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22 दिसंबर 2014

बढ़े बे अदब है

बढ़े बे अदब है
तुम्हारे शहर के लोग
मेरे लिए
उनके दिलों में
हमेशा बुग़ज़ रखते है ,,
तुम्हारे शहर के है
बस इसीलिए
जान देकर भी
खुश रखेंगे उन्हें हम
यह वादा
हम आपसे करते है ,अख्तर

कुदरत ने औरत को

कुदरत ने औरत को हसींन बनाया।
खूबसूरती दी।
चाँद सा चेहरा दिया।
हिरणी सी आँखें दी।
मोरनी जैसी चाल दी।
रेशम से बाल दिए।
कोयल जैसी मीठी आवाज़ दी।
फूल सी मासूमियत दी।
गुलाब से होंठ दिए।
शहद सी मिठास दी।
प्यार भरा दिल दिया।
और फिर....
फिर क्या हुआ जानते हो?
बेवफाई की आदत दी
और सब सत्यानाश हो गया।

चंद लम्हे

चंद लम्हे
मेरे साथ
ऐसे गुज़ार दो
के मोहब्बत
उम्र भर रोये नहीं
सिर्फ मुस्कुराती रहे ,अख्तर

मोदी पर ताना, 'यहां आने के लिए 56 इंच का सीना नहीं, 4 इंच का दिल चाहिए'


नई दिल्‍ली. वीएचपी के विवादित 'घर वापसी' कार्यक्रम को लेकर संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया। धर्मांतरण के मुद्दे पर संसद में प्रधानमंत्री से बयान की मांग कर रहे विपक्षी सांसदों ने सोमवार को भी प्रधानमंत्री पर जम कर निशाना साधा। एकजुट विपक्ष ने कहा कि सरकार मुसलमानों और ईसाइयों का धर्म परिवर्तन करा उन्‍हें हिंदू बनाने के अस्‍वीकार्य एजेंडे पर काम कर रही है। राज्‍यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, 'आपको यहां (सदन में) आने के लिए 56 इंच के सीना की जरूरत नहीं है, बस चार इंच का दिल चाहिए।'
फोटो: भोपाल में वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़िया को सम्मानित किया गया।
फोटो: भोपाल में वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़िया को सम्मानित किया गया।
  चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि विदेशों में भारत की क्या छवि बनेगी। प्रधानमंत्री क्यों चुप हैं?
 
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने सोमवार को एक ब्‍लॉग में लिखा, 'मोदी ने संसद के दर पर सिर तो झुकाया था, लेकिन अब वह सदन का अपमान कर रहे हैं।'
 
'आप' के योगेंद्र यादव ने कहा, 'हम सुना करते थे कि पिछले प्रधानमंत्री मौन रहते हैं, पर मौजूदा पीएम धर्मांतरण के मसले पर अब चुप क्‍यों है?' 
 
तेज हुआ है 'घर वापसी' का अभियान 
विश्‍व हिंदू परिषद और आरएसएस से जुड़े संगठन देश भर में 'घर वापसी' के नाम पर धर्मांतरण कराने का अभियान इन दिनों तेज किए हुए हैं। विहिप ने प्रधानमंत्री के राज्‍य गुजरात में भी शनिवार को धर्मांतरण कराया और अगले सप्‍ताह गुजरात में बड़े पैमाने पर 'घर वापसी' कार्यक्रम आयोजित कराने का एलान किया है।
 
राज्‍यसभा में सरकार बहुमत में नहीं है। सदन का सत्र भी मंगलवार को खत्‍म हो रहा है। लगभग पूरा सत्र धर्मांतरण पर हंगामे के चलते बिना कामकाज के खत्‍म हो रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भले ही अब धर्मपरिवर्तन के मुद्दे पर खुलकर सामने आ गए हों, लेकिन संगठन से ही जुड़ी धर्म जागरण समन्वय समिति (डीजेएसएस) लंबे समय से इस काम को अंजाम दे रही है। समिति के लिए यह व्यस्ततम समय है। वह हर साल 23 दिसंबर से पूरे देश में बड़े पैमाने पर घर वापसी कार्यक्रम चलाती है।
इस साल भी करीब 300 से अधिक स्थानों पर धर्मांतरण कार्यक्रम चल रहा है। सिर्फ अलीगढ़ इसमें शामिल नहीं है। हालांकि डीजेएसएस से पदाधिकारी इस बात को हंसी में उड़ा देते हैँ कि अलीगढ़ में हुए विवाद की वजह से उन्हें वहां अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। उनका कहना है कि डीजेएसएस के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संयोजक और आरएएसएस प्रचारक राजेश्वर सिंह का जरूरत से ज्यादा बोलना ही समिति के खिलाफ गया। एक अन्य प्रचारक का कहना है कि अलीगढ़ में विवाद अधिक हुआ और काम कम। हालांकि हर साल की तरह 23 दिसंबर से 31 दिसंबर तक डीजेएसएस की योजना अपने तय शेड्यूल के तहत ही चल रही है। डीजेएसएस का कहना है कि उसके कार्यक्रम का क्रिसमस से कोई सबंध नहीं है। पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने 23 दिसंबर का दिन इसी वजह से चुना क्योंकि 1926 में इसी दिन मुस्लिमों को दोबारा हिंदू बनाने का काम करने वाले आर्य समाज के नेता स्वामी श्रद्धानंद की दिल्ली में हत्या कर दी गई थी।

रविवार को नई दिल्‍ली में वनवासी रक्षा परिवार कुंभ में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत।
 घर वापसी का कार्यक्रम चलाने से पहले डीजेएसएस उन इलाकों या ग्रामीण स्थानों पर हिंदू सम्मेलनों का आयोजन करता है, जहां हिंदुओं को इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित किया गया। वह इन इलाकों में धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को हिंदू धर्म के गौरवशाली इतिहास और परंपराओं से संबंधित साहित्य बांटता है। साथ ही सभी जातियों के नेताओं से मिलकर उन्हें वापस हिंदू धर्म शामिल होने के लिए प्रेरित करता है।

पहले वीएचपी के पास थी जिम्मेदारी
90 के दशक तक विश्व हिंदू परिषद ही पूरे देशभर में धर्मांतरण कार्यक्रम चलाता था। 1996 में आरएसएस को यह महसूस हुआ कि वीएचपी सिर्फ अयोध्या और राम मंदिर मामले तक सीमित रह गया है, तो उसने डीजेएसएस की स्थापना की। इसके बाद डीजेएसएस को चार प्रमुख काम सौँपे गए। हिंदू जगाओ, हिंदू बचाओ, हिंदू बढ़ाओ और हिंदू संभालो। संदेश साफ था, 2021 तक हिंदू जनसंख्या को बढ़ाओ।

पनशिकर हैँ डीजेएसएस के प्रमुख  वर्तमान में मुंबई में रहने वाले मुकुंद राव पनशिकर डीजेएसएस के प्रमुख हैं। संगठन में आरएसएस के 58 प्रचारक हैँ और दो हजार से अधिक अन्य कार्यकर्ता हैं। ये कार्यकर्ता संगठन के अन्य प्रचारकों की तरह ही हैं, लेकिन अपने परिवार को चलाने के लिए इस काम के बदले थोड़े पैसे लेते हैं। हर जिला स्तर पर समिति की एक यूनिट है। हर यूनिट का एक प्रमुख नेता होता है, जिसे संयोजक कहा जाता है। इसके अलावा संगठन में परियोजना प्रमुख, परियोजना संपर्क प्रमुख और संस्कृति प्रमुख, निधि प्रमुख, विधि प्रमुख होते हैं।

इस तरह काम करती है समिति
जिन क्षेत्रों में धर्मातरण की खबरें आती हैं, वहां धर्म रक्षा समिति का गठन किया जाता है। इस समिति में इलाके के अलग-अलग हिंदू समुदायों के 100 प्रभावशाली लोगों को शामिल किया जाता है। यह समिति ही इलाके में घर वापसी का रोडमैप तैयार करती है। आरएसएस प्रचारक भी इस बात को स्वीकार करते हैँ। हर राज्य में डीजेएसएस की दो बैठकें होती हैं, जिनमें हर माह होने वाले काम की प्रगति पर चर्चा होती है। पिछले महीने नागपुर में डीजेएसएस का एक तीन दिवसीय सम्मेलन हुआ था, जिसमें करीब समिति के 1200 कार्यकर्ता शामिल हुए थे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सम्मेलन भी तीनों दिन इसमें शामिल हुए थे।

तैयार होगी रिपोर्ट
अब फरवरी में कटक में संघ के राज्य स्तरीय प्रचारकों का एक सम्मेलन होगा, जिसमें डीजेएसएस के समकक्ष प्रचारक भी शामिल होंगे। इसके बाद डीजेएसएस यहां अपने राज्य स्तरीय प्रचारकों के साथ बैठक करेगा। अंत में डीजेएसएस की गतिविधियों पर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे नागपुर में होने वाली आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में पेश किया जाएगा।
राजस्थान : आरएसएस के एक प्रवक्ता ने बताया कि डीजेएचएस घर वापसी का कार्यक्रम चलाने वाले स्थानों को उन जातियों के नाम से पहचान करती है, जो धर्मांतरण से सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं। राजस्थान का बेवार जिला इसका एक उदाहरण है, जहां बीते दस साल में 90 हजार मुस्लिमों को हिंदू बनाया गया। प्रवक्ता के मुताबिक, बेवार में पृथ्वीराज चौहान के अनुयायियों के तौर पर पहचाने जाने वाले मेहरात और कथाट समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मौजूद हैं। उन्हें जबर्दस्ती मुस्लिम बनाया गया था। हालांकि इस स्थानों पर अब धर्मांतरण का कोई इरादा नहीं है। जब मुस्लिमों को अपने गौरवशाली अतीत का अहसास होगा, तो वे खुद हिंदू धर्म की ओर आकर्षित होंगे। उन्होंने बताया कि जयपुर के शास्त्री नगर में एक मुस्लिम समुदाय से बातचीत के दौरान हमें यह पता चला कि वे पवार समाज के लोग थे, जिन्होंने इस्लाम अपना लिया था।

उत्तर प्रदेश : डीजेएसएस के एक नेता ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षत्रिय और बनिया समुदाय के लोग भी गरीबी और बेइज्जती की वजह से इस्लाम में शामिल हो गए थे। ऐसे में आरएसएस मेरठ में चौहान व सोम, मुजफ्फरनगर में त्यागी और गुर्जर, और नोएडा व आसपास के अन्य जिलों में सिसौदिया समुदाय के लोगों पर ध्यान दे रहा है। उत्तर प्रदेश के जिन इलाकों में अभी विवाद शुरू हुआ है, वहां भी डीजेएसएस बीते 15 साल से काम कर रहा है। आरएसएस के सूत्रों का कहना है कि यहां करीब पांच लाख लोगों का धर्म परिवर्तन हुआ है, जिनमें अधिकांश ईसाई हैं। राज्य में डीजेएसएस को अवध, कानपुर, काशी, गोरखपुर, बृत और पश्चिम प्रांत में विभाजित किया गया है। बृज और पश्चिम क्षेत्र की शाखाएं ही मुस्लिमों को अपना लक्ष्य बना रही हैं। अन्य इलाकों में ईसाईयों पर फोकस है। उदाहरण के तौर पर डीजेएसएस का दावा है कि उसने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 150 मुस्लिम और 6 हजार ईसाईयों को हिंदू धर्म में शामिल किया। उत्तर प्रदेश के हर जिले में डीजेएसएस के 150 से अधिक कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। डीजेएसएस के एक सूत्र का कहना है कि कार्यकर्ता को एक साल में 5 लाख रुपए तक खर्च करने की छूट मिली हुई है। इस पैसे को उन्हें लोगों से मिलने जुलने, उनसे संपर्क बनाए रखने और जरूरत के वक्त उनको मदद पहुंचाने के लिए दिया जाता है। यह पूछे जाने पर कि क्या डीजेएसएस के पदाधिकारियों को कोई टारगेट दिया जाता है, आरएसएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लक्ष्य सिर्फ धर्म परिवर्तन का शिकार हुए मुस्लिम और ईसाई धर्म के लोगों की संख्या को कम करना है, ताकि कोई भी राजनीतिक पार्टी उन्हें लुभा न सके। लक्ष्य है, 31 दिसंबर 2021 तक देश को परिवर्तित मुस्लिम और ईसाईयों से मुक्त करना।

गुजरात : जबसे नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैँ, वीएचपी और आरएसएस के हिंदू जागरण मंच गुजरात में एक बार फिर एक्टिव हो गए हैं। एक रणनीति के तहत ही उन्होंने गुजरात में धर्मांतरण की प्रक्रिया शुरू की है। हालांकि यहां बहुत कम लोग इस बारे में बातचीत करने को तैयार हैं। वडोदरा के एक बीजेपी नेता ने बताया कि गुजरात मोदी का गृह राज्य है। ऐसे में उन्हें इस बारे में बात करने से मना किया गया है। ध्यान रहे कि नब्बे के दशक में हिेंदू जागरण मंच ने राज्य के दांग में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कार्यक्रम शुरू किए थे, जिसके बाद यहां बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे। 


छत्तीगढ़ : डीजेएसएस के छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख राधेश्याम ने दावा किया था कि 2003 में 57 हजार से अधिक ईसाई परिवारों को हिंदू धर्म में परिवर्तित किया गया। राज्य में दिवंगत भाजपा नेता दिलीप सिंह जूदेव ने भारत और छत्तीगढ़ के सबसे बड़े धर्मांतरण कार्यक्रम का नेतृत्व किया था। विवादों के बाद छत्तीगढ़ में धर्म परिवर्तन का मामला शांत हो गया था, लेकिन पिछले साल गर्मियों में बस्तर से बीजेपी के सांसद दिनेश कश्यप ने एक बार फिर यहां धर्मांतरण का कार्यक्रम चलाया। इस दौरान यहां काफी हिंसा हुई थी। वीएचपी भी इस इलाके में काफी सक्रिय रही है। सितंबर में बस्तर जिले के जशपुर में पठालगांव ब्लॉक में 240 ईसाई परिवारों को हिंदू धर्म में शामिल किया गया था। इसी साल अक्टूबर में ही वीएचपी ने 30 ईसाई परिवारों को हिंदू धर्म में शामिल किया था। छत्तीगढ़ में डीजेएसएस धर्म सेना और धर्म रक्षा वाहिनी के तौर पर काम करती है।

शिवसेना बोली- भाजपा राज में नहीं तो कब होगा धर्मांतरण, पूछा- मोदी साथ हैं क्‍या?

नई दिल्‍ली. धर्मांतरण पर संसद में विपक्ष का हंगामा सोमवार को भी जारी है। इस बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में लिखे संपादकीय में पूछा है कि हिंदुत्‍व के नाम पर धर्मांतरण का जो जागरण देश में शुरू है, उसे सरकार का सचमुच समर्थन है क्‍या? पार्टी का कहना है कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने से हिंदुत्‍ववादी संगठनों का बल बढ़ा है और ऐसे में अगर वे अपनी विचारधारा पर अमल का काम कर रहे हैं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। 
शिवसेना बोली- भाजपा राज में नहीं तो कब होगा धर्मांतरण, पूछा- मोदी साथ हैं क्‍या?
 
विश्‍व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकर्ताओं को देश भर में 'घर वापसी' (धर्मांतरण) कार्यक्रम रोकने का आदेश दिया गया है। यह आदेश उनके सीनियर्स ने दिया है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाराजगी के मद्देनजर मौखिक रूप से देशभर में विहिप कार्यकर्ताओं को धर्मांतरण का कार्यक्रम टालने के लिए कहा गया है। इससे विहिप के अध्‍यक्ष प्रवीण तोगड़िया नाराज हो गए हैं। उनका कहना है कि विहिप कार्यकर्ताओं को 'घर वापसी' के बारे में कोई नया निर्देश नहीं जारी किया गया है। न रोकने का और न ही शुरू करने का।
 
मोदी नाराज
शनिवार को गुजरात के वलसाड में अरनाई गांव में विहिप कार्यकर्ताओं ने 500 ईसाइयों का धर्म परिवर्तन करा कर उन्‍हें हिंदू बनाया गया था। इस पर विवाद खड़ा हो गया था। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री ने विहिप के नेताओं से इस संबंध में अपनी नाराजगी जाहिर की थी। 
 
विहिप अब भी अड़ा
हालांकि, विहिप अब भी कार्यक्रम पर अड़ा है। विहिप के नेताओं का दावा है कि रविवार को मध्‍य प्रदेश में 6000 धर्मांतरित हिंदुओं की 'घर वापसी' कराई गई। केरल के अलापुज्‍जा में भी कम से कम 30 दलित ईसाइयों को हिंदू बनाया गया। गुजरात विहिप के एक नेता का कहना है कि उनका संगठन समाज में नफरत न फैले, यह सुनिश्चित करते हुए सरकार की ओर से किसी तरह के दबाव की परवाह किए बिना 'घर वापसी' कार्यक्रम जारी रखेगा। 
 
30 दिसंबर को फिर कार्यक्रम
वलसाड में धर्मांतरण कार्यक्रम के बाद अब वीएचपी ने 30 दिसंबर को इसी जिले में एक और 'घर वापसी' कार्यक्रम चलाने का एलान किया है। हालांकि, वीएचपी के पदाधिकारी स्थान के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर रहे हैं। वलसाड के वीएचपी सेक्रेटरी अजीत सोलंकी का कहना है कि 30 दिसंबर को होने वाला कार्यक्रम काफी वृहद स्तर पर किया जाएगा। उनका कहना है कि वो धर्मांतरण कार्यक्रम नहीं चला रहे, बल्कि लोगों को 'घर वापसी' में सहयोग कर रहे हैँ। इसके लिए उन्हें किसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। वहीं, बिना अनुमति के इस कार्यक्रम के आयोजन पर प्रशासन क्या कार्रवाई करेगा, इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। वीएचपी ने क्रिसमस के दिन अलीगढ़ में भी एक धर्मांतरण कार्यक्रम चलाने का आदेश दिया था, लेकिन उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार के कड़े रवैये के बाद सरकार ने इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया था।
मुस्लिम और ईसाई विश्वयुद्ध के लिए जिम्मेदार : वीएचपी
नई दिल्ली/भोपाल. धर्म परिवर्तन पर मचे बवाल के बीच विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि दुनिया में ईसाई और मुस्लिमों के कारण ही युद्ध होते हैं। धर्मांतरण अभियान का बचाव करते हुए सिंघल ने कहा कि हम धर्म परिवर्तन कराने नहीं, दिल जीतने निकले हैं। दिल्ली में एक किताब के विमोचन के अवसर पर सिंघल ने कहा, "हम इस्लामी आतंकवाद का खतरा यूरोप में देख रहे हैं। विभिन्न शक्तियां अपना प्रभुत्व स्थापित करने की होड़ में हैं। इससे लगता है कि विश्वयुद्ध सुनिश्चित है। हिंदू ऐसे किसी युद्ध में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि उन्होंने हमेशा ही प्रेम से सारे विश्व को जीतने का प्रयास किया है। हम आध्यात्मिक विजय में विश्वास रखते हैं, भौतिक विजय में नहीं। हिंदू विश्व शांति का पक्षधर है।
फाइल फोटो: अशोक सिंघल
फाइल फोटो: अशोक सिंघल
 
पृथ्वीराज चौहान के 800 साल बाद फिर हिंदू सत्ता में
सिंघल ने कहा कि दिल्ली में 12वीं शताब्दी में राजपूत राजाओं और पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद हिंदू अब फिर सत्ता में आए हैं। हमारी संस्कृति और धर्म को कुचला गया। हमें संघर्ष करना पड़ा। 50 वर्ष के संघर्ष की वजह से ही हिंदुओं ने 800 वर्षों से खोया साम्राज्य वापस पाया है। अब यह दिन आया कि हम कह सकते हैं कि हमारी एक ऐसी सरकार है, जो हिंदुत्व की रक्षा के प्रति कटिबद्ध है। देश में धीरे-धीरे हमारे मूल्य स्थापित होंगे।विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीणभाई तोगड़िया ने कहा कि विहिप हिंदुओं का धर्मांतरण रोकेगी। इसे रोकने के लिए समाज के हर व्यक्ति को भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार देने के काम में तेजी लाई जाएगी। जब तक एक भी हिंदू का धर्मांतरण होगा, समाज सुरक्षित और समृद्ध नहीं बन सकता। विहिप की स्वर्ण जयंती पर आयोजित हिंदू सम्मेलन में उन्होंने कहा कि जिस तेजी से हिंदुओं की संख्या घट रही है, यदि यह जारी रही तो 100 साल बाद भारत में हिंदुओं की आबादी 42 फीसद रह जाएगी। विहिप के ही एक अन्य नेता विनायक राव देशपांडे ने कहा कि किसी लालच या मजबूरी में अन्य धर्मों में शामिल होने वालों को फिर से हिंदू धर्म में शामिल करने का कार्यक्रम धर्मांतरण नहीं ‘घर वापसी’ है। यह बिल्कुल वैसा ही है, जैसे किसी मां का खोया हुआ बच्चा कुछ सालों में वापस आ जाए।

बोको हरम ने स्कूल में बंद करके दर्जनों लोगों को मारी गोली, दो के हाथ भी काटे


मैदुगिरी। नाइजीरिया में सक्रिय इस्लामिक संगठन बोको हरम ने नरसंहार का वीडियो जारी किया है। वीडियो में बोको हरम आतंकियों को एक स्कूल में इकट्ठा दर्जनों लोगों की नृशंस हत्या करते हुए दिखाया गया है। संगठन के एक लीडर के अनुसार, इन्हें इसलिए मारा गया क्योंकि वे काफिर थे। इनकी हत्या इस साल नवंबर में बोर्नो राज्य के बामा में की गई। 
 
वीडियो में दिखाया गया है कि आतंकियों ने करीब 30-40 लोगों को एक कमरे में बंद कर रखा है और उन पर गोलियां चला रहे हैं। बाद में आतंकी कमरे के अंदर जाते हैं और चुन-चुनकर गोलियां मारते हैं। 
 
वीडियो के आखिर में बोको हरम लीडर ने संदेश में कहा, "हम चाहते थे कि उस हॉल के फर्श का रंग खून से लाल हो जाए। भविष्य में भी काफिरों पर ऐसे हमले जारी रहेंगे। अब से हत्या, मारकाट, विध्वंस और बम धमाके करना हमारा धार्मिक दायित्व होगा।"
 
यह वीडियो एक पत्रकार द्वारा शनिवार को जारी किया गया। इससे पहले खबर आई थी कि उत्तरी-पूर्वी नाइजीरिया के वोजा में दो स्कूलों में आतंकियों ने दर्जनों लोगों की हत्या कर दी। 
गौरतलब है कि बोको हरम नाइजीरिया के लोगों से कह चुका है कि वे सिर्फ काफिरों को मारेंगे और निर्दोषों को डरने की जरूरत नहीं है। वीडियो में बोको हरम लीडर ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद के मुताबिक, कैदियों को बंधक बनाकर रखना चाहिए, न कि उन्हें मारना चाहिए। लीडर ने कहा, "हम महसूस करते हैं कि यह कैदियों और काफिरों को बंधक बनाकर रखने का समय नहीं है। हम ऐसे ही उन्हें मारते रहेंगे।"
 
लीडर ने यह भी कहा कि मरने वालों में कुछ लोग मुस्लिम भी हैं, लेकिन हमारे हिसाब से वो सिर्फ काफिर हैं। सच्चा मुसलमान होने के लिए शरिया कानून को मानना जरूरी है। 
 
गौरतलब है कि नाइजीरिया और कैमरून की सीमा से लगते क्षेत्र में पिछले पांच सालों में हजारों लोग मारे जा चुके हैं और करीब 16 लाख लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है।
 
दर्जनों युवकों को मारा और दो युवकों के हाथ काट डाले
एक अन्य वीडियो में बोको हरम आतंकी दो युवकों के हाथ काटते दिख रहे हैं। स्थानीय मीडिया की खबरों के अनुसार, इन दोनों पर चोरी का आरोप था। एक वीडियो में बोको हरम आतंकी कई युवकों की हत्या करते दिख रहे हैं। यह वीडियो भी नवंबर 2014 का है। सभी युवकों को पुल से उलटा लटकाकर इनके सिर में गोली मार दी गई और फिर नीचे फेंक दिया गया। बोको हरम संगठन ज्वाइन करने से इनकार करने पर इनकी हत्या की गई।

जिन्ना को सेकुलर बताने वाले आडवाणी आज भी अपनी राय पर कायम


नई दिल्ली. बीजेपी मार्गदर्शक मंडल के सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि उनसे जुड़े जिन्ना विवाद को कुछ लोगों ने बढ़ाया। उनका कहना है कि वे आज भी जिन्ना को लेकर अपनी राय पर कायम हैं। आडवाणी ने बढ़ती उम्र के आधार पर किसी को खारिज किए जाने का भी विरोध किया। आडवाणी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी को 'भारत रत्न' दिया जाना चाहिए और यह उनका उचित सम्मान होगा। 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है। पिछले कुछ वर्षों से वे अस्वस्थ हैं और दिल्ली के अपने सरकारी आवास पर रहते हैं। 
फाइल फोटो: अटल बिहारी वाजपेयी के साथ आडवाणी।
फाइल फोटो: अटल बिहारी वाजपेयी के साथ आडवाणी।
 

जिन्ना विवाद 
एक टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में आडवाणी ने कहा कि कुछ लोगों ने जिन्ना विवाद को तूल दिया। उनके मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी ने इस मुद्दे पर उनका समर्थन किया था। आडवाणी के मुताबिक, 'अटल जी ने मुझसे कहा था, लोगों ने जिन्ना को पढ़ा नहीं है, इसलिए तुम्हारी बात समझ नहीं पाए।' आडवाणी ने कहा कि वे आज भी जिन्ना को लेकर अपनी राय पर कायम है। गौरतलब है कि जून, 2005 में कराची में आडवाणी ने पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना को 'धर्मनिरपेक्ष' और 'हिंदू-मुस्लिम एकता का दूत' बताया था। आडवाणी ने भारत के विभाजन को कभी न बदली जाने वाली इतिहास की सच्चाई भी बताते हुए अखंड भारत के कॉन्सेप्ट से दूरी बना ली थी। जबकि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि जिन्ना ने ही द्विराष्ट्र सिद्धांत (टू नेशन थियरी) के तहत भारत से अलग पाकिस्तान बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाई थी।
इशारों में कहा, खत्म नहीं हुआ 'अटल-आडवाणी युग' 
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ खुद को बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल किए जाने को अटल-आडवाणी युग को खत्म माने जाने पर आडवाणी ने कहा, 'देखिए, कोई युग नहीं होता। अटल जी अस्वस्थ हैं। वे चाह कर भी कोई योगदान नहीं दे सकते हैं। लेकिन मैं तो अभी स्वस्थ हूं। इस लिहाज से मेरी कोई चिंता नहीं है।' 

अटल को भारत रत्न
आडवाणी ने कहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि यूपीए की सरकार के समय ही उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बारे में चिट्ठी लिखी थी। आडवाणी ने अटल को देश का सबसे कामयाब प्रधानमंत्री बताया। अटल को पीएम पद का प्रत्याशी घोषित किए जाने के बारे में उन्होंने कहा, 1995 में मैंने मुंबई में मंच पर अटल को पीएम पद का प्रत्याशी उनसे पूछे बिना पार्टी अध्यक्ष के नेता घोषित किया था। उस घटना के बारे में आडवाणी ने बताया कि अचानक घोषणा किए जाने से अटल उनसे खिन्न हो गए थे। आडवाणी के मुताबिक अटल ने उनसे कहा था कि ऐसी घोषणा से पहले कम से कम मुझसे पूछ तो लेते। आडवाणी ने कहा कि देश और पार्टी ने उनके फैसले पर मुहर लगाई।  
 
मोदी सरकार पर टिप्पणी
अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकार की तुलना के सवाल पर उन्होंने कहा, 'दोनों अपनी जगह अच्छी हैं। मौजूदा सरकार को इस बात का लाभ मिलता है कि उसके पास अपने बूते बहुमत है। अटल जी के पास यह सुविधा नहीं थी।'

पप्पू यादव ने अखबार फाड़कर स्पीकर की तरफ फेंका, डिप्टी स्पीकर ने लगाई फटकार


नई दिल्‍ली. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद पप्पू यादव ने लोकसभा में धर्मांतरण के मुद्दे पर हंगामे के दौरान अभद्र व्यवहार करते हुए अखबार फाड़कर स्पीकर के आसन की तरफ फेंक दिया। यादव की इस हरकत पर सदन में हंगामा शुरू हो गया। 
फोटो: लोकसभा में बहस में हिस्सा लेते पप्पू यादव।
फोटो: लोकसभा में बहस में हिस्सा लेते पप्पू यादव।
 
विश्व हिंदू परिषद के विवादित 'घर वापसी' कार्यक्रम को लेकर संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया। इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी के बयान की मांग करते हुए पप्पू यादव ने हंगामा किया और गुस्से में आकर अखबार फाड़कर स्पीकर की तरफ फेंक दिया। पप्पू यादव के इस बर्ताव से स्पीकर की कुर्सी पर आसीन उपसभापति थंबीदुरई बेहद नाराज हो गए। थंबीदुरई ने यादव को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, 'क्या कागज फेंकना विरोध का लोकतांत्रिक तरीका है? यह बहुत गलत है और मुझे इस पर कड़ी आपत्ति है।' इस घटना के बाद शोर-शराबे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित हो गई। बाद में पप्पू यादव ने इस घटना के लिए डिप्टी स्पीकर से माफी मांगी।
पप्पू यादव ने अध्यक्ष के आसन पर कागज फेंकने की बात से इनकार किया। सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए यादव ने कहा कि उन्होंने कागज गुस्से में फेंका था, लेकिन उसे अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं फेंका गया था। 
इससे पहले धर्मांतरण के मुद्दे पर ही सरकार के खिलाफ हंगामे के दौरान लोकसभा में सोमवार को लेफ्ट के नेता ए. संपत बीमार पड़ गए। इस वजह से सदन की कार्यवाही टालनी पड़ी। 
आगे की स्लाइड में पढ़िए, धर्मांतरण के मुद्दे पर संसद में किस तरह हुआ हंगामा:
लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने धर्मांतरण का मुद्दा उठाते हुए सोमवार को भारी हंगामा किया। इस वजह से कई बार सदन की कार्यवाही बाधित हुई। दूसरी ओर, सरकार ने कहा कि उसका इन घटनाओं से कुछ लेना-देना नहीं है। वह अपना काम अच्छे तरीके से कर रही और विपक्ष को इस तरह के मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। 
शून्य काल शुरू होते ही कांग्रेस सदस्य के सी. वेणुगोपाल ने केरल में धर्मांतरण का मुद्दा उठाया और कहा कि वहां उनके संसदीय क्षेत्र सहित कई जगह धर्मांतरण कराया जा रहा है और केरल के साथ ही गुजरात और अन्य राज्यों में भी इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने आरोप
लगाया कि संघ परिवार इस काम में शामिल है और विश्व हिंदू परिषद के नेता खुलेआम कह रहे हैं कि देश को सौ फीसदी हिंदू राष्ट्र बनाया जाएगा। इसलिए सरकार को इन घटनाओं की निंदा करनी चाहिए।
   
इसी बीच, सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने अपनी सीटों पर खड़े होकर हंगामा शुरू कर दिया। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने शोर शराबे के बीच कहा कि सरकार का इससे कुछ लेना-देना नहीं है और जिन लोगों के नाम विपक्ष के सदस्य ले रहे हैं, वे सदन के सदस्य नहीं हैं। इसलिए उनका नाम कार्यवाही से हटा दिया जाना चाहिए।
 
नायडू ने कहा कि केरल में कांग्रेस की सरकार है और राज्य सरकार को इस तरह की घटनाओं से खुद निपटना चाहिए। उनका कहना था कि भाजपा को देश की जनता ने पूरे समर्थन के साथ सरकार चलाने का जनादेश दिया हुआ है। सरकार जिम्मेदारी से अपना काम कर रही है और वह देश में किसी तरह का तनाव नहीं चाहती है। उन्होंने विपक्ष पर धर्मांतरण के मसले पर राजनीतिक करने का आरोप लगाया। नायडू ने यह भी कहा कि यदि इस पर राजनीति करनी है तो सदन के भीतर की बजाए सदन से बाहर करें।
   
विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों के जबरदस्त शोर शराबे के बीच सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि सभी अखबारों में और अन्य मीडिया में लगातार 'घर वापसी' की बात की जा रही है। उनका आरोप था कि सरकार इसका समर्थन कर रही है।

क़ुरान का सन्देश

 
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