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22 सितंबर 2014

पत्तियों से बना बुर्का पहन लोगों के बीच पहुंचीं महिला, जमकर हुई पिटाई


> पेटा की बेनजीर सुरैया सोमवार सुबह साथियों के साथ ताजुल मसाजिद के सामने सब्जी व पत्तियों से बना बुर्का पहनकर ईदुज्जुहा के मौके पर गो वेजिटेरियन (शाकाहारी बनें) का संदेश देने पहुंची।
 
> इसके विरोध में लोगों ने पेटा कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट शुरू कर दी। 
 
> पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं को बचाया। भीड़ के आक्रोश को देखते हुए पेटा कार्यकर्ताओं के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला दर्ज किया गया।
 
भोपाल. ताजुल मसाजिद के पास पशुओं की बलि को लेकर जागरुकता अभियान चलाने पहुंचे 'पेटा' के कुछ कार्यकर्ताओं की समाज विशेष के लोगों ने विरोध जताते हुए उनके साथ झूमाझटकी की। पुलिस ने पेटा की कार्यकर्ता बेनजीर सुरैया सहित अन्य दो महिलाओं के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला दर्ज किया है।
 
जानकारी के मुताबिक, ईद से पहले कुर्बानी का विरोध कर रही पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) की कार्यकर्ता बेनजीर सुरैया को विरोध के समय शाहजहांनाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सब्जियों और पत्तियों से बना बुर्का पहने और हाथ में कुर्बानी न करने का संदेश दे रही महिला का मुस्लिम समाज के लोगों ने विरोध किया। थोड़ी ही देर में ताजुल मसाजिद के पास और हमीदिया अस्पताल के सामने सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए और महिला और उसके साथ मौजूद वॉलंटियर्स से बदसलूकी करने लगे।
 
मामला बढ़ता देख पुलिस महिला और उसके साथियों को थाने ले आई। मौके पर मौजूद कलीम नकवी ने कहा कि जब तक महिला और पेटा लिखित माफी नहीं मांग लेते तब तक ये विरोध जारी रहेगा। मौके पर मौजूद सीएसपी सुनील पाटीदार ने कहा कि महिला एवं उसके साथी थाने में सुरक्षित है। इसके बाद लोग शाहजहांनाबाद थाने पहुंचे जहां लिखित में महिला और पेटा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई।

वो कैसा

वो कैसा दर्द भरा था उसकी आंखों में
जो मेरी आंखों में आके बह गया तन्हा

कहीं पे खोयी सी रहती थी वो उदासी में
रू ब रू उसके मैं आईना बन गया तन्हा

चीन से निपटने के लिए सेना ने मांगा ITBP का नियंत्रण, 15 बटालियनें भी हाई अलर्ट पर

फोटो: लद्दाख के देमचोक में कुछ दिनों पहले चीनी सेना ने खानाबदोशों की घुसपैठ करा दी थी। उन्होंने यहां पर अपने टेंट लगा दिए और हाथों में बैनर लेकर बताया था कि यह उनका क्षेत्र है। इस हरकत के बाद लद्दाख के आम नागरिक तिरंगा लेकर उनके सामने डट गए थे।
 
नई दिल्‍ली। जम्‍मू-कश्‍मीर के लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ और पिछले 10 दिनों से जारी गतिरोध में बदलाव नहीं आने के बाद सेना सक्रिय हो गई है। सेना ने अपनी 15 बटालियनों और कुछ रिजर्व यूनिट्स को हाई अलर्ट पर रखा दिया है। वहीं, चीन की सीमा की सुरक्षा में तैनात आईटीबीपी के जवानों को अपने नियंत्रण में दिए जाने की मांग भी की है। सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति के सामने इस मांग पर आगामी कुछ दिनों में चर्चा की जाएगी। आईटीबीपी का नियंत्रण गृह मंत्रालय के पास है। 
 
सेना के सूत्रों का कहना है कि किसी भी आपात स्थिति के मद्देनजर तुरंत कदम उठाने के मकसद से 15 बटालियनों को हाई अलर्ट पर रख दिया गया है। पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान भी फिलहाल पीछे हटने का संकेत नहीं दे रहे हैं। चीनी सैनिकों ने भारत की चेतावनी के बावजूद रविवार को भारतीय सीमा के अंदर 7 टेंट लगा लिए थे। उधर, चीनी घुसपैठ का असर भारत और चीन के बीच होने वाले मीडिया डायलॉग पर पड़ा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत में इस बातचीत को रद्द कर दिया है।
 
हाई अलर्ट पर सेना
सेना के एक सूत्र ने कहा, "लद्दाख और चुमार में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद दोनों देशों के स्‍थानीय सैन्‍य कमांडरों के बीच हुई तीन फ्लैट मीटिंग से कोई नतीजा नहीं निकल पाया। सीमा पर जारी तनाव को कम करने की कूटनीतिक कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन चीन के साथ अगर सीमा विवाद पर सख्‍त रुख अपनाने की जरूरत पड़ी तो भारत उससे पीछे नहीं हटेगा।" उन्‍होंने कहा, "सीमा पर स्थिति नाजुक तो है, लेकिन तनावपूर्ण नहीं। चुमार हमेशा से हमारा क्षेत्र रहा है। हम चीनी सैनिकों को यहां पर सड़क या किसी और चीज का निर्माण नहीं करने देंगे। अगर वे पीछे हटेंगे तो हम भी अपने कुछ सैनिकों को वापस बुला लेंगे।"
 
भारत-चीन मीडिया की बातचीत रद्द
चीनी घुसपैठ का पहला असर दोनों देशों की मीडिया के बीच होने वाली बातचीत पर पड़ा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने सख्‍त रुख अपनाते हुए 24 सितंबर को दिल्ली में प्रस्तावित भारत-चीन के मीडिया संस्थानों के बीच बातचीत को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। दरअसल, यह बैठक हर साल होती है, लेकिन इस बार सरकार ने चीनी संपादकों की यात्रा को मंजूरी नहीं दी है। इस कार्यक्रम को आयोजित करने वाले थिंक टैंक ने कहा कि भारत की तरफ से इस बारे में कोई वजह नहीं बताई गई है। उनके पास बस एक लाइन का फैक्‍स आया था, जिसमें कहा गया था कि यात्रा को मंजूरी नहीं दी गई है। सरकार ने फिलहाल इस बारे में कोई कमेंट नहीं किया है।

ट्रेफिक पुलिस ने हेलमेट जांच के नाम पर दुपहिया वाहन चालकों पर खूब कहर बरपाया है ,

कोटा की सड़कों पर चेन तोड़ने ,,स्मेक बेचने ,,अपराध करने वाले लोगों पर तो पुलिस का बस नहीं ,,,,लेकिन आज कोटा में ट्रेफिक पुलिस ने हेलमेट जांच के नाम पर दुपहिया वाहन चालकों पर खूब कहर बरपाया है ,,,जी हाँ दोस्तों ,,कोटा में अपराध की घटनाये और बढ़े ट्रक ट्रोलों से आम आदमी के कुचलने की घटनाये आम है ,,,पुलिस का अपराधियों पर तो बस नहीं चल सका ,,पुलिस ट्रक और ट्रोलों ,,ट्रेक्टर ट्रॉलियों ,,बिना परमिट के चल रहे अवैध वाहनो ,,स्टेज कैरिज ,,कोन्गटेक्ट कैरिज की शर्तों का उलंग्घन करने वाले बस मालिको को तो यातायात पुलिस नहीं रोक पायी ,,ओवर लोड वाहनो के खिलाफ पुलिस की कोई कार्यवाही नहीं ,,बढ़े वाहन कार चालकों के खिलाफ सीट बेल्ट का क़ानून ,,काले शीशे का क़ानून नहीं ,,,,ट्रेफिक पुलिस की हद देखिये के निजी गाड़ियों पर लाल पट्टी लगी है , गाड़ियों पर अवैध रूप से नीली लाल बत्तियां लगी है ,,,मिनी बस ,,टेम्पो ,,मैजिक ,,ऑटो चालकों ,,क्लीनरों का ठहराव स्थल तय नहं ,,उनकी यूनिफॉर्म लागू नहीं ,,वाहनों पर किराया सूचि अंकित नहीं ,,टिकिटों की व्यवस्था नहीं ,,बस मासिक बंधी यानी चौथ वसूली जेब में रखो और इन्हे छोड़ दो ,,,दुर्घटनांय हो ,,लूट हो बस छोटे दुपहिया वाहनो पर पुलिस का कहर है ,,,,आज शहर के सभी छोटे बढ़े चौराहों पर पुलिस ने खूब दुपहिया वाहन चालकों को हेलमेट के नाम पर सताया ,,गलियों के नुक्कड़ों पर भी चालकों को परेशानियां हुई ,,,कांग्रेस के राज में यह होता था तो लोग कहते थे कांग्रेस तो पुलिस अधिकारीयों की गुलाम है ,,लेकिन भाजपा के शासन में जब जब यह पक्षपात ,,यह ज़ुल्म हुआ है ,,,भवानी सिंह राजावत हो ,,,,चाहे ओम बिरला हो ,,चाहे प्रह्लाद गुज्नल हो उन्होंने इस मनमानी इस अत्याचार के खिलाफ जनता का साथ दिया है ,,,हालात यहां तक थे के भवानी सिंह इस अभियान के खिलाफ बिना हलेमेट के स्कूटर चलाकर निकले और उन्होंने प्रतीकात्मक विरोध किया ,,लेकिन आज की पकड़ा धकड़ी ,,,मनमानी ,,अनावश्यक जांच पड़ताल के बाद आम जनता के मुंह से भाजपा के नेताओं की इस मामले में चुप्पी को लेकर खुली टिपणी है के सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे है ,,,यातायात पुलिस जवानो के तो हेलमेट जांच और जुर्माना वसूली के नाम पर बल्ले बल्ले हो गयी ,,लेकिन आम आदमी बेचारा लूटा ,,पिटा ,,ठगा सा टुकुर टुकुर शासन की नाकामयाबी देख रहा है और मन ही मन आगामी चुनावो में सरकार को निपटाने का संकल्प ले रहा है ,,,यह भी सुनने में आया है के मुख्यमंत्री की यात्रा के पहले यह तमाशा जनता पर दबाव बनाने के लिए है जबकि कांग्रेस के शासन में लगे अधिकारीयों द्वारा इन हरकतों से जनता को सत्ता पक्ष भाजपा से दूर करने की योजना है जबकि अच्छी दिनों के मटियामेट नारे से तंग आम आदमी भाजपा के स्थान पर नगर निगम कोटा चुनाव में कांग्रेस को फिर वोट देकर जिताये ,,, ताकि जनता के गुस्से से कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर के कारन मज़बूत और भाजपा कमज़ोर हो सके ,,यही कड़वा और नंगा सच है ,,,,,,,,,,,अख़्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भाजपा का नेता या फिर पुलिस वाला यह तो बताये

मुझे कोई भाजपा का नेता या फिर पुलिस वाला यह तो बताये के जब भी मोटर वाहन क़ानून लागू करने की बात आती है ,,जब भी बढ़े वाहनो से पैदल चलने वालों की दुर्घटनाये रोकने की बात आती है ,,तब तब पुलिस केवल दुपहिया वाहन वालों के खिलाफ ही मोटर वाहन अधिनियम क्यों लागू कर हेलमेट के नाम पर लूट मचाती है ,,,क्या चार पहिये ,,ओवर लोड ,,बिना परमिट वाहनो के संचालन ,नो एन्ट्री मामले में कोई मोटर वाहन अधिनियम नहीं बनाया गया है या फिर इन दुपहिया वाहन चालकों के खिलाफ दो धाराओं के अलावा ट्रेफिक कंट्रोल और उलन्न्घन की दूसरी सो धाराएं कोटा पुलिस और भाजपा नेताओं ने पढ़ी ही नहीं

अशोभनीय व्यवहार के दोषी 11 प्रशिक्षु जज बर्खास्त


lawइलाहाबाद उच्च न्यायालय की सिफारिश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक स्थल पर अशोभनीय व्यवहार के दोषी 11 प्रशिक्षु जजों को बर्खास्त कर दिया है। खबरों के अनुसार 20 सितंबर की रात, प्रशिक्षु जजों की बर्खास्तगी का निर्णय लिया गया और बाद में राज्य नियुक्ति विभाग ने इस सिलसिले में आदेश जारी कर दिया.
गत 11 सितम्बर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने 11 प्रशिक्षु जजों की बर्खास्तगी की संस्तुति की थी. ये जज राज्य न्यायिक सेवा 2012 परीक्षा के तहत चुने गए थे. जजों पर आरोप था कि इन्होंने अपनी महिला प्रशिक्षु जज साथी के साथ अमर्यादित आचरण किया और बाद में सार्वजनिक स्थल पर हंगामा किया. पीडित महिला जज ने इसकी शिकायत की थी.
पीडित महिला प्रशिक्षु जज की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए उच्च न्यायालय द्वारा गठित जजों की एक उच्च स्तरीय कमेटी ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट प्रशासनिक पैनल को सौंप दी थी. खबरों के अनुसार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वी चन्द्रचूड़ समेत नौ वरिष्ठ जजों की कमेटी ने घटना की सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद 20 जजों की बर्खास्तगी की संस्तुति की थी.
पीडित महिला प्रशिक्षु के अनुसार, सात सितम्बर को लखनऊ स्थित न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान ( Judicial Training & Research Institute -JTRI) में प्रशिक्षण पूरा करने की पूर्व संध्या पर साथी जजों ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया था.

दीवाने जज की प्रेम कहानी


judge-phoneएक शादीशुदा जज ने कॉलेज में साथ पढ़ चुकी युवती को लगभग छह महीने के भीतर 20 हजार कॉल किए और साढ़े 4 हजार एसएमएस भेजे। कोई प्रतिसाद नहीं मिला तो एक दिन युवती के घर तक पहुंच गये.
नवगुजरात समय में आई खबर के अनुसार वडोदरा में एक फर्स्ट क्लास जुडिशल मैजिस्ट्रेट और युवती कॉलेज में साथ पढ़ते थे. जज महाशय कॉलेज के दिनों से ही उस युवती को चाहते थे, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई. पढ़ाई पूरी होने के बाद दोनों अलग हो गए. लेकिन जज बन चुका छात्र  अपनी चाहत दबा नहीं पाया. उसकी शादी भी हो गई. एक दिन उन्हें पता चला कि वह युवती सूरत में है. उन्होंने किसी तरह उसका मोबाइल फोन नंबर पता कर लिया. उसके बाद लगे रोजाना फोन करने.
खबर देते हुए निकुंज सोनी लिखते हैं कि रात-दिन जब मौका मिलता फोन करते, कभी एसएमएस भेजते. इस व्यवहार से उनके परिवार वाले भी परेशान थे. पति की प्रेम कहानी का पता चलने पर उनकी पत्नी ने आत्महत्या करने की भी कोशिश की. इसके बाद भी वह अपनी हरकत से बाज नहीं आए.
20 नवंबर को वह युवती अपने घर के बाहर थी. उसे देखकर यह जज उसके घर तक पहुंच गया और उसे साथ ले जाने पर अड़ गया. किसी तरह आसपास के लोगों ने समझाया.
इस घटना से परेशान युवती काफी घबरा गई. उसने उमरा पुलिस स्टेशन में केस दर्ज करा दिया. आरोपी जज ने सूरत कोर्ट में हलफनामा जमा कर माफी मांग ली और अग्रिम जमानत ले ली.
इधर पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, जमानत रद्द करने के लिए गुजरात हाई कोर्ट में अर्जी लगाई। हाई कोर्ट ने सूरत कोर्ट के आदेश को कायम रखने का ऑर्डर जारी कर दिया.
मामले की जांच करने वाले उमरा थाने के पीआई एस. जी. राणा ने बताया कि आरोपी औसतन 50 से 60 कॉल करता था। रात को भी कॉल कर परेशान करता था। शिकायत करने वाली युवती के फोन की जांच करने पर आरोपी के इतने कॉल्स और एसएमएस भेजे जाने का पता चला.

सुप्रीम कोर्ट में महिला वकील ने किया आत्महत्या का प्रयास


poison-suicide-adaalatछत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाली एक महिला वकील ने यौन उत्पीड़न मामले में न्याय नहीं मिल पाने का आरोप लगाते हुए 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट परिसर में फिनाइल पीकर आत्महत्या का प्रयास किया.
दैनिक भास्कर ने खबर दी है कि बदहवासी की हालत में मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढा की अदालत में पहुंची इस महिला वकील ने खंडपीठ को बताया कि उसे यौन उत्पीड़न मामले में न्याय नहीं मिल पा रहा है, इसलिए उसने न्यायालय परिसर में ही फिनाईल पी ली है.
महिला ने बताया कि उसके साथ नवंबर 2013 में उसके ही जेठ, देवर और अन्य दो लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था, जिसकी शिकायत उसने अदालत को पत्र लिखकर की है लेकिन उसे न्याय नहीं मिल पाया है. अफरातफरी के बीच चीफ जस्टिस ने उसे डिस्पेंसरी ले जाने का निर्देश दिया तथा मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे 23 सितंबर की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिया।
डिस्पेंसरी में प्राथमिक उपचार के बाद महिला वकील को राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

क़ुरआन का सन्देश

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