तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
08 जनवरी 2015
यहां 100 साल से लग रहा 'भूतों का मेला', मंजर होता है डरावना
- जितेंद्र निगम
- Jan 08, 2015, 12:24 PM IST
भोपाल। भले
ही लोग इसे अंधविश्वास कहें, लेकिन बैतूल जिले से करीब 42 किलोमीटर दूर
चिचौली तहसील के गांव मलाजपुर में हर साल मकर मकर संक्रांति की पहली
पूर्णिमा से 'भूतों का मेला' शुरू होता है, जो महीनेभर चलता है। इस बार यह
मेला 5 जनवरी से शुरू हुआ। ऐसी मान्यता है कि 1770 में गुरु साहब बाबा नाम
के एक संत ने यहां जीवित समाधि ली थी। कहा जाता है कि संत चमत्कारी थे और
भूत-प्रेत को वश में कर लेते थे। बाबा की याद में ही करीब 100 साल से यह
मेला लगता आ रहा है।
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जिन पर बुरी छाया, वे लगाते हैं उल्टी परिक्रमा..
मेले में आने वाले भूत-प्रेत के साये से प्रभावित लोग समाधि स्थल की
उल्टी परिक्रमा लगाते हैं। कई बार इस मेले को लेकर विवाद हुए। इसे
अंधविश्वास के चलते बंद कराने के प्रयास किए गए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
मेले में देशभर से लोग पहुंचते हैं। इस बार प्रतिदिन 5000 लोगों के आने की
संभावना जताई गई है। यहां पहुंचने वालों में ग्रामीणों की संख्या बहुत अधिक
होती है।
उल्लेखनीय है कि मप्र के कई आदिवासियों खासकर गोंड, भील एवं कोरकू
जनजातियों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी से टोटका, झाड़ फूंक एवं भूतप्रेत-चुड़ैल
सहित अनेक ऐसे रीति-रिवाज निवारण प्रक्रिया चली आ रही है। बैतूल आदिवासी
बाहुल्य जिला है।
ऐसा होता है दृश्य...
किसी के हाथ में जंजीर बंधी है, तो किसी के पैरों में बेडिय़ां बंधी है। कोई नाच रहा है, तो कोई सीटियां बजाते हुए चिढ़ा रहा है। लोग कहते हैं कि ये वे लोग है, जिन पर 'भूत' सवार हैं।
लोग भले ही यकीन न करें, लेकिन यह सच है कि मेले में भूत-प्रेतों के अस्तित्व और उनके असर को खत्म करने का दावा किया जाता है। यहां के पुजारी लालजी यादव बुरी छाया से पीड़ित लोगों के बाल पकड़कर जोर से खींचते हैं। पुजारी कई बार झाड़ा भी लगाते हैं। यहां लंबी कतार में खड़े होकर लोग सिर से भूत-प्रेत का साया हटवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते देखे जा सकते हैं।
किसी के हाथ में जंजीर बंधी है, तो किसी के पैरों में बेडिय़ां बंधी है। कोई नाच रहा है, तो कोई सीटियां बजाते हुए चिढ़ा रहा है। लोग कहते हैं कि ये वे लोग है, जिन पर 'भूत' सवार हैं।
लोग भले ही यकीन न करें, लेकिन यह सच है कि मेले में भूत-प्रेतों के अस्तित्व और उनके असर को खत्म करने का दावा किया जाता है। यहां के पुजारी लालजी यादव बुरी छाया से पीड़ित लोगों के बाल पकड़कर जोर से खींचते हैं। पुजारी कई बार झाड़ा भी लगाते हैं। यहां लंबी कतार में खड़े होकर लोग सिर से भूत-प्रेत का साया हटवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते देखे जा सकते हैं।
गुड़ से तौला जाता है...
मान्यता है कि, जो पीड़ित ठीक हो जाते हैं, उसे यहां गुड़ से तौला जाता है। यहां हर साल टनों गुड़ इकट्ठा हो जाता है, जो यहां आने वाले लोगों को प्रसाद के तौर पा बांटा जाता है। कहा जाता है कि, यहां इतनी मात्रा में गुड़ जमा होने के बावजूद मक्खियां या चीटिंयां नहीं दिखाई देतीं। लोग इसे गुरु साहब बाबा का चमत्कार मानते हैं।
मान्यता है कि, जो पीड़ित ठीक हो जाते हैं, उसे यहां गुड़ से तौला जाता है। यहां हर साल टनों गुड़ इकट्ठा हो जाता है, जो यहां आने वाले लोगों को प्रसाद के तौर पा बांटा जाता है। कहा जाता है कि, यहां इतनी मात्रा में गुड़ जमा होने के बावजूद मक्खियां या चीटिंयां नहीं दिखाई देतीं। लोग इसे गुरु साहब बाबा का चमत्कार मानते हैं।
कुत्ते भी आरती में होते हैं शामिल
समाधि परिक्रमा करने से पहले स्नान करना पड़ता है। यहां मान्यता है कि प्रेत बाधा का शिकार व्यक्ति जैसे-जैसे परिक्रमा करता है, वैसे-वैसे वह ठीक होता जाता है। यहां पर रोज ही शाम को आरती होती है। इस आरती की विशेषता यह है कि दरबार के कुत्ते भी आरती में शामिल होकर शंक, करतल ध्वनि में अपनी आवाज मिलाते है। इसको लेकर महंत कहते है कि यह बाबा का आशीष है। इस मेले में श्रद्धालुओं के रूकने की व्यवस्था जनपद पंचायत चिचोली तथा महंत करते हैं।
समाधि परिक्रमा करने से पहले स्नान करना पड़ता है। यहां मान्यता है कि प्रेत बाधा का शिकार व्यक्ति जैसे-जैसे परिक्रमा करता है, वैसे-वैसे वह ठीक होता जाता है। यहां पर रोज ही शाम को आरती होती है। इस आरती की विशेषता यह है कि दरबार के कुत्ते भी आरती में शामिल होकर शंक, करतल ध्वनि में अपनी आवाज मिलाते है। इसको लेकर महंत कहते है कि यह बाबा का आशीष है। इस मेले में श्रद्धालुओं के रूकने की व्यवस्था जनपद पंचायत चिचोली तथा महंत करते हैं।
पूर्णिमा की रात होती है महत्वपूर्ण
ऐसी धारणा है कि जिस भी प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति को छोडऩे के बाद उसके शरीर में समाहित प्रेत बाबा की समाधि के एक दो चक्कर लगाने के बाद अपने आप उसके शरीर से निकल कर पास के बरगद के पेड़ पर उल्टा लटक जाता है। बाद में उसकी आत्मा को शांति मिल जाती है।
ऐसी धारणा है कि जिस भी प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति को छोडऩे के बाद उसके शरीर में समाहित प्रेत बाबा की समाधि के एक दो चक्कर लगाने के बाद अपने आप उसके शरीर से निकल कर पास के बरगद के पेड़ पर उल्टा लटक जाता है। बाद में उसकी आत्मा को शांति मिल जाती है।
क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट
हालांकि कई साइकोलॉजिस्ट भूत-प्रेत के अस्तित्व को सिरे से खारिज करते हैं। उनके अनुसार 'मेले में आने वाले लोग निश्चित ही किसी न किसी समस्या से ग्रस्त हैं। उनकी परेशानी मानसिक भी हो सकती है और शारीरिक भी। मानसिक रोग से ग्रस्त परिजनों को लोग यहां ले आते हैं। दरअसल किसी भी रोग के इलाज में विश्वास महत्वपूर्ण होता है। इलाज पर विश्वास होता है तो फायदा भी जल्दी मिलता है।'
हालांकि कई साइकोलॉजिस्ट भूत-प्रेत के अस्तित्व को सिरे से खारिज करते हैं। उनके अनुसार 'मेले में आने वाले लोग निश्चित ही किसी न किसी समस्या से ग्रस्त हैं। उनकी परेशानी मानसिक भी हो सकती है और शारीरिक भी। मानसिक रोग से ग्रस्त परिजनों को लोग यहां ले आते हैं। दरअसल किसी भी रोग के इलाज में विश्वास महत्वपूर्ण होता है। इलाज पर विश्वास होता है तो फायदा भी जल्दी मिलता है।'
सड़क किनारे लगाते हैं पोहे की दुकान, कमाते हैं लाखों, हर साल जाते हैं वर्ल्ड टूर
नागपुर.
महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर वैसे तो संतरों के लिए मशहूर है, लेकिन
यहां एक शख्स ऐसे भी हैं जिनके हाथ का बना पोहा खाने दूर-दूर से लोग आते
हैं। उनकी दुकान सड़क किनारे जरूर लगती है पर वे हर साल परिवार के साथ
वर्ल्ड टूर पर जाते हैं। आपको यह जानकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह सच
है।
नागपुर के कस्तूरचंद पार्क पर पोहा बेचते रूपम।
हम बात कर रहे हैं नागपुर के मशहूर पोहा वाले 'रूपम साखरे' की। उनकी
दुकान 'केपी की टपरी' के नाम से मशहूर है। वे नागपुर के कस्तूरचंद पार्क से
सटे फुटपाथ पर ठेला लगाते हैं। उनकी दुकान नागपुर में इतनी मशहूर है कि
यहां सुबह 8.30 बजे से शाम 6 बजे तक भीड़ डटी रहती है। बिज़नेस का टर्नओवर
इतना जबर्दस्त है कि वे हर साल परिवार के साथ वर्ल्ड टूर पर जाते हैं।
होंडा सिटी से जाते हैं सब्जी लेने
लगभग 35 वर्षों से वे कस्तूरचंद पार्क पर पोहा बेचने का व्यवसाय कर
रहे हैं। उनकी रोज की कमाई लाखों में हैं। वे हर सुबह अपनी होंडा सिटी से
सब्जी लेने के लिए सब्जी मंडी जाते हैं।
चना पोहा है फेमस डिश
अरबों का कारोबार छोड़कर आया भारत, Multi-Millionaire से बना संत
चंडीगढ़. 'जिंदगी
का सबसे बेहतरीन अनुभव था भगवान की खोज। इस खोज के लिए ऑस्ट्रेलिया और
इंग्लैंड के अपने बिजनेस को छोड़ भारत आया। कई साल पर्वतों में बिताए, गहरी
साधना की, हिमालय की चोटी और जंगलों में कई महीने बिताए। भगवान मिला पर
कहीं बाहर नहीं अपने अंदर ही है। यह संभव हुआ मेडिटेशन से।
मोह त्याग कर बने संत
स्वामी जी ने बताया कि मेडिटेशन से ही मुझे खुद का ज्ञान हुआ। अब मुझे
किसी चीज को खोने का डर नहीं है और न ही किसी चीज को पाने की इच्छा। मुझे
प्रेम और माेह में अंतर ज्ञात हुआ। मैं सभी से प्रेम करने लगा, मोह मेरे
अंदर रहा ही नहीं। मैंने सत्य को जाना है और अपनी किताब में उसी सत्य की
बात की। इसीलिए इस किताब का नाम इफ ट्रुथ टू बी टोल्ड रखा।'
ऑस्ट्रेलिया के मल्टी मिलिनियर थे स्वामी
पटियाला के रहने वाले ओम ने वीरवार अपनी बायोग्राफी को चंडीगढ़ प्रेस
क्लब में रिलीज किया। उनसे बातचीत हुई तो उन्होंने कहा ‘मैं बचपन से ही
वेदों और मेडिटेशन में दिलचस्पी रखने लगा था। 18 साल की उम्र में पढ़ाई के
लिए ऑस्ट्रेलिया गया। एमबीए करने के बाद वहीं कुछ साल जॉब की और फिर कुछ
साल बाद खुद का बिजनेस। लेकिन इस दौरान लगा कि जिंदगी का मकसद कुछ और है।
बिजनेस काफी अच्छा चल रहा था। ऑस्ट्रेलिया का मल्टी मिलिनियर बन गया,
ऐशोआराम की सभी चीजें थीं, बंगला, पोर्श कार सब कुछ लेकिन फिर भी एक बेचैनी
सी रहती थी। आखिरकार फैसला किया की भगवान की खोज में वापस भारत जाऊंगा।
साल 2007 में अपना बिजनेस पार्टनर को सौंप कर वापिस भारत आया।
गुरु ने दीक्षा देने से किया था मना
वाराणसी में जाकर वहां गुरु नागा संत से मिला। उन्होंने पहले मुझे
दीक्षा देने से मना किया। उन्होंने कहा कि पहले अपने घरवालों से बात करवाओ
क्योंकि ऐसी भक्ति के लिए परिवार को ही पहले त्यागना पड़ता है। मां उस वक्त
कैनेडा में थी। उनकी गुरु जी से फोन पर बात कराई। मां के स्वीकार करने के
बाद गुरु ने मुझे दीक्षा दी। गुरु के आश्रम से निकल कर फिर हिमालय की
वादियों में चला गया। यहां जंगल और पहाड़ों में अकेला रहकर मेडिटेशन किया।
उसके बाद ही खुद को जान पाया। आजकल सोलन में खुद का एक आश्रम है, जिसमें
ज्यादातर एकांत में ही जीवन बिताता हूं।’ बायोग्राफी लिखने का मन कैसे हुआ?
के जवाब में स्वामी ने कहा कि साल 2012 में मेरे आश्रम में एक युवक आया।
उसको लगा की मेरी जिंदगी कई लोगों के लिए प्रेरणा बन सकती है। पहले तो मना
कर दिया लेकिन उसके बार बार आग्रह करने पर किताब लिख दी।’ इफ ट्रुथ टू बी
टोल्ड चंडीगढ़ के बुक सेंटर पर उपलब्ध है, इसकी कीमत 499 रुपए है।
हरमन हैस की सिद्धार्थ पसंद है
वेदों और अध्यात्म से जुड़ी किताबों के अलावा साहित्य से जुड़ी कुछ किताबें पढ़ता हूं। सबसे पसंदीदा किताब हरमन हैस की सिद्धार्थ लगी। अभी तक कुल 7 किताबें लिख चुका हूं, इनको जल्द ही रिलीज करुंगा।
वेदों और अध्यात्म से जुड़ी किताबों के अलावा साहित्य से जुड़ी कुछ किताबें पढ़ता हूं। सबसे पसंदीदा किताब हरमन हैस की सिद्धार्थ लगी। अभी तक कुल 7 किताबें लिख चुका हूं, इनको जल्द ही रिलीज करुंगा।
अस्पताल में स्टूडेंट को नर्स ने बेहोश किया, डॉक्टर-दो सिपाहियों ने किया गैंगरेप
भिलाई/रायपुर. भिलाई
के एक सरकारी अस्पताल में स्टूडेंट के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है।
सुपेला के लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में एक डॉक्टर और दो पुलिस वालों
ने स्टूडेंट के साथ रेप किया। नर्स ने पीड़ित स्टूडेंट को बेहोशी का
इंजेक्शन लगाया था। उसके बाद ही स्टूडेंट रेप का शिकार हुई।
आरोपी डॉक्टर गौतम पंडित
पुलिस के अनुसार, 19 जून को छात्रा को सिर में चोट लगने के बाद
शास्त्री अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रात में किसी नर्स ने उसे
इंजेक्शन लगया तो वह बेहोश हो गई। उसके बाद वहां तैनात एक डॉक्टर गौतम
पंडित और दो पुलिसकर्मी चंद्रप्रकाश पांडेय और सौरभ भक्ता ने उसके साथ
दुष्कर्म किया।
धमकी देकर किया कई बार दुष्कर्म
इस घटना के बाद दोनों सिपाही छात्रा के पीछे पड़ गए। उसे बदनाम करने
की धमकी देकर अक्सर दुष्कर्म करने लगे। छात्रा को कॉलेज से घर लौटते समय वे
जबरन रोक लेते थे और अपने साथ ले जाया करते थे। मंगलवार को भी छात्रा फीस
जमा करने के लिए कॉलेज गई थी। लौटते समय फिर दोनों सिपाहियों ने उसे रास्ते
में ही रोक लिया। उसे जबर्दस्ती इधर-उधर घुमाते रहे। शारीरिक संबंध के लिए
दबाव भी डाला। परेशान छात्रा ने जब आत्महत्या करने की धमकी दी, तब जाकर
उसे छोड़ा।
करीना को VHP का चैलेंज-फोटो पर आपत्ति तो खटखटाएं कोर्ट का दरवाजा
नई दिल्ली. विश्व हिंदू परिषद की महिला शाखा दुर्गा वाहिनी ने बॉलीवुड स्टार करीना कपूर की फोटो अपनी मैगजीन में छापकर लव जिहाद के खिलाफ हिंदू महिलाओं को कथित तौर पर जागरूक करने की कोशिश की है। इस बीच, वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रकाश शर्मा ने करीना कपूर को चुनौती दी है कि अगर उन्हें फोटो को लेकर आपत्ति है तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं।
फोटो: मैगजीन के कवर पर करीना कपूर।
गौरतलब है कि दुर्गा वाहिनी की उत्तर भारत की क्षेत्रीय समन्वयक रजनी ठुकराल ने अपनी पत्रिका 'हिमालय ध्वनि' में करीना कपूर
की फोटो का इस्तेमाल कर लव जिहाद के खिलाफ आवाज उठाई है। कवर पर करीना का
आधा चेहरा हिंदू महिला का है, जिसके मांग में सिंदूर है, वहीं आधे चेहरे पर
नकाब है। यह तस्वीर पत्रिका में कवर फोटो के तौर पर छपी है। मैगजीन ने लव
जिहाद पर विशेष अंक निकाला है। करीना की फोटो के नीचे लिखा है, 'धर्मांतरण
से राष्ट्रांतरण...।' करीना कपूर ने मशहूर अभिनेता सैफ अली खान से शादी की है। करीना की फोटो छापे जाने पर उनके पति सैफ अली खान नाराज हैं। उनका कहना है कि ऐसा कदम उठाकर मैगजीन के लोगों ने अपनी मध्ययुगीन मानसिकता दिखाई है।
लेकिन रजनी ने करीना की फोटो के इस्तेमाल का बचाव करते हुए कहा, "वह
(करीना) सेलिब्रिटी हैं। युवा सेलिब्रिटी की नकल करते हैं। वे सोचते हैं कि
अगर वह ऐसा कर सकती हैं, तो हम क्यों नहीं?" अपने अभियान के बारे में
ठुकराल ने कहा, "मुस्लिमों से शादी करने वाली 16 हिंदू महिलाओं ने घर वापसी
के लिए हमसे संपर्क किया है। हमने दो की घर वापसी भी करा दी है। एक की तो
फिर से शादी भी हो चुकी है।"
विश्व हिंदू परिषद की महिला शाखा दुर्गा वाहिनी उन हिंदू महिलाओं की
'घर वापसी' करवा रही है, जिन्होंने मुसलमान पुरुषों से शादी की है। दुर्गा
वाहिनी का कहना है कि 'लव जिहाद' की समस्या को खत्म किए बिना घर वापसी
अभियान सफल नहीं हो सकता है।
BSP नेता हाजी याकूब बोले, पेरिस के आतंकियों को 51 करोड़ दूंगा
नई दिल्ली. फ्रांस
की मैगजीन ‘चार्ली हेब्दो’ के ऑफिस पर हमला करने वालों की जबर्दस्त आलोचना
हो रही है। लेकिन मेरठ के बसपा नेता हाजी याकूब कुरैशी की राय उलट है।
हाजी ने कहा है कि अगर कार्टूनिस्टों के हत्यारे आतंकी उनके पास पैसा
मांगने आएं, तो वह उन्हें 51 करोड़ रुपए बतौर इनाम देने के लिए तैयार हैं।
फाइल फोटो: हाजी याकूब कुरैशी।
अक्सर विवादों
में रहने वाले हाजी याकूब ने कहा कि डेनमार्क का कार्टूनिस्ट तो पहले ही
मर चुका है, लेकिन अगर पैगंबर का अपमान का बदला लेने वाले मेरे पास आएं तो
मैं उन्हें 51 करोड़ रुपए देने के लिए तैयार हूं। बता दें कि डेनमार्क की
एक मैगजीन में जब पैगंबर मोहम्मद का कार्टून छपा था, तब भी हाजी याकूब ने
कार्टूनिस्ट का सिर लाने वाले के लिए 51 करोड़ रुपए का इनाम घोषित किया था।
कौन हैं हाजी याकूब कुरैशी?
हाजी याकूब मेरठ में एक स्लॉटर हाउस चलाते हैं। वे उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
बसपा से पहले वे सपा और रालोद में भी रह चुके हैं। हाजी के बयान पर
मेरठ के एसएसपी ओंकार सिंह का कहना है कि अभी यह मामला उनकी जानकारी में
नहीं आया है, लेकिन अगर वास्तव में ऐसा कोई बयान दिया गया है और उसके सबूत
हमें मिलते हैं तो इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
फ्रांस: मैगजीन दफ्तर पर हमला करने वाले बंदूकधारियों ने पेट्रोल पंप पर की लूटपाट
पेरिस: फ्रांस की राजधानी पेरिस में व्यंग्य पत्रिका चार्ली हेब्दो के हेडक्वार्टर पर बुधवार को हुए आतंकी हमले
के आरोपी दोनों बंदूकधारियों के उत्तरी फ्रांस में होने की खबर है। समाचार
एजेंसी एएफपी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पुलिस ने उन्हें लोकेट
कर लिया है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, दोनों आरोपियों ने एक पेट्रोल पंप
को लूट लिया। दोनों ने वहां से खाना और पेट्रोल लिया और फायरिंग करते हुए
फरार हो गए। बता दें कि तीन बंदूकधारियों ने चार्ली हेब्दो के दफ्तर पर
हमला बोलकर 10 पत्रकार समेत 12 लोगों की हत्या कर दी थी। इसमें मैगजीन के एडिटर-इन चीफ स्टीफन चार्बोलर भी शामिल थे। यह मैगजीन पैगंबर पर कार्टून छापने को लेकर विवादों में रही
है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हमलावरों ने वारदात को अंजाम देने के
बाद कहा कि उन्होंने बदला ले लिया है। इस मामले में तीन आरोपियों में से एक
ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। इस मामले में सात अन्य लोगों को
हिरासत में भी लिया गया है। पूरे पेरिस में रेड अलर्ट जारी किया गया है।
लियोन में स्नाइपर के साथ मोर्चा संभाले पुलिसकर्मी।
मैगजीन दफ्तर पर हुए हमले के बाद देश का माहौल बिगड़ता नजर आ रहा
है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, चार्ली हेब्दो शूटआउट के बाद पूरे
फ्रांस में मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है। ब्लूमबर्ग की एक खबर के
मुताबिक, पश्चिमी पेरिस में ला मेंस में गुरुवार को एक मस्जिद पर ग्रेनेड
फेंके गए। खबर के मुताबिक, चार ग्रेनेड फेंके गए। एक ग्रेनेड फट गया, लेकिन
कोई घायल नहीं हुआ। पुलिस ने न फटे हुए ग्रेनेड बरामद किए हैं। इसके
अलावा, इस मस्जिद पर देर रात फायरिंग किए जाने की भी खबर है।
फिर हुई फायरिंग, पुलिसकर्मी की मौत
वहीं, चार्ली हेब्दो शूटआउट से मिलते-जुलते दो और मामले गुरुवार को
सामने आए। पहली वारदात पेरिस के दक्षिण में स्थित मालाकॉफ में हुई, जहां
बुलेटप्रूफ जैकेट पहने एक बंदूकधारी ने ऑटोमैटिक राइफल से गोलीबारी की।
इसमें एक महिला पुलिसकर्मी की मौत हो गई, जबकि एक स्वीपर घायल हो गया।
दरअसल, बुधवार के हमले के बाद पुलिस ऑपरेशन चल रहा था। महिला पुलिस अधिकारी
एक सड़क दुर्घटना के बाद मौके पर जांच के लिए रुकी थी कि तभी फायरिंग शुरू
हो गई। गोली चलाने के बाद हमलावर मेट्रो में सवार होकर फरार हो गया। दूसरा
मामला लियोन का है। धमाका एक कबाब की दुकान में हुआ, जो एक मस्जिद के करीब
में ही स्थित है। इस मामले में कोई घायल नहीं हुआ है। इलाके को खाली करा
लिया गया है।
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किसी के हाथ में जंजीर बंधी है, तो किसी के पैरों में बेडिय़ां बंधी है। कोई नाच रहा है, तो कोई सीटियां बजाते हुए चिढ़ा रहा है। लोग कहते हैं कि ये वे लोग है, जिन पर 'भूत' सवार हैं।
लोग भले ही यकीन न करें, लेकिन यह सच है कि मेले में भूत-प्रेतों के अस्तित्व और उनके असर को खत्म करने का दावा किया जाता है। यहां के पुजारी लालजी यादव बुरी छाया से पीड़ित लोगों के बाल पकड़कर जोर से खींचते हैं। पुजारी कई बार झाड़ा भी लगाते हैं। यहां लंबी कतार में खड़े होकर लोग सिर से भूत-प्रेत का साया हटवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते देखे जा सकते हैं।
मान्यता है कि, जो पीड़ित ठीक हो जाते हैं, उसे यहां गुड़ से तौला जाता है। यहां हर साल टनों गुड़ इकट्ठा हो जाता है, जो यहां आने वाले लोगों को प्रसाद के तौर पा बांटा जाता है। कहा जाता है कि, यहां इतनी मात्रा में गुड़ जमा होने के बावजूद मक्खियां या चीटिंयां नहीं दिखाई देतीं। लोग इसे गुरु साहब बाबा का चमत्कार मानते हैं।
समाधि परिक्रमा करने से पहले स्नान करना पड़ता है। यहां मान्यता है कि प्रेत बाधा का शिकार व्यक्ति जैसे-जैसे परिक्रमा करता है, वैसे-वैसे वह ठीक होता जाता है। यहां पर रोज ही शाम को आरती होती है। इस आरती की विशेषता यह है कि दरबार के कुत्ते भी आरती में शामिल होकर शंक, करतल ध्वनि में अपनी आवाज मिलाते है। इसको लेकर महंत कहते है कि यह बाबा का आशीष है। इस मेले में श्रद्धालुओं के रूकने की व्यवस्था जनपद पंचायत चिचोली तथा महंत करते हैं।
ऐसी धारणा है कि जिस भी प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति को छोडऩे के बाद उसके शरीर में समाहित प्रेत बाबा की समाधि के एक दो चक्कर लगाने के बाद अपने आप उसके शरीर से निकल कर पास के बरगद के पेड़ पर उल्टा लटक जाता है। बाद में उसकी आत्मा को शांति मिल जाती है।
हालांकि कई साइकोलॉजिस्ट भूत-प्रेत के अस्तित्व को सिरे से खारिज करते हैं। उनके अनुसार 'मेले में आने वाले लोग निश्चित ही किसी न किसी समस्या से ग्रस्त हैं। उनकी परेशानी मानसिक भी हो सकती है और शारीरिक भी। मानसिक रोग से ग्रस्त परिजनों को लोग यहां ले आते हैं। दरअसल किसी भी रोग के इलाज में विश्वास महत्वपूर्ण होता है। इलाज पर विश्वास होता है तो फायदा भी जल्दी मिलता है।'