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20 सितंबर 2014

--- नौ सौ चूहे खाकर

एक बार क्लास में मुझे पढाया जा रहा था कि रिक्त स्थान भरो ।
(चाहेँ भरते-भरते दिमाग रिक्त हो जाये)
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नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली ....,..., ­ .चली ।
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अब क्लास मेँ सभी ने इसे पूर्ण किया
पर चूँकि अपन शुरु से ही होशियार
तो मैने भरा - नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली टेढी-मेढी चली।
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मास्टर साहब बोले तू पगला गया है क्या ?
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को जाती है ।
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मैने कहा - देखो मास्टर साहब पहली बात यह है कि
हम हिन्दू है तो बिल्ली को हज पर क्योँ भेजेँ ?
भाड मेँ जाये ऐसी धर्म-निरपेक्षता ।
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भेजना ही होगा तो हरिद्वार भेजेँगेँ, मथुरा भेजेंगे न.....
और वो तो आप का लिहाज करके इतना चला दिया बिल्ली को
वरना नौ सौ चूहे खाकर तो बिल्ली से हिला भी न जायेँ ।
ये बिल्ली है कोई नेता थोडे न है कि
जो कितना भी खाये,चलते ही जाये !

ज़मज़म में मुझे

नज़्म "" (योगराज प्रभाकर)
आब-ए-ज़मज़म में मुझे गंगा दिखाई दे,
काशी अगर देखे, तुझे का'बा दिखाई दे !
मस्जिद की अजाँ मुझको आरती दिखे,
मंदिर में तुझे तेरा अल्लाह दिखाई दे !
तुझ को भी शब-ए-कद्र दीपावली लगे,
मुझ को भी ईद, होली दशहरा दिखाई दे !
तुलसी के दोहे तुझको तेरी आयतें लगें
कुरआँ मजीद में मुझे गीता दिखाई दे !
मंदिर में बटने लगे सेवय्यिओं को भोग,
मस्जिद में भी पूजा का दिया दिखाई दे !

एक आदमी ने 6 शादियाँ कीं

एक आदमी ने 6 शादियाँ कीं
किन्तु
हर शादी के कुछ दिन बाद
उसकी बीवी की मौत हो जाती।
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अब
वो सातवीं शादी करना चाहता था,
मगर कोई भी उसे अपनी बेटी देने को तैयार नहीं था।
आखिरकार
उसे एक ऐसी बीवी मिली गयी
जिसकी भी 6 शादियाँ हो चुकी थी
और
हर बार उसका पति मर जाता था।
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लोग हैरान थे
यह सोच कर कि देखते हैं
अब क्या होता है ?
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दोनों की शादी हो गयी
और
अगले ही दिन
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पहले अपने प्रेम का नाम बताओ फिर बताउँगI ..

क़ुरआन का सन्देश

 
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