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27 नवंबर 2014

दिल्ली के स्लम में पहुंचे राहुल, बोले- बुलडोजर चला तो मेरे शरीर पर से निकलेगा

राहुल की रोड पोलिटिक्स, सड़क पर उतरे दिल्ली की झुग्गियों में पहुंचे

राहुल की रोड पोलिटिक्स, सड़क पर उतरे दिल्ली की झुग्गियों में पहुंचे
नई दिल्ली. दक्षिण दिल्ली के रंगपुरी इलाके में झुग्गियां गिराए जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, ‘अब अगर फिर बुलडोजर चलेगा, तो पहले मेरे शरीर के ऊपर से निकलेगा।’ 
 
राहुल वन विभाग द्वारा रंगपुरी पहाड़ी पर सैकड़ों झुग्गियां गिराने का विरोध करने पहुंचे थे। यहां मंगलवार को अवैध झुग्गियों को तोड़े जाने से 900 बच्चों सहित करीब 2,000 लोग बेघर हो गए थे। राहुल ने इन लोगों से मुलाकात की। 

उन्होंने कहा, ‘ठंड के बीच गरीब लोगों को घरों से उठाकर बाहर फेंका जा रहा है। ये लोग ठंड में खुले में रात गुजारने को मजबूर हैं। उनको नोटिस तक नहीं दिया गया। कांग्रेस यहां पर गरीबों की लड़ाई लड़ेगी।’ वहीं, दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने कहा कि वन क्षेत्र के संरक्षण के लिए झुग्गियां हटाई जा रही हैं।

हिंदू थे शेख अब्दुल्ला के पूर्वज, परदादा का नाम था बालमुकुंद कौल



 
श्रीनगर। मुस्लिम कॉन्फ्रेंस (नेशनल कॉन्फ्रेंस) के संस्थापक शेख अब्दुल्ला कश्मीर को भारत में विलय से पहले एक मुस्लिम देश बनाना चाहते थे। शेख अब्दुल्ला के पूर्वज हिंदू (कश्मीरी पंडित) थे। शेख अब्दुल्ला ने अपनी आत्मकथा को जो किताबी रूप दिया है उसमें उन्होंने इस बारे विस्तार से बताया है।
 
 
आजाद कश्मीर का सपना देखने वाले शेख अब्दुल्ला ने स्वयं अपनी आत्मकथा ‘आतिशे चीनार’ में स्वीकार किया है कि कश्मीरी मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे। उनके पूर्वज कश्मीरी पंडित थे और  परदादा का नाम बालमुकुंद कौल था। किताब में लिखा है कि श्रीनगर के निकट सूरह नामक बस्ती में शेख़़ मुहम्मद अब्दुल्लाह का जन्म हुआ था। उनके पूर्वज मूलतः सप्रू गोत्र के कश्मीरी ब्राह्मण थे। अफग़ानों के शासनकाल में उनके एक पूर्वज रघूराम ने एक सूफी के हाथों इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया। परिवार पश्मीने का व्यापार करता था और अपने छोटे से निजी कारख़ाने में शाल और दुशाले तैयार कराके बाज़ार में बेचता था। इनके पिता शेख़़ मुहम्मद इब्राहीम ने आरंभ में एक छोटे पैमाने पर काम शुरू किया किन्तु मेहनत और लगन के कारण शीघ्र मझोले दर्जे के कारख़ानेदार की हैसियत तक पहुँच गए। शेख़़ साहब के परिवार की स्थिति एक औसत दर्जे के घराने की थी। इसके बावजूद भारत के प्रति शेख अब्दुल्ला का रवैया भारत विरोधी कैसे हो गया यह बात समझ से परे है। शेख अब्दुल्ला के पुत्र डा. फारुख अब्दुल्ला स्वयं कई बार कश्मीर के बाहर दिए गए साक्षात्कार और भाषणों में अपने पूर्वजों के हिंदू होने का जिक्र कर चुके हैं। उन्हें कई बार मंदिरों में पूजा करते हुए भी देखा गया है।
 

 
काशी के बाद कश्मीर
 
नीलमत पुराण में कश्मीर किस तरह बसा, उसका उल्लेख है। कश्यप मुनि को इस भूमि का निर्माता माना जाता है। उनके पुत्र नील इस प्रदेश के पहले राजा थे। चौदहवीं सदी तक बौद्ध और शैव मत यहां पर बढ़ते गए। काशी के बाद कश्मीर को ज्ञान की नगरी के नाम से जाना जाता था।  जब अरबों की सिंध पर विजय हुई तो सिंध के राजा दाहिर के पुत्र राजकुमार जयसिंह ने कश्मीर में शरण ली थी। राजकुमार के साथ सीरिया निवासी उसका मित्र हमीम भी था। कश्मीर की धरती पर पांव रखने वाला पहला मुस्लिम यही था। अंतिम हिंदू शासिका कोटारानी के आत्म बलिदान के बाद पर्शिया से आए मुस्लिम मत प्रचारक शाहमीर ने राजकाज संभाला और यहीं से दारूल हरब को दारूल इस्लाम में तब्दील करने का सिलसिला चल पड़ा।

दिल्‍ली में 15 साल से ज्‍यादा पुरानी कारें बैन करने का आदेश



फाइल फोटो: कार का चालान करता ट्रैफिक पुलिसकर्मी। 
 
नई दिल्ली. अगर आपके पास 15 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ी है और आप दिल्ली में रहते हैं तो आपके लिए बुरी खबर है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ऐसे पेट्रोल और डीजल वाहनों पर रोक लगा दी है। इस फैसले के चलते 10 लाख से ज्यादा गाड़ियां दिल्ली की सड़कों से बाहर हो जाएंगी। ये फैसला दिल्ली में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लिया है। साथ ही इससे दिल्ली में पार्किंग से जुड़ी समस्याएं भी कम होंगी। 
 
एनजीटी चेयरपर्सन स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली जस्टिस डी. के. अग्रवाल और जस्टिस ए. आर. यूसूफ की बेंच ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर वर्धमान कौशिक की ओर से जारी याचिका पर 14 अहम फैसले सुनाए हैं। पुराने वाहनों को दिल्ली की सड़कों से बाहर करने का फैसला इनमें से एक है। 
 
ये है ट्रिब्यूनल का ऑर्डर
एनजीटी ने अपने फैसले में कहा है कि 15 साल से पुराने वाहन अगर दिल्ली की सड़कों पर चलते पाए गए तो उन्हें मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सीज किया जाए। सार्वजनिक जगहों पर ऐसे पुराने वाहन खड़े भी रहें तो संबंधित अथॉरिटी को इन्हें जब्त करने व चालान करने का अधिकार होगा। एनजीटी ने आरटीओ विभाग से ऐसे वाहनों के रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं करने और इन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं देने के लिए कहा है। 
 
फैसले का असर 
एनजीटी के इस फैसले से नई कारों की डिमांड में तेजी आएगी। जो लोग पहले 15 साल से ज्यादा पुरानी कारों का इस्तेमाल कर रहे थे उन्हें इस रोक के बाद नई कारों की ओर रुख करना होगा। वहीं, कई लोग 15 साल से ज्यादा पुरानी कारों को खरीद दिल्ली के बाहर की सड़कों पर चलेंगे। दोनों ही स्थितियों में नई और सेकंड हैंड कारों की बिक्री में इजाफा होगा। दिलचस्प है कि इस साल नई और सेकंड हैंड कारों की बिक्री बराबर रहने की उम्मीद जताई गई है। एक अनुमान के मुताबिक, दोनों तरह की ढाई-ढाई लाख कारें बिक्री होने का उम्मीद है।
बाजार में नए और पुराने वाहन का बिक्री अनुपात है 1:3
 
देश की सबसे बड़ी कार ऑटोमोबाइल कंपनियां, जिसमें मारुति सुजुकी, टोयोटा किर्लोस्कर और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अपने यूज्ड-कार कारोबार में अच्छी वृद्धि दर्ज की है। बाजार में नए पैसेंजर व्हीकल और यूज्ड पैसेंजर व्हीकल का सेल्स रेशियो 1:3 है। वहीं, यूज्ड व्हीकल को पहली बार खरीदने जा रहे बायर्स की संख्या 2014 में बढ़कर 17 फीसदी हो गई,  जो 2011 में केवल 4 फीसदी थी। देश में पैसेंजर व्हीकल की बिक्री 2013 में 11 वर्षों में पहली बार गिरी थी और इस वर्ष भी इसके फ्लैट रहने की उम्मीद है।
 
मारुति सुजुकी इंडिया का यूज्ड कार बिजनेस बढ़ा
देश की सबसे बड़ी यात्री कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया का यूज्ड कार बिजनेस ट्रू वैल्यू मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में 36 फीसदी बढ़ा है। टोयोटा की यूज्ड कार डिवीजन यू ट्रस्ट पिछले कुछ वर्षों से 20 फीसदी की वृद्धि कर रही है। टोयोटा किर्लोस्कर के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट एंड डायरेक्टर (सेल्स एंड मार्केटिंग) एन राजा ने कहा कि कस्टमर्स एक विकल्प के तौर पर यूज्ड व्हीकल पर जरूर विचार करते हैं और पिछले कुछ समय में यह ट्रेंड बढ़ा है। वहीं, एमएंडएम का यूज्ड कार बिजनेस फर्स्ट च्वॉइस नई कार की सेल्स के मुकाबले चार गुना बढ़ रहा है। अभी एंट्री-लेवल कार खरीदने वाले ज्यादातर लोग ही सेकंड हैंड कारें खरीद रहे हैं।

सात फेरों से नहीं रामपाल के आशिर्वाद से होती थीं शादियां, पढ़ें 'पंथ' के नियम

(गांव में घर की दीवार में चिपकाई गई रामपाल की तस्वीर। जिसके आगे सिर्फ एक दीपक भर जलाया जाता है।)
 
बमोरी-गुना. आदिवासी बहुल गांव डिगडोली में कई ऐसे लोग हैं, जो आपके परंपरागत अभिवादन राम-राम या नमस्ते का जवाब ‘सत्य साहेब’ कहकर देंगे। यह वे लोग हैं जो हरियाणा के कथित संत रामपाल की अध्यात्मिक दुनिया की नागरिकता ग्रहण कर चुके हैं। बमोरी जैसे पिछड़े इलाके में एक दर्जन से ज्यादा गांवों में रामपाल के भक्त फैले हुए हैं। इनमें ज्यादातर वे लोग हैं जो समाज, जाति और धर्म के हाशिए पर पड़े हुए हैं। 
 
मढ़ीखेडा, साजरवाले, करमदी, डिगडोली, डोगर, चाकरी, डोंगरी सहित तमाम ऐसे गांवों में दर्जनों परिवार रामपाल पंथ अपना चुके हैं। हाल के घटनाक्रम के बाद तमाम लोग डरे हुए हैं। उन्हें लगता है कि पुलिस रामपाल के तमाम भक्तों को पकड़कर जेल में बंद कर देगी। कई का बाबा से मोहभंग हो गया है। दूसरी और ऐसे लोग भी हैं, जो मानते हैं कि अगर बाबा सच्चे हैं तो उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। 
 
‘पंथ’ के अध्यात्मिक नियम 
 
> प्रतीक : हर किसी के पास कबीर और रामपाल की तस्वीर होती है। उनके अलावा किसी और देवी-देवता की घर में जगह नहीं होती। 
 
> पूजा : न कोई भजन, न आरती, न कोई कर्मकांड। सिर्फ एक माला दी जाती है, जिसे दिन में  108 बार जपना है।  अगरबत्ती नहीं जलाई जाती। हां शुद्ध घी का दीया जलाया जा सकता है। भक्त को बीड़ी, तंबाकू या किसी अन्य नशे से दूर रहना जरूरी है। 
 
> शादी : न फेरे, न बारात न वरमाला। जोड़ों को बाबा रामपाल खुद अपने आश्रम में बुलाकर आशीष देते हैं और शादी हो जाती है। शादी में होने वाले संभावित खर्च को आश्रम में दान के रूप में जमा करा लिया जाता है। 
 
> सामाजिक दायरा : रामपाल का आदेश है उनका भक्त किसी के संपर्क में नहीं रहेगा। न किसी की शादी में जाएगा न मृत्यु संस्कार में शामिल होगा।
 
थम गया पंथ का विस्तार : हालांकि इन घटनाओं के कारण कथित पंथ के विस्तार की प्रक्रिया रुक गई है। साजरवाले गांव में यह खुलासा हुआ कि यहां से कई परिवार रामपाल के आश्रम में जाने की तैयारी कर रहे थे। रामपाल संत के दो-तीन भक्त परिवारों ने सभी को अपने प्रभाव में ले लिया था। इसी दौरान रामपाल की सल्तनत ढह गई।  
 
बमोरी के कई गांवों में फैले हैं रामपाल अनुयायी
 
रामपाल के आश्रम में भक्तों को बकायदा रजिस्ट्रेशन फॉर्म इश्यू किया जाता था। ऐसा ही फॉर्म दिखाते हुए उनका एक भक्त। घर की दीवार पर रामपाल का चित्र भी टंगा हुआ है। बीच में रामपाल हैं और चारों ओर भक्तियुग के कवि, जिनमें कबीर प्रमुख हैं। तस्वीर के आगे सिर्फ एक दीपक भर जलाया जाता है।
 
नेटवर्किंग मार्केटिंग 

रामपाल ने अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए नेटवर्किंग कंपनियों वाला तरीका अपनाया। हर भक्त को कम से कम दो और भक्तों को जोड़ना होता है। नए भक्तों को शुरुआत में हर माह कम से कम एक बार आश्रम में जाना होता है। यह सिलसिला चार माह तक चलता है। इसके बाद उसका बाकायदा ‘रजिस्ट्रेशन’ हो जाता है।
 
एक घर दो दुनिया : साजरवाला गांव में रहने वाले नवजीत भील और उसके बेटे हरिसिंह एक ही घर में रहते हुए अलग-अलग हो चुके हैं। कारण यह है पिता रामपाल पंथ में शामिल हो चुका है और बेटा परंपरागत धर्म का पालन करता है। जहां बेटा रहता है, वहां देवी-देवताओं की तस्वीरें टंगी देखी जा सकती है। पर पिता इस कमरे में पैर तक नहीं रखता। दोनों के बीच तनाव बना रहता है। बहसबाजी होती है, लेकिन कोई अपने विश्वास से हटने को तैयार नहीं है। यह हालत कई परिवारों की है।

सार्क: दिन भर में दूसरी बार मोदी-शरीफ ने मिलाया हाथ पर ठोस बात नहीं हुई

फोटो: सार्क सम्मेलन के समापन समारोह में हाथ मिलाते नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ। 
काठमांडू. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने सार्क सम्मेलन के समापन समारोह में हाथ मिलाया। हालांकि, दोनों के बीच कोई खास बातचीत नहीं हुई। यह दिन भर में दूसरा मौका था जब दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया। इससे पहले काठमांडू से 30 किलोमीटर दूर धुलीखेल में दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया था। लेकिन वहां भी दोनों के बीच ज्यादा बात नहीं हुई थी। 
 
सार्क सम्मेलन खत्म होने के बाद नरेंद्र मोदी ने काठमांडू की सड़कों पर स्थानीय लोगों से अनौपचारिक मुलाकात की। इस दौरान उनके पक्ष में नारेबाजी भी हुई। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने नेपाल के राष्ट्रपति की ओर से दिए गए भोज में हिस्सा लिया।
 
इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी और अन्य सार्क देशों के प्रमुख गुरुवार को धुलीखेल में रिट्रीट कार्यक्रम में शामिल हुए। कावरे जिले में स्थित इस रिजॉर्ट में सभी सार्क देशों के प्रमुखों ने विभिन्न मुद्दों पर अनौपचारिक बातचीत की। यहां पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के बीच संवादहीनता को खत्म करने का बीड़ा नेपाली पीएम सुशील कोइराला ने उठाया। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को जब सभी देशों के प्रमुख धुलीकेल में इकट्‌ठा हुए तो वहां कोईराला ने नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ से अलग-अलग बातचीत की और दोनों से अपील की कि वे अपने मतभेदों को भुलाकर रिश्तों को आगे बढ़ाएं। इसके बाद खाने की टेबल पर दोनों नेता आमने-सामने बैठे और एक-दूसरे से हाथ मिलाया। लेकिन दोनों के बीच ज्यादा बात नहीं हुई।  
 
प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाली के प्रधानमंत्री और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति से अलग-अलग बातचीत की। रिट्रीट में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज भी मौजूद रहे। रिट्रीट के दौरान पूरी तरह से शाकाहारी खाना परोसा गया। इसमें गुजराती थाली और नेपाली थाली शामिल थी। तबीयत खराब होने की वजह से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद रिट्रीट में शामिल नहीं हो पाईं। 
 
विदेश मंत्रालय ने कहा-सार्क का मतलब सिर्फ दो मुल्क नहीं  
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा है कि सार्क सम्मेलन के नतीजों से भारत खुश है। भारत और पाकिस्तान के नेताओं के बीच ज्यादा बातचीत न होने पर सैयद ने कहा, 'सार्क का मतलब सिर्फ भारत और पाकिस्तान नहीं है, बल्कि इसमें सभी पड़ोसी शामिल हैं।' नवाज शरीफ और मोदी के बीच हाथ मिलाए जाने पर अकबरुद्दीन ने कहा, 'इन बातों पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। भारत पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण और सहयोगात्मक रिश्ता रखना चाहता है। अगर आज की मुलाकात उस दिशा में हमें आगे ले जाता है तो हम उसका स्वागत करेंगे।'  चीन को सार्क में शामिल किए जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'सार्क के सदस्यों को बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सिर्फ पर्यवेक्षक देश को बातचीत में शामिल किए जाने का प्रस्ताव था।' सार्क देशों में हुए समझौते के बारे में उन्होंने कहा, 'ऊर्जा क्षेत्र में समझौते के बाद सार्क देश इस क्षेत्र में कारोबार कर सकेंगे।'  
 
दबाव के आगे झुका पाकिस्तान  
धुलीखेल में अनौपचारिक बातचीत के दौरान सार्क देशों के दबाव के आगे पाकिस्तान झुक गया।
पाकिस्तान बिजली के क्षेत्र में कनेक्टिविटी से जुड़े समझौते के लिए राजी हो गया है। गौरतलब है कि भारत की ओर से इस प्रस्ताव पर पहल किए जाने के बाद सभी देश इस पर हस्ताक्षर करने के लिए राजी हो गए थे। केवल पाकिस्तान ने कहा था कि वह इस संबंध में घरेलू प्रक्रियाएं पूरी नहीं कर पा रहा है, इस वजह से वह साइन नहीं कर सकता। भारत ने इन समझौतों पर आम सहमति नहीं बनने के बाद निराशा जाहिर की थी। शिखर बैठक का मेजबान नेपाल भी चाहता था कि इन समझौतों पर हस्ताक्षर हो जाएं। सार्क में कोई भी समझौता सभी सदस्य देशों की सहमति से ही सकता है। 
 
नेपाल में बुधवार को शुरू हुए सम्‍मेलन में पाकिस्‍तान के अकड़ भरे रवैये पर भारत ने भी सख्‍त तेवर दिखाए थे। पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जब मंच पर बैठे नरेंद्र मोदी के पीछे से गुजरते हुए अपनी सीट की ओर बढ़ रहे थे, तो वह तिरछी नजर से उन्‍हें देख रहे थे। मोदी ने भी उन्‍हें पूरी तरह अनदेखा किया। मोदी ने अपने भाषण में भी संकेत दिया कि भारत आतंकवाद को लेकर टालू रवैया नहीं सहन करेगा। भारत ने दोनों प्रधानमंत्रियों की बातचीत से भी साफ इनकार कर दिया है। सार्क सम्‍मेलन से पहले शरीफ ने कहा कि अगर भारत पहल करे तो पाकिस्‍तान को बातचीत से परहेज नहीं है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने कहा कि चूंकि पाकिस्‍तान की ओर से कोई अनुरोध नहीं आया है, इसलिए काठमांडू में भारतीय प्रधानमंत्री की शरीफ से बातचीत नहीं होगी।

क़ुरआन का सन्देश

 
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