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09 दिसंबर 2014

रामपाल के निजी कक्ष में रहती थीं छह सेविकाएं, खाता था धतूरे से बनी दवा


रामपाल  के निजी कक्ष में रहती थीं छह सेविकाएं, खाता था धतूरे से बनी दवा
 
हिसार. रामपाल के निजी कक्ष में उनकी बहन सहित छह सेविका रहती थी। रामपाल के अनुयायी मनोज ने पुलिस को बताया कि रामपाल की पांच सेविका उसके निजी कक्ष में रहती थी। इन सेविकाओं को रामपाल बहनों के नाम से पुकारता था। इनमें रामपाल की एक बहन भी शामिल है। पुलिस पूछताछ में रामपाल ने बताया कि आश्रम में उनकी 50 वर्षीय बहन राजबाला, जींद निवासी 55 वर्षीय सावित्री, गांव धनाना की 22 वर्षीय नीलम, सोनीपत की 30 वर्षीय गीता, बलजीत के बेटी बबीता और राजस्थान के अमेठ की 22 वर्षीय टीना रहती थी। इनके अलावा कोई महिला अनुयायी रामपाल के निजी कक्ष तक नहीं जा सकती थी।
 
काले व सफेद धतूरा से बनी दवाई लेता था
आश्रम में मौजूद पुरुष अनुयायियों में केवल मनोज ही रामपाल का ऐसा सेवक था जो कि रामपाल के निजी कक्ष तक पहुंच रखता था। मनोज ने खुलासा किया कि रामपाल के खान पान से लेकर दवाइयों तक की निगरानी उसकी देखरेख में ही होती थी। रामपाल काला और सफेद धतूरे से बनी दवाइयों का सेवन भी करता था। फिलहाल मनोज पुलिस रिमांड पर बरवाला पुलिस के पास है।
 
रामपाल के कहने पर महिलाओं बच्चों को किया था आश्रम में बंद
पुलिस और सतलोक आश्रम के निजी कमांडो के बीच टकराव होने पर काफी महिला अनुयाइयों ने रामपाल के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। वे वहां से बच निकलना चाहती थी। तब काफी महिलाओं और बच्चों को आश्रम के एक बड़े हाल में बंद कर दिया गया था। जिस कारण दम घुटने से चार महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई थी। यह खुलासा आश्रम प्रमुख रामपाल की खास राजदार बरवाला की बबीता उर्फ बेबी ने पुलिस रिमांड के दौरान पूछताछ में किया है।

RSS पर आरोप-पैसे, राशनकार्ड का लालच देकर मुस्लिमों को बनाया हिंदू


RSS पर आरोप-पैसे, राशनकार्ड का लालच देकर मुस्लिमों को बनाया हिंदू
 
आगरा. यहां मुसलमान से हिंदू बने कुछ परिवारों के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि  आरएसएस और बजरंग दल के सदस्यों ने पैसे और राशन कार्ड का लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराया। वहीं, बजरंग दल का कहना है कि उनके ऊपर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने किसी को किसी भी तरह का लालच नहीं दिया था। बीते सोमवार को आगरा में 60 मुस्लिम परिवारों के 250 लोगों ने हिंदू धर्म अपना लिया था।  इन परिवारों का कहना है, ''हमसे कहा गया था कि एक कार्यक्रम है जिसमें हमारे राशन कार्ड और आधार कार्ड बनवा दिए जाएंगे। लेकिन जब हम वहां पहुंचे तो हमारा धर्म परिवर्तन करा दिया गया। उस वक्त हमने झगड़ा होने के डर से कुछ नहीं कहा और जैसा हमसे कहा गया, वैसा ही हमने किया। '' धर्म परि‍वर्तन कराने वाले परिवार बांग्‍लादेशी बताए जाते हैं। वे यहां करीब 12 साल से रह रहे थे।
 
क्या है पूरा मामला 
यह कार्यक्रम आगरा के थाना सदर अंतर्गत देवरी रोड पर आयोजित हुआ था।  धर्म परिवर्तन का कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा धर्म जागरण समन्वय विभाग और बजरंग दल द्वारा किया गया था। कार्यक्रम को 'पुरखों की घर वापसी' नाम दिया गया था। ब्राह्मणों द्वारा सभी को हवन करा कर और मंत्र दिलाकर धर्म परिवर्तन कराया गया। इसके बाद सभी ने अपने घरों की छत पर भगवा झंडा लगा लिया था। साथ ही, मंदिरों में माथा टेक कर प्रसाद ग्रहण किया था। 
 
क्या कहना है बजरंग दल का 
बजरंग दल के जिलाध्यक्ष अज्जू चौहान ने कहा,  ''हिंदू धर्म अपनाने वाले लोग काफी गरीब तबके के हैं। वे सभी वाल्मीकि समाज से ताल्लुक रखते हैं। उन्हें बरगलाया जा रहा है। वे डरे-सहमे हुए हैं। उन्हें किसी भी तरह का लालच नहीं दिया गया था। मीडिया खबर को जबरदस्ती तूल दे रहा है।'' वहीं, आरएसएस के स्थानीय नेता राजेश्वर सिंह ने बताया कि हिंदू धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म को अपनाने वाले लोगों को वापस लाने का प्रयास तेज किया जाएगा। आने वाले क्रिसमस पर अलीगढ़ में 5000 से ज्यादा मुस्लिम और ईसाई दोबारा हिंदू धर्म अपना लेंगे। इसके लिए अलीगढ़ के महेश्वरी कॉलेज में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

दंगा प्रभावित रहे इलाके में बोलीं साध्वी- उठाना होगा सुदर्शन चक्र

दंगा प्रभावित रहे इलाके में बोलीं साध्वी- उठाना होगा सुदर्शन चक्र
 
नई दिल्ली. हाल ही में एक चुनावी रैली में विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाली भाजपा की फायरब्रांड सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने सोमवार शाम दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में सभाएं की। त्रिलोकपुरी में कुछ महीने पहले दंगे हुए थे। उन्होंने अपने भाषण में दंगे का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन मतदाताओं को कृष्ण की तरह चक्र उठाने की नसीहत दे डाली। बता दें कि साध्वी द्वारा कांग्रेसियों को 'हराजमादा' कहने के बाद संसद से लेकर सड़क तक पर प्रदर्शन हुए। बाद में साध्वी ने संसद में अपने बयान के लिए माफी भी मांगी थी। पीएम मोदी द्वारा संसद में बयान देने और राज्यसभा के सभापति द्वारा दखल दिए जाने के बाद किसी तरह यह मामला शांत हुआ।
   
क्या बोलीं साध्वी 
त्रिलोकपुरी से सटे अशोकनगर क्षेत्र में एक सभा को संबोधित करते हुए ज्योति ने 'मेरे अलबेले राम' भजन सुनाया। उन्होंने मतदाताओं से कहा, ''यह भजन पूरी दिल्ली में गाना है, ठीक है। भगवान श्यामसुंदर के सुर्दशन चक्र के सामने जो आएगा, वो बचेगा नहीं। उठो, कृष्ण की तरह तुम्हें भी रण का शंख बजाना होगा। यहां शांति से शांति नहीं होगी, इसके लिए तुम्हें भी चक्र उठाना होगा।''
 
आखिरी वक्त पर बदला गया सभा स्थल 
बीजेपी ने त्रिलोकपुरी के ब्लॉक 36 में साध्वी की सभा के लिए मंजूरी ली थी, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इसे आखिरी मिनट में बदलकर ब्लॉक 34 कर दिया। साध्वी ने दोनों ही रैलियों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर जमकर निशाना साधा। आम आदमी पार्टी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि सरकार बनाने के पहले तो ये आपसे पूछते हैं, लेकिन सत्ता छोड़ते हुए आपकी राय नहीं लेते। वहीं, कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना साधते हुए कहा, ''भाजपा को समर्थन के लिए 'हाथ' न उठाएं, मुझे इससे एलर्जी है। हमारे समर्थन के लिए घूंसा दिखाएं।''

पुलिस की आंखों में मिर्च झोंक जेल से फरार हुए 15 कैदी, 2 की फायरिंग में मौत

पुलिस की आंखों में मिर्च झोंक जेल से फरार हुए 15 कैदी, 2 की फायरिंग में मौत
 
रांची। झारखंड में चल रहे विधानसभा चुनावाें के दौरान चाईबासा के जिला जेल से मंगलवार को 15 कैदी फरार हो गए। पुलिस ने भागने वाली कैदियों को काबू करने के लिए फायरिंग की, जिसमें दो की मौत हो गई, जबकि अस्तपाल में भर्ती तीन की हालत गंभीर है। मारे गए कैदी नक्सलियों में से दो की पहचान दीपा दास व रामविलास टांटी के रूप में की गई है, जबकि हार्डकोर नक्सली जाॅनसन गंझू समेत अन्य कैदी फरार हुए हैं। घायलों के नाम हैं- सुखराम हेसापूर्ति, करण चाकी और जोजोबारी। मामले में 14 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
 
कोर्ट से वापसी के क्रम में कैदियाें ने पुलिसकर्मियों की आंखों में झोंकी पाउडर मिर्च
 
चाईबासा मंडल कारा की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए हार्डकाेर नक्सली समेत 15 समर्थक फरार हो गए। उन्हें भागने से रोकने के लिए जेल के सुरक्षा गार्ड को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें जमुई का प्लाटून कमांडर रामविलास तांती व सारंडा के हार्डकोर नक्सली टीपा दास की मौत हो गई। वहीं, पुलिस की पिटाई से तीन नक्सली जख्मी हो गए हैं। तीनों का इलाज सदर अस्पताल में कराया गया। हार्डकोर नक्सली जॉनसन गंझू भी भागने में सफल रहा है। घटना मंगलवार शाम 4.15 बजे की है। 
 
कैदियों को कोर्ट में पेशी कराने के बाद वापस जेल लाया गया था। जेल के मेन गेट से कैदी वाहन अंदर घुसते ही कैदियों ने वहां मौजूद पुलिसकर्मियों की आंखों में पाउडर मिर्च झोंक दिया था। इसके बाद वे गेट से बाहर भागने लगे थे। इस दौरान कैदी वाहन पर सवार 15 बंदी भागने में सफल रहे। हार्डकोर नक्सली टीपा दास व रामविलास तांती ने भी भागने की कोशिश की। जेल के ऊपर मोर्चा पर तैनात संतरी ने फायरिंग कर दी, जिससे दोनों की मौत हो गई। दोनों छोटानागरा थाना क्षेत्र के हतनाबुरू गांव निवासी थे। एसपी नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रथम दृष्टया बंदियों को पेशी में ले जाने वाले सुरक्षाकर्मियों की लापरवाही उजागर हुई है। 14 जवानों को निलंबित कर दिया गया है। 
 
वाहन पर सवार थे 55 कैदी 
 
कोर्ट में सुनवाई के बाद बंदियों को मंडल कारा लाया जा रहा था। शाम चार बजे वाहन से 40 कैदियों को जेल लाया गया। 15 मिनट बाद दूसरी गाड़ी से 55 कैदियों को लाया गया। वाहन जेल परिसर में घुसा व बंदी उतरने लगे। तभी किसी ने पुलिसकर्मियों की आंखों में पाउडर मिर्च झोंक दिया। पुलिस जांच में पता चला है कि वाहन में जॉनसन, हार्डकोर नक्सली सुभाष गंझू, सालुका कायम, विशु बोदरा व रंधीर पात्रो पुलिसकर्मियों से उलझ गए थे।
 
2013 में अलर्ट जारी
 
नक्सलियों के नेता मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति ने 17 पेज का एक पत्र जारी किया था। यह पत्र दिल्ली पुलिस के हाथ लगने के बाद 16 सितंबर 2013 को देश के गृह मंत्रालय ने नौ उग्रवाद प्रभावित राज्यों झारखंड, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को अलर्ट जारी किया था। इसमें कहा गया था कि नक्सली अब जेल में बंद नेताओं को छुड़ाने की योजना बना रहे हैं। चाईबासा पुलिस प्रशासन ने इस अलर्ट को भी गंभीरता से नहीं लिया और 14 माह के अंदर ही चाईबासा जेलब्रेक की घटना हो गई।
 
 
पहले भी हो चुका है जेलब्रेक
 
16 जनवरी 2011 : चाईबासा जेल से तीन मोस्ट वांटेड नक्सली मोतीलाल सोरेन, रघुनाथ हेंब्रम व मंगरू महतो सलाखों को काटकर भाग निकले थे। एक नक्सली ओड़िशा से पकड़ा गया था। 
 
17 अगस्त 2011 : सरायकेला मंडल कारा से नक्सली सोमरा हांसदा, डेविड उर्फ बलराम साहू, बबलू बागची, रवि सिंह मुंडा, रखाल कांडेराम व गणेश प्रमाणिक भाग गए थे। जांच में जेलर रमाशंकर दोषी पाए गए थे। 
 
कौन है जॉनसन 
 
जॉनसन उर्फ चंदर गंझू नक्सलियों का कोल्हान क्षेत्र का एरिया कमांडर रहा है। करीब ढाई साल पहले तत्कालीन एसपी पंकज कंबोज के कार्यकाल में उसे मनोहरपुर थाना क्षेत्र के रोंगो गांव के पास गिरफ्तार किया गया था। उसकी पत्नी भी गिरफ्तार हुई थी। उसे मंडल कारा भेजा गया था।
 
जेल के अंदर बड़ा गेट खुला रह गया था : डीजीपी
 
डीजीपी राजीव कुमार ने कहा है कि घटना चाईबासा जेल के भीतर की है। जेल के अंदर कैदी वाहन जाने के बाद बड़ा गेट खुला ही रह गया था। उसे बंद नहीं किया गया था। उसी गेट से 20 कैदियों ने भागने का प्रयास किया था। उन्हें रोकने की कोशिश की गई। जब वे नहीं माने, तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग की। इसमें दो कैदी मारे गए, दोनों नक्सली थे। तीन घायल हुए हैं। 15 कैदी भागने में सफल हुए हैं।
 
सीमाएं सील: डीआईजी
 
डीआईजी मोहम्मद नेहाल अहमद के अनुसार, कैदियों ने जेलब्रेक कैसे किया? क्या पूरे प्रकरण में कोई पुलिस वाला शामिल है? कैदियों के पास पाउडर मिर्च कहां से आई? आदि बिंदुओं पर जांच की जा रही है। कोल्हान की सीमाएं सील कर दी गई हैं। आसपास जिलों के एसपी से स्थिति की निगरानी के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि जेल की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आ रही है।
 
मारे गए नक्सली 
 
रामविलास तांती (जमुई का प्लाटून कमांडर) व टीपा दास (सारंडा का हार्डकोर नक्सली)
 
 
ये हुए घायल
 
नक्सली बिरसा हासा पूर्ति (बंदगांव), वीर सिंह हाईबुरू (कराईकेला बरंडिया निवासी) करण चाकी (सोनुवा कुदाबुरू निवासी)

१० दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस


१० दिसंबर को राष्ट्रसंघ की ओर से अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार का नाम दिया गया है। वर्ष १९४८ में आज ही के दिन राष्ट्रसंघ की महासभा की बैठक में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार घोषणापत्र पारित किया गया। आज के दिन को मानवाधिकार के लिए विशेष किये जाने का उद्देश्य विश्व में शांति व सुरक्षा स्थापित करना और लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित बनाना है। राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में लोगों के अधिकारों का सम्मान वर्तमान समय में मानव समाज की एक चिंता है। पूरे इतिहास में ईश्वरीय आदेशों व शिक्षाओं के अनुसार लोगों के अधिकारों, प्रतिष्ठा और शांति व सुरक्षा की स्थापना पर बल दिया गया है। २० वीं शताब्दी में दो विश्व युद्ध हुए जिसके दौरान मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ वह भी पश्चिमी देशों की ओर से। मानव समाज के अधिकारों के उल्लंघन व हनन को रोकने के लिए राष्ट्रसंघ ने मानवाधिकार के अर्थों पर ध्यान दिया और अंततः १० दिसंबर वर्ष १९४८ को राष्ट्रसंघ की महासभा की बैठक ने इस संबंध में एक घोषणापत्र पारित किया। इस घोषणापत्र में मनुष्यों की प्रतिष्ठा, महिलाओं और पुरुषों के आधारभूत अधिकार जैसे विषयों पर बल दिया गया है। इसी प्रकार इस घोषणापत्र में आज़ादी, बराबरी, बंधुत्व और भेदभाव समाप्त करने पर भी बल दिया गया है। विश्व के अधिकांश देश मानवाधिकारों के घोषणापत्र से जुड़ गये हैं और सरकारों ने वचन दिया है कि वे इस घोषणापत्र के मूल सिद्धांतों के प्रति वचनबद्ध हैं। मानवाधिकार घोषणापत्र को संकलित हुए ६० से अधिक वर्षो का समय बीत रहा है पंरतु आज भी विभिन्न समाजों में मानवाधिकार की स्थिति व दशा इस बात की सूचक है कि सरकारों व देशों ने इस संबंध में कोई प्रगति नहीं की है और आज विश्व के बहुत से देशों में लोगों के प्राथमिक अधिकारों का हनन होता है। ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि मानवाधिकारों का घोषणापत्र पारित कराने में जहां पश्चिमी देशों ने महत्वपूर्ण भूमिका है वहीं ये देश मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले देशों की सूचि में पहले स्थान पर हैं। अमेरिकी सरकार जो प्रतिवर्ष दूसरे देशों में मानवाधिकार की स्थिति के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित करती है, दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करती है और कुछ देशों पर सैनिक आक्रमण करके उनका अतिग्रहण करती है। पिछले वर्ष राष्ट्रसंघ के मानवाधिकार आयोग की ओर से अमेरिका पर देश के भीतर और बाहर मानवाधिकारों के उल्लंघन का विभिन्न आरोप लगाया गया। हालिया दिनों में अमेरिकी सरकार "वॉल स्ट्रीट पर अधिकार करो" आंदोलन का दमन कर रही है, लोगों को मार रही है, उनके ऊपर मिर्च की स्प्रे डाल रही है, उनके तंबुओं पर बुल्डोजर चला रही है इसके अतिरिक्त अमेरिकी पुलिस इस आंदोलन में शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने वाले लोगों के विरुद्ध नाना प्रकार की अमानवीय कार्यवाहियां कर रही है जिससे मानवाधिकारों की रक्षा के बारे में अमेरिका सरकार के दावों की कलई खुल जाती है। संक्षेप में यह है कि केवल मानवाधिकारों का घोषणापत्र संकलित करने से मानवाधिकारों की रक्षा नहीं होगी बल्कि सबसे महत्वपूर्ण चीज़ यह है कि मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरने वाली सरकारों को चाहिये कि वे अपनी कथनी और करनी में समानता उत्पन्न करें तथा इस विषय का प्रयोग दूसरे देशों पर दबाव डालने के हथकंडे के रूप में न करें।

क़ुरआन का संदेश

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