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07 सितंबर 2014

अनंत चतुर्दशी


अनंत चतुर्दशी
अनंत चतुर्दशी
अनंत चतुर्दशी व्रत
आधिकारिक नाम अनंत चतुर्दशी व्रत
अनुयायी हिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी
उद्देश्य सर्वकामना पूर्ति
तिथि भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी
भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्तसूत्रबांधा जाता है। दृश्यगणित के अनुसार मंगलवार 25सितंबर को प्रात:7.14बजे भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी प्रारंभ होकर बुधवार के सूर्योदय से पूर्व प्रात:4.27बजे तक विद्यमान रहेगी। अतएव अनन्तचतुर्दशीका व्रत-पूजन 25सितंबर को ही सम्पन्न होगा।

सन्दर्भ

कहा जाता है कि जब पाण्डव जुएमें अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्तचतुर्दशीका व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदीके साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्तसूत्रधारण किया। अनन्तचतुर्दशी-व्रतके प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।

विधि

व्रत-विधान-व्रतकर्ता प्रात:स्नान करके व्रत का संकल्प करें। शास्त्रों में यद्यपि व्रत का संकल्प एवं पूजन किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर करने का विधान है, तथापि ऐसा संभव न हो सकने की स्थिति में घर में पूजागृह की स्वच्छ भूमि पर कलश स्थापित करें। कलश पर शेषनाग की शैय्यापर लेटे भगवान विष्णु की मूíत अथवा चित्र को रखें। उनके समक्ष चौदह ग्रंथियों (गांठों) से युक्त अनन्तसूत्र(डोरा) रखें। इसके बाद ॐ अनन्तायनम: मंत्र से भगवान विष्णु तथा अनंतसूत्रकी षोडशोपचार-विधिसे पूजा करें। पूजनोपरांतअनन्तसूत्रको मंत्र पढकर पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री बाएं हाथ में बांध लें-
अनंन्तसागरमहासमुद्रेमग्नान्समभ्युद्धरवासुदेव।
अनंतरूपेविनियोजितात्माह्यनन्तरूपायनमोनमस्ते॥
अनंतसूत्रबांध लेने के पश्चात किसी ब्राह्मण को नैवेद्य (भोग) में निवेदित पकवान देकर स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें। पूजा के बाद व्रत-कथा को पढें या सुनें। कथा का सार-संक्षेप यह है- सत्ययुग में सुमन्तुनाम के एक मुनि थे। उनकी पुत्री शीला अपने नाम के अनुरूप अत्यंत सुशील थी। सुमन्तु मुनि ने उस कन्या का विवाह कौण्डिन्यमुनि से किया। कौण्डिन्यमुनि अपनी पत्नी शीला को लेकर जब ससुराल से घर वापस लौट रहे थे, तब रास्ते में नदी के किनारे कुछ स्त्रियां अनन्त भगवान की पूजा करते दिखाई पडीं। शीला ने अनन्त-व्रत का माहात्म्य जानकर उन स्त्रियों के साथ अनंत भगवान का पूजन करके अनन्तसूत्रबांध लिया। इसके फलस्वरूप थोडे ही दिनों में उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया।

कथा

एक दिन कौण्डिन्य मुनि की दृष्टि अपनी पत्नी के बाएं हाथ में बंधे अनन्तसूत्रपर पडी, जिसे देखकर वह भ्रमित हो गए और उन्होंने पूछा-क्या तुमने मुझे वश में करने के लिए यह सूत्र बांधा है? शीला ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया-जी नहीं, यह अनंत भगवान का पवित्र सूत्र है। परंतु ऐश्वर्य के मद में अंधे हो चुके कौण्डिन्यने अपनी पत्नी की सही बात को भी गलत समझा और अनन्तसूत्रको जादू-मंतर वाला वशीकरण करने का डोरा समझकर तोड दिया तथा उसे आग में डालकर जला दिया। इस जघन्य कर्म का परिणाम भी शीघ्र ही सामने आ गया। उनकी सारी संपत्ति नष्ट हो गई। दीन-हीन स्थिति में जीवन-यापन करने में विवश हो जाने पर कौण्डिन्यऋषि ने अपने अपराध का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया। वे अनन्त भगवान से क्षमा मांगने हेतु वन में चले गए। उन्हें रास्ते में जो मिलता वे उससे अनन्तदेवका पता पूछते जाते थे। बहुत खोजने पर भी कौण्डिन्यमुनि को जब अनन्त भगवान का साक्षात्कार नहीं हुआ, तब वे निराश होकर प्राण त्यागने को उद्यत हुए। तभी एक वृद्ध ब्राह्मण ने आकर उन्हें आत्महत्या करने से रोक दिया और एक गुफामें ले जाकर चतुर्भुजअनन्तदेवका दर्शन कराया।
भगवान ने मुनि से कहा-तुमने जो अनन्तसूत्रका तिरस्कार किया है, यह सब उसी का फल है। इसके प्रायश्चित हेतु तुम चौदह वर्ष तक निरंतर अनन्त-व्रत का पालन करो। इस व्रत का अनुष्ठान पूरा हो जाने पर तुम्हारी नष्ट हुई सम्पत्ति तुम्हें पुन:प्राप्त हो जाएगी और तुम पूर्ववत् सुखी-समृद्ध हो जाओगे। कौण्डिन्यमुनिने इस आज्ञा को सहर्ष स्वीकार कर लिया। भगवान ने आगे कहा-जीव अपने पूर्ववत् दुष्कर्मोका फल ही दुर्गति के रूप में भोगता है।मनुष्य जन्म-जन्मांतर के पातकों के कारण अनेक कष्ट पाता है। अनन्त-व्रत के सविधि पालन से पाप नष्ट होते हैं तथा सुख-शांति प्राप्त होती है। कौण्डिन्यमुनि ने चौदह वर्ष तक अनन्त-व्रत का नियमपूर्वक पालन करके खोई हुई समृद्धि को पुन:प्राप्त कर लिया।

मेरठ: मह‍ीने भर तक डॉक्टर के शव के साथ बंद रहा भाई, दरवाजा तोड़कर घुसी पुलिस

फोटो: चारपाई पर पड़ा डॉ. हरेंद्र का शव और पास खड़ा भाई हरीश कुमार।
 
मेरठ. मेरठ में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। बीते करीब एक महीने से एक शख्‍स अपने बड़े भाई की लाश के साथ बंद कमरे में रह रहा था। मकान के अंदर से बदबू आने पर पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और दरवाजा तोड़कर घर के अंदर घुसी। एक कमरे में चारपाई पर बुरी तरह सड़ा-गला शव पड़ा था। बगल में ही उसका दूसरा भाई रह रहा था। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मृतक एक डॉक्‍टर था। वह और उसका भाई, दोनों मानसिक रूप से बीमार बताए जा रहे हैं।
 
घटना मेरठ के शास्त्रीनगर इलाके की है। इस पॉश कालोनी के बी-163 में डॉ. हरेंद्र कुमार और उनका छोटा भाई हरीश कुमार रहते थे। आसपास के लोगों के मुताबिक, पड़ोस में भी वे किसी से नहीं मिलते थे। शनिवार की देर शाम पड़ोस में ही रहने वाले एक व्यक्ति ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया। उसने बताया कि दोनों भाई एक महीने से घर से बाहर नहीं निकले हैं। मकान के अंदर से बदबू भी आ रही है। पड़ोसी की सूचना पर मेडिकल थाना पुलिस मौके पर पहुंची। मकान के मेन गेट पर अंदर से ताला लगा था। पुलिस किसी तरह मकान के अंदर घुसी तो भीतर के कमरों में भी अंदर से ताला लगा था। पुलिस दरवाजा तोड़कर अंदर घुसी। अंदर कमरे में चारपाई पर सड़ी गली हालत में डॉ. हरेंद्र (55) की लाश पड़ी थी।

पेट्रोल-डीजल की कीमत में अंतर घटा तो अब सस्‍ता हुआ पेट्रोल कार चलाना,

फोटो: प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।
 
नई दिल्‍ली। पेट्रोल और डीजल के बीच कीमतों में अंतर की वजह से लोग पेट्रोल कार के मुकाबले डीजल कार को तरजीह देते हैं। इसके अलावा डीजल कार का माइलेज भी बढ़‍िया होता है। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा एक सितंबर से पेट्रोल की कीमत में 1.82 रुपए प्रति लीटर की कटौती करने और डीजल के दाम में 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोत्‍तरी करने के बाद अब पेट्रोल कार चलाना काफी हद तक डीजल कार के मुकाबले सस्‍ता हो गया है। इसकी वजह है तेल की कीमतों में प्रति लीटर का अंतर। विभिन्‍न शहरों में पेट्रोल-डीजल के बीच कीमत का अंतर न्‍यूनतम 8.63 रुपए से लेकर अधिकतम 12 रुपए तक हो गया है। अगर इस अंतर को दोनों तरह की कारें खरीदने में आने वाले खर्च और अन्‍य चीजों से जोड़कर देखें तो पेट्रोल कार फायदेमंद साबित हो सकती है। जानते हैं कैसे:
  
पेट्रोल-डीजल के बीच अंतर घटा
एक सितंबर के फैसले से दिल्‍ली में पेट्रोल-डीजल के बीच प्रति लीटर कीमत का अंतर 9.54 रुपया हो गया है। कोलकाता में यह सबसे ज्‍यादा 12.33 रुपया है। चेन्‍नई और मुंबई में पेट्रोल-डीजल के बीच कीमतों का अंतर क्रमश: 8.63 रुपया और 9.15 रुपया प्रति लीटर है।
    
सस्‍ता हुआ पेट्रोल कार चलाना
आमतौर पर कोई भी नई कार 14-15 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देती है। फर्ज कीजिए कि ज्‍यादातर बड़े शहरों में कोई शख्‍स रोजाना अपनी कार से औसतन 50 किलोमीटर का सफर तय करता है। इस लिहाज से हर रोज चार लीटर पेट्रोल की खपत होगी। यानी हर महीने करीब 120 लीटर। अब बात करते हैं विभिन्‍न महानगरों में पेट्रोल और डीजल की कीमत में अंतर की वजह से दोनों तरह की कार चलाने और इसकी वजह से होने वाले बचत की। अगर आप दिल्‍ली में रहते हैं और डीजल कार चलाते हैं तो पेट्रोल कार के मुकाबले करीब 1100 रुपए की बचत होगी। मुंबई के लिए भी बचत सीमा कमोबेश इतनी ही होगी। चेन्‍नई की बात करें तो यह 1000 रुपए के करीब और कोलकाता में 1500 रुपए होगी।
 
अब बात करते हैं उस रकम की जो आप डीजल कार खरीदते समय देते हैं। सामान्‍य तौर पर किसी डीजल कार की कीमत उसके पेट्रोल मॉडल के मुकाबले एक लाख रुपए ज्‍यादा होती है। मारुति सुजुकी स्विफ्ट का ही उदाहरण लीजिए जो पेट्रोल और डीजल दोनों वेरिएंट्स में बेस्‍ट सेलिंग कार है। स्विफ्ट पेट्रोल LXi मॉडल की दिल्‍ली एक्‍स-शोरुम कीमत 4.42 लाख रुपए है और इसके पेट्रोल बेस मॉडल LDi की कीमत 5.46 लाख रुपए है। 
 
अगर कार की कीमत को चार साल या 48 महीने के लोन पीरियड में बांट दिया जाए तो डीजल कार के लिए हर महीने तकरीबन 2 हजार रुपए ज्‍यादा भरने होंगे। चूंकि पेट्रोल और डीजल के बीच कीमतों में अंतर की वजह से हर महीने डीजल कार चलाने में अधिकतम एक हजार रुपए की बचत हो रही थी। अब इसे हर महीने के लोन से घटा दिया जाए तो भी डीजल कार पर हर महीने एक हजार रुपए ज्‍यादा खर्च होंगे।
 
पेट्रोल कारों का क्रेज बढ़ा
पेट्रोल और डीजल के बीच कीमतों में घटते अंतर की वजह से पेट्रोल कारों का क्रेज बढ़ा है। 2012 में डीजल-पेट्रोल कारों की बिक्री का अनुपात जहां 70:30 था वहीं फिलहाल यह 50:50 तक पहुंच गया है। हालांकि, बढि़या माइलेज की वजह से डीजल कारें अभी भी पसंदीदा बनी हुई हैं। एक एक्‍सपर्ट कहते हैं, 'डीजल कारें अपने पेट्रोल वेरिएंट्स के मुकाबले 15-20 फीसदी बढि़या माइलेज देती हैं। इसलिए प्रति किलोमीटर डीजल कार चलाने का खर्च पेट्रोल कार के मुकाबले कम है।'
 
विभिन्‍न शहरों में पेट्रोल-डीजल की कीमत (रुपए प्रति लीटर में) 
शहर पेट्रोल डीजल
दिल्‍ली 68.51 58.97
मुंबई 76.50 67.26
कोलकाता 76.21 63.81
चेन्‍नई 71.55
62.92

कश्मीर में तबाही के सात दिन: बाढ़ में तीन मंत्री लापता, घर डूबे तो छतों पर बैठे लोग

(झेलम का पानी श्रीनगर में घुस चुका है। रविवार को सचिवालय के बाहर ये हाल था।)
 
जम्मू/श्रीनगर/जालंधर. जम्मू-कश्मीर में बाढ़ को सात दिन हो गए हैं। कहीं कोई राहत नहीं। झेलम नदी का पानी राजधानी श्रीनगर में घुस चुका है। सड़कें डूब चुकी हैं। घरों में 5 से 8 फीट तक पानी भरा है। जिंदगी बचाने के लिए लोगों ने छतों का सहारा ले रखा है। दक्षिण कश्मीर में फंसे राज्य के तीन मंत्रियों का कोई अता-पता नहीं है। सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा-धैर्य रखें। सेना आप तक पहुंचेगी।
 
पीएम नरेंद्र मोदी हालात का जायजा लेने जम्मू-कश्मीर पहुंचे। उन्होंने बाढ़ को राष्ट्रीय स्तर की आपदा बताया। साथ ही भरोसा दिलाया कि संकट की इस घड़ी में पूरा देश आपके साथ खड़ा है। मोदी ने राज्य के लिए 1,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त मदद का एलान किया। उन्होंने कहा, "50 साल में ऐसी मुसीबत नहीं देखी। हम राज्य के लोगों की पूरी मदद करेंगे।' पाक अधिकृत कश्मीर भी बाढ़ में फंसा है। मोदी ने कहा, "मानवता के नाते अगर पाकिस्तान चाहे तो हम दूसरी तरफ के लोगों के लिए भी मदद भेजने को तैयार हैं।' लेकिन, पाकिस्तान ने पेशकश ठुकरा दी। पाक सरकार की ओर से कहा गया कि हम सक्षम हैं। भारत चाहे तो हम उसकी मदद कर सकते हैं।
-हर तरफ दर्द और दहशत...
 
जम्मू से कश्मीर तक। हर तरफ पानी मौत बनकर बह रहा है। घर डूब चुके हैं। छतों पर जिंदगी से संघर्ष चल रहा है। 
 
1. श्रीनगर में रहने वाले जावेद को सुबह फोन लगाया। बाढ़ के बारे में पूछा तो वह रोने लगा। उसने बताया, "वह जम्मू में है और परिवार श्रीनगर में। अम्मी-अब्बू, भाई-भाभी, बहन और छह माह की बेटी सुबह छह बजे से छत पर बैठे हैं। पानी दूसरी मंजिल तक आ पहुंचा है। कोई मदद नहीं पहुंच पा रही है। प्लीज, कुछ करो। बचा लो उन्हें। रेस्क्यू टीम बेबस हो चुकी है।' जब पुलिस अधिकारी फारूख अहमद को फोन कहा कि करननगर के कमल मस्जिद के पास मुश्ताक हाउस में एक परिवार फंसा है। रेस्क्यू के लिए प्लीज कुछ करिए, तो उनका जवाब था- किस-किस को बचाएं? कैसे बचाएं? झेलम का बांध टूट चुका है। पूरा शहर दरिया बन चुका है। हजारों की तादाद में लोग छतों पर बैठै हैं। नाले का पानी पी रहे। पानी इतना है कि लोगों तक पहुंच भी नहीं पा रहे। लाल चौक पर 8 फीट ऊंचा पानी है। इंदिरानगर और सोनावर जैसे मुहल्ले पानी में डूब चुके हैं। बिजली जा चुकी है। शहर के ऐसे हालात हैं तो सोचो गांव में क्या हाल होंगे? पता नहीं कितने मरे हैं वहां। सब पानी उतरने की दुआ कर रहे। फिर पता चलेगा जन्नत कितनी बची। दोजख तो नहीं बन गई?
 
2. दो दिन तक 4 फीट पानी में डूबे रहे, तब जाकर बची जान

जम्मू के सूड़े चक्क के ब्रह्म कुमार ने बताया- सोकर उठे तो देखा पानी घर में घुस रहा है। बिस्तर-पलंग डूबने लगे। देखते ही देखते घर में 4 फीट तक पानी भर गया। इतना भी वक्त नहीं मिला कि खाने-पीने का कुछ सामान बचा पाते। पकाने के लिए कुछ नहीं इसलिए दो दिन से कुछ खाया नहीं है। दो दिन तक 4 फीट पानी में डूबे रहे। बाद में कहीं जाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचे।
 
3.पानी घुसते ही पत्नी को लेकर बाहर भागा और मकान ढह गया  

गुज्जर बस्ती के मोहम्मद फारुक मलिक का पूरा मकान पानी में बह गया। पत्नी जाहिदा और वे दो दिन से मलबे पर ही सो रहे हैं। मलिक ने बताया कि शनिवार सुबह चार बजे का समय था। तभी पानी घर में घुसने लगा। बहाव इतना तेज था कि कुछ ही मिनटों में पानी पूरे मकान में फैल गया। झटके से पत्नी को लेकर बाहर की तरफ भागे। जैसे ही घर से निकले, पूरा मकान बह गया।
 
4. आतंकवाद से तो बच गया, लेकिन बाढ़ से नहीं बच पाया 

अनंतनाग में रहने वाले नजीर अहमद आतंकियों से बचकर कुछ समय पहले पत्नी जरीना, बच्चों के साथ जम्मू के बेली चराना आ गए थे। लेकिन इस बाढ़ ने सब तबाह कर दिया। इस बस्ती में अधिकतर विस्थापित लोग रहते हैं। अधिकांश डोडा के आतंकवाद का सामना कर चुके लोग हैं। जैसे-तैसे उस दर्द को भुलाकर जिंदगी को फिर से शुरू किया। लेकिन बाढ़ ने एक बार फिर बेघर कर दिया।
 
और इधर पंजाब में... 
 
फगवाड़ा में दीवार गिरने से दो बच्चों की मौत
 
बसंत नगर इलाके में रविवार शाम बारिश के कारण एक घर की दीवार गिर गई। इससे आंगन में खेल रहे दो बच्चों की मौत हो गई। दोनों भाई-भाई थे। इनकी पहचान 7 साल के अमन और 6 साल के ननियां पुत्र अवतार सिंह के रूप में हुई है।
 
घाटी में हालात बिगड़ते देख कई ट्रेनें रद्द कीं
 
जालंधर. जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के चलते रेलवे ने वहां जाने वाली कई ट्रेनें रद्द कीं। उत्तर संपर्क क्रांति ऊधमपुर से जम्मूतवी के बीच नहीं चलेगी। दिल्ली-ऊधमपुर मेल भी जम्मूतवी से ऊधमपुर के बीच नहीं चलेगी। जन्मभूमि एक्सप्रेस भी रद्द रहेगी।
 
बारिश से फसल बर्बाद, किसान ने खुदकुशी की
 
मानसा. दस लाख रुपए के कर्ज का बोझ और उस पर बारिश के कारण कपास की फसल बर्बाद होने पर किसान ने खुदकुशी कर ली। गांव चहलांवाली के किसान रूप सिंह (62) ट्रेन के आगे कूदे। मौके पर ही उनकी जान चली गई।

सवा अरब रूपये खर्च

सवा अरब लोगों वाले इस सबसे महान भारत देश में ,,एक चौकीदार ने बच्चो को अपनी बात सुनाने के लिए अगर सवा अरब रूपये खर्च भी कर दिए तो इसमें हल्ला क्यों ,,,,एक रूपये प्रति व्यक्ति भी क्या हम हमारे चौकीदार के लिए खर्च नहीं करवा सकते सरकार के खाते से ,,,,कमाल करते हो लल्लू भाई आप भी ,,,,,

मुख्यमंत्री पद पर रहते ज़मीन पर पाँव नहीं थे

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत जिनके मुख्यमंत्री पद पर रहते ज़मीन पर पाँव नहीं थे ,,अब जनता द्वारा नकार देने के बाद इनके पैर ज़मीन में ही है ,,हालात यह के अपनी करतूतों की शर्म से यह ज़मीन में गढ़े जा रहे है और जिन ज़मीनी कार्यकर्ताओं को यह खुद ,,इनके दलाल ,,इनके सुरक्षा कर्मी पास तक नहीं फटकने देते थे ,,धक्के मार मार कर अपमानित करते थे आज वही अशोक गेहलोत भीगी बिल्ली बनकर खामोशी से फोटु सेशन करवा रहे है ,,है न बदलाव ,,है न सत्ता और सत्ता छिनने के बाद का फ़र्क़ ,,है ना सच्ची कहावत के जनता ही जनार्दन है और कोई भी पार्टी हो कार्यकर्ता ही उसके माई बाप है ,,,,,,,,,,,अख्तर

मुल्क

मुल्क तेरी बर्बादी के आसार नज़र आते है ,
चोरों के संग पहरेदार नज़र आते है
ये अंधेरा कैसे मिटे , तू ही बता ऐ आसमाँ ,
रोशनी के दुश्मन चौकीदार नज़र आते है

ऐ कांग्रेस तू ही बता

हम तो
हमेशा साथ है तेरे
ऐ कांग्रेस
तू ही बता
तूने
ज़ुल्म किये है
कैसे कैसे ,,,,,,,अख्तर

दोस्तों आप से मिलिए आप है समाज सेवक ,,पत्रकार जीनगर दुर्गा शंकर गेहलोत

दोस्तों आप से मिलिए आप है समाज सेवक ,,पत्रकार जीनगर दुर्गा शंकर गेहलोत ,,पाक्षिक समाचार सफर के संपादक प्रकाशक ,,,,भाई जीनगर दुर्गा शंकर दुर्गा बनकर गरीबी और ज़ुल्म सितम का विष शंकर बनकर पीकर गरीबों को इन्साफ दिलाने के लिए दुर्गा शंकर बने है ,,,,कोटा के इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड फैक्ट्री में कार्यरत रहे दुर्गा शंकर ने जब इस उद्द्योग में सभी सुविधाये और मुनाफा होते हुए सरकारी भ्रष्टाचार व्याप्त होने से सिसकते देखा तो ,,जीनगर दुर्गा शंकर गेहलोत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की ,,,इसी दौरान गेहलोत मेरे सम्पर्क में आये ,,,गेहलोत इंस्ट्रूमेंटेशन के अधिकारीयों के भ्रष्टाचार के कच्चे चिट्ठे बताते थे और में अपने समाचार पत्र में बेखौफ ,,बेधडक भ्रष्टाचार की दास्ताँ उजागर करता था ,,,कई सालो तक तो दुर्गाशंकर की इस लड़ाई के चलते इंस्ट्रूमेंटेशन बीमारू होने से बचती रही ,,लेकिन भ्रष्टाचारियों सक्रिय काकस ,,गेहलोत को काँटा समझने लगा ,,गेहलोत का स्वभाव रहा है के वोह टूट सकते है लेकिन झुक नहीं सकते ,,,वोह मर सकते है लेकिन बिक नहीं सकते ,,,गरीब और गरीबी उन्हें पसंद है ,,ज़मीर बेचकर ,,,देश बेचकर ,,इमान बेचकर अमीर बनने के वोह हमेशा खिलाफ रहे है ,,,,,,,,,,,जब भ्रष्टाचारियो का ज़ुल्म हद से बढ़ गया तो इन्होें अपनी नौकरी छोड़कर खुद पत्रकार बनने का संकल्प लिया और ,,,प्रिंट मिडिया के संक्रमण काल में समाचार सफर पाक्षिक अख़बार चौबीस पेज का निकालना शुरू किया ,,महनत इनकी थी ,,इनके समाज ,,दलित ,,,अल्सपंख्य्क और ईमानदार लोगों ने इनका साथ दिया ,,कई पूर्व आई ऐ एस ,,,वरिष्ठ ख्यातनाम साहित्यकार और समाज सेवक इनसे इनके अख़बार से जुड़ते गए और ,,संक्रमण काल का दौर होने के बावजूद भी गेहलोत सफल पत्रकार साबित हुए ,,,,गेहलोत ने वर्ष 89 में नफरत और दंगे का माहोल देखा है ,,,ज़ुल्म ज़्यादती के हालात देखे है ,,इन्होने पीड़ितों और शोषितों के हक़ में अत्याचार के खिलाफ संघर्ष क्या पीड़ितों को न्याय दिलवाया और दलित ,,मुस्लिम समाज में यह विशिष्ठ पहचान वाले व्यक्तित्व बन गए ,गेहलोत कई समाज सेवी संगठनों से जुड़े है ,,वोह लिखते है गज़ब का निर्भीक और निष्पक्ष लिखते है ,,,,,,,,अनेकों बार उनकी लेखनी ,,उनका हुलियिा और ज़ालिमों के खिलााफ उठने वाली उनके आवाज़ देखकर लोग उन्हें मुल्ला दुर्गा शंकर कहकर भी सम्बोधित कर देते है ,,लेकिन वोह न डरे ,, ना बाइक बिके ,,बस अपने संघर्ष में जुटे रहे ,,,,,,,इनका समाचार पत्र समाचार सफर पाक्षिक आज पुरे भारत में दलितों और शोषितों की आवाज़ बना है ,,पूरा खबर यह खुद अपने हाथ से लिखते है ,,,खुद उसमे छपने वाली सामग्री का चयन करते है ,,गेहलोत ने जब अख़बार की दुनिया में प्रवेश क्या तो डी पी आर ,,डी ऐ वी पी ,,आर ऍन आई जैसे समाचार पत्रों के विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार देख दुखी हो गए ,,जब यह समाज को नैतिकता की शिक्षा देने की बात करने वाले पत्रकारों को अपने अपने समाचार पत्रों का जायज़ काम करवाने के लिए खुलेआम रिश्वत का खेल चलते देखते थे तो बहुत निराश होते थे ,,लेकिन इन्होने इस के खिलाफ संघर्ष का मन बनाया ,,संघर्ष भ्रष्टाचारियों के खिलाफ था दलाल अख़बारों के खिलाफ था ज़ाहिर लम्बा संघर्ष था लेकिन आखिर में जीत जीनगर दुर्गाशंकर गेहलोत की हुई ,,,वोह देश बदलने की सोचते है ,,संघर्ष करते है ,,देश में एकता ,,,सद्भाव के लिए आन्दोलनरत है ,,भ्रष्टाचार मुक्त भारत ,,समस्या मुक्त भारतीय उनका नारा है ,,,खुदा उन्हें कामयहब करे और उनकी लेखनी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ संघर्ष कर उन्हें भस्मासुर की तरह खत्म करती रहे इसी दुआ के साथ ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा में चुनाव प्रचार

कोटा में चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस के राष्ट्रिय सचिव और राजस्थान के प्रभारी मिर्ज़ा इशरत बेग कई दिनों से है ,,लेकिन उनकी कार्यशैली किसी भी मुस्लिम मतदाता को प्रभावित करने वाली नहीं रही ,,जबकि स्थानीय कांग्रेस में उन्हें प्रोटोकॉल की हैसियत से वरिष्ठ नेताओं ने भी नकारा है ,,,उनकी हैसियत उनके सियासी क़द के हिसाब से उन्हें वरिष्ठ नेताओ और वाहन व् अन्य सुविधाओ का सम्मान नहीं मिलने से कई तटस्थ मुस्लिम समाज के लोग नाराज़ होकर इस परिवर्तन पर चर्चा करते नज़र आये ,,,,इधर भाजपा राजस्थान सरकार के सार्वजनिक निर्माण मंत्री जो कोटा के प्रभारी मंत्री भी है ,,वोह कई दिनों से कोटा में अपनी हिकमत और सभी से मिलनसार होने की हुनरमंदी से भाजपा के पक्ष में कांग्रेस के मुस्लिम वोटों में काफी हद तक सेंध लगाने में कामयाब हो गए है ,,जबकि कांग्रेस के मुस्लिम राष्ट्रीय और राज्य स्तर के नेताओं को चमचो से घिरे रहने से फुर्सत नहीं मिली है ,,उन्होंने कोटा के मोअज़्ज़िज़ गैर सियासी मुस्लिम तंजीमों के लोगों से मिलना तक मुनासिब नहीं समझा है ,,

बे दर्द

बे दर्द फ़साने लिखने में
दर जख्म तराने लिखने में
पर जादा रोना पड़ता है
झूठी मुस्काने लिखने में
**KAPIL MANI THE MUCKTALIF **

क़ुरआन का सन्देश

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