फोटो: डीजीपी कॉन्फ्रेंस में बोलते पीएम मोदी
गुवाहाटी: पीएम
नरेंद्र मोदी
रविवार को डीजीपी लेवल के पुलिस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। यहां उन्होंने
अधिकारियों को SMART पुलिस का मंत्र दिया। साथ ही, कहा कि फिल्मों की वजह
से पुलिस की जो छवि बिगड़ी है, उसे बदले जाने की जरूरत है। मोदी ने
पुलिसवालों के परिवारवालों की भलाई के लिए नई योजनाएं लाए जाने पर भी जाेर
दिया। मोदी ने कहा, ''पुलिस स्ट्रिक्ट (सख्त) भी हो और सेंसेटिव
(संवेदनशील) भी हो। आज के समय की मांग है कि पुलिस बल मॉडर्न (आधुनिक) एंड
मोबाइल
(गतिमान), एलर्ट (सतर्क), अकाउंटेबल (जवाबदेह), रिलायबल (भरोसेमंद) और
रिस्पॉन्सिबल (जिम्मेदार) होने के साथ ही टेक्नोसेवी (तकनीकी रूप से दक्ष)
और ट्रेंड (कुशल) हो। इन पांच बिंदुओं पर आगे बढ़ें तो हम बहुत कुछ कर सकते
हैं।''
चाणक्य नीति से की स्पीच की शुरुआत
मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत चाणक्य नीति से की। मोदी ने कहा, ''चाणक्य के
वक्त से पढ़ते आए हैं कि जितना सामर्थ्य शस्त्र में होता है, उससे ज्यादा इस
पर निर्भर करता है कि शस्त्र किसके पास है। राष्ट्र की सुरक्षा गुप्तचर
तंत्र के सहारे ही चलती है। जिस व्यवस्था के पास उन्नत गुप्तचर हों, उसे न
तो शस्त्र की जरूरत होती है और न ही शस्त्रधारी की। इस वजह से सबसे
महत्वपूर्ण ईकाई गुप्तचर तंत्र होता है। इस क्षेत्र में सेवा करने वाले
अधिकारियों को दिल से बधाई देता हूं।'' बता दें कि कार्यक्रम की शुरुआत में
खुफिया तंत्र में काम करने वाले अधिकारियों को सम्मानित किया गया।
छवि बदलने की कोशिश करे पुलिस
मोदी ने कहा, ''हिंदुस्तान की फिल्मों से पुलिस की जनमानस की छवि बिगड़
गई है। अभी तक ऐसी कोई फिल्म नहीं देखी, जिसमें पुलिसवालों के त्याग को
दिखाया गया हो। पुलिसवालों को फिल्म प्रोड्यूसर से मिलना चाहिए और अपने
बारे में बताना चाहिए। पुलिसवालों के प्रति लोगों की सोच बदली जानी चाहिए।
पुलिस की निगेटिव चीजें मीडिया में छाई रहती हैं, लेकिन सैकड़ों अच्छी चीजें
दबी रह जाती हैं। मैंने गुजरात में एक प्रयोग किया है, हर पुलिस थाने में
एक वेबसाइट हो। अाप निराश न हो, आप के माध्यम से देश में अच्छे काम हो रहे
हैं। वेबसाइट पर हर हफ्ते अपनी सकारात्मक स्टोरीज डालें। आर्टिफिशियल कुछ
भी करने की जरूरत नहीं है। आप इस दिशा में सक्रियता से सोचें।''
साथियों की शहादत न भूलें पुलिसवाले: मोदी
मोदी ने कहा, ''देश आजाद होने के बाद 33 हजार पुलिस के जवान देश की
रक्षा के लिए शहीद हो गए। यह छोटी घटना नहीं है। लेकिन क्या पुलिस बेड़े के
लोगों को पता है कि उनके 33 हजार लोगों ने नागरिकों की रक्षा के लिए प्राण
दे दिए। सामान्य नागरिक को तो पता होने का सवाल ही नहीं उठता। यह बलिदान
व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। इस बलिदान के प्रति उदासीनता बढ़ती गई है। हम इस
बलिदान की विरासत को हमारी प्रेरणा का कारण बनाना चाहते हैं। इसके लिए
प्रोटोकॉल तय हों। शहीद पुलिसवालों के सम्मान के लिए व्यवस्था बने।'' पीएम
ने कहा कि शहीदों के बलिदान को लेकर राज्य पुलिस अकादमी की ओर से एक ई-बुक
निकाली जानी चाहिए। इसके अलावा, पुलिस स्मारिका में भी बलिदान का जिक्र
होना चाहिए।
वेलफेयर का सिस्टम बनाने पर जोर
मोदी ने कहा, ''मैं जानता हूं कि सबसे ज्यादा तनाव पुलिसवाले झेलते
हैं। अगर उसके परिवार में सुख शांति न हो तो वह ठीक से ड्यूटी नहीं कर
पाएगा। यह सरकार और हम सबका दायित्व बनता है कि पुलिस वालों के परिवार
वालों के लिए वेलफेयर की योजना चलायें। उदाहरण के तौर पर पुलिस वालों के
परिवार वालों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य जरूरतों पर अधिक से अधिक बल
दें। पीएम के मुताबिक, इस तरह की कोशिशों से बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा।''
''दिल्ली के बजाए गुवाहाटी में कॉन्फ्रेंस एक नई पहल''
मोदी ने कहा, 'सबको आश्चर्य हो रहा है कि इतने सारे सालों से चली आ
रही परंपरा तोड़कर इस बार दिल्ली के बजाए गुवाहाटी में क्यों यह कॉन्फ्रेंस
की जा रही है? जब दिल्ली में होते हैं तो अापका जोर कई अन्य काम निपटाने पर
होता है। यहां ऐसा नहीं है। पुलिस अधिकारी आपस में बेहतर ढंग से घुलमिल
सकेंगे। ऐसे में ये बदलाव काफी बड़ा परिवर्तन ला सकता है। यह एक शुभ शुरुआत
है। इस तरह के इवेंट दिल्ली के बाहर भी हों। ऐसी कोशिशें होती रहेंगी।
रोबोटिक व्यवस्थाएं नहीं चलतीं। ये बदलाव हमें नई दिशा में ले जाएगा।''