मित्रों आज हम आपकी मुलाक़ात पत्रकार पंडित बद्रीप्रसाद गोतम से कराते है
...यह हमारे बढ़े भाई भी है ...दोस्तों भाई बद्रीप्रसाद गोतम जिनका हमेशा
मुस्कुराता चेहरा ...एक दुसरे से मेलमिलाप हंसी मजाक का जज्बा ..मदद का
जज्बा इनकी धरोहर है और भाई बद्री प्रसाद गोतम अपनी इसी मिलकियत की वजह से
आज पत्रकार साथियों में सभी के लियें दिल अज़ीज़ बने हुए है ..पाक्षिक अख़बार
मंगलवर्धनि समाचार पत्र के मालिक प्रकाशक जिसका प्रकाशन सुव्यवस्थित साज
सज्जा के साथ रंगीन प्रष्टों में मैगजीन की शक्ल में लगातार
होता है इस पत्रिका में भाई बद्रीप्रसाद गोतम सिर्फ और सिर्फ पान बाज़ार की
बात करते है ...पान ...गुटके ..सुपारी ...महमान नवाजी के लियें रखे जाने
वाले माउथ फ्रेशर का प्रचार प्रसार करते है .......कोटा प्रेस क्लब के
चुनाव के वक़्त इनकी भूमिका एक तरफ भामाशाह की होती है तो दूसरी तरफ कुशल
प्रबंधकीय व्यवस्था के तहत अपने पेनल को चुनाव लड़ाने के लियें संयोजक पद का
कार्यभार यह निहायत ही कामयाबी के साथ निभाते है और विकट परिस्थितियों में
भी भाई बद्रीप्रसाद जी गोतम हारी हुई बाज़ी को जीत में बदल कर विपक्ष के
पेनल को चोंका देते है ..चुनाव दोस्ताना होता है लेकिन चुनाव के वक्त भाई
बद्रीप्रसाद जी गोतम भीष्म पितामाह की तरह प्रतिज्ञाबद्ध होकर अपने पेनल के
साथ खड़े रहते है और फिर चाहे दुसरे पेनल में इनका निकटतम मित्र भी क्यूँ
ना हो यह हाथ जोड़ कर उससे क्षमा याचना कर लेते है .....पंडित बद्रीप्रसाद
गोतम कोटा प्रेस क्लब के चुनाव के रणनीतिकार ..वरिष्ठतम सदस्य ..मुखर वक्ता
तो है ही सही लेकिन इनके ऊपर हाडोती पत्रकार परिषद जो पंजीकृत संस्थान है
उसके प्रदेश अध्यक्ष की भी ज़िम्मेदारी है और यह इस ज़िम्मेदारी को भी बखूबी
निभा रहे है ...हमारे बढ़े भाई पंडित बद्रीप्रसाद गोतम को मुबारकबाद बधाई
...................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 अक्तूबर 2014
कोटा में अपराधनियंत्रण मामले में राजनितिक उपेक्षा और अन्याय मुख्यकारण रहा है
कोटा में अपराधनियंत्रण मामले में राजनितिक उपेक्षा और अन्याय मुख्यकारण
रहा है ,,कोटा में पुलिस कमिश्नरेट स्थापित अगर होती तो आज कोटा में अपराध
नियंत्रण के मामले में हमे नीचा नहीं देखना पढ़ता ,,,कोटा के कुछ सियासी लोग
और माफिया नहीं चाहते के कोटा में कमिश्नरेट प्रणाली लागू हो और अपराधियों
की नाक में नकेल डाली जाए इसीलिए कोटा हर हाल में क़ानूनी रूप से कमिश्नरेट
के लिए उपयुक्त होने के बाद भी यहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली स्थापित नहीं
की गई है ,,दंड प्रक्रिया संहिता और पुलिस अधिनियम के
प्रावधान के तहत दस लाख से ज़्यादा आबादी वाले शहर में पुलिस कमिश्नर
प्रणाली ज़रूरी है ,,,सभी जानते है के जोधपुर पुलिस कमिश्नर प्रणाली के लिए
कतई उपयुक्त नहीं था लेकिन जनसंख्या और दायरा बढ़ाने के लिए वहां आस पास के
गांव के इलाक़े जोड़े गए और कोटा का हक़ पहले आई आई टी फिर पुलिस कमिश्नर
प्रणाली जोधपुर को दिया गया ,.... कोटा में दस लाख से ज़्यादा आबादी आठ वर्ष
पूर्व से चली आ रही है ,,यहां आपराधिक मामलों की संख्या अधिक है ,,यह
शिक्षा नगरी है ,,औद्योगिक नगरी है ,,लेकिन कोटा में कमिश्नरेट प्रणाली की
जान बूझकर माफियाओं के इशारे पर उपेक्षा की गयी ,,नतीजा हमारे सामने है रोज़
चेन स्नेचिंग ,,रोज़ अपराध ,,रोज़ दुर्घटनाएं ,,,,चोरी ,,डकैती और पुलिस
स्टाफ की कमी यह रोज़ की कहानी हो गयी है ,,,,,,कोटा में अगर कमिश्नरेट
प्रणाली लागू होती है तो यहां एक आई जी स्तर के अधिकारी कमिश्नर होंगे दो
एस पी स्तर के अधिकारी चार अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ,,,दर्जन भर उप अधीक्षक
,,,कई नए थाने ,,,सैकड़ों का नया स्टाफ ,,यातायात पुलिस अलग से ,,पुलिस का
इक़बाल बुलंद होगा ,,,,,,इसीलिए तो कोटा में कमिश्नरेट प्रणाली लागू किया
जाना अपराध नियंत्रण के लिए ज़रूरी है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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