,

रंजिशें यहाँ मर्दों की औरतों से भुनाई जाती हैं,
कुचल कर तितलियाँ झाड़ों से लटकाई जाती हैं |

साड़ियाँ सलवारें बिंदियाँ और चूड़ियाँ मसल कर
मासूम शक्लें परियों की तेजाब से भिगोई जाती हैं |

घर, मोहल्ला, शहर या हो मैदान किसी जंग का
तजुर्बा ए मर्दानगी में औरतें काम लाई जाती हैं |

मर गईं जो तो चीख पुकार जुलूस मोमबत्तियाँ
गर जिंदा जो रहीं मौत तलक तड़पाई जाती हैं |

अक्सर इस देवी के देश के रहनुमा कहते हैं
क्या हुआ कुछ गलतियाँ लडकों में पाई जाती हैं |

मेने अभी फिर से

मेने अभी फिर से
मेने मेरे प्यार
,मेरे इन्तिज़ार की
उपेक्षा देखी है ,,
मेने अपने जज़्बात का
अभी हाल ही में
उपहास देखा है ,,
लेकिन
में क्या कर सकता हूँ
ओखली में सर तो
मेने खुद ही दिया है
फिर मूसल से डर कर
में रोता क्यों हूँ ,,,,

दोस्तों मुझे लोग प्यार से अक्कू कहते है

दोस्तों मुझे लोग प्यार से अक्कू कहते है ,,,,माँ बाप ने मेरा नाम अख्तर खान रखा ,,साहित्य ,,लेखन ,,फलसफा ,,पत्रकारिता के अनुभव ने मुझे मेरा नाम अख्तर खान अकेला कर देने के लिए प्रेरित किया ,,मेरी बिटिया मुझे पापु ,,,बेटा पापा ,, प्यार करने वाले अक्कू ,,हंटर वाली जेलर ,,एजी ,,ओ जी ,,,,शाहरुख के पापा कहती है ,,,,लोग नफरत से भी कुछ कहने की कोशिश करते होंगे ,,वोह कह सकते है ,,,,जो लोग मुझे भाजपा के खिलाफ लिखता देखते है वोह मुझे कोंग्रेसी कहते है ,,,जो लोग मुझे कांग्रेस के खिलाफ लिखता देखते है वोह लोग मुझे भाजपाई कहते है ,,जो लोग दोनों के खिलाफ लिखता देखते है वोह लोग मुझे आपिया कहते है ,,,,जो लोग मुझे दलित ,,शोषित ,,सियासी तोर पर उपेक्षित समाज के लिए लिखता देखते है वोह लोग मुझे मुस्लिम परस्त कहते है ,,जो लोग मुझे मुस्लिम की कुरीतियों मोलवी ,,मुल्लाओं के खिलाफ लिखता देखते है वोह लोग मुझे काफ़िर हिनद परस्त कहते है ,,,,,,,,,,,जो लोग मुझे उर्दू अलफ़ाज़ इस्तेमाल करते देक्खते है वोह उर्दू परस्त कहते है तो कोई हिंदी परस्त कहता है ,,,,,,कोई जमाती ,,कोई वहाबी ,,कोई न जाने क्या क्या सो कॉलड नाम रख कर जो चाहता है वोह कहता है ,,लेकिन दोस्तों मेरी कोशिश है के मेरा मज़हब ,,मेरी तहज़ीब ,, वुजूद ,,मेरे अखलाक़ मेरा हिन्दुस्तान ,,, ज़िंदा रहे ,,उसके अखलाक़ विश्व में नंबर वन रहे ,,,अब कोई कुछ भी कहे कोई कुछ भी समझे मुझे क्या ,,मुझे तो आपका साथ है ,,आपका प्यार है ,,आपका दुलार है ,,आपकी डांट ,,आपकी फटकार है ,,मुझे किसी की क्या परवाह क्यों जनाब सही है ना ,,,,,,,,,अख्तर

क़ुरआन का सन्देश

 
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