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31 अक्तूबर 2014

इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी

इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) (19 नवंबर १९१७-31 अक्टूबर 1984) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं।इन्दिरा का जन्म 19 नवम्बर 1917 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू परिवार में हुआ था। इनके पिता जवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं।
इन्दिरा को उनका "गांधी" उपनाम फिरोज़ गाँधी से विवाह के पश्चात मिला था। इनका मोहनदास करमचंद गाँधी से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता था। इनके पितामह मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। इनके पिता जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे।
1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा ने शान्तिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे "प्रियदर्शिनी" नाम दिया था। इसके पश्चात यह इंग्लैंड चली गईं और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में बैठीं, परन्तु यह उसमे विफल रहीं और ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में कुछ महीने बिताने के पश्चात, 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होने सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। इस समय के दौरान इनकी अक्सर फिरोज़ गाँधी से मुलाकात होती थी, जिन्हे यह इलाहाबाद से जानती थीं और जो लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में अध्ययन कर रहे थे। अंततः 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म ब्रह्म-वैदिक समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ।
ऑक्सफोर्ड से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं।
1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं।[1]
श्री लालबहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन कॉंग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहे। गाँधी ने शीघ्र ही चुनाव जीतने के साथ-साथ जनप्रियता के माध्यम से विरोधियों के ऊपर हावी होने की योग्यता दर्शायी। वह अधिक बामवर्गी आर्थिक नीतियाँ लायीं और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया। 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिती में उन्होंने सन् 1975 में आपातकाल लागू किया। उन्होंने एवं कॉंग्रेस पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया। सन् 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह अधिकतर पंजाब के अलगाववादियों के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं जिसमे आगे चलकर इकत्तीस अक्टूबर सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या हुई।

भारतीय पुलिस प्रशासनिक सेवा का एक नाम पंकज चौधरी

राजस्थान भारतीय पुलिस प्रशासनिक सेवा का एक नाम पंकज चौधरी ,,जो ईमानदारी ,,नैतिकता ,,निष्पक्षता ,,निर्भीकता और इन्साफ के पुजारी के रूप में अपनी मिसाल क़ायम कर चुके है ,,पंकज चौधरी आई पी एस प्रशिक्षु के रूप में कोटा में रहे ,,यहां सियासी और पूंजीपतियों के दबाव से ऊपर उठकर पंकजचौधरी ने निष्पक्ष और निर्भीक होकर अपराधियों की नाक में नकेल डाली ,, प्रशिक्षण समाप्त हुआ समाप्त हुआ और गेहलोत की कांग्रेस सरकार ने पंकजचौधरी की कार्यशैली को देखते हुए भारत पाक सीमा पर तस्करी की घटनाओं को रोकने के लिए जैसलमेर एस पी तैनात किया ,,पंकज चौधरी की छापेमारी और सख्त पुलिसिंग से अपराधियों में हड़कम्प मचा ,,सियासी हस्तक्षेप शुरू हुए और इन्होने हिस्ट्री शीट निगरानी के तहत गाज़ी फ़क़ीर जो कांग्रेस के नेता थे उनकी भी हिस्ट्री शीट खोलकर उन्हें निगरानी में रखा और यहे साबित कर दिखाय के पुलिस किसी सियासी अपराधी या माफिया डॉन की गुलाम नहीं ,,,कांग्रेस को पंकज चौधरी की यह चौधराहट पसंद नहीं आई और उन्हें वहां से हटा दिया गया ,,,,,,लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने पंकज चौधरी के लिए आंदोलन किया इन्हे निष्पक्ष ,,निर्भीक ,,अधिकारी बताकर इनका उत्साहवर्धन किया और पंकज चौधरी को फिर से फील्ड पोस्टिंग की मांग उनकी क़ाबलियत को लेकर की ,,,,बाद में पंकज चौधरी को बूंदी पुलिस अधीक्षक पद पर भाजपा सरकार ने नियुक्त किया ,,,,,,,लेकिन बूंदी ज़िले के नैनवा में साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने वाले शैतानों को पंकजचौधरी ने काबू कर उनकी नाक में नकेल क्या डाली के यहे पंकजचौधरी जो भाजपा के हीरो थे ,,भाजपा की आँख का तारा थे ,,,भाजपा के लिए घोषित रूप से निष्पक्ष ,,निर्भीक कार्यशैली की मिसाल थे यही पंकज चौधरी उनकी आँख की किरकिरी बन गए ,,,पंकजचौधरी ने संाप्रदायिक दंगे को नैनवा में क्या काबू में किया उन्हें इनाम मिलने की जगह सज़ा के रूप में इस भाजपा सरकार ने दंडित किया ,,,बेआबरू किया ,,बेइज़्ज़त किया ,,अपमानित किया और इन्हे बिना किसी पुख्ता आधार के सिर्फ दंगाइयों की शिकायत पर आदेश की प्रतीक्षा में कर मुख्यालय बुला लिया गया ,,पंकज चौधरी से बदले की कार्यवाही यहीं खत्म नहीं हुई इन्हे सज़ा के तोर पर दिल्ली आर ऐ सी में फेंक दिया गया ,,,यह भाजपा यह कट्टरपंथी लोग जो बहादुर लोगों का उत्साहवर्धन करने के नाम पर उत्तरप्रदेश में दुर्गा आई पी एस के लिए संघर्ष करते है ,,खुद पंकज चौधरी को जब जैसलमेर से कांग्रेस हटाती है तब आंदोलन करते है लेकिन अब खुद इस होनहार ,,कर्मठ पुलिस अधिकारी को दीमक की तरह से चाट रही है ,,,पंकज चौधरी के साथ हुए इस अन्याय और मनमानी के मामले में इनकी आई पी एस लॉबी ने भी कोई मदद नहीं की जबकि पुलिस अधिनियम के विशिष्ठ प्रावधान पुलिस नियामक आयोग के गठन और उसकी सहमति के बगैर ही ऐसे अधिकारी को क़ानून व्यवस्था नियंत्रण प्रणाली से दूर भेजकर राजस्थान की जनता के साथ विश्वासघात किया है जबकि क़ानून तोड़ने वाले अपराधियों के हौसले बुलंद करने के लिए उनके कांटे को साफ़ कर वाहवाही लूट कर खुद को अपराधियों की समर्थित सरकार साबित कर दिया है ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अलवर के नारायणपुरा थानाक्षेत्र में बंजारा बस्ती को घेर कर सभी बंजारों को ज़िंदा जलाने की निर्मम कोशिश

राजस्थान में अलवर के नारायणपुरा थानाक्षेत्र में बंजारा बस्ती को घेर कर सभी बंजारों को ज़िंदा जलाने की निर्मम कोशिश और लूटपाट की घटना के बाद इस मामले में आरोपियों को बचाने के लिए कांग्रेस भाजपा एक जुट है ,,कोई भी पार्टी इस खतरनाक अमानवीय घटना के आरोपियों की गिरफ्तारी के मामले को लेकर अपना मुंह नहीं खोल रही है ,,लेकिन इस घटना में लिप्त आरोपियों को दण्डित करवाने और बनारा समाज को इन्साफ दिलाने के लिए बंजारा समाज सड़कों पर उतरकर हर ज़ुल्म का हिसाब सरकार और सियासी पार्टियों से मांगकर रहेगा ,,,उक्त उदगार प्रकट करते हुए बंजारा फाउंडेशन के राष्ट्रिय अध्यक्ष कैलाश बंजारा ने कहा के अलवर के नारायणपुरा थानाक्षेत्र में बंजारा बस्ती की तबाही रुला देने वाली है ,,वहां हमलावरों ने महिलाओं और बच्चो को दौड़ा दौड़ा कर मारा उन्हें घेर कर ज़िंदा जलाने की कोशिश की गयी ,,उनके सोने चांदी के ज़ेवर लुटे गए ,,बस्ती को जलाकर राख कर दी गयी और इस जंगल के क़ानून के खिलाफ स्थानीय पुलिस और सियासी लोग खामोश बैठे है ,,,,,,कैलाश बंजारा ने प्रभावित बस्ती का दौरा किया घायलों की कुशल क्षेम पुंछी और अलवर जिला प्रशासन ,,पुलिस अधिकारीयों ,,चिकितसकों से भेंट कर बंजारा समाज को शीघ्र इन्साफ दिलाएं के मुद्दे पर गहन चर्चा कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये ,,पुलिस ने नारायणपुरा थाने में 166 /14 नंबर की एफ आई आर हत्या और लूट के मामले में दर्ज तो कर ली है लेकिन हमलावर महन्तो और उनके साथियों को गिरफ्तार नहीं किया है ,,राजयसरकार ने इस बस्ती की कोई सुध नहीं ली है जबकि कांग्रेस भाजपा के नेताओं ने भी इस मामले में इंसाफ दिलाने के लिए कोई खास हस्तक्षेप नहीं किया है ,,,कैलाश बंजारा ने घटना की मार्मिक तस्वीरें देखकर बिलखते हुए कहा के बंजारा समाज जो देश के विकास की रीढ़ की हड्डी है वोह इस तरह का अत्याचार कतई बर्दाश्त नहीं करेगा और देश भर के बंजारा एक जुट होकर इस मामले में शीघ्र ही महापड़ाव का कार्यक्रम तय करेंगे ,,बंजारा समाज किसी भी सियासी पार्टी का बंधुआ नहीं है वोह तो समाज पर हो रहे ज़ुल्म और अत्यचार करने वालों को सज़ा दिलाने वालों के मददगारों के साथ है ,,,,,कैलाश बंजारा ने जिला कलक्टर और जिला पुलिस की तात्कालिक कार्यवाही पर संतोष प्रकट करते हुए कहा के बंजारा बस्ती में फिर से निर्माण करवाकर बंजारा समाज को पुनर्स्थापित करवाया जाए ,,वहां पुलिस सृक्षा की व्यवस्था की जाए ,,बंजारों के राशनकार्ड ,,बी पी एल बनवाकर उन्हें चयनित परिवार में सम्मिलित किया जाए ,,प्रत्येक प्रभावित परिवार को दस दस लाख का मुआवज़ा दिया जाए और राजस्थान के सभी बंजारों की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए ,,,,,,,,दोषी लोगों को शीघ्र गिरफ्तार कर उन्हें फास्ट ट्रेक कोर्ट में मामला भिजवाकर शीघ्र दण्डित करवाया जाए ,,कैलाश बंजारा के साथ एम सी बंजारा ,,,राजेन्द्र सोमावत ,,,ओम बंजारा सहित कई दर्जन लोग प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हाँ में फंस गया हूँ

हाँ में फंस गया हूँ
तुमसे प्यार करके
हाँ में फंस गया हूँ
तुमसे इक़रार करके
लेकिन मरते दम तक
में आपसे फंसा रहना चाहता हूँ
कोन कम्भख्त है जो आपके
इस हसीन प्रेम जाल से निकलना चाहेगा ,,अख्तर

तुम मेरे हो

तुम मेरे हो
में कैसे कह दूँ
तुम्हारी साँसे मेरी है
में कैसे कह दूँ
तुम्हारी नशीली आँखे
तुम्हारे नरम होंट मेरे है
में कैसे कह दूँ
बस इतना कहता हूँ
मेरी साँसे
मेरा रोम रोम
तुम्हारा
सिर्फ तुम्हारा है ,,अख्तर

मुगले आज़म देखी थी

ऐ जानेमन
मुगले आज़म देखी थी
अकबर ने कहा था
एक ऐसी मुजस्सम मूर्ति
जिसे देखकर
बादशाह अपना ताज रख दे
जिसे देखकर
आशिकों की साँसे थम जाए
जिसे देख कर
में भी ऐसा कह सकूँ
किया मुझे तुम
ऐसी तस्वीर नहीं दे सकते ,,,,
,किया मुझे तुम
ऐसी तस्वीर नहीं दे सकते ,,,,,,,,अख्तर

मेरे क़ातिल

मेरे क़ातिल
मेरे मसीहा
क्यों बार बार
मेरी शायरी पर
तुम शक करते हो
अरे उठाओ छुरी
चीर दो सीना मेरा
मेरे दिल के हर टुकड़े से
मेरी जुबां के हर अलफ़ाज़ में
लहू में डूबा हुआ
तुम्हारा तुम्हारा
सिर्फ तुम्हारा ही नाम होगा
इतनी दूर रहकर
मुझे तड़पाकर
मुझे रुलाकर
खुद ही कहते हो
किसने तोडा है दिल तुम्हारा
तुम्हारी दर्द भरी शायरी ऐसी क्यों है
तुम्ही बताओ
तुम्हे मुझ पर शक क्यों है ,,,अख्तर

क्या होगा अब

वोह पूंछते है
बढ़े तपाक से
क्या होगा अब
हम कहते है
मिलन होगा
इत्तेफ़ाक़ से
तो ज़िंदगी है
बिछुड़ना लिखा है
क़िस्मत में
तो बस फिर मोत है ,,अख्तर

इसे कहते है मिडिया का हरामीपन

इसे कहते है मिडिया का हरामीपन ,,एक इमाम मस्जिद के एक छोटे से निजी समारोह में किसको बुलाये किसको नहीं ,,,लेकिन जनाब मिडिया का हरामीपन देखिये हेडिंग झगड़ाने वाला बनाया और माहोल खराब कर दिया ,,,आज तक किसी इमाम के समारोह में कितने प्रधानमंत्री को बुलाया और कितने प्रधानमंत्री चले गए नेहरू से मोदी तक यही हाल रहा है ,,अगर मोदी साहब के पास न्योता जाता भी तो क्या वोह चले जाते किसी मिडिया कर्मी ने मोदी से पूंछने की हिम्मत की ,,,नहीं ना तो फिर इतना बखेरा क्यों एक इमाम को इतना ज़िल्लत क्यों ,,,,हमारे एक साहब है जो सुपारी लेकर धरने प्रदर्शन करते है उन्हें साक्षी महाराज के खिलाफ कोई रूपये देने वाला नहीं मिला उनके खिलाफ वोह कुछ नहीं बोले लेकिन मर्यादाएं तोड़कर इन बुखारी साहब के मोहल्ले में उनके खिलाफ बोलते देखे गए बात अजीब है लेकिन सच और कड़वी है ,,,,अख्तर

कैलाश बंजारा ने अलवर के नारायणपुरा क्षेत्र में बंजारों पर सुनियोजित सोची समझी साज़िश और सरकार की पीड़ितों को न्याय दिलाने की उपेक्षा मामले की कठोर शब्दों में भर्तसना की है

बंजारा फाउंडेशन के राष्ट्रिय अध्यक्ष कैलाश बंजारा ने अलवर के नारायणपुरा क्षेत्र में बंजारों पर सुनियोजित सोची समझी साज़िश और सरकार की पीड़ितों को न्याय दिलाने की उपेक्षा मामले की कठोर शब्दों में भर्तसना की है ,,कैलाश बंजारा ने इस मामले में पीड़ितों को अब त्तक पर्याप्त मुआवज़ा और सुरक्षा उपलब्ध नही कराने के मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा के इस घटना को राजनितिक साज़िश का रंग दिया जा रहा है ,,,कैलाश बंजारा ने कहा के कुछ सरकार से जुड़े लोग इस घटना में शामिल है और सरकार के दलाल बंजारा समाज को बदनाम करने के लिए गोधन की तस्करी का आरोप लगा रहे है जबकि बंजारा समाज ही ऐसा समाज है जो सही मायनों में गो को माता कहता ही नहीं उसे माता मानकर उसकी सुरक्षा और सेवा भी करता है ,,लेकिन फ़र्ज़ी ढोंगी लोग जो धर्म की आड़ में सरकारी ज़मीन हत्याकर व्यापार करते है और लोगों को गुमराह कर नफरत फैलाते है वोह अपने पापों को छुपाने के लिए गुमराही वाली अफवाह उड़ा रहे है ,,कैलाश बंजारा ने कहा के सरकार को अपनी आँख और कान खोल लेना चाहिए अगर सरकार ने एक हफ्ते के भीतर भीतर बंजारा समाज को न्याय नहीं दिया तो फिर बंजारा समाज राजस्थान की सड़के और चौराहे जाम कर देगा ,,,अघोषित महापड़ाव कार्यक्रम के तहत बंजारा समाज इस सरकार के खिलाफ बगावत करेगा ,,कैलाश बंजारा ने देश भर के बंजारा समाज के नेताओं और पदाधिकारियों से आह्वान किया है के वोह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राजस्थान के बंजारों को इंसाफ दिलाने के लिए आगे आएं उन्होेन राजस्थान के घुमन्तु विमंतु समाज के लोगों स एक जुट होने का भी आह्वान किया है ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दोस्तों यह कोटा है यहां मुर्दा कॉम पर हुए अत्याचार मामले में कोई नहीं बोलता और कॉम के लोग कभी एक होकर इन्साफ दिलाने के बारे में सोच भी नहीं सकते

दोस्तों यह कोटा है यहां मुर्दा कॉम पर हुए अत्याचार मामले में कोई नहीं बोलता और कॉम के लोग कभी एक होकर इन्साफ दिलाने के बारे में सोच भी नहीं सकते ,,में बात कर रहा हूँ उन्नीस अक्टूबर की रात मेले दशहरे में एक विधवा महिला शहनाज़ के पुलिस हमले के क़त्ल की जिसके क़त्ल की घटना ज़ालिनों ने इसी कॉम के दलालों से गुमराही वाली अफवाह फैलाकर दबा दी ,,,,,कहते है खून सर चढ़कर बोलता है ,,क़ातिल पुलिस और उसके दलाल इस बेज़ुबान महिला की मोत को चाहे छुपा दे लेकिन खुदा की लाठी में आवाज़ नहीं होती एक दिन इस खून का हिसाब क़ातिल पुलिस और उसके समर्थकों को ज़रूर देना होगा ,,,,मृतक शहनाज़ अपने पति की मोत के सदमे से उबरी भी नहीं थी के मेले दहशरे में अपने नवासा नवासी के साथ जाते वक़्त उन्नीस अक्टूबर को रात दस बजे बाद झुलाबाज़ार से खिलोना बाज़ार में जाते वक़्त निर्मम पुलिस के हमले का शिकार हो गयी ,,,मृतका के सर पर पुलिस का वार हुआ जो उसने बचाने की कोशिश की और लाठी गले पर पढ़ी ,,बच्चा शब्बीर खान और दूसरे लोग बचाने लगे तो उनपर भी हमला हुआ ,,पुलिस की इस बेरहम लाठी ने शहनाज़ को पहले बेहोश किया ,,लेकिन इस ज़ालिम पुलिस के जवानों ने इस अबला पर कोई रहम नहीं खाया और महिला को अस्पताल तक नहीं पहुंचाया नतीजा देरी से अस्पताल पहुंचने पर इस महिला की एक लाठी के वार से ही मोत हो गयी ,,,अफसोस इस बात पर है के मामला बिगड़ता देख पुलिस ने ऐसे लोगों को फोन कर बुलवाया जो पुलिस के अहसानों के बोझ तले दबे है और इन लोगों ने मृतक के परिजनों के काँधे पर हाथ रखा सब्ज़ बाग़ दिखाए और लाश के पोस्टमार्टम करवाने से लेकर दफनाने तक की ज़िम्मेदारी के बाद छूमंतर हो गए ,,,,कुछ लोगों ने अपराधियों को सज़ा दिलवाने के लिए एफ आई आर दर्ज करवाई जिसमे पुलिस निरीक्षक कनीज़ फातमा ,,,बजरंग सिंह ,,दयाराम ,,मांगीलाल ,,रामबाबू निगरानी चौकी की यास्मीन और कई पुलिसकर्मियों की पहचान लिखवाई गई ,,,,पुलिस अधिाकरियों ने एफ आई आर नंबर 302 दर्ज कर धारा 304 आई पी सी लगाई ,,पोस्मार्टम मेन्युप्लेट हुआ ,,गर्दन पर डंडे की चोट का निशाँ छुपाया गया ,,,,,घटनास्थल का ड्यूटी चार्ट अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया जबकि सी सी टीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग जो मख़्सूस लोगों ने देखि थी बाद में तकनीकी खराबी बताकर गायब कर दी गयी ,,कुलमिलाकर अपराधी पुलिसकर्मियों को बचाने की जी तोड़ कोशिश की जा रही है आज भी अगर मृतका का दोबारा पोस्टमार्टम हो तो पुलिस दबाव में किये गए पोस्टमार्टम की चोटों में फ़र्क़ नज़र आएगा और गर्दन की चोट जो पोस्मार्टम में नहीं लिखी गयी वोह अलग से साफ नज़र आजायेगी जिसकी विडिओ रिकॉर्डिंग भी महफूज़ है ,,,क्या क़ुसूर था मृतका शहनाज़ का जिसे पुलिस ने लाठी से वार कर मार डाला ,,,आखिर कोटा शहर ,,कोटा शहर के व्यापारी ,, कोटा शहर के कोंग्रेसी भाजपाई नेता इस क़त्ल के मामले में खामोशी से क़ातिलों के सुबूत मिटाने के खेल को क्यों देख रहे है ,,,आखिर क्यों इस गंभीर घटना के मामले में जनांदोलन नहीं हुआ ,,कहाँ गए वोह नेता जो लोगों को इन्साफ दिलाने के लिए धरने प्रदर्शन की बात करते है ,,,कहा गए वोह अख़बार वाले ,,कहा गए वोह मिडिया कर्मी जो ज़रा सी घटना को बढ़ा चढ़ा कर पेश करते है लेकिन इस जघन्य हत्या के मामले में खामोश बैठे है ,,कोई कुरेदा कुरेदी नहीं कोई फॉलोअप नहीं ,,,,कहा गए वोह इन्साफ का परचम लहराने वाले अफसर ,,,कहाँ गए वोह मुस्लिम कॉम की इन्साफ की बात करने वाले संगठन यह सारे सवाल एक बेबस मोत की शिकार निर्दोष शहनाज़ लगातार इस संवेदनहीन हो चुके कोटा शहर और कोटा वासियों से कर रही है ,,,,खुदा उसे इंसाफ ज़रूर देगा ,,क़ातिलों और क़ातिलों के दलालों को सज़ा ज़रूर मिलेगी यह खुदा भी जानता है और उसका बंदा भी लेकिन कब यह वक़्त बताएगा ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पत्नी को बेहोशी की दवा खिलाकर पिता करता था बेटी से दुष्कर्म

पत्नी को बेहोशी की दवा खिलाकर पिता करता था बेटी से दुष्कर्म
बल्लभगढ़। हरियाणा के बल्लभगढ़ के पास चंदावली गांव में एक पिता द्वारा 12 वर्षीय पुत्री के साथ दुष्कर्म किए जाने का मामला सामने आया है। पीड़ित का कहना है कि 6 वर्ष की उम्र से उसका पिता उसके साथ दुष्कर्म करता आ रहा है। दुष्कर्म करने से पहले पिता उसकी मां को किसी बहाने से बेहोशी की दवा खिला देता था। इसके बाद मां बेहोश हो जाती थी और पिता दूसरे कमरे में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म करता था। थाना सदर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपी फरार है।
 
चंदावली निवासी 12 वर्षीय लड़की ने पुलिस को बताया कि वह इलाके के एक स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ती है। उसका कहना है कि जब वह 6 वर्ष की थी, तभी एक दिन उसके पिता ने  उसके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी थी। लड़की का कहना है कि जब भी पापा को उसके साथ गलत काम करना होता था, वह मम्मी को नशे की दवा खिला देता था। इसके बाद पापा उसे दूसरे कमरे में ले जाकर उसके साथ गलत काम करते थे।
 
स्कूल टीचर ने की पहल, तब हुआ मामला दर्ज
 
किशोरी का कहना है कि पिता ने बुधवार रात को भी उसके साथ दुष्कर्म किया था। लड़की ने हिम्मत कर घटना की जानकारी किसी तरह अपनी नानी व मौसी को दी। मौसी ने यह बात उनकी मां को बताई। लेकिन मां ने कुछ नहीं किया। इसके बाद किशोरी ने स्कूल टीचर को घटना की पूरी जानकारी दी। 

क्लास टीचर ने अन्य टीचरों से इस संबंध में बात की। इसके बाद फोन कर छात्रा की मां को स्कूल में बुलवाया। लड़की व उसकी मां को स्कूल टीचर अपने साथ लेकर पुलिस के पास पहुंचीं। मामले की जांच कर रहीं एसआई संतोष के अनुसार केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। आरोपी पिता की तलाश की जा रही है। छात्रा की मेडिकल जांच कराई जा रही है।

छोटी सोच के हैं मोदी, देश के लिए जान देने वाली इंदिरा का किया अपमान: कांग्रेस


 
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला है। पार्टी के नेता आनंद शर्मा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि पीएम ने इंदिरा गांधी का अपमान किया और यह दर्शाता है कि मोदी और भााजपा की असलियत क्या है? शर्मा ने कहा, 'यह एक छोटी सोच है। यह उन लोगों के प्रति पक्षपातपूर्ण और अपमानजनक रवैया है, जिन्होंने देश के लिए जान दे दी। खास तौर पर इंदिरा गांधी, जिन्होंने देश की एकता के लिए जान गंवाई।' कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी कहा कि इंदिरा गांधी ने देश के लिए मौत को गले लगा लिया और प्रत्येक सरकार की जिम्मेदारी है कि उनके बलिदान का सम्मान करे। 
 
शुक्रवार को बल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर पीएम मोदी के आह्वान पर राजधानी दिल्ली समेत पूरे देश में 'रन फॉर यूनिटी' का आयोजन किया गया था। इसी दिन पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि भी पड़ती है। पीएम ने अपने भाषण में इंदिरा गांधी का जिक्र तो किया, लेकिन उनकी पूरी स्पीच पटेल पर फोकस रही। वह इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि देने उनके समाधिस्‍थल भी नहीं गए। इसके बाद, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इंदिरा गांधी की कुर्बानी को भुलाने की कोशिश की गई। 
 
शर्मा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी ने रन फॉर यूनिटी को झंडा दिखाकर रवाना किया लेकिन देश के सबसे बड़ी राजनीतिक हस्तियों में शामिल नेता के सबसे बड़ी कुर्बानी का जिक्र तक नहीं किया। बीजेपी पर निशाना साधते हुए शर्मा ने कहा कि पटेल एक कांग्रेसी थे, जिन्होंने अपने गृह मंत्री रहने के दौरान बीजेपी के वैचारिक थिंकटैंक आरएसएस को बैन कर दिया था।  
 
बीजेपी ने दिया जवाब 
उधर, कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि किसी नेता के महत्व को कमतर करने का सवाल ही नहीं उठता। नायडू ने कहा, ''इतिहास में हर नेता का अलग स्थान है। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। लेकिन सरदार पटेल देश के सर्वोच्च नेताओं में से एक थे, जो एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। वह भारत की एकता के प्रतीक थे। वह हर किसी के रोल मॉडल हैं। '' वहीं, बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि कांग्रेस लगातार इन मुद्दों का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है। कोहली ने कहा, ''ऐसा करके कांग्रेस खुद पर सवाल खड़े कर रही है। क्या वह एकता के खिलाफ हैं? क्या वह इतिहास की हर चीज को नेहरू-गांधी के परिप्रक्ष्य में देखना चाहती है। ''

इंदिरा को श्रद्धांजलि देने पहुंचे सोनिया, राहुल 
इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर उनके समाधि स्थल 'शक्तिस्थल' पर शुक्रवार को श्रद्धांजलि देने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी पहुंचे। समारोह स्थल पर भजन और इंदिरा गांधी के भाषण के अंश चलाए गए। इस मौके पर इंदिरा गांधी के आवास पर भी एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां 30 वर्ष पहले उनकी हत्या कर दी गई थी।

ऐन मौके पर अमित शाह ने 'मातोश्री' का गुस्सा किया शांत, शपथ ग्रहण में पहुंचे उद्धव

मुंबई. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की पार्टी ने पहले समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की थी। लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, वित्तमंत्री अरुण जेटली व फडणवीस ने फोन कर उनसे बात की। उनसे कार्यक्रम में आने का आग्रह किया। और वे (उद्धव) आए भी। कार्यक्रम के बाद मोदी से हाथ मिलाया। शाह से मुलाकात भी की। उद्धव के आने से यह संकेत मिले हैं कि शिवसेना जल्द सरकार में शामिल होगी।
 
गौरतलब है कि भाजपा द्वारा गठबंधन तोड़े जाने के बाद से शिवसेना और भाजपा के रिश्तों में खटास आई थी। वहीं चुनाव के दौरान दोनों पार्टियों के नेताओं ने एक दूसरे पर तीखी टिप्पणियां भी की थी। लेकिन शपथ ग्रहण के पहले भाजपा के आलाकमान का फ़ोन आने पर 'मातोश्री' की नाराजगी दूर हुई है।  सूत्रों के मुताबिक अमित शाह और उद्धव के बीच गठबंधन को लेकर भी बातचीत हुई है।  ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा से गठबंधन के मामले में शिवसेना जल्द ही फैसला लेगी। 
 
उद्धव के साथ अन्य शिवसेना के नेता भी पहुंचे 
 
शपथ ग्रहण में उद्धव के पहुंचने के कुछ ही समय बाद शिवसेना नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी भी वानखेड़े पहुंचे। इसके कुछ ही समय बाद शिवसेना के दिग्गज नेता दिवाकर राव भी शपथ ग्रहण में शामिल हुए।   
 
शिव सैनिक हुए नाराज़ 
 
शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे का शपथ ग्रहण में पहुंचना और भाजपा के नेताओं से मिलना शिवसेना के कई नेताओं को रास नहीं आया। इस मुलाक़ात पर कई शिवसैनिकों ने नाराजगी भी जाहिर की है। शिवसैनिकों का कहना है कि उद्धव को ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था।

क़ुरआन का सन्देश

 
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