ग्राफिक: राहुल गांधी या उनकी नेतृत्व क्षमता के बारे में कांग्रेसी नेताओं के बयान।
नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव में 44 सीटों पर सिमटने के बाद
कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। आजाद भारत में कांग्रेस के इतिहास
में शायद यह पहला मौका है जब पार्टी के नेता गांधी परिवार की नेतृत्व
क्षमता पर सीधे-सीधे हमला बोल रहे हैं। यही नहीं, वे विरोधी नेता (मोदी) और
उनकी पार्टी (बीजेपी) की भी जमकर तारीफ कर रहे हैं।
संकट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गुजरात, हरियाणा और
महाराष्ट्र में पार्टी को छोड़कर जा रहे नेताओं-कार्यकर्ताओं के सिलसिले के
बीच पार्टी के कई छोटे-बड़े नेता राहुल या सोनिया के नेतृत्व की आलोचना कर
रहे हैं या फिर मोदी या बीजेपी की तारीफ। कांग्रेस के लिए दिक्कत की बात
यह है कि पार्टी के ज्यादातर नेता राहुल गांधी में ही संगठन का भविष्य
देखते रहे हैं। लेकिन पार्टी के ही नेता लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से
उपाध्यक्ष पर उंगलियां उठा रहे हैं। दिग्विजय सिंह, शशि थरूर,
गुफरान-ए-आजम, भंवर लाल शर्मा, टीएच मुस्तफा जैसे नेता लोकसभा चुनाव से
लेकर अब तक राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाते रहे हैं। राहुल गांधी के
बेहद करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी दिग्विजय सिंह ने तो यहां तक
कह दिया था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक 63 साल के नेता (इशारा मोदी की
तरफ) ने देश के युवाओं को आकर्षित कर लिया लेकिन एक 44 साल का नेता (इशारा
राहुल गांधी की तरफ) ऐसा नहीं कर सका।
मामला सिर्फ राहुल तक सीमित रहता तो भी गनीमत थी। लेकिन पार्टी के ही
नेताओं की आलोचना से खुद कांग्रेस की सर्वोच्च नेता मानी जाने वाली सोनिया
गांधी भी नहीं बच पाईं। सोनिया गांधी के भी नेतृत्व क्षमता पर कांग्रेसी
सवाल उठा रहे हैं। पंजाब से आने वाले नेता जगमीत सिंह बराड़ तो राहुल के
साथ-साथ सोनिया को भी छुट्टी पर चले जाने की नसीहत दे चुके हैं। कांग्रेस
के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा ने सोनिया का नाम न लेते हुए इसी साल मई में
कहा था कि हार के लिए सिर्फ राहुल गांधी को ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता
है, बल्कि यह चुनाव एक शख्स के लिए नहीं बल्कि उसके आस-पास के कई लोगों के
बारे में था।