आपका-अख्तर खान

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30 नवंबर 2014

बदल - बदल जाती हूँ ,

कभी तेरी , कभी खुद की ...
हो जाती हूँ ,
चंद पलों में ही मैं ...
बदल - बदल जाती हूँ ,
परिंदों को आसमान में देख ...
बहक - बहक जाती हूँ ,
लगाके पंख संग उनके ...
दूर गगन में उड़ जाती हूँ ,
आग्रह को फ़र्ज़ मान ...
साथ तो निभाती हूँ ,
सुबह सूरज की ...
रात को चाँद की हो जाती हूँ ,
मैं जानती हूँ मैं सोच हूँ ...
पल में बदल - बदल जाती हूँ ।

शिकवे ना हो

शिकवे ना हो किसी से कोई गिला ना हो,
जो दर्द ना हो तो फिर कोई मज़ा ना हो
मुझको सज़ाएं तेरी हो शौक से मुबारक
जो मेरी उल्फ़तों का कोई सिला ना हो,
धुंधले से हो गये हैं बीते हुए वो मंज़र,
सदियों से जैसे कोई गुल ही खिला ना हो,
चेहरों की भीड़ में रहा मैं ढूंढ़ता तुझे,
तुझको भी शायद मुझसा कोई मिला ना हो,
वो आख़िरी ख़त मैने अब तक नहीँ है खोला
डर है मुझको उसमें कहीँ अलविदा ना हो,

मेरे दुश्मन भी

मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं,,
मेरी गली से गुजरते हैं छुपाकर
खंजर,,,
रूबरू होने पर सलाम किया करते हैं...

अभी

अभी म्यान में तलवार मत रखो अपनी,
अभी तो शहर में इक बेकसूर बाक़ी है।

एकतरफा मोहब्बत में फेंका था तेजाब, आज भी रो पड़ती हैं चेहरा देख

(फोटो: इंदरजीत कौर)
 
मोरिंडा. उसने तेजाब फेंक मुझे मारना चाहा था। अब खुद का चेहरा भी आइने में देखने का मन नहीं करता। मेरी आंखों की दोनों रोशनी चली गई, लेकिन मेरा यह हाल करने वाले को कोर्ट ने जब सिर्फ 10 साल कैद की सजा सुनाई तो जो इंसाफ की उम्मीद थी वह भी खत्म हो गई। इतना कहते ही मंडौलीकलां में रहने वाली 28 साल की युवती इंदरजीत कौर रो पड़ी। उसकी रोती जुबान से यही बात निकली-मनजीत ने मेरी जिंदगी बर्बाद की है। अब मैं मर हुए इंसान के बराबर ही हूं और उसे उम्रकैद या फांसी की सजा होगी तो ही मुझे इंसाफ मिलेगा।
 
छननी हो चुका है मां का दिल
उस मां की तुलना किससे की जाए जो पहले से ही दुख झेलती आ रही है, लेकिन फिर भी उसने हौसला नहीं तोड़ा। रणजीत कौर बताती हैं कि इंदरजीत कौर 2 साल की होगी जब उसके पिता हरिपाल की एक सड़क हादसे में मौत हो गई। वह अंबाला के नजदीकी गांव बबियाल के रहते थे। रणजीत कौर कहती हैं कि पति की मौत के बाद वह अपने मायके गांव मड़ौली कलां में आकर रहने लगीं और किसी तरह से मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालती रही। अगर कोई बच्चा तेज बुखार में हो तो भी मां-बाप का दिल किस तरह से तड़पता है। मैं तो रोजाना अपनी बच्ची को इस हाल मैं अब रूबी को छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकती। फिर भी किसी तरह से हिम्मत जुटाकर दुखों का सामना करने का प्रयास करती हूं। मुझे इस बात का बहुत दुख हुआ है कि मनजीत सिंह को इतनी कम सजा मिली है।
 
सिहर उठती है अब भी इंदरजीत कौर
इंदरजीत कौर कहती हैं कि 8 दिसंबर 2011 उसकी जिंदगी का ऐसा दिन हो गुजरा है जिसके बाद उसकी जिंदगी में दुख ही दुख बचे। शाम साढ़े 6 बजे मनजीत आया और एकदम तेजाब उड़ेल दिया। उसके बाद अंधेरा ही अंधेरा बचा।

रियलिटी शो में अभिनेत्री गौहर खान को दर्शक ने जड़ा थप्पड़, की छेड़खानी


रियलिटी शो में अभिनेत्री गौहर खान को दर्शक ने जड़ा थप्पड़, की छेड़खानी
(अभिनेत्री गौहर खान - फाइल फोटो )
 
नई दिल्ली. बिग बॉस-7 की विजेता मॉडल गौहर खान को रविवार को एक रियलिटी शो के फिनाले के दौरान एक युवक ने चांटा मार दिया। गौहर कार्यक्रम की एंकरिंग कर रही थीं। युवक ने पहले गौहर से छेड़छाड़ की। इसका गौहर ने विरोध किया। शो पूरा होने के बाद आरोपी स्टेज पर चढ़ गया और उनको चांटा मार दिया। इससे वहां मौजूद सभी लोग सकते में आ गए। तुरंत ही गार्ड ने आरोपी युवक को पकड़ लिया। उसका नाम मोहम्मद शफीक बताया गया है।

पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि 'गौहर छोटे कपडे पहनी थी इसलिए उसे थप्पड़ मारा'। वहीं पुलिस का कहना है कि आरोपी ने स्टेज पर चढ़कर पहले छेड़खानी की, गौहर के विरोध करने पर ही उसने थप्पड़ जड़ा। आरोपी  को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। कल बोरीवली कोर्ट में उसे पेश किया जाएगा।

दूसरे धर्म में की शादी तो लड़की को पति के साथ सड़क पर सरेआम काट डाला, फैला तनाव

 
हापुड़ : उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक शादीशुदा जोड़े को लड़की के घरवालों ने सरेआम हत्या कर दी। युवक की तलवार से गला रेतकर हत्या कर दी गई। उसे बचाने के लिए जब लड़की सामने आई तो आरोपियों ने उसे भी मार डाला। मामले में पुलिस ने लड़की की मां और भाई को गिरफ्तार किया है। मामला दो संप्रदाय से जुड़ा होने की वजह से गांव में तनाव फैल गया है और अतिरिक्त पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गई। 
 
मामला बाबूगढ़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत गांव कुचेसर चौपला का है। एक हिंदी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, कुचेसर चौपला के स्याना रोड पर सत्यवान उर्फ अन्नी और इंसाफ अली पड़ोस में रहते हैं। बीते कई सालों से सत्यवान के बीस वर्षीय बेटे सोनू का इंसाफ अली की बेटी दानिश्ता (19) से प्रेम प्रसंग चल रहा था। दोनों ने अपने-अपने घरवालों को शादी के लिए कहा, लेकिन वे राजी नहीं हुए। इसके चलते दोनों ने दो महीने पहले गुपचुप तरीके से कोर्ट मैरिज कर ली। ऐसा करने के बाद दोनों अपने-अपने परिवार के साथ रह रहे थे। इस बीच लड़की के घरवालों को कोर्ट मैरिज की जानकारी हो गई, जिस पर उन्होंने दोनों के मिलने पर पाबंदी लगा दी। इसे लेकर शुक्रवार को गांव में बैठी एक पंचायत में प्रेमी युगल को अलग-अलग रहने का फरमान जारी कर दिया गया। 
 
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, शनिवार सुबह करीब दस बजे सोनू किसी काम से घर से निकला था। लड़की का भाई तालिब, आसिफ, तसलीम व मां नूरजहां और कुछ अन्य लोगों ने सोनू को घेर लिया। पहले उसे बुरी तरह पीटा और बाद में धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी। घटना की जानकारी मिलने के बाद दानिश्ता भी मौके पर पहुंची, लेकिन घरवालों ने उसकी भी हत्या कर दी। बाद में तालिब और नूरजहां ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया, जबकि बाकी 4 आरोपी फरार हैं।

जिन इमाम ने मोदी को नहीं भेजा था बुलावा, उनके डिनर में पहुंचे बीजेपी के हर्षवर्धन

(फोटो : जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी और गाड़ी से उतरते स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन)
 
नई दिल्ली. दिल्ली की जामा मस्जिद में शनिवार रात  इमाम बुखारी की ओर से डिनर पार्टी दी गई। इसमें नेताओं के अलावा विभिन्न देशों के प्रतिनिधि शामिल होने पहुंचे। खास बात यह है कि कार्यक्रम में बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन भी पहुंचे थे। बता दें कि कुछ दिन पहले  ही अहमद बुखारी के छोटे बेटे शाबान अहमद को उनका उत्तराधिकारी घोषित किया गया है, लेकिन इस कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी को आमंत्रित नहीं किया गया था। हालांकि, उन्होंने पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ समेत कई दूसरे देशों के प्रतिनिधियों को बुलाया था। इसके बाद राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। बुखारी ने दलील दी थी कि यह एक निजी कार्यक्रम है और किसे बुलाया जाए और किसे न बुलाया जाए, यह उन्होंने खुद तय किया है।  केंद्र सरकार भी शाही इमाम के बेटे की ताजपोशी के खिलाफ रही है। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा था कि अहमद बुखारी के बेटे की ताजपोशी गैरकानूनी है और इसकी कोई वैधानिक मान्यता नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने बुखारी के बेटे की दस्तारबंदी कार्यक्रम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

मोदी ने पुलिसवालों से कहा-SMART बनें, फिल्मों से खराब इमेज बदलने को कहा

फोटो: डीजीपी कॉन्फ्रेंस में बोलते पीएम मोदी 
 
गुवाहाटी: पीएम नरेंद्र मोदी रविवार को डीजीपी लेवल के पुलिस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। यहां उन्होंने अधिकारियों को  SMART पुलिस का मंत्र दिया। साथ ही, कहा कि फिल्मों की वजह से पुलिस की जो छवि बिगड़ी है, उसे बदले जाने की जरूरत है। मोदी ने पुलिसवालों के परिवारवालों की भलाई के लिए नई योजनाएं लाए जाने पर भी जाेर दिया। मोदी ने कहा, ''पुलिस स्ट्रिक्ट (सख्त) भी हो और सेंसेटिव (संवेदनशील) भी हो। आज के समय की मांग है कि पुलिस बल मॉडर्न (आधुनिक) एंड मोबाइल (गतिमान), एलर्ट (सतर्क), अकाउंटेबल (जवाबदेह), रिलायबल (भरोसेमंद) और रिस्पॉन्सिबल (जिम्मेदार) होने के साथ ही टेक्नोसेवी (तकनीकी रूप से दक्ष) और ट्रेंड (कुशल) हो। इन पांच बिंदुओं पर आगे बढ़ें तो हम बहुत कुछ कर सकते हैं।''
 
चाणक्य नीति से की स्पीच की शुरुआत 
मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत चाणक्य नीति से की। मोदी ने कहा, ''चाणक्य के वक्त से पढ़ते आए हैं कि जितना सामर्थ्य शस्त्र में होता है, उससे ज्यादा इस पर निर्भर करता है कि शस्त्र किसके पास है। राष्ट्र की सुरक्षा गुप्तचर तंत्र के सहारे ही चलती है। जिस व्यवस्था के पास उन्नत गुप्तचर हों, उसे न तो शस्त्र की जरूरत होती है और न ही शस्त्रधारी की। इस वजह से सबसे महत्वपूर्ण ईकाई गुप्तचर तंत्र होता है। इस क्षेत्र में सेवा करने वाले अधिकारियों को दिल से बधाई देता हूं।'' बता दें कि कार्यक्रम की शुरुआत में खुफिया तंत्र में काम करने वाले अधिकारियों को सम्मानित किया गया। 
 
छवि बदलने की कोशिश करे पुलिस 
मोदी ने कहा, ''हिंदुस्तान की फिल्मों से पुलिस की जनमानस की छवि बिगड़ गई है। अभी तक ऐसी कोई फिल्म नहीं देखी, जिसमें पुलिसवालों के त्याग को दिखाया गया हो। पुलिसवालों को फिल्म प्रोड्यूसर से मिलना चाहिए और अपने बारे में बताना चाहिए। पुलिसवालों के प्रति लोगों की सोच बदली जानी चाहिए। पुलिस की निगेटिव चीजें मीडिया में छाई रहती हैं, लेकिन सैकड़ों अच्छी चीजें दबी रह जाती हैं। मैंने गुजरात में एक प्रयोग किया है, हर पुलिस थाने में एक वेबसाइट हो। अाप निराश न हो, आप के माध्यम से देश में अच्छे काम हो रहे हैं। वेबसाइट पर हर हफ्ते अपनी सकारात्मक स्टोरीज डालें। आर्टिफिशियल कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। आप इस दिशा में सक्रियता से सोचें।'' 
 
साथियों की शहादत न भूलें पुलिसवाले: मोदी 
मोदी ने कहा, ''देश आजाद होने के बाद 33 हजार पुलिस के जवान देश की रक्षा के लिए शहीद हो गए। यह छोटी घटना नहीं है। लेकिन क्या पुलिस बेड़े के लोगों को पता है कि उनके 33 हजार लोगों ने नागरिकों की रक्षा के लिए प्राण दे दिए। सामान्य नागरिक को तो पता होने का सवाल ही नहीं उठता। यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। इस बलिदान के प्रति उदासीनता बढ़ती गई है। हम इस बलिदान की विरासत को हमारी प्रेरणा का कारण बनाना चाहते हैं। इसके लिए प्रोटोकॉल तय हों। शहीद पुलिसवालों के सम्मान के लिए व्यवस्था बने।'' पीएम ने कहा कि शहीदों के बलिदान को लेकर राज्य पुलिस अकादमी की ओर से एक ई-बुक निकाली जानी चाहिए। इसके अलावा, पुलिस स्मारिका में भी बलिदान का जिक्र होना चाहिए। 
 
वेलफेयर का सिस्टम बनाने पर जोर 
मोदी ने कहा, ''मैं जानता हूं कि सबसे ज्यादा तनाव पुलिसवाले झेलते हैं। अगर उसके परिवार में सुख शांति न हो तो वह ठीक से ड्यूटी नहीं कर पाएगा। यह सरकार और हम सबका दायित्व बनता है कि पुलिस वालों के परिवार वालों के लिए वेलफेयर की योजना चलायें। उदाहरण के तौर पर पुलिस वालों के परिवार वालों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य जरूरतों पर अधिक से अधिक बल दें।  पीएम के मुताबिक, इस तरह की कोशिशों से बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा।''
 
''दिल्ली के बजाए गुवाहाटी में कॉन्फ्रेंस एक नई पहल''
मोदी ने कहा, 'सबको आश्चर्य हो रहा है कि इतने सारे सालों से चली आ रही परंपरा तोड़कर इस बार दिल्ली के बजाए गुवाहाटी में क्यों यह कॉन्फ्रेंस की जा रही है? जब दिल्ली में होते हैं तो अापका जोर कई अन्य काम निपटाने पर होता है। यहां ऐसा नहीं है। पुलिस अधिकारी आपस में बेहतर ढंग से घुलमिल सकेंगे। ऐसे में ये बदलाव काफी बड़ा परिवर्तन ला सकता है। यह एक शुभ शुरुआत है। इस तरह के इवेंट दिल्ली के बाहर भी हों। ऐसी कोशिशें होती रहेंगी। रोबोटिक व्यवस्थाएं नहीं चलतीं। ये बदलाव हमें नई दिशा में ले जाएगा।''

पाक से आए कैदियों ने सुनाई आपबीती- खून निकाला फिर उसके सामने ही कुत्तों को पिलाया

पाक से आए कैदियों ने सुनाई आपबीती- खून निकाला फिर उसके सामने ही कुत्तों को पिलाया
अटारी बाॅर्डर/अमृतसर. पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीयों के साथ वहशत, दहशत और दरिंदगी का खेल बदस्तूर जारी है। पड़ोसी देश अपने यहां कैद हमारे लोगों के साथ कई ऐसे बर्ताव करता है, जिनसे हैवानियत भी शर्मसार हो जाए। शनिवार की देर रात पाक से रिहा होकर लौटे 40 कैदियों में शामिल दो लोगों ने कई सनसनीखेज खुलासे किए।
 
बता दें कि इन कैदियों में गुजरात के 35 मछुआरों के अलावा कुपवाड़ा के मुबारक हुसैन, अजमेर शरीफ के मोहम्मद फहीम, मध्य प्रदेश के योगेश कुमार, पश्चिम बंगाल के मंगल तथा उत्तर प्रदेश के जबरुद्दीन शामिल हैं। कुपवाड़ा के 56 वर्षीय मुबारक हुसैन ने बताया कि उनको पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 2007 में घर से उठा लिया था। उनका कसूर सिर्फ इतना था कि वह सरहद पर फेंसिंग लगाने का काम करते थे। और भारतीय होने के नाते अपनी सुरक्षा एजेंसियों का साथ देते थे। 
 
उन्होंने बताया कि दो साल तक उनको आर्मी की जेल मेंं रखा गया और पांच साल तक दूसरी जेलों में। आर्मी टाॅर्चर सेल में उनके दोनों हाथों से एक-एक बोतल खून निकाला गया। यह खून उनके सामने ही कुत्तों को यह कहते हुए पिला दिया गया कि वह काफिर हैं। वह कहते हैं कि वह हैवानियत भरा मंजर कभी भी नहीं भूल पाएंगे। 
 
कैदियों को बनाया जा रहा नपुंसक: फहीम
40 कैदियों संग पाक से रिहा हुए अजमेर निवासी मोहम्मद फहीम भी 2007 के आसपास गलती से पाक सीमा में चले गए थे और उनको गिरफ्तार कर लिया था। इस दौरान फहीम को पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में रखा गया। फहीम ने बताया कि वहां पर उनके जैसे लोगों के साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया जाता है। खाने में अक्सर मर्दानगी खत्म करने वाली दवाएं दी जाती हैं। इसके कारण काफी लोग नपुंसक तथा पागल हो चुके हैं। उनके साथ रिहा हुए योगेश, मंगल तथा जबरुद्दीन भी इसी कड़ी का हिस्सा हैं। उन्होंने भी पाक में उनके साथ हुई यात्नाओं के बारे में बताया।

ISIS तक पहुंचने के लिए 20000 साइट्स खंगालने वाले आरिफ का होगा नार्को, जानें पूरी कहानी

फोटो: आरिफ माजिद 
 
मुंबई: आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए जंग लड़ने इराक गए आरिफ माजिद  से एनआईए की पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिली हैं। एनआईए अब उसका नार्को टेस्ट कराने की योजना बना रही है। शुक्रवार को गिरफ्तार किए जाने के बाद 8 दिसंबर तक के लिए रिमांड में भेजे गए आरिफ ने बताया है कि आईएसआईएस तक पहुंचने के लिए उसने 20 हजार से ज्यादा वेबसाइट्स को खंगाला। एक अंग्रेजी अखबार ने आरिफ द्वारा एनआईए को दी गई जानकारी को सूत्रों के हवाले से प्रकाशित किया है। जानें, कैसा इराक पहुंचा और वहां से वापस लौटा आरिफ 
 
ऐसे हुई शुरुआत 
आरिफ और उसके 6 दोस्त शाम की नमाज के वक्त मस्जिद पर इकट्‌ठे होते थे और वहां ज्यादा समर्पित मुसलमान बनने के तरीकों के बारे में चर्चा किया करते थे। आरिफ ने इस मकसद को पूरा करने के लिए वेबसाइट्स सर्च करने शुरू किए। इस दौरान, उसे आईएसआईएस के बारे में पता चला और वह इस संगठन से काफी प्रभावित हुआ। इसके बाद, आरिफ आईएसआईएस से संपर्क करने की कोशिश करने लगा। आखिरकार एक वेबसाइट पर उसे अपने काम का एक नंबर मिल ही गया। आरिफ ने बताया कि इस नंबर को पाने के लिए उसने 20 हजार से ज्यादा साइट्स खंगाले। 
 
आईएसआईएस से मिला लोकल कॉन्टैक्ट  
इस नंबर पर बातचीत करने के बाद आरिफ को कल्याण के पास भिवंडी के रहने वाले एक शख्स का नंबर मिला। इसके बाद, आरिफ ने यह सारा घटनाक्रम अपने दोस्तों को बताया। फहाद शेख, अमन टंडेल और शाहीन टंकी उसके साथ इराक जाने के लिए तैयार हो गए। भिवंडी के लोकल कॉन्टैक्ट ने आरिफ को यात्रा के लिए जरूरी रकम देने के लिए हामी भरी। इसके बाद, ये सभी राहत ट्रेवेल्स नाम की ट्रेवेल एजेंसी के संपर्क में आए। इस एजेंसी ने इनके इराक जाने का बंदोबस्त किया। इराक के हालात उस वक्त तक काफी बिगड़ चुके थे, इसलिए इन्होंने बहाना बनाया कि वे तीर्थयात्रा पर जा रहे हैं। 
 
लोकल कॉन्टैक्ट ने दी ढाई लाख से ज्यादा की रकम 
लोकल कॉन्टैक्ट से मिले पैसों से 60 हजार रुपए प्रति यात्री के हिसाब से पेमेंट करने के बाद ये चारों इराक के लिए 25 मई के लिए निकले। आरिफ ने दक्षिणी मुंबई के डोंगरी स्थित अजमेरी टूर्स एंड ट्रेवेल से वीजा और अन्य दस्तावेज हासिल किए। चारों कल्याण से अलग-अलग घर से निकले और लोकल ट्रेन से मुंब्रा स्टेशन पहुंचे। मुुंब्रा में भिवंडी के लोकल कॉन्टैक्ट ने उन्हें और पैसे दिए। इसके बाद, ये चारों मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे और इत्तिहाद एयरलाइंस की फ्लाइट से अबू धाबी पहुंचे। अबू धाबी से ये इराक गए। 27 मई को कर्बला, फिर 30 मई को बगदाद पहुंचे। यहां तक वे तीर्थयात्रियों के साथ आए थे। 31 मई को ये स्थानीय बाजार में गए और वहां से अपने लोकल गाइड को धता बताते हुए फरार हो गए। 
 
 
मिला साफ सफाई और महिलाओं की पहरेदारी का काम 
आरिफ के दोस्त शाहीन टंकी को आईएसआईएस के एक शख्स का फोन आया और उसने उन्हें फल्लुजाह से टैक्सी हायर करने को कहा। यह जगह मोसुल के काफी करीब है। मोसुल में ही 40 भारतीय मजदूरों को अगवा किया गया था। मोसुल पहुंचने के बाद इन्होंने इराकी संपर्क से कॉन्टैक्ट किया। उसकी मदद से आईएसआईएस के हिंद कैंप पहुंचे। इस कैंप ने उन्हें आईएसआईएस की विचारधारा, मिशन आदि के बारे में जानकारी दी गई। यहीं पर इनका ब्रेनवॉश किया गया। इसके बाद इन्हें ट्रेनिंग कैंपों में भेज दिया गया। यहां इन्हें बताया गया कि आईएसआईएस चीफ बगदादी भारतीय पुरुषों को जंग के लिहाज से बेहद कमजोर मानता है और उन्हें मैदान ए जंग में नहीं भेजा जाएगा। यहां सिर्फ शाहिद टंकी ही शारीरिक परीक्षा पास कर पाया, जिसके बाद उसे हथियारों की ट्रेनिंग दी गई। आरिफ समेत बाकी तीन को आईएसआईएस के सोशल मीडिया टीम में भेज दिया गया। इसके अलावा, इन्हें सफाई, पानी भरने और बंधक बनाई गई महिलाओं की पहरेदारी काम दिया गया। 
 
 
जंग लड़ने की मनाही पर भड़का आरिफ 
आरिफ को जंग के मैदान में जाने पर मनाही थी। इस बात को लेकर उसे काफी कोफ्त होती थी। यहीं से उसका मूड बदलना शुरू हुआ। उसने देखा कि कुरान की नसीहतों का आईएसआईएस का कोई लेनादेना नहीं है। अातंकी लोगों की बेरहमी से कत्ल कर रहे थे और महिलाओं के साथ बलात्कार। जल्द ही ये चारोें अवसाद के शिकार हो गए। जिस जिहादी जन्नत का सपना लेकर वे गए थे, वो नर्क में तब्दील हो चुका था। जुलाई में आरिफ फायरिंग में घायल हो गया। उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई क्योंकि कैंप में इलाज या खानेपीने की समुचित सुविधा नहीं थी। आरिफ ने किसी तरह अपने आकाओं को इस बात के लिए राजी कर लिया कि वे उसे इलाज के लिए तुर्की जाने दें। तुर्की पहुंचने के बाद उसने अपने परिवार से संपर्क किया। इसके बाद आरिफ के पिता ने गृह मंत्रालय को जानकारी दी और उसे वहां से लाने का इंतजाम किया गया।

क़ुरआन का सन्देश

 
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