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30 जून 2014

संघ ने कहा : शंकराचार्य किस हैसियत से उमा भारती का इस्तीफा मांग रहे हैं

संघ ने कहा : शंकराचार्य किस हैसियत से उमा भारती का इस्तीफा मांग रहे हैं
नई दिल्ली. साई बाबा की पूजा पर विवाद बढ़ता जा रहा है। द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने केंद्रीय मंत्री उमा भारती की आलोचना की थी क्योंकि वे साईं की पूजा करती हैं। इसके बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उमा का बचाव किया है। संघ ने कहा है कि स्वामी स्वरूपानंद किस हैसियत से उमा भारती का इस्तीफा मांग रहे हैं।
 
जिसको लगता है कि साईं की पूजा करनी चाहिए, वह करे। जिसको नहीं लगता, वह न करे। संघ के नेता एमजी वैद्य ने कहा, 'ये विवाद निरर्थक और गलत है। स्वामी स्वरूपानंद ने ऐसा विवादित बयान दिया ही क्यों? यह समझ नहीं आ रहा है। 

यूं बढ़ा विवाद
 
दरअसल शंकराचार्य ने साईं पूजा का विरोध कर नया बवाल खड़ा कर दिया है। विवाद शनिवार को बढ़ा था। उमा भारती ने साईं पूजा को गलत बताने के द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के बयान पर असहमति जताई। उन्होंने खुद को साईं भक्त बताते हुए कहा था, 'साईं बाबा ने कब घोषित किया था कि मैं भगवान हूं।
 
इस पर शंकराचार्य ने कहा, 'उमा भारती राम भक्त नहीं हैं। वे साईं की पूजा करती हैं। सार्इं हिंदू नहीं थे। राम मंदिर अभियान में उमा भारती की विफलता की वजह उनकी साईं भक्ति है। इसके बाद शंकराचार्य ने हरिद्वार में संतों के साथ बैठक की। इस बैठक में यह मांग भी उठी थी कि उमा भारती को केंद्रीय कैबिनेट से बर्खास्त किया जाए।

पेट्रोल की कीमत में 1.69 रुपए और डीजल में 50 पैसे प्रति लीटर का इजाफा

पेट्रोल की कीमत में 1.69 रुपए और डीजल में 50 पैसे प्रति लीटर का इजाफा
 
फाइल फोटोः नई दिल्ली में फ्यूल स्टेशन पर लगी वाहनों की भीड़। 

नई दिल्ली. रेलवे किराए में बढ़ोतरी के बाद एक बार फिर नई सराकर ने महंगाई का झटका दिया है। सरकार ने अब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि कर दी है। डीजल की कीमत में 50 पैसे और पेट्रोल में 1.69 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बढ़ोतरी की गई है। नई कीमतें सोमवार आधी रात के बाद से लागू हो जाएगी। 
 
दरों में परिवर्तन 
- दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 71.56 से बढ़कर 73.25 रुपए प्रति लीटर होगी।
- मुंबई में पेट्रोल 80.16 से बढ़कर 81.85 रुपए प्रति लीटर की दर से मिलेगा।
- लखनऊ में पेट्रोल की कीमत 79.03 से बढ़कर 80.72 रुपए प्रति लीटर हो जाएगी। 
 
इराक संकट को ठहराया जिम्मेदार 
तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने तेल कीमतों में की गई इस बढ़ोतरी के लिए इराक की स्थिति और और रुपए की कमजोरी को जिम्मेदार ठहाराया है। कंपनी का कहना है कि मध्य एशिया में अस्थिरता के माहौल के कारण अंतराराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें पिछले दोफ्तों में बढ़ी हैं। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपया भी कमजोर हुआ है। इन स्थितियों में तेल कंपनियों का घाटा बढ़ गया था। लिहाजा कीमतों में वृद्धि का  फैसला करना पड़ा। 
 
कमजोर मानसून भी बन सकता है खतरा
रेल किराए में बढ़ोतरी के बाद से मोदी सरकार की ओर से जनता को दिया गया यह महंगाई का दूसरा झटका है। ऊपर से कमजोर मानसून के चलते और भी महंगाई बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है।  
 
राजनाथ बोले- महंगाई हमारे लिए चिंता का विषय 
वहीं,  महंगाई रोकने के मोर्चे पर अभी नाकाम नजर आ रही मोदी सरकार की आलोचना पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि महज एक महीने के कामकाज के आधार पर किसी को आंकना गलत है। राजनाथ सिंह ने भरोसा जताया कि मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दिन रात एक कर देगी। आने वाले सकारात्मक नतीजे भी दिखेंगे। राजनाथ सिंह ने कहा, हमारे लिए चिंता का विषय महंगाई है। मैं भरोसा दिलाता हूं कि आने वाले समय में हमारी सरकार कई मोर्चों पर अच्छे परिणाम देगी। 

क़ुरआन का सन्देश

 

पत्रकारों में कई चुगलखोर है तो कई अफसरों और नेताओं के लिए मुखबीरी कर रहे है ,


मेरे पारिवारिक मित्र बढ़े भाई ,,पत्रकारिता के संरक्षक ,,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल का हुक्म था के में अपने अनुभवों के आधार पर पत्रकारिता के बदलते हालातों पर कुछ लिखूं ,,,इत्तिफ़ाक़ था  के हालातों ने मौक़ा ही नहीं दिया के में अपने बढ़े भाई तुल्य दोस्त के हुकम की पालना कर सकूँ ,,,,दोस्तों पत्रकारिता में मास्टर डिग्री के बाद मेने तीस साल का लम्बा अनुभव प्राप्त किया है ,,,ट्रेडिल संस्कृति ,,पत्र संस्कृति से लेकर ,,ऑफसेट ,,कलर ऑफसेट ,,सेटेलाइट ,,,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया ,,सोशल मीडया ,,सभी तरह के छूट पूट अनुभव प्राप्त किये है ,,यक़ीनन कुछ अनुभव खौफनाक है और पत्रकारिता में व्यवसाईकरण ,,स्तरहीन पत्रकारिता का बदलाव शर्मनाक और देश के लिए खतरनाक है यह देश को कोड की तरह खा रहा है ,,,,,,,सभी जानते है के धर्म ग्रंथों में सूचनाओ के आदान प्रदान का ज़रिया बना था पत्रकारिता का जन्म कालांतर से माना जाता रहा है ,,सनातन धर्म में नारद मुनि महाराज को पत्रकार कहा गया है जो निर्भीक नीडर होकर जो देखते थे वोह कहते थे ,,इस्लाम में जिब्रील अ स है जो सूचनाओं का आदान प्रदान शब्द ब शब्द करते रहे है ,,,फिर आदिकाल के बाद हड्डियों पर ,,पत्तों पर ,,खालों पर , पत्थरों पर सूचनाओं का आदान प्रदान शुरू हुआ ,, यह पत्रकारिता की पहली शक्ल थी ,,,,वक़्त बदलता गया ,,,,फरमान  के रूप में खबरे इधर से उधर पहुंचाई जाने लगी ,,,,,फिर कागज़ ,,क़लम दवात का दौर शुरू हुआ ,,,बस यहीं से पहले पत्र पत्रकारिता फिर छापेखाने की पत्रकारिता का जन्म हुआ और आज जैसी पत्रकारिता है वोह आपके सामने है ,,,पत्रकारिता पहले समर्पण थी ,,पत्रकारिता पहले न्याय ,,,इन्साफ ,,,निष्पक्ष ,,निर्भीकता ,, नाम से जानी जाती थी लेकिन अब पत्रकारिता एक व्यवसाय बन गयी है ,,जिसे इन दिनों अगर वेस्यावृत्ति का व्यवसाय कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी ,,,मेने पत्रकारिता से जुड़ते वक़्त एक पत्रकार की जीवनी पढ़ी थी और वोह जीवनी  उस पत्रकार ने उस वक़्त लिखी थी जब उन्हें राष्ट्रीय स्तर की पत्रकारिता का सम्मान प्राप्त हुआ था ,,इन पत्रकार साहब ने अपना अनुभव बांटते हुए लिखा था के जब वोह पत्रकारिता से जुड़े तो एक दूर दराज़ गाँव में प्रधानमंत्री का दौरा था कई उद्घाटन समारोह होना थे ,,, इन पत्रकार जी को इस कार्यक्रम की रिपोर्टिंग के लिए भेजा गया ,,दर्जनों पत्रकारों को सरकारी खर्च पर गाँव से सो किलोमीटर दूर एक शहर की बहतरीन होटल में ठहराया गया ,,सरकारी गाड़ी से रिपोर्टिगं पर जाना था ,,,,लेकिन रात को शराब पार्टी  ज़्यादा हो जाने से कोई पत्रकार उठा नहीं और अकेले यह जांबाज़ पत्रकार अपने साधन से रिपोर्टिंग स्थल पर पहुंचे वहां की जिवंत रिपोर्टिंग की ,,प्रधानमंत्री बीमार हो जाने से नहीं आ सके उनके मंत्री ने उद्घाटन किया लेकिन सरकारी प्रेस नोट  में प्रधानमंत्री जी द्वारा उद्घाटन करना बताया गया ,,,जांबाज़ पत्रकार ने गाँव की ख़ाक छानकर भूखा प्यासा रहकर ,,पेडल चलते हुए जो रिपोर्टिंग की थी वोह टेलीग्राम से अपने अखबार में भेजी ,,दूसरे दिन सभी अख़बारों में प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन करने और गरीबों के उत्थान के लिए भाषण देकर योजनाओं की घोषणाओं की खबर थी केवल इनके अख़बार में प्रधानमंत्री के नहीं आने और मंत्री जी द्वारा उद्घाटन करने की खबर थी ,,,इस जांबाज़ पत्रकार ने लिखा है के इनक पत्र के मालिक ने इन्हे खूब डांटा और गलत रिपोर्टिंग के इलज़ाम में नौकरी से निकाल दिया ,,मालिक का कहना था के इतने बढ़े बढ़े पत्रकार ,,,, रिपोर्टिंग कर रहे है वोह झूंठ कैसे हो सकती है ,,तब से इस जांबाज़ पत्रकार ने भी दूसरे पत्रकारों की तरह खुद को बदल लिया और पत्रकारिता की दमनकारी झूंठ नीति से जुड़ने से उन्हें देश के सर्वोच्च  सम्मान से नवाज़ा गया ,,,इन पत्रकार  साहब की इस जीवनी के अंशो से अंदाज़ा लगाया जा सकता है के देश में सच्चे पत्रकारों को नौकरी से निकाला जाता है और झूंठे ,,चापलूस पत्रकारों को सर पर बिठाया जाता है ,,यही एक कड़वा सच है जो आज देश में चल रहा है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,दोस्तों देश में पत्रकारिता का स्तर एक वक़्त वोह था जो अकबर इलाहबादी अख़बार निकालना और तोप  मुक़ाबला करना बराबर समझते थे ,,,,पत्रकार की छवि आम आदमी की   निगाह में शेव के लिए वक़्त नहीं होने से दाढ़ी बढ़ी होना ,,,गरीबी और दरिद्रता की शक्ल ,,एक क़लम और एक कपड़े का थैला कंधे पर लटके होने की थी ,,लेकिन आज फाइव स्टार  होटल में नेताओं उद्योगपतियों के साथ शराब पीना ,,सरकार से अधिकतम सुविधाएं लेना ,,,,चमचागिरी करना ,,,महंगी कर रखना ,,पत्रकारिता की पहचान बनी है ,,,,,,यह परिवर्तन तेज़ी से चरित्र की गिरावट के कारण नहीं आया है ,,आज़ादी की लड़ाई में शंखनाद कर देश को आज़ाद कराने वाले पत्रकार  ना जाने कहा खो गए है ,,बचे है तो बस महंगे दाम लेकर सियासी या उद्द्योगो के पम्पलेट छापने वाले विज्ञापन प्रचारक ,,,पैदा होने की खवर हो ,,मरने की खबर हो ,,पढ़ाई में अव्वल आने की खबर हो सब महंगे दामों के विज्ञापन में छपेंगे ,,,,,प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम की तो खुली धज्जियाँ उड़ रही है ,,एक अख़बार एक डिक्लेरेशन पर ही अलग अलग एडीशन और फिर  क्षेत्रीय एडिशन निकाल रहा है ,, जिला मजिस्ट्रेट को कोई खबर नहीं ,,पत्रकारती के अलावा कोई दुसरा व्यवसाय नहीं होने का शपथ पत्र देकर अख़बार वाले कभी तो मेले लगाते है ,,कभी  तेल बेचते है ,, कभी साबुन बेचते है ,,तो कभी अपना ज़मीर बेचते है ,,,,,कभी खबरें बेचते है तो कभी अपना  ईमान बेचते है ,,खुलेआम पेड़  न्यूज़ ,,पेड़ साक्षात्कार आम बात हो गयी ,,,,मर्दानगी की दवाओ के विज्ञापन ,,नंगी औरतों  के फोटु ,,सेक्स के सारे हथकंडे अख़बारों में विज्ञापन के रूप में मिल जाएंगे ,,,,देश में हर रोज़ अख़बार और टीवी के विज्ञापनों से दो हज़ार से  ज़्यादा ठगी के मामले बनते है ,,पहले सट्टे का नंबर ,,अख़बारों  में नहीं छपते थे लेकिन आजकल सट्टे के नंबर अख़बारों में छापना फैशन बन गया है ,,,,,पत्रकार मर्यादाएं भूल गए है ,,ज़मीर बेच दिया है ,,देश बेच रहे है ,,सपने बेच रहे है ,,उद्द्योग्पतियों को देश लूटने का मौक़ा दे रहे है ,,सियासत में सौदेबाज़ी कर जनता को झूंठ बेचकर गुमराह कर रहे है और सत्ता  पार्टी से खुद के लिए राज्य सभा की सीट ,,,,प्रेस अटेची की नौकरी ,,कहीं समिति में या फिर सलाहकार में नियुक्ति के लिए सियासत के तलवे चाट रहे है ,,अब तो बच्चा भी  जानता है कोनसा टी वी चैनल ,,कोनसा अख़बार किस सियासी पार्टी का गुलाम है या फिर किस ब्यूरोक्रेट की चमचागिरी कर रहा है ,,पहले मंत्री हो चाहे अधिकारी ,चाहे प्रधानमंत्री हो सभी पर अख़बारों का खौफ रहता था लेकिन सुविधाये और रिश्वत लेने की परम्परा के बाद अख़बार सभी की पैरों की जूती  के नीचे रहते है ,, अपवाद स्वरूप कोई अख़बार ,,चैनल ,,या पत्रकार सच का साथ निभाने की परम्परा निभाना चाहता है तो उसे नौकरी से हाथ धोना पढ़ता है या फिर सरकार के कोप भाजन बनना पढ़ता है ,,,,,,,,,,,,,,,हमने आपात स्थिति का वोह ज़माना देखा है जब खबरें छापने के पहले प्रूफ पट्टियां लेजाकर साहब के हस्ताक्षर करवाकर एप्रूव्ड कराना ज़रूरी होती थी वरना जेल पहुंचाने की धमकिया मिलती थी ,,हमने  वोह दौर भी देखा है जब हुकूमते ,,मंत्री सभी पत्रकारों के क़दमों में रहती थी ,,,,पत्रकारों को रोटी नहीं इज़्ज़त चाहिए होती थी और वोह उन्हें मिलती थी  आज व्यापारिक युग है पत्रकारिता को सिर्फ रूपये  कमाने का ज़रिया बना लिया गया है ,,और इसीलिए जो कलेक्टर जो मंत्री अपनी बात कहने के लियू पत्रकारों के हाथ पाँव जोड़ता जोड़ता नहीं थकता था आज उसी अधिकारी उसी मंत्री  के पीछे पत्रकार माइक ,,कैमरा ,,क़लम लेकर पीछे पीछे अपमानित होते हुए घूमते देखे जा सकते है और रिपोर्टिंग व्ही छपेगी या दिखाई जायेगी जिसे मालिक चाहेगा ,,,,,,,,,एक दौर क़लम से लिख कर अख़बार निकालने का था ,, दुसरा दौर सीसे के टाइपों  को जमाकर ट्रेडिल पर अख़बार छापने का था ,,दूरदराज़ की खबरे पहले टेलीग्राम फिर फेक्स से जाने लगी ,,,लेकिन आज के इंटरनेट युग में ,,आज के आधुनिक युग में इंटरनेट  से फोटुग्राफ ,,खबर ओड़िया विडिओ भेज दिया जाता है जबकि पहले फोटु के लिए ब्लॉक बनवाने के लिए घंटो मिन्नतें करना पढ़ती थी ,,पहले टेलीप्रिंटर या फिर  रेडिओ के धीमी गति के समाचारों से खबरें बनती थी ,,अब  वोह ज़माना गया ,,,,बंद कमरे में भी खबरे एकत्रित कर पत्रकारिता की जा सकती है ,,आज हर अख़बार देश का सबसे ज़्यादा बिकने वाला अख़बार खुद को प्रचारित करता है ,,जबकि हर टी वी चैनल ब्रेकिंग न्यूज़ के साथ देश का सबसे तेज़ चलने वाला टी आर पी वाला चैनल बताता दिखता है ,,,,,,तो दोस्तों बदलाव की इस राजनीति में पत्रकार विधायक ,,संसद ,विधानपरिषद के सदस्य ,,सत्ता पक्ष के चमचे ,,प्रेस अटेची के नाम पर गुलाम बनने लगे ,,,सरकार से प्लाट ,,मकान ,,अधिस्वीकरण ,,विज्ञापन और फिर खबरों की कीमत लेने वाले पत्रकार और मालिक क्या सरकार के शोषण के खिलाफ कोई खबर छाप सकते है ,,पत्रकारों में कई चुगलखोर है तो कई अफसरों और नेताओं के लिए मुखबीरी कर रहे है ,,लेकिन कुछ है जो इस दौर में भी पाक साफ है ,,अमीर वाले है ,,ईमान वाले है और वोह सब गरीब है या फिर शोषण का शिकार होकर संघर्ष कर रहे है ,,मुझे  याद है हमारे एक छोटे लघु समाचार पत्र के मामले में जब एक कलेक्टर ने टिप्पणी करते हुए कहा के अख़बार गिनती के तो छपते है क्या बिगाड़ लोगे तब ,,कलेक्टर के हाथ में आप महामूर्ख की पर्ची लिखकर भेजी गई तो वोह आग बबूला हो गए बोले यह क्या बदतमीज़ी है तब  कलेक्टर साहब को ज़मीर वाले पत्रकार ने जवाब दिया जनाब यह एक पर्ची है अख़बार तो हज़ारो तो छपते है समझ लो अख़बार की अहमियत बस कलक्टर ने अपनी गलती स्वीकार की और माफ़ी मांगी ,,,,,हम उस ज़माने से निकल कर अब सिर्फ और सिर्फ यस में के  ज़माने में आ गए है ,,,,सोशल मीडिया से एक थोड़ी उम्मीद जागी थी जब भवंरी मामले में सौदेबाज़ी हुई ,,जब अभिषेक मनु सिंघवी मामले में सौदेबाज़ी हुई तब सोशल मिडिया  ने ही इस सौदेबाज़ी को बेनक़ाब किया और सोशल मिडिया में खबरें आने के बाद प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को इन खबरों को जो उनके पास दो हफ्ते पहले से  रखी हुई थी खबर बनाया गया ,,लेकिन अब सोशल मिडिया  में भी पक्षपात ,,पेड़  न्यूज़ का सिलसिला  चला है ,,मेरे पास भी पेड़  न्यूज़ ऑफर कई बार पहुंचाए गए लेकिन उनके इरादे कामयाब नहीं  हो सके ,,दोस्तों पत्रकारिता में स्वाभिमानी तिरस्कृत बदलाव तो आया ही है ,गुणवत्ता बढ़ी है लेकिन चरित्र की गिरावट के साथ ,,आमदनी बढ़ी है लेकिन बुराई  और पक्षपात के साथ ,,,,,,,,,,,टेक्नोलॉजी बढ़ी है ,,ट्रेडिल से ऑफसेट ,,ऑफसेट से सेटेलाइट ,,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया ,,इंटरनेट सोशल मिडिया बदलाव आया है लेकिन बिकाऊ चरित्र नहीं बदल सका है ,,लेकिन मेरा ऐसा मानना है के अच्छे दिन की तलाश में यह मीडिया वाले जो बहुत बुरे दिन लेकर आये है ,,अब शायद झटका खाए और फिर से अपने इरादों की तरफ ,,एक भारत महान बनाने की तरफ ,,एक खुशहाल ,, भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की तरफ ईमानदारी से कपनी क़ुरबानी देकर पत्रकारिता करने का दौर शुरू करेंगे ,,,,आने वाले कल में ना कागज़ रहेगा ना क़लम रहेगी ना सियाही ना दावत रहेगी बस एक लेबटॉप ,,टेबलेट ,,मोबाइल ,,कम्प्यूटर ही होगा जो पल भर में खबर को इधर से उधर हज़ारो मील दूर पहुंचा देगा ,,पत्रकार होंगे जो अपनी चमचागिरी ,,चापलूसी ,,सियासी प्रचारक ,,उद्द्योगो  और वी आई पी की गुलामी से अलग हठ कर भूखो की ,,,भ्रष्टों की ,,रोटी की कपड़े की ,,मकानों की ,,सैद्धांतिक बात करेंगे ,,सेक्स के कैप्सूल ,,तेल ,,बेचने के विज्ञापनों का दौर खत्म होगा और अख़बार ,,मिडिया ,,उद्द्योग्पतियोंं की गुलामी से आज़ाद होगा ,,आज़ाद होगा ,,इसी इंक़लाब ,, इसी वक़्त का हमे इन्तिज़ार है ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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