आपका-अख्तर खान

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12 सितंबर 2014

जी हाँ ..में हिंदी यानी भारत माता की राष्ट्र भाषा हूँ

जी हाँ ..में हिंदी यानी भारत माता की राष्ट्र भाषा हूँ .....में संविधान की अनुसूची में शामिल हूँ .मुझे बोलना ..मुझे लिखना .मेरे साहित्य का प्रकाशन करना ..मेरे शब्दों में देश के सभी कानून कायदे प्रकाशित करना देश की सरकार की संवेधानिक ज़िम्मेदारी है .....आज़ादी से आज तक मुझे देश भर में लागू करवाने के लियें अरबों नहीं अरबों नहीं खरबों रूपये खर्च किये जा चुके हैं ...............लेकिन अफ़सोस में सिर्फ और सिर्फ सितम्बर महीने की १४ तारीख की एक यादगार बन गयी हूँ .मेरी भाषा में चलने वाले स्कूलों को सभी शिक्षाबोर्ड खासकर केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड में उपेक्षित रखा गया है . विदेशी भाषा में गिटपिट करने वाले लोगों के बीच में अगर में फंस जाऊं तो मेरा ही नाम लेकर मेरी खिल्ली उडाई जाती है लोगों का उपहास और मजाक उढ़ाने पर मेरा नाम लेकर कहावत बनाई गयी है ..दोस्तों आपको तो सब पता है आप से क्या छुपाऊं जब किसी का मजाक उढ़ाया जाता है तो साफ तोर पर कहा जाता है के इसकी हिंदी हो गयी है .मेरे दुःख दर्द को न तो मेरे प्रधानमन्त्री ने समझा ना मेरे देश के राष्ट्रपति ने और नहीं सांसद विधायक मेरी तकलीफ समझ पाए हैं जनता का क्या कहें महाराष्ट्र में मुझे उपेक्षित किया है दक्षिण में अगर मुझे बोला जाये तो कोई बात नहीं करता बेल्लारी में अगर मुझे लागू करने की बात की जाए तो दंगे फसादात किये जाकर कत्ले आम हो जाते हैं .संविधान के रक्षकों की सांसदों वकीलों और जजों की बात करें तो वहां तो मेरा कोई वुजूद ही नहीं है ....मेरे देश मेरे भारत महान में सवा करोड़ लोग हैं और यकीन मानिये तीस करोड़ भी मुझे ठीक से बोलने और लिखने का दावा नहीं कर सकते हैं मेरा इस्तेमाल अगर केवल तीस करोड़ लोग करते हैं तो फिर में केसी राष्ट्रिय भाषा मेने देखा अल्पसंख्यक कल्याण के नाम पर देश में कथित योजनायें बनाकर अल्पसंख्यकों का जेसे शोषण हो रहा है धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का देश में जेसे ढिंढोरा पीट कर मनमानी की जा रही है गरीबी उन्मूलन का नारा देकर गरीबों पर जो अत्याचार क्या जा रहा है बस उसी तरह से देश में मेरे नाम पर राजनीति की जा रही है .अफ़सोस तो मुझे इस बात पर है के संसद में ५४४ सांसद और २७२ राज्यसभा सदस्यों में से गिनती के लोग हैं जो मुझे समझते हैं .सांसद में भाषण होता है तो अंग्रेजी में मशीने कन्वर्टर लगी हैं आम आदमी से हिंदी इस्तेमाल की बात की जाती है विधान में सातवीं अनुसूची की भाषा बना कर मेरा उपयोग आवश्यक किया जाता है लेकिन सांसद में न तो मेरी भाषा में शपथ ली जाती है और ना ही लिखा पढ़ी बात चीत की जाती है ..जितने भी लोग मेरे प्रचारक हैं सभी के बच्चे पैदा होते ही विदेशी भाषा अंग्रेजी के स्कूलों में पढने जाते हैं मेरी भाषा में चल रहे स्कुल बंद हों इसके लियें देश के सभी कोर्स की किताबें मेरी भाषा में छपवाना बंद कर दी गयीं है चाहे डॉक्टरी हो चाहे इंजीनियरिंग चाहे वैज्ञानिक हो चाहे कानून की पढाई..चाहे प्रबंधन की पढाई हो सभी तो विदेशी भाषा अंग्रेजी और अंग्रेजी में है फिर मुझे कोन और क्यूँ पसंद करेगा जब मुझे सांसद में बोलने के लियें पाबन्द नहीं किया जाता ..जब मुझे अदालतों में बोलने और लिखने के लियें पाबन्द नहीं किया जाता जब मुझे आधे से भी कम राज्यों और जिलों में बोला जाता है जब मेरे वित्तमंत्री ..कानून मंत्री ..मेरे देश को चलाने वाली सोनिया गाँधी मुझे नहीं समझती मुझे नहीं जानतीं मेरे देश के कोंग्रेस भाजपा या दुसरे कोई भी दल हो उनकी कार्यालय भाषा विदेशी अंग्रेजी है तो भाइयो क्यूँ मुझे हर साल यह दिवस बनाकर अपमानित करते हो या यूँ कहिये के कियूं मेरी हिंदी की और हिंदी करते हो ......अगर तुम्हे मुझसे प्यार हिया ....मुझे तुम इमानदारी से देश में लागू करना चाहते हो तो सबसे पहले देश में एक कानून हो जिसमें किसी भी चुनाव लड़ने वाले के लियें हिंदी जानना आवश्यक रखा जाए सभी प्रकार के चुनाव चाहे वोह लोकसभा हों .चाहे राज्यसभा ..चाहे विधानसभा चाहे पंच सरपंच चाहे पालिका चाहे कोलेज स्कूलों के चुनाव हों सभी के आवेदन पत्र हिंदी में हों और प्रत्याक्षी के द्वारा स्वयंम भरकर देना आवश्यक किया जाए सांसद और राज्यसभा .विधानसभाओं की भाषा केवल हिंदी हो और सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों की भाषा हिंदी की हो ....देश में केंद्र और राज्य सरकार से सम्बंधित विभागों में हिंदी का ही चलन हो और सभी कर्मचारियों अधिकारीयों के लियें पाबंदी हो के वोह हिंदी के जानकर होंगे सभी प्रतियोगी परीक्षाएं हिंदी भाषा में ही ली जाएँ तब कहीं में थोड़ी बहुत जी सकूंगी वरना मुझे सिसका सिसका कर राजनीती का शिकार न बनाओ यारों ॥ मेरे देश के नोजवानों .मेरे देश के नेताओं ..मेरे देश के अन्ना ..मेरे देश के अन्ना समर्थकों ...मेरे देश के कथित राष्ट्रवादी लोगों .पार्टियों क्या तुम ऐसा कर सकोगे नहीं ना इसिलियिएन में कहती हूँ के मुझे बख्शो मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो मेरे नाम पर हर साल करोड़ों रूपये बर्बाद कर गरीबों का गला मत काटो .......या तो मुझे इमादारी से लागू करो वरना दोहरा चरित्र निभाने वालों तुम चुल्लू भर पानी में ड़ूब मरो ....जय हिंदी .......जय भारत .......हम हिंदी है हिंदुस्तान हमारा क्योंकि सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा और सारे जहां से चोर बेईमान दगाबाज़ नेता हमारा .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तिरंगे की छाप

दोस्तों स्वतंत्रता दिवस के आसपास सोशल मिडिया पर खुद का फोटु हटाकर तिरंगे की छाप लगाकर खुद को राष्ट्रभक्त साबित करने वालों की टीम ना जाने कहाँ गुम हो गयी है ,,,प्रोफाइल पर ना तिरंगे है ना ही राष्ट्र के लिए के लिए उनकी ज़रूरत के वक़्त वोह राष्ट्र के लिए उपयोगी साबित नज़र आ रहे है ,,इसीलिए तो कहते है देशभक्ति प्रदर्शित करने से देशभक्ति नहीं होती यह तो सिर्फ दिल से और अपने आचरण से साबित होती है ,,,अब देख लो ना नाथूराम गोडसे और उसके समर्थक खुद को राष्ट्रभक् साबित करने में लगे है ,,लेकिन यह पब्लिक है सब जानती है ,,,इसीलिए दिल से कहो हम हिन्दुस्तानी एक है ,, ना हिन्दू है ,,ना मुस्लिम है न कोंग्रेसी है न भाजपाई सिर्फ और सिर्फ हम हिन्दुस्तानी है हमारे लिए पार्टी ,,जाती ,,धर्म ,,से पहले हिन्दुस्तान है बस यही हमे सोचना है और यही करना भी है ,,,,अख्तर

आपके लिए

आप का हुकम
कुछ आपके लिए
लिखा जाए
हमारी मजबूरी
पहले आप क्या है
हमे आपके बारे में तो
समझाया जाए
ना चेहरा छुपे आपका
ना पहचान ग़ुम हो आपकी
चाँद से आप चमके
खिले गुलाब से
आप रोज़ खिलखिलाए ,,,,अख्तर

अमेरिकन रिसर्च

अभी एक अख़बार में अमेरिकन रिसर्च थी ,,जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज़ादी के आंदोलन में साक्षरता की अलख जगा कर लोगों में आज़ादी की लड़ाई का जज़्बा पैदा करने वाले मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ के संस्थापक सर सय्यद अहमद खान की आत्मा यानी उनका पुनर्जन्म बताया गया ,,,इस्लामिक नज़रिये तो बात जमी नहीं लेकिन ,,मुस्लिम भटके हुए लड़के जो इधर उधर मुंह मार कर प्यार व्यार के चक्कर में अपना और परिवार का ,,देश का समाज का वक़्त बर्बाद कर रहे है उन्हें सुधारने के लिए इनके कार्यकाल में लव जेहाद का जो नारा चला उससे लगता है के भटके हुए मुस्लिम बच्चो को इधर उधर मुंह मारने से रोककर अपना भविष्य बनाने के लिए आंदोलन की कवायद शुरू हो गयी है ,,,,जबकि हाल ही में उषा ठाकुर द्वारा गरबा नृत्य में मुस्लिमों के आने की पाबंदी के मामले में इस्लामिक क़ानून के तहत बयान दिया है ,,,सभी जानते है इस्लाम में नाच गण गुनाह है ,,,इसकी माफ़ी नहीं ऐसे में उषा ठाकुर साहिबा मुस्लिमों को ऐसा अपराध कैसे करने दे सकती है ,,,देखो खुदा का भेद खुदा ही जाने ,,मुसलमान नोजवानो की यह पीढ़ी जब अपने माता ,पिता ,,परिजन ,,,मुफ़्ती ,,,मोलवी ,,मौलाना की नहीं सुन रहे है तो खुदा ने उन्हें बिगड़ने से बचाने के लिए इस तरह का रास्ता निकाला है ,,,,,अख्तर

एक मार्मिक कथा

एक मार्मिक कथा जिसकी सीख लव जेहादियों को बर्बादी से बचा सकती है ,,,,,,,,,,
एक चिड़िया और चिड़ा की प्रेम कहानी
एक दिन चिड़िया बोली - मुझे छोड़ कर
कभी उड़ तो नहीं जाओगे ?
चिड़ा ने कहा - उड़ जाऊं तो तुम पकड़ लेना.
चिड़िया-मैं तुम्हें पकड़ तो सकती हूँ,
पर फिर पा तो नहीं सकती!
यह सुन चिड़े की आँखों में आंसू आ गए और उसने
अपने
पंख तोड़ दिए और बोला अब हम हमेशा साथ
रहेंगे,
लेकिन एक दिन जोर से तूफान आया,
चिड़िया उड़ने
लगी तभी चिड़ा बोला तुम उड़
जाओ मैं नहीं उड़ सकता !!
चिड़िया- अच्छा अपना ख्याल रखना,
कहकर
उड़ गई !
जब तूफान थमा और चिड़िया वापस आई
तो उसने देखा की चिड़ा मर चुका था
और एक डाली पर लिखा था.....
""काश वो एक बार तो कहती कि मैं तुम्हें
नहीं छोड़ सकती""
तो शायद मैं तूफ़ान आने से पहले
नहीं मरता

गृह मंत्री राजनाथ सिंह

भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह जो पुरे देश की आंतरिक सेना के ज़िम्मेदार मंत्री है ,,,,,उनके मंत्री बनते ही कोई उन्हें नीचा दिखाने के लिए पीछे पढ़ गया ,,पहल प्रधानमंत्री साहिब ने रोक लगाई के फ्ला व्यक्ति इनका अधिकारी नहीं बनेगा ,,फिर नोट आया के कोई भी निर्णय प्रधानमंत्री कार्यालय की स्वीकृति के बिना नहीं होगा ,,फिर वायदे के मुताबिक़ जब काशी से राजनाथ सिंह के पुत्र के लिए टिकिट की मांग की तो रिश्वत खोरी के आरोप लगाकर खबरे बनाई गयी ,,आब देख लो पैरों के जूतो के फीते देश की आंतरिक सुरक्षा करने वाले जवानो से बंधवाने की खबरें प्रचारित की जा रही है ,,,,है ना कोई घर का भेदी जो लंका ढहाना चाहता है ,,लेकिन कोन है वोह ,,राजनाथ सिंह जानते तो है बस बताने की हिम्मत नहीं है ,,अब वोह भी सांसद बन जाएंगे ,,,,,

खुद ही

खुद ही तय करते हैं मंज़िलें,
रास्ता भी खुद बनाते हैं
जीते हैं अपनी शर्त पर,
अपनी दुनिया भी खुद बनाते हैं
इन्हें इश्क़ है वतन से,
मरने का कोई ग़म नहीं,
ये जांबाज़ फरिश्ते हैं,
जो हर जोखिम को खुद उठाते हैं

कि खुश हूँ

जब भी चाहता हूँ कि खुश हूँ
ऐसे कुछ लिखूँ l
चुपचाप ये आँसू
गिर कर के भिगा देते हैं ll
उन कागज़ के टुकड़ों को
जो सहेज के रखता हूँ l
पहले के सियाही के
ब्रिजेश पानी मिला देते हैं ll

इसीलिए तो

सरकार हर मोर्चे पर
फेल हो रही है शायद
इसीलिए तो
भूख
गरीबी
भ्रष्टाचार
कालाधन
कालाबाज़ारी
मिलावट खोरी
सभी मुद्दों को छोड़ कर
लव जेहाद
हिंदू ,,मुस्लिम विवाद
गरबा जैसे मुद्दों को लेकर
मेरे देश के सवा अरब लोगों को
बहका कर ,,भटका कर
इन मुद्दों को सोचने से अलग कर
आपस में लड़ाया जा रहा है ,,,,,,,,,,अख्तर

में हर्फ़ घोल दूं ,

"मेरे जज़्वात इस काबिल भी नहीं थे
कि स्याही में हर्फ़ घोल दूं ,
अंदाज़ नया था, आवाज़ तो पुरानी थी
यह फुसफुसा कर कौन कहता है ?
कि जज़्वात जोख़िम हैं
और हालात पोशीदा से
बीच में जो दहलीज पड़ती है
कभी लांघो तो चली आना
मुद्दतों से बैठा हूँ तेरे इंतज़ार में
फासलों के बीच फ़ैली फिजाओं में
उम्र बिखरी है
बची हो जिन्दगी आधी अधूरी सी
तो ले आना
मैं मरने के पहले जी तो लूँ ."------ राजीव चतुर्वेदी

यूँ ही चलते चलते

पिछले दिनों यूँ ही चलते चलते किसी ने कुछ लिख कर सर कहकर सम्बोधित किया ,,बात सहज थी ,,लेकिन पहचाना छुपी होने से में भी सवाल किया यह सर क्या होता है ,,मुझे जवाब मिला ,,इज़्ज़त ,,,सही जवाब था ,,,श्रीमान ,,इज़्ज़तमाब ,,,आदरणीय ,,सम्मानीय ,,लगभग सर के सम्बोधन के पर्यायवाची से ही है ,,इस हंसी मज़ाक में मेरे दिमाग में एक शोध का सवाल गूंजा ,,में सोचने लगा आखिर अंग्रेज़ो ने सर को इतना बढ़ा दर्जा ,,इतनी बढ़ी अहमियत क्यों दी है ,,,कई रिसर्च पेपर ,,,,किताबे ,,टीचर ,,प्रोफेसर और बेचारा हर सवाल का जवाब देने का दावा करने वाला गूगल में इस का जवाब नहीं दे सके ,,,में खुद सोचने लगा ,,हो सकता है सर जो शरीर के ऊपर का हिस्सा होता है ,,इसमें दिमाग होता है शायद इसलिए अदब से सर के मानिंद इज़्ज़त से किसी को सर कहा जाता हो ,,फिर सोचा के शरीर में तो आँख ,,हाथ ,,दिल ,,जिगर ,,पाँव ,,ज़ुबान ,दांत शरीर का हर आजा ज़रूरी और इज़्ज़त के लायक है फिर सर क्यों कहा जाए ,,अब में इन सर कहने वाले भोले भाले मासूम से दोस्त से कहता हूँ के सर नहीं जिगर कहा जाए क्योंकि जिगर ही भूख लगाता है ,,जिगर ही भूख बढ़ाता है ,,,खाना हज़म करवाता है ,,,खून बनाता है वरना बदन पीला पढ़ जाता है ,,इसलिए अब सर नहीं जिगर कहा जाए ,,,,,,,,,,,,,

हिंदू, कौन मुस्लिम बताना मुश्किल है

हिंदू, कौन मुस्लिम बताना मुश्किल है

अखबार में खबर छप गई है। अब वहाँ कुछ हिन्दू प्रचारक पहुँचेंगे और कुछ इस्लामी प्रचारक और गाँव को फिर से पढ़ाना शुरू करेंगे कि हिन्दू मुसलमान क्या होता है? वर्ना सोहार्द्र देख कर उन के और उन के राजनैतिक आकाओँ के पेट में दर्द होता रहेगा।,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दिनेशराय द्विवेदी,

भारत में एक जगह ऐसी है जहां के लोगों को आप अगर लव जिहाद का मतलब समझाने की कोशिश भी करेंगे तो विफल हो जाएंगे। यह है आगरा का खेड़ा साधन। इस जगह का इतिहास ऐसा है कि लव जिहाद जैसे शब्दों के लिए जगह ही नहीं है। 1658 से 1707 के बीच जब मुल्क पर मुगल बादशाह औरंगजेब का राज था, तो गांव वालों को कहा गया कि या तो आप इस्लाम कबूल कर लें या फिर गांव खाली कर दें। उस वक्त सभी ने अपना धर्म बदल दिया। आजादी के बाद कुछ लोगों ने यहां के लोगों को वापस हिंदू बनाने की कोशिश की। कुछ हिंदू हुए, कुछ मुसलमान ही रह गए। लेकिन इसके बाद इन लोगों के लिए धर्म के मायने ही खत्म हो गए।

आगरा से 50 किलोमीटर दूर इस गांव की आबादी है करीब 10 हजार। यहां के विक्रम सिंह ठाकुर कहते हैं, 'धर्म क्यों जरूरी होना चाहिए? इसीलिए मुझे लव जिहाद जैसी बकवास समझ में नहीं आती। मेरी मां खुशनुमा एक मुसलमान हैं। मेरे पिता कमलेश सिंह एक ठाकुर हैं। मेरी बहन सीत की शादी इंजमाम से हुई है और मेरी पत्नी शबाना ने कुछ दिन पहले एक बेटे को जन्म दिया है जिसका नाम है संतोष।'खेड़ा साधन में एक परिवार में अगर चार भाई हैं तो उनमें से दो हिंदू हैं और दो मुसलमान। पति अगर हिंदू तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसकी पत्नी मुसलमान है या उसके बच्चों के नाम हिंदू परंपरा से रखे गए हैं या इस्लामिक। यहां मुसलमान मंदिरों में जाते हैं और हिंदू दरगाहों पर। ईद और दीवाली पर आप किसी घर को देखकर नहीं बता सकते कि कहां कौन से धर्म के लोग रहते हैं।

55 साल के शौकत अली बताते हैं कि हाल ही में उन्होंने अपने सबसे छोटे बेटे राजू सिंह की शादी सुनील ठाकुर और रेशमा की बेटी लाजो से तय की है। इस शादी में शौकत के भाई रिजवान और किशन दोनों आएंगे। निकाह एक मंदिर में होगा।

गीता और कुरान एक साथ रखे सलीम ठाकुर कहते हैं कि जब हम सांप्रदायकि दंगों की बात सुनते हैं तो बहुत हैरत होती है। वह बताते हैं, 'जब से मैंने होश संभाला है, मेरे पड़ोसी लव कुश सिंह को मैंने ईद पर नमाज पढ़ते देखा है। और गांव के बाकी लोगों की तरह वह होली और दीवाली भी खूब धूमधाम से मनाता है।'
यहां इस्लाम की सिर्फ तीन मान्यताएं हैं, खतना, हलाल मीट और अंतिम संस्कार। बाकी किसी लिहाज से मुसलमान हिंदू से जुदा नहीं हैं।

इस तरह

डॉ किरण मिश्रा

मैं तुम्हें सोचती हूँ
क्या तुम मुझे सोचते हो
तुम सोचो मुझे और मैं तुम्हे
सोचते -सोचते
हमारे दरिमायन
दुनिया आएगी
और वो दुनिया भी
हमारी हो जाएगी
इस तरह
जिंदगी कट जाएगी
तुम्हारे झरते -गिरते पल मेरे होंगे
मेरे हर सपने तुम्हारे होंगे
मिलेंगे फिर हम और एक सपना रचेंगे
तो आओ
देखे खूबसूरत सुबह को
देखे अंगड़ाई लेती जिंदगी को
मैं तुम्हें सोचती हूँ
सोचो तुम मुझे भी ....

++kiran++

बड़े ताज्जुब से

वो बड़े ताज्जुब से पूछ बैठी
मेरे गम की वजह..
फिर हल्का सा मुस्कराई, और बोली,
मौहब्बत की थी ना... ??

ऐ हिंदी ,,

ऐ हिंदी ,,,,अब खुश हो जाओ ,,नरेदंर मोदी जी प्रधानमंत्री है ,,तुम्हारे अच्छे दिन आ गए है ,,,,अंग्रेजी स्कूल बंद करने के हुक्म आने वाला है बस हिंदी ही हिंदी चलेगी ,,बधाई हो ,,अच्छे दिन का इन्तिज़ार तो करना होगा कितने दिन पता नहीं शायद पैसठ साल कमसे कम ,,या फिर जल्दी ही ,,,

ये शर्त है

तुझे भुलाने का
वादा तो कर लिया
हम ने
मगर ये शर्त है
तू भी भुला के देख हमें

क़ुरआन का सन्देश

 
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