चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि विदेशों में भारत की क्या छवि बनेगी।
प्रधानमंत्री क्यों चुप हैं?
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने सोमवार को एक ब्लॉग में लिखा, 'मोदी
ने संसद के दर पर सिर तो झुकाया था, लेकिन अब वह सदन का अपमान कर रहे हैं।'
राज्यसभा में सरकार बहुमत में नहीं है। सदन का सत्र भी मंगलवार को
खत्म हो रहा है। लगभग पूरा सत्र धर्मांतरण पर हंगामे के चलते बिना कामकाज
के खत्म हो रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भले ही अब धर्मपरिवर्तन के
मुद्दे पर खुलकर सामने आ गए हों, लेकिन संगठन से ही जुड़ी धर्म जागरण
समन्वय समिति (डीजेएसएस) लंबे समय से इस काम को अंजाम दे रही है। समिति के
लिए यह व्यस्ततम समय है। वह हर साल 23 दिसंबर से पूरे देश में बड़े पैमाने
पर घर वापसी कार्यक्रम चलाती है।
इस साल भी करीब 300 से अधिक स्थानों पर धर्मांतरण कार्यक्रम चल रहा है।
सिर्फ अलीगढ़ इसमें शामिल नहीं है। हालांकि डीजेएसएस से पदाधिकारी इस बात
को हंसी में उड़ा देते हैँ कि अलीगढ़ में हुए विवाद की वजह से उन्हें वहां
अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। उनका कहना है कि डीजेएसएस के पश्चिमी उत्तर
प्रदेश के संयोजक और आरएएसएस प्रचारक राजेश्वर सिंह का जरूरत से ज्यादा
बोलना ही समिति के खिलाफ गया। एक अन्य प्रचारक का कहना है कि अलीगढ़ में
विवाद अधिक हुआ और काम कम। हालांकि हर साल की तरह 23 दिसंबर से 31 दिसंबर
तक डीजेएसएस की योजना अपने तय शेड्यूल के तहत ही चल रही है। डीजेएसएस का
कहना है कि उसके कार्यक्रम का क्रिसमस से कोई सबंध नहीं है। पदाधिकारियों
का कहना है कि उन्होंने 23 दिसंबर का दिन इसी वजह से चुना क्योंकि 1926 में
इसी दिन मुस्लिमों को दोबारा हिंदू बनाने का काम करने वाले आर्य समाज के
नेता स्वामी श्रद्धानंद की दिल्ली में हत्या कर दी गई थी।
रविवार को नई दिल्ली में वनवासी रक्षा परिवार कुंभ में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत।
घर वापसी का कार्यक्रम चलाने से पहले डीजेएसएस उन इलाकों या ग्रामीण
स्थानों पर हिंदू सम्मेलनों का आयोजन करता है, जहां हिंदुओं को इस्लाम या
ईसाई धर्म में परिवर्तित किया गया। वह इन इलाकों में
धर्म परिवर्तन
कर चुके लोगों को हिंदू धर्म के गौरवशाली इतिहास और परंपराओं से संबंधित
साहित्य बांटता है। साथ ही सभी जातियों के नेताओं से मिलकर उन्हें वापस
हिंदू धर्म शामिल होने के लिए प्रेरित करता है।
पहले वीएचपी के पास थी जिम्मेदारी
90 के दशक तक विश्व हिंदू परिषद ही पूरे देशभर में धर्मांतरण
कार्यक्रम चलाता था। 1996 में आरएसएस को यह महसूस हुआ कि वीएचपी सिर्फ
अयोध्या और राम मंदिर मामले तक सीमित रह गया है, तो उसने डीजेएसएस की
स्थापना की। इसके बाद डीजेएसएस को चार प्रमुख काम सौँपे गए। हिंदू जगाओ,
हिंदू बचाओ, हिंदू बढ़ाओ और हिंदू संभालो। संदेश साफ था, 2021 तक हिंदू
जनसंख्या को बढ़ाओ।
पनशिकर हैँ डीजेएसएस के प्रमुख वर्तमान में मुंबई में
रहने वाले मुकुंद राव पनशिकर डीजेएसएस के प्रमुख हैं। संगठन में आरएसएस के
58 प्रचारक हैँ और दो हजार से अधिक अन्य कार्यकर्ता हैं। ये कार्यकर्ता
संगठन के अन्य प्रचारकों की तरह ही हैं, लेकिन अपने परिवार को चलाने के लिए
इस काम के बदले थोड़े पैसे लेते हैं। हर जिला स्तर पर समिति की एक यूनिट
है। हर यूनिट का एक प्रमुख नेता होता है, जिसे संयोजक कहा जाता है। इसके
अलावा संगठन में परियोजना प्रमुख, परियोजना संपर्क प्रमुख और संस्कृति
प्रमुख, निधि प्रमुख, विधि प्रमुख होते हैं।
इस तरह काम करती है समिति
जिन क्षेत्रों में धर्मातरण की खबरें आती हैं, वहां धर्म रक्षा समिति
का गठन किया जाता है। इस समिति में इलाके के अलग-अलग हिंदू समुदायों के 100
प्रभावशाली लोगों को शामिल किया जाता है। यह समिति ही इलाके में घर वापसी
का रोडमैप तैयार करती है। आरएसएस प्रचारक भी इस बात को स्वीकार करते हैँ।
हर राज्य में डीजेएसएस की दो बैठकें होती हैं, जिनमें हर माह होने वाले काम
की प्रगति पर चर्चा होती है। पिछले महीने नागपुर में डीजेएसएस का एक तीन
दिवसीय सम्मेलन हुआ था, जिसमें करीब समिति के 1200 कार्यकर्ता शामिल हुए
थे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सम्मेलन भी तीनों दिन इसमें शामिल हुए थे।
तैयार होगी रिपोर्ट
अब फरवरी में कटक में संघ के राज्य स्तरीय प्रचारकों का एक सम्मेलन
होगा, जिसमें डीजेएसएस के समकक्ष प्रचारक भी शामिल होंगे। इसके बाद
डीजेएसएस यहां अपने राज्य स्तरीय प्रचारकों के साथ बैठक करेगा। अंत में
डीजेएसएस की गतिविधियों पर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे नागपुर में
होने वाली आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में पेश किया
जाएगा।
राजस्थान : आरएसएस के एक प्रवक्ता ने बताया कि डीजेएचएस
घर वापसी का कार्यक्रम चलाने वाले स्थानों को उन जातियों के नाम से पहचान
करती है, जो धर्मांतरण से सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं। राजस्थान का बेवार
जिला इसका एक उदाहरण है, जहां बीते दस साल में 90 हजार मुस्लिमों को हिंदू
बनाया गया। प्रवक्ता के मुताबिक, बेवार में पृथ्वीराज चौहान के अनुयायियों
के तौर पर पहचाने जाने वाले मेहरात और कथाट समुदाय के लोग बड़ी संख्या में
मौजूद हैं। उन्हें जबर्दस्ती मुस्लिम बनाया गया था। हालांकि इस स्थानों पर
अब धर्मांतरण का कोई इरादा नहीं है। जब मुस्लिमों को अपने गौरवशाली अतीत का
अहसास होगा, तो वे खुद हिंदू धर्म की ओर आकर्षित होंगे। उन्होंने बताया कि
जयपुर के शास्त्री नगर में एक मुस्लिम समुदाय से बातचीत के दौरान हमें यह
पता चला कि वे पवार समाज के लोग थे, जिन्होंने इस्लाम अपना लिया था।
उत्तर प्रदेश : डीजेएसएस के एक नेता ने बताया कि पश्चिमी
उत्तर प्रदेश के क्षत्रिय और बनिया समुदाय के लोग भी गरीबी और बेइज्जती की
वजह से इस्लाम में शामिल हो गए थे। ऐसे में आरएसएस मेरठ में चौहान व सोम,
मुजफ्फरनगर में त्यागी और गुर्जर, और नोएडा व आसपास के अन्य जिलों में
सिसौदिया समुदाय के लोगों पर ध्यान दे रहा है। उत्तर प्रदेश के जिन इलाकों
में अभी विवाद शुरू हुआ है, वहां भी डीजेएसएस बीते 15 साल से काम कर रहा
है। आरएसएस के सूत्रों का कहना है कि यहां करीब पांच लाख लोगों का
धर्म परिवर्तन
हुआ है, जिनमें अधिकांश ईसाई हैं। राज्य में डीजेएसएस को अवध, कानपुर,
काशी, गोरखपुर, बृत और पश्चिम प्रांत में विभाजित किया गया है। बृज और
पश्चिम क्षेत्र की शाखाएं ही मुस्लिमों को अपना लक्ष्य बना रही हैं। अन्य
इलाकों में ईसाईयों पर फोकस है। उदाहरण के तौर पर डीजेएसएस का दावा है कि
उसने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 150 मुस्लिम और 6 हजार ईसाईयों को हिंदू
धर्म में शामिल किया। उत्तर प्रदेश के हर जिले में डीजेएसएस के 150 से अधिक
कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। डीजेएसएस के एक सूत्र का कहना है कि
कार्यकर्ता को एक साल में 5 लाख रुपए तक खर्च करने की छूट मिली हुई है। इस
पैसे को उन्हें लोगों से मिलने जुलने, उनसे संपर्क बनाए रखने और जरूरत के
वक्त उनको मदद पहुंचाने के लिए दिया जाता है। यह पूछे जाने पर कि क्या
डीजेएसएस के पदाधिकारियों को कोई टारगेट दिया जाता है, आरएसएस के एक वरिष्ठ
अधिकारी ने बताया कि लक्ष्य सिर्फ धर्म परिवर्तन का शिकार हुए मुस्लिम और
ईसाई धर्म के लोगों की संख्या को कम करना है, ताकि कोई भी राजनीतिक पार्टी
उन्हें लुभा न सके। लक्ष्य है, 31 दिसंबर 2021 तक देश को परिवर्तित मुस्लिम
और ईसाईयों से मुक्त करना।
गुजरात : जबसे
नरेंद्र मोदी
देश के प्रधानमंत्री बने हैँ, वीएचपी और आरएसएस के हिंदू जागरण मंच गुजरात
में एक बार फिर एक्टिव हो गए हैं। एक रणनीति के तहत ही उन्होंने गुजरात
में धर्मांतरण की प्रक्रिया शुरू की है। हालांकि यहां बहुत कम लोग इस बारे
में बातचीत करने को तैयार हैं। वडोदरा के एक बीजेपी नेता ने बताया कि
गुजरात मोदी का गृह राज्य है। ऐसे में उन्हें इस बारे में बात करने से मना
किया गया है। ध्यान रहे कि नब्बे के दशक में हिेंदू जागरण मंच ने राज्य के
दांग में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कार्यक्रम शुरू किए थे, जिसके बाद यहां
बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे।
छत्तीगढ़ : डीजेएसएस के छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख
राधेश्याम ने दावा किया था कि 2003 में 57 हजार से अधिक ईसाई परिवारों को
हिंदू धर्म में परिवर्तित किया गया। राज्य में दिवंगत भाजपा नेता दिलीप
सिंह जूदेव ने भारत और छत्तीगढ़ के सबसे बड़े धर्मांतरण कार्यक्रम का
नेतृत्व किया था। विवादों के बाद छत्तीगढ़ में धर्म परिवर्तन का मामला शांत
हो गया था, लेकिन पिछले साल गर्मियों में बस्तर से बीजेपी के सांसद दिनेश
कश्यप ने एक बार फिर यहां धर्मांतरण का कार्यक्रम चलाया। इस दौरान यहां
काफी हिंसा हुई थी। वीएचपी भी इस इलाके में काफी सक्रिय रही है। सितंबर में
बस्तर जिले के जशपुर में पठालगांव ब्लॉक में 240 ईसाई परिवारों को हिंदू
धर्म में शामिल किया गया था। इसी साल अक्टूबर में ही वीएचपी ने 30 ईसाई
परिवारों को हिंदू धर्म में शामिल किया था। छत्तीगढ़ में डीजेएसएस धर्म सेना
और धर्म रक्षा वाहिनी के तौर पर काम करती है।