दोस्तों छ दिसंबर आ रही है ,,,हर बार आती है लेकिन सियासी मज़हबी भड़काऊ लोगों ने वर्ष 1992 के बाद इस 6 देिसंबर को किसी के लिए खौफनाक ,, किसी के लिए शर्मनाक तो किसी के लिए काला दिन तो किसी के लियें शौर्य दिवस बना दिया ,,,अजीब बात है हुज़ूर सल्ललाहे वसल्लम ने फ़ित्ना जिस मस्जिद में फैलता हो वहां नमाज़ पढ़ने तक इंकार कर दिया था ,,,राम ,,कृष्ण या किसी भी देवता ने कभी मज़हब के लिए संघर्ष नहीं किया इन्साफ के लिए उनकी लड़ाई थी लेकिन अफ़सोस हिंदू हो या फिर मुसलमान सभी इस दिन पर सियासत कर रहे है ,,,,,जिनके ज़हन में धर्म मज़हब नहीं है शैतानियत है वोह इस दिन को अपने अपने तरीके से याद करने में लगा है लेकिन दोस्तों यह हिन्दुस्तान है ,,यह मेरा भारत महान है यहां धर्म से पहले मानवता है क्योंकि सभी धर्म सिर्फ और सिर्फ मानवता ही सिखाते है ,,,,,,,,कोई कहता है के इस दिन पर नाज़ करने वाले ठंडे बस्ते में चले गए है ,,या तो मर गए है ,, या फिर बीमार है ,,या फिर राजनीति में अपमानित हो गए है ,,लालकृष्ण आडवाणी ,,मुरलीमनोहर जोशी ,,कल्याण सिंह और ना जाने कितने पिटे हुए कारतूस इसका उदाहरण है ,,अटल बिहारी वाजपेयी इंसाफ पसंद थे प्रधानमंत्री बने ,,नरेंद्र मोदी इस मामले में सक्रिय नहीं थे प्रधानमंत्री बने लेकिन जो सक्रीय रहे वोह सब आज नरेंद्र मोदी के तलवे के नीचे अपने अस्तित्व की सृक्षा की भीक मांग रहे है ,,,,कुछ कहते है के इस दिन के कई अपराधी आज रोते है ,,कुछ कहते है कई लोगों ने इसके बाद इस्लाम क़ुबूल कर लिया इस मामले में वीडियो भी वायरल हो रहे है ,,,कोई लोग इसे शौर्य दिवस के रूप में मनाने की बात करते है ,,कुल मिलाकर सभी को धर्म के नाम पर अधर्म फैलाने की पढ़ी है कोई भी मानवता की बात नहीं करता ,,,दोस्तों आप बताइये क्या ही अच्छा हो के मेरा भारत महान एक अनूठा उदाहरण पेश करे ,,यहां धार्मिक स्थलों का सूक्ष्म अस्तित्व रखते हुए मंदिर और मस्जिद के नाम पर जो भी चंदा एकत्रित हुआ है अगर एक बढ़ा हर बीमारी के इलाज का अस्पताल खोला जाए और वहां सभी असाध्य बिमारियों का मुफ्त में रहने ,,खाने और दवा जांचों सहित इंतिज़ाम हो तो फिर इस जगह का मंदिर मस्जिद होने से ज़्यादा मान बढ़ जाएगा ,,लेकिन मानवता शायद दानवता के नीचे दबी है देखते है यह कब उभर कर सामने आती है और इतीहास रचती है ,,,,,,,एडवोकेट अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
03 दिसंबर 2014
सियासी मज़हबी भड़काऊ लोगों ने वर्ष 1992 के बाद इस 6 देिसंबर को किसी के लिए खौफनाक ,, किसी के लिए शर्मनाक तो किसी के लिए काला दिन तो किसी के लियें शौर्य दिवस बना दिया
दोस्तों छ दिसंबर आ रही है ,,,हर बार आती है लेकिन सियासी मज़हबी भड़काऊ लोगों ने वर्ष 1992 के बाद इस 6 देिसंबर को किसी के लिए खौफनाक ,, किसी के लिए शर्मनाक तो किसी के लिए काला दिन तो किसी के लियें शौर्य दिवस बना दिया ,,,अजीब बात है हुज़ूर सल्ललाहे वसल्लम ने फ़ित्ना जिस मस्जिद में फैलता हो वहां नमाज़ पढ़ने तक इंकार कर दिया था ,,,राम ,,कृष्ण या किसी भी देवता ने कभी मज़हब के लिए संघर्ष नहीं किया इन्साफ के लिए उनकी लड़ाई थी लेकिन अफ़सोस हिंदू हो या फिर मुसलमान सभी इस दिन पर सियासत कर रहे है ,,,,,जिनके ज़हन में धर्म मज़हब नहीं है शैतानियत है वोह इस दिन को अपने अपने तरीके से याद करने में लगा है लेकिन दोस्तों यह हिन्दुस्तान है ,,यह मेरा भारत महान है यहां धर्म से पहले मानवता है क्योंकि सभी धर्म सिर्फ और सिर्फ मानवता ही सिखाते है ,,,,,,,,कोई कहता है के इस दिन पर नाज़ करने वाले ठंडे बस्ते में चले गए है ,,या तो मर गए है ,, या फिर बीमार है ,,या फिर राजनीति में अपमानित हो गए है ,,लालकृष्ण आडवाणी ,,मुरलीमनोहर जोशी ,,कल्याण सिंह और ना जाने कितने पिटे हुए कारतूस इसका उदाहरण है ,,अटल बिहारी वाजपेयी इंसाफ पसंद थे प्रधानमंत्री बने ,,नरेंद्र मोदी इस मामले में सक्रिय नहीं थे प्रधानमंत्री बने लेकिन जो सक्रीय रहे वोह सब आज नरेंद्र मोदी के तलवे के नीचे अपने अस्तित्व की सृक्षा की भीक मांग रहे है ,,,,कुछ कहते है के इस दिन के कई अपराधी आज रोते है ,,कुछ कहते है कई लोगों ने इसके बाद इस्लाम क़ुबूल कर लिया इस मामले में वीडियो भी वायरल हो रहे है ,,,कोई लोग इसे शौर्य दिवस के रूप में मनाने की बात करते है ,,कुल मिलाकर सभी को धर्म के नाम पर अधर्म फैलाने की पढ़ी है कोई भी मानवता की बात नहीं करता ,,,दोस्तों आप बताइये क्या ही अच्छा हो के मेरा भारत महान एक अनूठा उदाहरण पेश करे ,,यहां धार्मिक स्थलों का सूक्ष्म अस्तित्व रखते हुए मंदिर और मस्जिद के नाम पर जो भी चंदा एकत्रित हुआ है अगर एक बढ़ा हर बीमारी के इलाज का अस्पताल खोला जाए और वहां सभी असाध्य बिमारियों का मुफ्त में रहने ,,खाने और दवा जांचों सहित इंतिज़ाम हो तो फिर इस जगह का मंदिर मस्जिद होने से ज़्यादा मान बढ़ जाएगा ,,लेकिन मानवता शायद दानवता के नीचे दबी है देखते है यह कब उभर कर सामने आती है और इतीहास रचती है ,,,,,,,एडवोकेट अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सभी जानते है कोटा में कांग्रेस और भाजपा का गठबंधन है
दोस्तों सभी जानते है कोटा में कांग्रेस और भाजपा का गठबंधन है ,,लेकिन
कमज़ोर कांग्रेस के जेबी संगठनों के चलते आज तक भी कांग्रेस में भीतरघात कर
भाजपा से हाथ मिलाने के मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई ,,कोटा का
इतिहास गवाह है जब स्वर्गीय कुलदीप श्रीवास्तव कोटा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक
,,कोऑपरेटिव सोसाइटी ,,भूमिविकस बैंक या फिर कोई भी सियासी चुनाव लड़ते थे
तो उनके खिलाफ कोंग्रेसी और भाजपाई एक होकर उन्हें शिकस्त देते थे ,,,वही
कहानी कोटा जिला परिषद के चुनाव में अभी कांग्रेस और भाजपा
ने हाथ मिलाकर दो बार दोहराई ,,इसके पहले नईमुद्दीन गुड्डू को योजनाबद्ध
तरीके से हराया फिर नईमुद्दीन गुड्डू के कोंग्रेसी होते हुए भी उनके खिलाफ
भाजपा से हाथ मिलाकर भाजपा प्रत्याक्षियों को जिताया और ,,कॉलेज के
छात्रसंघ चुनाव में तो छात्र कांग्रेस के खिलाफ यह सब होता ही रहा है
,,,अब तो कोटा में भाजपा कांग्रेस मिलन की पराकाष्ठा हो गयी यहां जिस शख्स
को कांग्रेस ने पार्षद का टिकिट दिया वही पार्षद दूसरे दिन भाजपा से टिकिट
लेकर चुनाव लड़ंता है उसके ख़िलाफ़ कांग्रेस का उम्मदीवार ऐसा खड़ा किया जाता
है जो अपराधिक रिकॉर्ड वाला होता है उसका आवेदन खारिज होने के बाद पूर्व
कोंग्रेसी पार्षद को भाजपा से टिकिट लेने पर भी फायदा पहुंचाया जाता है
,,हद तो यह है के एक वार्ड से मधु शर्मा को टिकिट दिया जाता है लेकिन उनका
आवेदन ही चुनाव अधिकारी तक नहीं पहुंचता है और भाजपा को वाक ओवर मिलता है
,,,,,,,,,एक और वार्ड में प्रत्याक्षी का आवेदन ख़ारिज होता है ,,,घंटाघर
पूर्ण मुस्लिम बाहुल्य कोंग्रेसी वार्ड वहां भाजपा का कमल खिलाने के समझोते
के तहत कांग्रेस से टिकिट ही नहीं दिया जाता , नतीजन कोटा में आज
कोंग्रेसी मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में वक़्फ़ नगर ,,,अनंतपुरा ,,,घंटाघर
पर कमल खिला है तीन पार्षद भाजपा के मुल्ज़िम बाहुल्य इलाक़े में जीते है
जबकि एक पार्षद निर्दलीय जीता है ,,,भाजपा कांग्रेस गठबंधन का क़िस्सा यही
ख़त्म नहीं हुआ कोटा में उपमहापौर का चुनाव हुआ भाजपा भाजपा के खिलाफ थी
लेकिन कांग्रेस के टिकिट पर जीते लोगों ने भाजपा के एक धड़े के पक्ष में एक
मत होकर वोट डाल दिए ,,यह सब ढीले कांग्रेस संगठन और जेबी संगठन होने से
मज़बूत कद्दावर लोगों द्वारा कोटा में क्या जाता रहा है अगर इस मामले में
ऑपरेशन कर मूल बिमारी का इलाज नहीं किया गया तो यह फोड़ा नासूर बनकर कोटा से
कोंग्रेस को खत्म कर कांग्रेस मुक्त कोटा कर सकता है इसलिए इसका सख्ती से
इलाज ज़रूरी हो गया है ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कांग्रेस की रीढ़ कहे जाने वाले शान्तिकुमार धारीवाल की उपेक्षा के स्वर उठने लगे ,
हाल ही में राजस्थान कांग्रेस की कार्यकारिणी बनाई गयी कांग्रेस का दिमाग
,,कांग्रेस की रीढ़ कहे जाने वाले शान्तिकुमार धारीवाल की उपेक्षा के स्वर
उठने लगे ,,,शान्तिकुमार धारीवाल ने पहली बार कोटा नगर निगम चुनाव में रूचि
नहीं दिखाई ,,नतीजे सामने है कांग्रेस का नाम लेवा नहीं है ,,,,,,,प्रदेश
कार्यकारिणी में बैठे लोग शान्तिकुमार धारीवाल के बगैर अधूरे है ,,सभी
जानते है के हर पल हर क्षण कांग्रेस के संकटमोचक रहे शान्तिकुमार धारीवाल
ही है जिनके कार्यकलाओं से आज राजस्थान में कांग्रेस के
लोग सर उठाकर और सीना तानकर चलते हुए कहते है के शान्ति धारीवाल की वजह से
ही राजस्थान बीमारू राज्य से विकसित और सुन्दर राज्यों में गिना जाने लगा
शहर विकसित हुए ,,,अतिक्रमण हटे तो पुनर्वास के नाम पर गरीबों की बल्ले
बल्ले भी हुई ,,,,,,,सभी जानते है कियोस्क योजना जिसमे आज हज़ारों लोग अपना
व्यवसाय कर अपना परिवार पाल रहे है ,,,,,विकास और सौंदर्यकरण की हज़ारों
योजनाये ,,पुल ,,बाईपास ,,नई सड़के ,,,,सभी तो अकेले शांति धारीवाल की देन
है कुल मिलाकर शान्तिकुमार धारीवाल कांग्रेस में कद्दावर और समर्पित नेता
है उन्होंने हमेशा कांग्रेस का परचम बुलंद किया है अगर कांग्रेस जो लोग कह
रहे है ऐसा सोचती है तो यह सब कांग्रेस के लिए आत्मघाती है क्योंकि कहावत
है ज़माना हमसे है ज़माने से हम नहीं राजस्थान में प्लस शान्ति धारीवाल
मज़बूत कांग्रेस है और माइनस शांति धारीवाल कांग्रेस ज़ीरो है ,,,,कांग्रेस
को एक बार फिर ज़िंदाबाद करना है तो शांति धारीवाल को ज़िंदाबाद करना होगा
क्योंकि एक अकेले ऐसे कद्दावर नेता है जिन्होंने वंशवाद का बीज अपनी
राजनीति से हमेशा दूर रखा है और वंशवाद की सियासत के खिलाफ एक अनूठा उदाहरण
पेश किया है ,,,,अख्तर
बंजारा बस्ती पर कातिलाना हमला कर उन्हें ज़िंदा जला देने के मामले में राजस्थान में टुच्ची सियासत शुरू हो गयी है
राजस्थान में अलवर ज़िले के नारायणपुर थानाक्षेत्र में गोशाला के सामने
स्थित बंजारा बस्ती पर कातिलाना हमला कर उन्हें ज़िंदा जला देने के मामले
में राजस्थान में टुच्ची सियासत शुरू हो गयी है कांग्रेस के अशोक गेहलोत और
सचिन पायलेट तो घटनास्थल के पास स्थित एनकाउंटर में मरने वाले के घर तो हो
आये लेकिन इस उजाड़ी गई बस्ती और ज़िंदा जलादेने की कोशिश में पीड़ितों का
उन्हें ख्याल नहीं आया ,,घटना के मामले में सरदार बंजारे के साथ बंजारा
फाउंडेशन के राष्ट्रिय अध्यक्ष कैलाश बंजारा अपनी टीम के साथ
इन्साफ की लड़ाई लड़ रहे है ,,कुछ बंजारों ने सरकार की जयजयकार के लिए फ़र्ज़ी
मेसेज उन्हें एक एक लाख की मदद देने का वायरल किया लेकिन उनेह ठेंगा ही
मिला ,,शनिवार जयपुर पिंकसिटी प्रेसक्लब में कैलाश बंजारा ,,मानवाधिकार
कार्यकर्ता एडवोकेट अखतर खान अकेला ने जब अलवर के बंजारों की व्यथा
पत्रकारों को बताई तब कही जाकर सवा महीने गुज़रने के बाद पीड़ितों को ऊँट के
मुंह में जीरा के समान दिखावटी मुआवज़ा दिया गया है इसे भी रुला रुला कर
सत्ता सत्ता कर दिया गया है ,,बंजारा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश
बंजारा ने सरकार के इस थोड़े से मुआवज़े को बंजारा समाज के साथ धोखा और फरेब
बताते हुए कहा के इस अर्प्याप्त मुआवज़े से बंजारों को ज़रा भी राहत नहीं
मिली है ,,कैलाश बंजारा ने सरकार से सभी पीड़ित बंजारों को दस लाख रूपये
,,ज़मीन के पट्टे ,,चयनित परिवार में बंजारों का चयन ,,,,उन्हें पक्के मकान
बनाकर देने सहित सुरक्षा की मांग की है ,,,,,,अख़्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
कुत्ते की मौत पर इलाके में मातम, फूट-फूटकर रो पड़ी महिलाएं
(फोटो: कुत्ते की मौत पर विलाप करती महिलाएं)
अहमदाबाद। सच कहते हैं कि प्रेम की कोई सीमा नहीं होती। प्रेम
का यह रिश्ता चाहे इंसान से इंसान के बीच हो या फिर इंसान से जानवर के बीच।
कुछ ऐसा ही नजारा मंगलवार को अहमदाबाद के हाटकेश्वर इलाके में दिखाई दिया।
एक कुत्ते की मौत पर पूरे इलाके में मातम फैल गया। उसकी अंतिम यात्रा के
समय कई महिलाएं रो पड़ीं।
स्थानीय लोगों के बताए अनुसार सोनू नाम का यह कुत्ता इलाके में पिछले
18 सालों से रह रहा था। वह सबका प्रिय था और पूरे इलाके की रखवाली करता आ
रहा था। पशु चिकित्सक के बताए अनुसार कुत्ते की मौत अधिक उम्र की वजह से
हुई।
अयोध्या विवाद पर बोले हाशिम अंसारी- अब रामलला को देखना चाहता हूं आजाद
लखनऊ/अयोध्या. अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले
के मुख्य मुद्दई हाशिम अंसारी ने मंगलवार को बयान देकर सबको चौंका दिया
है। बाबरी मस्जिद मुद्दे के राजनीतिकरण से नाराज उन्होंने कहा कि अब
रामलला को वह आजाद देखना चाहते हैं। वह अब किसी भी कीमत पर वे बाबरी
मस्जिद के मुकदमे की पैरवी नहीं करेंगे। छह दिसंबर को काला दिवस जैसे
किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि रामलला तिरपाल
में रहें और लोग महलों में। लोग लड्डू खाएं और रामलला इलायची दाना, यह
नहीं हो सकता।
हाशिम ने कहा कि बाबरी मस्जिद की पैरवी के लिए एक्शन कमेटी बनी थी,
लेकिन आजम खान उसके कन्वेनर (संयोजक) बना दिए गए। अब सियासी फायदा उठाने
के लिए वे मुलायम के साथ चले गए। एक्शन कमेटी के जितने लीडर थे, उनको पीछे
छोड़ दिया। हाशिम ने कहा, "मुकदमा हम लड़ें और राजनीति का फायदा आजम खान
उठाएं। इसलिए मैं अब बाबरी मस्जिद मुकदमे की पैरवी नहीं करूंगा। इसकी पैरवी
आजम खान करें।"
बाबरी एक्शन कमिटी के संयोजक जफरयाब जिलानी का कहना है कि वह हाशिम
अंसारी मना लेंगे। इसके अलावा उनके द्वारा पैराकारी नहीं करने से भी मुकदमे
पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस मुकदमे में छह वादी और भी मौजूद हैं। इसमें
सुन्नी वक्फ बोर्ड भी वादी है। यह एक रिप्रेजेन्टिव मुकदमा है।
इस मामले पर यूपी के राज्यपाल रामनाईक का कहना है कि इस विषय पर कोई
किसी प्रकार की राजनीतिक टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने इस विषय में जो कहा
है जब वह पूरा होगा तो अच्छा ही है। राम मंदिर के बारे में जो भी समस्याएं
या कठिनाईयां है, वह इस प्रकार से खत्म होगी तो यह देश के लिए निश्चित तौर
पर अच्छा रहेगा।
उन्होंने साफ कहा, "जितने भी नेता हैं सब कोठियों में रह रहे हैं और
रामलला तिरपाल में रह रहे हैं। मैं रामलला को तिरपाल में देखना नहीं चाहता।
खुद तो 100 रुपए किलो की बढ़िया मिठाई खा रहे हैं और रामलला इलायची दाना खा
रहे हैं, यह नहीं हो होगा। अब हम रामलला को हर कीमत पर आजाद देखना चाहते
हैं। अब मुकदमे की कार्रवाई आजम खान करें, मुझको नहीं करना।
हाशिम अंसारी यही नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि आजम खान चित्रकूट
में छह मंदिरों का दर्शन कर सकते हैं, तो अयोध्या दर्शन करने क्यों नहीं
आते। उन्होंने कहा, "बाबरी मस्जिद हो या राम जन्मभूमि, यह राजनीति का
अखाड़ा है। मैं हिंदुओं या मुसलमानों को बेवकूफ बनाना नहीं चाहता। मेरे हक़
में फैसला हुआ है। अब हम किसी कीमत पर बाबरी मस्जिद मुकदमे की पैरवी नहीं
करेंगे। छह दिसंबर को मुझे कोई कार्यक्रम नहीं करना है, बल्कि अपना दरवाजा
बंद करके अंदर रहना है।"
नेता मस्जिद का नाम लेकर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं
हाशिम अंसारी से पूछा कि आपने जो सुलह-समझौते
की कोशिश की थी, उसके बारे में क्या कहेंगे? जवाब में उन्होंने कहा कि
जब कोशिश की थी, उसी समय हिंदू महासभा सुप्रीम कोर्ट चली गई। परिषद के
अध्यक्ष बाबा ज्ञान दास ने पूरी कोशिश की थी कि हिंदुओं और मुसलमानों को
इकट्ठा करके मामले को सुलझाया जाए। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद का
मुकदमा 1950 से चल रहा है। सारे नेता चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, मस्जिद
का नाम लेकर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं।
हाशिम अंसारी अयोध्या के उन कुछ चुनिंदा बचे हुए लोगों में से हैं, जो
लगातार 60 वर्षों से अपने धर्म और बाबरी मस्जिद के लिए संविधान और क़ानून
के दायरे में रहते हुए अदालती लड़ाई लड़ रहे हैं। स्थानीय हिंदू साधु-संतों
से उनके रिश्ते कभी ख़राब नहीं हुए।
हाशिम का परिवार कई पीढ़ियों से अयोध्या में रह रहा है। वे 1921 में
पैदा हुए। 11 साल की उम्र में यानी वर्ष 1932 में उनके पिता का देहांत हो
गया। दर्जा दो तक पढाई की। फिर सिलाई यानी दर्जी का काम करने लगे। यहीं
पड़ोस में फैजाबाद में उनकी शादी हुई। उनके एक बेटा और एक बेटी है। छह
दिसंबर, 1992 के बलवे में बाहर से आए दंगाइयों ने उनका घर जला दिया, लेकिन
अयोध्या के हिंदुओं ने उन्हें और उनके परिवार को बचाया।
पीएम मोदी का निर्देश, लेट से आने वाले सांसदों के लिए कर दो मीटिंग हॉल के दरवाजे बंद
फोटो: पीएम मोदी बीते हफ्ते नगालैंड के दौरे पर थे। इस दौरान वह वहां के पारंपरिक पहनावे में नजर आए थे।
नई दिल्ली: संसद भवन में हर मंगलवार को होने वाली बीजेपी
सांसदों की बैठक में देर से पहुंचने वाले मेंबर्स को एंट्री नहीं मिलेगी।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी ने आदेश दिए हैं कि मीटिंग हॉल के
दरवाजे सुबह ठीक 9 बजकर 35 मिनट पर बंद कर दिए जाएं। बीते कुछ सालों से
संसद सत्र के दौरान हर मंगलवार सुबह साढ़े 9 बजे बीजेपी सांसदों की बैठक
होती है।
बीते मंगलवार को संसद भवन परिसर के बालयोगी ऑडिटोरियम में हुई बैठक में करीब 20 सांसद देरी से पहुंचे थे। इसके बाद, संसदीय कार्य मंत्री और बीजेपी नेता वेंकैया नायडू को मीटिंग के आखिर में एलान करना पड़ा कि आगे से हॉल के दरवाजे 9 बजकर 35 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे। खबरों के मुताबिक, मोदी ने निर्देश दिए थे कि वक्त की पाबंदी और अटेंडेंस को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। पहली बार सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे पीएम मोदी मीटिंग शुरू होने के 10 मिनट पहले पहुंचते हैं। इस मीटिंग में मोदी एक हफ्ते बाद शामिल हुए थे, क्योंकि इससे पहले वाले मंगलवार को वह विदेश में थे। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इस मीटिंग में महीने में एक बार शामिल होते हैं।
पीएम ने कड़े किए नियम
सरकार के गठन के बाद से ही पीएम ने सांसद क्या करें और क्या न करें, इसकी एक लिस्ट मेंबर्स को सौंपी है। पीएम ने पार्टी के नेताओं के अनुशासन को लेकर बेहद सख्त नियम बनाए हैं। सांसदों को पहले ही यह निर्देश दिए जा चुका है कि वे कोई भी अहम पार्टी मीटिंग मिस न करें, वरना अटेंडेंस रिपोर्ट पीएम को भेज दी जाएगी। इसके अलावा, मोदी ने सांसदों को संसदीय कार्यवाही और संसदीय क्षेत्र में शत प्रतिशत मौजूदगी दर्ज कराने के निर्देश भी दिए हैं।
सरकार के गठन के बाद से ही पीएम ने सांसद क्या करें और क्या न करें, इसकी एक लिस्ट मेंबर्स को सौंपी है। पीएम ने पार्टी के नेताओं के अनुशासन को लेकर बेहद सख्त नियम बनाए हैं। सांसदों को पहले ही यह निर्देश दिए जा चुका है कि वे कोई भी अहम पार्टी मीटिंग मिस न करें, वरना अटेंडेंस रिपोर्ट पीएम को भेज दी जाएगी। इसके अलावा, मोदी ने सांसदों को संसदीय कार्यवाही और संसदीय क्षेत्र में शत प्रतिशत मौजूदगी दर्ज कराने के निर्देश भी दिए हैं।
पाकिस्तानी ने 20 साल भारतीय सेना में नौकरी की, 14 साल से ले रहा है पेंशन
(फोटो- मोहम्मद फारुख।)
जयपुर. 20 साल तक एक पाकिस्तानी नागरिक हिंदुस्तानी फौज में
नौकरी करता रहा। रिटायर हो गया। पेंशन भी शुरू हो गई। अब नौकरी खत्म होने
के 14 साल बाद मामले का खुलासा हुआ है। जांच राजस्थान की झुंझुनूं पुलिस कर
रही है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भी दस्तावेज भेजे गए हैं। मामला
झुंझुनूं के हमीर खां का बास निवासी मोहम्मद फारुख का है। फारुख पाकिस्तानी
नागरिक हैं। वीजा अवधि बढ़वाकर भारत में रह रहे हैं। दिलचस्प यह है कि
उन्हें वे सभी सुविधाएं मिल रही हैं जो किसी भारतीय सैनिक को रिटारयमेंट के
बाद मिलती हैं। मामला चूरू एसपी ऑफिस को मिली शिकायत के बाद खुला। बाद में
चूरू एसपी ऑफिस ने मामले की पत्रावली झुंझुनूं एसपी ऑफिस भेज दी। झुंझुनूं
एसपी सुरेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि यह संवेदनशील मामला है। फारुख की
वीजा वृद्धि के दस्तावेज केंद्रीय गृह मंत्रालय को भिजवाए हैं।
नागरिकता पर क्या नियम?
जो लोग 19 जुलाई 1948 से पहले पाकिस्तान से भारत आए, उन्हें स्वतः: भारतीय नागरिक मान लिया गया। इसके बाद आने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए कई तरह के नियम लागू हैं। मौजूदा नियमों के अनुसार मां-बाप को भले नागरिकता मिल जाए, लेकिन बच्चों को अलग आवेदन करना होता है।
मां पाकिस्तानी थी, बाद में हिंदुस्तान की नागरिकता ली, लेकिन फारुख वहीं के रहे
फारुख हिंदुस्तानी पिता और पाकिस्तानी मां की संतान हैं। फारुख का जन्म पाकिस्तान में हुआ। पिता झुंझुनूं में ही रहते थे। फारुख की मां 60 के दशक में उन्हें लेकर भारत आईं। तब वे डेढ़ साल के थे। यहां उनकी मां ने तो भारतीय नागरिकता ले ली, लेकिन फारुख की नागरिकता के लिए कभी आवेदन नहीं किया। 1980 में फारुख सेना में बतौर ग्रेनेडियर भर्ती हुए। नागरिकता संबंधी दस्तावेज मांगे गए तो फारुख ने मूल निवास प्रमाण पत्र पेश कर दिया। इसी आधार पर नौकरी मिल गई। वर्ष 2000 में वे रिटायर हो गए। दस्तावेजों में फारुख के पिता का नाम कहीं अकबर अली है तो कहीं यूनुस कायमखानी है। अभी उनके पास 2016 तक का वीजा है।
मूल निवास के आधार पर दी नौकरी : सेना
सेना में राशन कार्ड और मूल निवास के आधार पर नौकरी दी जाती है। अब नागरिकता को लेकर बहुत सख्ती है। 1980 में इन बातों पर ज्यादा गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जाता था। —लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष ओझा, प्रवक्ता, सेना
1992 में पता चला-मैं पाकिस्तानी हूं
हम तीन भाई और एक बहन हैं। मेरे अलावा बाकी सभी के पास भारत की नागरिकता है। मुझे अपनी नागरिकता के बारे में पहली बार 1992 में पता लगा। मैं जब सेना में भर्ती हुआ तो जन्म तिथि, शिक्षा, राशन कार्ड आदि दस्तावेज मांगे गए थे। यही मैंने सेना को सौंपे थे। इसी आधार पर मुझे चुना गया। -मोहम्मद फारुख
बस में लड़कों को पीटने वाली लड़की बोली-19 की उम्र तक 2000 लड़कों ने की छेड़छाड़
मंगलवार को सम्मानित होने के बाद आरती और पूजा। ये दोनों बहनें छेड़खानी करने वाले लड़कों की पिटाई का वीडियो सामने आने के बाद देश भर में चर्चित हो गई हैं।
रोहतक: छेड़छाड़ के आरोप में कई युवकों की पिटाई करने के बाद
पहले लोगों की तारीफ बटोरने और बाद में सवालों के घेरे में आने वाली रोहतक
की बहनें आरती और पूजा अपने रुख पर कायम हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें जब
भी मौका मिलेगा, वे परेशान करने वाले युवकों की पिटाई करने से परहेज नहीं
करेंगी। एक न्यूज चैनल से बातचीत में पूजा ने कहा, ''अभी और वीडियो भी
सामने आएंगे। मैं 19 साल की हूं और पूरे जीवन में 2000 से ज्यादा लड़कों ने
मुझसे छेड़छाड़ की है। मुझे जब भी मौका मिलेगा, मैं उनको पीटूंगी।'' बता दें
कि बस में कुछ युवकों की पिटाई के वीडियो सामने आने के थोड़े वक्त के बाद एक
और वीडियो सामने आया, जिसकी वजह से दोनों बहनों के बर्ताव को लेकर सवाल
उठने लगे थे। कुछ लोगों ने तो यहां तक आरोप लगाए कि दोनों बहनें अक्सर लड़ाई
करती हैं। मंगलवार को दोनों बहनों को हिंदू महासभा ने सम्मानित किया था ।
हिसार की जनवादी महिला समिति ने भी दोनों का सम्मान किया था।
पूजा और आरती को उन्हीं के गांव की महिलाओं ने झूठा बताया है। जिस आसन गांव के लड़कों की पिटाई हुई, उस गांव की पंचायत भी पूरी तरह से युवकों के पक्ष में आ गई है। युवकों को कोर्ट से भी जमानत मिल गई है। लड़कियों के गांव की महिलाओं का कहना है कि बस में हुई घटना में लड़के पूरी तरह निर्दोष थे और सारी गलती लड़कियों ने ही की थी। गांववालों ने पांच महिलाओं को मीडिया के सामने पेश किया। ये उसी बस में सफर कर रही थीं। इनमें से चार महिलाओं ने खुद को घटना का चश्मदीद बताया। ये चारों महिलाएं लड़कियों के गांव थाना खुर्द की ही हैं। उन्होंने युवकों को बेकसूर बताया। इस संबंध में उन्होंने पुलिस में शपथ पत्र भी दिया है।
'सीट छोड़ने को कहा तो बढ़ी बात'
जो महिलाएं मीडिया के सामने आईं हैं, उनमें से तीन का नाम विमला है। एक महिला ने बताया, "एक लड़के ने एक बीमार बुजुर्ग महिला का टिकट लिया। उसकी सीट नंबर 8 थी। उस सीट पर दो लड़कियां बैठी थीं। युवक ने बीमार के लिए सीट छोड़ने को कहा तो वे भड़क गईं। बात बढ़ गई और दोनों लड़कियों ने मारपीट शुरू कर दी। दो लड़के बस में थे, जबकि तीसरा रास्ते में (भालौठ से) बस में चढ़ा था। मीडिया में एकतरफा खबर दिखाई गई है। तीनों लड़के बेकसूर हैं। चाहे यहां गवाही दिलवा लो या चंडीगढ़ में। बुढ़ापे में झूठ नहीं बोलूंगी।" अन्य महिलाओं ने भी यही कहा कि लड़कों ने न तो छेड़छाड़ की और न ही मारपीट। अगर पक्ष लेना होता तो हम अपने गांव की बेटियों का लेतीं, लेकिन मामला न्याय और सच्चाई का है। लड़कों की गलती नहीं, उसे सजा कैसे होने देंगे।
'वो महिला तो सामने लाओ, जिसने वीडियो बनाई'
आसन गांव के ग्रामीणों का कहना है कि लड़कियों के अनुसार, मारपीट की वीडियो बस में बैठी एक गर्भवती महिला ने बनाई थी, जबकि चश्मदीद महिलाओं का कहना है कि वीडियो उन लड़कियों के साथ की तीसरी लड़की ने बनाई। अगर लड़कियों की बात में सच्चाई है तो वीडियो बनाने वाली महिला को सामने लाएं।
हरियाणा रोडवेज के जिस बस में दो बहनों द्वारा लड़कों की पिटाई का वीडियो सामने
आया है, उसी बस में सफर करने का दावा करने वाली विमला नाम की एक महिला ने
कहा, "तीन दिन से टीवी में देख रही हूं कि क्या उल्टा-सीधा दिखाया जा रहा
है। जिस लड़के ने मेरा टिकट लाकर दिया, उसे बता रहे हैं कि उसने लड़कियों
के साथ छेड़छाड़ की। अरे, सच्चाई देखनी है तो तसल्ली से वो वीडियो ही देख
लो, जो टीवी पर चल रहा है। शुरू से आखिर तक दोनों छोरियां उस छोरे पर हावी
रहीं। लात-घूंसों व बेल्ट से पिटाई की, इसके बाद भी वह कुछ नहींं बोला। जब
से मामला देख रही हूं, खाना भी नहीं खाया। वो मेरी टिकट लेकर आया था। कैसे
भूल सकती हूं उसे। मन नहीं माना तो पता पूछते-पूछते घर (लड़कों के गांव
आसन) पहुंची।"
गांव गढ़ी सिसाना की रहने वाली विमला ने कहा कि मेरा बयान यहां कराओ
या चंडीगढ़ में गवाही दिलवाओ, खुल कर कहूंगी कि लड़कों का कोई दोष नहीं।
मेरा ताल्लुक न लड़कों से है और न लड़कियों से मेरी जान-पहचान, लेकिन सच
बोलूंगी।
बस में क्या हुआ था
विमला ने टिकट दिखाते हुए कहा कि जिस वक्त घटना हुई, मैं बस में ही
थी। एक बीमार वृद्धा आई। उसने लड़के से टिकट लाने की बात कही। वह भागकर गया
और 8 नंबर सीट की टिकट ले आया, लेकिन सीट पर दो लड़कियां बैठी थीं। बीमार
को बैठाने के लिए सीट छोड़ने की बात लड़कियों को अखर गई। उन्होंने थोड़ी
देर तक बहस की, जिसके बाद लड़का मेरी सीट की तरफ आकर खड़ा हो गया। लड़कियां
फिर भी शांत नहीं हुईं और गाली देती रहीं। लड़के ने हल्का सा विरोध किया
कि दोनों उस पर टूट पड़ीं। एक ने लात-घूंसे चलाए तो दूसरी ने बैग से बेल्ट
निकाल ली।
लड़कियों की गलती
लड़कों को बेकसूर बताने में सिर्फ गढ़ी सिसाना ही नहीं, बल्कि खुद
पीड़ित लड़कियों के गांव थाना खुर्द की चार महिलाएं भी शामिल थीं। उनमें से
दो के नाम विमला तथा तीसरी समा कौर थीं। तीनों ने बताया कि घटना के दौरान
वे भी बस में सफर कर रही थीं। वे नहीं चाहतीं कि किसी के साथ अन्याय हो,
इसलिए मामले की सच्चाई बयां करने आई हैं। उन्होंने बताया कि सीट पर बैठने
को लेकर विवाद शुरू हुआ था। हमने ज्यादा गौर नहीं किया। लेकिन थोड़ी ही देर
में लड़कियों ने एक लड़के को पीटना शुरू कर दिया। वह खुद को बचा रहा था और
लड़कियां थीं कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं।
बस से कूदा तो पत्थर बरसाए
विमला ने बताया कि उसने लड़के से कहा कि बस से कूद जा। वह कूद भी गया, लेकिन लड़कियों ने उसका पीछा नहीं छोेड़ा। काफी दूर तक उसके पीछे भागती रहीं और पत्थर बरसाती रहीं। बचने के लिए लड़का ईख के खेत में घुस गया। इसके बाद दोनों लड़कियां फिर से बस में आ गईं। बाकी दोनों लड़कों का तो कुछ लेना-देना ही नहीं था।
विमला ने बताया कि उसने लड़के से कहा कि बस से कूद जा। वह कूद भी गया, लेकिन लड़कियों ने उसका पीछा नहीं छोेड़ा। काफी दूर तक उसके पीछे भागती रहीं और पत्थर बरसाती रहीं। बचने के लिए लड़का ईख के खेत में घुस गया। इसके बाद दोनों लड़कियां फिर से बस में आ गईं। बाकी दोनों लड़कों का तो कुछ लेना-देना ही नहीं था।
विमला ने बताया कि पता चला है कि उस लड़के का नाम कुलदीप है। वह अकेला
ही बस में चढ़ा था। बस में उसके गांव का ही दीपक भी उसे मिल गया। तीसरा
लड़का भालौठ से चढ़ा था, जिसके हाथ में घी था। कंसाला पहुंचते ही पुलिस ने
बस रुकवा ली और लड़कियों ने उसे कुलदीप का साथी बताते हुए दोनों लड़कों को
गिरफ्तार करवा दिया।
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