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11 जुलाई 2014

अजमेर: मां ने मासूम बेटे का चाकू से काटा सिर काटकर की नृशंस हत्या, गिरफ्तार



 
(हत्या के बाद मौके पर जांच करने पहुंची पुलिस व कपड़े से ढकी बच्चे की सिर कटी लाश।)
 
अजमेर/नसीराबाद. अजमेर के नसीराबाद स्थित देराठू गांव में शुक्रवार सुबह साढ़े तीन साल के बालक की सिर कटी लाश मिलने से सनसनी फैल गई। नृशंस हत्या के इस मामले में पुलिस ने देर रात बालक की मां अंतिमा जैन को गिरफ्तार कर लिया। एसपी महेंद्र सिंह चौधरी के अनुसार आरोपी अंतिमा ने जुर्म कबूल लिया है लेकिन हत्या के कारणों के बारे में वह बार-बार बयान बदल रही है। तफ्तीश के बाद मामले में कई चौकाने वाले तथ्य उजागर होने की संभावना है।
 
वारदात से ग्रामीणों में रोष व्याप्त हो गया। सूचना मिलते ही एसपी चौधरी सहित सदर थाना पुलिस, सिटी थाना पुलिस और श्रीनगर थाने के दल ने घटना स्थल का मौका मुआयना िकया और आक्रोशित ग्रामीणों को शांत किया। जानकारी के अनुसार राजकुमार जैन ने पुलिस को बताया कि उसका साढ़े तीन वर्षीय पुत्र नैतिक उर्फ नमन सुबह करीब 7 बजे दुकान पर जाने की जिद करने लगा तो उसकी माता अंतिमा उसे अपने मकान से सटे बाड़े में से होते हुए बाड़े के दूसरे गेट से बाहर छोड़ आई थी। बाड़े के कुछ ही दूरी पर उसकी दुकान है।
 
मासूम के जाने के कुछ ही देर बाद नमन का चाचा राजेंद्र उर्फ बबलू दुकान जाने के लिए आया, लेकिन उसको बाड़े का गेट अंदर से बंद मिला तो वह घूमकर दुकान पहुंचा। इसी बीच प्रतिदिन की भांति पड़ौसी संजय शर्मा जैन परिवार के बाड़े में बंधी गाय को रोटी देने गया तो वहां नमन को पड़ा देख संजय की चीख निकल गई। उसकी गर्दन धड़ से अलग पड़ी थी। अजमेर से आई एफएसएल टीम के डॉ. सुनील गौड़ ने घटनास्थल से प्रिंट उठाए तथा मृतक के पास पड़ी मिली पेप्सी की थैली, बाड़े में मिला खून सना सब्जी काटने का चाकू, खून आलूदा मिट्टी आदि की जांच की। डॉग स्क्वॉड ने भी घटना स्थल की जांच की। नमन की हत्या कम धार वाले हथियार से वार कर  एक ही झटके में की गई थी।
 
पुलिस को खून से सना चाकू पास के ही सुरेंद्र वैष्णव के बाड़े में पड़ा मिला। एसपी ने बताया कि मृतक के परिजनों से अलग-अलग पूछताछ की गई तो नमन की मां अंतिमा जैन बार-बार बयान बदल रही थी। तफ्तीश में वह खुद के बयानों में फंस गई और जुर्म कबूल कर लिया। देर रात उसे गिरफ्तार कर लिया।
 
समाराेह में जाना था 

बालक देराठू की प्राइवेट स्कूल बाल निकेतन में पढ़ता था और स्कूल जाने के पहले पापा के पास दुकान जाने के लिए घर से निकला था। मासूम का ही एक चाचा मनोज भी है जो बोराड़ा में रहता है और शुक्रवार को उसकी शादी की सालगिरह थी। जिसकी घर में तैयारियां की जा रही थी। मासूम का बड़ा भाई अधिराज (5)  बाल निकेतन में ही पढ़ता है। देराठू गांव में साथ रह रहे चाचा राजेंद्र उर्फ बबलू के भी दो बच्चे बताए जाते है। मृत मासूम के दादा महेंद्र जैन है जो परिवार के साथ ही रहते हैं। 

शव लेने से किया इनकार 

इससे पहले मासूम की नृशंस हत्या से आक्रोशित ग्रामीणों ने पहले तो गांव में ही जांच के लिए आए पुलिस अधीक्षक महेंद्र चौधरी को ज्ञापन देकर हत्यारों को गिरफ्तार करने की मांग की। बाद में पुलिस जब जांच के बाद मासूम का शव राजकीय अस्पताल ले आई तो देराठू के ग्रामीण युवक बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंचे और शव उठाने से मना करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। ग्रामीण नारेबाजी करते हुए हनुमान चौक तक गए और वहीं धरना देकर बैठ गए। पुलिस अधीक्षक चौधरी ने हनुमान चौक पहुंचकर आक्रोशित युवकों को समझाया, लेकिन गांव के कालू चौधरी, दिनेश चौधरी, हुकमचंद, भाजपा मंडल अध्यक्ष अनिरुद्ध खंडेलवाल, युवा मोर्चा अध्यक्ष सतीश पारचे आदि ने हत्यारों की शाम तक गिरफ्तारी की मांग की।
 
पुलिस अधीक्षक ने ग्रामीणों और मासूम के परिजन को आश्वस्त किया कि पुलिस जांच सही दिशा पर चल रही है और वह शीघ्र ही हत्यारे को गिरफ्तार कर लेंगे। आश्वासन के बाद मासूम के पिता राजकुमार जैन आदि ने पोस्टमार्टम करवाकर शव ले लिया और गांव पहुंचकर अंतिम संस्कार कर दिया। मासूम का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड ने किया। इसमें डॉ. विनय कपूर, डॉ. जगदीश माहेश्वरी और डाॅ. डीके शर्मा थे।

मद्रास हाई कोर्ट के जज ने की हाथ काटे जाने की वकालत, ऐसा कानून न होने पर जताया अफसोस


मद्रास हाई कोर्ट के जज ने की हाथ काटे जाने की वकालत, ऐसा कानून न होने पर जताया अफसोस

चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय के एक जज ने धोखाधड़ी जैसे मामलों में बतौर सजा दोषी का हाथ काट दिए जाने की बात कही है। जस्टिस एस विद्यानाथन ने गुरुवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में धोखाधड़ी करने वालों और संपत्ति के नकली कागजात बनाने वालों के हाथ या उंगलियां काट देने का कानून नहीं है। जस्टिस विद्यानाथन ने यह टिप्पणी संपत्ति के जाली कागजात बनाने के एक मामले की सुनवाई के दौरान की।

जस्टिस विद्यानाथन- 
जस्टिस विद्यानाथन ने कहा, "इस्लामिक देशों में छोटी-सी चोरी के लिए भी हाथ और उंगलियां काट देने की सजा दी जाती है। मैंने एक लेख पढ़ा था, जिसमें ईरान के कोर्ट ऑफ शिराज में एक विशेष तरह की मशीन लगाई गई है। इसका इस्‍तेमाल चोरी करने वालों के हाथ की उंगलियां काटने में किया जाता है। जालसाजी के लिए यह अदालत भी उंगलियां काट देने के इतने कड़े दंड से याचिकाकर्ता (अपराधी) को सम्मानित करना चाहती है।'
 
विद्यानाथन यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, ''यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में धोखाधड़ी या संपत्ति के जाली कागजात बनाने वाले अपराधियों के हाथ या उंगलियां काट देने का कोई कानून नहीं है। अगर कानून कड़े हों, तो अपराधी ऐसी गतिविधियों में लिप्त होने की हिम्मत नहीं करेंगे और सब रजिस्ट्रार ऑफिस के ऐसे अधिकारियों के हाथ भी काट देने चाहिए, जो ऐसे अपराधियों से मिले होते हैं और निर्दोष लोगों की संपत्ति को लूटने या हड़पने में उनकी मदद करते हैं।'' 
 
कुरान का हवाला देकर ठहराया 'हराम' -
जस्टिस विद्यानाथन ने कुरान का हवाला देते हुए इस काम को 'हराम' भी बताया। उन्होंने कहा,  ''पैगंबर ने ऐसे लोगों को चोर होने का शाप दिया है। ऐसे भ्रष्ट तत्व समाज में हैं और अगर इन्हें छोड़ दिया गया, तो वह अपने भ्रष्टाचार से निर्दोष लोगों को प्रभावित करेंगे और उम्माह (राष्ट्र) के शरीर को संक्रमित करेंगे।''

क्या था मामला
पी एम ऐलावरसन नाम के एक शख्‍स ने संपत्ति के एक मामले में कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उसने अदालत से मांग की थी कि उसकी संपत्ति के लिए पंजीयन संख्‍या आवंटित करने और दस्तावेज जारी करने के लिए कोर्ट सैदापेट जिला पंजीयक और वीरूगमबक्कम सब-रजिस्ट्रार को निर्देश दे। गौरतलब है कि अधिकारियों ने ऐलावरसन पर संपत्ति से जुड़े कागजात के साथ फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाते हुए कागजात जब्‍त कर लिए थे। अधिकारियों का कहना है कि यह संपत्ति वीवीवी नचियप्‍पन नाम के किसी शख्‍स की है।
 
ऐलावरसन के वकील ने इस पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि अधिकारियों के पास संपत्ति के स्वामित्व की जांच की शक्ति नहीं है और वे पंजीकृत दस्तावेजों को लौटने के लिए बाध्य हैं। जस्टिस विद्यानाथन ने ऐलावरसन की इस मांग को खारिज कर दिया और कहा कि यह सीधे तौर पर संपत्ति हड़पने का मामला है। कोर्ट ने इस बात पर भी आश्‍चर्य जताया कि कैसे ऐलावरसन ने जालसाजी और धोखाधड़ी को अंजाम देने के बावजूद अदालत का दरवाजा खटखटाकर दुस्साहस दिखाया है।

संघ के लोगों ने गांधी जी को गोली मारी' वाले बयान पर घ‍िरे राहुल, कोर्ट ने भेजा नोटिस





भ‍िवंडी: महाराष्‍ट्र की एक अदालत ने शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी को उनके राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के बारे में दिए गए एक बयान को लेकर नोटिस जारी किया। कोर्ट ने राहुल को सात अक्टूबर तक पेश होने का आदेश दिया है। बता दें कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आयोजित एक रैली में राहुल ने कथित तौर पर आरएसएस को महात्‍मा गांधी का हत्‍यारा बताया था आरएसएस ने राहुल गांधी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। राहुल गांधी कानूनी मामलों में फंसते नजर आ रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही नेशनल हेराल्‍ड अखबार से जुड़े मामले में उनकी मां और पार्टी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और उन्‍हें नोटिस मिल चुका है। 

क्‍या है पूरा मामला 
मामला 6 मार्च का है। भिवंडी के सोनाली स्‍पोर्ट्स ग्राउंड पर हुई रैली में राहुल ने कथित तौर पर कहा था, 'आरएसएस के लोगों ने गांधी जी को गोली मारी। आज वे ही लोग गांधी जी की बात करते हैं। इसी तरह सरदार पटेल कांग्रेस के नेता हैं। पटेल ने आरएसएस के बारे में साफ-साफ लिखा है। तब वे पटेल का विरोध करते थे, लेकिन अब कांग्रेस के नेताओं को अपना नेता बताते हैं। 10 साल बाद वे यूपीए की नरेगा, भोजन का अधिकार, जमीन अधिग्रहण जैसी लोकप्रिय योजनाओं को अपना बताएंगे।' राहुल के यह बयान देने के अगले दिन संघ के प्रवक्ता राम माधव ने बयान जारी कर कांग्रेस नेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी थी।

आरएसएस ने दर्ज कराया था मुकदमा 
राहुल गांधी के खिलाफ संघ ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। आरएसएस की भिवंडी शाखा के सचिव राजेश कुंटे की ओर से यह मामला दर्ज कराया गया था। 19 मार्च को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट भिवंडी की अदालत में दर्ज कराई अपनी शिकायत में कुंटे ने कहा कि राहुल गांधी का बयान अपमानजनक हैं। उनके बयान से संगठन की अवमानना हुई है। आरएसएस नेता ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने चुनावी फायदा उठाने के लिए यह बयान दिया।

क़ुरआन का सन्देश

    
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