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11 नवंबर 2014

बैल, शेर व गरुड़ पर करते हैं सवारी, जानिए देवताओं के वाहन के बारे मे


उज्जैन। हिंदू धर्म में विभिन्न देवताओं का स्वरूप अलग-अलग बताया गया है। हर देवता का स्वरूप उनके आचरण व व्यवहार के अनुरूप ही हमारे धर्म ग्रंथों में वर्णित है। स्वरूप के साथ ही देवताओं के वाहनों में विभिन्नता देखने को मिलती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार अधिकांश देवताओं के वाहन पशु ही हैं। देवताओं के वाहन के रूप में ये पशु किसी न किस रूप में हमें लाइफ मैनेजमेंट का पाठ भी पढ़ाते हैं। आप भी जानिए किस देवता का वाहन क्या है और क्यों है-  

भगवान शंकर का वाहन बैल

धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शंकर का वाहन बैल है। बैल बहुत ही मेहनती जीव होता है। वह शक्तिशाली होने के बावजूद शांत एवं भोला होता है। वैसे ही भगवान शिव भी परमयोगी एवं शक्तिशाली होते हुए भी परम शांत एवं इतने भोले हैं कि उनका एक नाम ही भोलेनाथ जगत में प्रसिद्ध है। भगवान शंकर ने जिस तरह काम को भस्म कर उस पर विजय प्राप्त कि थी, उसी तरह उनका वाहन भी कामी नही होता। उसका काम पर पूरा नियंत्रण होता है। 8

भगवान श्रीगणेश का वाहन मूषक

भगवान श्रीगणेश का वाहन है मूषक अर्थात चूहा। चूहे की विशेषता यह है कि यह हर वस्तु को कुतर डालता है। वह यह नही देखता की वस्तु आवश्यक है या अनावश्यक, कीमती है अथवा बेशकीमती। इसी प्रकार कुतर्की भी यह विचार नही करते की यह कार्य शुभ है अथवा अशुभ। अच्छा है या बुरा।
 
वह हर काम में कुतर्कों द्वारा व्यवधान उत्पन्न करते हैं। श्रीगणेश बुद्धि एवं ज्ञान के देवता हैं तथा कुतर्क मूषक है, जिसे गणेशजी ने अपने नीचे दबा कर अपनी सवारी बना रखा है। यह हमारे लिए भी शिक्षा है कि कुतर्कों को परे कर उनका दमन कर ज्ञान को अपनाएं।
बैल, शेर व गरुड़ पर करते हैं सवारी, जानिए देवताओं के वाहन के बारे में
देवी दुर्गा का वाहन शेर

शास्त्रों में देवी दुर्गा का वाहन सिंह यानी शेर बताया गया है। शेर एक संयुक्त परिवार में रहने वाला प्राणी है। वह अपने परिवार की रक्षा करने के साथ ही सामाजिक रूप से वन में रहता है। वह वन का सबसे शक्तिशाली प्राणी होता है, किंतु अपनी शक्ति को व्यर्थ में व्यय नही करता। आवश्यकता पडऩे पर ही उसका उपयोग करता है।
 
देवी के वाहन शेर से यह संदेश मिलता है कि घर की मुखिया स्त्री को अपने परिवार को जोड़कर रखना चाहिए तथा व्यर्थ के कार्यों में अपनी बुद्धि को न लगाकर घर को सुखी बनाने के लिए लगातार प्रयास करना चाहिए।

भगवान विष्णु का वाहन गरुड़

भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ है। इसे पक्षियों का राजा भी कहते हैं। गरुड़ की विशेषता है कि यह आसमान में बहुत ऊंचाई पर उड़कर भी धरती के छोटे-छोटे जीवों पर नजर रख सकता है। उसमें अपरिमित शक्ति होती है। 

वैसे ही भगवान विष्णु सबका पालन करने वाले तथा प्रत्येक जीव का ध्यान रखने वाले होते हैं। उनकी नजर सदा प्रत्येक जीव पर होती है। उन पर सबकी रक्षा का भार भी है। इसलिए वह परम शक्तिशाली हैं। 
लक्ष्मी का वाहन हाथी एवं उल्लू

माता लक्ष्मी का एक वाहन सफेद रंग का हाथी है। हाथी परिवार के साथ मिल-जुलकर रहने वाला सामाजिक एवं बुद्धिमान प्राणी है। उनके परिवार में मादाओं को प्राथमिकता दी जाती है तथा सम्मान किया जाता है। हाथी हिंसक प्राणी नही होता। उसी तरह अपने परिवार वालों को एकता के साथ रखने वाला तथा अपने घर की स्त्रियों को आदर एवं सम्मान देने वालों के साथ लक्ष्मी का निवास होता है। 

लक्ष्मी का वाहन उल्लू भी होता है। उल्लू सदा क्रियाशील होता है। वह अपना पेट भरने के लिए लगातार कर्म करता रहता है। अपने कार्य को पूरी तन्मयता के साथ पूरा करता है। इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति रात-दिन मेहनत करता है, लक्ष्मी सदा उस पर प्रसन्न होती हैं तथा स्थाई रूप से उसके घर में निवास करती हैं। 

हनुमानजी का आसन पिशाच

हनुमानजी प्रेत या पिशाच को अपना आसन बनाकर उस पर बैठते हैं। इसी को वह अपने वाहन के रूप में भी प्रयोग करते हैं। पिशाच या प्रेत बुराई तथा दूसरों का भय एवं कष्ट देने वाले होते हैं। इसका अर्थ है कि हमें कभी भी बुराई को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। 

 
सरस्वती का वाहन हंस

मां सरस्वती का वाहन हंस है। हंस का एक गुण होता है कि उसके सामने दूध एवं पानी मिलाकर रख दें तो वह केवल दूध पी लेता हैं तथा पानी को छोड़ देता है। यानी वह सिर्फ गुण ग्रहण करता है व अवगुण छोड़ देता है। देवी सरस्वती विद्या की देवी हैं। गुण व अवगुण को पहचानना तभी संभव है, जब आप में ज्ञान हो। इसलिए माता सरस्वती का वाहन हंस है।

भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर

भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय देवताओं के सेनापति कहे जाते हैं। इनका वाहन मोर है। धर्म ग्रंथों के अनुसार कार्तिकेय ने असुरों से युद्ध कर देवताओं को विजय दिलाई थी। अर्थात इनका युद्ध कौशल सबसे श्रेष्ठ है। अब यदि इनके वाहन मोर को देखें तो पता चलता है कि इसका मुख्य भोजन सांप है। सांप बहुत खतरनाक प्राणी है। इसलिए इसका शिकार करने के लिए बहुत ही स्फूर्ति और चतुराई की आवश्यकता होती है। इसी गुण के कारण मोर सेनापति कार्तिकेय का वाहन है।

 
सूर्य का वाहन रथ

भगवान सूर्य का वाहन रथ है। इस रथ में सात घोड़ें हैं। जो सातों वारों का प्रतीक हैं। रथ का एक पहिया एक वर्ष का प्रतीक है जिसमें बाहर आरे होते हैं तथा छ: ऋतु रूपी छ: नेमियां होती हैं। भगवान सूर्य का वाहन रथ इस बात का प्रतीक होता है कि हमें अपना कर्म करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए, तभी जीवन में प्रकाश आता है। 


यमराज का वाहन भैंसा

यमराज भैंसे को अपने वाहन के रूप में प्रयोग करते हैं। भैंसा भी सामाजिक प्राणी होता है। भैंसों के झुंड के सदस्य मिलकर एक-दूसरे की रक्षा करते हैं। उनका रूप भयानक होता है और उनमें शक्ति भी बहुत होती है, लेकिन वे इस शक्ति का दुरुपयोग नहीं करते। इसका अर्थ है कि यदि हम अपने परिवार के साथ मिल-जुलकर रहें तो बड़ी समस्याओं का सामना भी आसानी से कर सकते हैं। अत: यमराज उसको अपने वाहन के तौर पर प्रयोग करते हैं।


गंगा का वाहन मगर

धर्म ग्रंथों में माता गंगा का वाहन मगरमच्छ बताया गया है। इससे अभिप्राय है कि हमें जल में रहने वाले हर प्राणी की रक्षा करनी चाहिए। अपने निजी स्वार्थ के लिए इनका शिकार करना उचित नहीं है, क्योंकि जल में रहने वाला हर प्राणी पारिस्थितिक तंत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इनकी अनुपस्थिति में पारिस्थितिक तंत्र बिगड़ सकता है।

10 हजार की चिल्लर जेब में भरकर पहुंचे पर्चा भरने, अफसर को आ गए पसीने

घाटशिला. ये हैं रामचंद्र प्रसाद गुप्ता। ये घाटशिला रेलवे स्टेशन पर शौचालय की देखरेख करते हैं। जमानत राशि के लिए जमा किए गए सिक्के लेकर लुंगी-गंजी पहनकर एसडीओ ऑफिस पहुंचे। ये वे सिक्के हैं जो शौचालय का उपयोग करने आए लोगों द्वारा दिए गए थे। 10 हजार रुपए के सिक्के गिनने में अधिकारियों के पसीने छूटने लगे। गुप्ता विकलांग हैं। कहते हैं जन कल्याण और विकलांगों को हक दिलाने के लिए बहरागोड़ा विस क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ कर जनता की सेवा करना चाहता हूं।
 
कोल्हान : 16 प्रत्याशियों ने भरा नामांकन पर्चा
 
जैसे-जैसे विधानसभा चुनावों की तिथि नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे कोल्हान में चुनावी गतिविधियां जोर पकड़ती जा रही हैं। मंगलवार को कोल्हान प्रमंडल से विभिन्न पार्टियों के 16 उम्मीदवारों ने नामांकन पर्चा भर कर चुनावी  समर में कूदने का एेलान कर दिया। मंगलवार को नामांकन करने वाले प्रमुख उम्मीदवारों में रामचंद्र सहित, दिनेशानंद गोस्वामी, कुणाल षाड़ंगी, जोबा मांझी, अभय सिंह, कमलजीत कौर गिल, उपेंद्र सिंह, मंगल कालिंदी  शामिल हैं।  पश्चिम सिंहभूम जिला के पांच अन्य उम्मीदवार बुधवार को नामांकन पर्चा भरेंगे।

170 सालों से उजड़ा है यह गांव, खूबसूरत हसीना की वजह से करना पड़ा खाली

जोधपुर. राजपूताना के लिए मशहूर भारत का यह राज्य राजस्थान वास्तव में बहुत सी आश्चर्य जनक और ऐतिहासिक घटनाओं का धनी है। ऐसा लगता है जैसे यहां का हर शहर अपने आप में कई कहानियों को अपने में समेटे हुए है। इन्हीं में से एक है राजस्थान के कुलधरा गांव की रहस्यमयी कहानी।
 
dainikbhaskar.com 'राजस्थान अजब-गजब' सीरीज के तहत एक ऐसी कहानी बता रहा है जिसमें गांव की बेटी की इज्जत के लिए रातों रात खाली करना पड़ा था गांव...
 
कहा जाता है कि यह गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में हैं, कभी एक हंसता खेलता यह गांव आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है। टूरिस्ट प्लेस में बदल चुके कुलधरा गांव घूमने आने वालों के मुताबिक 170 पहले यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है। उन्हें वहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है। बाजार के चहल-पहल की आवाजें आती हैं, महिलाओं के बात करने उनकी चूडिय़ों और पायलों की आवाज हमेशा ही वहां के माहौल को भयावह बनाते हैं। 
 
170 साल पहले इस गांव के लोग अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए रातों-रात गायब हो गए थे। आज भी यह बात रहस्य बना हुआ है कि उस रात ऐसा क्या हुआ कि वैज्ञानिक तौर पर बने यहां के 84 गांव के लोगों को एक साथ छोड़कर जगह छोड़ जाना पड़ा।
 
ऐसा माना जाता है कि यह घटना दीवान को एक लड़की से हुए प्रेम के कारण हुई। इसी प्रेम के कारण इस गांव को श्राप मिला कि यह रातों-रात उजड़ गया और आज भी यहां कोई नहीं रहता। यहां का नजारा आज भी वैसा ही है जैसा उस रात था जब लोग यहां से गायब हुआ थे।
 
पेरानॉर्मल सोसायटी की टीम बताया यहां है आत्माएं 
 
दिल्ली की पेरानॉर्मल सोसायटी की टीम फरवरी 2014 में कुलधरा गांव पहुंची। ऐसी धारणा है कि कुलधरा में रात बिताना मुमकिन नहीं है, यहां कई आत्माओं का वास है। इसी डर को दूर करने के लिए सोसायटी के 18 सदस्य एवं अन्य 10-12 लोग रात्रि में कुलधरा गांव में रहे। इस टीम के पास एक डिवाइस था जिसका नाम घोस्ट बॉक्स है। इसके माध्यम से ऐसी जगहों पर रहने वाली आत्माओं से सवाल पूछा जाता है और किसी के होने पर उसकी आवाजें उसमें रिकॉर्ड हो जाती हैं। कुलधरा में जब इस मशीन से टेस्ट किया गया तब कुछ आवाजें आई तो कहीं असामान्य रूप से आत्माओं ने अपने नाम भी बताए। अंत में टीम ने बताया कि वास्तव में कुलधरा में आत्माएं निवास करती है।

17 साल के लड़के को घर के बाहर गोली मारी, फिर चाकू से गोदकर की हत्या

इंदौर. रावजी बाजार थाना क्षेत्र में मंगलवार को 17 साल के लड़के की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वह घर के बाहर टहल रहा था तभी चार बदमाशों ने पहले गोली मारी, फिर जमीन पर गिरते ही चाकू व धारदार हथियारों से गोदकर भाग गए। हमला पुरानी रंजिश को लेकर किया गया। 
 
रावजी बाजार पुलिस के अनुसार मंगलवार शाम करीब 7 बजे राधा गोविंद का बगीचा निवासी 17 वर्षीय शशांक पिता राजेश हार्डिया घर के बाहर माता मंदिर के पास टहल रहा था तभी चार बदमाश आए और उस पर गोली चला दी। एक गोली शशांक की गर्दन में लगी और वह नीचे गिर पड़ा। इस पर बदमाशों ने चाकू व धारदार हथियारों से उस पर कई वार किए और भाग गए। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। घटना से इलाके में अफरा-तफरी मच गई। जूनी इंदौर सीएसपी शशिकांत कनकने और रावजी बाजार टीआई सीएस चडार  मौके पर पहुंचे। 
 
पोस्टर के ऊपर से निकलने पर हुआ था विवाद

टीआई चडार  ने बताया शशांक सात दिन पहले ही बाल संरक्षण गृह से जमानत पर छूटा था। उसका जगजीवन राम नगर में रहने वाले राहुल चौहान नामक युवक से विवाद चल रहा था। बताया जा रहा है बीते गणेशोत्सव में राहुल पोस्टर लगा रहा था तभी शशांक व उसके साथी पोस्टर के ऊपर से निकल गए थे। इसे लेकर उनमें विवाद हुआ था, जिसमें राहुल को शशांक ने चार साथियों के साथ मिलकर पीट दिया था। मामले में शशांक व उसके साथियों पर जानलेवा हमले का केस दर्ज हुआ था। वहीं सूत्र बताते हैं  दोनों के बीच किसी लड़की को लेकर भी तनातनी थी। जमानत पर शशांक के बाहर आने के बाद से ही राहुल उसे मारने की तैयारी में था। 
 
आरोपियों की तलाश में मारे छापे

वारदात में आरोपी राहुल पिता परशुराम चौहान (24), संजय चौहान, राजेश, काणा और नितिन नामक युवकों के नाम सामने आए हैं। पुलिस ने उनके घर दबिश दी, लेकिन वे नहीं मिले। सूत्र बताते हैं आरोपी राहुल पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह भाजपा के पूर्व पार्षद का रिश्तेदार है। देर रात तक पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में ले लिया।

सिंघवी पर 56 करोड़ के जुर्माने पर बीजेपी बोली- कांग्रेस नेताओं के घर कालाधन

(फाइल फोटोः अभिषेक मनु सिंघवी )
 
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता और मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी पर आयकर विभाग के सेटलमेंट कमीशन (आईटीएससी) ने पिछले तीन सालों की उनकी प्रोफेशनल इनकम 91.95 करोड़ रुपए कम दिखाने के लिए 56.67 करोड़ का जुर्माना लगाया है। हालांकि, कमीशन के इस फैसले पर फिलहाल उन्हें कोर्ट से स्टे मिल गया है।  बीजेपी ने इस मामले में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ''जिन लोगों ने लोगों को कालेधन पर प्रवचन दिया, उन लोगों के घर में कालाधन का यह मामला टिप ऑफ द आईसबर्ग है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दिखाया है कि देश में किस तरह कालाधन पैदा किया जा रहा है। हमारा प्रश्न है कि वो अपनी करीब 100 करोड़ रुपए की कमाई छिपा कर क्यों बैठे थे?'' 
 
क्या है पूरा मामला
 
-इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, सिंघवी ने आयकर और कमीशन के सामने दावा किया था कि उन्होंने अपने कर्मचारियों के लिए तीन वर्षों में 5 करोड़ के लैपटॉप खरीदे थे, इसलिए वह 30% डिप्रीशिएशन के हकदार हैं। कमीशन ने अपनी जांच में पाया कि सिंघवी ने अपनी सहायता के लिए 14 वकीलों/प्रोफेशनल्स की टीम रखी है। वहीं, लैपटॉप पर 5 करोड़ खर्च करने के लिए उनके द्वारा 40 हजार की दर से 3 साल में 1250 लैपटॉप खरीदे जाने चाहिए थे। सिंघवी ने अपने पक्ष में जो दावे किए, उसके वह दस्तावेज जमा नहीं करा पाए। उन्होंने कमीशन को बताया कि दिसंबर 2012 में उनके सीए के ऑफिस में दीमकों ने 'हमला' कर दिया था और वे सारे दस्तावेज और वाउचर खा गए।
 
- कमीशन ने सिंघवी द्वारा अपनी कंपनी ऋषभ इंटरप्राइजेज के लिए सोलर पैनल लगाने पर 35.98 करोड़ रुपए खर्च किए जाने के दावे की भी जांच की और पाया कि पैनल के दाम बढ़ाकर बताया गया ताकि टैक्स से बचा जा सके।
 
-इतना ही नहीं, जिस कंपनी से सोलर पैनल लिए गए, उसने आयकर विभाग की जांच में माना कि उसे 21.39 करोड़ रुपए ही मिले थे, जबकि सिंघवी के रिकॉर्ड में यह 25.16 करोड़ बताया गया है। कंपनी ने कहा कि कीमत बढ़ाकर दिखाई गई थी और इसमें से 10 करोड़ रुपए सिंघवी के बेटों को लोन के रूप में लौटाना था। 
 
- कमीशन ने सिंघवी के असेसमेंट के शुरुआती स्तर पर किए गए इस दावे को भी चुनौती दी कि कानूनी प्रैक्टिस से उन्होंने जो आय अर्जित की वह 55% की रेंज में है। आदेश में कहा गया है कि सिंघवी के लेवल के सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकीलों ने आयकर विभाग को सूचित किया है कि उनकी नेट इनकम 90 से 95% की रेंज में रही।
 
मुझे न्याय नहीं मिलाः सिंघवी
 
अखबार से बातचीत में सिंघवी ने कहा, 'मैं वकील समुदाय में बीते 20 सालों में सबसे ज्यादा टैक्स जमा करने वाले लोगों में शामिल हूं। इस मामले में मुझे न्याय नहीं मिला। मैं तब खुद कमीशन गया था, जब दीमकों ने सभी दस्तावेज बर्बाद कर दिए थे। कमीशन ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मुझ जुर्माना लगाया है। इनकम टैक्स विभाग ने लैपटॉप पर हुए खर्च को औसत कीमत पर आंका है। मैंने बीते तीन सालों में अपने जूनियर्स को ज्यादा महंगे लैपटॉप दिए ही नहीं है। पूरा मामला सोलर प्रोजेक्ट से जुड़ा है और सिर्फ एक व्यक्ति के बयान पर चल रहा है। मुझे उससे सवाल तक नहीं करने दिए गए। 14.39 करोड़ के डिप्रीशिएशन की मांग सही है।' सिंघवी ने कहा कि 'आयकर विभाग की जांच शुरू होने से पहले ही रिकॉर्ड नष्ट होने के बारे में मैंने पुलिस को भी सूचना दी थी। सारी रकम चेक के द्वारा ली गई है और भुगतान भी इसी तरह किया गया है। यह अधिक खर्चे का केस है, लेकिन विभाग यह मानने को तैयार नहीं है।'

नेहरू पर सम्मेलन: कांग्रेस ने दुनिया के 54 नेताओं को बुलाया लेकिन मोदी को नहीं

(फाइल फोटोः इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर मोदी ने भी रन फॉर यूनिटी में हिस्सा लिया था।)
 
नई दिल्ली. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की 125वीं जयंती पर कांग्रेस अगले हफ्ते यहां दो दिन का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रही है, जिसमें कई देशों के प्रमुख नेता आमंत्रित किए गए हैं। हालांकि, इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलावा नहीं भेजा गया है। बता दें कि किसी बड़े आयोजन में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित न करने का यह दूसरा मामला है। इससे पहले दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने अपने बेटे सैयद शाबान को नायब शाही इमाम घोषित करने की रस्म (दस्तारबंदी) में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं बुलाया था। उनकी जगह बुखारी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को न्योता दिया। 

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने मंगलवार को बताया कि सम्मेलन यहां विज्ञान भवन में 17 और 18 नवंबर को होगा, जिसमें 19 देशों के 52 नेताओं के शामिल होने की स्वीकृति मिल चुकी है। कार्यक्रम में कुल 54 विदेशी मेहमानों को बुलाया गया था। इनमें कई देशों के 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रमुख भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में देश के प्रधानमंत्री को आमंत्रित नहीं किया गया है। 
 
हम जो कर रहे हैं, सही है
यह पूछने पर कि इतने बड़े सम्मेलन में प्रधानमंत्री को आमंत्रित नहीं करना क्या उचित है, उन्होंने कहा, "हम जो कर रहे हैं, सही कर रहे हैं। यह कांग्रेस का सम्मेलन है। सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।" उन्होंने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री पर्यटक हैं और वह इस दौरान दस दिन की विदेश यात्रा पर हैं।"
 
दुनिया भर के नेताओं को निमंत्रण
दुनियाभर के नेताओं को इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए कांग्रेस की ओर से न्योता दिया गया है। इनमें से कई बड़े नेताओं ने सम्मेलन में शामिल होने के लिए सहमति भी दे दी है। शर्मा ने बताया कि अब तक जिन नेताओं के शामिल होने की स्वीकृति मिली है, उनमें अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, घाना के जान कुफोर, नाइजीरिया के जनरल आबो सांजो, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव के नेपाल, भूटान की महारानी अशी दोरजी वांगमो वांगचू, दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता सेनानी अहमद कथाडा, फलस्तीन के मुख्य वार्ताकार नाबिल शाथ, अरब लीग के आम्रे मूसा, सोशलिस्ट इंटरनेशनल की अस्मा जहांगीर और सुनील खिलनानी शामिल हैं। आनंद शर्मा के मुताबिक, इसके अलावा कुछ प्रमुख राजनीतिक दल भी सम्मेलन में अपने प्रतिनिधि भेज रहे हैं। आयोजन समिति को जिन पार्टियों के प्रतिनिधिमंडलों के हिस्सा लेने की सूचना मिली है, उनमें अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना, बांग्लादेश की अवामी लीग, नेपाली कांग्रेस, वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी और मलेशिया यूएमएमओ ने अपनी भागीदारी की अब तक पुष्टि की है।
 
इंदिरा की पुण्यतिथि पर शक्तिस्थल नहीं गए थे मोदी-
नेहरू की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी को आमंत्रित न कर कांग्रेस ने हिसाब पूरा कर लिया है। बीती 31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर पीएम नरेंद्र मोदी भी उन्हें श्रद्धांजलि देने 'शक्तिस्थल' नहीं गए थे। इसकी जगह उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस के मौके पर आयोजित 'रन फॉर यूनिटी' में शिरकत की थी। 

क़ुरआन का सन्देश

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