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24 जुलाई 2014

बीकानेर जेल में कैदियों के बीच गैंगवार, एक को मारी गोली, दो की पीट-पीटकर हत्या



कुख्यात अपराधी बलवीर बानूड़ा
 
बीकानेर. बीकानेर जेल में गुरुवार शाम कैदियों के दो गुटों में हुई गैंगवार में तीन कैदियों की मौत हो गई। एक गुट के जयप्रकाश सहारण ने गुरुवार शाम 5:45 बजे वार्ड संख्या पांच के सामने दूसरे गुट के बलबीर बानूड़ा की गोली मार हत्या कर दी। जवाब में दूसरे गुट के आनंदपाल सिंह और उसके साथियों ने ईंट-पत्थरों और डंडों से पीट-पीटकर जयप्रकाश और उसके साथी रामपाल जाट को मार डाला। फायरिंग में आनंदपाल और नेमीचंद घायल हो गए। मामले में प्रथमदृष्या बीकानेर के जेल अधीक्षक सुरेन्द्र सिंह शेखावत की लापरवाही सामने आने पर उन्हें सस्पेड कर दिया गया है।
 
वारदात के बाद पुलिस ने पांच कैदियों-आनंदपाल सिंह, भवानी सिंह, मनोज, विक्रम और नेमीचंद को हिरासत में लिया है। घटना के बाद जेल एडीजी भूपेन्द्र कुमार दक बीकानेर के लिए रवाना हो गए। आशंका है कि राजू ठेहट की गैंग ने हत्या मामले में बंद जयप्रकाश सहारण से संपर्क कर उसे आनंदपाल की सुपारी दी थी।
 
लंबी थी हिस्ट्रीशीट 
 बानूड़ा की हिस्ट्रीशीट काफी लंबी थी। उसके खिलाफ कई थानों में मुकदमे दर्ज थे।
  • हत्या : कोतवाली सीकर, दांतारामगढ़, चितावा (नागौर) डीडवाना व सुजानगढ़ थानों में छह हत्या के मामले दर्ज थे।
  • लूट : कोतवाली सीकर व कोतवाली फतेहपुर में लूट के मुकदमे।
  • नकबजनी : कोतवाली सीकर, फतेहपुर, सदर सीकर, रींगस थानों में पांच मामले दर्ज।
  • अवैध हथियार : डीडवाना, सदर फतेहपुर व दांतारामगढ़ में तीन मामले दर्ज। इसके अलावा बानूड़ा के खिलाफ करधनी थाने में भी अवैध हथियार का मुकदमा दर्ज हुआ था।
  • इसके अलावा उस पर मारपीट और छीनाझपटी सहित कई मामले थानों में दर्ज थे।

वित्‍त मंत्री के सामने बोले बीजेपी सांसद- इस जन्‍म में वापस नहीं ला सकते कालाधन


वित्‍त मंत्री के सामने बोले बीजेपी सांसद- इस जन्‍म में वापस नहीं ला सकते कालाधन
 
फोटो: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे 
 
नई दिल्‍ली. लोकसभा चुनाव के दौरान सत्‍ताधारी बीजेपी ने भारतीयों द्वारा स्विस बैंक में रखे कालेधन को वापस लाने का मुद्दा जोरशोर से उठाया था। नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले पर काफी कुछ बोला था, लेकिन उनके दावों की हवा निकालने में खुद उनके सांसद लगे हुए हैं।  झारखंड के गोड्डा से बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि स्विटजरलैंड में जमा कालाधन इस जन्‍म में वापस नहीं लाया जा सकता। खास बात यह है कि जब वह ऐसा कह रहे थे, उस वक्‍त वित्‍त मंत्री अरुण जेटली भी सदन में मौजूद थे लेकिन वह बिना कोई प्रतिक्रिया द‍िए दुबे की बात सुनते रहे। बता दें कि सत्ता में आते ही नरेंद्र मोदी सरकार ने कालाधन वापस लाने के लिए एसआईटी का गठन भी  किया था। अरुण जेटली ने भी स्विस सरकार को चिट्ठी लिखकर कालेधन जमा करवाने वाले भारतीयों की जानकारी मांगी थी। 
 
कितना कालाधन ?
कालेधन की मात्रा पर सबकी अलग राय है। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी के मुताबिक 10 लाख करोड़ से ज्यादा कालाधन है, जबकि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का दावा है कि  120 लाख करोड़ काला धन है। बाबा रामदेव का तो दावा है कि देश का 400 लाख करोड़ रुपए काले धन के तौर पर विदेश में जमा है। मशहूर अर्थशास्त्री अरुण कुमार के मुताबिक 100 से 125 लाख करोड़ काला धन विदेशों में जमा है। 
 
गोवा के मंत्री ने कहा, भारत को हिंदू राष्‍ट्र बनाएंगे मोदी 
गोवा के मंत्री दीपक धवलीकर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है भारत मोदी के नेतृत्व में एक हिंदू राष्ट्र बनेगा और प्रधानमंत्री इस दिशा में काम करेंगे। धवलीकर राज्‍य में बीजेपी की सहयोगी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के विधायक हैं और मनोहर पार्रिकर सरकार में मंत्री हैं। इससे पहले, दीपक के भाई सुधिन धवलीकर ने गोवा के समुद्री तटों पर बिकनी बैन करने का सुझाव दिया था। दीपक के बयान पर जेडीयू नेता अली अनवर ने कहा कि ऐसे बयान संविधान का अपमान हैं और मुझे विश्वास है कि बीजेपी इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी। 

शबे क़द्र के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें

शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो रहमान व रहीम है।
بسم الله الرحمن الرحيم

1. हमने (इस कुरान) को शबे क़द्र में नाज़िल (करना शुरू) किया

2. और तुमको क्या मालूम शबे क़द्र क्या है

3. शबे क़द्र (मरतबा और अमल में) हज़ार महीनो से बेहतर है

4. इस (रात) में फ़रिश्ते और जिबरील (साल भर की) हर बात का हुक्म लेकर अपने परवरदिगार के हुक्म से नाज़िल होते हैं

5. ये रात सुबह के तुलूअ होने तक (अज़सरतापा) सलामती है


क्या शबे क़द्र सब के लिये एक रात है या हर किसी के लिये अलग है? क्या शबे क़द्र का मुबारक होना लोगों से सम्बंधित है या नहीं? तसनीम साइट की रिपोर्ट के अनुसार हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अन्सारियान इन सवालों के जवाब देते हुए कहते हैं- शबे क़द्र सबके लिये एक रात है और इसका लोगों के हालात और मानसिकता से कोई सम्बंध नहीं है।


क्या शबे क़द्र सब के लिये एक रात है या हर किसी के लिये अलग है? क्या शबे क़द्र का मुबारक होना लोगों से सम्बंधित है या नहीं? तसनीम साइट की रिपोर्ट के अनुसार हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अन्सारियान इन सवालों के जवाब देते हुए कहते हैं- शबे क़द्र सबके लिये एक रात है और इसका लोगों के हालात और मानसिकता से कोई सम्बंध नहीं है। दीन के सुबूत यह बताते हैं कि शबे क़द्र केवल रसूले अकरम स. के ज़माने या अरब के क्षेत्र से सम्बंधित नहीं थी बल्कि हर ज़माने और हर जगह पर अपनी महानता और महत्व के साथ मौजूद है।
हो सकता है कि इससे यह कल्पना हो कि शबे क़द्र पूरे साल में एक है और ज़मीन के हर क्षेत्र और हर इलाक़े में एक साथ आती है और उसके शुरू और ख़त्म होने का समय एक है। इस तरह से कि पूरी ज़मीन पर एक साथ उसका समय शुरू होता है और एक साथ समाप्त होता है।
यह कहना ग़लत है, क्योंकि ज़मीन गोलाकार है और हमेशा आधी रौशनी में और आधी अंधेरे में रहती है यानी आधी ज़मीन पर रात रहती है और आधी ज़मीन पर दिन रहता है। इसलिये यह बात सम्भव नहीं है कि पूरी धरती पर हर जगह एक साथ एक समय हो।
यह कि शबे क़द्र पूरे साल में एक रात है इस से मुराद यह है कि हर इलाक़े के लोगों के लिये क़मरी महीने के हिसाब से एक रात शबे क़द्र होती है।
या इस तरह से कहा जाए कि हर जगह और हर क्षेत्र के रहने वाले अपने क्षेत्र के हिसाब से क़मरी महीने की शुरुवात करते हैं जिसका पहला महीना मोहर्रम होता है और कुछ महीने गुज़रने के बाद रमज़ान का महीना आता है कि जिसकी उन्नीसवीं, इक्कीसवीं या तेइसवीं की रात, शबे क़द्र होती है।
यह विषय कि हर जगह के रहने वाले अपने पवित्र इस्लामी समय को अपने क्षेत्र के समय के हिसाब से निर्धारित करें, यह शबे क़द्र से विशिष्ठ नहीं है बल्कि सभी पवित्र समयों के लिये यही तरीक़ा होता है जैसे ईदुल फ़ित्र का दिन, ईदुल अज़हा का दिन इस्लाम में पवित्र दिन होता है कि इस दिन की ख़ास इबादतें और अहकाम हैं और इनमें से हर एक ईद हर क्षेत्र में वहाँ के हिसाब से मनाई जाती है। इसी वजह से बहुत से समयों में जैसे ईदुल अज़हा सऊदी अरब में, ईरान में और दूसरे देशों से एक दिन पहले मनाई जाती है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि यह हिसाब शबे क़द्र के बारे में इस विषय से टकराव नहीं रखता कि उस रात फ़रिश्ते नाज़िल होते हैं। क्योंकि यह सब कुछ ख़ुदा वन्दे आलम की रहमत का नतीजा है जो इस सब में होती है इसलिये हर जगह के लोगों के लिये अपने क्षेत्र के हिसाब से शबे क़द्र होती है और उसी शब में उसी इलाक़े के लिये फ़रिश्ते भी नाज़िल होते हैं।
इस सवाल का इस तरह भी जवाब दिया गया है कि शबे क़द्र एक रात से ज़्यादा नहीं है लेकिन पूरी ज़मीन में एक पूरी रात 24 घण्टे की और इसी तरह पूरा दिन 24 घण्टे का होता है और उनमें से हर ज़माना एक वक़्त में आधी दुनिया को दिन और आधी दुनिया को रात की सूरत में अपने घेरे में लिये रहता है।
इसलिये जब सऊदी अरब में शबे क़द्र होती है तो शबे क़द्र की कुछ रात ईरान की उस रात से जुड़ जाती है जिस रात में ईरान में शबे क़द्र के आमाल अन्जाम दिये जाते हैं यानी वह रात जारी रहती है। या यूँ कहा जाए कि सारी रातें और सारे दिन यही हालत रखते हैं कि 24 घण्टे की सूरत में धीरे धीरे पूरी ज़मीन को अपने घेरे में ले लेते हैं। इसी लिये रिवायतों में आया है कि शबे क़द्र के दिन की फ़ज़ीलत और बरकत शबे क़द्र की रात की बरकत से कम नहीं है।

रमज़ान के अंतिम दस दिनो की विषम रातों में से एक लैलतुल क़द्र

रमज़ान के अंतिम दस दिनो की विषम रातों में से एक लैलतुल क़द्र, ताकत की रात के रुप में जानी जाती है। यह अधिकतर सत्ताईसवीं रात मानी जाती है, जब अल्लाह ने अल-लौह-ए-महफूज से कुरान में अपने तफ़सीली संदेशो को नए रुप में भेजा था। ‘उसमें सभी मामलों के आदेश का विधान है’। बाद में, अल्लाह के ईलहाम का प्यार पैग़म्बर मोहम्मद के जरिए आया जो उन तक शाश्वत फरिश्ते गैब्रियल ने पहुँचाया था, वह सब भी इसी रात में हुआ था। इस संदेश का मतलब लड़ाई-झगड़े की स्थिति को एक करके शांति और प्रेम में बदलना था।

ईश्वरीय घोषणाएं कहती हैं कि यह रात एक आदमी की पूरी जिंदगी में आने वाले एक हजार महीनों से बेहतर होती है। दुआओं की पूरी जिंदगी की तुलना में इस रात में मांगी गई दुआएं ज्यादा असर रखती है। इस रात फरिश्ते अल्लाह की रहमतों और शिक्षाओं के साथ धरती पर आते हैं। इस रात के वैभव बारे में बताते हुए कुरान का पवित्र संदेश इसे स्पष्ट करता है कि ये वही रात है जिसने मोहम्मद और अन्य पैगम्बरों के जरिए पैगाम का खुलासा किया। कुछ जानकार इस मत के हैं कि संरक्षित पट्टिका से कुरान के जरिए मज़हबी संदेशो का आना रमज़ान के पिछले पड़ने वाले महीने शा’बान में शुरु हुआ था और यह प्रक्रिया इसी शक्तिशाली रात को पूरी हुई थी।

लैलतुल क़द्र के अक्षर से 27 रात की ओर संकेत


सुरह अल क़द्र में शब्द लैलतुल क़द्र (यानी क़द्र की रात) 3 बार उपयोग हुआ तथा लैलुतल क़द्र में 9 अक्षर पाय जाते हैं। और 9 को 3 में जनन कर देने से 27 प्राप्त होते हैं।
अर्थात इस 27 के तात्पर्य से भी क़द्र की रात 27 रात ही होने की ओर संकेत व इशारा मिलता है। जैसा के अ़ल्लामा हाफिज़ इ़ब्न हज्र असखलानी रहमतुल्लाहि अलैह ने फरमाया हैः-
भाषांतरः- और कुछ विद्वानों ने क और कारण से (क़द्र की 27 रात में होने पर) दलील व तात्पर्य दिया है। अर्थात व्याख्या हैः लैलतुल क़द्र में 9 अक्षर हैं तथा इस सरह में लैलतुल क़द्र 3 बार आया है। इस प्रकार वह 27 होते हैं।

(फत्हुल बारी, सुरह अल क़द्रः 03)

हजार महीनों से बढ़कर लैलतुल कद्र


अलविदा जुमा पर खास दुआएं

रेहमतों, बरकतों, नमाजों, तिलावतों और इबादतों से सजा महीना रमजान पूरा होने को है। मस्जिदों में अदा की गई जुमा-तुल-विदा के बाद इस बात पर लोग गमगीन दिखाई दे रहे हैं कि रेहमतों का यह दौर अब थमने वाला है।

रमजान माह का अलविदा जुमा पूरी अकीदत और जोश के साथ मनाया गया। नमाज का खास सवाब होने की बात को ध्यान में रखते हुए बड़ी तादाद में मुस्लिम धर्मावलंबी निर्धारित समय से बहुत पहले मस्जिद पहुंचने लगे थे। धीरे-धीरे बढ़ती भीड़ का आलम यह हुआ कि नमाज के वक्त नमाजियों को मस्जिद के अंदर जगह नहीं मिल पाई।

रमजान माह की 27वीं रात यानि शब-ए-कद्र 27 अगस्त को मनाई जाएगी। इस मौके पर मस्जिदों में खत्म-ए-कुरआन के आयोजन होंगे, तो कई जगह दुरूद, फातेहा होगी तथा लंगर वितरित किया जाएगा। मुस्लिम धर्मावलंबी सारी रात मस्जिद और घरों में इबादत कर गुजारेंगे।'

हुजूर ने फरमाया कि 'रमजान के महीने में एक ऐसी रात है, जो हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।' इस रात से मुराद लैलतुल कद्र है। जैसा कि खुद कुरआन मजीद में है कि 'हमने इस कुरआन को शब-ए-कद्र में नाजिल किया है और तुम क्या जानो कि शब-ए-कद्र क्या चीज है। शब-ए-कद्र हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।' कुरआन इंसान की भलाई और हिदायत का रास्ता दिखाने वाली किताब है।

सच्ची बात तो यह है कि इंसान के लिए इससे बढ़कर कोई दूसरी नेमत हो ही नहीं सकती। इसीलिए कहा गया है कि इंसानी तारीख में कभी हजार महीनों में भी इंसानियत की भलाई के लिए वह काम नहीं हुआ, जो इस एक रात में हुआ है। इस रात की अहमियत के अहसास के साथ जो इसमें इबादत करेगा, वह दरअसल यह साबित करता है कि उसके दिल में कुरआन मजीद की सही कदर और कीमत का अहसास मौजूद है।

क़ुरआन का सन्देश

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