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09 सितंबर 2014

उत्तर प्रदेश की सरकार कट्टर पंथी ताक़तों से मिली हुई है

उत्तर प्रदेश की सरकार कट्टर पंथी ताक़तों से मिली हुई है ,,वोह ना तो मुस्लिम आतंकवादियों की धरपकड़ कर रही है और ना ही खुलेआम उत्तर प्रदेश में रहकर देश भर की फ़िज़ां बिगाड़ने वालों को गिरफ्तार कर जेल भेज रही है ,,वरना आज अगर उत्तर प्रदेश में क़ानून का राज होता तो वहां की जेलों में सभी फलाना ,,ढीमकडे लोग ,,,,जिन्होंने कोरी बकवास कर माहोल बिगाड़ने के अलावा देश और देश हित में कोई काम नहीं किया ,,,वोह सभी लोग होते और पुरे देश में इस तरह की बकवास नहीं करने वालों के छुट्टा नहीं होने से अमन चेन सुकून होता ,,,,,,,,हमने आपने राजस्थान की अजमेर जेल में परवीन तोगड़िया को जेल में मच्छर काटने से परेशान होते देखा है और रिहाई के लिए गिड़गिड़ाते देखा है ,,,,,,

शहीद वीर अब्दुल हमीद

शहीद वीर अब्दुल हमीद के साथी रहे आदरणीय मोहम्मद फ़ाज़िल खान हमारे फेसबुक दोस्त अक़ील खान के पिता है जो इन दिनों दिल्ली में निवासित है ,,,,उनके यादगार फोटु भी है ,,,,
कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार, PVC
निष्ठा भारत
सेवा/शाखा भारतीय सेना
सेवा वर्ष १९५४-१९६५
उपाधि कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार
युद्ध/झड़पें १९६५ भारत-पाक युद्ध
ईनाम परमवीर चक्र

कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद (जुलाई १, १९३३ - सितम्बर १०, १९६५) भारतीय सेना की ४ ग्रेनेडियर में एक सिपाही थे जिनकी मृत्यु भारत-पाक युद्ध १९६५ में खेमकरण सैक्टर में हुयी। उन्हें मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सेना पुरस्कार परमवीर चक्र मिला। यह पुरस्कार इस युद्ध, जिसमें वे शहीद हुये, के समाप्त होने के एक सप्ताह से भी पहले १६ सितम्बर १९६५ को घोषित हुआ।

वीर अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गाँव में १ जुलाई १९३३ में एक साधारण दर्जी परिवार में हुआ था। उनके पिता लांस नायक उस्मान फारुखी भी ग्रेनेडियर में एक जवान थे। वे २७ दिसम्बर १९५४ को ४ ग्रेनेडियर में भर्ती हुये। और अपने सेवा काल में सैन्य सेवा मेडल, समर सेवा मेडल और रक्षा मेडल से सम्मान प्राप्त किया था।

चेतन आनन्द द्वारा निर्मित १९८८ के दूरदर्शन धारावाहिक परमवीर चक्र में हवलदार अब्दुल हमीद की भूमिका नसीरुद्दीन शाह ने निभायी।

१९६५ का युद्ध

८- सितम्बर-१९६५ की रात में, पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमला करने पर, उस हमले का जवाव देने के लिए भारतीय सेना के जवान उनका मुकाबला करने को खड़े हो गए। वीर अब्दुल हमीद पंजाब के तरन तारन जिले के खेमकरण सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे। पाकिस्तान ने उस समय के अपराजेय माने जाने वाले "अमेरिकन पैटन टैंकों" के के साथ, "खेम करन" सेक्टर के "असल उताड़" गाँव पर हमला कर दिया।

भारतीय सैनिकों के पास न तो टैंक थे और नहीं बड़े हथियार लेकिन उनके पास था भारत माता की रक्षा के लिए लड़ते हुए मर जाने का हौसला। भारतीय सैनिक अपनी साधारण "थ्री नॉट थ्री रायफल" और एल.एम्.जी. के साथ पैटन टैंकों का सामना करने लगे। हवलदार वीर अब्दुल हमीद के पास "गन माउनटेड जीप" थी जो पैटन टैंकों के सामने मात्र एक खिलौने के सामान थी।

वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठ कर अपनी गन से पैटन टैंकों के कमजोर अंगों पर एकदम सटीक निशाना लगाकर एक -एक कर धवस्त करना प्रारम्भ कर दिया। उनको ऐसा करते देख अन्य सैनकों का भी हौसला बढ़ गया और देखते ही देखते पाकिस्तान फ़ौज में भगदड़ मच गई। वीर अब्दुल हमीद ने अपनी "गन माउनटेड जीप" से सात "पाकिस्तानी पैटन टैंकों" को नष्ट किया था।

देखते ही देखते भारत का "असल उताड़" गाँव "पाकिस्तानी पैटन टैंकों" की कब्रगाह बन गया। लेकिन भागते हुए पाकिस्तानियों का पीछा करते "वीर अब्दुल हमीद" की जीप पर एक गोला गिर जाने से वे बुरी तरह से घायल हो गए और अगले दिन ९-जुलाई को उनका स्वर्गवास हो गया लेकिन उनके स्वर्ग सिधारने की आधिकारिक घोषणा १०-जुलाई को की गई थी।

इस युद्ध में साधारण "गन माउनटेड जीप" के हाथों हुई "पैटन टैंकों" की बर्बादी को देखते हुए अमेरिका में पैटन टैंकों के डिजाइन को लेकर पुन: समीक्षा करनी पड़ी थी। लेकिन वो अमरीकी "पैटन टैंकों" के सामने केवल साधारण "गन माउनटेड जीप" जीप को ही देख कर समीक्षा कर रहे थे, उसको चलाने वाले "वीर अब्दुल हमीद" के हौसले को नहीं देख पा रहे थे।
सम्मान

इस युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें पहले महावीर चक्र और फिर सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया. सारा देश उनकी बहादुरी को प्रणाम करता है.

सुनो

सुनो हमारी तुम्हारी
पहले की मोहब्बत ही
हम ताज़ा रखेंगे
न बेवफाई तुम करोगे
न बेवफाई हम करेंगे ,,,,,

तुम

मेरी जान भी तुम
मेरी आन भी तुम
मेरी शान भी तुम
मेरा मान भी तुम
सिर्फ तुम सिर्फ तुम

देह व्यापार के आरोप में पकड़ी गई एक और एक्ट्रेस, घर में चला रही थी रैकेट



देह व्यापार के आरोप में पकड़ी गई एक और एक्ट्रेस, घर में चला रही थी रैकेट
 
मुंबई. श्वेता प्रसाद के बाद एक और एक्ट्रेस का नाम सेक्स स्कैंडल में आया है। इस एक्ट्रेस का नाम है दिव्या श्री, जिसने तेलुगु फिल्म 'बी टेक बाबू' में अभिनय किया है। पुलिस ने उसे उसके गुंटूर स्थित घर में ही सेक्स रैकेट चलाने के आरोप में पकड़ा है। ख़बरों के अनुसार, गोपनीय सूत्रों से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने दिव्या के घर छापा मारा, जहां वह रंगे हाथों पकड़ी गई।
 
पुलिस ने खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि मॉडल और एक्ट्रेस दिव्या के अलावा एक्टर पवन कुमार, चंदू और उनके साथी सेक्स रैकेट में सक्रिय थे। पुलिस ने संकेत दिए हैं कि इस रैकेट के तार कई दिग्गज और कारोबारी घरानों से जुड़े हुए हैं। गौरतलब है कि पिछले दिनों बॉलीवुड फिल्म 'मकड़ी' में चाइल्ड एक्ट्रेस के रूप में नजर आई श्वेता बसु प्रसाद को सेक्स रैकेट में गिरफ्तार किया गया था। श्वेता ने पुलिस से कहा था कि इस तरह के काम में लिप्त वे पहली एक्ट्रेस नहीं है।

झारखंड: कृषि मंत्री पर लगा 13 लोगों को कत्‍ल कर उनके सिर से फुटबॉल खेलने का आरोप

फाइल फोटो : योगेंद्र साव को सम्मानित करतीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी। 
 
रांची. नक्सली संगठन चलाने और हत्या की सुपारी व लेवी वसूलने के आरोप झेल रहे झारखंड के कृषि मंत्री योगेंद्र साव एक और विवाद में घिर गए हैं। 2001 के बेलतू में हुए नरसंहार में योगेंद्र साव के शामिल होने की बात भी सामने आई है। रांची से सटे हजारीबाग जिले के बेलतू में हथियारबंद माओवादियों ने 13 लोगों को मार डाला था। बताया जाता है कि ग्रामीणों का सिर काटने के बाद नक्सलियों ने उससे फुटबॉल खेला था। झारखंड बनने के बाद राज्य में सामूहिक हत्या की यह सबसे पहली घटना थी। न्यायालय के रिकॉर्ड में बेलतू नरसंहार में शामिल द्वारिका सिंह और बिगन तुरी समेत कई माओवादियों के बयान दर्ज हैं। इन बयानों में योगेंद्र साव के भी नरसंहार में शामिल होने की बात कही गई है। कोर्ट के रिकॉर्ड में दर्ज इन बयानों के सावर्जनिक होने के बाद यह खुलासा हुआ। वहीं, योगेंद्र साव ने इसे साजिश बताया है।  
 
क्या है कोर्ट के रिकॉर्ड में

कोर्ट को दी गई केस डायरी में माओवादी द्वारिका ने बताया था कि माओवाद के खिलाफ केरेडारी में संगठित ग्राम रक्षा दल को सबक सिखाने के लिए 8 अप्रैल, 2001 को खुटरा गंझू के घर पर माओवादियों के एरिया कमांडर कैलाश साव ने एक बैठक की थी। इसमें योगेंद्र साव भी शामिल हुए थे। इस बैठक राम बेलतू, कुलदीप गंझू, सुरेश गंझू, किशोर मिंज, नागो गंझू, मतलू गंझू व बिजली गंझू समेत 15 माओवादी शामिल थे। बैठक में ग्राम रक्षा दल को बर्बाद कर देने का संकल्प लिया गया था।
 
माओवादियों ने सिर काट खेला था फुटबॉल

बताया जाता है कि 14 अप्रैल, 2001 को नक्सलियों की एक बैठक में नरसंहार की रणनीति बनाई गई थी। इसके तहत एरिया कमांडर के नेतृत्व में 300 से अधिक नक्सली बेलतू गांव पहुंचे थे। इनमें योगेंद्र साव भी शामिल थे। नक्सलियों ने गांव पर धावा बोलकर घरों में आग लगा दी थी और 13 लोगों को मार डाला था। मारे गए सभी ग्रामीण थे। इस मामले में पिछले साल 17 जुलाई को हजारीबाग सेशन कोर्ट ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास और दो को फांसी की सजा सुनाई थी। इससे पहले ही साल 2003 में तीन आरोपियों को फांसी और 23 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। नक्सलियों ने 2003 में सजा सुनाने वाले जज एके चांद की हत्या का फरमान भी सुनाया था।
 
मामले की सीआईडी जांच

राज्य सरकार ने कैबिनेट मंत्री योगेंद्र साव से नक्सली संगठन चलाने के मामले पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, कांग्रेस नेतृत्व से मार्गदर्शन भी मांगा है। सरकार का कहना है कि इस पूरे मामले से छवि खराब हुई है। इस मामले में सीआईडी जांच की भी अनुशंसा कर दी गई है।
 
बर्खास्त नहीं, मांगेगी इस्तीफा

सरकार योगेंद्र साव को बर्खास्त करने के बजाए इस्तीफा मांगेगी। सामने चुनाव देख गठबंधन में शामिल दल अपनी छवि को लेकर चिंतित हैं। वर्तमान हालात में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता मंत्री को हटाने की अनुशंसा भी नहीं कर सकते। पूर्व मंत्री चंद्रशेखर दूबे की बर्खास्तगी के समय इन पर उंगली उठी थी। इस प्रकरण से बचने के लिए कांग्रेस ने तीन सदस्यीय कमिटी बनाई है, जो पूरे प्रकरण की रिपोर्ट कांग्रेस आला कमान को सौंपेगी।
 
सरकार और कांग्रेस दोनों संकट में

योगेंद्र साव प्रकरण ने सरकार और कांग्रेस, दोनों को संकट में डाल दिया है। दोनों के बीच दुविधा की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री के सामने संकट यह है कि सामने चुनाव है। अगर आरोप के आधार पर मंत्री योगेंद्र साव को हटा दिया जाता है, तो कैबिनेट मंत्री हाजी हुसैन अंसारी और सुरेश पासवान को भी हटाने का दबाव बन सकता है, क्योंकि इन दोनों मंत्रियों पर नेशनल लेवल की शूटर तारा शाहदेव के पति रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल से संबंध रखने के आरोप लगे हैं।
 
पॉलिग्राफी टेस्ट के लिए तैयार हूं : योगेंद्र साव

राज्य के कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने कहा है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि वह न तो किसी उग्रवादी संगठन से जुड़े हैं और न ही इस तरह का संगठन ही चला रहे हैं। साव ने कहा कि नक्सली संगठन चलाने वाले मामले की सीआइडी जांच हो रही है। वह जांच में पूरा सहयोग करेंगे। वह पॉलिग्राफी और नारको टेस्ट से गुजरने को भी तैयार हैं। साव ने कहा कि उन्हें इस मामले में साजिश के तहत फंसाया गया है। इसमें राजनीतिक नेता, पुलिस और कोयला कंपनियों के अधिकारी शामिल हैं। 
 
उम्रकैद तक की हो सकती है सजा

राज्य के मंत्री योगेंद्र साव पर यदि रंगदारी मांगने, उग्रवादियों से सांठगांठ और हत्या के लिए सुपारी देने का आरोप कोर्ट में साबित हो जाएं, तो उन्हें दस साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

ऑपरेशन यानी एक खौफ ,,एक डर ,,एक तनाव ,,

दोस्तों ऑपरेशन यानी एक खौफ ,,एक डर ,,एक तनाव ,,,,अकेले ऑपरेशन करवाने वाले को नहीं ,,,सभी परिजनों को ,तनाव और खौफ ,,,लेकिन इस खतरनाक ,,इस खौफनाक अलफ़ाज़ ऑपरेशन को ,,,सद्भाव ,,कुशल चिकित्सा शैली ,,और मृदुल स्वभाव ,,अपनी दक्षता और टीम भाव से कोटा के विख्यात सुवि नेत्र चिकित्सालय के मालिक डॉक्टर सुरेश कुमार पांडे ने सहज ,,कामयाब और खुशगवार बना दिया है ,,आँखों की बीमारी के इलाज के जादूगर कहे जाने वाले डॉक्टर सुरेश कुमार पांडे ने यह कमाल खूबकर दिखाया है ,,,,मेरी शरीके हयात को दो वर्षों से मोतियाबिंद की शिकायत थी चेहरे पर मोटा चश्मा और इस पर बच्चों की पढ़ाई ,,किताबे ,,कॉपियां उनके लिए सरदर्द थी लेकिन आँखों के ऑपरेशन के नाम से वोह डरी ,,सहमी थी ,,ऑपरेशन के नाम मात्र से वोह सिहर जाती थी ,,अनेकों बार मेने मेरी शरीके हयात को हिम्मत दिलाई लेकिन बेकार ,,,आँखों से दिखना बहुत कम हुआ ,,चश्मे के नम्बर भी खत्म हो गए लेकिन ऑपरेशन का डर इस क़दर के मेरे साले भय्यू भाई ,,साली साहिबा और मेरी शरीके हयात किसी भी सूरत में ऑपरेशन करवाने को तैयार नहीं ,,,एक दिन ,,डॉक्टर सुरेश कुमार पांडे से ऑपरेशन कराकर आई एक महिला का उनसे सम्पर्क हुआ उनके तारीफे ,,उनके व्यवहार ,,और कार्यशैली से प्रभावित होकर मुझे होम मिनिस्ट्री से हुक्म हुआ ,,,अगर तुम मेरी आँखों का ऑपरेशन कराना चाहते हो तो सिर्फ और सिर्फ सुवि वालों के यहां ही होगा ,,खेर हुक्म की गुलामी करना हमारी आदत है सो हम डॉक्टर पांडे सर के दरबार में गए ,,अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रिय ख्याति तो सभी को पता थी ,,लेकिन हॉस्पिटल का सेट आप ,,इलाज करने का तरीका ,,मन में फीस वसूलते वक़्त दया भाव ,,,, असाध्य बीमारी के इलाज का हुनर देख कर में भी अवाक था ,,, पहले मेरे बढ़े भ्राता विख्यात साहित्यकार , कुशल राजस्थान सेवा में प्रशासनिक अधिकारी अम्बिका दत्त चतुर्वेदी की शरीके हयात का भी ऑपरेशन हो चूका था ,,मेरी शरीके हयात की हिम्मत बढ़ी और आज का दिन ऑपरेशन के लिए मुक़र्रर हुआ ,,,,दोपहर सुवि अस्पताल में पहुंचे ,,,,जांच पड़ताल शुरू हुई ,,,देखा वहां अलीगढ़ से दिल्ली सहित पुरे हिंदुस्तान के प्रमुख चिकितसकों के यहां खाक छानकर एक दम्पत्ति आये थे उनकी चार साल की गुनगुन और दो माह की बच्ची दोनों की आँख में मोतियाबिंद ,,उन्हें उम्मीद थी के सिर्फ और सिर्फ सुवि अस्पताल के डॉक्टर सुरेश पांडे उनके लिए रामबांड ओषधि देकर रहेंगे ,,क़ुदरत का करिश्मा ही कहेंगे के डॉक्टर सुरेश पांडे ने इस दम्पत्ति के दो मासूमो का कामयाब ऑपरेशन क्या और इनकी लाइलाज बीमारी से इन्हे मुक्त कर दिया ,,वोह खुश थे ,,,,मेरी शरीके हयात का होसला बढ़ा और ऑपरेशन थेटर में ,,में भी डॉक्टर सुरेश पांडे के साथ मौजूद रहा ,,,बातों ही बातों में ,,बहतरीन अखलाक़ के साथ ,,,,बहतरीन मशीनो और औज़ारों से डॉक्टर सुरेश ने कुछः ही मिनटों में मेरी शरीके हयात की तकलीफ दूर कर दिखाई ,,उन्हें उठाया ,बिठाया ,,सारा जाल ,,मोतियाबिंद गायब और सब कुछ साफ़ नज़र आने लगा ,,इस चमत्कार को देख कर मेरी शरीके हयात खुश थी ,,वोह बिना तकलीफ के ऑपरेशन की उम्मीद नहीं कर सकती थी लेकिन इस चमत्कार को देख कर ,,वोह हतप्रभ सी डॉक्टर सर को दुआएं देती हुई निकल पढ़ी ,,तो दोस्तों कोई काम नहीं है मुश्किल जब किया इरादा पक्का ,,,,,,,,,डॉक्टर सुरेश पांडे का लक्ष्य था के वोह आँखों की चिकित्सा कार्य को अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बनाएंगे और इन्होने पाकिस्तान के करांची से लेकर ,,लंदन ,,ब्रिटेन के लोगों के साथ अपना हुनर शेयर किया ,,उनकी दुःख तकलीफ दूर की और उनकी आँखों की रौशनी फिर से चकाचोंध वाली करके उनसे दुआए ली ,,,,,,डॉक्टर सुरेश पांडे की शिफ़ा बनी ,,रहे खुदा उनके हाथो के हुनर से सभी लाइलाज आँखों की बीमारिया दूर करे इसी दुआओं के साथ ,, इस दौरान कोटा कांग्रेस के आबिद कागज़ी और समाजसेवक बाबा रज़ाक भी मौजूद रहे ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

समाज सेवक ,,पत्रकार जीनगर दुर्गा शंकर गेहलोत


 दोस्तों आप से मिलिए आप है समाज सेवक ,,पत्रकार जीनगर दुर्गा शंकर गेहलोत ,,पाक्षिक समाचार सफर के संपादक प्रकाशक ,,,,भाई जीनगर दुर्गा शंकर दुर्गा बनकर गरीबी और ज़ुल्म सितम का विष शंकर बनकर पीकर गरीबों को इन्साफ दिलाने के लिए दुर्गा शंकर बने है ,,,,कोटा के इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड फैक्ट्री में कार्यरत रहे दुर्गा शंकर ने जब इस उद्द्योग में सभी सुविधाये और मुनाफा होते हुए सरकारी भ्रष्टाचार व्याप्त होने से सिसकते देखा तो ,,जीनगर दुर्गा शंकर गेहलोत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की ,,,इसी दौरान गेहलोत मेरे सम्पर्क में आये ,,,गेहलोत इंस्ट्रूमेंटेशन के अधिकारीयों के भ्रष्टाचार के कच्चे चिट्ठे बताते थे और में अपने समाचार पत्र में बेखौफ ,,बेधडक भ्रष्टाचार की दास्ताँ उजागर करता था ,,,कई सालो तक तो दुर्गाशंकर की इस लड़ाई के चलते इंस्ट्रूमेंटेशन बीमारू होने से बचती रही ,,लेकिन भ्रष्टाचारियों सक्रिय काकस ,,गेहलोत को काँटा समझने लगा ,,गेहलोत का स्वभाव रहा है के वोह टूट सकते है लेकिन झुक नहीं सकते ,,,वोह मर सकते है लेकिन बिक नहीं सकते ,,,गरीब और गरीबी उन्हें पसंद है ,,ज़मीर बेचकर ,,,देश बेचकर ,,इमान बेचकर अमीर बनने के वोह हमेशा खिलाफ रहे है ,,,,,,,,,,,जब भ्रष्टाचारियो का ज़ुल्म हद से बढ़ गया तो इन्होें अपनी नौकरी छोड़कर खुद पत्रकार बनने का संकल्प लिया और ,,,प्रिंट मिडिया के संक्रमण काल में समाचार सफर पाक्षिक अख़बार चौबीस पेज का निकालना शुरू किया ,,महनत इनकी थी ,,इनके समाज ,,दलित ,,,अल्सपंख्य्क और ईमानदार लोगों ने इनका साथ दिया ,,कई पूर्व आई ऐ एस ,,,वरिष्ठ ख्यातनाम साहित्यकार और समाज सेवक इनसे इनके अख़बार से जुड़ते गए और ,,संक्रमण काल का दौर होने के बावजूद भी गेहलोत सफल पत्रकार साबित हुए ,,,,गेहलोत ने वर्ष 89 में नफरत और दंगे का माहोल देखा है ,,,ज़ुल्म ज़्यादती के हालात देखे है ,,इन्होने पीड़ितों और शोषितों के हक़ में अत्याचार के खिलाफ संघर्ष क्या पीड़ितों को न्याय दिलवाया और दलित ,,मुस्लिम समाज में यह विशिष्ठ पहचान वाले व्यक्तित्व बन गए ,गेहलोत कई समाज सेवी संगठनों से जुड़े है ,,वोह लिखते है गज़ब का निर्भीक और निष्पक्ष लिखते है ,,,,,,,,अनेकों बार उनकी लेखनी ,,उनका हुलियिा और ज़ालिमों के खिलााफ उठने वाली उनके आवाज़ देखकर लोग उन्हें मुल्ला दुर्गा शंकर कहकर भी सम्बोधित कर देते है ,,लेकिन वोह न डरे ,, ना बाइक बिके ,,बस अपने संघर्ष में जुटे रहे ,,,,,,,इनका समाचार पत्र समाचार सफर पाक्षिक आज पुरे भारत में दलितों और शोषितों की आवाज़ बना है ,,पूरा खबर यह खुद अपने हाथ से लिखते है ,,,खुद उसमे छपने वाली सामग्री का चयन करते है ,,गेहलोत ने जब अख़बार की दुनिया में प्रवेश क्या तो डी पी आर ,,डी ऐ वी पी ,,आर ऍन आई जैसे समाचार पत्रों के विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार देख दुखी हो गए ,,जब यह समाज को नैतिकता की शिक्षा देने की बात करने वाले पत्रकारों को अपने अपने समाचार पत्रों का जायज़ काम करवाने के लिए खुलेआम रिश्वत का खेल चलते देखते थे तो बहुत निराश होते थे ,,लेकिन इन्होने इस के खिलाफ संघर्ष का मन बनाया ,,संघर्ष भ्रष्टाचारियों के खिलाफ था दलाल अख़बारों के खिलाफ था ज़ाहिर लम्बा संघर्ष था लेकिन आखिर में जीत जीनगर दुर्गाशंकर गेहलोत की हुई ,,,वोह देश बदलने की सोचते है ,,संघर्ष करते है ,,देश में एकता ,,,सद्भाव के लिए आन्दोलनरत है ,,भ्रष्टाचार मुक्त भारत ,,समस्या मुक्त भारतीय उनका नारा है ,,,खुदा उन्हें कामयहब करे और उनकी लेखनी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ संघर्ष कर उन्हें भस्मासुर की तरह खत्म करती रहे इसी दुआ के साथ ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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