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28 अगस्त 2014

मोदी के पीएम बनने के बाद एनडीए को पहला झटका: हजकां ने तोड़ा नाता

(फाइल फोटोः तीन साल पहले गठबंधन की घोषणा के वक्त सुषमा-गडकरी के साथ कुलदीप बिश्नोई)

नई दिल्ली. विधानसभा चुनावों से ऐन पहले हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) ने बीजेपी के साथ तीन साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया है। हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई ने गुरुवार को चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा की। उन्होंने बीजेपी को धोखेबाज पार्टी करार देते हुए कहा, "बीजेपी की इतिहास धोखा देने वाला है और हम ऐसे धोखेबाजों के साथ चुनाव में नहीं उतरेंगे।" बीजेपी ने कुलदीप बिश्नोई के आरोपों पर पलटवार किया है। पार्टी के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि हरियाणा की जनता बीजेपी का मुख्यमंत्री चाहती है। हुसैन के मुताबिक, हरियाणा की जनता कांग्रेस से इतनी नाराज है कि वह उसके किसी करीबी को भी बर्दाश्त नहीं करेगी। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद एनडीए को हजकां के गठबंधन से निकलने पर पहला झटका लगा है। लोकसभा चुनाव 2014 के बाद एनडीए से बाहर होने वाली हजकां पहली पार्टी है। 
 
इस बीच, हजकां के साथ गठबंधन टूटने से एनडीए में भी खलबली मच गई है। बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना के कई नेताओं ने पार्टी सुप्रीमो उद्धव ठाकरे से बात कर बीजेपी के साथ गठबंधन पर फिर से विचार करने को कहा है। कुछ नेताओं ने ठाकरे को बीजेपी को लेकर सतर्क रहने तक की सलाह दे डाली है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि हरियाणा में बीजेपी ने जो हजकां के साथ किया है, महाराष्ट्र में वही शिवसेना के साथ कर सकती है। 
 
गुरुवार को चंडीगढ़ में प्रेस से मुखातिब कुलदीप बिश्नोई ने बीजेपी पर आरोपों की झड़ी लगा दी। बिश्नोई ने कहा, "बीजेपी ने लोकसभा चुनावों के दौरान हमें दो सीटों पर हराया, जबकि हम उसके सहयोगी दल थे।" बिश्नोई ने कहा, "राज्य में हमें लगातार नीचा दिखाया जा रहा है, जिसे अब स्वीकार नहीं किया जाएगा।" हजकां सुप्रीमो ने कहा कि बीजेपी गठबंधन के सिद्धांतों पर कायम रहने के लिए तैयार नहीं है, इसलिए उन्होंने यह फैसला किया। 
 
गौरतलब है कि हरियाणा में जल्द होने जा रहे विधानसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे के लिए बिश्नोई बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने दिल्ली पहुंचे थे, लेकिन शाह ने इनकार कर दिया था। गठबंधन खत्म होने की आशंका तभी से जताई जा रही थी। 
 
इससे पहले बुधवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के छोटे बेटे बिश्नोई ने बीजेपी पर अपने साथ छल करने का आरोप लगाया था। बिश्नोई ने भिवानी जिले के लोहारू स्थित अनाज मंडी में एक सभा में कहा था, "छलना बीजेपी के स्वभाव में है।" उन्होंने दावा किया था कि पिछले तीन साल से वह पूरे दिल से बीजेपी के साथ सहयोग करते रहे। 
 
लोकसभा चुनावों के समय से ही दरार
हरियाणा में सत्तारूढ़ हुड्डा सरकार को बेदखल करने की कोशिशों में लगी बीजेपी और हजकां के बीच दरार लोकसभा चुनावों के दौरान ही नजर आने लगी थी। हजकां दो सीटों पर चुनाव लड़ी और दोनों पर हार गई, जबकि बीजेपी ने सात सीटों पर जीत दर्ज की। विधानसभा चुनावों के लिए भी सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर दोनों दलों के बीच मतभेद होने के कारण उनके संबंध तनावपूर्ण थे। बताया जा रहा है कि बिश्नोई 90 में से 45 सीटें मांगते हुए कह रहे थे कि उन्हें गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए, जबकि बीजेपी दोनों ही मांगों को खारिज कर रही थी।

नाबालिग प्रेमी जोड़े को जहर दिया फिर तलवारों से काटा डाला


नाबालिग प्रेमी जोड़े को जहर दिया फिर तलवारों से काटा डाला
 
अमृतसर/अजनाला। जिले के गांव रानी वाल में 15 साल की गुरप्रीत कौर अौर 19 के लवप्रीत सिंह को पहले जहर दिया फिर  तलवारों से काटकर कत्ल कर दिया गया। लड़की के चाचा लखबीर, भाई जसविंदर व 5 अन्य ने दोनों को काटकर नहर किनारे फेंक दिया। पुलिस ने लखबीर व जसविंदर को गिरफ्तार कर लिया है।
 
अन्य आरोपी हीरा सिंह, शीतू, बोबा, साबी और विक्का फरार हैं। जानकारी के अनुसार गांव सेहरसा में लड़का-लड़की का घर अास-पास है। रविवार को दोनों भाग कर गुज्जरपुरा में लवप्रीत की बहन के घर आ गए थे। इस पर परिवारवालों ने हंगामा कर दिया। पुलिस आने पर यह कहकर घर ले गए कि लवप्रीत से शादी करवा देंगे। देर रात लड़के को उसके घर से उठा ले गए और बुधवार रात कत्ल कर दिया।
 
लवप्रीत के करने थे टुकड़े
आरोपियों ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि जोड़े को बुरी तरह पीटने के बाद वह लड़के के टुकड़े करना चाहते थे। दोनों के चीखने-चिल्लाने की आवाज कोई न सुने, इसलिए उनके मुंह में जहर उड़ेल दिया। जहर का असर होने पर जब दोनों तड़पने लगे तो तलवारों से वार किए। इसके बाद सुनसान इलाका देख प्रेमी जोड़े को नहर किनारे फेंक दिया।

खेल आओ अब हम बंद करे

एक दूसरे पर इलज़ाम लगाने का खेल ,,तेरी मेरी ,,,आरोप प्रत्यारोप का ,,,खेल आओ अब हम बंद करे ,,,,,,आओ ,,मेरे साथ आओ ,,हम सब मिलकर ,,जाती धर्म ,,भाषा ,,क्षेत्रीयता ,,साम्प्रदायिकता ,,सियासत ,,पार्टी पॉलिटिक्स ,,, संघी लीगी ,,, के ज़हर को फेंक कर एक दूसरे से गले लगे ,,,आओ ,,,हम एक खुश हाल ,,एक विकसित ,,एक सुरक्षित ,,एक मिसाली ,,,,खुशहाल ,,मुस्कराता ,,खिलखिलाता ,,हिन्दुस्तान बनाये ,,मेरा भारत महान बनाये ,,आओ ,,आओ ,,आओ ,,मुझे आपके साथ का इन्तिज़ार है ,जो लोग बुरे है उन्हें छोड़ दो ,,वोह जब गिनती में कम हो जाएंगे तो खुद बा खुद खुशहाल हिन्दुस्तान के आगे आत्मसमर्पण कर देंगे ,,आओ ,,आओ आप और हम मिलकर एक नया मिसाली हिंदुस्तान बनाये ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,akkhtar khan akela

यह केसी ,, नफरत यह केसा और किसका षड्यंत्र है

यह केसी ,, नफरत यह केसा और किसका षड्यंत्र है ,,,,आज़ादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं ,आज़ादी के बाद आज़ादी की लड़ाई का हीरो अहिंसावादी महात्मा गांधी की हत्या ,,,हत्यारा योजनाबद्ध तरीके से टोपी पहनकर ,,दाढ़ी लगाकर हत्या करता है ,,,,कल्पना करो अगर हत्यारा मौके पर नहीं पकड़ा जाता तो गांधी की हत्या के आरोप में कोनसी कॉम बदनाम होती ,,,,,आज़ादी के बाद गलियों बस्तियों में नफरत का माहोल ,,,फ़िज़ाओं में ज़हर ,,,अगर पानी से बिजली बनाने की बात हुई तो यह कहकर विरोध क्या गया के पानी की ताक़त निकालकर कमज़ोर पानी जनता पियेगी जिससे जनता कमज़ोर होगी ,,,गांय के क़ातिल होने के योजनाबद्ध आरोप लगाये जाते रहे ,,,मंदिर मस्जिद का विवाद ,,,,एक ईंट एक नोट ईंटें और जनता के नोट का कोई हिसाब नहीं ,,पहले रथ यात्रा ,,फिर एकता यात्रा ,,,रथ यात्रा में लालकृष्ण आडवाणी जिन्हे घर बिठा दिया गया है राम का दर्जा देकर पूजा जाने लगा ,,,रामायण के हीरो अरुण गोविल को राम का दर्ज देकर पूजा गया ,,,,कई योजनाबद्ध षड्यंत्र ,,,,छोटी छोटी आपसी रंजिश कहासुनी को नफरत का वातावरण बनाकर प्रचारित करना ,,,,,हां एक बात ज़रूर रही यह लोग व्यापारी रहे ,,अधिकारी रहे ,,लेकिन फौज में इनके बेटों की खुद इनकी कमी रहती है ,,,फिर बताइये यह राष्ट्रभक्त कैसे हो सकते है ,,,,,,,,अब लव जेहाद ,,वन्देमातरम का विवाद ,,,,इण्डिया शाइनिंग ,,,,,अच्छे दिनों का नारा वाह जनाब वाह सबके सामने तस्वीर है ,,,,,दोस्तों हम और आप हिन्दुस्तानी है हम और आप एक दूसरे से नफरत करने ,,विवाद करने के बारे में सोच भी कैसे सकते है ,, कुछ लोग हो सकते है जो गुमराह है समाज और देश को तोड़कर ,,लोगों को गुमराह कर अपना धंधा ,,चंदे का व्यापार और कुर्सी की सियासत करते है ,,लेकिन हमे और आपको इन षड्यंत्रों को समझना होगा ,,हमे आपको मिलकर एक नया हिंदुस्तान बनाना होगा ,,पाकिस्तान समर्थक आंतकवादियों के खिलाफ आवाज़ उठाना होगा ,,तिरंगे का अपमान करने वालों को सज़ा दिलवाना होगी ,,,,,देश तोड़ने ,,देश में नफरत का माहोल बनाने वालों का सामजिक ,,सियासी बहिष्कार करना होगा ,,,,,,हमे कोई समाज ,,कोई धर्म ,,कोई जाती ,,कोई सियासी पार्टी नहीं ,,हमे एक सुदृढ़ ,,खुशहाल ,,मज़बूत ,,,,हिन्दुस्तान चाहिए जो हम और आप मिलकर ही इस सपने को साकार कर सकते है ,,,,,,,,,मेरी इल्तिजा है अलगाववादियों से ,,,नफरत का व्यापार करने वालों से ,,,फिआओं में ज़हर घोलने वालों से ,,,,,,, षड्यंत्र कर समाज को समाज से लड़ाने वाले फितरती लोगों से ,,कुर्सी तक पहुंचने के लिए लोगों को भड़काकर लाशों के ढेर पर चलकर कुर्सी तक पहुंचने वालो से ,,,अगर वोह नफरत फैलाने की कोशिशों में जितनी ताक़त ,,जितना रुपया ,,जितना वक़्त बर्बाद करते है ,,अगर उससे दस फीसदी ताक़त भी यह लोग भाईचारा ,,सद्भावना क़ायम कर नए खुशहाल ,,सुरक्षित राष्ट्र निर्माण के लिए लगाते तो देश खुशहाल हो जाता ,,अपने बच्चो को अगर यह लोग देश की रक्षा के लिए फौज में भर्ती करने का माहोल बनाते तो इनकी वाह वाही होती ,,,,क्योंकि 67 साले में यह षड्यंत्रकारी लोग इस देश को अलग नहीं कर सके हाँ दंगे फ़सादा छोटी बात है जिससे मेरा देश तुरंत उबार गया ,,इसलिए मेरी इल्तिजा भूलो नफरत का पाठ आओ एक जुट हो ,,एक साथ हो ,,किसी मज़हब ,,किसी समाज से नफरत ,,या प्यार नहीं करे ,,बस जो मेरे देश के दुश्मन है उनसे नफरत करे ,,मेरे देश से प्यार ,,लव करे और मेरे देश के दुश्मनो के खिलाफ मेरे देश से लव होने के कारण आओ लव जिहाद करे ,,,आओ लव जेहाद करे ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

चतुर्थी को मंगलमूर्तिगणेश की अवतरण-तिथि

शिवपुराणमें भाद्रपद मास के krishnaपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्तिगणेश की अवतरण-तिथि बताया गया है जबकि गणेशपुराणके मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। गण + पति = गणपति । संस्कृतकोशानुसार ‘गण’ अर्थात पवित्रक । ‘पति’ अर्थात स्वामी , ‘गणपति’ अर्थात पवित्रकोंके स्वामी

शिवपुराणके अन्तर्गत रुद्रसंहिताके चतुर्थ (कुमार) खण्ड में यह वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपालबना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणोंने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। अन्ततोगत्वा भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया। इससे भगवती शिवा क्रुद्ध हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया। शिवजी के निर्देश पर विष्णुजीउत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमुखबालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्यहोने का वरदान दिया। भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सबका पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों का अध्यक्ष हो जा। गणेश्वर!तू भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी। कृष्णपक्ष की चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश तुम्हारी पूजा करने के पश्चात् व्रती चंद्रमा को अ‌र्घ्यदेकर ब्राह्मण को मिष्ठान खिलाए। तदोपरांत स्वयं भी मीठा भोजन करे। वर्षपर्यन्तश्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
अन्य कथा
उत्सव में एक गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए ले जाते हुए।

एक बार महादेवजी पार्वती सहित नर्मदा के तट पर गए। वहाँ एक सुंदर स्थान पर पार्वती जी ने महादेवजी के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा व्यक्त की। तब शिवजी ने कहा- हमारी हार-जीत का साक्षी कौन होगा? पार्वती ने तत्काल वहाँ की घास के तिनके बटोरकर एक पुतला बनाया और उसमें प्राण-प्रतिष्ठा करके उससे कहा- बेटा! हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, किन्तु यहाँ हार-जीत का साक्षी कोई नहीं है। अतः खेल के अन्त में तुम हमारी हार-जीत के साक्षी होकर बताना कि हममें से कौन जीता, कौन हारा?

खेल आरंभ हुआ। दैवयोग से तीनों बार पार्वती जी ही जीतीं। जब अंत में बालक से हार-जीत का निर्णय कराया गया तो उसने महादेवजी को विजयी बताया। परिणामतः पार्वती जी ने क्रुद्ध होकर उसे एक पाँव से लंगड़ा होने और वहाँ के कीचड़ में पड़ा रहकर दुःख भोगने का शाप दे दिया।

बालक ने विनम्रतापूर्वक कहा- माँ! मुझसे अज्ञानवश ऐसा हो गया है। मैंने किसी कुटिलता या द्वेष के कारण ऐसा नहीं किया। मुझे क्षमा करें तथा शाप से मुक्ति का उपाय बताएँ। तब ममतारूपी माँ को उस पर दया आ गई और वे बोलीं- यहाँ नाग-कन्याएँ गणेश-पूजन करने आएँगी। उनके उपदेश से तुम गणेश व्रत करके मुझे प्राप्त करोगे। इतना कहकर वे कैलाश पर्वत चली गईं।

एक वर्ष बाद वहाँ श्रावण में नाग-कन्याएँ गणेश पूजन के लिए आईं। नाग-कन्याओं ने गणेश व्रत करके उस बालक को भी व्रत की विधि बताई। तत्पश्चात बालक ने 12 दिन तक श्रीगणेशजी का व्रत किया। तब गणेशजी ने उसे दर्शन देकर कहा- मैं तुम्हारे व्रत से प्रसन्न हूँ। मनोवांछित वर माँगो। बालक बोला- भगवन! मेरे पाँव में इतनी शक्ति दे दो कि मैं कैलाश पर्वत पर अपने माता-पिता के पास पहुँच सकूं और वे मुझ पर प्रसन्न हो जाएँ।

गणेशजी 'तथास्तु' कहकर अंतर्धान हो गए। बालक भगवान शिव के चरणों में पहुँच गया। शिवजी ने उससे वहाँ तक पहुँचने के साधन के बारे में पूछा।

तब बालक ने सारी कथा शिवजी को सुना दी। उधर उसी दिन से अप्रसन्न होकर पार्वती शिवजी से भी विमुख हो गई थीं। तदुपरांत भगवान शंकर ने भी बालक की तरह २१ दिन पर्यन्त श्रीगणेश का व्रत किया, जिसके प्रभाव से पार्वती के मन में स्वयं महादेवजी से मिलने की इच्छा जाग्रत हुई।

वे शीघ्र ही कैलाश पर्वत पर आ पहुँची। वहाँ पहुँचकर पार्वतीजी ने शिवजी से पूछा- भगवन! आपने ऐसा कौन-सा उपाय किया जिसके फलस्वरूप मैं आपके पास भागी-भागी आ गई हूँ। शिवजी ने 'गणेश व्रत' का इतिहास उनसे कह दिया।

तब पार्वतीजी ने अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा से 21 दिन पर्यन्त 21-21 की संख्या में दूर्वा, पुष्प तथा लड्डुओं से गणेशजी का पूजन किया। 21वें दिन कार्तिकेय स्वयं ही पार्वतीजी से आ मिले। उन्होंने भी माँ के मुख से इस व्रत का माहात्म्य सुनकर व्रत किया।

कार्तिकेय ने यही व्रत विश्वामित्रजी को बताया। विश्वामित्रजी ने व्रत करके गणेशजी से जन्म से मुक्त होकर 'ब्रह्म-ऋषि' होने का वर माँगा। गणेशजी ने उनकी मनोकामना पूर्ण की। ऐसे हैं श्री गणेशजी, जो सबकी कामनाएँ पूर्ण करते हैं।
तीसरी कथा

एक बार महादेवजी स्नान करने के लिए भोगावती गए। उनके जाने के पश्चात पार्वती ने अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया और उसका नाम 'गणेश' रखा। पार्वती ने उससे कहा- हे पुत्र! तुम एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ। मैं भीतर जाकर स्नान कर रही हूँ। जब तक मैं स्नान न कर लूं, तब तक तुम किसी भी पुरुष को भीतर मत आने देना।

भोगावती में स्नान करने के बाद जब भगवान शिवजी आए तो गणेशजी ने उन्हें द्वार पर रोक लिया। इसे शिवजी ने अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर उनका सिर धड़ से अलग करके भीतर चले गए। पार्वती ने उन्हें नाराज देखकर समझा कि भोजन में विलंब होने के कारण महादेवजी नाराज हैं। इसलिए उन्होंने तत्काल दो थालियों में भोजन परोसकर शिवजी को बुलाया।

तब दूसरा थाल देखकर तनिक आश्चर्यचकित होकर शिवजी ने पूछा- यह दूसरा थाल किसके लिए है? पार्वती जी बोलीं- पुत्र गणेश के लिए है, जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है।

यह सुनकर शिवजी और अधिक आश्चर्यचकित हुए। तुम्हारा पुत्र पहरा दे रहा है? हाँ नाथ! क्या आपने उसे देखा नहीं? देखा तो था, किन्तु मैंने तो अपने रोके जाने पर उसे कोई उद्दण्ड बालक समझकर उसका सिर काट दिया। यह सुनकर पार्वती जी बहुत दुःखी हुईं। वे विलाप करने लगीं। तब पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर बालक के धड़ से जोड़ दिया। पार्वती जी इस प्रकार पुत्र गणेश को पाकर बहुत प्रसन्न हुई। उन्होंने पति तथा पुत्र को प्रीतिपूर्वक भोजन कराकर बाद में स्वयं भोजन किया।

यह घटना भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुई थी। इसीलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है।
श्री गणेश मंदिर , झाँसी

==व्रत==
थाइलैंड में गणेश प्रतिमा

भाद्रपद-कृष्ण-चतुर्थी से प्रारंभ करके प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चंद्रोदयव्यापिनीचतुर्थी के दिन व्रत करने पर विघ्नेश्वरगणेश प्रसन्न होकर समस्त विघ्न और संकट दूर कर देते हैं। http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/1/1d/Shree_Ganesh_Mandir_%2C_jhansi.jpg
चंद्र दर्शन दोष से बचाव

प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात्‌ व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है।

जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है। इस गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत हुए, इसमें संशय नहीं है। यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए-

'सिहः प्रसेनम्‌ अवधीत्‌, सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥'

गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त



मध्याह्न पूजा का समय = ११:११ से १३:४२
अवधि = २ घण्टे ३१ मिनट
२९th को, चन्द्रमा को नहीं देखने का समय = ०९:०३ से २०:५८
अवधि = ११ घण्टे ५४ मिनट
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = २९/अगस्त/२०१४ को ०२:०९ बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त = ३०/अगस्त/२०१४ को ०३:४२ बजे
गणेश चतुर्थी के दिन का पञ्चाङ्ग
गणेश चतुर्थी के दिन का चौघड़िया मुहूर्त
टिप्पणी - २४ घण्टे की घड़ी स्थानीय समय के साथ और सभी मुहूर्त के समय के लिए DST समायोजित (यदि मान्य है)।
२०१४ गणेश चतुर्थी

भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार गणेश चतुर्थी का दिन अगस्त अथवा सितम्बर के महीने में आता है।

गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, १० दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। हिन्दू दिन के विभाजन के अनुसार मध्याह्न काल, अंग्रेजी समय के अनुसार दोपहर के तुल्य होता है।

गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र-दर्शन वर्ज्य होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चन्द्र के दर्शन करने से मिथ्या दोष अथवा मिथ्या कलंक लगता है जिसकी वजह से दर्शनार्थी को चोरी का झूठा आरोप सहना पड़ता है। चतुर्थी तिथि के प्रारम्भ और अन्त समय के आधार पर चन्द्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिये वर्जित हो सकता है। धर्मसिन्धु के नियमों के अनुसार सम्पूर्ण चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र दर्शन निषेध होता है और इसी नियम के अनुसार, चतुर्थी तिथि के चन्द्रास्त के पूर्व समाप्त होने के बाद भी, चतुर्थी तिथि में उदय हुए चन्द्रमा के दर्शन चन्द्रास्त तक वर्ज्य होते हैं।

गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

आँख का सपना

सतीश यशोमद,,,

मेरा कोई सपना नहीं है .
पर ढूंढता हूँ किसी की -
आँख का सपना .
अच्छा लगता है किसीके
अधूरे सपनों में -
रंग भरना - कोशिशों से
उसे पूरा करना .
मैं उस अहसास को
जीना पीना चाहता हूँ -
जो सपनो के -
पूरे होने पर होता है .

संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कैसे करें...


कैसे करें माघी चतुर्थी व्रत?
माघ मास के कृष्ण पक्ष को आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी, माघी चतुर्थी या तिल चौथ कहा जाता है। बारह माह के अनुक्रम में यह सबसे बड़ी चतुर्थी मानी गई है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना सुख-सौभाग्य की दृष्टि से श्रेष्ठ है।
कैसे करें संकष्टी गणेश चतुर्थी :-
* चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
* इस दिन व्रतधारी लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
* श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रखें।
* तत्पश्चात स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान गणेश का पूजन करें।
माघी
* फल, फूल, रौली, मौली, अक्षत, पंचामृत आदि से श्रीगणेश को स्नान कराके विधिवत तरीके से पूजा करें।
* गणेश पूजन के दौरान धूप-दीप आदि से श्रीगणेश की आराधना करें।
* श्री गणेश को तिल से बनी वस्तुओं, तिल-गुड़ के लड्‍डू तथा मोदक का भोग लगाएं। 'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है। नैवेद्य के रूप में मोदक व ऋतु फल आदि अर्पित है।'
* सायंकाल में व्रतधारी संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं।
* तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें।
* विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र 'ॐ गणेशाय नम:' अथवा 'ॐ गं गणपतये नम: की एक माला (यानी 108 बार गणेश मंत्र का) जाप अवश्य करें।
* इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान करें। तिल-गुड़ के लड्डू, कंबल या कपडे़ आदि का दान करें।
जीवन के समस्त कष्टों का निवारण करने वाली संकष्टी गणेश चतुर्थी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है।

श्री गणेश के अत्यंत प्रसिद्ध सोलह नाम



धार्मिक मान्यतानुसार हिन्दू धर्म में गणेश जी सर्वोपरि स्थान रखते हैं। सभी देवताओं में इनकी पूजा-अर्चना सर्वप्रथम की जाती है। श्री गणेश जी विघ्न विनायक हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था।

श्री गणेश शिव और पार्वती के दूसरे पुत्र हैं। भगवान गणेश का स्वरूप अत्यन्त ही मनोहारी एवं मंगलदायक है। वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदकपात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं।

वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं। वे रक्त चन्दन धारण करते हैं तथा उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। वे अपने उपासकों पर शीघ्र प्रसन्न होकर उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। वे प्रथक पूज्य, गणों के ईश, स्वस्तिक रूप तथा प्रणव स्वरूप हैं।

भगवान श्री गणेश के सोलह नाम अत्यंत प्रसिद्ध हैं। इन नामों का पाठ अथवा श्रवण करने से विद्यारम्भ, विवाह, गृह-नगरों में प्रवेश तथा गृह-नगर से यात्रा में कोई विघ्न नहीं होता है।

1. सुमुख
2. एकदंत
3. कपिल
4. गजकर्णक
5. लंबोदर
6. विकट
7. विघ्ननाशक
8. विनायक
9. धूम्रकेतु
10. गणाध्यक्ष
11. भालचन्द्र
12. विघ्नराज
13. द्वैमातुर
14. गणाधिप
15. हेरम्ब
16. गजानन

क़ुरआन का सन्देश

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