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10 दिसंबर 2014

कहने को राजधानी लेकिन केंद्र सरकार की गुलाम दिल्ली का यह सफर

दोस्तों दो दिन दिल्ली का सफर था ,,देश की राजधानी जी हाँ कहने को राजधानी लेकिन केंद्र सरकार की गुलाम दिल्ली का यह सफर हमने दिल से दिल में रहने वालों की यादों के साथ दिलवालों के साथ किया ,,,,,हमने देखा दिल्ली में चुनाव की कोई खास सरगर्मी तो नहीं लेकिन आम लोगों में ,,आम आदमी में ,,ऑटो वाले ,,रिक्शावाले ,,,,खोमचे वाले सभी के दिलों में आप पार्टी के केजरीवाल का असर था उनका कहना था केंद्र में नरेंद्र मोदी अच्छे है लेकिन दिल्ली में सिर्फ केजरीवाल ही है जिन्होंने हमे हमारा हक़ दिलाया सरकार के अधिकारीयों और पुलिसकर्मियों की अवैध चौथ वसूली से मुक्ति दिलाई ,,केजरविाल के वक़्त हमे पच्चीस हज़ार रूपये प्रतीमाह तक का अवैध चौथवसूली से रियायत मिली थी पुलिस की हरकते रुकी थी ,,लेकिन अब फिर वही अवैध चौथवसूली ,,,एक ने तो कहा के नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में मुस्लिम वोटों को खरीदने के लिए इमाम बुखारी जिसने नरेंद्र मोदी को नहीं बुलाकर अपमान किया था अपने मंत्री हर्षवर्धन को वोटो का समीकरण बनाने और समझने के लिए लंच पर भेज दिया ,,,इधर सरकारी कर्मचारी ,,,,,,टैक्स चोर ,,कालाबाज़ारी ,,बेईमान लोग केजरीवाल को रोकने के लिए चंदा एकत्रित कर येन केन प्रकारेण कोशिशों में जुटे दिखे ,,,,,,,,,,भाजपा केजरीवाल के वोट विभाजित करने की जुगत में नज़र आई ,,भाजपा का इशारा है के केजरीवाल की पार्टी का कोई भी स्थापित आदमी अगर भाजपा में कोई भी लाता है तो उसे विशेष पुरस्कार दिया जाएगा ,,,खेर दिल्ली डरी हुई सहमी हुई सी लगी एक रोज़ कमाने वाला तब्क़ा ,,गरीब तब्क़ा आम आदमी इसलिए डरा हुआ था के अगर केजरीवाल हर गए तो उन्हें अवैध चोथवासुलिया लगातार देना पढ़ेंगी दफ्तरों में परेशान रहना पढ़ेगा ,,दूसरी तरह जमाखोर ,,बेईमान ,,भ्रष्ट ,,कालाबाज़ारी इस खौफ में थे के अगर केजीरवाल फिर आ गया तो उनकी दुकाने फिर ठप्प हो जाएंगी देखते है दिल्ली में किया नतीजे आते है ,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कांग्रेस की मज़बूती के सुझाव के लिए किया किया बदलाव लाते है ,,,

राजस्थान में कांग्रेस की बिगड़ी स्थिति और उसमे सुधार की सम्भावनाओ को लेकर दिल्ली दस जनपथ से लेकर 14 तुगलक लेन रोड और 24 अकबर रोड तक सभी शीर्ष नेताओ से मिलकर राजस्थान में कांग्रेस के बिगड़े हालात के लिए ज़िम्मेदार तोर तरीकों और इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों की हरकतों पर विस्तृत चर्चा हुई ,,,मुलाक़ात का वक़्त चंद लम्हों का होने से जो कहा जा सका वोह कहा ,,,,,दिल्ली में बैठे लोग हमारी आवाज़ सुनकर भी अनजान थे देखते है वोह राजस्थान और कोटा में कांग्रेस की मज़बूती के सुझाव के लिए किया किया बदलाव लाते है ,,,,,,,इस मुलाक़ात में अख्तर खान अकेला ,,,,कैलाश बंजारा ,,राजेन्द्र सोमावत ,,,मानसिंघ ,,,,के शिवमूर्ति सहित कई दर्जन लोग शामिल थे ,,,,,,,,,हाई कमान ने सूना ,,गर्दन हिलाई ,,आश्चर्य प्रकट किया ,,,कार्यवाही का भरोसा दिलाया और मुस्कुरा कर नमस्ते कहकर फिर आने को कहा लेकिन हमे बिलकुल नहीं लगा के राजस्थान में कांग्रेस की कब्र खोदने वाले कबरबिज्जु कोंग्रेसियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की जाकर कांग्रेस में बदलाव कर कांग्रेस को मज़बूती दी जायेगी इसलिए निराश और हताश होकर लोटे है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कितने घरों में स्वेटर बुनने वाली सलाइयां बची हैं

कितने घरों में स्वेटर बुनने वाली सलाइयां बची हैं??,,मेरी साहित्यकार बहन वंदना अवस्थी दुबे के इस सवाल ने मुझे झकझोर कर रख दिया और घरों के झरोखों से अंदर झाँकने पर मजबूर किया ,,,बात सही है घरो में आज बेअदब महिलाओं की वजह से ना तो प्यार है ,,ना सुई है ,,ना डोरा है ,,ना सिलाई मशीन है ,,घरों में बीवियों के हाथ का खाना बहुत कम है ,,बाइयों के हाथ की रोटी ,,,उनके हाथ की सफाई ,,धोबियों की धुलाई प्रेस ,,,,सालगिरह और दूसरी खुशियों के मौके पर होटलों का खाना ,,,,,,महमाँनवाज़ी में होटलों का खाना ,,,,खुशनसीब है वोह लोग जिस घर में आज भी दिया सलाई है ,, सिलाई मशीन है ,,सुई डोरा है ,,स्वेटर बुनने की सलाईया है ,,,अच्छे अच्छे व्यंजन बनाने वाली लुगाइयाँ है ,,,,,अभी कल ही मेरे भाई भरत शर्मा ने एक स्वेटर पहन कर बढ़े गर्व से कहा था के मुझे प्यार मिला और मेरा स्वेटर बन गया ,,,काश ऐसा प्यार सभी को मिले ,,,,,,क्या ही अच्छा हो के हमारे घरो में फिर से प्यार फिर से संस्कृति लोटे ,,,,घरों में किट्टी पार्टी की जगह ,,,टी वी चैनलों की जगह ,,,सास बहुओं की किट किट और नौकरानियों की गुलामी की जगह फिर से आज़ादी और ,,,प्यार हो ,,अपनापन हो ,,,,,घर के बनाये हुए व्यंजन हो ,,बीवी ,,माँ ,,बहन के हाथों के बने हुए स्वेटर हो ,,अम्मी के बीवी के हाथो सिला पायजामा हो ,,क्या फिर से वोह प्यार लोट पायेगा इन आज़ाद संस्कृति की महिलाओं में जहा सिर्फ रुमाल से चेहरा ढ़क कर महिलाये टाइट कपड़े ,,कम कपड़े पहन कर ,,महंगे कपड़े पहनकर समझने लगी है के उन्होंने इस रुमाल से चेहरा ढक कर अपने सारे ऐब ढक लिए है ,,,इस में महिला अकेली ज़िम्मेदार नहीं इस पाप में पुरुष भी बराबर का सांझीदार और ज़िम्मेदार है ,,,,,,,वोह कमज़ोर हो गया है ,,बेहया हो गया है माँ से ज़्यादा बीवी का हो गया है ,,,बीवी से ज़्यादा किसी और का हो गया है और इसीलिए ब्लेकमेल होकर यह सब सह रहा है जब वोह प्यार नहीं देता तो फिर महिला उसके लिए क्यों स्वेटर बनेगी ,,क्यों वयंजन बनाकर उसका इन्तिज़ार करेगी ,,क्यों पति को परमेश्वर मानकर उसके खाना खाए बगैर भूखी रहेगी ,,,क्यो पति उसके माँ बाप रिश्तेदारो को पतिपरमेश्वर के रिश्तेदार होने से उन्हें देवता समझ कर उनकी पूजा कर घर को मंदिर इबादत घर बनाएगी ,,क्यों आखिर क्यों ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दोस्तों कहावत है रस्सी जल गयी ,,लेकिन बल नहीं निकला

दोस्तों कहावत है रस्सी जल गयी ,,लेकिन बल नहीं निकला वही कहावत कांग्रेस के साथ आज भी क्रियान्वित हो रही है ,,,कांग्रेस का साम्राज्य देश भर में कोंग्रेसियों की काली करतूतों के कारण ज़मीन में दफन होने लगा है ,,,कांग्रेस पहले केंद्र से फिर राज्यों से अब निकायों से निपट गयी है ,,,इन सब के पीछे कांग्रेस हाईकमान के दरबारियों की चापलूसी ,,चमचागिरी और गलत रिपोर्टिंग तो है ही लेकिन हाईकमान भी बच्चा नहीं है उसे इन हालातों में कुछ बदलाव लाना चाहिए लेकिन वही राजसी ठाठ बाट वाली स्थिति बनी हुई है ,,,,,दिल्ली के राष्ट्रिय कार्यालय 24 अकबर रोड जहां पैर रखने की जगह नहीं हुआ करती थी वहा आज मरघट सी खामोशी ,,तबाही और बर्बादी का सन्नाटा है ,,,,कांग्रेस कार्यालय की केन्टीन वाले जिनकी बिक्री आसमान पर थी आज ज़ीरो पर आ गयी है ,,,,वहां का वही घटिया निज़ाम अव्वल तो राष्ट्रीय स्तर के नेता पार्टी कार्यालय में नहीं आते और जो आते है अधिकतम उनकी पहली तरजीह महिला कार्यकर्ता होती है ,,वही अंग्रेज़ों जैसा हाल बंद दरवाज़े ,,,पर्ची दो इजाज़त लो फिर मिलो यह तो इन प्यादों के हाल है जो हाईकमान के आगे कुत्ते की तरह दुम हिलाते देखे जाते है ,,कार्यकर्ता जो सैकड़ों हज़ारों मील दूर से आता है वोह फ्रस्ट्रेट हो जाता है परेशान हो जाता है उनका नेता उनसे मिलता नहीं नखरे करता है सुनवाई का कोई जनता दरबार नहीं आम कार्यकर्ता तो दूर बढ़े बढ़े शीर्ष स्तर के नेता इन कथित ठेकेदारो को गालिया बकते हुए नज़र आते है क्योंकि इनकी उपेक्षा इनका आचरण बर्दाश्त के बाहर है ,,,यही लाठ साहबी अंदाज़ दस जनपथ और तुगलं लेन रोड पर देखने को मिलता है ,,,,हज़ारो मील दुर से किसी राजय का मंत्री ,,किसी कांग्रेस प्रदेश इकाई का पदाधिकारी ,,विधायक ,,सांसद आत्ता है और लाठसाहबों के सुरक्षाकर्मी उसे अंदर तक नहीं जाने देते ,,,,,क्या फ़र्क़ पढ़ता है अगर यह लोग एक दो मिनट दूर दराज़ से आये लोगों के लिए निकाल ले इनसे तरीके से बात कर ले ,,लेकिन कांग्रेस में यह लाठ साहबी संस्कृति ने कांग्रेस को डुबो तो दिया है ,,इन लोगों के दफ्तर चेंबर में एक बार जो गया और जिसमे ज़मीर ज़िंदा है तो वोह तो फिर इनसे मिलना कभी पसंद ही नहीं करेगा ,,,यही वजह है के अब केंद्र से लेकर राज्यों और निकायों तक कांग्रेस दम तोड़ रही है और मुर्दाबाद खुद इनके कार्यकर्ताओं में होने लगी है बात कड़वी है लेकिन सच्ची है ,,चमचा कार्यकर्ता इसको समझता है महसूस करता है लेकिन डर के मारे कहने की हिम्मत नहीं करता ,,चिट्ठियां लिखता है लेकिन उन्हें कचरापात्र में डाला जाता है ,,सभी परेशान कार्यकर्ता सोचते है बिल्ली के गले में कोन घंटी बंधे तो लो जनाब यह खतरनाक कम यह सच बोलने और लिखने का काम में शुरू करता हु ताके कांग्रेस के लाठ साहब फिर से ज़मीन के लोग सेवक लोग बनकर कार्यकर्ताओं की सुने उन्हें विश्वास में ले उनका सम्मान करे और देश भर में फिर से कांग्रेस मुर्दाबाद से ज़िंदाबाद हो सके ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

उर्दू जुबांन का आज़ादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान

उर्दू जुबांन का आज़ादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है ,,,सही मायनो में अगर कहा जाए के आज़ादी की लड़ाई में जिस जुबांन के ज़रिये आंदोलनकारियों में शक्ति का संचार किया गया उसमे उर्दू जुबां सर्वोच्च है ,,,,,,आज राजकीय महाविद्यालय कोटा में उर्दू विभाग द्वारा आज़ादी के आंदोलन में उर्दू ज़ुबान के योगदान विषय पर व्याख्यान माला रखी जिसमे मुख्यातिथि और वक्ता प्रोफेसर एहतेशाम अख्तर पाशा थे ,,,,,,कार्यक्रम में बोलते हुए राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफ़ेसर लोहिया ने उर्दू जुबां की नफासत नज़ाकत की प्रशंसा करते हुए कहा के ,,इंक़लाब ज़िंदाबाद ,,ऐसा नारा है जो उर्दू ज़ुबान ने दिया है और आज़ादी के आंदोलन से आज तक यह नारा संघर्ष का एक प्रतीक बना हुआ है ,,,,कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर हुस्न आरा ने कहा के आज़ादी के आंदोलन में उर्दू ज़ुबान के योगदान का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है के अंग्रेज़ों ने आज़ादी का आंदोलन दबाने के लिए दमनकारी नीति के तहत उर्दू की 581 किताबें प्रतिबंधित की थी जबकि हिंदी जुबां की 264 किताबे प्रतिबंधित की गयी थी यह एक सरकारी रिकॉर्ड है ,,, कार्यक्रम में उर्दू ज़ुबान की विभागयाध्यक्ष डॉक्टर कमर जहा भी मौजूद थी , जबकि उर्दू के छात्र छात्राओं ने इस सेमीनार के ज़रिये काफी खोजपूर्ण जानकारियां प्राप्त की जो उनके लिए भविष्य में भी उपयोगी रहेंगे ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

विश्व मानवाधिकार दिवस ,व्याख्यानमाला

विश्व मानवाधिकार दिवस पर आज राजकीय महाविद्यालय कोटा के समाजशास्त्र विभाग द्वारा एक ,व्याख्यानमाला का आयोजन रखा गया ,,जिसमे मुख्य वक्ता के रूप में एडवोकेट अख्तर खान अकेला और प्रोफेसर डॉक्टटर विजय सरदाना ने अपना व्याख्यान दिया ,,,,,राजकीय महाविद्यालय में आयोजित इस सेमीनार में विभागयाध्यक्ष श्रीमती मंजू मेहरा ,,,,सहयोगी व्याख्याता और छात्र छात्राओं ने किया था ,,,,व्याख्यान माला में एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने देश में लागू किये गए मानवाधिकार अधिनियम के प्रावधान के तहत इक्कीस साल बाद भी मानवाधिकार न्यायालय स्थापित नहीं करने पर दुःख जताया जबकि राजस्थान पुलिस अधिनियम के तहत पुलिस निगरानी समिति का सात साल गुज़रजाने के बाद भी गठन नहीं करने पर रोष व्यक्त किया ,,,,,अख्तर खान अकेला ने कहा के हमारे देश की सरकार अंतर्राष्ट्रीय दबाव में मानवाधिकार का दिखावा तो करती है लेकिन स्वास्थ्य के लये घोषित नुकसानदायक चीज़े शराब ,,सिगरेट पान ,,गुटका और कई ज़हरीली चीज़े रुपया कमाने के चक्कर में खुलेआम बिकवा रही है ,,,अख्तर खान अकेला ने कहा के हमारे देश में बच्चे ,,बूढ़े ,,महिलाये ,,,,,पुरुष किसी भी वर्ग के मानवाधिकार सुरक्षित नहीं है ,,,,,,प्रोफेसर डॉक्टर विजय सरदाना ने कहा के मानवाधिकारों में सबसे अधिक आवश्यक अधिकार स्वास्थ्य का मानवाधिकार है उन्होंने कहा के जब व्यक्ति स्वस्थ ही नहीं रहेगा तो उसके लिए और दूसरे मानवाधिकार बेमानी होंगे ,,,,,,,कार्यक्रम में बोलते हुए प्राचार्य प्रोफेसर लोहिया ने कहा के विश्व मानवाधिकार दिवस पर शिक्षा ,,जागरण कार्यक्रम की ज़रूरत है उन्होंने छात्र छात्राओं से आह्वान किया के सभी लोग इस कार्यःशेत्र में शामिल होकर मानवाधिकार संरक्षण क्षेत्र में कार्य करे ताकि देश में जियो और जीने का अधिकार स्थापित हो सके ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बंजारा समाज अपनी संस्कृति ,,अपना समाज ,,अपनी बस्ती ,,,भाषा और पहनावे को सुरक्षित संरक्षित करने के लिए शीघ्र ही राष्ट्रव्यापी अभियान चलाएगा

बंजारा समाज अपनी संस्कृति ,,अपना समाज ,,अपनी बस्ती ,,,भाषा और पहनावे को सुरक्षित संरक्षित करने के लिए शीघ्र ही राष्ट्रव्यापी अभियान चलाएगा ,,,यह निर्णय दिल्ली में आयोजित बंजारा समाज के प्रबुद्ध प्रतिनिधियों की एक आपात बैठक में लिया गया ,,,,,बंजारा फाउंडेशन के राष्ट्रिय अध्यक्ष कैलाश बंजारा ने बताया के बंजारा समाज राजस्थान की संस्कृति में जन्मा ,,पला ,,बढ़ा है लेकिन राजस्थान की सरकारों की दोहरी नीतियों के चलते बंजारा समाज अपने संरक्षण के लिए पलायन करता गया और महाराष्ट्र ,,आंध्रा ,,कर्नाटक ,,मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में स्थापित हुआ ,,कैलाश बंजारा ने बताया के राजस्थान में बंजारों की बस्तियों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है ,,उन्होंने अलवर के नीमड़ी गाँव और भीलवाड़ा के ढीकोला क़स्बे में बंजारा बस्ती पर कातिलाना हमला कर आगजनी घटना का पूरा ब्योरा बंजारा समाज के पर्तीिनिधियों के समक्ष पेश किया ,,,,,,,,,,नई दिल्ली के कर्नाटक भवन में आयोजित बंजारा समाज की बैठक में राजस्थान में लगातार बंजारों पर हो रहे हमलों की घटना पर रोष जताते हुए सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया ,,,,,,कर्नाटक सरकार के पूर्व मंत्री और विधायक के शिवमूर्ति ने इस घटना पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा के बंजारा समाज को राष्ट्रिय स्तर पर एक होने की ज़रूरत है उन्होंने कहा के देश में बंजारों की भाषा लुप्त हो रही है ,,संस्कृति ,,पहनावा लुप्त हो रहा है और इस समाज को संरक्षित सुरक्षित करने के लिए सरकारों की कोई योजना नहीं है उन्होंने कहा की कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने बंजारों के विकास और संरक्षण के लिए विशेष पैकेज तैयार किया है जबकि वहां बंजारा समाज निगम की स्थापना कर बंजारा संस्कृति के संरक्षण का प्रयास किया गया लेकिन भाजपा के लोगों में बंजारों के पक्ष में कोई विज़न नहीं है सिर्फ वोट मांगने के लिए नरेंद्र मोदी ने बंजारा संस्कृति ,,,पहनावे और खान पान परअपना भाषण दिया था ,,,,,बंजारों की राष्ट्रीय चिंतन बैठक में निर्णय लिया गया के बंजारों की ग्वार भाटा भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित करने के लिए संविधान की अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई जायेगी जबकि बंजारों को विशेष दर्जा देकर उनकी संस्कृति ,,पहनावा ,,संरक्षण ,,उनके रीती रिवाजों का सर्वे करवा कर उनके लिए विशेष पैकेज की मांग की जायेगी ,,,इसके लिए शीघ्र ही एक राष्ट्रिय संघर्ष समिति का गठन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,,,,गृह मंत्री राजनाथ सिंह ,,,नितिन गडकरी सहित बंजारा बाहुल्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बैठक आयोजित कर उन्हें प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जायेगा ,,,बंजारा बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि बंजारों के टाण्डा जो गांव में बाहर एक बस्ती का रूप होता है उसके विकास के लिए योजना आयोग कोई विकास राशि नहीं देता है इसके लिए पृथक से विकास राशि और विकास योजना के प्रस्ताव शामिल करवा कर आर्थिक पैकेज की मांग की जायेगी ,,,,,,कर्नाटक भवन में आयोजित बंजारा समाज की राष्ट्रिय संघर्ष कार्यसमिति की बैठक में कोटा से कैलाश बंजारा ,,जयपुर से राजेन्द्र सिंह सोमावत ,,,भरतपुर से मानसिंघ बंजारा ,,,महाराष्ट्र से सोहन सिंह राठोड ,,कर्नाटक से पूर्व मंत्री वर्तमान विधायक के शिवमूर्ति ,,,आंध्रा से पूर्व विधायक मनोहर नायक ऐनापुर ,,,दिल्ली से पृथ्वी सिंह राठोड ,,,प्रमोद नायक ,,,सुजालाल पंवार ,,,भारत राठोड ,,हेमू बंजारा ,,,धरमसिंघ राठोड मुंबई ,,,रामपाल जी ,,अरविन्द नायक सहित सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल थे ,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

" तहरीक-ए-आज़ादी में उर्दू अदब का हिस्सा

राजकीय महाविद्यालय कोटा (राजस्थान) के उर्दू विभाग में दिनांक 8 से 11 दिसंबर' 14 तक आयोजित की जा रही यू जी सी व्याख्यान माला के तहत " तहरीक-ए-आज़ादी में उर्दू अदब का हिस्सा" विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया जिसमे मुख्य वक्ता उर्दू के सेवा निवृत व्याख्याता और उर्दू के मशहूर शायर जनाब Ehtesham Akhtar साहब थे, और कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डा. श्री. टी.सी. लोया ने की, जबकि मुख्य अतिथि कोटा के नामी वकील जनाब अख्तर खान अकेला थे, कार्यक्रम का सञ्चालन उर्दू विभाग की व्याख्याता डा. Husn Ara ने किया !
मुख्य वक्ता जनाब एहतेशाम अख्तर पाशा साहब ने तहरीक-ए-आज़ादी में उर्दू अदब की खिदमात पर तफ़्सीली तक़रीर की, और उर्दू शायरों और अदीबों की खिदमात का जायज़ा भी पेश किया ! गुफ्तुगू को आगे बढ़ाते हुए डा. हुस्न आरा ने कहा कि तहरीक-ए-आज़ादी में उर्दू ज़बान के हिस्से का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज़ादी की तहरीक के दौरान उर्दू ज़बान की ज़ब्त शुदा किताबों की तादाद लगभग 581 थी, इसलिए यह कहना गलत न होगा कि आज़ादी की तहरीक में उर्दू अदब ने हर जगह हर मौके पर मुल्क और क़ौम की खिदमात अंजाम दी ! उर्दू सहाफत, नॉवेल, अफ़साना, ग़ज़ल और नज़्म हर सिन्फ़ में आज़ादी की गूँज सुनाई देती है !
कार्यक्रम के अंत में उर्दू विभाग की अध्यक्ष डा. क़मर जहाँ साहिबा ने सभी आमंत्रित विद्वानो को धन्यवाद ज्ञापित किया !

यहां से ले गए थे हनुमानजी पर्वत, इसलिए इस गांव में नहीं होती उनकी पूजा

फोटो- उत्तराखंड स्थित द्रोणागिरि गांव

 
उज्जैन। 11 दिसंबर, गुरुवार को इंटरनेशनल माउंटेन डे है। इस अवसर हम आपको उन पर्वतों के बारे में बता रहे हैं, जिनका वर्णन हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलता है। इस श्रृंखला में आज हम आपको उस पर्वत के बारे में बता रहे हैं, जिसे हनुमानजी संजीवनी बूटी के लिए उठाकर ले गए थे। मान्यता है कि वह पर्वत उत्तराखंड के द्रोणागिरि नामक स्थान पर स्थित था। द्रोणागिरि के लोग आज भी हनुमानजी की पूजा इसलिए नहीं करते क्योंकि हनुमान उस स्थान से पर्वत उठाकर ले गए थे।
 

यहां वर्जित है हनुमानजी की पूजा करना

द्रोणागिरि गांव उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ प्रखण्ड में जोशीमठ नीति मार्ग पर है। यह गांव लगभग 14000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां के लोगों का मानना है कि हनुमानजी जिस पर्वत को संजीवनी बूटी के लिए उठाकर ले गए थे, वह यहीं स्थित था।

चूंकि द्रोणागिरि के लोग उस पर्वत की पूजा करते थे, इसलिए वे हनुमानजी द्वारा पर्वत उठा ले जाने से नाराज हो गए। यही कारण है कि आज भी यहां हनुमानजी की पूजा नहीं होती। यहां तक कि इस गांव में लाल रंग का झंडा लगाने पर पाबंदी है।
67 करोड़ वानर घायल हो गए थे एक बाण से
 
वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण के पुत्र मेघनाद ने ब्रह्मास्त्र चलाकर श्रीराम व लक्ष्मण सहित समूची वानर सेना को घायल कर दिया। अत्यधिक घायल होने के कारण जब श्रीराम व लक्ष्मण बेहोश हो गए तो मेघनाद प्रसन्न होकर वहां से चला गया। उस ब्रह्मास्त्र ने दिन के चार भाग व्यतीत होते-होते 67 करोड़ वानरों को घायल कर दिया था। 
 
हनुमानजी, विभीषण आदि कुछ अन्य वीर ही उस ब्रह्मास्त्र के प्रभाव से बच पाए थे। जब हनुमानजी घायल जांबवान के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा - इस समय केवल तुम ही श्रीराम-लक्ष्मण और वानर सेना की रक्षा कर सकते हो। तुम शीघ्र ही हिमालय पर्वत पर जाओ और वहां से औषधियां लेकर आओ,  जिससे कि श्रीराम-लक्ष्मण व वानर सेना पुन: स्वस्थ हो जाएं।
इन 4 औषधियों के नाम बताए थे जांबवान ने
 
जांबवान ने हनुमानजी से कहा कि- हिमालय पहुंचकर तुम्हें ऋषभ तथा कैलाश पर्वत दिखाई देंगे। उन दोनों के बीच में औषधियों का एक पर्वत है, जो बहुत चमकीला है। वहां तुम्हें चार औषधियां दिखाई देंगी, जिससे सभी दिशाएं प्रकाशित रहती हैं। उनके नाम मृतसंजीवनी, विशल्यकरणी, सुवर्णकरणी और संधानी है। 

हनुमान तुम तुरंत उन औषधियों को लेकर आओ, जिससे कि श्रीराम-लक्ष्मण व वानर सेना पुन: स्वस्थ हो जाएं। जांबवान की बात सुनकर हनुमानजी तुरंत आकाश मार्ग से औषधियां लेने उड़ चले। कुछ ही समय में हनुमानजी हिमालय पर्वत पर जा पहुंचे। वहां उन्होंने हनुमानजी ने अनेक महान ऋषियों के आश्रम देखे।

अपने ज्ञान के कारण कॉलेज से निकाले गए थे ओशो, टीचर को किया था चित



अपने ज्ञान के कारण कॉलेज से निकाले गए थे ओशो, टीचर को किया था चित
 
जबलपुर. 11 दिसम्बर 1931 को मध्य प्रदेश के रायसेन शहर के कुच्वाडा गांव में आध्यात्मिक गुरु ओशो रजनीश का जन्म हुआ। आज उनकी 83वीं जयंती है। इस अवसर पर आचार्य रजनीश के दोस्त अरविंद जैन ने dainikbhaskar.com के साथ खास बातचीत की। अरविंद जैन सन् 1950 से 1971 तक आचार्य रजनीश के साथ रहे। 
 
कॉलेज से निकाल दिए गए थे ओशो...
वे बताते हैं कि वे सन् 1951 में उन्होंने हितकारिणी सिटी कॉलेज (अब हितकारिणी गर्ल्स कॉलेज) में एडमीशन लिया और 1953 तक पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान एक प्रोफेसर एस.एन.एल. श्रीवास्तव लॉजिक पर लेक्चर दे रहे थे तभी रजनीश से उनका डिबेट हुआ। 
 
डिबेट काफी देर तक चला और रजनीश के तर्क इतने सटीक थे कि कक्षा में बैठे लगभग 70 छात्रों ने रजनीश के डिबेट पर जोर से टेबिल थपथपा कर तालियां मार दीं फिर क्या था हितकारिणी सिटी कॉलेज के प्रोफेसर चनपुरिया जी ने रजनीश को अपने कमरे में बुलाया और कहा कि हम अपने प्रोफेसर को तो निकाल नहीं सकते पर तुमसे एक निवेदन है कि हम तुम्हारी डिग्री और सर्टिफिकेट में कुछ भी ऐसा नहीं लिखेंगे जो तुम्हें हानि पहुंचाए पर हमें क्षमा कीजिए आप किसी और कॉलेज में एडमीशन ले लें। इस दौरान डी.एन.जैन कॉलेज के प्रिंसिपल ने रजनीश को बुलाया और कहा कि मैं तुम्हें अपने कॉलेज में एडमीशन दे सकता हूं पर शर्त यह है कि हमारे यहां प्रोफेसर सुल्लेरे लॉजिक का पीरियड लेते हैं उस पीरियड को तुम अटेन्ड नहीं करोगे, ओशो मान गए और उस पीरियड के दौरान वे अक्सर कालेज के बाहर बने कुएं की पाटी पर बैठे रहते थे।

हरियाणा में दिखी एक और मर्दानी, लड़के ने छेड़ा तो छात्रा ने की जमकर धुनाई

छेड़छाड़ के विरुद्ध रैली में भी छेड़छाड़, धुनाई

हरियाणा में दिखी एक और मर्दानी, लड़के ने छेड़ा तो छात्रा ने की जमकर धुनाई
 
रोहतक। शहर में बुधवार को 'दो बहनों' से छेड़छाड़ के विरोध में छात्र-छात्राओं ने रैली निकाली। एसडीएम को ज्ञापन देकर सब लौट रहे थे। तभी एक छात्रा पर एक छात्र ने फब्ती कस दी। छात्रा ने युवक को जमकर धुना। आरोपी ने माफी मांगकर पीछा छुड़ाया। पीड़िता ने पुलिस केस नहीं किया। उसका कहना है, 'यह समाज पुरुष प्रधान है। पुलिस केस करती तो 'दो बहनों' की तरह बदनाम कर दिया जाता। मैंने अपने अंदाज में युवक को जवाब दे दिया है।'

चलती बस में छेड़छाड़ के बाद तीन युवकों को पीटने वाली पूजा व आरती के पक्ष में बुधवार को कई छात्र संगठन उतर आए। छात्र एकता मंच के नेतृत्व में छात्र-छात्राओं ने लघु सचिवालय में प्रदर्शन किया। इनमें एलएलबी सेकंड ईयर की छात्रा गांव सांघी निवासी किरन भी थी। एसडीएम को ज्ञापन देने के बाद वह अपनी सहेली के साथ लौटने लगी तो लघु सचिवालय के पार्किंग गेट पर खड़े उसके ही गांव के एक युवक ने उस पर फब्तियां कस दी। किरन उसके पास पहुंची। तभी युवक बोला, क्या बिगाड़ लेगी? इस पर लड़की उसे पीटते हुए लघु सचिवालय की दीवार तक ले गई। आरोपी ने माफी मांगकर पीछा छुड़ाया और वहां से रफूचक्कर हो गया।
 
छात्रा के गांव का ही है आरोपी

किरन ने बताया, 'मेरे गांव का एक युवक अपने तीन साथियों के साथ था। उसके तीन साथी बाइक पर थे और वह नीचे खड़ा था। उसने कमेंट किया कि सांघी आली कैसी है...? मैंने इसका कारण पूछा तो वह हेकड़ी दिखाने लगा। मैंने भी उसको जवाब दे दिया।

सत्यार्थी बोले- 'मेरी जिंदगी का एक ही मकसद, हर बच्चा एक बच्चा ही रहे'

सत्यार्थी बोले- 'मेरी जिंदगी का एक ही मकसद, हर बच्चा एक बच्चा ही रहे'
 
ओस्लो। बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता कैलाश सत्यार्थी और लड़कियों की शिक्षा की पक्षधर पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को बुधवार को यहां संयुक्त रूप से शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। नोबेल पुरस्कार के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी भारतीय और पाकिस्तानी को संयुक्त रूप से यह सम्मान दिया गया।
 
गांधी की बात
सत्यार्थी ने अपने भाषण की शुरुआत वेद मंत्र के साथ की। उन्होंने कहा है कि सभी साथ-साथ चले और आगे बढ़ें। उन्होंने अपने मां-बाप, अपने साथियों के साथ उन हजारों बच्चों को याद किया, जिनको उन्होंने आजाद कराया था। उन्होंने कहा, "दुनिया भर की सरकारों को बच्चों के हित में कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि वह पूरी दुनिया से अपील करते हैं कि बच्चों के खिलाफ हिंसा बंद हाे। गांधी जी ने कहा था कि अगर दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाना है तो इसकी शुरुआत बच्चों से करो। सत्यार्थी ने कहा है कि उनकी जिंदगी का एक ही मकसद है कि हर बच्चा बस बच्चा रहे। अगर बच्चों को सही शिक्षा नहीं मिली तो यह मानवता का बड़ा नुकसान होगा।
 
इस्लाम में हमेशा सच बोलना सिखाया
मलाला ने अपनी स्पीच में कहा कि वह पिता को धन्यवाद देती हैं, जिन्होंने उनके पर नहीं कतरे, बल्कि आजाद उड़ने दिया। मां को धन्यवाद देती हैं, जिन्होंने बताया कि इस्लाम हमेशा सच बोलना सिखाता है। यह सम्मान उन बच्चों के लिए है, जो दुनिया में बदलाव चाहते हैं। मलाला ने कहा, "हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले। हर महिला को बराबरी का हक मिले।" मलाला ने बताया कि सैलानियों के बीच मशहूर हमारी स्वात घाटी (पाकिस्तान) आतंकियों ने बर्बाद कर दी। लड़कियों की शिक्षा में पाबंदी थी। उनके पास दो ही रास्ते थे या तो चुप रहती या फिर मरने को तैयार रहती। उन्होंने दूसरा रास्ता चुना।
 
 
उन्होंने कहा, "कुरान में लिखा है कि अगर आप एक व्यक्ति की हत्या करते हैं तो पूरी मानवता की हत्या होती है। आतंकियों ने गोली से हमारी अावाज दबानी चाही, लेकिन हमारी आवाज और भी ज्यादा बुलंद हो गई। उनकी आवाज हर उस बच्ची की आवाज बन गई, जो पढ़ना चाहती है।" मलाला ने कहा कि  वह नोबेल पुरस्कार के पैसे को मलाला फंड को देंगी, ताकि यह बच्चियों की पढ़ाई के  काम आए। दुनिया के तमाम नेताओं से अपील है कि वह बच्चियों की पढ़ाई के लिए ठोस कदम उठाएं। जब तक हर बच्चा स्कूल नहीं जाता, मेरी लड़ाई जारी रहेगी। 
 
अमजद अली खान ने दी प्रस्तुति
नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में नोबेल पुरस्कार समारोह में मशहूर सरोद वादक अमजद अली खान अपने बेटों को अमान अली और अयान अली, पाकिस्तान के सूफी गायक राहत फतेह अली और अफगानिस्तान के पश्तो गायक सरकार अली टक्कर ने प्रस्तुति दी।
 
80 हजार बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया
11 जनवरी,1954 को जन्मे और गांधीवादी परंपरा को मानने वाले कैलाश सत्यार्थी मध्य प्रदेश के विदिशा के रहने वाले हैं। उनके संगठन 'बचपन बचाओ आंदोलन' ने अभी तक करीब 80 हजार बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त करवाया है। सत्यार्थी लंबे समय से बच्चों को बाल मजदूरी से हटाकर उन्हें शिक्षा अभियान से जोड़ने की मुहिम चलाते रहे हैं। जबकि सिर्फ 14 साल की मलाला ने 4 साल की उम्र से ही लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में आवाज उठाई थी, क्योंकि तब स्वात पर तालिबान के कब्जे के बाद सारे स्कूल बंद कर दिए गए थे। मलाला को आवाज उठाने की कीमत चुकानी पड़ी और स्कूल से लौटते समय आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया। आतंकियों ने मलाला के सिर में गोली मार दी, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए लंदन लाया गया और अब वह लड़कियों की शिक्षा को लेकर पूरे दुनिया का चेहरा बन चुकी हैं।

शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान इजरायली सैनिक के हाथों फलस्तीनी मंत्री की हत्या!

शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान इजरायली सैनिक के हाथों फलस्तीनी मंत्री की हत्या!
 
रामल्ला। वेस्ट बैंक में बुधवार प्रदर्शन कर रहे एक फलस्तीनी मंत्री की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि इजरायली सैनिकों से झड़प के कुछ ही देर बाद कैबिनेट सदस्य जैद अबु ऐन ने दम तोड़ दिया। हालांकि, फलस्तीन इसे हत्या बता रहा है। चश्मदीद के मुताबिक, एक इजरायली सैनिक ने उन्हें बुरी तरह पीटा, जिससे मंत्री की मौत हो गई। 
 
'हत्या गंभीर परिणाम लेकर आएगा'
फलस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, "अबु ऐन की मौत की वजह क्या है, इसकी जांच कराई जाएगी।" उधर, इजरायली सेना मामले की जानकारी ले रही है। फलस्तीनी अध्यक्ष महमूद अब्बास के वरिष्ठ सलाहकार और मुख्य फलस्तीनी शांति वार्ताकार सैब इरेकत ने कहा, "अबु ऐन की हत्या और फलस्तीनियों के खिलाफ व्यवस्थित अपराधों के लिए इजरायल सरकार जिम्मेदार है।" साथ ही कहा, "नई हत्या गंभीर परिणाम लेकर आएगा।"

क्या था मामला?
बुधवार को वेस्टलैंड के जिस 'तुरमुस अया' गांव में दर्जनों फलस्तीनी जैतून के पेड़ का पौधारोपण करने गए थे, वह दरअसल इजरायली सीमा से लगा हुआ है। वहां इजरायली किसानों की आबादी है। मृतक अबु एन के सहायक कमाल अबु ससाका के मुताबिक, "हम जैसे ही इस ओर बढ़े, इजरायली सैनिकों ने हम पर स्टन ग्रेनेड और आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए।"
 
और छाती पर बट से हमला
कमाल ने कहा, "अबु ने इजरायली अधिकारी से कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण है, लेकिन अधिकारी ने सैनिकों को आगे बढ़ने का आदेश दे दिया। फिर मंत्री के साथ झूमाझटकी शुरू कर दी।" चश्मदीद के मुताबिक, इस दौरान एक इजरायली सैनिक ने अबु ऐन की छाती पर राइफल की बट से जोरदार हमला किया और गला दबाने की भी कोशिश की। झड़प के बाद मंत्री को रामल्ला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। अबु ऐन कैदी मामलों में भी डिप्टी मंत्री रह चुके हैं।



धारा 309 खत्म करने का प्रस्ताव, फिर खुदकुशी की कोशिश पर नहीं पकड़ेगी पुलिस




 
नई दिल्ली: सरकार ने आत्महत्या करने की कोशिश को अपराध की श्रेणी से हटाने का फैसला किया है। यानी अब जान देने की कोशिश करने वालों को जेल नहीं होगी। मोदी सरकार ने बुधवार को आईपीसी की धारा 309 को खत्म करने का एलान किया। इस कानून के तहत जान देने की कोशिश करने वाले को 1 साल तक की जेल और जुर्माने की सजा होती थी। सरकार ने बताया कि 18 राज्य और 4 केंद्र शासित प्रदेश इस फैसले के पक्ष में हैं। 

कुछ दिन पहले गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने लोकसभा में बताया था कि लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि सेक्शन 309 को अपराध की श्रेणी से हटा दिया जाना चाहिए। कमीशन ने कहा था कि यह कानून मानवीय दृष्टिकोण से सही नहीं है। इस कानून को हटाने से आत्महत्या की कोशिश के बाद मानसिक प्रताड़ना झेल रहे लोगों को कानूनी अड़चनों में फंसकर अलग से परेशान नहीं होना पड़ेगा। रिजिजू के मुताबिक, होम मिनिस्ट्री सीआरपीसी और आईपीसी के कुछ और दूसरे कानूनों को भी खत्म करने पर विचार कर रही है। बता दें कि सुप्रीम के तत्कालीन जस्टिस मार्कंडेय काटजू और ज्ञान सुधा मिश्रा की बेंच ने भी संसद को सुझाव दिया था कि इस कानून को खत्म किया जाए। उन्होंने कहा था कि एक शख्स डिप्रेशन में आने के बाद आत्महत्या की कोशिश करता है, इसलिए उसे मदद की जरूरत है, न कि सजा की। जो लोग इस कानून को खत्म किए जाने का विरोध कर रहे थे, उनका तर्क था कि आत्महत्या एक अनैतिक काम है और इसे खत्म करने पर सुसाइड के मामलों में बढ़ोत्तरी हो सकती है। 
 
कानूनी खींचतान काफी पहले से 
इस कानून को हटाने की कोशिश काफी पहले से हो रही है। 1978 में आईपीसी संशोधन बिल राज्यसभा में पास हो गया, जिसके जरिए सेक्शन 309 को खत्म किया जाना था। लेकिन इससे पहले कि यह बिल लोकसभा में पहुंचता, संसद भंग कर दी गई और बिल पास न हो सका। 
 
1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि भारतीय संविधान के तहत मिलने वाले राइट ऑफ लाइफ में जीने और जान देने, दोनों ही अधिकार समाहित हैं। इसके साथ ही, धारा 309 को खत्म कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को 1994 में बनाए रखा। हालांकि, 1996 में पांच जजों की बेंच ने फैसला दिया कि संवैधानिक तौर पर मिलने पर राइट टू लाइफ में जान देने का अधिकार शामिल नहीं है और धारा 309 वैध है। इसके बाद 2008 में लॉ कमीशन ने इसे हटाने का सुझाव दिया।

धर्म परिवर्तन का मामला: संसद में विपक्ष ने सरकार को घेरा, पीएम से मांगी सफाई

धर्म परिवर्तन का मामला: संसद में विपक्ष ने सरकार को घेरा, पीएम से मांगी सफाई
 
नई दिल्ली/ आगरा: यूपी के आगरा में 200 से ज्यादा मुस्लिमों के कथित तौर पर जबरन धर्म परिवर्तन करवाए जाने का मामला बुधवार को संसद में भी उठा। लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही जगह विपक्ष के सांसदों ने इस मुद्दे को लेकर सत्ताधारी बीजेपी पर निशाना साधा। बता दें कि आरएसएस से जुड़े बजरंग दल और एक अन्य संगठन की ओर से सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में 60 मुस्लिम परिवार के सदस्यों का धर्म परिवर्तन करवाया गया। हिंदू संगठनों ने इस 'घर वापसी' का कार्यक्रम बताया, जबकि प्रभावित परिवार के दो सदस्यों ने आरोप लगाया कि उन्हें राशन कार्ड और आधार कार्ड का प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया गया। उधर, आरएसएस से जुड़े धर्म जागरण मंच के उत्‍तर प्रदेश प्रमुख ने एलान किया है कि 25 दिसंबर को 15 हजार लोगों का धर्म परिवर्तन करा कर उन्‍हें हिंदू बनाया जाएगा। 
 
सदन ने मांगा पीएम से जवाब 
तृणमूल नेता सुल्तान अहमद ने यह मामला लोकसभा में उठाया। उन्होंने अखबार लहराते हुए पूछा कि आगरा में क्या हो रहा है? वहीं, बीजेपी सुप्रीमो ने राज्यसभा में कहा कि यह मामला देश की सेक्युलर व्यवस्था पर हमला है। मायावती ने कहा, ''हमारा देश संविधान से चलता है और धर्म निरपेक्षता इसका एक स्तंभ है।'' मायावती ने आरोप लगाया कि बजरंग दल ने धर्म परिवर्तन कराने वाले परिवारों की गरीबी का फायदा उठाया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह सब रोका नहीं गया तो पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव फैल जाएगा। वहीं, कांग्रेस के आनंद शर्मा ने राज्यसभा में कहा कि सदन और देश को यह विश्वस्त करने की जरूरत है कि संविधान का उल्लंघन नहीं होगा। लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि पीएम को इस मामले पर सफाई देनी चाहिए। 
 
बचाव में बीजेपी 
संसदीय मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार धर्मनिरपेक्षता के प्रति कटिबद्ध है और यह किसी एक पार्टी की जागीर नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए किसी एक संगठन का नाम लेना सही नहीं है। उन्होंने सदन से अपील की कि संगठन खासतौर पर आरएसएस का नाम सदन की कार्यवाही से हटाया जाए। मुख्तार के मुताबिक, इस मामले में जो कुछ करना है, वह राज्य सरकार को करना है।

क़ुरआन का सन्देश

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