राजस्थान
हाईकोर्ट न्यायिक अधिकारीयों की शिकायत के मामले में ना जाने क्यों अड़ियल
रुख अपनाती है जबकि खुद हाईकोर्ट स्क्रीनिंग में अनेको बार दर्जनों न्यायिक
अधिकारीयों को भ्रष्टाचार और अनियमितता का आरोपी मानकर या तो बर्खास्त कर
चुकी है या फिर जबरी सेवानिवृत्ति देकर उनसे पीछा छुड़ाया है ,,,वर्तमान में
वकील और हाईकोर्ट टकराव में एक छोटा सा मुद्दा बचा है ,,जांच को तय्यार है
लेकिन भाई जांच किसी अधिकारी के उसी
स्थान पर पद पर रहते हुए नहीं हो सकती निष्पक्ष जांच के लिए अधिकारी को
हटाना तो होगा ही फिर निर्दोष साबित हो तो चाहो तो वापस लगा दो ,,लेकिन
किसी भी मुद्दे को इश्यू बनाकर टकराव ठीक नहीं ,,अब तो इस टकराव को सौहार्द
पूर्ण तरीके से खत्म करना चाहिए ,,,,,,,,नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतो की
पालना करना चाहिए ,,, हठधर्मिता से राजस्थान पुरे हिंदुस्तान में बदनाम हो
रहा है ,,,,,,,,,,,,अख्तर
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 सितंबर 2014
जड़ से दुश्मन को ,,,मिटाना जानते है ,,,,,,,,
भारत
के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शैक्षणिक गुरु और राजनितिक गुरु के नाम
बताइये वोह दोनों इन दिनों किस हाल में है मोदी जी से पुंछ कर बताइये
,,,,,मेने यह सवाल पुरे देश से पूंछा था लेकिन दोस्तों किसी के पास इसका
जवाब नहीं मिल सका ,,में खुद भी इसका सही जवाब तलाशने में नाकामयाब रहा
,,,लेकिन एक बात तो में समझ गया के नरेदंर मोदी के लिए कोई उस्ताद नहीं
वोह खुद ही उस्तादों के उस्ताद है ,,अभी भाग्य उनका
प्रबल है ,,और नरेंद्र मोदी के आचरण से स्पष्ट है की वोह बुलंदियों पर
पहुंचने का शोक भी रखते है और कोशिश भी करते है लेकिन बुलंदियों पर चढ़ने
वाली सीडी को वोह ऊपर चढ़ते ही तोड़ देते है ताकि दूसरा उस पर नहीं चढ़ सके
,,,अपने सीनियर्स को कोनों में बिठाकर ,,अपने सियासी गुरुओं को सम्मानित
तरीके से आरामगाह में भेज कर मोदी ने यह साबित कर दिया है ,,वोह ना रहेगा
बांस ना बजेगी बांसुरी की कहावत पर विश्वास करते है इसलिए जड़ से दुश्मन को
,,,मिटाना जानते है ,,,,,,,,,
न्यायिक व्यवस्था का बोझ कम होगा
सुप्रीम
कोर्ट ने लगातार सज़ायाफ्ता मुलजिमों की अपील सुनवाई पर नहीं आने पर उन्हें
ज़मानत पर छोड़ने के फार्मूले तय्यार कर क्रियान्वित के आदेश दिए है
,,लेकिन अधिकतम आदेशो की पालना अब तक सुनिश्चित नहीं हो सकी है ,,,वर्तमान
में जेल में बंद मुलजिमों को एक निर्धारित फार्मूले निर्देशों के तहत जब
छोड़ा नहीं गया तो खुद सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर क़दम उठाते हुए सख्त निर्देश
दिए है जिसमे अब न्यायिक अधिकारी अपने क्षेत्राधिकार की जेल में जाकर
मामले तलाश कर उन्हें मुचलकों पर छोड़ेंगे ,,सुप्रीम कोर्ट अगर पूर्व में
जारी आदेशो की समीक्षा कर क्रियावन समिति बना दे और उसमे वकील ,,जज
,,प्रशासनिक अधिकारी शामिल हो जाये तो निश्चित तोर पर आधी से ज़्यादा
न्यायिक व्यवस्था का बोझ कम होगा और ऐतिहासिक सुधारात्मक क़दम होंगे ,अख्तर
सम्मान को श्रद्धांजलि में ही बदल दिया गया
देश
भर में कल शिक्षक दिवस बनाया गया ,,,भारत के प्रधानमंत्री ने ,सभी शिक्षको
का यह सम्मान अतिक्रमण कर छीना और खुद राष्ट्र के शिक्षक बन गए ,,शिक्षको
को सम्मान तो नहीं दिया हां बच्चो को सवा अरब खर्च कर सम्बोधित ज़रूर किया
,,,,इधर राजस्थान ने तो कमाल कर दिया ,,शिक्षको के सम्मान में आये
मंत्रियों और अधिकारीयों ने शिक्षको का जमकर अपमान किया ,,सम्मान समारोह
अपमान समारोह में बदल गया ,,शिक्षा मंत्री ने तो
दावा किया के राजस्थान में पढ़ाई नहीं होती इसलिए बाहर पढ़ कर लोग बन पाते
है वरना तो यहां कुछ भी शिक्षा नहीं दी जाती ,,वोह भूल गए के देश भर में आई
आई टी ,,एम बी बी एस और सी ऐ व् दूसरी प्रतिभाये कोटा राजस्थान के
शिक्षकों की ही दैन है ,,एक मंत्री ने तो यहां तक कह डाला के राजस्थान में
शिक्षक अंतिमसंस्कार का खर्च भी स्कूल से ले लेते है ,,एक अधिकारी श्याम एस
अग्रवाल ने तो यहाँ तक कहा के यहाँ शिक्षकों में योग्यता ही नहीं है
इसलिए में शिक्षको को साथ नहीं रखता ,,अजीब प्यार ,,,,अजीब सम्मान ,,,,अजीब
ऐतिहासिक शिक्षक दिवस ,,,,अजीब ऐेतिहासिक शिक्षक सम्मान समारोह रहा मारो
राजस्थान में ,,हाँ एक तो कमाल ही हो गया ,,सम्मान को श्रद्धांजलि में ही
बदल दिया गया ,,,,,,,,,,,,अख्तर
कल देश देश भर में शिक्षक दिवस मखोल सिर्फ मखोल बन कर रह गया
कल
देश देश भर में शिक्षक दिवस मखोल सिर्फ मखोल बन कर रह गया ,,,प्रधानमंत्री
ने शिक्षको के सम्मान का हक़ छीनकर उन्हें बंधक और बधुआ मज़दूर बना दिया तो
राजस्थान में शिक्षको की कार्यशैली की उनके सम्मान समारोह में खिल्ली उढ़ाकर
इस समारोह को अपमान समारोह में बदल दिया गया ,,,,,सरकार ने जो सोचा ,,जो
कहा हो सकता है वोह कुछ हद तक सही हो ,,सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती
,,सरकारी स्कूल के बच्चे टॉपर नहीं होते
,,सरकारी स्कूल के बच्चे आई ऐ एस नहीं बनते ,,सरकारी स्कूल के टीचरों को
अधिकारी साथ नहीं रखते ,,लेकिन इसके पीछे कारण क्या है यह हमे खोजना होंगे
,,,,,स्कूलों में शिक्षकों की कमी ,,स्कूलों में बच्चों के नामांतरण में
कमी ,,,,,स्कूल भवनों में सुविधाओं का अभाव ,,,ज़रा सोचिये एक अध्यापक पढ़ाई
छोड़ कर भैंसे ,,गांए गिनने में लगा दिया जाता है ,,,सर्वे में लगा दिया
जाता है ,,,,,चुनाव में लगा दिया जाता है ,,बीच बीच में जन गणना और दूसरी
सरकारी योजनाओं में शिक्षको को झोंका जाता है ,,,शिक्षको से सियासी लोग
अपनी मतदाता सूचि तय्यार करवाते है ,,पोषाहार के नाम पर स्कूलों में खाना
बनवाना ,,खिलाना उनकी ज़िम्मेदारी है ,,,,बाबू का काम शिक्षक करे ,,शिक्षा
का काम जब करने लगे तो स्टेडियम बच्चे ले जाओ ,, पर्यावरण का मामला हो
,,,तम्बोकु निषेध का मामला हो ,,,,पोलियों का मामला हो रैली में शिक्षको को
लेजाओ ,,कोनसा काम है जो हमारे शिक्षको से नहीं करवाते और फिर मुक़ाबला उन
निजी स्कूलों से जहां एयरकंडीशन भवन है ,,क्लास है ,,,लेबोरेटरी है
,,,लाइब्रेरी है ,,शिक्षक पर पढ़ाई के अलावा कोई दूसरी ज़िम्मेदारी नहीं
,,,सिर्फ पढ़ाना पढ़ाना ,,,सरकारी स्कूलों में डफर यानी सबसे कमज़ोर लड़के को
जबरन स्कूल बुलाया जाता है ,,पढ़ाया जाता है ,,फिर सरकार ,,निजी स्कूलों का
स्तर सुधार कर उन निजी स्कूलों के प्रति बच्चो का आकर्षण बढ़ाने के लिए
खुद सरकारी स्कूलों को बंद कर देती है ,,समानीकरण करती है ,,स्कूलों की
सुविधाये छीन लेती है ,,इतना ही नहीं एक जर्जर ईमारत में ,,एक पेड़ के निचे
पढ़ाने वाले शिक्षक से ऐसी में सिर्फ और सिर्फ इंटेलिजेंट बच्चे जो बाहर
ट्यूशन भी जाकर पढ़ते है उनसे तुलना करना बेवकूफी ही कही जायेगी ,,,,,सरकार
कहती है पांचवी तक सभी को पास करो ,,फिर कहती है आठवी तक कोई फेल नहीं होना
चाहिए ,,फिर दसवी तक कहती है के पास करो ,,,सरकारी स्कूलों में जो बच्चो
के अधिकृत नंबर जाते है वोह ईमानदारी से कम जाते है जबकि प्राइवेट स्कूलों
के प्रेक्टिकल और स्कूल के नंबरों का अंतर इस फ़र्क़ को समझाता है ,,,अगर
सरकार को मुक़ाबला करना है और शिक्षको को सिर्फ शिक्षक बनाये ,,,बाबू
,,चपरासी ,,सड़को पर सर्वे करने वाला कर्मचारी नहीं ,,,,सुविधाये दे
,,,,,निजी स्कूलों के बराबर सुविधाये नहीं तो कमसेकम आधी सुविधा तो दे
,,,,स्कूलों में परिणाम में सख्ती हो जो पढ़े पास नहीं तो उसे फेल किये
जाने का नियम फिर से लागू किया जाए ,,वेतन की बात करते है ,,,,हमारे कोटा
में कोचिंग में एक शिक्षक दस लाख रूपये प्रतिमाह कमाता है ,,,,जो अधिकारी
,,जो मंत्री प्राइवेट स्कूलों में घुसने की कोशिश नहीं कर पाते ,,,अगर
घुसने की कोशिश करते है तो यह निजी स्कूल वाले इन्हे दरवाज़ा खोले बगैर
बाहर से ही अपमानित कर भगा देते है वोह निजी स्कूलों के गुलाम और प्रचारक
बने है ,,सरकार में बैठे मंत्री ,,सरकार में बैठे अधिकारी पहले खुद सुधरे
,,व्यवस्थाये सुधारे फिर बात होगी लेकिन जब बिना पढ़े लिखे लोगों को देश भर
की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी देते हुए मंत्री बना दिया जाए ,,शिक्षा विभाग का
कार्यभार अनपढ़ मंत्री संभालेगा ,,,शिक्षक दिवस पर शिक्षको के स्थान पर
प्र्धानमन्री बच्चो को सम्बोधित करेंगे और शिक्षक इस दिवस पर बंधुआ मज़दूर
की तरह से हाथ बांधे व्यवस्थाओं में लगे रहेंगे तो भाई ऐसी व्यवस्था का तो
भगवान ही मालिक है लेकिन शिक्षको को अब आत्मसम्मान के लिए खुद संघर्ष करना
होगा लड़ाई लड़ना होगी ,,,,,,,,,,अख्तर
बच्चे ने दिल पर ले ली यार
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के भाषण से एक बच्चा पगला गया ,,,वोह इंजीनयर बनना चाहता था
लेकिन अब टीचर बनने का संकल्प लिया है ,,,यह बच्चा बेचारा क्या जाने के
ट्वेल्थ के बाद सीधे किसी भी इंजीनियरिंग कॉलेज में खाली पढ़ी सीटों पर
ऐडमिशन लिया और चार साल बाद इंजीनियर बन गए ,,लेकिन टीचर बनने के लिए पहले
कमसे कम बी ऐ स्नातक करो ,,फिर बी एड की प्रवेश परीक्षा पास करो ,,फिर बी
एड करो ,,फिर टेट की परीक्षा पास करो ,,फिर आर पी एस सी की परीक्षा पास करो
तब कहीं किसी गावडे में टीचर का काम मिलेगा ,,और अगर इन परीक्षाओं में
पास नहीं हो पाये तो फिर प्रायवेट में हज़ार रुपए में टीचर बनना होगा भाई
,,,,,,,बेचारे इस बच्चे ने दिल पर ले ली यार ,,,,,,,,,,,,
तेरी दोस्ती...
अगर बिकी तेरी दोस्ती...
तो पहले ख़रीददार हम होंगे..!
तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत ..
पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे..!!
दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है..
दोस्त ना हो तो महफिल भी समशान है!
सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे दोस्त,
वरना जनाजा और बारात एक ही समान है !! ...
तो पहले ख़रीददार हम होंगे..!
तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत ..
पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे..!!
दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है..
दोस्त ना हो तो महफिल भी समशान है!
सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे दोस्त,
वरना जनाजा और बारात एक ही समान है !! ...
पप्पाजी और वकील साहब, इन्होंने ही बनाया है मोदी को ‘नरेंद्र मोदी’
फोटो: अहमदाबाद स्थित हेडगेवार भवन में आरएसएस के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (लाल घेरे में)
आज भले ही इस नाम से बहुत कम लोग परिचित हों, लेकिन वकील साहब के उपनाम से शायद लोग उन्हें पहचान सकते हैं। वे 30-35 साल तक पूरे गुजरात में घूमे। ईनामदार थे तो मूल मराठी, लेकिन उन्होंने अपना पूरा जीवन गुजरात के लोगों की भलाई में ही बिताया। लगभग 25 वर्ष की उम्र वे गुजरात के नवसारी आ गए थे। मोदी पर लिखी गई पुस्तक ‘विकास शिल्पी’ में पेज नं. 29 में वकील साहब का उल्लेख मिलता है कि वे मोदी को अपने बेटे जैसा मानते थे। इतना ही नहीं, मोदी ने वकील साहब पर एक पुस्तक ‘सेतुबंध’ भी लिखी है।
वैसे तो नरेंद्र मोदी संघ, जनसंघ और भाजपा के बड़े नेताओं और पदाधिकारियों को अपना प्रेरणा स्रोत बताते हैं, लेकिन संघ से जुड़ी दो हस्तियां लक्ष्मण राव ईनामदार उर्फ वकील साहब और डॉ. प्राणलाल व्रजलाल दोषी उर्फ पप्पाजी का प्रभाव मोदी के जीवन पर सबसे ज्यादा हुआ। इन्हीं हस्तियों ने ही मोदी के दृष्टिकोण, विचारधारा और खासतौर पर काम करने की कला को प्रभावित किया है। वकील साहब ने जहां मोदी का परिचय संघ से करवाया, वहीं पप्पाजी ने मोदी के शब्दों में कहें तो.. इन्होंने ही पूरी तरह समर्पित होकर समाज के लिए काम करने की प्रेरणा दी।सन् 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने गुजराती भाषा में एक किताब लिखी थी। इस किताब का नाम था ‘ज्योतिपुंज’। पुस्तक के एक अध्याय में मोदी ने डॉ. प्राणलाल दोषी उर्फ पप्पाजी को याद करते हुए उन्हें अपना प्रेरणा स्रोत बताया है। पप्पाजी के प्रति मोदी के मन में कितना सम्मान था। इसका अंदाजा मोदी के इन्हीं शब्दों से ही लगाया जा सकता है।
‘ज्योतिपुंज’ में मोदी ने लिखा है कि मुझे याद नहीं कि पहली बार पप्पाजी से कब मिला था। मैं उस पल को याद भी नहीं कर सकता, क्योंकि मैं हमेशा ही उनके आसपास ही रहा करता था। उनके साथ हुई पहली मुलाकात से लेकर उनके अवसान तक यानी कि मैं कई दशकों तक उनके साथ रहा। इतने लंबे समय में भी वे बिल्कुल बदले नहीं थे। उनका व्यवहार, विचारधारा व व्यक्तित्व सबकुछ वैसा ही रहा। पप्पाजी ने कोलकाता में डेंटिस्ट की पढ़ाई की थी।
मैं मुअल्लिम
,,मुहम्मद स.अ.वसल्लम ने फरमाया , "मैं मुअल्लिम (teacher) बना कर भेजा गया हूं... हदीस
,,,अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली र.ज़ फरमाते हैं "जिसने मुझे एक हर्फ भी सिखाय| मैं उसका ग़ुुलाम हूँ, वो चाहे मुझे बेचे , आज़ाद करे या ग़ुुलाम बनाए रखे।
,,,अल्लामा इक़बाल के ये अल्फाज़ मुअल्लिम की अज़मत ओ अहमियत के अक्कास हैं कि "उस्ताद दरअस्ल क़ौम के मुहाफिज़ हैं क्योंकि आइन्दा नस्लों को संवारना और उन को मुल्क की खिदमत के क़ाबिल बनाना उन्हीं के सिपुर्द है।
,,सब मेहनतों से आला दर्जे की मेहनत और कारगुज़ारियों में सब से बेश क़ीमत कारगुज़ारी मुअल्लिमों की है।
,,,मुअल्लिम का फर्ज़ सब फराएज़ से ज़्यादा मुश्किल और अहम है क्योंकि तमाम क़िस्म की अखलाक़ी, तमद्दुनी और मज़हबी नेकीयों की कलीद उस के हाथ में है और हर क़िस्म की तरक़्क़ी का सरचश्मा उसकी मेहनत है।
,,,अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली र.ज़ फरमाते हैं "जिसने मुझे एक हर्फ भी सिखाय| मैं उसका ग़ुुलाम हूँ, वो चाहे मुझे बेचे , आज़ाद करे या ग़ुुलाम बनाए रखे।
,,,अल्लामा इक़बाल के ये अल्फाज़ मुअल्लिम की अज़मत ओ अहमियत के अक्कास हैं कि "उस्ताद दरअस्ल क़ौम के मुहाफिज़ हैं क्योंकि आइन्दा नस्लों को संवारना और उन को मुल्क की खिदमत के क़ाबिल बनाना उन्हीं के सिपुर्द है।
,,सब मेहनतों से आला दर्जे की मेहनत और कारगुज़ारियों में सब से बेश क़ीमत कारगुज़ारी मुअल्लिमों की है।
,,,मुअल्लिम का फर्ज़ सब फराएज़ से ज़्यादा मुश्किल और अहम है क्योंकि तमाम क़िस्म की अखलाक़ी, तमद्दुनी और मज़हबी नेकीयों की कलीद उस के हाथ में है और हर क़िस्म की तरक़्क़ी का सरचश्मा उसकी मेहनत है।
बिटिया सदफ
बिटिया
सदफ ने आज सुबह मम्मी को प्यार किया और हैप्पी टीचर्स डे कहते हुए कहा
मम्मी मेरी पहली टीचर तो आप है ,,फिर मुझ से भी उसने इसी तरह से हैप्पी
टीचर्स डे कहा ,,,आज स्कूल की छुट्टी थी ,,जुमा था मोलवी साहब जो धार्मिक
शिक्षा क़ुरआन शरीफ और हदीस पढ़ाने आते है उन्हें फोन किया बुलाया और फूलों
का गुलदस्ता देकर मुबारकबाद दी ,,बिटिया का कहना था के अच्छे मज़हबी तालीम
के टीचर तो मेरे मोलवी साहब है ,,में भी सोचता रहा के बात तो सही है
,,,हिन्दू भाइयों के बच्चो को धार्मिक शिक्षा देने वालों को मुस्लिम बच्चो
को मज़हबी तालीम देने वाले मोलवी मुल्लाओं को इस दी अगर मुबारकबाद देकर
बच्चे उनकी होसला अफ़ज़ाई कर दे तो बात बन जाए क्योंकि दुनयावी तालीम तो बाद
की बात है मज़हबी तालीम से यह बच्चो को इंसान बनाते है
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर
भवानी सिंह राजावत
शिक्षक दिवस की घोषणा के वक़्त पांच सितम्बर 1955
को जन्मे कोटा लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक भवानी सिंह राजावत उनसठ
साल के हो गए है ,आज उनके जन्म दिवस पर उनके समर्थकों ने खूब जमकर बधाईया
दी ,,मिठाइयां बांटी और धूमधड़ाके कर खुशियाँ मनाई ,भवान्नी सिंह राजावत
छात्र जीवन से ही राजनीति में है वोह कॉलेज की राजनीति में सक्रिय रहे
,,फिर वसुंधरा सिंधिया के साथ जुड़कर भाजपा की रीती नीतियों को आगे बढ़ाते
हुए जनहित में संघर्ष करते रहे ,,,भवानी सिंह भाजपा की राष्ट्रीय
कार्यकारिणी में रहे ,, युवा मोर्चा में
रहे कई संगठनों से जुड़कर किसानो ,,मज़दूरों को न्याय दिलवाने के लिए प्रशासन
पुलिस से संघर्ष करते रहे ,,अनेकों बार इन्हे पुलिस के ज़ुल्म का शिकार
होना पढ़ा और फिर मुक़दमों की फहरिस्त इनके खिलाफ तैयार की गयी लेकिन यह
संघर्ष से पीछे नहीं हटे ,,,भवानी सिंह राजावत तीसरी बार लाडपुरा विधानसभा
क्षेत्र से विपरीत परिस्थितियो में भी चुन कर आये है ,,, वसुंधरा सिंधिया
ने भवानी सिंघ पर भरोसा जताते हुए इन्हे राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव
बनाया और जनसम्पर्क विभाग की ज़िम्मेदारी दी गयी ,,जिसे बखूबी इन्होने
निभाया ,,,विधायक बनने के बाद भी भवानी सिंह के तेवर नौकरशाहों के खिलाफ है
और किसी भी नौकरशाह की टेडी आँख इनके कार्यकर्ता के खिलाफ अगर पढ़ जाए तो
फिर उसकी खेर नहीं ,,,अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर सदा आंदोलन कर
क्षेत्र के लोगों को न्याय दिलवाने वाले भवानी सिंह इनके कार्यकर्ताओं में
चहेते होने से ज़िंदाबाद है और इसीलिए आज उनके जन्म दिन को कार्यकर्ताओं ने
सादगी भरा होने पर भी खुशियो से सराबोर होकर ऐतिहासिक कर दिया और भवानी
सिंह राजावत को ज़िंदाबाद ,,ज़िंदाबाद कर दिया ,,,भवानी सिंह राजावत को उनके
उनसठ वे जन्म दिवस पर दिली मुबारकबाद बधाई ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
कोटा प्रेस क्लब
कोटा
प्रेस क्लब के द्विवार्षिक चुनाव आगामी दो अक्टूबर गांधी जयंती को करवाये
जाएंगे ,,,,,,आज कोटा प्रेस क्लब में आयोजित कार्यकारिणी की बैठक में
सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए आगामी इक्कीस सितमबर को साधारण सभा की बैठक
बुलाने का निर्णय लिया गया जिसमे चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा
,,,,बैठक में अध्यक्ष धीरज गुप्ता तेज ,,,महासचिव हरिमोहन शर्मा ,,,वरिष्ठ
उपाध्यक्ष गजेन्द्र व्यास ,,,उपाध्यक्ष मनोहर पारीक ,,,कोषाध्यक्ष मालसिंघ
शेखावत ,,अख्तर खान अकेला ,,प्रताप सिंह तोमर ,,सत्यनारायण बर्ग
,,,चन्रप्रकाश शर्मा चंदू ,,विपिन तिवारी ,,सुनील माथुर उपस्थित थे बैठक
में आय व्यव के ब्योरे को भी अंतिम रूप दिया और प्रेस भवन विस्तार
कार्यक्रम का भी शिलान्यास मामले में विचार विमर्श क्या गया ,,,,,,अख्तर
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव इशरत बेग
कांग्रेस
के राष्ट्रीय सचिव इशरत बेग राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत
के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों को उनका हक़ और इन्साफ दिला पाते तो आज
कांग्रेस को यह बुरे दिन नहीं देखना पढ़ते अब वोह जिनके बारे में मुसलमान
समझता है के इनकी बेरुखी की वजह से मुसलमान राजस्थान में प्यास रहा वोह
कोटा चुनाव प्रचार में है तो बस गैर सियासी मुसलमानो की नाक भो सुकड़ी हुई
है ,,और वोह कांग्रेस जुड़े होने पर भी ऐसे लोगों को कोटा में देखकर ,,,
इधर उधर छिटक रहे है ,,यह बाहरी मसलमानों से बेरुखी दिखाने वाले कथित लीडर
अगर कोटा से दूर रहे तो परिणाम लाभवन्वित हो सकते है वरना इनकी पुरानी
बेरुखी याद कर तटस्थ मुस्लिम मतदाता गुस्सा रहा है ,,,,,,,
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