Prajapati Harish Udaiwal ·
शरारत है, शिकायत है, नज़ाकत है, क़यामत है
ज़ुबां ख़ामोश है लेकिन निगाहों में मुहब्बत है
हवाओं में, फ़िज़ाओं में, बहारों में, नजारों में
वही ख़ुशबू, वही जादू, वही रौनक सलामत है
हया भी है, अदाएं भी, क़ज़ा भी है, दुआएं भी
हरेक अंदाज़ कहता है, ये चाहत है, ये चाहत है
वो रहबर है, वही मंज़िल, वो दरिया है, वही साहिल
वो दर्दे-दिल, वही मरहम, ख़ुदा भी है, इबादत है
ज़माना गर कहे मुझको दीवाना, ग़म नहीं
जो समझो तो शराफ़त है, न समझो तो बग़ावत है
ज़ुबां ख़ामोश है लेकिन निगाहों में मुहब्बत है
हवाओं में, फ़िज़ाओं में, बहारों में, नजारों में
वही ख़ुशबू, वही जादू, वही रौनक सलामत है
हया भी है, अदाएं भी, क़ज़ा भी है, दुआएं भी
हरेक अंदाज़ कहता है, ये चाहत है, ये चाहत है
वो रहबर है, वही मंज़िल, वो दरिया है, वही साहिल
वो दर्दे-दिल, वही मरहम, ख़ुदा भी है, इबादत है
ज़माना गर कहे मुझको दीवाना, ग़म नहीं
जो समझो तो शराफ़त है, न समझो तो बग़ावत है