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11 दिसंबर 2014

इसीलिए मेने यह रिस्क लिया है

एक कार में पति पत्नी दोनों जा रहे थे उन्हें कुछ बंदूकधारी आतंकवादियों ने रोका उनसे नाम और धर्म पूंछा उन्होंने डर के मारे खुद को मुसलमान बता दिया ,,इस पर आतंकवादियों के सरदार ने क़ुरआन की आयत पढ़ने के लिए कहा ,,,,तब इस व्यक्ति ने कुछ काव्य के अलफ़ाज़ पढ़ दिए ,,आतंकवादियों ने श्लोक सुने और दोनों पति पत्नी को जाने दिया ,,पत्नी ने कहा के आपने इतनी बढ़ी रिस्क क्यों ली ,,,अगर वोह क़ुरआन जानते तो फिर ज़िंदगी से हाथ धो बैठते ,,,पति ने कहा के क़ुरआन पढ़ने और जानने वाला कभी भी आतंकवादी नहीं हो सकता ,,,,,इसीलिए मेने यह रिस्क लिया है ,,,अख्तर

मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र की मुहर, अब हर वर्ष 21 जून को मनेगा विश्व योग दिवस



मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र की मुहर, अब हर वर्ष 21 जून को मनेगा विश्व योग दिवस
संयुक्त राष्ट्र. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने उनके अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रस्ताव का 175 देशों ने समर्थन किया। अगले साल से हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष सैम के. कुटेसा ने कहा, ‘इतने देशों के इस प्रस्ताव को समर्थन देने से साफ है कि लोग योग के फायदों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।’
 
मोदी ने कहा, मेरे पास इस खुशी को बयान करने के लिए उपयुक्त शब्द नहीं हैं। मैं उन सभी 175 देशों का शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने प्रस्ताव को समर्थन दिया। योग में पूरी मानव जाति को एकजुट करने की शक्ति है।
 
21 जून ही क्यों 
पूरे कैलेंडर वर्ष का सबसे लंबा दिन। प्रकृति, सूर्य और उसका तेज इस दिन सबसे ज्यादा प्रभावी रहता है। बेंगलुरू में 2011 में पहली बार दुनिया के अग्रणी योग गुरुओं ने मिलकर इस दिन विश्व योग दिवस मनाने पर सहमति जताई थी।

इंदिरा को नहीं थी कानून की जानकारी, रे के कहने पर लगाई थी इमरजेंसी: प्रणव मुखर्जी

इंदिरा को नहीं थी कानून की जानकारी, रे के कहने पर लगाई थी इमरजेंसी: प्रणव मुखर्जी
नई दिल्ली. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब 'द ड्रैमेटिक डिकेड : द इंदिरा गांधी इयर्स' में लिखा है कि इमरजेंसी का निर्णय बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर गौतम के कहने पर लिया था, खुद इंदिरा को संवैधानिक प्रावधानों की जानकारी नहीं थी। उन्होंने लिखा है ''इमरजेंसी शायद 'टालने योग्य घटना' थी और इंदिरा गांधी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी क्योंकि उस दौरान मौलिक अधिकार एवं राजनीतिक गतिविधि के निलंबन, बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां और प्रेस सेंसरशिप का काफी प्रतिकूल असर पड़ा था।''
  
इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे मुखर्जी ने जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में बनने वाले तत्कालीन विपक्ष को भी नहीं बख्शा और उनके आंदोलन को 'दिशाहीन' बताया है। मुखर्जी ने अपनी किताब में आजादी के बाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े उथल-पुथल भरे समय का जिक्र किया है। उनकी किताब हाल ही में जारी हुई है। किताब में मुखर्जी ने लिखा है, ''यह बड़ी विडंबना थी कि वह पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री राय ही थे जो शाह आयोग के समक्ष इमरजेंसी लगाने में अपनी भूमिका से पलट गए थे।'' बता दें इमरजेंसी के दौरान की ज्यादतियों की इस आयोग ने जांच की थी।
 
इंदिरा ने खुद बताया था, उन्हें नहीं पता थे कानून
उन्होंने लिखा है, ‘'इंदिरा गांधी ने मुझसे बाद में कहा था कि अंदरूनी गड़बड़ी के आधार पर इमरजेंसी की घोषणा की अनुमति देने वाले संवैधानिक प्रावधानों से तो वह वाकिफ भी नहीं थीं खासकर ऐसी स्थिति में जब 1971 के भारत-पाकिस्तान लड़ाई के फलस्वरूप इमरजेंसी लगाई जा चुकी थी।’’ मुखर्जी ने यह भी लिखा है कि ''यह दिलचस्प पर आश्चर्यजनक बात नहीं थी कि जब इमरजेंसी घोषित किया गया था तब कई लोगों ने दावा कि उसके सूत्रधार तो वे ही हैं. लेकिन यह भी आश्चर्य की बात नहीं थी कि ये ही लोग शाह आयोग के समक्ष पलट गए।''
 
इंदिरा से बोले रे-आप अच्छी लग रही हैं
मुखर्जी ने लिखा है, ‘‘न केवल उन्होंने अपनी भूमिका से इनकार किया बल्कि उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए सारा दोष इंदिरा गांधी पर मढ़ दिया। सिद्धार्थ बाबू कोई अपवाद नहीं थे। शाह आयोग के सामने पेशी के दौरान आयोग के हाल में वह इंदिरा गांधी के पास गए जो गहरी लाल साड़ी में थीं और उनसे कहा, आज आप बहुत अच्छी लग रही हैं।’’ मुखर्जी के अनुसार, रूखे शब्दों में इंदिरा ने जवाब में कहा, "आपके प्रयास के बावजूद।"  
 
प्रणब दा की किताब में और क्या-
321 पन्नों में राष्ट्रपति द्वारा लिखी गई इस किताब में इमरजेंसी के अलावा बांग्लादेश मुक्ति, जेपी आंदोलन, 1977 के चुनाव में हार, कांग्रेस में विभाजन, 1980 में सत्ता में वापसी और उसके बाद के विभिन्न घटनाक्रमों पर भी कई अध्याय हैं। मुखर्जी की यह किताब सियासी हलकों में नया बवाल मचा सकती है। किताब बुकस्टोर्स में पहुंचने से 21 दिन पहले बिक्री के लिए जल्द ही ऑनलाइन उपलब्ध होगी। 
 
बता दें कि प्रणब मुखर्जी 2012 में राष्ट्रपति बने थे। वे देश के सबसे अनुभवी राजनेताओं में गिने जाते हैं और कांग्रेस सरकारों में उन्होंने वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय संभालने का लंबा अनुभव है। वे विपक्ष के भी पसंदीदा हैं। गुरुवार को ही राष्ट्रपति का 79वां जन्मदिन भी था।राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को गुरुवार को अपना 79वें जन्मदिन मनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई नेताओं ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर राष्ट्रपति भवन के स्टाफ ने एक कार्यक्रम भी आयोजित किया था, जिसमें प्रणब ने न सिर्फ केक काटा बल्कि राष्ट्रपति भवन स्टाफ के बच्चों को गिफ्ट भी दिए।

राजस्थान: शिक्षक दिवस पर दिया गया मोदी का भाषण 40 करोड़ का, अब स्कूल परेशान

राजस्थान: शिक्षक दिवस पर दिया गया मोदी का भाषण 40 करोड़ का, अब स्कूल परेशान
 
स्कूलों से पूछा गया है कि मोदी ने पांच सितंबर को क्या बोला था? लाइव भाषण की पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश हैं। कई स्कूलों ने पांच-पांच पेज में भाषण का ब्यौरा दिया है तो कुछ स्कूलों की ओर से अभी भाषण का ब्यौरा तैयार किया जा रहा है। इंटरनेट, अखबार, शिक्षक व छात्रों की मदद से मोदी के भाषण का विवरण तैयार किया गया।
 
हालांकि, शिक्षा विभाग की ओर से यह लगातार प्रचारित किया जा रहा था कि स्कूलों को प्रधानमंत्री का भाषण सुनना अनिवार्य नहीं, बल्कि ऐच्छिक है। शिक्षा विभाग के आला अफसर अब इस मामले में कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। भास्कर ने जब उनसे खर्च और भाषण की सूचना मांगे जाने के संबंध में पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि इस बारे में शिक्षा मंत्री ही जवाब देंगे।मोदी के 40 करोड़ के भाषण का गणित

राजस्थान: शिक्षक दिवस पर दिया गया मोदी का भाषण 40 करोड़ का, अब स्कूल परेशान
 
> 1,05,000 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, सैकंडरी और हायर सैकंडरी स्कूल हैं प्रदेश में।
> 4-5 हजार रु. हर स्कूल में खर्च हुए प्रधानमंत्री का भाषण सुनाने के लिए।
> भाषण सुनने के लिए हर स्कूल में दो से तीन टेलीविजन सेट, बिजली की व्यवस्था के लिए इनवर्टर और डीटीएच कनेक्शन सैट किराए पर लिए गए।
> इनको लाने-ले जाने का किराया भी स्कूल प्रबंधन ने ही वहन किया।
> सैकंडरी और सीनियर सैकंडरी स्कूलों में कंप्यूटर तथा प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में रेडियो हैं लेकिन किराये के टेलीविजन का इस्तेमाल किया गया।
> ऐसे में चार हजार रुपए प्रति स्कूल के हिसाब से सरकारी स्कूलों में 40 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो गए।
 
बजट में आ रही है दिक्कत 
 
भाषण पर खर्च 40 करोड़ का राज्य बजट में कोई प्रावधान नहीं था, ऐसे में यह राशि कहां से आएगी, यह शिक्षा विभाग के लिए परेशानी का सबब बन गया है। इसी कारण पंचायतीराज और सर्व शिक्षा अभियान के तहत भर्ती शिक्षकों को वेतन देने में भी दिक्कत आ रही है।
 
मामला पहले का है, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं पता करूंगा।
-वासुदेव देवनानी, शिक्षामंत्री

वेंकैया नायडू बोले-हम तो ‘बचपन’ से धर्म परिवर्तन के खिलाफ, बने कड़ा कानून



वेंकैया नायडू बोले-हम तो ‘बचपन’ से धर्म परिवर्तन के खिलाफ, बने कड़ा कानून
 
नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के आगरा में कुछ मुसलमान परिवारों के धर्म परिवर्तन के मामले पर लोकसभा में लगातार दूसरे दिन गुरुवार को भी विपक्षी पार्टियों के सदस्यों ने हंगामा किया। हंगामे के बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू को सफाई देनी पड़ी। इसी क्रम में उन्होंने कहा, ''हम तो ‘बचपन’ से ही धर्म परिवर्तन के खिलाफ हैं। यह गंभीर मामला है, लेकिन इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।'' नायडू ने सभी पार्टियों के इस मुद्दे पर मिलजुलकर काम करने और इससे जुड़े कानूनों को सख्त बनाने पर भी जोर दिया। नायडू दक्षिण भारत से हैं। संभवत: वह कहना चाहते थे कि वे शुरुआत से ही धर्म परिवर्तन के खिलाफ हैं, लेकिन 'बचपन' शब्द बोल गए। 
 
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस, तृणमूल, राष्ट्रीय जनता दल और सीपीएम के सदस्य पोडियम के करीब पहुंच गए और 'मोदी सरकार, होश में आओ' और 'हिंदू मुस्लिम भाई-भाई' के नारे लगाने लगे। कांग्रेस प्रवक्ता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुमित्रा महाजन से इस मुद्दे पर बहस कराने की मांग की। वहीं, मुलायम सिंह यादव ने कहा कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है। इसके बाद सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। फिर से कार्यवाही शुरू हुई, तो राजनीतिक पार्टियों ने दोबारा से यह मसला उठाना शुरू कर दिया। बाद में हंगामा बढ़ने पर लोकसभा की कार्यवाही 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

क़ुरआन का सन्देश

 
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