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06 नवंबर 2014

BJP नेता की लव स्टोरी, कार्ड में लिख पूछा था- ‘Will you be my Wife’

जयपुर. अपने कविता संग्रह 'जैसे' और 'पानी प्यार' पर चर्चा के लिए कवयित्री और बीजेपी प्रवक्ता शहनवाज हुसैन की पत्नी रेणु हुसैन बुधवार को कनोड़िया कॉलेज आई। इस विजिट में उन्होंने अपने जीवन के अनछुए पहलुओं को शेयर किया। 
 
‘मुझे शब्दों के जरिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का शौक है। शहनवाज मुझे वो सब करने की आजादी देते हैं जो मैं करना चाहती हूं। बीजेपी प्रवक्ता होने के नाते अब वो एक पब्लिक फिगर हैं। लेकिन ना उन्हें ना मुझे एक बड़े आदमी की पत्नी कहलाना पसंद है। मेरी अपनी एक पहचान है। मैं गवर्नमेंट स्कूल में टीचर हूं और अब कवयित्री भी।’ ये कहना है रेणु हुसैन का।

वे कहती हैं, ‘1986 में जब हम मिले थे तो दोनों ही स्टूडेंट थे। दोनों के पास एक-दूसरे के लिए भरपूर समय था। एक ही बस में अपने स्कूल और कॉलेज आया-जाया करते थे। मुझे नहीं पता चला वो कब मुझे पसंद करने लगे। धीरे-धीरे घर पर आना-जाना शुरू हुआ। फिर एक दिन मेरे बर्थडे पर एक ग्रीटिंग कार्ड गिफ्ट दिया। उस कार्ड में लिखा था - ‘विल यू बी माय वाइफ।’ एकदम से हां कैसे कह देती। थोड़ा सा वक्त लिया। मेरे साइड से घरवालों को भी राजी करने में समय था। आखिर मैं रेणु शर्मा थी और ये शहनवाज हुसैन।’
 
इस रिश्ते को समझने के लिए एक-दूसरे को भरपूर समय दिया। और 1994 में शादी की। रेणु कहती हैं - ‘उस वक्त और अब के हालात में जमीन-आसमान का फर्क है। मेरी गवर्नमेंट जॉब लग गई थी और शहनवाज अपने पॉलिटिकल करिअर में संघर्ष कर रहे थे। वो मुझे सावित्री नगर से चिराग दिल्ली तक पैदल स्कूल छोड़ने जाते थे। उस सफर के दरमियां कभी ना खत्म होने वाली हम दोनों की बातें। हमारे खट्टे मीठे रिश्ते को और भी चटपटा करती वो पानी पूरी आज भी याद आती है।’
 
‘अब रास्ते में खड़े होकर दोनों ही पानी पूरी नहीं खा सकते। वो अब अपने करिअर में बिजी हैं और मैं अपनी जॉब में। तो क्या हुआ अब दोनों एक-दूसरे को बहुत वक्त नहीं दे पाते। लेकिन आज भी एक-दूसरे को स्पेस देते हैं। गिफ्ट देने में वो आज भी नंबर वन हैं।’
 
‘हमारे घर में हिंदू और मुस्लिम दोनों कल्चर फॉलो होते हैं। ये एक इत्तफाक ही है कि मेरे मोबाइल नंबर और लैंडलाइन दोनों में ही लास्ट में 786 आता है। मैंने अपनी कविता शहनवाज की मां पर लिखी है। उन्हें मैं भी अम्मीजान कहती थी। उसका जिक्र भी इस संग्रह में है’।

बीजेपी सरकार बनते ही बिजनेस समेटने लगे रॉबर्ट वाड्रा, बंद की 4 कंपनियां

 
नई दिल्ली: रियल एस्टेट कारोबार में नई ऊंचाइयों को छूने की हसरत लिए हरियाणा और राजस्थान में 6 कंपनियां खोलने वाले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा अब उन्हें एक-एक करके बंद कर रहे हैं। इन दोनों ही राज्यों में बीते कुछ वक्त में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो चुकी है। हरियाणा में डीएलएफ के साथ जमीन सौदों को लेकर विवादों में आ चुके रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ राज्य की नई सरकार ने भी हाल ही में जांच कराने का एलान किया था। वाड्रा हाल ही में जमीन सौदे से जुड़े सवालों को लेकर पत्रकार के साथ बदसलूकी करने के बाद विवादों में आ गए थे। 
 
अंग्रेजी अखबार डीएनए के मुताबिक, जो चार कंपनियां वाड्रा ने बंद की हैं, उनके नाम हैं- लाइफलाइन एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड, ग्रीनवेव एग्रो प्राइवेट लिमिटेड, राइटलाइन एग्रीकल्चर प्राइवेट लिमिटेड और प्राइम टाइम एग्रो प्राइवेट लिमिटेड। बाकी जो दो कंपनियां बंद होने की प्रक्रिया में हैं, वे हैं फ्यूजर इन्फ्रा एग्रो और बेस्ट सीजंस प्राइवेट लिमिटेड। ये सारी कंपनियां 2012 में बनी थीं। मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स के मुताबिक, ये कंपनियां कृषि पर आधारित या जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़ी हुई हैं। वाड्रा इन सभी कंपनियों के एमडी हैं। 
 
खबर के मुताबिक, वाड्रा ने अपनी कंपनियां तभी बंद करनी शुरू कर दी थीं, जब बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार केंद्र में आई थी। मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स के रिकॉर्ड के मुताबिक, वाड्रा की सभी कंपनियां इस साल मई तक सक्रिय रही थीं। बता दें कि नरेंद्र मोदी ने 26 मई को बतौर पीएम शपथ ली थी। 
 
जमीनें बेचनी शुरू की 
वाड्रा ने न केवल अपनी कंपनियां बंद करनी शुरू कर दी हैं, बल्कि वह राजस्थान और हरियाणा में अपनी जमीनें बेच भी रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, राज्य और केंद्र सरकार की कड़ी निगरानी के डर से उन्होंने ऐसा करना शुरू कर दिया है। बता दें कि वाड्रा की संपत्ति उस वक्त बढ़नी शुरू हुई, जब उन्होंने रियल एस्टेट कारोबार में हाथ आजमाया। उन्होंने राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड में काफी जमीन खरीदीं। हालांकि, इनमें से अधिकतर डील विवादों में रहीं। इसकी वजह कथित संदिग्ध लेन-देन और अपुष्ट धन का स्रोत होना रहा। मसलन, राजस्थान में जमीन सौदों के लिए उनकी कंपनी नॉर्थ इंडिया पार्क्स प्राइवेट लिमिटेड, रियल अर्थ एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, स्काईलाइट रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड और स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड जांच के दायरे में हैं। आरोप है कि इन कंपनियों के जरिए वाड्रा ने हजारों एकड़ जमीन औने-पौने दामों में खरीदी। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, ये सभी कंपनियां अभी भी सक्रिय हैं।

3 माह की बच्ची दौड़ती है घुटनों के बल, बिन दांत खा जाती है रोटी

जमशेदपुर. तीन माह की बच्ची घुटनों के बल चले, बड़ों जैसा खाए-पीए, तो क्या  यकीन करेंगे? शायद नहीं। लेकिन जमशेदपुर में एक ऐसी ही बच्ची है, जिसकी मनोहारी हरकतें दो साल के बच्चों जैसी हंै। नाम है ट्विंकल (सृष्टि)। परसुडीह के सोपोडेरा निवासी राकेश पांडेय व सुमित्रा पांडेय की बिटिया ट्विंकल अभी महज तीन माह की है, लेकिन वह घुटनों के बल दौड़ती है। दांत नहीं हैं, लेकिन बड़ों की तरह जलेबी खाती है। चावल-रोटी भी खाती है। ट्विंकल के माता-पिता ही नहीं, डॉक्टर भी हैरत में हैं। शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ केके चौधरी के अनुसार, बच्ची के गुण अद्भुत हैं। आमतौर पर इस उम्र में बच्चे माता के दूध पर आश्रित होते हैं। घुटनों के बल चलने की कल्पना तक नहीं की जा सकती। छह माह के बाद ही रोटी-चावल दिया जाता है। लेकिन, ट्विंकल बिल्कुल अलग है।
 
 
तीन माह में ही विलक्षण गुण  
 
राकेश पांडेय आर्मी में जूनियर इंजीनियर हैं। राकेश ने बताया कि 27 जुलाई 2014 को ट्विंकल कमांड अस्पताल, जम्मू में पैदा हुई थी। सात माह में ही उसका जन्म (प्री-मैच्योर डिलीवरी) हो गया था। घरवालों ने सोचा कि बच्ची कमजोर होगी। उस समय बेटी का वजन 2.45 किलो था। लेकिन दिनों-दिन उसका विकास होता गया। आज उसका वजन आठ किलो है।
 
हार्मोन इम्बैलेंस के कारण संभव है  
 
आज तक मैंने इस तरह का केस न देखा है और न ही सुना है। यह अचरज भरी बात है कि तीन माह की बच्ची बैठे, घुटनों के बल दौड़े और बड़ों जैसा आहार ले। मेडिकल साइंस का मानना है कि हार्मोन इम्बैलेंस के कारण ऐसा हो सकता है। लेकिन, यह रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस है। बच्ची विलक्षण गुणों वाली है। डॉ केके चौधरी, अध्यक्ष, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, जमशेदपुर

3763 करोड़ के महल में रहने वाले तुर्की के राष्ट्रपति का चैलेंज-दम है तो तोड़ दो इमारत

फाइल फोटो: अपने महल व्हाइट पैलेस में मौजूद तुर्की के राष्ट्रपति।  
 
अंकारा. तुर्की के राष्ट्रपति दुनिया के सबसे बड़े महल में शिफ्ट हो गए हैं। इस महल को बनाने में तकरीबन 3763.2 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। 11 साल तक तुर्की के प्रधानमंत्री रहे रेसेप तैयिप एरडोगन 'व्हाइट पैलेस' नाम के महल में रह रहे हैं। यह महल तुर्की की राजधानी अंकारा में जंगल की जमीन पर बना है। इस जमीन पर निर्माण कार्य कोर्ट की ओर से प्रतिबंधित है। बावजूद इसके एरडोगन ने महल बनवाया है। व्हाइट पैलेस महल में 1,000 कमरे हैं। महल का फ्लॉर एरिया 31 लाख वर्ग फुट है। इस शाहखर्ची के लिए एरडोगन की तीखी आलोचना हो रही है। लेकिन बेपरवाह एरडोगन ने कहा है, "इस इमारत का निर्माण कोई नहीं रोक सकता है। अगर उनमें (विपक्षी या आलोचक) दम हो तो वे आगे आएं और इसे गिरा दें।" 
 
व्हाइट पैलेस फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें के महल 'वर्सेलिस' और ब्रिटेन के शाही परिवार के महल 'बकिंघम पैलेस' की तुलना में चार गुना ज्यादा बड़ा है। लेकिन इसी साल अगस्त में राष्ट्रपति बने एरडोगन की शाहखर्ची को लेकर आलोचना हो रही है। तुर्की की रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी जुड़े विपक्ष के नेता केमल किलिकडारोग्लू के मुताबिक, "तथाकथित सुल्तान ने अपने लिए महल ऐसे देश में बनवाया है, जहां 30 लाख लोग बेरोजगार हैं। आपने सैकड़ों पेड़ों को काटकर अपने लिए महल बनवाया है।" एरडोगन की शाहखर्ची सिर्फ महल तक सीमित नहीं है। उन्होंने अपने लिए 1127 करोड़ रुपए खर्च कर एयरबस से स्पेशल जेट विमान बनवाया है। 
 

व्हाइट पैलेस महल की अन्य खासियतें 
-बाथरूम में सिल्क वॉलपेपर लगे हैं।
-महल के चारों ओर पेड़ लगाए गए हैं।
-महल के भीतर चीन के आधुनिक रेलवे स्टेशन की तर्ज पर निर्माण कार्य किए गए हैं। 
 
दुनिया के कुछ मशहूर भवन और उनके फ्लॉर एरिया  
बकिंघम पैलेस (इंग्लैंड)-7.70 लाख वर्ग फुट    
वर्सेलिस (फ्रांस)-7.21 लाख वर्ग फुट
व्हाइट हाउस (अमेरिका)- 54876 वर्ग फुट
राष्ट्रपति भवन (भारत)-2 लाख वर्ग फुट

बिहार के सीएम मांझी बोले-दामाद को तो हटा दिया, लेकिन भांजे को नहीं हटाऊंगा


 
पटना. बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सफाई देते हुए कहा है कि उनके पीए के रूप में दामाद की नियुक्ति ने उन्होंने नहीं बल्कि पर्सनल सेक्रेटरी ने की थी। उन्होंने यह भी कहा कि दामाद को पीए बनाए जाने की जानकारी मुझे नहीं थी और कैबिनेट सेक्रेटेरियट को भी यह सब देखना चाहिए। मांझी के मुताबिक, 'मेरी जानकारी में बात आई तो पीए पद से हटा दिया।' लेकिन मांझी अपने भांजे को सरकारी पद से हटाने को राजी नहीं हैं। मांझी ने इस बारे में कहा, 'जहां तक मेरे भांजे की बात है, तो उसे मैं नहीं हटाऊंगा। भांजा निजी परिवार का सदस्य नहीं है। वैसे जोड़ेगे तो मेरी जाति का हर आदमी कोई न कोई सबंधी निकल जाएगा।' बिहार के मुख्यमंत्री ने अपने आलोचकों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, 'मुझे दिन-रात गाली देने वाले अपनी औरत को जाली सर्टिफिकेट पर प्रोफेसर बनाए हैं।'
 
मांझी के दामाद को सीएम के पीए के पद को विवाद के बाद छोड़ना पड़ा है। मांझी के दामाद तब से उनके पीए हैं जब से मांझी नीतीश सरकार में मंत्री थे। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया। विपक्षी पार्टी बीजेपी ने बिहार सरकार के सभी मंत्रियों के पीए की नियुक्ति की जांच की मांग की है। बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने मांझी को इस मामले में आड़े हाथों लिया है। लेकिन इतना विवाद उठने के बाद भी मांझी अपने भांजे को हटाने के लिए तैयार नहीं हैं।

क़ुरआन का सन्देश

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