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17 सितंबर 2014

इस करारी हार के कारणों पर गहन चिंतन करना होगा

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया मेडम को ,,सत्ता पक्ष में रहते हुए भी एक एन्टी कांग्रेस लहर से भारी बहुमत से चुनाव जीतने के बाद ,,कुछ दिनों में ही इस करारी हार के कारणों पर गहन चिंतन करना होगा ,,वरना इनके दुश्मनो के मनसूबे कामयाब होंगे और हो सकता है मेडम वसुंधरा को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ भी धोना पढ़े ,,,,बात कड़वी है लेकिन सच्ची है ,,पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत को भी हमने वक़्त ब वक़्त सावचेत किया था लेकिन ,,चमचों द्वारा तय्यार मृगमरीचिका में घिरे रहने के कारण उन्हें कुछ नज़र नहीं आया और आखिर उन्हें उनका गुरुर तोड़ कर जनता ने ज़मीन की धूल चटा दी ,,,,सभी जानते है के मेडम वसुंधरा जो भी अपने दम पर है वोह किसी की कृपा पर नहीं है बस यही उनकी अपनी पार्टी के लोगों को अखरती है ,,मेडम वसुंधरा एक सार्वजनिक विज़न लेकर चलती है और निजी विज़न रखें वालों को बस यही बात अखरती है ,,,,,राजस्थान ने पच्चीस में  पच्चीस सीटें लोकसभा में दी और जब राजस्थान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान देने की जगह नरेंद्र मोदी ने अंगूठा दिखाया  तब वसुंधरा ने तो राजस्थान का क़र्ज़ चुकाया लेकिन वोह  नरेंद्र मोदी और चमचो के टारगेट पर आ गयी ,,तब से ही एक वर्ग इनकी पार्टी में इनके साथ आंतरिक घात करने में लगा है ,,,कई अधिकारी इन घात लगाने वालों के चमचे होने से मेडम के शासन को कुशासन के रूप में बदनाम करने की साज़िशों में लगे है ,,,,,,मंत्रिमंडल विस्तार में मारा मारी ,,महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तिया नहीं ,,,,,कर्मचारियों के खिलाफ खासकर मास्टरों के खिलाफ उन्हें अपमानित करने की बयानबाज़ी ,,,स्कूल एकीकरण ,,,,जनसुनवाई में मिली शिकायतों का निस्तारण नहीं ,,यह सब छोटी छोटी बाते वसुंधरा मेम के खिलाफ एक कुप्बन्ध और उनके फेलियोर होने को लेकर प्रचारित की जा रही है ,,,यह चार विधानसभा सीटों के उपचुनाव एक कसोटी है ,,,,,एक अलार्म है मेडम वसुंधरा को मदमस्त नींद से जगाने का ,,,,अपने ,परायों का भेद करने का ,,अभी से वसुंधरा मेम के अपने लोग उनके खिलाफ बगावत करने लगे है ,,सड़को चौराहो पर बैठकर कहते फिर रहे है के कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होगी तो सबक तो मिलना ही है ,,,शासन के लिए और पुरे  राजस्थान के लिए अच्छी बात नहीं है ,,,सभी को पता है के भाजपा में एक बढ़ा वर्ग केंद्र के एक नेता के इशारे पर राजस्थान में चारो सीटें वसुंधरा सरकार हारे इस मिशन  पर लगे हुए थे ,,,वसुंधरा मेम को  कुछ अधिकारीयों ने सावचेत भी किया खुद सी आई डी की इक्का दुक्का रिपोर्ट में इस सच्चाई को बताई गई लेकिन  वसुंधरा मेमे के आस पास घिरे लोगों ने इसे डेमेज कंट्रोल करने की जगह आल इस वेळ का नारा देकर वसुंधरा को मिसगाइड किया ,,गुमराह किया ,,,यह एक योजना थी  अगर वसुंधरा चारो सीटें सीटें हार जाती है  तो फिर वसुंधरा को राजस्थान में बदलने की मांग उठाएंगे ,,वोह तो मेडम की क़िस्मत अच्छी थी जो लव जेहादियों और अमित शाह का फार्मूला उनका चुनाव प्रबंधन उत्तर प्रदेश और गुजरात में फेलियोर साबित हुआ और वोह अभी मेडम के खिलाफ बोलने की जगह खुद के बचाव  में लगे है ,,खुद सदमे में है ,,,अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है वसुंधरा मेम ,,अपने परायों में फ़र्क़ करना होगा ,,पार्टी में ही घुन की तरह से लगे लोग जो आपके खिलाफ है उन्हें समझना होगा ,,,,,मुखबीर अधिकारी जो मातहत आप के है और काम आपके खिलाफ दुश्मनो के पक्ष में कर  रहे है उन्हें समझना होगा ,,जनता से दूर रहने की जगह सीधे जनता से संवाद करना होगा ,,,पोर्टल वगेरा छोड़िये पत्र से शिकायत मंगाइए ,,खुद मॉनिटरिंग कीजिये अधिकारी तो बस निर्मम होते है उन्हें ना तो जनता का दर्द पता ना ही सरकार की साख गिरने से उन्हें कोई लेना देना इसलिए जनता का आदमी आपका विश्वसनीय व्यक्ति वहां बिठा कर इन शिकायतों का निस्तारण करने के लिए बिठाए ,,वरना तो पांच साल का शासन तो निकल जाएगा लेकिन फिर लोग आपके अस्तित्व को ढूंढते रह जाएंगे ,,,,,,,,,,,अपनों को ताक़त दीजिये ,,जो आपके अपने है वोह अगर निष्पक्ष ,,निर्भीक और ईमानदार होकर ताक़त से काम करेंगे तो कुशासन के  कुप्रचार के स्थान पर सुशासन का सुप्रचार शुरू होगा ,,भाभा शाह योजना बंद कीजिये ,,पेंशन ,,दवा ,,,निशुल्क ,,जाँचे शुरु करवाइये ,,,जिला स्तर पर शिकायतों की मॉनिटरिंग करवाइये फीडबैक के  लिए सरकारी अधिकारीयों पर निर्भर ना होकर जिलेवार अपनी निजी फीडबैक टीम तैयार करना होगी ,,,सभी जानते है के आप को सिर्फ जनता का डर है किसी हाईकमान का नहीं ,,,,आप खुद अपने बलबूते पर है किसी की  कृपा दृष्टि पर नहीं शायद इसीलिए आपकी पार्टी के लोग पार्टी के धर्म और मर्यादा के खिलाफ आपको हराने के लिए असफल घोषित करवाने के लिए काम कर रहे है ,,इनसे बचना और सावचेत रहना ज़रूरी है ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

प. बंगाल में 63% मुस्लिम आबादी वाली सीट जीती, पर वडोदरा में घटे भाजपा के वोट


 
नई दिल्‍ली: देश की 33 विधानसभा सीटों और 3 लोकसभा सीटों के नतीजे मंगलवार को आ गए। लोकसभा चुनावों में चमत्‍कारी प्रदर्शन के बाद केंद्र की सत्‍ता में आई बीजेपी को इसमें तगड़ा झटका लगा। जिस यूपी में उसने अपने सहयोगी गठबंधन के साथ 80 में से 73 सीटें हासिल की थीं, वहां उपचुनाव की 11 में से महज 3 सीटें मिलीं। खास बात यह कि ये सभी 11 सीटें पहले बीजेपी के पास ही थीं। राजस्‍थान और गुजरात में भी यही हाल रहा, जहां कांग्रेस ने उसके दबदबे को चुनौती देते हुए उसकी कुछ सीटें अपने खाते में कर लीं। हालांकि, पश्‍चि‍म बंगाल और असम से बीजेपी को अच्‍छी खबर मिली, जहां उसका खाता खुल गया। आइए, जानें उप चुनाव नतीजों की 7 खास बातें 
 
पीएम नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी में आने वाले रोहनिया विधानसभा सीट पर बीजेपी को शिकस्‍त का सामना करना पड़ा। यहां बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल के कृष्‍ण पटेल को सपा के महेंद्र पटेल ने 14 हजार वोटों से हराया। 
 
पश्‍च‍िम बंगाल की 2 सीटों पर हुए उपचुनाव में एक बीजेपी को मिली। बसीरहाट सीट पर मिली इस जीत के साथ बीजेपी ने पश्‍च‍िम बंगाल विधानसभा में 15 साल बाद एंट्री की। आख‍िरी बार 1999 में बादल भट्टाचार्य ने बीजेपी-तृणमूल प्रत्‍याशी के तौर पर अशोकनगर सीट से चुनाव जीता था। 
 
पश्‍च‍िम बंगाल की जिस बसीरहाट सीट पर बीजेपी को जीत मिली है, बांग्‍लादेश सीमा से सटे इस क्षेत्र में 63 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। जानकार मानते हैं कि शारदा घोटाले में राज्‍य सरकार की खराब हुई छवि और पशु तस्‍करी को लेकर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण बीजेपी की जीत का कारण रहा। 
 
4 यूपी में बीजेपी के ध्रुवीकरण का फॉर्म्‍युला उप चुनाव में नहीं चला। मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा सीट, जिस इलाके में कुछ दिन पहले धर्मस्‍थल पर लाऊडस्‍पीकर लगाने को लेकर सांप्रदायिक विवाद हुआ था, बीजेपी चुनाव हार गई। यहां सपा प्रत्‍याशी करीब 1 लाख 20 वोट से जीता। 
 
 5 यूपी की सहारनपुर सीट, जहां हाल ही में सांप्रदायिक दंगे हुए, उप चुनाव में भले ही यहां बीजेपी को जीत मिली, लेकिन समाजवादी पार्टी का वोट शेयर यहां बढ़ गया। 2012 चुनाव में यहां सपा प्रत्‍याशी चौथे नंबर पर था, लेकिन इस बार सपा कैंडिडेट दूसरे नंबर पर आ गया। बीजेपी प्रत्‍याशी महज 26 हजार वोट से जीता। 
 
गुजरात की वडोदरा लोकसभा सीट पीएम मोदी द्वारा छोड़ने जाने के बाद खाली हो गई थी। यहां हुए उप चुनाव में बीजेपी प्रत्‍याशी को  3.29 लाख से अधिक वोट से जीत मिली। हालांकि, यह मोदी की जीत के मुकाबले फीकी है, क्‍योंकि मोदी इस सीट पर 5 लाख 70 हजार वोटों से जीते थे। यानी इस सीट पर बीजेपी का वोट शेयर कम हुआ। 
 
7 राजस्‍थान में उप चुनाव के नतीजे भी बीजेपी के लिए चौंकाने वाले रहे। यहां राज्‍य की सत्‍ता में पार्टी के होने के बावजूद बीजेपी ने तीन सीटें गंवा दी। खास बात यह कि नसीराबाद सीट पर बीजेपी को महज 386 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इस विधानसभा सीट पर सीएम वसुंधरा राजे ने 2 बार रैली की थी। 
 
8 सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव द्वारा मैनपुरी सीट खाली करने के बाद वहां से उनके 27 वर्षीय पोते तेज प्रताप सिंह यादव बतौर सपा प्रत्‍याशी खड़े हुए और जीते।  इस तरह से तेज प्रताप मुलायम के परिवार की तीसरी पीढ़ी के पहले और परिवार के सातवें सदस्‍य बने गए हैं, जो संसद पहुंचे हैं। इसके अलावा, ऐसा पहली बार हुआ है जब एक परिवार की तीन पीढ़ी के पांच सदस्‍य एक ही लोकसभा में सदस्‍य चुने गए। ये हैं- दादा मुलायम सिंह यादव, उनके दो भतीजे अक्षय और धर्मेंद्र, बहू डिंपल और पोते तेज प्रताप।  
 
9 यूपी के जिन 11 सीटों पर उपचुनाव हुए, वहां बीजेपी का वोट शेयर  38.4 पर्सेंट है, जो पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले  3.8 पर्सेंट ज्‍यादा है। हालांकि, अगर इन आंकड़ों की तुलना लोकसभा चुनावों से करें तो कुछ और तस्‍वीर बनती है। 4 महीने पहले आम चुनाव के मुकाबले इन 11 सीटों पर हुए उपचुनाव में पार्टी के वोट शेयर में 10.7 प्रतिशत की कमी आई है।  
 
10 यूपी के जिन 11 सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें समाजवादी पार्टी के वोट शेयर में पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 28.2 पर्सेंट का इजाफा हुआ है। वहीं, इस साल हुए लोकसभा चुनावों के मुकाबले उसके वोट शेयर में  26.3 पर्सेंट की बढ़ोत्‍तरी हुई है। 
 
11 यूपी के जिन सीटों पर उपचुनाव हुए, वहां मायावती की पार्टी बीएसपी का लोकसभा चुनाव में वोट शेयर 14.5 पर्सेंट और 2012 विधानसभा चुनावों में  20.2 पर्सेंट था। बीएसपी ने इस बार प्रत्‍याशी खड़े नहीं किए। वहीं, कांग्रेस के उप चुनाव में वोट शेयर की बात करें तो उसमें बीते लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2.2 पर्सेंट, जबकि 2012 विधानसभा चुनाव के मुकाबले 7.2 पर्सेंट की कमी आई है। 
 
12 राजस्‍थान उपचुनाव ने पिछले 62 साल के राजनीतिक ट्रेंड को बदल दिया है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के एक या दो साल बाद जितने भी उप चुनाव हुए हैं उनमें सत्तारूढ़ पार्टी को ही फायदा मिलता रहा है, लेकिन इस बार परिणाम इसके उलट आए हैं। 1952 में पहली विधानसभा की 14 सीटों के उप चुनाव हुए जिनमें 12 सीटें सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस की झोली में गई। प्रदेश में 1951 से लेकर 1972 तक एक ही पार्टी की सरकार रही। इस दौरान जितने भी उप चुनाव हुए उनमें कांग्रेस को ही फायदा मिला। आपातकाल के बाद प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी ऐसे में 1978 में दो सीटों के लिए हुए उप चुनाव में ये दोनों सीटें जनता पार्टी के खाते में गई।
 
13 गुजरात में जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हए, वहां पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 51.3 पर्सेंट था। हाल के लाेकसभा चुनावों की बात करें तो इन सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर बढ़कर 61.5 पर्सेंट हो गया।  उपचुनाव नतीजों के बाद उसका वोट शेयर घटकर 51 पर्सेंट हो गया। यह 2012 के आंकड़े से भी कम है।
 
14 पश्‍च‍िम बंगाल और असम में 1-1 सीट मिलने की वजह से बीजेपी के लिए राहत की बात है। वोट शेयर की बात करें तो पश्चिम बंगाल की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 33 पर्सेंट है, जो 2011 के असेंबली चुनाव के मुकाबले 28.9 पर्सेंट ज्‍यादा है। इन दोनों सीटों पर वोट शेयर के मामले में बीजेपी दूसरे नंबर पर है। तृणमूल के लिए थोड़ी चिंता की बात है। 2011 के मुकाबले उसके वोट वेयर में 7.7 पर्सेंट की कमी आई है। 
 
15 असम में बीजेपी का वोट शेयर 34.4 पर्सेंट है, जो कांग्रेस या एयूडीएफ के मुकाबले ज्‍यादा है। जिन तीन सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें उसके वोट शेयर में 2011 के मुकाबले 13.3 पर्सेंट की बढ़ोत्‍तरी हुई है। हालांकि, यह हालिया लोकसभा चुनाव के वोट शेयर के मुकाबले 4.5 पर्सेंट कम है। 

राष्ट्रिय क्या है?

भाजपा (मातृ संगठन) आरएसएस में राष्ट्रिय क्या है?

●संघ का गणवेश नेकर और शर्ट अभारतीय है ।
●ध्वज प्रणाम का तरीका अभारतीय है ।
●विचारधारा पूरी की पूरी हिटलर से उधार ली है ।
●देश की आज़ादी की लड़ाई में संघ का कोई इतिहास नहीं ।
●संघ पर अंग्रेजों ने कभी प्रतिबन्ध नहीं लगाया लेकिन आज़ाद भारत में दो बार प्रतिबंधित हुआ ।
●महात्मा गाँधी की हत्या का संघ पर आरोप ।
●महात्मा गाँधी की हत्या पर और हाल में अनन्थमुर्ति की हत्या पर मिठाई बंटाना और पठाके चलाना।
●द्विराष्ट्रवाद के सिद्धांत पर चलकर पाकिस्तान निर्माण का समर्थन करना ।
आप कह सकते हैं कि आरएसएस धर्मनिरपेक्ष भारत गणराज्य का विरोधी है ।
●भारत में जनतंत्र है लेकिन संघ में नहीं ।
●आरएसएस में चीफ का कोई चुनाव नहीं होता ।
● आरएसएस में डान सिस्टम है, जाने वाला चीफ आने वाले को नियुक्त करके जाता है ।
●आरएसएस में महिला मुख्य संस्था की सदस्य नहीं हो सकती ।
●आरएसएस में सदस्यता की न रसीद होती है , न रजिस्टर ।
●आरएसएस में किसी कमिटी का चुनाव नहीं होता ।
आप कह सकते हैं कि आरएसएस संस्था नहीं गिरोह है ।
●आरएसएस ने जातिवाद , दहेज़ उत्पीडन या अन्धविश्वास के विरुद्ध कोई मुहीम नहीं छेड़ी ।
●आरएसएस ने मज़दूरों किसानों का कोई आन्दोलन नहीं किया ।
●आरएसएस बस जनता के अलग अलग धर्मो के लोगों में घृणा फैलाता है ।
आरएसएस देश , जनता और जनतंत्र का दुश्मन है ।

खुदा की फिटमार ,

भाजपा के सांसदों और पदाधिकारियों का शाहनवाज़ हुसेन और मुख्तार अब्बास नक़वी से आंतरिक झगड़ा था ,,लेकिन इस झगड़े में इनकी पार्टी के लोगों ने इन्हे लव जेहाद के नाम पर खूब अपमानित क्या ,,ज़लील किया ,,बेइज़्ज़त किया ,,फिर भी यह ढीट की तरह इसी पार्टी के इन सांसदों के साथ रहकर खुश होते है जो इनके बीते पारिवारिक प्रेम चरित्र पर कीचड़ उछाल कर उस प्यार को बदनाम कर लव जिहाद का नाम देकर अपमानित करते है ,,इसे कहते है देसी भाषा में खुदा की फिटमार ,,,,,

मेरी ज़िंदगी

तुम्ही हो मेरी ज़िंदगी
तुम्ही हो मेरी वफ़ा
तुम्ही हो मेरी सांसे
तुम्ही हो मेरी मुरादे
फिर भी तुम क्यों
यूँ ही बेवजह
ख्व्फ खफा सी रहती हो ,,,,अख्तर

मुहब्बत

निगाहों में मुहब्बत की चमक अब ढूंढते रहना
किताबों मे गुलाबों की महक अब ढूंढते रहना
जगाती थीं कभी सोये हुए साजन को नींदो से
कलाई मे वो चूडी की खनक अब ढूंढते रहना -कविता'किरण'

राष्ट्रपति जिनपिंग पहुंचे दिल्ली, भारतीय सीमा में घुसे चीनी सैनिक

फोटो: साबरमती रिवरफ्रंट पर झूला झूलते नरेंद्र मोदी और जिनपिंग। 
 
अहमदाबाद/नई दिल्ली/लेह। चीन अपनी दोहरी चाल से बाज नहीं आ रहा है।  एक तरफ उसके राष्ट्रपति शी  जिनपिंग दोस्ती बढ़ाने के लिए बुधवार देर रात दिल्ली पहुंच गए। वहीं, दूसरी तरफ लद्दाख में  भारत-चीन सीमा पर हालात और खराब हो गए हैं। करीब 1 हजार चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गए हैं। दोनों देशों के बीच हुई फ्लैग मीटिंग देर रात बेनतीजा रही।  इससे पहले मंगलवार देर रात करीब 100 चीनी सैनिकों ने लद्दाख में घुसपैठ की थी। जवाब में भारत ने भी मौके पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है। चीन के करीब 200 सैनिक और कई नागरिक 10 दिनों से लद्दाख के डेमचाेक इलाके में डेरा डाले हुए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ चीनी सैनिक मंगलवार रात अपनी सीमा में लौट गए। लेकिन कुछ अंतराल में ही 100 और चीनी सैनिक चुमार की पहाड़ियों के रास्ते वहां पहुंच गए।  चीनी सेना और नागरिक भारतीय सीमा में बन रही नहर का विराेध कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच घुसपैठ को लेकर ब्रिगेडियर स्तर की फ्लैग मीटिंग भी हुई। लेकिन चीनी सैनिकों ने पीछे हटने से इनकार कर दिया।
 
पीएम मोदी के साथ चीनी राष्ट्रपति ने किया डिनर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट पर चीनी राष्‍ट्रपति के साथ डिनर किया। इसके बाद दोनों नेता दिल्ली पहुंचे। दिल्ली आने से पहले भारत और चीन के बीच गुजरात की धरती पर कई समझौते हुए। चीन के शहर ग्वांगजाओ और अहमदाबाद के बीच समझौता हुआ। इसके तहत अहमदाबाद का विकास ग्वांगजाओ की तर्ज पर किया जाएगा। चीन वडोदरा के पास इंडस्ट्रियल पार्क बनाने में मदद करेगा। इंडिगो एयरलाइंस और चीनी बैंक के बीच भी समझौता हुआ। इस समझौते के मुताबिक चीना बैंक इंडिगो को विमान खरीदने में मदद करेगा। 
 
 
इससे पहले मोदी ने गुजरात में जिनपिंग की जमकर खातिरदारी की। उन्‍होंने घूम-घूम कर उन्‍हें नजारे दिखाए और झूले पर भी बिठाया। वहां स्‍थानीय लोक कलाकारों द्वारा पेश नृत्‍य भी उन्‍हें दिखाया गया। मोदी चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के लिए 'गाइड' का रोल निभाते नजर आए। मोदी ने जिनपिंग को साबरमती आश्रम घुमाया और उन्‍हें आश्रम के संबंध में तमाम जानकारियां दीं। जिनपिंग खादी की जैकेट पहन कर आश्रम पहुंचे और मोदी ने सूत की माला पहना कर उनका स्‍वागत किया। बुधवार को अपना 64वां जन्‍मदिन मनाने वाले मोदी ने इससे पहले चीनी राष्‍ट्रपति को होटल हयात की लॉबी में लगी तस्‍वीरों के जरिए गुजरात में बौद्ध धर्म से जुड़ी विरासत के बारे में बताया था। उन्‍होंने बौद्ध धर्म से जुड़ी तस्‍वीरें दिखाते हुए जिनपिंग को बौद्ध संस्‍कृति के बारे में समझाया। इसके बाद मोदी और जिनपिंग ने आपस में बातचीत की। इसके बाद दोनों नेताओं की मौजूदगी में तीन समझौतों पर दस्‍तखत हुए। ये समझौते ग्‍वांगजाओ की तर्ज पर अहमदाबाद को विकसित करने, वडोदरा में इंडस्ट्रियल पार्क बनाने और गुजरात के विकास के लिए चीन के ग्‍ंवागडोंग प्रांत की मदद लेने से संबंधित हैं। 
 
जिनपिंग अपने तीन दिवसीय दौरे पर बुधवार को भारत पहुंचे। उनका विमान तयशुदा वक्‍त से 20 मिनट की देरी से अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। वह दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर पहुंचने वाले थे। उनका स्‍वागत करने के लिए राज्‍यपाल और गुजरात की मुख्‍यमंत्री मौजूद थे। चीनी राष्‍ट्रपति के साथ उनकी पत्‍नी भी मौजूद थीं। एयरपोर्ट पर उन्‍हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। पीएम नरेंद्र मोदी होटल में राष्‍ट्रपति का स्‍वागत करेंगे। उधर, दिल्‍ली में तिब्‍बती प्रदर्शनकारियों ने चीन के राष्‍ट्रपति के दौरे के विरोध में प्रदर्शन किया। 
 
कांग्रेस ने साधा निशाना 
चीनी राष्‍ट्रपति के दौरे को लेकर कांग्रेस ने सत्‍ताधारी बीजेपी पर निशाना साधा। कांग्रेस प्रवक्‍ता राजीव शुक्‍ला ने कहा, ''ऐसा नहीं चलेगा। एक तरफ वो हमारी जमीन पर कब्‍जा करें और दूसरी तरफ हम उन्‍हें ढोकला, फाफड़ा खिलाएं। '' बता दें कि कुछ महीनों पहले जब कांग्रेस के नेतृत्‍व वाली यूपीए सरकार थी तो बीजेपी ने भी कुछ ऐसा ही रुख अपनाया था। पाकिस्‍तान के पीएम के भारत दौरे पर बीजेपी ने कहा था कि एक तरफ हमारे जवानों की हत्‍या हो रही है और सरकार उनके पीएम को बिरयानी खिला रही है। 
 
धरना- प्रदर्शन जारी  
चीनी राष्‍ट्रपति के दौरे के विरोध में दिल्‍ली स्थित चीनी दूतावास के बाहर तिब्‍बती लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया। पुलिस को प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए लाठ‍ियां चलानी पड़ी। इसके अलावा, कई सारे लोगों को हिरासत में भी लिया। आजाद तिब्‍बत की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति के सामने मजबूती से अपना पक्ष रखें और चीन को तिब्बत से अपना कब्जा हटाने को कहें।

सरकार आपके द्वार दौरे से आम जनता खुश नहीं है

राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा सिंधिया के प्रस्तावित हाड़ोती संभाग में सरकार आपके द्वार दौरे से आम जनता खुश नहीं है बल्कि वोह त्योहारों के इस शोरशराबे में इसे बोझ समझ रहे है ,,,,,,,,,,,,खासकर सरकारी कर्मचारी चाहे किसी भी समाज के हो वोह दिल ही दिल दुआ कर रहे है के मुख्यमंत्री के इस दौरे को टाला जाए ताकि हिन्दू भाई दशहरा ,, दीपावली ,,मुस्लिम बक़रईद क़ुरबानी और हज के महीने को बिना किसी रुकावट के अपने परिवार के साथ मना सके ,,सभी जानते है के कई लोग इन त्योहारों को दूरदराज़ अपने रिश्तेदारों में जाकर एक साथ मनाते है और अगर मुख्यमंत्री का दौरा कोटा संभाग में रहा तो इन सभी कर्मचारियों की छुट्टियों पर पाबंदी होगी ,,त्यौहार मनाने ,,दीपावली का रंगरोगन ,,साफ़ सफाई करने का भी पूरा मौक़ा इन्हे नहीं मिल सकेगा ,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर

क़ुरआन का सन्देश

  
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