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28 नवंबर 2014

क्रूर प्रथा के दौरान दी जाएगी 5 लाख जानवरों की बलि, दुनियाभर में होता है विरोध


 
काठमांडू। नेपाल के बरियारपुर में आज (28 नवंबर) से शुरू हुए गढ़िमाई पर्व में प्रथा के नाम पर करीब पांच लाख जानवरों को मारा जाएगा। हर पांच साल में एक बार आयोजित होने वाले इस पर्व में भैंस, बकरी, भेड़ सहित कई अन्य पशुओं की बलि दी जाती है। मान्यता है कि पशुबलि से देवी-देवताओं को खुश किया जा सकता है और बदले में समृद्धि और ऐश्वर्य का वरदान प्राप्त किया जा सकता है।
 
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, वन्य जीवों के संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया है लेकिन इसके बावजूद हजारों की संख्या में पशुओं-पक्षियों को धार्मिक अनुष्ठान की आड़ में मार जाता है।
 
बारा जिले के एक अधिकारी योगेन्द्र दुलाल ने बताया कि मंदिरों में सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया है और पशुबलि का अनुष्ठान धडल्ले से हो रहा है। इसकी शुरूआत पांच पशुओं, एक बकरी, एक चूहा, एक मुर्गा, एक सूअर और एक कबूतर की बलि के साथ की गई। इस मौके पर पांच हजार भैंसों को एक खुले मैदान में बांध कर रखा गया था और उनकी बलि के लिए बडी धारदार तलवारें तैयार करके रखी गई थीं। शनिवार तक चलने वाले इस धार्मिक उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में बकरे और मुर्गियों की बलि भी दी जाएगी।
 
मंदिर के पुजारियों ने बताया कि बलि के बाद इन जानवरों के सिर जमीन में गाड़ दिए जाएंगे, जबकि उनकी खाल व्यापारियों को बेच दी जाएंगी।
 
बलि के दौरान जीव संरक्षक संगठनों के कार्यकर्ताओं और श्रद्धालुओं के बीच किसी तरह के टकराव को रोकने के लिए धार्मिक स्थलों के आसपास बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। 
 
काठमांडू से करीब 100 किलोमीटर दूर बारा जिले में होने वाले इस पर्व में पिछली बार (साल 2009 में) करीब 250,000 पशुओं को मारा गया था। 
 
प्रथा का होता है विरोध
इतने बड़े पैमाने पर जानवरों को मारने की इस प्रथा का काफी विरोध भी होता है। पशुओं के हित में काम करने वाली संस्थाओं के अनुसार, यह क्रूर प्रथा है और इसे बंद किया जाना चाहिए। 
 
ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल के निदेशक जयासिम्हा नुगूहल्ली ने इसके बारे में कहा, "जमीन पर बिखरा अथाह खून, दर्द से तड़पते जानवर और इस दृश्य को देखते छोटे बच्चे। यह काफी क्रूर है। हजारों श्रद्धालु जानवरों के खून से सने होते हैं। यहां तक कि कुछ श्रद्धालु जानवरों का खून भी पी रहे होते हैं।"
 
भारत में कई जगह ऐसी हैं, जहां पशु बलि पर प्रतिबंध है, वहां के लोग भी इसमें हिस्सा लेने के लिए नेपाल पहुंचते हैं। करीब एक महीने तक चलने वाले इस पर्व में शुक्रवार और शनिवार को पशु बलि दी जाएगी।

नेताजी को पहनाई कद्दू वाली माला, फेसबुक पर डाली फोटो तो शुरू हो गई चर्चा

(मुंडा द्वारा फेसबुक पर शेयर की गई फोटो। फेसबुक पर मुंडा को 78 हजार से अधिक लोग लाइक करते हैं। इस स्टेटस पर भी तीन सौ से अधिक लाइक्स और कमेंट्स हैं। कई लोगों ने इसे शेयर किया है।)
 
रांची. फेसबुक पर पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता अर्जुन मुंडा ने अपनी अनोखी तस्वीर पोस्ट की है। मुंडा ने अपने आधिकारिक पेज पर अपने क्षेत्र खरसांवा में हुए अपने स्वागत की एक तस्वीर डाली है। इस तस्वीर में वे कद्दू की माला पहने हैं। माला में कद्दू के अलावा फूल भी हैं। मुंडा ने लिखा है :
 
खरसावां में अपने लोगों के बीच। ज़रा मेरे माले पर ध्यान देंगे आपसब। स्नेह-प्यार से बड़ी कोई चीज़ नहीं है इस दुनिया में। खरसावां के लोगों का मैं बहुत आभारी हूं। उन्होंने मुझे बहुत स्नेह और सम्मान दिया है। रात  की ठंड में भी मैं उनसे मिल कर बात कर सकता हूं। वे मेरी व्यस्तता और समय सीमाओं के बीच भी हमेशा मेरा साथ देते हैं।
 
हजारीबाग से विश्वेंदु लिखते हैं :
 
झारखंड में इलेक्शन से कोई फायदा नहीं होने वाला। जात-पात व धर्म के नाम पर पहले राउंड में वोट पड़ना संकेत देता है कि कुछ ख़ास बदलने वाला नहीं है। ऐसे में क्या फायदा चुनाव का। इससे बेहतर होता सभी पार्टियों को कुछ-कुछ महीने सरकार बनाने दे दिया जाय, क्योंकि इलेक्शन से सरकार बने या लाटरी से, सरकारी फंड की लूट तो तय है। ऐसा करने पर कम से कम इलेक्शन में होनेवाले खर्च का पैसा बचा लिया जाता, तो वही बेहतर होता।
 
पाठकों के संदेश
 
झारखंड का अर्थ होता है गर्व रत्न। यानी कि जिसकी गर्भ में रत्नों का भंडार हो, लेकिन यहां के लोग झारखंड का अर्थ झाड़ियों से करते हैं। इस भूल को सुधारने की जरूरत है, ताकि झारखंड को बचाया जा सके, सुंदर बनाया जा सके। - राकेश गिरी।
 
 
जब गरीब की थाली में पुलाव आया, तब समझ लेना मेरे भारत में चुनाव आया। - वीपेंद्र ठक्कर
 
वोट की ताकत मीडिया से जानें। उसके बाद अपना कदम बढ़ाएं। - जीतेंद्र कुमार
 
ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने पहले ही हार मान ली हो। इनके प्रचार में कोई उत्साह नहीं दिख रहा। सरकार में शामिल होने पर भी राज्य के लिए कांग्रेस पार्टी ने कुछ नहीं किया।- पल्लवी

थैंक्स गिविंग डे: सामानों में भारी छूट के बाद ग्राहकों में हुई छीना-झपटी

(फोटो : एक इलेक्ट्रॉनिक सामान के लिए से दो ग्राहक आपस में उलझ गए)

इंटरनेशनल डे। थैंक्स गिविंग डे के मौके पर यूके में ग्राहकों के बीच जमकर छीना-झपटी हुई। शुक्रवार को यूके में कई अलग-अलग जगहों पर जैसे ही शॉप और मॉल खुले, ग्राहकों की भारी भीड़ दुकानों में खरीदारी के लिए उमड़ पड़ी। देखते ही देखते दुकानों में छूट पर खरीदारी के लिए रखे सामान ख़त्म हो गए और जो सामान बिकने के लिए छूट पर उपलब्ध थे उन्हें पाने के लिए ग्राहकों में भारी खींचतान मच गई।
 
कहीं-कहीं तो मात्र कुछ ही मिनटों में स्टोर को बंद करने पड़े जबकि मेनचेस्टर और मियामी के कई स्टोर्स में मारामारी की खबरें भी मिली। इस छीना-झपटी में कुछ महिलाएं घायल भी हो गई। कई यह नजारा हर उस जगह देखा गया, जहां थैंक्स गिविंग डे पर ग्राहकों को छूट दी जा रही थी। थैंक्स गिविंग दे के मौके पर ग्राहकों के बीच इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदने की ज्यादा मारा-मारी थी। 
 
क्या है थैंक्सगिविंग डे 
थैंक्सगिविंग डे, उत्तरी अमेरिका का एक पारंपरिक त्यौहार है। यह एक तरह से फसलों का त्यौहार है। पहली बार यह त्यौहार 8 सितंबर 1565 को फ्लॉरिडा के सेंट ऑगुस्ता में मनाया गया था। अमेरिका और यूरोप के अलग-अलग देशों में थैंक्स गिविंग का आयोजन अलग-अलग तिथियों पर किया जाता है। कहीं यह अक्टूबर के दूसरे सोमवार तो कहीं नवंबर के आख़िरी गुरुवार को मनाया जाता है।

राजा महेंद्र की जयंती पर AMU में तनाव, टीचर बोले-मुस्लिमों के भरोसे के साथ धोखा

फाइल फोटो: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी।  
 
अलीगढ़.  अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में राजा महेंद्र प्रताप की जयंती मनाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर अब यूनिवर्सिटी के अध्यापक भी सामने आ गए हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने संघ और बीजेपी के नेताओं की आलोचना करने के साथ ही कुलपति को भी निशाने पर लिया है। एसोसिएशन ने आरएसएस के नेताओं और कुलपति के बीच हुई कथित गुप्त मीटिंग पर भी नाराजगी जताई है। आरएसएस पर निशाना साधते हुए एसोसिएशन ने कहा, 'मुस्लिमों का सम्मान न करने वाले प्रतिनिधियों से मिलना मुसलमानों के सम्मानजनक स्थान के लिए लड़ने वालों के खिलाफ जाता है। यह एएमयू में भारतीय मुसलमानों की आस्था से भी धोखा है। किसी को इस धोखे में नहीं रहना चाहिए कि यह अन्य किसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसी है।' 
 
एएमयू के बारे में एसोसिएशन ने कहा, 'भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले मुसलमानों के लिए एएमयू गर्व का विषय है और शिक्षा के इस महान केंद्र को किसी का प्यादा नहीं बनने दिया जाएगा। टीचर्स एसोसिएशन ने किसी भी राजनीतिक दल के दबाव में जयंती मनाने का विरोध किया फिर चाहे वह केंद्र में ही क्यों न हो।'
 
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने यूनिवर्सिटी कैंपस के राजनीतिकरण पर चिंता जताई है। एसोसिएशन ने कहा, 'बीजेपी राजा महेंद्र प्रताप की विरासत पर कब्जा करना चाहती है। राजा धर्म निरपेक्ष थे, जो बीजेपी की नीतियों से मेल नहीं खाता।' एसोसिएशन के सचिव आफताब आलम ने कहा कि कुछ लोग इस मुद्दे को लेकर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं ताकि राजनीतिक लाभ लिया जा सके। टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि राजा महेंद्र प्रताप सामाजिक परिवर्तन के क्रांतिकारी पुरोधा थे। 1957 में जनसंघ ने उनके खिलाफ प्रत्याशी उतारा था। जनसंघ के नए अवतार में बीजेपी गलत तरीके से उनकी विरासत पर दावा कर रही है।    
 
इससे पहले एएमयू के वाइस चांसलर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह ने यूनिवर्सिटी के अंदर बीजेपी के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को लिखे अपने खत में उन्होंने कार्यक्रम की वजह से सांप्रदायिक तनाव फैलने की आशंका जताई है।
 
उन्होंने स्मृति ईरानी को लिखा है, 'यूनिवर्सिटी किसी भी तरह की राजनीति या किसी राजनीतिक आयोजन में हिस्सा नहीं चाहती बल्कि आपकी मदद चाहती है, ताकि किसी भी तरह से कानून व्यवस्था न बिगड़े।' इस मामले पर अब राजनीति भी तेज हो गई है। बीजेपी ने एएमयू के इस फैसले का विरोध किया है, वहीं समाजवादी पार्टी समेत कई दूसरे संगठन कार्यक्रम के विरोध में उतर आए हैं।
 
इस बारे में गुरुवार को जमीरुद्दीन शाह ने बीजेपी और उसेक छात्र संगठन एबीवीपी के नेताओं के साथ एक बैठक भी की, लेकिन हल नहीं निकला। बैठक के बाद बाद एएमयू ने स्पष्ट किया कि वह इस कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दे सकता है। बैठक के दौरान एएमयू प्रशासन ने बीजेपी और एबीवीपी से कहीं और आयोजन करने के लिए भी कहा, जिसे नहीं माना गया। शाह का तर्क है कि एएमयू के ज्यादातर छात्र भी इस आयोजन के पक्ष में नहीं हैं। 
 
कौन थे राजा महेंद्र प्रताप 
जाट राजा राजा महेंद्र प्रताप 1915 में काबुल में भारत की पहली सरकार (प्रोविजनल गर्वनमेंट इन एग्जाइल) के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे। वह सरकार कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं की मदद से बनी थी।  उन्होंने एएमयू की स्थापना के लिए जमीन दान दी थी।  

क्या है मामला
आगामी 1 दिसंबर को बीजेपी राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जयंती यूनिवर्सिटी कैंपस में मनाना चाह रही है। 
 
नहीं हैं जमीन दान के रिकार्डः एएमयू
एएमयू ने बीजेपी के उस दावे को खारिज किया है, जिसमें कहा गया है कि राजा महेंद्र प्रताप ने एएमयू के जमीन दान की थी। एएमयू के प्रोफेसर मोहम्मद अबरार ने बताया, 'यूनिवर्सिटी के लिए राजा महेंद्र प्रताप द्वारा जमीन दान का कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक स्कूल के लिए जमीन दी थी।' लेकिन बीजेपी एएमयू के इस तर्क को मानने के लिए तैयार नहीं है। वह अभी भी यूनिवर्सिटी कैंपस में राजा महेंद्र प्रताप की जन्मशती मनाने पर अड़ी हुई है। अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम कहते हैं 'अगर VC राजा प्रताप की जन्मशती मनाते हैं, तो हम स्वागत करेंगे, अन्यथा बीजेपी कैंपस में समारोह आयोजित करेगी। एएमयू को उस व्यक्ति का जन्मदिन मनाना चाहिए, जिसने उसे जमीन दी।

किन्नर की हत्या कर लाश अलमारी के नीचे दफनाई, सबूत मिटाने को किया प्लास्टर

फोटो: मकान में लकड़ी की अलमारी के नीचे गड्ढा कर दफनाया गया था शव, इनसेट में मृतक आरती दे। 
हिम्मतनगर (गुजरात). हिम्मतनगर से 6 महीने पहले लापता हुए किन्नर की हत्या उसके साथी किन्नर ने दो लोगों के साथ मिलकर की थी। हत्या के बाद शव अपने ही मकान में गड्ढा कर दफना दिया गया था और उस पर प्लास्टर कर अलमारी रख दी गई थी। पुलिस ने किन्नर आरती दे का शव बरामद कर लिया है। हत्या का कारण वसूली के लिए सीमा विवाद बताया जा रहा है। किन्नर आरती हिम्मतनगर जिले के प्रांतिज तहसील के मोयदवास रूपाजी गांव की थी।  
 
क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के नोएडा से हिम्मतनगर के ही किन्नर और उसके ड्राइवर को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में दोनों ने यह कुबूल ली कि उन्होंने ही लगभग 6 महीने पहले किन्नर आरती की गोली मारकर हत्या कर उसका शव घर में ही दफना दिया था।
मृतक किन्नर आरती के लापता होने की शिकायत उसके बड़े भाई हठीसिंह चौहाण ने दर्ज करवाई थी। छानबीन में क्राइम ब्रांच को पता चला कि आरती के गुम होने से ठीक 15 दिन पहले ही उसका चंद्रिका नामक किन्नर से झगड़ा हुआ था। आरती की हत्या के बाद से ही चंद्रिका भी फरार थी। इसलिए पुलिस उसे तलाश कर रही थी। मुखबिर से मिली जानकारी पर क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में नोएडा के भंगेल इलाके में छापा मार कर चंद्रिका और उसके ड्राइवर मोहम्मद हुसैन छीपा को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की पूछताछ में दोनों ने अपना जुर्म स्वीकार करते हुए बताया कि आरती की हत्या उन्होंने ही एक अन्य साथी शकील की मदद से की थी। पुलिस शकील की तलाश कर रही है।
 
हत्या की वजह
हिम्मतनगर के मोतीपुरा में तुलसी काम्प्लेक्स के पीछे रहने वाली किन्नर चंद्रिका पावैया ने पुलिस पूछताछ में बताया कि आरती उसके इलाके में लोगों से पैसे वसूलती थी। इस पर दोनों के बीच अक्सर विवाद होता रहता था। आरती की हत्या के 15 दिन पहले ही उनके बीच मारपीट भी हुई थी। इसीलिए उसने आरती की हत्या की योजना बनाई और अपने इसमें अपने ड्राइवर मोहम्मद हुसैन छीपा और दोस्त शकील की मदद दी। चंद्रिका ने आरती की गोली मारकर हत्या की और उसकी लाश अपने ही घर के कमरे में अलमारी के नीचे दफना दी। शव दफनाने के बाद गड्ढे पर प्लास्टर कर उस पर प्लाईवुड की सीट भी लगा दी थी, जिससे सुबूत मिटाए जा सकें।
 
मृतक आरती दे कैसे बना किन्नर
प्रांतिज तहसील का रहने वाले किन्नर आरती का मूल नाम रमेशजी धुलाजी चौहाण है। रमेश को शादी नहीं करना थी, लेकिन परिजन की जिद के चलते उसकी सज्जनबेन के साथ शादी हो गई थी। रमेश का एक 21 वर्षीय बेटा भी है। शादी के दो साल बाद ही रमेश वसाई डाभला इलाके में एक किन्नर के संपर्क में आन के बाद उनके दल में शामिल हो गया था। वहीं, रमेश की पत्नी सज्जनबेन ने भी दूसरी शादी कर ली थी। बेटे का पालन-पोषण उसके चाचा के परिवार ने किया।

छत्तीसगढ़ नसबंदी कांड : दवा चूहों को खिलाई तो वो भी तड़प-तड़पकर मर गए

(नसबंदी कांड में दवा खाने से हुई थी  महिलाओं की मौत)
 
नई दिल्ली /रायपुर। नसबंदी कांड की जानलेवा दवा सिप्रोसिन 500 को खाने से लेबोरेटरी में चूहों की भी मौत हो गई। ये दवाइयां जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई), दिल्ली भेजे गए थे। वहां इस दवाई को चूहों को खिलाया गया था। चौबीस घंटे के भीतर चूहों की मौत हो गई। ये वो दवाइयों के सैंपल थे, जो बिलासपुर के तखतपुर स्वास्थ्य केंद्र से इकट्ठा किए गए थे। जांच में पता चला कि दवा की क्वालिटी खराब थी। वहीं जो दवाइयां गौरेला से जब्त की गई थीं, उसके सैंपल में भी जिंक एलुमीनियम और फास्फाइड था। राज्य सरकार ने पहली बार स्वीकार किया कि मानकों का ध्यान नहीं रखा गया। ये रिपोर्ट शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी गई।  दवाओं को मौत का जिम्मेदार ठहराने वाली राज्य सरकार ने पहली बार जांच रिपोर्ट में माना कि नसबंदी कैंप के लिए मौजूदा स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स (एसओपी) का उल्लंघन हुआ है। विभिन्न लैब को भेजे गए दवाओं के सैंपल को भी केंद्र सरकार के साथ साझा किया है। "भास्कर' के पास रिपोर्ट की प्रति है।
 
यह है मामला

8 और 10 नवंबर को बिलासपुर के तख्तपुर, गोरेला, पेंड्रा और मारवाही ब्लॉक में 137 महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन किया गया था। कुल 13 महिलाओं की मौत हो गई थी। सिप्रोसिन 500 दवा खाने वाली चार अन्य महिलाएं और दो पुरुषों ने भी दम तोड़ दिया था। मामले की ज्यूडिशियल इंक्वायरी हो रही है। दो वरिष्ठ अधिकारियों को बर्खास्त व तीन को निलंबित किया गया है। बिलासपुर के ज्वॉइंट डायरेक्टर डॉ. अमरसिंह का ट्रांसफर किया जा चुका है।
 
केंद्र ने दिए दिशा-निर्देश
 
रिपोर्ट के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को नसबंदी के लिए मौजूदा दिशा-निर्देशों को कड़ाई से लागू करने के लिए कहा है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए अन्य उपायों को तरजीह देने को भी कहा है।
क्या है डॉ. आरआर साहनी की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में
 
  1. नसबंदी कैंप लगाने के लिए मौजूदा एसओपी का उल्लंघन हुआ है। 
  2. नसबंदी कैंप में नियमों को ताक पर रखकर ऑपरेशन करने की बात को प्रमुखता से रखा गया है। 
  3. सिप्रोसिन-500 महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण है।
  4. ऑपरेशन और बिना ऑपरेशन वाली महिलाओं को  ‘सिप्रोसिन- 500’ दवा दी गई थी।
  5. डॉ. जैन क्लिनिक से मिले ‘सिप्रोसिन-500’ के सैंपल नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई, दिल्ली) में भेजे गए। जांच के लिए इसे चूहों को खिलाया गया। 24 घंटों में ही इसे खाने वाले चूहों की मौत हो गई। 
  6. गौरेला सीएचसी से मिले ‘सिप्रोसिन-500’ को श्रीराम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च, दिल्ली भेजा गया। जांच में सैंपल की क्वालिटी खराब निकली। सैंपल में जिंक-एलुमिनियम व फास्फाइड था।
  7. तखतपुर सीएचसी में इकट्ठा ‘सिप्रोसिन-500’ के सैंपल क्वालिचैम लेबोरेट्री, नागपुर भेजे गए। यहां भी क्वालिटी खराब पाई गई। दवाओं में जिंक-एलुमिनियम, आयरन और मैगनीज भी मौजूद था।

हजार करोड़ का चीफ इंजीनियर? घर से मिले 100 करोड़ के जेवर, कार से 10 करोड़ कैश

फाइल फोटो: यादव सिंह।
नोएडा. नोएडा प्राधिकरण समेत तीन अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह के घर इनकम टैक्स के छापे में उनकी गाड़ी से 10 करोड़ कैश मिला है। इसके अलावा 100 करोड़ रुपए कीमत की डायमंड ज्वेलरी जब्त किए गए हैं। इनका वजन करीब दो किलो है। प्रदेश के कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में यादव सिंह की हिस्सेदारी बताई जाती है। उनके कई मॉल भी निर्माणाधीन हैं। बताया जा रहा है कि चीफ इंजीनियर और उनके परिवार के सदस्यों के पास कुल करीब एक हजार करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति हो सकती है।  हालांकि, इस बात की आधिकारिक तौर पर पुष्टि अभी बाकी है। छापेमारी की खबर सामने आने के बाद यादव सिंह को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर पद से हटा दिया गया है। 
 
इनकम टैक्स विभाग के वरिष्ठ अफसर कृष्णा सैनी के मुताबिक, 'पूरा मामला यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता और उनके पार्टनरों-राजेंद्र मनोचा, नम्रता मनोचा और अनिल पेशावरी द्वारा 40 कंपनियां बनाकर हेराफेरी करने का है। बोगस शेयर होल्डिंग के बूते सिर्फ नाम के लिए करीब 40 कंपनियां बनाकर नोएडा विकास प्राधिकरण से प्लॉट आवंटित करवाए गए। इसके बाद प्लॉट कंपनी समेत बेच दिए। इससे हुई आय को दस्तावेजों में न दिखा कर बड़े पैमाने पर आयकर चोरी की गई। इसकी विस्तृत जानकारी शुक्रवार को दी जाएगी।'
 
बीवी के फर्म के जरिए बेचते थे प्लॉट 
यादव सिंह नोएडा अथॉरिटी में तैनाती का फायदा उठाते हुए अपनी पत्नी के नाम रजिस्टर्ड फर्म को सरकारी दर पर बड़े-बड़े व्यावसायिक प्लॉट अलॉट करा देते थे। इसके बाद इन्हीं प्लॉट को वह बिल्डरों को काफी ऊंचे दामों में बेच देते थे। अधिकारियों ने यादव सिंह की पत्नी के नाम से चल रही मैकॉन इंफ्राटेक और मीनू क्रिएशंस नाम की फर्मों में छापेमारी की। इस दौरान जमीनों की खरीद-फरोख्त से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए। 
 
20 टीमों ने 30 ठिकानों पर छापा
यादव सिंह के घर पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की छापेमारी शुक्रवार को भी जारी रही। आईटी विभाग की टीम को नोएडा के सेक्टर-51 में ए-10  स्थित उनके घर से 90 लाख रुपए की ऑडी कार भी मिली है। गौरतलब है कि गुरुवार को इनकम टैक्स की 20 टीमों ने यादव सिंह और उनकी पत्नी के 30 ठिकानों पर छापा मारा था। ये ठिकानें गाजियाबाद, दिल्ली और नोएडा में हैं। टीम ने कई अहम दस्तावेज जब्त किए। इसके अलावा 13 लॉकर भी सीज किए। दस्तावेजों के आधार पर यादव द्वारा करोड़ों रुपए के टैक्स चोरी का अनुमान लगाया गया है। 
 
100 मीटर ग्रीन बेल्ट पर कब्जा  
यादव सिंह के नोएडा स्थित सेक्टर 51 की कोठी पर छापा मारने पहुंची आयकर विभाग की टीम कोठी के सामने खास तौर पर तैयार किए गए ग्रीन बेल्ट को देखकर दंग रह गई। तकरीबन सौ मीटर के हिस्से में बनी ग्रीन बेल्ट में ईको फ्रेंडली शौचालय, फुट लाइट, चार्जिंग प्वॉइंट, कबूतरों का पिंजड़ा और रंग-बिरंगे झूले और बेंच देख सभी दंग रह गए। ग्रीन बेल्ट में ही यादव सिंह के घर के लिए जनरेटर और एक ट्रांसफामर रखा हुआ था। अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर होने के नाते यादव सिंह की एक जिम्मेदारी ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जे को हटाना भी था, लेकिन वे खुद ऐसी पट्टी पर कब्जा किए हुए थे।
प्रतीकात्मक तस्वीर
 
कोलकाता से शुरू किया था खेल
अधिकारियों के अनुसार, यादव सिंह ने नोएडा अथॉरिटी के प्लॉट का पूरा खेल कोलकाता में 40 फर्जी कंपनियां बनाकर शुरू की। दस्तावेजों के अनुसार, इन कपंनियों को नोएडा अथॉरिटी के प्लॉट आवंटित किए गए थे। इन सभी के शेयर बाद में दूसरी कंपनियों को बेच दिए गए। इससे करोड़ों के प्लॉट भी दूसरी कंपनियों को ट्रांसफर हो गए। इनकी खरीद-फरोख्त से हुई इनकम पर कोई टैक्स नहीं जमा किया गया। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट यूपी सरकार के कई अधिकारियों से भी पूछताछ कर रही है।
 
'शेल' कंपनियों का खेल
इनकम टैक्स डायरेक्टर जनरल (जांच) कृष्ण सैनी ने बताया कि ये सारा खेल 'शेल' कंपनियों के जरिए होता था। शेल कंपनियां, बस नाम की कंपनियां होती हैं। व्यावहारिक रूप में इनका कोई वजूद नहीं होता। जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि रजिस्टर्ड कंपनियां बनाकर नोएडा से प्लॉट आवंटित किए जाते थे। बाद में इनके शेयर शेल कंपनियों को बेचे जाते थे। इससे यह नहीं पता चल पाता था कि इनपर कैपिटल गेन कितना बना। इस तरह टैक्स की चोरी की जाती थी।
 
राजनीतिक कनेक्शनों के चलते चर्चा में रहे यादव
यादव सिंह नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी भले ही चीफ इंजीनियर हो, लेकिन अपने राजनीतिक कनेक्शनों को लेकर हमेशा चर्चा में रहे। मायावती सरकार के दौरान भी यादव पर नोएडा में कई परियोजनाओं में धांधली के आरोप लगे थे। यादव की हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने नियमों को ताक पर रखकर 954 करोड़ रुपये के ठेके अपने करीबियों को बांट दिए थे। इसके बाद अखिलेश सरकार ने यादव सिंह के खिलाफ विभागीय जांच बिठाकर उन्हें निलंबित कर दिया था। बाद में उनका निलंबन वापस ले लिया गया।
 
लगाई थी नोट गिनने की मशीन
मायावती शासनकाल में जूनियर इंजीनियर के पद पर तैनात हुए यादव सिंह को मायावती सरकार में ही चीफ प्रॉजेक्ट इंजीनियर (जल) बनाया गया। यह पोस्ट सबसे ज्यादा कमाई वाली मानी जाती है। एक बार तो यादव सिंह पर अपने दफ्तर में ही नोट गिनने की मशीन लगवा ली थी। इसे लेकर काफी विवाद हुआ था।

क़ुरआन का सन्देश

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