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16 नवंबर 2014

वि‍श्‍व के इस सबसे ऊंचे मंदि‍र से दि‍खेगा ताज, राष्‍ट्रपति‍ ने कि‍या शि‍लान्‍यास

वृंदावन में बनने वाले दुनिया के सबसे ऊंचे चंद्रोदय मंदिर का मॉडल।
 
वृंदावन. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को वृंदावन क्षेत्र में चंद्रोदय मंदिर के गर्भगृह का शि‍लान्‍यास कि‍या। यह जमीन से करीब 15 मीटर ऊंचा है। यह मंदि‍र कुतुबमीनार से तीन गुना ऊंचा बनेगा। इसके नि‍र्माण की शुरुआत जन्‍माष्‍टमी के दिन की गई थी। कुतुबमीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है जबकि तय योजना के मुताबिक मंदि‍र की ऊंचाई 210 मीटर होगी। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यह दुनिया में भगवान कृष्‍ण का सबसे ऊंचा मंदिर होगा। यहां की चोटी से आगरा स्थित ताजमहल का दीदार भी किया जा सकेगा।  
 
बीते जन्‍माष्‍टमी को छटीकारा रोड स्थित अक्षय पात्र परिसर से स्‍थल पर ब्रज के संत शरणानंद और मथुरा की सांसद हेमा मालिनी की मौजदूगी में इसका नि‍र्माण कार्य शुरू हुआ था। इसके निर्माण के लिए सतह से नीचे खुदाई करके 1.2 मीटर व्‍यास के करीब 60 मीटर (20 मंजिला इमारत के बराबर) गहरे 500 पिलर बनाए जाएंगे। 
 
उस मौके पर संत शरणानंद ने कहा था कि इसमें इस्तेमाल होने वाली निर्माण सामग्री, वास्तु शिल्प से लेकर हर चीज इतनी अनूठी बनाई जाए कि दुनिया के बड़े-बड़े विशेषज्ञों को भी यह चमत्कृत कर दे। सांसद हेमा मालिनी ने कहा था कि दुनियाभर के इस्कॉन मंदिरों में विग्रहों का श्रृंगार उन्हें सदा ही आकर्षित करता है। उन्‍होंने मंदिर प्रबंधकों से कार पार्किंग के लिए विशेष व्‍यवस्‍था की बात कही थी।
 
क्या है मंदिर की परिकल्पना
 
वृंदावन में यूं तो सात हजार के आसपास मंदिर हैं, लेकिन चंद्रोदय की परिकल्पना थोड़ी अलग है। इसकी परिकल्पना साल1975 में श्रील प्रभुपाद द्वारा वृंदावन के प्राचीन राधादामोदर मंदिर में की गई थी। अब 39 वर्ष के बाद यह अक्षयपात्र में साकार होने जा रही है। जानकारों की मानें तो चैतन्य महाप्रभु ने आज से पांच सौ वर्ष पहले वृंदावन को खोजा था। 
 
इसके बाद श्रील प्रभुपाद ने महामंत्र हरेकृष्ण-हरेकृष्ण के जरिए देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी कृष्ण भक्ति को पहुंचाया। उन्हीं की परिकल्पना थी कि प्रभु कृष्ण के लीला धाम वृंदावन में एक ऐसे मंदिर का निर्माण होना चाहिए जो कि स्काईस्क्रैपर (गगनचुंभी) हो। उन्होंने मंदिर बनाने की कल्पना को वृंदावन में घूमते समय प्राचीन राधा दामोदर मंदिर में उजागर किया था।

वृंदावन की तर्ज पर विकसित होगा चंद्रोदय मंदिर
 
इस मंदिर के निर्माण में विदेशी आर्किटेक्चर के साथ-साथ डिज्नी लैंड की मॉडर्न तकनीक प्रयोग की गई है। इसकी भव्यता बढ़ाने के लिए चारों ओर की पांच एकड़ जमीन में ऐसा वन बनाया जाएगा जो बृजभूमि के ही समान होगा। यहां दूर-दूर से आने वाले भक्त राधा-कृष्ण के समय के 12 वन, उपवन, यमुना नदी और सभी लोकों समेत वेद परंपराओं का अद्भुत दर्शन कर सकेंगे। इसके मुख्‍य हिस्‍से में हॉल, कृष्णा हेरिटेज म्यूजियम, वाचनालय और कृष्ण लीला पार्क का वि‍कास कि‍या जाएगा। यहां डिज्‍नीलैंड की तर्ज पर आधुनिक तकनीक से एनीमेशन के जरिए कृष्ण लीलाओं का दर्शन होगा। सबसे ऊपर गौलोक होगा।
मंदिर की खासि‍यत
 
70 मंजिला और 213 मीटर ऊंचे साढ़े पांच एकड़ में फैला यह मंदिर सिर्फ हाईटेक नहीं होगा बल्कि इसमें नागर शैली भी दिखेगी। इसमें श्रीमद भागवत और गीता में दिए जीवन तत्वों के साथ प्रकृति संरचना को भी दर्शाया जाएगा। इसमें पृथ्‍वी लोक, स्वर्गलोक, बैकुण्ठ लोक, गौलोक वि‍कसि‍त कि‍ए जाएंगे। मंदिर की चोटी पर पहुंचने के लिए कैप्सूल लिफ्ट लगाई जाएगी। इस लिफ्ट से यहां के सभी लोकों के दर्शन करने के साथ ही पूरे वृंदावन को भी देखा जा सकेगा। इसकी चोटी पर एक टेलिस्कोप भी स्थापित की जाएगी जहां से ताजमहल को देखा जा सकेगा। यहां गौर निताई, श्रील प्रभुपाद और राधाकृष्ण के श्रीविग्रह विराजमान किए जाएंगे।

कैसी होगी कॉलोनी
 
इनफिनिटी ट्रस्ट चंद्रोदय मंदिर के ही पास में एक कॉलोनी का निर्माण करने की योजना बना रहा है। यह आगामी तीन से चार साल में बनकर तैयार हो जाएगी। ट्रस्ट के अध्यक्ष चंचलापतिदास ने बताया कि इस मंदिर से जुड़े 40 एकड़ क्षेत्र का विकास होगा। यहां आधुनिक सुविधाओं और सुरक्षा व्यवस्था से परिपूर्ण आवास बनाए जा रहे हैं। पहले फेज में सात सौ फ्लैटों का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा 150 विलाज भी बनेंगे। इनके पास ही प्रभु कृष्ण के धाम में 12 वन बनाए जाएंगे, जो कि 25 एकड़ में फैले होंगे। यह वन पुराने वृंदावन की याद को ताजा करेंगे।वृंदावन में फलने-फूलने लगा जमीन का कारोबार 
 
चंद्रोदय मंदिर के निर्माण कार्य के बाद से ही वृंदावन में एक बार फिर से जमीन का कारोबार फलने-फूलने लगा है। ऐसे में एक बार फिर से वृंदावन में जगह-जगह प्रॉपर्टी डीलरों ने अपनी होर्डिंग्‍स लगा दी है। स्थानीय निवासी कृष्णा शर्मा ने बताया कि इसके नाम पर यहां के प्रॉपर्टी डीलर ग्राहकों को बुलाते हैं। कम दाम की जमीनों को ऊंचे दाम पर बड़ी आसानी से बेच लेते हैं। ग्राहकों को इस बात की भनक भी नहीं लग पाती कि उन्‍हें बेवकूफ बनाया जा रहा है।

अर्पिता की शादी में मेहमानों को परोसा जाएगा 'हलीम' और 'पत्थर का गोश्त'



(हैदराबाद के इसी 'फलकनुमा पैलेस' में होनी है अर्पिता की शादी)

मुंबई. बॉलीवुड स्टार सलमान खान की बहन अर्पिता की शादी को अब महज दो दिन शेष रह गए हैं। मंगलवार को हैदराबाद में होने वाली इस शादी की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही है। इस शादी में शामिल होने वाले मेहमानों को खास तौर पर 'हैदराबादी बिरयानी', 'हलीम' और 'पत्थर का गोश्त' (पत्थर पर पकाया जाने वाला गोश्त) जैसे मशहूर दक्षिण भारतीय व्यंजन परोसे जाएंगे।
 
अर्पिता की शादी पुराने हैदराबाद में स्थित फलकनुमा पैलेस में होनी है। समारोह में बॉलीवुड और टॉलीवुड की कई मशहूर हस्तियां शिरकत करेंगी, लिहाजा पैलेस को इन दिनों सजाया जा रहा है। एक सूत्र के मुताबिक पूरे होटल को 18 और 19 नवंबर के लिए बुक किया गया है।
 
 
सूत्रों की मानें तो सितारों से भरे इस ग्रैंड इवेंट की तैयारी को देखते हुए खान परिवार कुछ हैदराबादी व्यंजनों को भी मेन्यू में एड करवाना चाहता है। पूरे इवेंट के दौरान ब्रंच, लंच और डिनर को ध्यान में रखते हुए कई लजीज व्यंजनों को मेन्यू में जोड़ा गया है, लेकिन 18 नवंबर को होने वाली मुख्य डिनर पार्टी के लिए हैदराबादी व्यंजनों को मेन्यू में खास तौर पर तरजीह दी गई है। इसमें 'हैदराबादी बिरियानी' और 'पत्थर का गोश्त' खास तौर पर शामिल किया गया है।
 
'कच्चे गोश्त की बिरियानी' और 'हलीम' को शामिल किया
हैदराबाद के सातवें निजाम महबूब अली खान के महल को फलकनुमा को 2010 में ताज ग्रुप ऑफ होटेल्स ने एक लग्जरी होटल में तब्दील किया। खान फैमिली ने होटल प्रबंधन से अर्पिता की शादी के लिए खास तौर पर 'कच्चे गोश्त की बिरियानी' और 'हलीम' को भी डिनर मेन्यू में एड करने के लिए कहा है।
 

सिक्युरिटी का भी विशेष प्रबंध
सलीम खान की सबसे छोटी बेटी अर्पिता की शादी में शामिल होने वाले वीवीआई गेस्ट की सिक्युरिटी के लिए भी विशेष प्रबंध किए गए हैं। इस समारोह में केवल उन्हीं लोगों को शामिल होने की इजाजत दी जाएगी जिन्हें निमंत्रण दिया गया है। इस संबंध में बात करने के लिए जब हैदराबाद के साउथ जोन के डिप्टी पुलिस कमिश्नर वी. सत्यनारायण से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि हमें होटल मैनेजमेंट से सुरक्षा व्यवस्था के लिए दरख्वास्त मिली है। इस शादी में तकरीबन 200 लोगों के शामिल होने का अंदाजा लगाया जा रहा है।

ऐसा है संत के आश्रम का नजारा: छत पर कमांडो, चारों तरफ पुलिस का घेरा

आश्रम की छत और दीवारों पर मौजूद रामपाल के निजी कमांडो।
 
हिसार. संत रामपाल की सुरक्षा के लिए रविवार को उनका सवलोक आश्रम पूरी तरह छावनी में बदल गया। आश्रम के बाहर पुलिस और भीतर रामपाल के अनुयायियों की मोर्चाबंदी थी। आश्रम की छत और दीवारों पर हाथ में डंडा और बंदूक थामे बाबा के कमांडो खड़े हुए थे। वहीं दूसरी तरफ 40 हजार जवानों के साथ पुलिस की सेना भी तैयार थी। लेकिन जैसे-जैसे शाम होती गई पुलिस का रुख नर्म होता गया और फिर थोड़ी ही देर बाद पुलिस के जवान वापस लौटने लगे। एेसा कहा जा रहा है कि पुलिस अधिकारियों और आश्रम प्रबंधन के बीच सुलह होने के बाद बल को हटाया गया है। हालांकि इस बात पर अभी भी सस्पेंस कायम है कि रामपाल आज कोर्ट में पेश होंगे या नहींं।
 
प्रशासन को नई सुबह की आस
रविवार सुबह से शाम तक आश्रम के इर्द-गिर्द जब पुलिस फोर्स कदमताल कर रही थी, उस दौरान सरकार के नुमाइंदों के साथ आश्रम प्रबंधन कमेटी की तीन बार वार्ता हुई। सबसे पहले बरवाला से भाजपा नेता सुरेंद्र पूनिया ने बात की। वह कमेटी के प्रवक्ता राजकपूर को प्रशासनिक अधिकारियों से मिलवाने ले गए। फिर महम-चौबीसी के नेता शमशेर खरकड़ा ने आश्रम के बाहर कमेटी से लंबी बात की। शाम को भाजपा नेता बलराज कुंडु भी पहुंचे। तकरीबन 45 मिनट की बातचीत के बाद वह भी लौट गए। कुंडु ने कहा कि बातचीत सकारात्मक रही। सुबह तक परिणाम मिल सकता है। प्रदेश सरकार बिना किसी टकराव के शांतिप्रिय हल निकालने के प्रयास में है।

ये हैं राजस्थान की पहली महिला कुली, रहने को नहीं थी जमीन तो उठाया कदम

जयपुर. पीने को पानी नहीं रहने को जमीन नहीं, समय बीताने के लिए सिर्फ एक कमरे वाला कच्चा घर और इस घर को पक्का के उम्मीद में माथे पर सूटकेस और हाथों में बैग लिए वह एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर आंधी-तूफान की तरह दौड़ती रहती है। यह कहानी है कि राजस्थान की पहली महिला कुली मंजू की।
 

अपनी परिस्थियों की वजह से मंजू को जयपुर रेलवे स्टेशन का रुख करना पड़ा। जयपुर स्टेशन पर लगभग 250 कुली हैं। उनके बीच एक मात्र लेडी कुली है मंजू। उन्हें देख कर लोग ये सोचते होंगे कि यह काम तो पुरुषों का है तो महिला क्यों कर रही है। लेकिन इसके पीछे का दर्द तो सिर्फ उस महिला को ही पता है जो ये काम कर रही है। दरअसल पति महादेव (बिल्ला नं. 15) के देहांत होने के बाद भी मंजू ने गरीबी के सामने घुटने नहीं टेके। मंजू का पति भी कुली का काम करता था। उन्होंने बिना किसी संकोच के अपने पति के काम को अपना लिया और निकल पड़ी स्टेशन की ओर।
 
एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने इस नए जीवन के कई अनुभव बताए। वह बताती हैं कि किसी भी ट्रेन के आने पर मंजू के मन में एक ही सवाल रहता है कि 250 कुलियों में वो सामान उठाने की शुरुआत कैसे करें। इस बीच कई लोग तो मदद के मन से थोड़ा सामान उठाने के लिए बुला लेते हैं। लेकिन कई बार लोग सिर्फ इसलिए मना कर देते हैं क्योंकि वह महिला है। 
 
एक तरफ जहां पुरुष कुली 60 किलो वजन तक उठा लेते हैं वहीं मंजू भी 30 किलो तक वजन उठा लेती है। यह भी एक कारण है कि मंजू को ज्यादा सामान वाले लोग नहीं बुलाते। इसके बाद भी दिन के 500 रुपए कमाना मंजू के लिए अब कोई बड़ी बात नहीं। 
 
उन्होंने अपने साथी कुलियों की प्रशंसा करते हुए बताया कि यह पुरुष प्रधान पेशा है लेकिन वे मेरा सहयोग करते हैं। दो साल से कुली का काम कर रही मंजू बताती हैं कि अब जब तक एक बार वो स्टेशन न जाएं उन्हें संतुष्टी नहीं होती। स्टेशन पर 5 से 6 कुली ऐसे हैं जो उनका बहुत ख्याल रखते हैं। जब लोग कुली के लिए उनमें से किसी को बुलाते भी हैं तो वो पहले मंजू को भेजते हैं।
मंजू जयपुर के एक छोटे से गांव की रहने वाली है। घर से बाहर मंजू को कुछ अच्छे तो कुछ लोगों के गलत नजरों का शिकार भी होना पड़ता है लेकिन वो हिम्मत नहीं हारती और रोज बुलंद हौसले के साथ काम पर निकल जाती है। वो चाहती हैं कि अगर दो चार और महिलाएं आ जाएं तो एक टीम बनाकर काम करेंगे। इस प्रकार वो गरीब महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रेरित करती हैं।
 
मंजू के तीन बच्चे हैं जो उनकी मां के पास गांव में रहते हैं। वह रोज अपने बच्चों से बात करती हैं। बच्चों की याद में कई बार उनकी आंखें नम हो जाती हैं लेकिन हौसले इतने मजबूत कि वो आंसू पोछ फिर काम पर लग जाती है। एक तरफ पड़ोस के लोग जहां मंजू को बूरी नजरों से देखते हैं वहीं उनकी मां को उनपर गर्व है कि उनकी बेटी किसी के आगे हाथ फैलाने की बजाए अपने बल पर बच्चों का पालन करने में सक्षम है।

शरीर में जंजीर... हाथों में हथकड़ी और कूद गया आग की लपटों में


भोपाल. शरीर के चारों तरफ लोहे की मोटी जंजीर, हाथों में हथकड़ी और तालों से जकड़े जूनियर आनंद को जब धधकती आग के कुएं में डाला गया तब लोगों के होश फाख्ता हो गए। यह नजारा था बिट्टन मार्केट स्थित दशहरा मैदान में रविवार को हुए द ग्रेट फायर शो का। जादू के हैरतअंगेज कारनामों ने लोगों को भरपूर मनोरंजन किया। 
 
इस मैजिक शो में मशहूर जादूगर आनंद के बेटे जूनियर आनंद (आकाश अवस्थी) ने ‘ग्रेट फायर शो’ में जैसे ही मशाल से आग लगाई गई तो आग की लपटों से जूनियर आनंद बाहर निकलते हुए नजर आए। मंच पर जूनियर आनंद के साथ उनके पिता जादूगर आनंद भी मौजूद थे। 
 
17वीं बार किया ग्रेट फायर शो 

मैजिक शो के लिए दुनियाभर में मशहूर जादूगर आनंद के बेटे जूनियर आनंद ने 17वीं बार ग्रेट फायर शो किया। दो घंटे तक चले इस शो में सभी की निगाहें आग के कुएं के खेल पर टिकी रहीं। जूनियर आनंद जैसे की कुएं से बाहर निकले तब दर्शकों ने उन्हें घेर लिया। जूनियर आनंद ने कहा कि इस तरह के हैरतअंगेज कारनामे करके अपने पिता की तरह महान जादूगर बनना चाहता हूं। वे अब तक देश-विदेश में 30 हजार से ज्यादा शोज़ कर चुके हैं। 
 
रोड सेफ्टी अवेयरनेस रोड शो 20 को

जूनियर आनंद भोपाल में 20 नवंबर को  रोड सेफ्टी अवेयरनेस के लिए आंखों पर काली पट्टी बांधकर बाइक चलाएंगे। साथ ही 21 नवंबर को सेंट्रल लाइब्रेरी में मैजिक शो होगा।

ब्रिसबेन में अंग्रेजी में दिया मोदी ने भाषण, बापू की प्रतिमा का किया अनावरण


 
ब्रिसबेन. जी-20 समिट में शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ब्रिसबेन में अंग्रेजी में भाषण दिया। अंग्रेजी में भाषण देते समय मोदी आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आए। पीएम मोदी का अंग्रेजी का भाषण चर्चा का विषय बन गया है। मशहूर उद्योगपति और महिंद्रा एंड महिंद्रा के मालिक आनंद महिंद्रा ने ट्विटर पर लिखा, 'पीएम ब्रिसबेन के नागरिक अभिनंदन में अंग्रेजी में भाषा में अलिखित भाषण दे रहे हैं।' 
 
मोदी ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शिक्षा, पर्यटन, तकनीक समेत कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात कही। मोदी ने कहा कि ब्रिसबेन तकनीक के लिए जाना जाता है। इसी तरह से भारत में हैदराबाद शहर है, जिसे साइबराबाद कहा जाता है। भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों शहरों के बीच सिस्टर सिटी का संबंध बन सकता है। इससे पहले ब्रिसबेन शहर की ओर से उनका नागरिक अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए।
 
नागरिक अभिनंदन से पहले पीएम मोदी ब्रिसबेन के रोमा स्ट्रीट पहुंचे। यहां उन्होंने महात्मा गांधी की मूर्ति का अनावरण किया। इससे पहले उन्होंने वहां मौजूद भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया। मोदी ने कहा, '' कुछ लोग कहते हैं मोदी पीएम बनने के बाद बार-बार गांधी का नाम लेते हैं। जब मैं गुजरात का सीएम भी नहीं था तब भी ब्रिसबेन के लोगों के बीच मैंने गांधी की बात की थी।'' मोदी ने कहा कि जब मैं 2001 में यहां आया था तो मैंने यहां एक परिवार को कहा था कि यहां एक गांधी का मेमोरियल होना चाहिए। मुझे नहीं पता था कि वो मेरी बात इतनी गंभीरता से ले लेंगे। 
 
मोदी की मौजूदगी को लेकर लोगों में विशेष उत्साह देखा गया। माेदी की कार जैसी ही वहां पहुंची, लोगों ने 'मोदी-मोदी' और 'भारत माता की जय' जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए। वहां ढोल नगाड़े बज रहे थे। लोगों में उनसे हाथ मिलाने के लिए होड़ लगी थी। कार्यक्रम के दौरान क्वींसलैंड के गवर्नर और मेयर भी मौजूद थे। 
 
यह रहे मोदी के भाषण के प्रमुख बिंदु 
-2 अक्टूबर को पोरबंदर की धरती पर एक इंसान का नहीं, एक युग का जन्म हुआ था। गांधी आज विश्व के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने अपने दौर में थे।
 
-आज विश्व जिन दो बड़ी चिंताओं ग्लोबल वार्मिंग और आतंकवाद से जूझ रहा है, उसका जवाब गांधी के जीवन में है। जी-20 सम्मेलन में भी हमने इसका जिक्र किया है।
 
-अगर हम गांधी जी के आदर्शों और शिक्षाओं का अनुकरण करें तो प्रकृति का शोषण नहीं होगा और ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या से भी निपट सकेंगे। 
 
-महात्मा गांधी ने हमें अहिंसा का रास्ता दिखाया। यह सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ हिंसा का विरोध नहीं था। गांधी शब्दों की हिंसा के भी विरोधी थे।
 
-जो लोग बाहर हैं और यहां नहीं पहुंच सके उनका भी मैं सम्मान करता हूं। अगले कार्यक्रम के लिए साथी मुझे घड़ी दिखा रहे हैं, इसलिए निकलना होगा।
 
क्या है मूर्ति की खासियत 
जिस प्रतिमा का अनावरण हुआ, उसे दिल्ली के एक मूर्तिकार ने बनाया है। बापू की यह प्रतिमा 2.5 मीटर ऊंची है। कांसे की बनी इस प्रतिमा में अफ्रीकन ग्रेनाइट का भी इस्तेमाल किया गया है। ऑस्ट्रेलिया में बसने वाले भारतीयों ने चैरिटी के माध्यम से इस प्रतिमा के लिए फंड इकट्ठा किया। अनावरण के दौरान गुजराती मूल के आर्किटेक्ट हेमंत नायक भी मौजूद रहे। 
 
गांधी का नाम अक्सर लेते हैं पीएम मोदी 
प्रधानमंत्री बनने के बाद ऐसे कई मौके आए हैं, जब पीएम मोदी ने महात्मा गांधी का नाम लिया है। सितंबर में अमेरिका के दौरे पर गए मोदी ने वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास के बाहर लगी गांधी जी की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए थे। मैडिसन स्क्वॉयर गार्डन में भी मोदी ने गांधी को याद किया था। चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग जब गुजरात आए थे, तब मोदी उन्हें साबरमती आश्रम ले गए थे। 2 अक्टूबर को गांधी जी के जन्मदिन के मौके पर 'स्वच्छ भारत' अभियान की शुरुआत की थी और गांधी जी को स्वच्छता कितनी प्रिय है, यह बताया था।

नहीं हुई रामपाल की गिरफ्तारी, पुलिस की 4 चूक जिनकी वजह से बढ़ा विवाद

फोटो- आश्रम के बाहर बड़ी संख्या में तैनात पुलिस के जवान दिनभर गिरफ्तारी के आदेशों का इंतजार करते रहे, लेकिन इन्हें बिना रामपाल को लिए बिना ही वापस लौटना पड़ा।
 
बरवाला (हिसार). संत रामपाल के शांतिपूर्ण समर्पण को लेकर रविवार को बातचीत के तीन दौर चले। 40 हजार जवान तैनात कर तीन दिन से पुलिस दबाव भी बना रही थी, लेकिन संत की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। अब "सुलह की सुबह' का इंतजार है। हालांकि पहले ऐसे संकेत मिले कि रामपाल तड़के 3 बजे के बाद हाईकोर्ट में पेशी के लिए चंडीगढ़ निकल सकते हैं। पुलिस-प्रशासन के आला-अफसर बरवाला से हिसार लौट आए। आश्रम की घेराबंदी किए जवानों को वहां से हटा लिया गया है। 
 
आश्रम के प्रवक्ता ने पहले संकेत दिए कि गुरुजी स्वस्थ हो गए तो सुबह हाईकोर्ट जा सकते हैं, वरना नहीं। बाद में देर रात आश्रम की ओर से कहा गया  कि रामपाल कोर्ट में पेश नहीं होंगे। केवल उनकी मेडिकल रिपोर्ट पेश की जाएगी। सतलोक आश्रम के मेनगेट पर अनुयायी और अंदर निजी कमांडो उसी तरह डटे रहे। आश्रम के प्रवक्ता राजकपूर ने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए पेशी की बात फिर दोहराई। ऐसा विकल्प आश्रम प्रबंधन कमेटी के सदस्यों ने सरकार के नुमाइंदों के सामने रखा। सरकारी पक्ष के लोगों ने भी शांतिपूर्ण हल निकलने की उम्मीद जताई है। हालांकि हाईप्रोफाइल मामले का नतीजा क्या होगा, यह सोमवार को ही पता चल पाएगा। 
 
अवमानना के मामले में फंसे रामपाल के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। उन्हें सोमवार को हर हाल में पेश किया जाना है। गिरफ्तारी न होने की सूरत में देखना है कि डीजीपी एसएन वशिष्ठ व गृह सचिव पीके महापात्रा हाईकोर्ट को क्या जवाब देते हैं? बाबा नहीं पहुंचे तो डीजीपी-गृहसचिव को खुद पेश होने के अदालती निर्देश हैं। 
 
पहले आगे बढ़े, फिर खाली हाथ लौट आए
संत रामपाल को गिरफ्तार करने के लिए तीन दिन से पुलिस दबाव की रणनीति बनाए हुए थी, जो कामयाब होती नहीं दिख रही। राज्य पुलिस के अलावा नेवल कमांडो, सीआरपीएफ और आरएएफ के जवान भी मोर्चे पर थे। पूरे अमले के साथ पुलिस रविवार को सुबह 11 बजे आश्रम की ओर बढ़ी, मगर रात तक करीब 200 मीटर दूर खड़ी रही। इस दौरान पुलिस के अफसरों ने अपने काफिले के साथ आश्रम के सामने कई चक्कर लगाए। आश्रम के मुख्य दरवाजे पर डटे अनुयायियों-समर्थकों की वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई। बुलेट प्रूफ गाडियों, वज्र वाहनों, घोड़ा पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों दिखाकर अनुयायियों पर दबाव बनाने की कोशिश की। बाद सुरक्षाबलों के जवानों को नजदीकी थानों और धर्मशालाओं में भेज दिया गया।
 
पुलिस की 4 चूक जिनकी वजह से बढ़ा विवाद
पूरी ताकत झोंकने के बावजूद पुलिस अफसर सतलोक आश्रम के प्रमुख संत रामपाल को गिरफ्तार करने में नाकाम रहे। इस विवाद से निपटने की रणनीति बनाते समय डीजीपी एसएन वशिष्ठ ने कई गलतियां कीं। राज्य सरकार में भी इच्छाशक्ति का अभाव दिखा। सरकार के स्तर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने केवल एक बार रामपाल और उनके अनुयायियों से कानून का पालन करने की अपील की। सरकार और पुलिस के स्तर पर 4 बड़ी चूक हुई जिनकी वजह से बरवाला में पूरा तंत्र कुछ लोगों के आगे बौना नजर आया।
 
पहली चूक- हाईकोर्ट के आदेश को हल्के में लिया
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पहली बार, 5 नवंबर को गैर जमानती वारंट जारी करते हुए राज्य पुलिस को आदेश दिए थे कि अवमानना के मामले में संत रामपाल को 10 नवंबर को अदालत में पेश किया जाए। इसे हलके में लेते हुए पुलिस प्रशासन ने रामपाल की गिरफ्तारी के लिए प्रयास नहीं किए। 8 नवंबर को, पेशी से दो दिन पहले प्रशासन ने औपचारिकताएं निभाते हुए रामपाल के निजी डॉक्टरों से उनके स्वास्थ्य की रिपोर्ट ली और उस रिपोर्ट के आधार पर सरकारी डॉक्टरों से रिपोर्ट बनवाकर हाईकोर्ट में पेश कर दी। हाईकोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई।

क़ुरआन का सन्देश

 
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