फोटो: दस्तरबंदी रस्म के दौरान अहमद बुखारी के साथ उनके पुत्र शाबान अहमद एवं अन्य।
नई दिल्ली. जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी के छोटे
बेटे शाबान अहमद की दस्तारबंदी (उत्तराधिकारी घोषित किए जाना) शाम 5.25
बजे मगरिब की नमाज के साथ शुरू हुई। इस दौरान खास तौर पर यहां आए ईरान के
युवा कारी सैयद अली रज़ा ने कुरान पढ़ी। इसके बाद दस्तारबंदी की रस्में
हुईं। शाबान बुखारी सेरेमनी में क्रीम रंग की शेरवानी और सफेद टोपी में
अपने पिता शाही इमाम अहमद बुखारी के साथ पहुंचे थे। उनके साथ उनके चाचा
तारीक बुखारी और हसन बुखारी थे। इस सेरेमनी में नाराज चल रहे याहया बुखारी
भी पहुंचे। याद रहे कि इस सेरेमनी के आयोजन से पहले उन्होंने शाबान की
दस्तरबंदी किए जाने के खिलाफ बयान दिए थे। वहीं, मौलाना नवाबुद्दीन
नक्शबंदी और शेख अब्दुर रहमान मदीने से और अजमेर से मौलाना पहुंचे। नायब
इमाम शाबान अहमद के लिए दस्तार चावड़ी बाजार की गली कूचा-ए-मीर आशिक में
तैयार की गई।
नहीं पहुंची कोई बड़ी राजनीतिक हस्ती
कार्यक्रम के दौरान स्टेज पर करीब सौ लोग मौजूद रहे। इनमें शाही इमाम
के परिवार के लोग, मुस्लिम धर्म के कई उलेमा मोहम्मद मियां और समर देहलवी,
तारी उस्मान, असगर अली इमाम मेहदी सल्फी, मौलाना हबीबुर रहमान, मौलाना
तारीक सल्फी, डा.परेवज मियां मौलाना हज कमेटी मौजूद रहे। इस दौरान राजनीतिक
हलकों से कोई बड़ा नेता तो नहीं शामिल हुआ, लेकिन कारी मजहरी, उमेर
इलियासी और कांग्रेस सांसद अशरारुल हक, विधायक शोएब इकबाल, पूर्व सपा सांसद
शफीकुर्रहमान बर्क, आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रवक्ता फिरोज अहमद बख्त मंच
पर दिखे। सेरेमनी के दौरान जामा मस्जिद में भारी भीड़ रही। जबकि बाहर भी
कुछ एसा ही माहौल रहा। बुखारी के समर्थक और मुस्लिम समुदाय के लोग भी जामा
मस्जिद मेेें भारी तादाद में मौजूद रहे।
सड़कें की गईं दुरुस्त
पुरानी दिल्ली में मौजूद जामा मस्जिद इलाके में सड़कों की मरम्मत कर
दी गई और अतिक्रमण को हटा दिया गया था। पूरी मस्जिद को रोशनी से सजाया गया।
वहीं, गलियों में शाही इमाम बुखारी और उनके बेटे के लिए समर्थन और
आशीर्वाद देते होर्डिंग लगाए गए। शाही इमाम और उनके भाई तारिक बुखारी ने
ताजपेशी के कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने के कोई कसर नहीं छोड़ी। सुबह से ही
शाही इमाम के आवास पर मेहमानों की आवाजाही की गहमागहमी देखी गई। कार्यक्रम
को लेकर इलाके के लोगों में भी काफी उत्सुकता है।
700 लोगों के लिए तैयार हो रहे लजीज पकवान
अहमद बुखारी ने डिनर के लजीज व्यंजनों को बनाने के लिए खानसामा इकबाल
सिंह को बुलाया गया। डिनर करीब 700 लोगों के हिसाब से तैयार किया गया।
मेन्यू में मटन कोरमा, मटन बिरयानी, कढ़ाई गोश्त, चिकन टिक्का और फिश फ्राई
मेहमानों को परोसी गई। वहीं, खाने के बाद मुंह मीठा करने के लिए खीर और
जर्दा था।
कार्यक्रम तीन हिस्सों में बांटा गया है। 22 नवंबर यानी आज
दस्तारबंदी के बाद डिनर का आयोजन किया गया। इसके बाद आगामी 25 और 29 नवंबर
को भी डिनर का कार्यक्रम रखा गया है। तारिक बुखारी के मुताबिक, 22 नवंबर के
डिनर में मीना बाजार समेत आसपास के सभी बाजारों के नुमाइंदे और उलेमा
शामिल होंगे। वहीं, 25 नवंबर के डिनर में शाही इमाम ने दिल्ली और दूसरे
राज्यों से करीब छह हजार लोगों को दावत पर बुलाया है। इसके अलावा, तीसरा और
आखिरी डिनर प्रोग्राम 29 नवंबर को रखा गया है। इसी डिनर में देश की कई
सियासी हस्तियों के अलावा पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ को भी न्योता भेजा
गया है। हालांकि, कार्यक्रम में शरीफ शामिल नहीं हो सकेंगे। उनके अलावा देश
और दूसरे मुल्कों के मिनिस्टर, डिप्लोमैट्स और राजनेताओं को इस डिनर में
शामिल होने का न्योता भेजा गया है।