आपका-अख्तर खान

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26 अक्तूबर 2014

आपको नहीं

मुझ से प्यार
मेरी बदशकली की वजह से
आपको नहीं
तो क्या
आप नहीं
आपका जिस्म नहीं
आपकी खुशनुमा बाहें नहीं
आपकी ज़ुल्फी नही
आपकी गर्म गर्म सांसे नहीं
आपके सीने में धड़कता दिल नहीं
कुछ भी नहीं
तो क्या
आपकी याद तो है
आपका अहसास तो है
मेरे साथ
मेरा वक़्त
मेरी ज़िंदगी
गुज़ारने के लिए ,,,,अख्तर

तू निर्मल

ऐ चाँद की ज्योति
तू निर्मल
तू चन्दन सी खुशबु वाली
तू रंगीन इन्द्रधनुष सी चमकने वाली
ऐ चाँद की ज्योति
मेरे अंधेर कमरे में
मेरी अँधेरी ज़िदंगी में
ऐ चाँद की ज्योति
क्या तुम
इंद्रधनुषी रंगबरिंगे रंग बिखेरोगे
नहीं ना
कभी नहीं ना
तो फिर चलो
तुम खुश रहो
हम अँधेरे में ही
हमारे आंसू
तकिये के निचे छुपा लेंगे
तुम आये तो '
यक़ीनन खुशियों का
यह उजाला
अपने सीने से लगा लूंगा
,,अख्तर

वोह पूंछते है

वोह पूंछते है
शायरी में दर्द की
वजह क्या है
कोसो दूर बैठकर
कई दिनों तक
तुमसे बात किये बगैर
हम जो भूखे प्यासे रह जाते है

परिवार को चाहिए था बेटा इसलिए अपनी ही बेटी को कुंए फेंककर मार डाला

(बाएं बच्ची की मां और दाएं मृत बच्ची।)
 
उदयपुर. तीसरी बार भी बेटी क्या हुई। सबकी नजर में खटकने लगी। किसी को नहीं चाहिए थी ये बेटी। मनहूस मानने लगे थे सब। परिवार के लोग ताने मारते रहते थे-तीन-तीन बेटियां पैदा कर दी, कहां से लाएंगे इतना खर्चा। घर में रोज-रोज की कहासुनी के बाद तंग आकर मैं भी मान चुकी थी कि ये बेटी ही झगड़े की जड़ है और इसी वजह से घर की सुख-शांति चली गई है। बेटी को उठाया और कुएं में डाल आई...।
 
यह कहते-कहते फफक पड़ी अक्षरा की मां रेखा कंवर, जिस पर अपनी 22 महीने की बेटी को 17 अक्टूबर को कुएं में फेंककर मार देने का अारोप है। रविवार को गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पूछताछ के बाद जैसा कि भास्कर को बताया। मां के हाथों फूल सी बेटी की जान लेने का अपराधबोध और बेबसी भी झलक रही थी। पुलिस की शुरुआती पूछताछ में चुप्पी साधे हुई थी। कुछ बताने को तैयार नहीं थी और बार-बार गला रुंधा जा रहा था। बार-बार पूछने पर फूट-फूटकर रोते हुए सब कुछ बता दिया।
 
कोख में ही मारना चाहते थे...
 
रेखा कंवर ने कहा, दो बेटियों के बाद परिवार में सभी को बेटा चाहिए था। सभी कहते थे, बेटा ही होना चाहिए और मुझे भी। जेठ की एक बेटी है। जेठ नहीं रहे। सबसे छोटी देवरानी का बेटा अक्षरा से तीन-चार महीने पहले ही हुआ था। तब मैं गर्भवती थी और बेटे को लेकर सबकी उम्मीदें और बढ़ गई थीं। डॉक्टर के यहां चेकअप कराने पर कोख में बेटी का पता चल गया था। तभी अबॉर्शन कराने की कोशिश की थी, लेकिन महीने ज्यादा हो गए थे।
 
बहन ने एक बेटी गोद लेकर दी थी सांत्वना
 
पुलिस के मुताबिक तीसरी बेटी के जन्म के बाद से ही रेखाकंवर अवसाद में आ गई थी। इन हालात में उसकी बहन ने दूसरे नंबर की बेटी के पालन-पोषण की जिम्मेदारी लेकर अपने साथ ले गई थी। बहन को दिलासा दिया था कि अब तू तेरी दो बेटी मानना।

परिवार को चाहिए था बेटा इसलिए अपनी ही बेटी को कुंए फेंककर मार डाला

bhaskar news | Oct 27, 2014, 01:07AM IST
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(बाएं बच्ची की मां और दाएं मृत बच्ची।)
 
उदयपुर. तीसरी बार भी बेटी क्या हुई। सबकी नजर में खटकने लगी। किसी को नहीं चाहिए थी ये बेटी। मनहूस मानने लगे थे सब। परिवार के लोग ताने मारते रहते थे-तीन-तीन बेटियां पैदा कर दी, कहां से लाएंगे इतना खर्चा। घर में रोज-रोज की कहासुनी के बाद तंग आकर मैं भी मान चुकी थी कि ये बेटी ही झगड़े की जड़ है और इसी वजह से घर की सुख-शांति चली गई है। बेटी को उठाया और कुएं में डाल आई...।
 
यह कहते-कहते फफक पड़ी अक्षरा की मां रेखा कंवर, जिस पर अपनी 22 महीने की बेटी को 17 अक्टूबर को कुएं में फेंककर मार देने का अारोप है। रविवार को गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पूछताछ के बाद जैसा कि भास्कर को बताया। मां के हाथों फूल सी बेटी की जान लेने का अपराधबोध और बेबसी भी झलक रही थी। पुलिस की शुरुआती पूछताछ में चुप्पी साधे हुई थी। कुछ बताने को तैयार नहीं थी और बार-बार गला रुंधा जा रहा था। बार-बार पूछने पर फूट-फूटकर रोते हुए सब कुछ बता दिया।
 
कोख में ही मारना चाहते थे...
 
रेखा कंवर ने कहा, दो बेटियों के बाद परिवार में सभी को बेटा चाहिए था। सभी कहते थे, बेटा ही होना चाहिए और मुझे भी। जेठ की एक बेटी है। जेठ नहीं रहे। सबसे छोटी देवरानी का बेटा अक्षरा से तीन-चार महीने पहले ही हुआ था। तब मैं गर्भवती थी और बेटे को लेकर सबकी उम्मीदें और बढ़ गई थीं। डॉक्टर के यहां चेकअप कराने पर कोख में बेटी का पता चल गया था। तभी अबॉर्शन कराने की कोशिश की थी, लेकिन महीने ज्यादा हो गए थे।
 
बहन ने एक बेटी गोद लेकर दी थी सांत्वना
 
पुलिस के मुताबिक तीसरी बेटी के जन्म के बाद से ही रेखाकंवर अवसाद में आ गई थी। इन हालात में उसकी बहन ने दूसरे नंबर की बेटी के पालन-पोषण की जिम्मेदारी लेकर अपने साथ ले गई थी। बहन को दिलासा दिया था कि अब तू तेरी दो बेटी मानना।

गांव के सामने महिला को किया निर्वस्त्र, बेटे के सामने प्राइवेट पार्ट में डाली मिर्ची, मौत

(पुलिस ने गिरफ्तार किए आरोपी।)
परपोड़ी/ बेमेतरा। ये दिल दहला देने वाली घटना छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला के साजा ब्लॉक के परपोड़ी के पास के गांव बंजारपुर की है। शनिवार को 55 साल की एक महिला पर उसके ही परिवार के लोगों ने टोनही होने का आरोप लगाया। महिला को उसके बेटे और पूरे गांव के सामने निर्वस्त्र किया। मारा-पीटा। हद तो तब हो गई, जब उस महिला की आंख, कान और नाजुक अंग (प्राइवेट पार्ट) में लाल मिर्च भर दी। महिला की मौत हो गई। गांव वाले तमाशा देखते रहे। महिला का बेटा अशोक (28 वर्ष) भी डर के मारे चुपचाप खड़ा रहा, लेकिन रविवार को रिपोर्ट लिखाई।
परपोड़ी पुलिस ने दस लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपी नकुल पटेल (मरार) का 30 साल का भतीजा रुपेंद्र चार-पांच महीने से बीमार है। डॉक्टरों से इलाज कराया, लेकिन ठीक नहीं हुआ। मृतक महिला नकुल की भाभी दुकलहीन बाई है, जिसका घर पर आना जाना था। नकुल और उसके परिवारवालों  को लगता था कि उसकी भाभी जादू टोना कर रही है। 
करीब एक महीने पहले दुकलहीन बाई अपनी बेटी संतोषी बाई के ससुराल जामुल (भिलाई) गई थी। उसे लाने के लिए 25 अक्टूबर की सुबह 9 बजे नकुल का भाई गोपाल और विक्रम पटेल जामुल पहुंचे। उससे कहा कि रुपेन्द्र बहुत बीमार है, आप चलकर देखो। जामुल से दोपहर 12 बजे निकले। दुकलहीन बाई के बेटे अशोक ने बताया कि शाम 6 बजे जब वह शौच से घर लौट रहा था, तो देखा कि परिवार के ही सवाना बाई, अकलहीन बाई, राधा बाई, प्रदीप पटेल, अहिल्या बाई, नकुल पटेल, विक्रम पटेल, गोपाल पटेल, नंदकुमार, तीजनबाई व गांव के कुछ और लोग उसकी मां को घेरकर खड़े हैं। उस पर जादू टोना करने का आरोप लगा रहे हैं। इसके बाद अचानक उसे मुक्के, लात-घूंसे और डंडे से मारना शुरू कर दिया। 
सबके सामने निर्वस्त्र किया फिर प्रायवेट पार्ट में डाली मिर्ची
घर से लेकर सामने सरस्वती चौक तक घसीटकर ले आए। सबने मिलकर दुकलहीन बाई के कपड़े फाड़ने शुरू कर दिए और उसे पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया। इसके बाद अकलहीन बाई, तीजनबाई और सवाना बाई तीनों ने मिलकर दुकलहीन बाई की नाक, आंख, गुप्तांग और मल द्वार में मिर्च का पावडर भर दिया। इससे दुकलहीन बाई तड़पने लगी। बचाने की गुहार लगाती रही, लेकिन सारे गांव वाले तमाशबीन बने रहे। अशोक के मुताबिक, वह डर गया था और अकेला था, इस कारण मां को नहीं बचा पाया। दुकलहीन बाई को इलाज के लिए परपोड़ी के स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। वहां डॉ. एके वर्मा ने महिला को मृत घोषित कर दिया।

क़ुरान का सन्देश

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