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01 अगस्त 2014

10 हजार कमरों के इस होटल में आज तक नहीं ठहरा एक भी मेहमान



(नाजियों द्वारा बनवाया गया होटल प्रोरा)
 
रियूगेन। जर्मन आइलैंड रियूगेन में बाल्टिक सागर के किनारे बने इस होटल को दुनिया का सबसे बड़ा होटल माना जाता है। हालांकि, ये जानकर हैरानी होगी कि 10 हजार कमरे वाले प्रोरा नाम के इस होटल को बने 70 साल से भी ज्यादा का वक्त गुजर गया है, लेकिन आज तक यहां कोई गेस्ट नहीं ठहरा। बेहतरीन लोकेशन पर होने के साथ ही इसके सभी कमरों से समुद्र का नजारा दिखता है, लेकिन बावजूद इसके यहां कभी कोई मेहमान नहीं रुका। 
 
इस होटल को 1936 से 1939 के बीच नाजियों ने बनवाया था, ताकि वो यहां जिंदगी का मजा लेने के साथ ही अपनी ताकत भी बढ़ सकें। इस होटल को बनवाने के पीछे उनका मकसद यहां जर्मन कर्मचारियों को खाली वक्त बिताने का मौका देना और इस बहाने अपनी नाजी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करना था। 
 
किन कामों में हुआ इस्तेमाल
इस कॉम्प्लेक्स में आठ अलग-अलग इमारतें हैं, जो करीब साढ़े चार किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हैं। बीच से इसकी दूरी 150 मीटर है। आठ हाउसिंग ब्लॉक के साथ ही थिएटर, सिनेमा, स्विमिंग पूल और फेस्टिवल हॉल हमेशा खाली ही रहे। युद्ध के दौरान हैम्बर्ग के कई लोग यहां के ब्लॉक्स में रुक गए थे। युद्ध के बाद प्रोरा को ईस्ट जर्मन आर्मी ने मिलिट्री आउटपोस्ट की तरह इस्तेमाल किया। 1990 में जर्मनी के एकीकरण के बाद से ये इमारतें खाली हैं। 
 
क्यों पूरा नहीं हुआ निर्माण
इस प्रोजेक्ट के कन्स्ट्रक्शन में देश की सभी बड़ी कंपनियां शामिल थीं। करीब 9 हजार मजदूरों ने इस पर काम किया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान प्रोरा का कन्स्ट्रक्शन रोककर सभी मजदूरों को हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों में भेज दिया गया था और ये प्रोजेक्ट कभी पूरा ही नहीं हुआ। होटल की हालत भी खस्ता होने लगी है। अब आसार बन रहे हैं कि इसे फिर से प्राइवेट रियल एस्टेट इन्वेस्टर्स को देकर खूबसूरत रिजॉर्ट में बदला जाएगा। समुद्र के सामने वाली प्रॉमिनेंट लोकेशन को देखते हुए डेवलपर्स यहां हॉलिडे अपार्टमेंट्स बनाने की सोच रहे हैं।

3 माह का रुद्र, एक दिन बाद जमीन के भीतर रोया...और बच गईं 4 जिंदगियां



पुणे. मालिण गांव पर पहाड़ टूटा है। 70 शव निकाले जा चुके हैं। हर घर में किसी न किसी की जान गई है। पर रुद्र के घर में सब सलामत हैं। मां भी और दादा-दादी भी। महज तीन माह के रुद्र ने सबको बचा लिया। वो भी सिर्फ रोकर। बुधवार तड़के तीन बजे जब मालिण गांव पर पहाड़ टूटा तो रुद्र की मां उसे दूध पिला रही थी। घर में दादा-दादी बगल के कमरे में सो रहे थे। जब तक कोई कुछ समझ पाता पानी, मिट्टी और पत्थरों से भरा मलबा घर के टीन के छप्पर पर आ गिरा और टीन की छत टूटकर इन पर आ गिरी। इसी टीन की छत ने मलबे को इन तक पहुंचने से रोक लिया। पूरा घर मिट्टी में दब गया था, लेकिन इनकी सांसें चलती रहीं।
 
मलबे में दबे होने की वजह से इनका खुद बाहर निकल पाना नामुमकिन था। जैसे-जैसे वक्त बीत रहा था, आसपास हवा कम हो रही थी। 6-7 घंटे तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद पूरा परिवार बेहोशी की हालत में पहुंच गया। इस बीच बचाव दल मौके पर पहुंच चुके थे। मलबा हटाया जा रहा था, शव निकाले जा रहे थे। एक दिन बीत चुका था।
 
गुरुवार दोपहर बाद गीली मिट्टी के नीचे से रोने की बेहद हल्की आवाज आई। एनडीआरएफ की टीम फौरन हरकत में आई। दो-ढाई घंटे लगे और अंतत:  बचाव दल बच्चे तक पहुंच गया। वहीं उसकी मां भी मिली और पास ही में दादा-दादी भी। तीनों बेहोश थे। फौरन सबको हॉस्पिटल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि थोड़ी और देर होती तो किसी को बचाना संभव न था। अब सब सलामत हैं। रुद्र भी खिलखिला रहा है। उसके पिता जो पुणे में काम करते हैं वे भी आ गए हैं।

नक्लसियों ने ठेकेदार का गला काटा, पेट फाड़कर सिर उसके अंदर डाला



(झारखंड के मांझापाड़ा गांव में घटना के बाद पहुचा पुलिस दस्ता और जूटे आसपास के लोग)
 
सिमडेगा/रांची. झारखंड में रांची के पास अम्बापानी गांव से सटे ओड़िशा के मांझापाड़ा गांव में पीएलएफआई के उग्रवादियों ने एक ठेकेदार की गला काटकर हत्या कर दी। फिर पेट चीर कर उसमें कटे हुए सिर को डाल दिया। उग्रवादियों ने वहां पर्चा छोड़कर हत्या की जिम्मेदारी ली है। इस घटना के बाद ठेठईटांगर व बांसजोर इलाके में दहशत का माहौल है। ठेकेदार सिंधुसागर दास गुरुवार की रात घर में सोए हुए थे। 
 
शुक्रवार सुबह तीन बजे हथियारों से लैस 20 उग्रवादी वहां पहुंचे और सिंधुसागर दास को अपने कब्जे में ले लिया। उन्हें अपने साथ करीब एक किलोमीटर दूर माझापाड़ा चौक पर ले गए। यहां उनके हाथ बांध दिए और गला काट कर हत्या कर दी। उग्रवादियों ने उनके हाथ भी काट दिए। इसके बाद उग्रवादियों ने उनका पेट चीर दिया और कटे हुए सिर को पेट में डाल दिया। ठेकेदार सुंदरगढ़ जिले के कुआरमुंडा प्रखंड की उपप्रमुख सुषमा नायर के देवर थे।
 
 
शव देखकर दहल गए लोग
 
 
घटना की जानकारी लोगों को शुक्रवार सुबह मिली। जब लोग घटनास्थल पर पहुंचे तो इस खौफनाक हादसे को देखकर दहल उठे। लोगों ने पुलिस को सूचना दी। ठेठईटांगर और बांसजोर की पुलिस ने सीमावर्ती इलाकों में पीएलएफआई उग्रवादियों की तलाश शुरू कर दी है। 
 
एरिया कमांडर ने ली जिम्मेदारी
 
कोलेबिरा के पीएलएफआई कमांडर बारूद गोप द्वारा छोड़े गए पर्चे में हत्या की जिम्मेदारी ठेठईटांगर क्षेत्र के एरिया कमांडर सचित सिंह ने ली है।
नक्सलियों ने की ठेकेदार की हत्या, फिर पेट चीर फिट किया सिर

क़ुरान का संदेश

मां को यकीन दिलाने के लिए बेटी ने किया दो साल से यौन शोषण कर रहे पिता का स्टिंग


मां को यकीन दिलाने के लिए बेटी ने किया दो साल से यौन शोषण कर रहे पिता का स्टिंग
फोटोः आरोपी शख्स की तस्वीर लिए पीड़ित युवती की मां और नीचे वीडियो ग्रैब। 
 
मुंबई. शहर के कल्याण इलाके में 15 साल की लड़की ने दो साल से यौन शोषण कर रहे अपने सौतेले पिता को बेनकाब करने के लिए स्टिंग का सहारा लिया। लड़की ने कमरे में कैमरा लगाकर 58 वर्षीय पिता की हरकतों का वीडियो बना डाला। इस सबूत के सहारे लड़की ने मां को पिता की हरकत पर यकीन कराया और आरोपी को गिरफ्तार भी कराया। पीड़ित लड़की ने मुंबई के एक प्रतिष्ठित स्कूल से इसी साल बारहवीं पास की है। पुलिस ने आरोपी शख्स के खिलाफ प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंस (POSCO) कानूनों के तहत मामला दर्ज किया है। 
 
कैसे बेनकाब हुआ आरोपी 
पीड़िता के मुताबिक, उसका सौतेला पिता लंच के लिए ठीक उसी समय आता था, जब वह स्कूल से लौटती थी। लड़की के बताया, "पिछले दो साल से वह मेरे साथ गंदी हरकत करता रहा। दोपहर में हम दोनों ही घर में होते थे। वह आराम करने के बहाने टीवी चला लेते और मुझे अपने साथ सोफे पर बैठाकर गलत हरकतें करते। मैंने अपनी मां को लगातार इसकी शिकायत की, लेकिन उन्होंने मेरा यकीन नहीं किया। फिर एक दिन मैंने मोबाइल को चार्जिंग के बहाने टीवी के ऊपर कैमरा ऑन कर रख दिया और वीडियो बना ली।" 
 
मां ने नहीं किया बेटी का यकीन 
पीड़ित लड़की की मां ने पुलिस के सामने स्वीकार किया है कि वह अपनी बेटी की शिकायत को नजरअंदाज करती रही। दरअसल, लड़की की मां इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं थी कि जिस शख्स के साथ वह सात साल से रह रही है, वह उसकी बेटी के साथ ऐसी घिनौनी हरकत कर सकता है। यही नहीं, पीड़िता की मां को तब भी यकीन नहीं हुआ था, जब बेटी का लिखा एक नोट भी मिला, जिसमें लड़की ने खुद के साथ पिछले साल हुई शर्मनाक हरकत के बारे में लिखा था। पीड़िता की मां के मुताबिक, आरोपी शख्स की पहली पत्नी से एक बेटी भी है, जो अमेरिका में रहती है। पीड़ित लड़की की मां एक कंपनी में बतौर डाटा एंट्री ऑपरेटर काम करती है और आरोपी सौतेला पिता प्लास्टिक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट चलाता है। 

राजद MP पप्‍पू यादव ने लोकसभा में अखबार फाड़ कर उछाला, स्‍पीकर ने खोया आपा


(फाइल फोटोः पप्पू यादव, सांसद)
राजद MP पप्‍पू यादव ने लोकसभा में अखबार फाड़ कर उछाला, स्‍पीकर ने खोया आपा
 
नई दिल्ली. लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन सदन में पहली बार आपा खोते दिखाई दीं। राजद सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्‍पू यादव और कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के हंगामे से खासी नाराज महाजन ने शुक्रवार को यहां तक कह दिया 'अगर आप सुझाव देने पर इतने ही आमादा हैं तो दूसरा स्‍पीकर चुन लीजिए।'

दरअसल, राजद सांसद पप्पू यादव संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के सिविल सर्विसेज एप्‍टीट्यूड टेस्‍ट (सीसैट) से जुड़े विवाद का मुद्दा उठाना चाहते थे। स्‍पीकर सुमित्रा महाजन ने उन्‍हें इसकी इजाजत नहीं दी। इससे नाराज होकर उन्‍होंने अखबार फाड़ कर ऊपर फेंक दिया। अखबार के कुछ टुकड़े स्‍पीकर की मेज पर भी पहुंच गए। हालांकि, उन्होंने ऐसी घटना से इनकार किया है।
 
इसी बीच कांग्रेस के ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया भी पुणे के मालिन गांव में हुए हादसे पर राजनाथ सिंह के दिए एक बयान पर स्‍पष्‍टीकरण की मांग कर रहे थे और कार्यवाही को बाधित कर रहे थे। दोनों ने काफी शोर-शराबा किया। दोनों के न मानने से महाजन बिखर पड़ीं। 

सिंधिया, खड़गे को नियमों का हवाला- 
सिंधिया, लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य सांसद राजनाथ सिंह के बयान पर स्पष्टीकरण की मांग पर अड़े थे। जबकि महाजन ने व्‍यवस्‍था दी थी कि अगर सांसद नियमों के मुताबिक नोटिस देते हैं तो वह हादसे पर चर्चा को तैयार हैं, लेकिन नियम 372 के तहत मंत्री का बयान हो जाने के बाद इस पर कोई स्‍पष्‍टीकरण नहीं मांगा जा सकता। संसदीय कार्य मंत्री वैंकेया नायडू ने भी कहा कि नियमों के तहत नोटिस आने पर सरकार भी चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन कांग्रेसी सांसद नहीं माने। जब स्पीकर द्वारा हंगामे में खराब हो रहे वक्त की याद दिलाई गई तो खड़गे ने यहां तक कह दिया कि क्या तब सदन का समय खराब नहीं हुआ था, जब राजनाथ ने हादसे पर इतना साधारण स्पष्टीकरण दिया।

नाग पंचमी कथा और पूजन विधि


nag_panchami_katha नाग पंचमी के दिन उपवास रख, पूजन करना कल्याणकारी कहा गया है. श्रवण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नाग पंचमी का पर्व प्रत्येक वर्ष श्रद्धा और विश्वास से मनाया जाता है. इस दिन के विषय में कई दंतकथाएं प्रचलित है. जिनमें से कुछ कथाएं इस प्रकार है. इन में से किसी कथा का स्वयं पाठ या श्रवण करना शुभ रहता है. साथ ही विधि-विधान से नागों की पूजा भी करनी चाहिए.

किसान और नागिन की कथा

नाग पंचमी के विषय में कई कथाएं प्रचलन में है, उनमें से एक के अनुसार किसी राज्य में एक किसान अपने दो पुत्र और एक पुत्री के साथ रहता था. एक दिन खेतों में हल चलाते समय किसान के हल के नीचे आने से नाग के तीन बच्चे मर गयें. नाग के मर जाने पर नागिन ने शुरु में विलाप कर दु:ख प्रकट किया फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का विचार बनाया.

रात्रि के अंधकार में नागिन ने किसान व उसकी पत्नी सहित दोनों लडकों को डस लिया. अगले दिन प्रात: किसान की पुत्री को डसने के लिये नागिन फिर चली तो किसान की कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया. और नागिन से वह हाथ जोडकर क्षमा मांगले लगी. नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाईयों को पुन: जीवित कर दिया.

उस दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी. उस दिन से नागों के कोप से बचने के लिये इस दिन नागों की पूजा की जाती है. और नाग -पंचमी का पर्व मनाया जाता है.

राजा और पांच नाग कथा

एक अन्य कथा के अनुसार एक राजा के सात पुत्र थे, सभी का विवाह हो चुका था. उनमें से छ: पुत्रों के यहां संतान भी जन्म ले चुकी थी, परन्तु सबसे छोटे की संतान प्राप्ति की इच्छा अभी पूरी नहीं हुई थी. संतानहीन होने के कारण उन दोनों को घर -समाज में तानों का सामना करना पडता था. समाज की बातों से उसकी पत्नी परेशान हो जाती थी. परन्तु पति यही कहकर समझाता था, कि संतान होना या न होना तो भाग्य के अधीन है.

इसी प्रकार उनकी जिन्दगी के दिन किसी तरह से संतान की प्रतिक्षा करते हुए गुजर रहे थें. एक दिन श्रवण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी. इस तिथि से पूर्व कि रात्रिं में उसे रात में स्वप्न में पांच नाग दिखाई दिये. उनमें से एक ने कहा की अरी पुत्री, कल नागपंचमी है, इस दिन तू अगर पूजन करें, तो तुझे संतान की प्राप्ति हो सकती है.

प्रात: उसने यह स्वप्न अपने पति को सुनाया, पति ने कहा कि जैसे स्वप्न में देखा है, उसी के अनुसार नागों का पूजन कर देना. उसने उस दिन व्रत कर नागों का पूजन किया, और समय आने पर उसे संतान सुख की प्राप्ति हुई.

नाग पंचमी पूजन विधि
Worship Methods of Nag Panchami

इस दिन प्रात: नित्यक्रम से निवृ्त होकर, स्नान कर घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाया जता है. मुख्य द्वार के दोनों ओर दूध, दूब, कुशा, चंदन, अक्षत, पुष्प आदि से नाग देवता की पूजा करते है. इसके बाद लड्डू और मालपूओं का भोग बनाकर, भोग लगाया जाता है. ऎसी मान्यता है कि इस दिन सर्प को दूध से स्नान कराने से सांप का भय नहीं रहता है. भारत के अलग- अलग प्रांतों में इसे अलग- अलग ढंग से मनाया जाता है.

भारत के दक्षिण महाराष्ट्र और बंगाल में इसे विशेष रुप से मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल, असम और उडीसा के कुछ भागों में इस दिन नागों की देवी मां मनसा कि आराधना की जाती है. केरल के मंदिरों में भी इसदिन शेषनाग की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

इस दिन विशेष रुप से सरस्वती देवी की पूजा-आराधना भी की जाती है. और बौद्धिक कार्य किये जाते है. ऎसी मान्यता है कि इस दिन घर की महिलाओं की उपवास रख, विधि विधान से नाग देवता की पूजा कि जाती है. इससे परिवार की सुख -समृ्द्धि में वृ्द्धि होती है. और परिवार को सर्पदंश का भय नहीं रह्ता है.

पूजन-विधि

नाग पंचमी की पूजा करने के लिये प्रात: घर की सफाई करने के बाद पूजन में भोग लगाने के लिये सैंवई-चावल आदि बनायें. देश के कुछ हिस्सों में नागपंचमी के एक दिन पहले खाना बनाकर रख लिया जाता है. और नागपंचमी के दिन बासी खाना खाया जाता है. पूरे श्रवन मास में विशेषकर नागपंचमी के दिन, धरती खोदना या धरती में हल, नींव खोदना मना होता है.

पूजा के वक्त नाग देवता का आह्वान कर उसे बैठने के लिये आसन देना चाहिए. उसके पश्चात जल, पुष्प और चंदन का अर्ध्य देना चाहिए. नाग प्रतिमा का दूध, दही, घृ्त, मधु ओर शर्कर का पंचामृ्त बनाकर स्नान करना चाहिए. उसके पश्चात प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल चढाना चाहिए.

इसके पश्चात वस्त्र सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बिलपत्र, आभूषण और पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप दीप, नैवेद्ध, ऋतु फल, तांबूल चढाने के लिये आरती करनी चाहिए. इस प्रकार पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है. इस दिन नागदेव की पूजा सुगंधित पुष्प, चंदन से करनी चाहिए. क्योकि नागदेव को सुंगन्ध विशेष प्रिय होती है.

नाग पंचमी कि पूजा के लिये इस मंत्र को प्रयोग करना चाहिए. मंत्र इस प्रकार है.

" ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा"

इस मंत्र के काल सर्प दोष की शान्ति भी होती है.

न्यूड हुए आमिर खान: उमर ने पूछा- शिवसेना, एमएनएस में से पहले कौन करेगी विरोध?



फोटो: फिल्म पीके का पोस्टर।  
 
नई दिल्ली. पिछले साल रिलीज हुई फिल्म 'धूम 3' की कामयाबी के बाद बॉलीवुड सुपरस्टार आमिर खान एक बार फिर सुर्खियां बटोर रहे हैं। इसकी वजह है उनकी नई फिल्म 'पीके' का पोस्टर। बॉलीवुड में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी स्‍टार ने फिल्मी पोस्टर के लिए न्‍यूड पोज दिया है। जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर पूछा है, 'अब सवाल उठता है कि आमिर खान के पोस्टर की आलोचना सबसे पहले कौन करेगा: एमएनएस या शिवसेना?'
 

 
पोस्टर में आमिर एक रेल ट्रैक पर न्यूड खड़े हैं। पोस्टर में उनके हाथ में सिर्फ एक टेप रिकॉर्डर दिखाया गया है।  फिल्म 'पीके' के बारे में कहा जा रहा है कि इसमें हिंदू देवताओं और संतों पर व्यंग्य किए गए हैं। कुछ लोग आमिर होने के न्यूड होने पर एतराज जाहिर कर रहे हैं, तो वहीं ज्यादातर लोग इसे जबर्दस्त कोशिश मानते हुए फिल्म के विषय को लेकर उत्सुकता जता  रहे हैं। 
 
इस साल 19 दिसंबर को रिलीज होने वाली फिल्म पीके के इस पोस्टर की सोशल साइटों पर खूब चर्चा है। ट्विटर पर इस मुद्दे को लेकर खूब कमेंट आ रहे हैं।
 
ट्विटर पर इस फिल्म से जुड़ी कुछ प्रतिक्रियाओं पर नजर डालिए: 
'राजू हिरानी की बहुप्रतीक्षित #पीके का पहला शानदार और उत्सुकता जगाने वाला लुक।'
-करन जौहर, फिल्म डायरेक्टर   

'पीके का पोस्टर पागलपन है!! फिल्म को लेकर कितना उत्सुक हूं, बता नहीं सकता। राजू हिरानी बम हैं और आमिर का स्क्रिप्ट सेंस सिक्स्थ सेंस जैसा है।'
-विशाल डडलानी, म्यूजिक डाइरेक्टर 

19 दिसंबर को मेरी मेरी मेरी वजह से बॉक्स ऑफिस में भूकंप आ जाएगा।'
-कमाल आर. खान, अभिनेता  
 

'क्या हम किसी फिल्मी पोस्टर पर न्यूड महिला की तस्वीर बर्दाश्त करेंगे?# पीके'  
शोमिनी सेन, पत्रकार 
 
पोस्टर पर रिएक्शन 
फिल्म 'पीके' के पोस्टर को लेकर आ रही प्रतिक्रिया दो तरह की है। एक तरफ कुछ लोग आमिर खान की 'मिस्टर परफेक्शनिस्ट' की छवि की तारीफ करते हुए पोस्टर की तारीफ कर रहे हैं, और उसे फिल्म को लेकर उत्सुकता जगाने वाला बता रहे हैं, वहीं कुछ इसकी कड़ी आलोचना कर रहे हैं। प्रशंसकों को फिल्म का बेसब्री से इंतजार है। इनमें करन जौहर, विशाल डडलानी जैसे मशहूर लोगों के अलावा कई आम लोग भी हैं। वहीं, दूसरी तरफ पत्रकार शोमिनी सेन जैसे लोग भी हैं, जो पोस्टर से जुड़ी नैतिकता और उसके मानदंड, स्त्री-पुरुष के बीच भेदभाव भरे रवैये को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। हालांकि, ऐसे लोगों की तादाद तारीफ करने वालों की तुलना में कम है। शोमिनी सेन का कहना है, "अगर यही पोस्टर किसी छोटे कलाकार का होता तो उसे सस्ती पब्लिसिटी पाने वाला बी ग्रेड का एक्टर बता दिया गया होता। यही नहीं, अगर कोई अभिनेत्री ऐसे पोस्टर में नजर आती तो देश में बवाल मच जाता। लेकिन यही काम जब एक पुरुष ने किया है तो हमारी नैतिकता, कानून कहां हैं?" शोमिनी स्त्री-पुरुष के बीच नग्नता को लेकर नैतिकता के अलग-अलग पैमाने पर भी सवाल खड़े करती हैं।  
 
नई तरकीबें अपनाते रहे हैं आमिर   
आमिर खान की पहचान फिल्मों के प्रचार के लिए नई-नई तरकीबें अपनाते रहते हैं। पिछले कुछ सालों में आई उनकी कुछ फिल्मों के प्रचार के लिए आमिर ने अलग-अलग तरीके अपनाए। ऐसी कुछ फिल्मों पर नजर डालिए: 
 
गजनी 
2008 में रिलीज हुई फिल्म 'गजनी' को प्रमोट करने के लिए आमिर खान ने मॉल्स और पब्लिक प्लेस पर लोगों के बाल काटे। 
 
3 इडियट्स 
2009 में आई फिल्म '3 इडियट्स' को प्रमोट करने के लिए आमिर देश के कुछ हिस्सों में भेष बदलकर घूमते थे।  
 
रंग दे बसंती 
2006 में आई फिल्म 'रंग दे बसंती' फिल्म को प्रमोट करने के लिए आमिर ने मशहूर कॉलेज और यूनिवर्सिटी का रुख किया था। 

नाग पंचमी


नाग पंचमी
नाग पंचमी
नाग पंचमी व्रत
आधिकारिक नाम     नाग पंचमी व्रत
अनुयायी     हिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी
उद्देश्य     सर्वकामना पूर्ति

नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है । हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रुप में मनाया जाता है । इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है। नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुस्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है।
संस्कृति
हमारी संस्कृति ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोड़ने का प्रयत्न किया है। हमारे यहां गाय की पूजा होती है। कई बहनें कोकिला-व्रत करती हैं। कोयल के दर्शन हो अथवा उसका स्वर कान पर पड़े तब ही भोजन लेना, ऐसा यह व्रत है। हमारे यहाँ वृषभोत्सव के दिन बैल का पूजन किया जाता है। वट-सावित्री जैसे व्रत में बरगद की पूजा होती है, परन्तु नाग पंचमी जैसे दिन नाग का पूजन जब हम करते हैं, तब तो हमारी संस्कृति की विशिष्टता पराकाष्टा पर पहुंच जाती है।

गाय, बैल, कोयल इत्यादि का पूजन करके उनके साथ आत्मीयता साधने का हम प्रयत्न करते हैं, क्योंकि वे उपयोगी हैं। लेकिन नाग हमारे किस उपयोग में आता है, उल्टे यदि काटे तो जान लिए बिना न रहे। हम सब उससे डरते हैं। नाग के इस डर से नागपूजा शुरू हुई होगी, ऐसा कई लोग मानते हैं, परन्तु यह मान्यता हमारी संस्कृति से सुसंगत नहीं लगती।

नाग को देव के रूप में स्वीकार करने में आर्यों के हृदय की विशालता का हमें दर्शन होता है। 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्‌' इस गर्जना के साथ आगे बढ़ते हुए आर्यों को भिन्न-भिन्न उपासना करते हुए अनेक समूहों के संपर्क में आना पड़ा। वेदों के प्रभावी विचार उनके पास पहुँचाने के लिए आर्यों को अत्यधिक परिश्रम करना पड़ा।

विभिन्न समूहों को उपासना विधि में रहे फर्क के कारण होने वाले विवाद को यदि निकाल दिया जाए तो मानव मात्र वेदों के तेजस्वी और भव्य विचारों को स्वीकार करेगा, इस पर आर्यों की अखण्ड श्रद्धा थी। इसको सफल बनाने के लिए आर्यों ने अलग-अलग पुंजों में चलती विभिन्न देवताओं की पूजा को स्वीकार किया और अलग-अलग पुंजों को उन्होंने आत्मसात करके अपने में मिला लिया। इन विभिन्न पूजाओं को स्वीकार करने के कारण ही हमें नागपूजा प्राप्त हुई होगी, ऐसा लगता है।
भारत वर्ष में सर्प पूजन

भारत देश कृषिप्रधान देश था और है। सांप खेतों का रक्षण करता है, इसलिए उसे क्षेत्रपाल कहते हैं। जीव-जंतु, चूहे आदि जो फसल को नुकसान करने वाले तत्व हैं, उनका नाश करके सांप हमारे खेतों को हराभरा रखता है।

साँप हमें कई मूक संदेश भी देता है। साँप के गुण देखने की हमारे पास गुणग्राही और शुभग्राही दृष्टि होनी चाहिए। भगवान दत्तात्रय की ऐसी शुभ दृष्टि थी, इसलिए ही उन्हें प्रत्येक वस्तु से कुछ न कुछ सीख मिली।

साँप सामान्यतया किसी को अकारण नहीं काटता। उसे परेशान करने वाले को या छेड़ने वालों को ही वह डंसता है। साँप भी प्रभु का सर्जन है, वह यदि नुकसान किए बिना सरलता से जाता हो, या निरुपद्रवी बनकर जीता हो तो उसे मारने का हमें कोई अधिकार नहीं है। जब हम उसके प्राण लेने का प्रयत्न करते हैं, तब अपने प्राण बचाने के लिए या अपना जीवन टिकाने के लिए यदि वह हमें डँस दे तो उसे दुष्ट कैसे कहा जा सकता है? हमारे प्राण लेने वालों के प्राण लेने का प्रयत्न क्या हम नहीं करते?

साँप को सुगंध बहुत ही भाती है। चंपा के पौधे को लिपटकर वह रहता है या तो चंदन के वृक्ष पर वह निवास करता है। केवड़े के वन में भी वह फिरता रहता है। उसे सुगंध प्रिय लगती है, इसलिए भारतीय संस्कृति को वह प्रिय है। प्रत्येक मानव को जीवन में सद्गुणों की सुगंध आती है, सुविचारों की सुवास आती है, वह सुवास हमें प्रिय होनी चाहिए।

हम जानते हैं कि साँप बिना कारण किसी को नहीं काटता। वर्षों परिश्रम संचित शक्ति यानी जहर वह किसी को यों ही काटकर व्यर्थ खो देना नहीं चाहता। हम भी जीवन में कुछ तप करेंगे तो उससे हमें भी शक्ति पैदा होगी। यह शक्ति किसी पर गुस्सा करने में, निर्बलों को हैरान करने में या अशक्तों को दुःख देने में व्यर्थ न कर उस शक्ति को हमारा विकास करने में, दूसरे असमर्थों को समर्थ बनाने में, निर्बलों को सबल बनाने में खर्च करें, यही अपेक्षित है।
सर्प मणि

कुछ दैवी साँपों के मस्तिष्क पर मणि होती है। मणि अमूल्य होती है। हमें भी जीवन में अमूल्य वस्तुओं को (बातों को) मस्तिष्क पर चढ़ाना चाहिए। समाज के मुकुटमणि जैसे महापुरुषों का स्थान हमारे मस्तिष्क पर होना चाहिए। हमें प्रेम से उनकी पालकी उठानी चाहिए और उनके विचारों के अनुसार हमारे जीवन का निर्माण करने का अहर्निश प्रयत्न करना चाहिए। सर्व विद्याओं में मणिरूप जो अध्यात्म विद्या है, उसके लिए हमारे जीवन में अनोखा आकर्षण होना चाहिए। आत्मविकास में सहायक न हो, उस ज्ञान को ज्ञान कैसे कहा जा सकता है?

साँप बिल में रहता है और अधिकांशतः एकान्त का सेवन करता है। इसलिए मुमुक्षु को जनसमूह को टालना चाहिए। इस बारे में साँप का उदाहरण दिया जाता है।

देव-दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने दुर्जनों के लिए भी प्रभु कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया है। दुर्जन मानव भी यदि सच्चे मार्ग पर आए तो वह सांस्कृतिक कार्य में अपना बहुत बड़ा योग दे सकता है और दुर्बलता सतत खटकती रहने पर ऐसे मानव को अपने किए हुए सत्कार्य के लिए ज्यादा घमंड भी निर्माण नहीं होगा।

दुर्जन भी यदि भगवद् कार्य में जुड़ जाए तो प्रभु भी उसको स्वीकार करते हैं, इस बात का समर्थन शिव ने साँप को अपने गले में रखकर और विष्णु ने शेष-शयन करके किया है।

समग्र सृष्टि के हित के लिए बरसते बरसात के कारण निर्वासित हुआ साँप जब हमारे घर में अतिथि बनकर आता है तब उसे आश्रय देकर कृतज्ञ बुद्धि से उसका पूजन करना हमारा कर्त्तव्य हो जाता है। इस तरह नाग पंचमी का उत्सव श्रावण महीने में ही रखकर हमारे ऋषियों ने बहुत ही औचित्य दिखाया है
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