फोटो: मलेशियाई एयरलाइंस के विमान एमएच 17 का मलबा
इस घटना से पूर्वी यूक्रेन में चल रही अशांति ने अंतरराष्ट्रीय
संघर्ष का रूप ले लिया है। इस घटना के बाद यूक्रेन को लेकर राजनयिक तौर पर
दो खेमा बनना तय माना जा रहा है। एक खेमे में रूस होगा तो दूसरे में
अमेरिका व यूरोपीय देश होंगे। अमेरिकी सीनेटर जॉन मैक्केन ने मांग की है
कि अगर इस घटना के पीछे रूस का हाथ हुआ, तो अमेरिका को ज्यादा बड़ी भूमिका
निभाने के लिए आगे आना होगा। ऑस्ट्रेलिया के पीएम टोनी अबॉट ने भी इस
हादसे के लिए रूस की कड़ी आलोचना की और चेतावनी दी कि अगर रूस ने इस मामले
में निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय जांच के रास्ते में रोड़ा अटकाया तो वह
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ जाएगा।
इस घटना में मारे गए लोगों में से करीब 30 ऑस्ट्रेलिया के हैं।
ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने कहा कि एयरक्राफ्ट को पूर्वी यूक्रेन के रूस समर्थित
विद्रोहियों के इलाके में निशाना बनाया गया। अबॉट के मुताबिक, 'ऐसा मालूम
होता है कि प्लेन को निशाना बनाने वाला मिसाइल रूस समर्थित विद्रोहियों ने
छोड़ा।' रूस के रक्षा मंत्री ने घटना में किसी भी तरह से अपने देश का हाथ
होने से इनकार किया है।
गलती का नतीजा तो नहीं?
एमएच 17 को मिसाइल से मार गिराने के मामले में बहुत कुछ मुमकिन है कि
यह रूसी सेना या विद्रोहियों की ओर से की गई एक बड़ी चूक हो। इससे पहले कई
बार ऐसा हो चुका है। 1983 में रूसी एयर डिफेंस अपने नौसैनिक इलाके में एक
अमेरिकी टोही विमान को ट्रेस करने की कोशिश कर रहा था। इसी दौरान,
उन्होंने कोरियन एयरलाइंस के फ्लाइट 007 को निशाना बना डाला। इस घटना में
269 यात्रियों की मौत हो गई थी।
1988 में भी फारस की खाड़ी में चल रही जंग में यूएस नेवी ने ईरान के
फ्लाइट 655 को ईरानी जंगी जहाज समझकर मार गिराया, जिसमें 290 नागरिकों की
मौत हो गई। जानकार मानते हैं कि इस तरह की घटनाएं या तो जंग के वक्त होती
हैं या अंतरराष्ट्रीय तनाव के दौरान।
क्या हो पाएगी मुकम्मल जांच?
यूक्रेन की सरकार ने घटना की पूरी जांच कराने का भरोसा दिलाया है,
लेकिन इसमें कई मुश्किलें हैं। एमएच 17 का ज्यादातर मलबा रूसी सीमा के पास
विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके में है। इसलिए इस बात की आशंका है कि
अंतरराष्ट्रीय जांचकर्ताओं को उन इलाकों में प्रवेश की पूरी आजादी नहीं दी
जाए। सबूतों से छेड़छाड़ करने का भी डर है। हालांकि, जानकार बताते हैं कि
ब्लैक बॉक्स में दर्ज जानकारी कोई चाह कर भी नष्ट नहीं कर सकता। ब्लैक
बॉक्स एक ऐसा उपकरण है, जिसमें विमान संचालन से जुड़े तमाम रिकॉर्ड/संवाद
दर्ज रहते हैं। यह हादसे की स्थिति में गुरुत्वाकर्षण बल से 3400 गुना
ज्यादा ताकत झेल सकता है। समुद्र में 20 हजार फीट तक की गहराई में डूब
जाने पर भी इसमें दर्ज जानकारी जस की तस सुरक्षित रहती है। ब्लैक बॉक्स
बनाने वाली कंपनी हनीवेल का कहना है कि इस पर आग और बर्फ का भी कोई असर
नहीं होता।