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10 जुलाई 2014

यहां लाशों को दफनाया नहीं जाता, यूं सहेजकर रखते हैं ये अंगा आदिवासी


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(अंगा आदिवासियों द्वारा संरक्षित कर रखे गए शव )
 
मोरोबे। पापुआ न्यू गिनी के मोरोबे में अंगा जनजाति अपनी अनोखी ममीकरण तकनीक के लिए चर्चित है। यहां शवों को सुरक्षित रखने के लिए पहले उन्हें सुलगाया जाता है, फिर उन्हें मकबरों या कब्रों में दफनाने की जगह पहाड़ियों पर रख दिया जाता है, ताकि वे पहाड़ियों पर से गांव को देखते रहें। शव लाल रंग में रंगे होते हैं। पहाड़ियों पर बांस के सहारे रखी ये लाशें देखने में बड़ी ही विचित्र लगती हैं, लेकिन अंगा जनजाति के लोगों के लिए ये मृतकों को सम्मान देने के सबसे बेहतरीन तरीकों में से एक है। 
 
शवों के संलेपन का काम बड़ी ही सावधानी से किसी अनुभवी व्यक्ति द्वारा करवाया जाता है। सबसे पहले घुटने, कंधे और पैरों को सही आकार देने के लिए पूरी चर्बी हटाई जाती है। फिर बांस के ढांचे में उन्हें रखा जाता है। इस दौरान शरीर से निकले पदार्थों को मृतक के परिजनों और रिश्तेदारों के बालों और त्वचा पर लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे मृतक की ताकत जीवित व्यक्ति में आ जाती है।
 
इसके बाद अगले चरण में मांस की सड़न को रोकने के लिए शव से आंखें, मुंह और गुदा का हिस्सा निकाला लिया जाता है। इसके बाद माना जाता है कि ममी (लाश के संरक्षण) को सदियों तक संरक्षित रखा जा सकता है। जीभ, हथेली से लेकर तमाम ऐसे हिस्सों को निकाल लिया जाता है, जिनसे सड़न पैदा होने का डर हो। इसके बाद शव के बाकी बचे ढांचे को आग में सुलगाया जाता है। 
 
आग में सुलगाने के बाद ममी पर लाल रंग का लेप लगाया जाता है, जिसमें डाला गया प्राकृतिक कोकुन शव का सदियों तक संरक्षण करता है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद जाकर ममी तैयार होती है। किसी खास मौके या जश्न के वक्त अंगा आदिवासी अपने परिजनों की ममी को पहाड़ियों पर से उतारते भी हैं, ताकि उन्हें जश्न का हिस्सा बनाया जा सके। मोरोबे में आज दो सौ साल पुरानी ममी भी देखने को मिल जाएंगी

शंकराचार्य ने साईं बाबा को 'वेश्‍या पुत्र' और उनके भक्‍तों को संक्रामक बीमारी बताया


फाइल फोटो: द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती।
 
सिवनी। साईं पूजा का विरोध कर रहे शंकराचार्य स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। उन्‍होंने साईं को 'वेश्‍या पुत्र' बताया है। शंकराचार्य का कहना है कि इस बारे में इंटरनेट पर जानकारी मौजूद है। सरस्‍वती ने साईं भक्‍तों को भी आड़े हाथ लिया है और उन्‍हें संक्रामक बीमारी की तरह बताया है। इससे पहले वह साईं को मांसाहारी, लुटेरा आदि बता चुके हैं।
 
साईं को बताया वेश्‍या पुत्र
मध्‍य प्रदेश के सिवनी में शंकराचार्य ने पत्रकारों से कहा, 'इंटरनेट में यह बताया गया है कि पिंडारी बहरुद्दीन, जो अफगानिस्तान का रहने वाला था, वह अहमदनगर आया और एक वेश्या के यहां रहा। वहीं ये चांद मियां पैदा हुए, जो शिरडी का साईं बाबा है। इंटरनेट पर तो यही दिखा रहा है, आप खुद देख लीजिए।'
 
शंकराचार्य बोले- साईं भक्‍त संक्रामक बीमारी की तरह
साईं के खिलाफ विवादित बयान देने के अलावा शंकराचार्य ने उनके भक्‍तों पर भी निशाना साधा और उन्‍हें संक्रामक बीमारी की तरह बताया। शंकराचार्य ने कहा, 'हिंदू तो हिंदू रहेगा, चाहे वो किसी का भी भक्त हो। आखिर वो दिखाएगा कि वह हिंदू है। हम लोग जो बात कह रहे हैं, वह दूसरी दृष्टि से कह रहे हैं। जब संक्रमण से आंखें लाल हो जाती हैं तो लोग सलाह देते हैं कि यह संक्रामक रोग है, दूर रहो। वैसे ही ये (साईं भक्‍त) संक्रामक रोग की तरह फैल रहे हैं। किसी भी व्यक्ति को जरा-सी भी तकलीफ होती है, वह साईं बाबा की शरण में चला जाता है।'
 
सार्इं भक्‍तों पर लगाया ठगी का आरोप
स्‍वरूपानंद सरस्‍वती से जब पूछा गया कि वह अचानक से साईं पूजा का विरोध क्‍यों कर रहे हैं और कहीं इसके पीछे जलन तो वजह नहीं है तो उन्‍होंने कहा, साईं के भक्त हिंदू धर्म के अनुयायियों को ठग रहे हैं, जो आपत्तिजनक है। हमें उनसे जलन तो नहीं, लेकिन आपत्ति है। आज जो साईं भक्‍त हैं, वे साईं को विराट रूप में दिखा रहे हैं। कहीं बांसुरी बजाते दिखा रहे हैं, कहीं शेषनाग के रूप में दिखा रहे हैं तो कहीं अवतार के रूप में दिखा रहे हैं। ऐसा करके हिंदू धर्म के अनुयायियों को ठगा जा रहा है।'

अभिनेत्री जोहरा सहगल का 102 वर्ष की उम्र में निधन, बिग बी ने जताया शोक





मुंबई. मशहूर अभिनेत्री जोहरा सहगल का 102 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया। सूत्रों के मुताबिक सहगल का अंतिम संस्कार शुक्रवार को 11 बजे लोदी रोड स्थित शवदाह केंद्र पर किया जाएगा। भारतीय सिनेमा की सबसे बुजुर्ग अभिनेत्री जोहरा सहगल दक्षिणी दिल्ली के मंदाकिनी इंक्लेव में अपनी बेटी किरण सहगल के साथ रह रहीं थीं। उन्होंने मैक्स अस्पताल में शाम करीब 4:30 बजे अंतिम सांस ली। उनकी बेटी किरण ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वह पिछले तीन-चार दिनों से अस्वस्थ चल रही थीं। जोहरा ने बतौर नृत्यांगना वर्ष 1935 में अपने करियर की शुरुआत की थी।
 
सात दशक तक हिंदी सिनेमा को अपना योगदान देने वाली जोहरा के निधन की खबर फैलने पर फिल्म जगत ने ट्विटर पर शोक व्यक्त किया। अभिनेता अमिताभ बच्चन ने लिखा कि जोहरा सहगल का 102 वर्ष की उम्र में निधन हो गया़, वह कितनी प्यारी सहअभिनेत्री थीं। मैं उनकी आत्मा की शांति की कामना करता हूं। बॉलीवुड के कई अन्य सितारों ने भी ट्विटर के जरिये जोहरा सहगल को अपनी श्रद्धांजलि दी है। 
 
इतिहासकार इरफान हबीब ने ट्वीट कर दी मौत की खबर
रात के समय मशहूर इतिहासकार इरफान हबीब ने ट्वीट कर जोहरा के निधन की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि इसकी अभी-अभी पुष्टि हुई है कि जोहरा आपा अब नहीं रहीं। एक अन्य टवीट में उन्होंने कहा कि जोहरा सहगल के निधन के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ। वह अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने वाली महिला थीं। उनकी मौत कला एवं संस्कृति के क्षेत्र को बड़ा नुकसान है।
 
सहारनपुर से बॉलीवुड तक का सफर
जोहरा सहगल का जन्म 27 अप्रैल 1912 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर शहर के रोहिल्ला पठान परिवार में हुआ। वे मुमताजुल्ला खान और नातीक बेगम की सात में से तीसरी संतान हैं। जोहरा का बचपन उत्तराखंड के चकराता में बीता। जोहरा ने पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थियेटर में 14 साल तक नाटकों में अभिनय किया और इसके बाद फिल्मों में आ गई। फिल्मों में आने के बाद भी जोहरा ने रंगमंच का दामन नहीं छोड़ा। उन्होंने 'दिल दे चुके सनम', 'चीनी कम', 'कभी खुशी कभी गम' और 'हम दिल दे चुके सनम' जैसी फिल्मों में यादगार अभिनय किया।
 
पृथ्वीराज कपूर से लेकर रणवीर कपूर तक के साथ किया काम 
एक्टिंग को अपना पहला प्यार मानने वालीं जोहरा ने थियेटर से पेशे की कई बारिकियां सीखी। उन्होंने पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थियेटर में करीब 14 साल तक काम किया। इतना ही नहीं उन्होंने राजकपूर के अलावा वर्ष 2007 में आई अपनी आखिरी फिल्म 'सांवरिया' में रणवीर कपूर के साथ भी काम किया।
 
डांसर और डांस निर्देशक के रूप में की करियर की शुरुआत
जोहरा ने अपने करियर की शुरुआत एक डांसर और डांस निर्देशक के रूप में की थी। जोहरा को थियेटर से बेहपनाह मोहब्बत थी और थियेटर को वह अपना पहला प्यार भी मानती थीं। जोहरा ने 1935 में उदय कुमार के साथ बतौर नृत्यांगना करियर की शुरुआत की। वह चरित्र कलाकार के तौर पर कई हिंदी फिल्मों में नजर आईं। उन्होंने अंग्रेजी भाषा की फिल्मों, टेलीविजन और रंगमंच के जरिए भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी।  उन्हें 2010 में पदम विभूषण सम्मान से नवाजा गया था। भारतीय सिनेमा जगत में लाडली के नाम से चर्चित जोहरा कई फिल्मों का हिस्सा रहीं। वह इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) की सदस्य थीं और वर्ष 1946 में अपनी पहली फिल्म प्रोडक्शन 'धरती के लाल' के जरिये रुपहले पर्दे पर पदार्पण किया। उन्होंने चेतन आनंद की फिल्म 'नीचा नगर' में भी काम किया।
 
बेटी ने लिखी 'जोहरा सहगल: फैटी' नाम से जीवनी
वर्ष 2012 में बेटी किरन ने 'जोहरा सहगल: फैटी' नाम से जोहरा की जीवनी लिखी। ओडिशी नृत्यांगना किरन ने दुख जताते हुए कहा कि अपने अंतिम दिनों में उनकी मां को सरकारी फ्लैट तक नहीं मिला, जिसकी उन्होंने मांग की थी। उन्होंने कहा कि वह जिंदादिली और ऊर्जा से हमेशा लबालब रहती थीं।
 
पुरस्कार: 1963 संगीत नाटक अकादमी, 1998: पद्मश्री, 2001: कालिदास सम्मान, 2002: पद्म भूषण, 2004: संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप, 2010: पद्म विभूषण

बैंक ने भर्ती से पहले महिला कैंडिडेट्स से मांगा पीरियड्स, प्रेगनेंसी की जानकारी


बैंक ने भर्ती से पहले महिला कैंडिडेट्स से मांगा पीरियड्स, प्रेगनेंसी की जानकारी
फोटो: प्रतीकात्‍मक इस्‍तेमाल 
 
चेन्‍नर्इ. सरकारी उपक्रम केनेरा बैंक रिक्रूटमेंट या भर्ती से जुड़े एक फॉर्म को लेकर विवादों में हैं। इसमें महिला कैंडिडेट्स से उनकी स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी जानकारियां मांगी गई थीं, जिसमें उनके पीरियड्स और प्रेगनेंसी से जुड़ी निजी जानकारी भी मांगी गई। इस साल की शुरुआत में लागू किए गए इस फिटनेस फॉर्म को बैंक को उस वक्‍त वापस लेना पड़ा, जब एक कर्मचारी संगठन ने कहा कि इन जानकारियों का महिला कैंडिडेट्स की नौकरी से कोई सरोकार नहीं है और ऐसी सूचनाएं मांगना मानवाधिकारों का उल्‍लंघन और लैंगिक भेदभाव है।  

क्‍या है फॉर्म में 
सिलेक्‍शन से पहले महिला कैंडिडेट्स की ओर दाखिल किए जाने वाले इस फॉर्म में बीते मासिक चक्र की तारीख, गर्भधारण की जानकारी के अलावा यूटेरस, ओवरीज, ब्रेस्‍ट आदि से जुड़ी बीमारी होने की दशा में उनकी मेडिकल हिस्‍ट्री मांगी गई। फॉर्म के मुताबिक, प्रेगनेंसी तुरंत अपॉइंटमेंट के मार्ग में बाधा है। फाॅर्म में एचआईवी, किडनी की बीमारी, हाइपरटेंशन, हीमोफीलिया और कैंसर जैसी दर्जन भर बीमारियों का उल्‍लेख करते हुए कहा गया है कि इन मर्ज से पीडि़त कैंडिडेट्स को नौकरी के लिए फिट नहीं माना जाएगा। 

क्‍या कहा संगठन ने 
बैंक एम्‍प्‍लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया के अधिकारी पी एस कृष्‍णन ने कहा कि फॉर्म का यह नया फॉर्मेट जेंडर के आधार पर कैंडिडैट्स को बाहर करने के मकसद से लाया गया। वहीं, मद्रास हाई कोर्ट की वकील सुधा रामालिंगम ने फॉर्म को घटिया करार देते हुए कहा कि इसमें संवेदनशीलता की कमी है। उन्‍होंने कहा कि फॉर्म में जिस तरह की जानकारी मांगी गई है, वह स्‍त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा पूछे जाने वाले सवाल हैं, किसी नौकरी प्रदाता द्वारा नहीं।

मायावती को कोसा था, अब खुद दिखाया मूर्ति प्रेम! बजट में दिखा कथनी-करनी का फर्क




बजट पेश करने से पहले वित्‍त मंत्री अरुण जेटली और वाणिज्‍य मंत्री निर्मला सीतारमण 
 
नई दिल्‍ली. मूर्ति प्रेम को लेकर कभी मायावती को कोसने वाली भाजपा ने सरकार में आने के बाद पहले ही बजट में भारी मूर्ति प्रेम दिखाया है। पीएम मोदी के गृह राज्‍य गुजरात में सरदार बल्‍लभ भाई पटेल की मूर्ति स्थापित करने के लिए वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। गुजरात सरकार का दावा है कि इसे बनाने में करीब 2500 करोड़ की लागत आएगी, जिसके लिए राज्‍य सरकार के अलावा चंदे से रकम जुटाने की योजना है। 
 
केंद्र सरकार की ओर से इस मूर्ति के लिए पहली बार फंड का प्रावधान किया गया है। यह पीएम मोदी की महत्‍वाकांक्षा से जुड़ा प्राेजेक्‍ट है, यह सभी जानते हैं। बता दें कि 2011 में यूपी में तत्‍कालीन सीएम मायावती जब नोएडा में बने दलित प्रेरणा स्‍थल का उद्घाटन करने पहुंची थीं, तो बीजेपी प्रवक्‍ता राजीव प्रताप रूडी ने इस स्‍मारक को आम जनता के पैसे की बर्बादी करार दिया था। रूडी ने कहा था, 'लोकतंत्र में अगर आप कहते हैं कि आप अपनी मर्जी से रकम खर्च करते हैं तो कहीं न कहीं लोग आवाज जरूर उठाएंगे। रूडी ने कहा कि यूपी की जनता के हजारों करोड़ रुपए मूर्तियों पर बर्बाद कर दिए गए। आज रूडी की पार्टी बीजेपी के नेतृत्‍व वाली एनडीए सरकार ने जनता का पैसा बल्‍लभ भाई पटेल की मूर्ति बनवाने में खर्च करने का फैसला किया है।

मदरसाें के लिए 100 करोड़
नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने एक भाषण में एक ऐसे भारत की कल्‍पना की थी, जहां मुसलमान युवाओं के एक हाथ में कुरान होगी और दूसरे हाथ में कम्‍प्‍यूटर। इससे अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के बीच एकबारगी यही संदेश गया कि मोदी वाकई 125 करोड़ भारतवासियों के पीएम हैं, जैसा कि वह दावा करते हैं। ऐसी भी खबरें आई थीं कि मोदी अल्‍पसंख्‍यक समुदाय में पार्टी की छवि को बेहतर करना चाहते हैं। ऐसे में उनकी सरकार द्वारा मदरसों के विकास के लिए महज 100 करोड़ रुपए दिया जाना थोड़ा निराशाजनक लगता है। देश की कुल अाबादी में मुसलमानों की हिस्‍सेदारी करीब‍ साढ़े 13 पर्सेंट है। वहीं, असम में 30.9%, पश्चिम बंगाल में 25.2%, केरल में 24.7%, उत्तर प्रदेश में 18.5% और बिहार में 16.5% मुस्लिम आबादी है। इस वक्‍त पूरे भारत में हजारों मदरसे हैं, जहां इस्‍लामिक तालीम दी जाती है। ये मदरसे मुख्‍य तौर पर लोगों के दिए चंदे के बलबूते ही चलते हैं। हालांकि, कुछ राज्‍य सरकारें इस दिशा में थोड़ी बहुत मदद करती हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय के नेता इसे नाकाफी मानते हैं।  

बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के लिए 100 करोड़ 
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने अपने बजटीय भाषण में ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ’ योजना की घोषणा करते हुए 100 करोड़ रुपए की रकम का प्रावधान किया। बजट प्रस्तुत करने के दौरान जेटली ने देश में बलिकाओं की शिक्षा के प्रति बरती जाने वाली उदासीनता के प्रति चिंता जताई।उन्होंने बताया कि दिल्ली में महिलाओं के लिए संकट प्रबंधन केंद्र खोला जाएगा, इसके लिए राशि निर्भया कोष से दी जाएगी। 
 
शिक्षा को मोदी कितनी अहमियत देते हैं, यह उनके कुछ वक्‍त पहले दिए गए एक बयान से पता चलता है। शिक्षा के प्रति फंडिंग को लेकर यूपीए सरकार की उदासीनता पर निशाना साधते हुए मोदी ने बताया था कि चीन अपने जीडीपी का 20 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करता है। मोदी के इस आंकड़े को लेकर उनकी खासी आलोचना भी हुई, लेकिन यह तो संकेत मिला कि वह शिक्षा के क्षेत्र को काफी गंभीरता से लेते हैं। मोदी ने पीएम बनने के बाद संसद में अपने पहले भाषण में कहा था कि मातृशक्ति को, अर्थात महिलाओं को आर्थिक प्रगति से जोड़ना होगा। ऐसे में लड़क‍ियों की शिक्षा और जीवन रक्षा के लिए 100 करोड़ रुपए की मामूली रकम उनके बयानों के बिलकुल उलट है।

क़ुरआन का सन्देश

 
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