में ,,,मेरे अल्लाह का शुक्रगुज़ार हूँ ,,,के
मुझे उसने ,,,,हिन्दुतान की इस माटी पर ,,एक मुस्लिम घराने में,,,7 जून
1963 को ,, जन्म दिया ,,,में इसी हिन्दुतान की,,, मिटटी में ,,खेला ,,पला
,बढ़ा ,,तो कभी खेल खेल में लोट पोट हुआ,,, तो कभी ज़ख्मी होने पर इसी
मिटटी को ज़ख्मों पर लगाकर दर्द कम कर लिया ,,,,यह वही पाक सर ज़मीन है जिस
पर मेने घुटने टेके ,,अपना माथा टेका और इबादत कर ली ,,,मेने इसी सरज़मीं पर
बैठकर ,,,,अपने खुदा की इबादत की है ,,,,यह वही मिटटी है,,,,,जिसकी सोंधी
सोंधी खुशबु ने ,,मुझे ,,,खुशहाल कर दिया
,,इसी मिटटी की पैदावार को खाकर में ,,,बढ़ा हुआ ,,और एक दिन इसी मिटटी में
,,,में मिल जाऊंगा ,,,,इसी मिटटी का में हो जाऊंगा ,,मेने इसी मिटटी में पल
कर शिक्षा हांसिल की ,,रोज़गार हांसिल किया ,,,,मेने अपने इस अधेड़ हुए जीवन
में आपातकाल में पत्रकारिता का दौर भी देखा है , जहां हमे खबरों की प्रूफ
पट्टियाँ निकाल कर कलेक्टर की सहमति के हस्ताक्षर के लिए रोज़ लेजाना होता
था और खबरें छापने का हक़ तभी मिलता था ,,,सेंसर न्यूज़ का वोह दौर भी मेने
देखा है और ईमानदार पत्रकारिता के वुजूद में ,,में पला बढ़ा हूँ ,,मेने आज
बिकाऊ पत्रकारिता ,,विज्ञापन संस्कृति की पत्रकारिता ,,पेड़ न्यूजों का
माहोल भी देखा है ,,,,,, कई ,दंगे फसादात ,,राहत कार्य ,,कर्फ्यू ,,और एक
हिन्दू को मुस्लिम के लिए जान की बाज़ी लगते हुए एक मुसलमान को हिन्दू पर
अपना सब कुछ न्योछावर कर देने का माहोल भी देखा है ,,नफरत भी देखी है
प्यार भी देखा है ,,,,,,,,मेरी उम्र में अब अधेड़ वक़्त है ,,बल्कि अधेड़ता अब
मेने पार कर ली है ,,जो ज़िंदगी है वोह बोनस है ,,,,,,,,,,में न किसी की
आँख का नूर हूँ ,,
में न किसी के दिल का क़रार हूँ
मे बेकार हूँ ,,बेनाम हूँ ,,
मेरे कई दोस्त है
मुझे कई दिल जान से प्यार करने वाले है
मेरी इबारत ,,मेरे अलफ़ाज़ मेरे देश के लिए है
मेरे अल्फ़ाज़ों से मेरी कोशिश है
मेरे अल्फ़ाज़ों से मेरी दुआ है
मेरे खुदा से मेरी इल्तिजा है
मेरे सपनों का भारत आधुनिक हो महान हो
यहां मुस्लिम गाये भजन हिन्दू दे अज़ान ऐसा माहोल हो
मस्जिद की करे हिफाज़त हिंदू
मंदिर की करे हिफाज़त मुसलमान
ऐसा मेरा भारत महान हो
सब के सीने में दिल हो दिल में हो इंसानियत
सभी के दिलों में गीता हो क़ुरआन हो ,,,
दोस्तों यूँ तो में किसी भी लायक नहीं लेकिन मेरे अब तक के कई अल्फ़ाज़ों से
आप में से कुछ भाइयों को ठेस पहुंची हो तो मुझे माफ़ कर मुझे मेरे जन्म
दिन का तोहफा देकर अनुग्रहित करे ,,जो लोग मुझ से नाराज़ है ,,जो लोग मुझ
से नफरत करते है ,,,उनसे भी गुज़ारिश है प्लीज़ सब कुछ भुलाकर मुझे माफ़ करे
,,,जो लोग मुझे हिन्दू ,,मुझे मुसलमान ,,मुझे कोंग्रेसी ,,मुझे भाजपाई
,,आपिया ,,,हिंदी भाषी ,, उर्दू भाषी ,,राजस्थानी भाषी ,,,सुन्नी ,,शिया
,वहाबी ,,,,जमाती ,,समझकर मेरे लिए पूर्व में ही की सोच बना चुके है उनसे
भी मेरी गुज़ारिश है ,,मुझे इस अधेड़ता पार करने वाले जन्म दिन पर चाहे
मुबारकबाद न दे लेकिन तोहफे के रूप में वोह टिप्स ,,वोह सीख तो ज़रूर दे
,,जिससे में उनके दिलों के नज़दीक आ सकु ,,में मेरे भारत महान का एक खुसूसी
हिस्सा बन सकूँ ,,में किसी एक का नहीं ,,सभी का बन सकूँ ,,,,में
हिन्दुस्तान बन सकूँ ,,,,,,आपको रोज़ रोज़ ,,उल्टा सुल्टा लेखन लिख कर परेशान
और दुखी करने वाला आपका सिर्फ आपका ,, अख्तर खान अकेला ,, कोटा राजस्थान