(जोधपुर के अचलनाथ शिव मंदिर में दूग्धाभिषेक करते लोग जिसके बाद दूध को बच्चों को बांटने और खीर बनाने के लिए रख लिया जाता है)
जोधपुर. सावन के दूसरे सोमवार को शहर के शिव मंदिरों में
दुग्धाभिषेक हुए। अच्छी खबर यह है कि शिव मंदिरों में अब अभिषेक किए जाने
वाला दूध व्यर्थ नहीं बह रहा। कई मंदिरों ने ऐसी व्यवस्था की है कि अभिषेक
के लिए आने वाले दूध को एकत्रित कर गरीब बस्ती के बच्चों को उपलब्ध करवाया
जा रहा है। कटला बाजार स्थित अचलनाथ मंदिर में अब अभिषेक के दूध को
पशु-पक्षियों व गरीब बच्चों के आहार के लिए भिजवाया जाता है।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
2500 से अधिक मंदिर है शहर में
1.25 लाख लीटर दूध का होता है अभिषेक
50 हजार ली. से अधिक व्यर्थ बह जाता है
02 लाख बच्चों को मिल सकता है आहार
50 लाख रुपए का हो सकता है सदुपयोग
अचलनाथ मंदिर में बनती है खीर भी
ट्रस्ट प्रतिदिन पांच लीटर और सोमवार को 11 लीटर दूध से अभिषेक करता
है। सावन का महीना चल रहा है। ऐसे में प्रतिदिन 25 से 30 लीटर और सोमवार को
100 लीटर से अधिक दूध से श्रद्धालु अभिषेक करते हैं। दूध को पैरों में
व्यर्थ बहता देखकर यह निर्णय लिया गया कि यह दूध व्यर्थ न बहकर किसी के काम
आए। बस इसे ड्रम में भरना शुरू किया गया। यह दूध कुत्तों के बाड़ों व गरीब
बस्ती के बच्चों के लिए भेजा जाता है। खास मौके पर इस दूध की खीर भी बनाई
जाती है। -कैलाश, व्यवस्थापक, अचलनाथ मंदिर ट्रस्ट
1531 ई. में बना था मंदिर
अचलनाथ शिव मंदिर लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 1531
ई. में राव गंगा की रानी, नानक देवी ने कराया था। यह मंदिर कई चीजों के लिए
फेमस है इस मंदिर में आप एक जलाशय को देख सकते हैं जिसे 'गंगा बावड़ी' के
नाम से जाना जाता है। इस मंदिर परिसर में गर्भगृह के साथ मंडप भवन और भजन
-कीर्तन करने के लिए कई हॉल बने हुए हैं। इस मंदिर में की गई नक्काशी देखते
ही बनती है।
...और मंदिरों ने भी उठाया कदम
शहर के अन्य कुछ मंदिरों में भी ऐसी व्यवस्था की जा रही है। यह दूध अब गरीब बच्चों का आहार बन रहा है। आस्था के रूप में जो दूध व्यर्थ बह जाता था, उसे सहेजने के निर्णय की सराहना की जा रही है।
शहर के अन्य कुछ मंदिरों में भी ऐसी व्यवस्था की जा रही है। यह दूध अब गरीब बच्चों का आहार बन रहा है। आस्था के रूप में जो दूध व्यर्थ बह जाता था, उसे सहेजने के निर्णय की सराहना की जा रही है।