(फोटोः चेन्नई में जयललिता समर्थकों ने मिठाइयां बांट कर खुशी जताई।)
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नई दिल्ली. एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट
से सशर्त जमानत मिल गई। उनके साथ शशिकला और अन्य की भी जमानत मंजूर कर ली
गई। जयललिता बीते 27 सितंबर से बेंगलुरु की जेल में बंद हैं। उन्हें आय से
अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराते हुए चार साल कैद की सजा सुनाई गई
है। कानूनी औपचारिकताओं के चलते जयललिता को आज की रात भी जेल में गुजारनी
पड़ेगी। जयललिता के वकील बी कुमार के मुताबिक शनिवार को वे रिहा होंगी।
हाईकोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद जयललिता की ओर से सुप्रीम
कोर्ट में अपील की गई थी। उनकी ओर से स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए
जमानत मांगी गई थी। दिवाली से पहले जेल से बाहर आने के लिए जयललिता के पास
शुक्रवार को अंतिम मौका था, क्योंकि इसके बाद शीर्ष अदालत में एक सप्ताह का
अवकाश रहता। शुक्रवार को एआईएडीएमके की 43वीं वर्षगांठ के मौके पर जयललिता
को जमानत मिलने पर उनके समर्थक जश्न में डूब गए।
कैसे मिली जमानत
आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता को जमानत दिलवाने वाले वकील
फाली सैम नरीमन ने पीठ को यह कह कर भरोसे में लिया कि वह गारंटी लेते हैं
कि अपील पर सुनवाई में देरी नहीं होने देंगे। जयललिता की जमानत अर्जी पर
सुनवाई कर रही पीठ ने यह कहते हुए शक जताया कि जयललिता के खिलाफ दायर
मुकदमे की सुनवाई पूरी होने में वर्षों लग गए, अब अगर उन्हें जमानत मिल गई
तो अपील पर फैसला आने में दो दशक लग जाएंगे। पीठ के यह शक जताने पर नरीमन
ने दलील दी, 'मैं गारंटी देता हूं कि हाईकोर्ट में अपील के दौरान देरी नहीं
होने दूंगा। यह कोई खेल-तमाशा नहीं है। मैं यह बात लिख कर दे सकता हूं।'
पीठ ने नरीमन से यह भी पूछा कि अपील पर सुनवाई होने में कितने महीने
लगेंगे। नरीमन ने जवाब दिया कि उन्होंने कागजी कार्रवाई के लिए छह हफ्ते
का वक्त चाहिए, क्योंकि पांच हजार पेज ट्रांसलेट करने होंगे और हाईकोर्ट
अगले साल जनवरी-फरवरी तक सुनवाई पूरी कर लेगी।
पीठ का रुख देखते हुए जयललिता के वकील ने यह तक गुहार लगाई कि जब तक
हाईकोर्ट अपील पर फैसला करे तब तक जयललिता को घर में नजरबंद रखा जाए।
हालांकि, इस पर पीठ ने यह दलील दी कि वह या तो जमानत देगी या नहीं देगी, घर
में नजरबंद रखने जैसा असामान्य फैसला नहीं सुनाएगी।
नरीमन वही हैं जिन्होंने भोपाल गैस त्रासदी मामले में डो केमिकल्स
(जिसे तब यूनियन कार्बाइड कंपनी के नाम से जाना जाता था) की ओर से पैरवी की
थी। हालांकि, नरीमन ने अपने इस फैसले को गलती मानते हुए इस पर अफसोस जाहिर
किया था। 10 जनवरी, 1929 को पैदा हुए नरीमन 1971 से सुप्रीम कोर्ट में
वकालत कर रहे हैं। वह 1991 से बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी हैं।
राज्यसभा सांसद रह चुके नरीमन को 1991 में पद्म भूषण, 2007 में पद्म
विभूषण और 2002 में ग्रुबेर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
कोर्ट ने कई शर्तों के साथ दी जमानत
जयललिता की ओर से जाने-माने वकील फली एस नरीमन ने जिरह की। जमानत
मिलने के बाद उनके समर्थक वकीलों ने कोर्ट परिसर में नारेबाजी भी
की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चूंकि कर्नाटक हाईकोर्ट ने
जयललिता को मिली सजा को निलंबित करने के बारे में कोई सुनवाई नहीं की है,
इसलिए जमानत स्वीकार की जाती है। हालांकि, कोर्ट ने जमानत के साथ कई शर्तें
भी रखीं जो निम्नलिखित हैं:
- याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी या उनके लोगों के साथ हिंसा नहीं
होनी चाहिए, वरना जमानत रद्द होगी। अगर स्वामी द्वारा ऐसी कोई भी जानकारी
दी गई, तो जमानत तत्काल रद्द कर दी जाएगी।
- केस और अपील से जुड़े सभी कागजात, जो तकरीबन 33000 पन्नों के हैं,
उन्हें जयललिता को 18 दिसंबर तक सुप्रीम कोर्ट में जमा कराना होगा। तय
तारीख से एक दिन की भी देरी हुई, तो जमानत रद्द कर दी जाएगी। इसके
अलावा, जयललिता 18 दिसंबर तक अपने घर में ही रहेंगी।
- तमिलनाडु में किसी तरह की हिंसा नहीं होनी चाहिए। अगर कोई मामला
संज्ञान में आया, तो जमानत रद्द कर दी जाएगी। जयललिता के वकीलों ने कोर्ट
को आश्वस्त किया कि जयललिता खुद पार्टी कार्यकर्ताओं को चिट्ठी लिखेंगी कि
हिंसा न हो और न ही जजों के खिलाफ कोई बयान दिए जाएंगे।
- कोई राजनीतिक पद नहीं ले पाएंगी और न ही राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगी।
- जयललिता को कर्नाटक हाईकोर्ट में अपील करने की सभी तैयारियों के लिए दो
माह का समय दिया गया। अगर इस दौरान अपील करने में असमर्थ रहती हैं, तो उनकी
जमानत अवधि एक दिन भी नहीं बढ़ाई जाएगी।