आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

08 नवंबर 2014

दरवाजे खटखटाते हैं

चलो कुछ पुराने दोस्तों के
दरवाजे खटखटाते हैं
देखते हैं उनके पँख थक चुके हैं.…
या अभी भी फड़फड़ाते हैं
वो बेतकल्लुफ़ होकर
किचन में कॉफ़ी मग लिए बतियाते हैं
या ड्राइंग रूम में बैठा कर
टेबल पर नाश्ता सजाते हैं
हँसते हैं खिलखिलाकर
या होंठ बंद कर मुस्कुराते हैं
वो बता देतें हैं सारी आपबीती
या सिर्फ सक्सेस स्टोरी सुनाते हैं
हमारा चेहरा देख
वो अपनेपन से मुस्कुराते हैं
या घड़ी की और देखकर
हमें जाने का वक़्त बताते हैं
चलो कुछ पुराने दोस्तों के
दरवाजे खटखटाते हैं
देखते हैं उनके पँख थक चुके हैं.…
या अभी भी फड़फड़ाते हैं ।

मोदी पर बोले खुर्शीद- मेरे साथ हाथ की कुश्ती करते तो पता चलता कितने हैं मजबूत


 
जयपुर. कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद का कहना है कि राहुल गांधी ने दस साल तक हमारा साथ दिया जब हमने खाकर डकार भी नहीं ली, अब मुश्किल समय में हम उनका साथ कैसे छोड़ दें। जो बुरे वक्त में अपने नेता के साथ खड़ा नहीं हो सकता है वह कैसा नेता? शनिवार को एक कार्यक्रम में शिरकत करने जयपुर आए खुर्शीद ने भास्कर के बेबाक बातचीत की। 

केंद्र सरकार के कामकाज के सवाल पर खुर्शीद ने कहा कि, 2-4 साल बाद बताएंगे कि कैसी सरकार है? एक गांव को गोद लेना किसी एनजीओ, उद्योगपति और समाजसेवी का काम हो सकता है। सरकार की नजर में तो देश के सभी गांव बराबर होने चाहिए। हां, गरीब, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को देखते हुए किसी विशेष गांव पर ध्यान दिया जा सकता है। 
 
प्रधानमंत्री मोदी पर खुर्शीद ने कहा कि मोदी तो खुद अपने आपको ऐसे मजबूत बता रहे हैं जैसे कि इससे पहले देश में कोई मजबूत प्रधानमंत्री नहीं बना। राजीव गांधी और इंदिरा गांधी क्या मजबूत नेता नहीं थे। मोदी ने मेरे साथ हाथ की कुश्ती नहीं की, अगर करते तो पता चलता कि वो कितने मजबूत हैं। मोदी तो खुद एक नया फार्मूला हैं वे चाहे जैसे फार्मूले ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी और भाजपा को शायद यह धोखा हो गया है कि यह आखिरी चुनाव है। अमेरिका में ओबामा जीते थे तब भी लोग यही कर रहे थे कि अब वे नहीं हारने वाले। एक सप्ताह पहले ही आपने वहां का हाल देखा है। डेमोक्रेसी की यही ताकत है। इंदिरा गांधी 18 माह बाद ही फिर सत्ता में आ गई थी।

12 साल की बच्ची से ज्यादती, सिर फोड़ा, फिर सिगरेट दागकर देखा कहीं जिंदा तो नहीं


12 साल की बच्ची से ज्यादती, सिर फोड़ा, फिर सिगरेट दागकर देखा कहीं जिंदा तो नहीं
इंदौर. 12 साल की बच्ची के साथ कुछ लोगों ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी। पहले ज्यादती की। फिर जान लेने के लिए सिर में हथौड़ीनुमा चीज से वार किया। इससे सिर में गड्ढा हो गया। बच्ची ने उसी समय आंखें बंद कर लीं। वह मरी या नहीं... यह जानने के लिए दरिंदों ने उसका हाथ जलाया। जगह-जगह सिगरेट भी दागी। दरिंदों को लगा कि वह मर गई है तो उसे छोड़कर भाग गए, लेकिन बच्ची बच गई। मानवीयता को शर्मसार कर देने वाली यह वीभत्स घटना सागर जिले की है। फिलहाल बच्ची इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती है, लेकिन सांस लेने और आंखें खोलने के सिवाय उसके शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही। डॉक्टरों का कहना है कि अब वह सामान्य जीवन नहीं जी पाएगी। 
 
बच्ची के चाचा के मुताबिक, सागर जिले के कैंट थाना क्षेत्र में 3 अक्टूबर (दशहरा) को बच्ची पांच साल की चचेरी बहन के साथ देवी दर्शन के लिए सुबह जल्दी घर से निकली। दोनों कुछ दूर पहुंची ही थीं कि दो बाइक सवार आए और बड़ी बहन को उठाकर ले गए। उसे एक बगीचे में ले जाकर ज्यादती की। इस बीच, उसकी छोटी बहन थाने पहुंच गई। उसने रोते हुए तोतली जुबान में बहन के अपहरण की बात कही। पुलिस बच्ची को लेकर मौके पर गई। आसपास तलाश की। बच्ची गार्डन में लहुलुहान स्थिति में मिली। 
 
मुख्यमंत्री ने इलाज के लिए इंदौर भिजवाया 
 
घटना वाले दिन ही सागर के डॉक्टरों ने बच्ची को भोपाल ले जाने की सलाह दी। 4 अक्टूबर से 7 नवंबर तक वह भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती रही, लेकिन हालत नहीं सुधरी। इस बीच, परिजनों ने मुख्यमंत्री निवास जाकर निजी अस्पताल में इलाज कराने की गुहार लगाई। सीएम को भी घटना की जानकारी थी। मुख्यमंत्री राहत कोष से बच्ची का इलाज इंदौर में करवाने की व्यवस्था कराई गई।
 
सामान्य बच्चियों की तरह शायद ही हो पाए  

बच्ची का इलाज कर रहे डॉ. राकेश शुक्ला के मुताबिक बच्ची का न्यूट्रीशन सिस्टम एक महीने से खराब है। उसका वजन बहुत कम हो गया है। खून की कमी भी है। वह धीरे-धीरे ठीक हो रही है, लेकिन इसकी संभावना कम है कि वह सामान्य बच्चियों की तरह हो पाए। इसका कारण यह है कि सिर की चोट पहले एक महीने में जितनी ठीक होना चाहिए, उतनी नहीं हुई। इसमें सालभर लगेगा।
 
पुलिस को नहीं मिल रहे आरोपी  

घटना को 37 दिन हो चुके हैं, लेकिन पुलिस आरोपियों का पता नहीं लगा सकी। अब तक यह भी नहीं पता चला कि बच्ची से कितने लोगों ने ज्यादती की। पुलिस ने बच्ची की चचेरी बहन को कुछ आरोपियों के चेहरे भी दिखाए, लेकिन उसने नहीं पहचाने।

गोवा: पहले दो चुनाव हारने और तीसरे में 750 वोटों से जीतने वाले पार्सेकर बने सीएम


 
नई दिल्ली. लक्ष्मीकांत पार्सेकर गोवा के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं। शनिवार को पणजी में उहोंने पद और गोपनीयता की शपथ ली। शपथ लेने के बाद गोवा के नए मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं 25 साल से बीजेपी का कार्यकर्ता हूं। मुख्यमंत्री बनना मेरे लिए कोई अचरज भरी बात नहीं है।' सार्वजनिक तौर पर मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करने वाले फ्रांसिस डिसूजा ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली है। वे उप मुख्यमंत्री बने रहेंगे। पार्सेकर के अलावा नौ मंत्रियों ने शपथ ली है। पहले पर्रिकर मंत्रिमंडल में शामिल रहे सभी मंत्रियों को पार्सेकर मंत्रिमंडल में भी मंत्री बनाया गया है। ये हैं फ्रांसिस डिसूजा, दयानंद मांड्रेकर, रमेश तावडेकर, महादेव नाइक, दिलीप पुरुलेकर, मिलिंद नाइक, एलिना साल्दान्हा (सभी बीजेपी) और रामकृष्ण उर्फ सुदिन धवलीकर व दीपक धवलीकर (दोनों महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी) से। लक्ष्मीकांत पार्सेकर का राजनीतिक सफर आसान नहीं रहा है। उन्होंने परिवार की इच्छा के खिलाफ जाकर 1988 में बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। तब उनके परिवार ने उन्हें 'बागी' के रूप में देखा था। 2002 में पहला चुनाव महज 750 वोटों से जीता था।
 
इससे पहले शनिवार को गोवा बीजेपी विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से लक्ष्मीकांत पार्सेकर को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया। मनोहर पर्रिकर ने शनिवार को ही गोवा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनको रक्षामंत्री बनाए जाने की अटकले हैं। शनिवार को बीजेपी संसदीय बोर्ड की इस मुद्दे पर बैठक हुई। बैठक में गोवा के नए मुख्यमंत्री को लेकर चर्चा हुई। इस्तीफे से पहले पर्रिकर ने आर्कबिशप से भी मुलाकात की। इसके बाद वे राज्य बीजेपी दफ्तर में विधायकों की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे। 
 
 
विधानसभा के पहले दो चुनाव हार गए थे पार्सेकर 
पार्सेकर मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व वाली गोवा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। 58 साल के लक्ष्मीकांत पार्सेकर उत्तरी गोवा की मंदरेम विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वे 2002 और 2012 में पार्टी की गोवा इकाई के प्रमुख रहे हैं। साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट लक्ष्मीकांत शुरुआती दौर में कुछ समय के लिए टीचर भी रहे। 1980 के दशक में वे आरएसएस की गतिविधियों से जुड़े। लक्ष्मीकांत पार्सेकर ने परिवार की इच्छा के खिलाफ जाकर बीजेपी के टिकट पर 1988 में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के रमाकांत खलप के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उस दौर में उनका परिवार महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी का समर्थक था। इस बात का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि लक्ष्मीकांत के विरोधी रमाकांत के चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने वाला एक ट्रक लक्ष्मीकांत के पिता का ही था। लक्ष्मीकांत इस बारे में बताते हैं, 'मैंने तो अपना बोरिया-बिस्तर बांध लिया था और घर छोड़ने वाला था क्योंकि मेरे परिवार इस बात को पचा नहीं पा रहा था कि मैंने गोमांतक पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ा। तब बीजेपी को इस इलाके में शायद ही कोई जानता था। मुझे बागी के रूप में देखा गया था।'
 
लेकिन पार्सेकर को कामयाबी जल्दी नहीं मिली। 1988 के बाद 1999 में वे फिर से विधानसभा का चुनाव हार गए। 1999 की हार के बारे में पार्सेकर ने कहा, मेरे लिए संतोष की यही बात थी कि मैंने अपनी जमानत बचा ली थी। लेकिन इन नाकामियों से बेफिक्र पार्सेकर ने 2002 में फिर चुनाव लड़ा और इस बार उन्होंने रमाकांत खलप को हरा दिया। हालांकि उनकी जीत का मार्जिन महज 750 वोट था। 2007 में उन्होंने अपने जीत के अंतर को दोगुना किया और 2012 में भी चुनाव जीता। बीजेपी में उनका लंबा सफर और आरएसएस से जुड़ाव उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में अहम फैक्टर रहे।

नकाब

वो नकाब लगा कर
खुद को
इश्क से महफूज समझती रही,
नादान...
इतना नही समझी
कि इश्क चेहरे से नही...
नजरों से शुरू होता है..!!!

बंजारा बंजारा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश बंजारा की महनत रंग ला रही है

बंजारा बंजारा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश बंजारा की महनत रंग ला रही है ,,अलवर ज़िले के नारायणपुर थाना इलाक़े के नीमड़ी गाँव की उजाड़ ,,तबाह की गयी बंजारा बस्ती की सरकार सुध लेने लगी है ,,विदित रहे गत 24 अक्टूबर को नीमड़ी गाँव में स्थानीय हथियारबंद लोगों ने हमला कर बंजारों को बस्ती जलाकर बेघर और घायल कर दिया था ,,इस मामले में कैलाश बंजारा के नेतृत्व में एक दल ने स्थिति का जायज़ा लिया फिर अलवर के ज़िलाकलेक्टर ,,पुलिस अधीक्षक से भेंट कर वहां के हालात जाने ,,पुनर्वास हेतु आवश्यक दिशानिर्देश जारी हुए ,,,अपराधियों को दबाव बनाकर गिरफ्तार किया गया ,,एक तरफ तो कांग्रेस के सभी बढ़े नेता अगल बगल हो रहे थे ,,घटना पर लोगों को मदद दिलवाने की जगह सियासत सिर्फ सियासत कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ ,,कैलाश बंजारा ने बंजारा समाज के राष्ट्रिय नेतृत्व और बंजारा मिडिया के लोगों को पूरी घटना से अवगत कराया ,,पूर्व केंद्रीय मंत्री बलराम नाइक ,,पूर्व सांसद हरिभाऊ राठोड ,,पूर्व मंत्री डॉक्टर अमर सिंह तिलावत ,,तेलगाना सांसद प्रोफेसर सीताराम नाइक ,,,सहित बंजारा टाइम्स के मिडिया कर्मियों को दास्तान सुनाई ,,,,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,,राष्ट्रपति प्रणवमुखर्जी ,,,राष्ट्रिय और राज्य मानवाधिकार आयोग ,,,,मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार सहित सभी लोगों को ज्ञापन दिए ,,पुनर्वास और सुरक्षा संबंधित सुझाव दिए ,,नतीजा सकारात्मक रूप में आना शुरू हुआ ,,कैलाश बंजारा का धन्यवाद व्यक्त करते हुए अलवर के बंजारों ने उनकी जयजयकार करते हुए कहा के अभी वर्तमान में अलवर प्रशासन उनकी मदद कर रहा है ,, पुनर्वास की योजना शुरू हो गयी है ,,,आर्थिक सहायता के आश्वासन मिले है ,,,सुरक्षा की व्यवस्था हो रही है ,,अपराधियों की धरपकड़ शुरू हुई है ,,कुछ लापरवाहियां है जिनके लिए बंजारा समाज एक जुट होकर प्रशासन और सरकार से मांग कर रहा है ,,,कैलाश बंजारा ने मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार द्वारा अलवर के बंजारों को न्यायिक प्रक्रिया की शुरआत करवाएं पर धन्यवाद देते हुए कहा की सरकार को समाज और दलगत राजनीति से लग हठ कर राजधर्म का पालन करना चाहिए ,,कैलाश बंजारा ने कहा के इस संबंध में भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो और जो उजड़ी बस्तिया है उनमे सभी प्रकार की सुविधाये ,,सुरक्षा ,,मिले इसके लिए राज्य स्तर पर शीघ्र ही बंजारा समाज और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की एक आपात बैठक बुलाई जा रही है ,,,,,,कैलाश बंजारा ने कहा के इस प्रकरण में दोषी लोगों के खिलाफ क़ानूनी लड़ाई विधि विशेषज्ञों की राय लेकर उन्हें दंडित करवाने तक जारी रहेगी ,,,,,बंजारा समाज के देश के सभी संगठनों और पदाधिकारियों ने कैलाश बंजारा को इस लड़ाई में संघर्ष और न्यायिक लड़ाई की जीत के लिए मुबारकबाद देते हुए वचन दिया है के देश का पूरा बंजारा समाज कैलाश बंजारा के संघर्ष के साथ है ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क़ुरआन का सन्देश

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...